'इंडिया टीवी' के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा पिछले कुछ दिनों से अपने लाइव शो से दूर हैं, जिसके चलते कई शुभचिंतक परेशान हैं और उनसे दूर रहने की वजह जानना चाहते हैं।
'इंडिया टीवी' के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा पिछले कुछ दिनों से अपने लाइव शो से दूर हैं, जिसके चलते कई शुभचिंतक परेशान हैं और उनसे दूर रहने की वजह जानना चाहते हैं। लिहाजा अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर उन्होंने अपने लाइव शो से ब्रेक लेने की वजह साझा की है। अपनी लोकप्रिय शोज 'आपकी अदालत' और 'आज की बात, रजत शर्मा के साथ' में लगातार नजर आने वाले रजत शर्मा ने बताया कि वह कुछ समय से इन शोज का हिस्सा क्यों नहीं बन पा रहे हैं।
रजत शर्मा ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक ट्वीट के जरिए जानकारी दी कि उनकी हाल ही में एक छोटी सी आई सर्जरी हुई है। उन्होंने लिखा, "मुझे अच्छा लगा बहुत से लोगों ने चिंता जाहिर की। पूछा कि मैं कई दिन से लाइव शो क्यों नहीं कर रहा। परेशान होने की कोई बात नहीं है। मेरी एक छोटी सी आई सर्जरी हुई है। पोस्ट केयर की जरूरत है। डॉक्टर्स ने कुछ दिनों के लिये स्टूडियो लाइट्स से दूर रहने को कहा है।"
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा, "वैसे सब ठीक-ठाक है। अब आपसे अगले हफ्ते मुलाकात होगी, इस ब्रेक के बाद। हैदराबाद का द एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI) कमाल का हॉस्पिटल है।" उन्होंने डॉक्टर जीसी चंद्रशेखर और डॉक्टर सिरिषा सेंथिल का धन्यवाद करते हुए उनकी सराहना की।
रजत शर्मा के इस ट्वीट के बाद उनके फैंस और दर्शकों ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की। यह स्पष्ट है कि ब्रेक सिर्फ अस्थायी है और वह जल्द ही अपने दर्शकों के सामने फिर से अपने लोकप्रिय शोज लेकर लौटेंगे।
मुझे अच्छा लगा बहुत से लोगों ने चिंता ज़ाहिर की. पूछा कि मैं कई दिन से Live Show क्यों नहीं कर रहा. परेशान होने की कोई बात नहीं है. मेरी एक छोटी सी Eye Surgery हुई है. Post Care की ज़रूरत है. Doctors ने कुछ दिनों के लिये Studio Lights से दूर रहने को कहा है. वैसे सब ठीक-ठाक है. अब…
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) January 8, 2025
'आपकी अदालत' और 'आज की बात, रजत शर्मा के साथ' जैसे शो के जरिए रजत शर्मा ने भारतीय पत्रकारिता में एक अनोखी पहचान बनाई है। दर्शकों और शुभचिंतको को अब बेसब्री से उनके लौटने का इंतजार है।
जम्मू-कश्मीर की जटिल सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर अपनी गहरी रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार इरफान कुरैशी ने TV9 नेटवर्क से अपने छह साल के सफल कार्यकाल को समाप्त कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर की जटिल सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर अपनी गहरी रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार इरफान कुरैशी ने TV9 नेटवर्क से अपने छह साल के सफल और प्रभावशाली कार्यकाल को समाप्त कर दिया है। टीवी9 भारतवर्ष में कश्मीर ब्यूरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने कई अहम घटनाओं की रिपोर्टिंग की और इस दौरान उनकी पत्रकारिता ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।
इरफान कुरैशी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “TV9 नेटवर्क के साथ मेरी 6+ साल की यात्रा अद्भुत रही। मैं टीवी9 भारतवर्ष की बेहतरीन टीम और संपादकों के साथ काम करने के अवसर के लिए आभारी हूं। अपने दर्शकों, सहयोगियों और संगठन का दिल से धन्यवाद करता हूं। आगे की योजनाओं के बारे में अभी कुछ बताना जल्दबाज़ी होगी।”
2019 से टीवी9 के कश्मीर ब्यूरो की कमान संभालने वाले कुरैशी ने न सिर्फ सुरक्षा, राजनीति और मानवाधिकार जैसे गंभीर मुद्दों को कवर किया, बल्कि TV9 के सभी रीजनल चैनल्स- TV9 मराठी, TV9 तेलुगू, TV9 कन्नड़, TV9 बांग्ला, TV9 गुजरात और News9 के लिए भी जमीनी रिपोर्टिंग की।
उन्होंने अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी, की लाइव रिपोर्टिंग कर राष्ट्रीय दर्शकों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाई। एलओसी पर गोलीबारी, ऑपरेशन सन्दूर, भारत-पाक संघर्ष, युद्धविराम समझौते, अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल की कश्मीर यात्रा, G20 शिखर सम्मेलन और 2024 के ऐतिहासिक चुनावों जैसे विषयों पर उनकी रिपोर्टिंग ने गहराई और निष्पक्षता का परिचय दिया।
उत्तर कश्मीर के डेलिना, बारामूला से आने वाले इरफान कुरैशी ने 15 वर्षों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने 2009 में कश्मीर टाइम्स से अपने करियर की शुरुआत की थी और 2011 में डे एंड नाइट न्यूज़ के कश्मीर ब्यूरो की अगुवाई की। द क्विंट, द सिटीजन और द हूट जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए उन्होंने 2015 से 2017 तक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद स्थित ETV भारत के लिए कश्मीर ब्यूरो की स्थापना की, जिसे वे टीवी9 से जुड़ने से पहले संभालते रहे।
कुरैशी को थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन, लंदन (2013) और रेडियो नीदरलैंड्स ट्रेनिंग सेंटर (2016) जैसी संस्थाओं से अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप मिली है। उन्हें 2023 में रेड इंक अवॉर्ड (क्राइम एंड इन्वेस्टिगेशन - टीवी) में विशेष उल्लेख मिला और 2015 में उन्हें JKIF और कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा यूथ आइकन ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के पूर्व सीईओ कुनाल दासगुप्ता ने हाल ही में उस निर्णायक क्षण को याद किया, जब चैनल ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के निर्माण में लगी कंपनी को खरीदने का फैसला किया था।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन (Sony Entertainment Television) के पूर्व सीईओ कुनाल दासगुप्ता ने हाल ही में उस निर्णायक क्षण को याद किया, जब चैनल ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के निर्माण में लगी कंपनी को खरीदने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि इस फैसले के पीछे भावनात्मक उथल-पुथल और रणनीतिक दबाव दोनों काम कर रहे थे। उस समय Sony टेलीविजन की दुनिया में नंबर वन पोजिशन पर था और अपने कार्यक्रमों की लाइनअप को लेकर आत्मविश्वास से भरा हुआ था। लेकिन जब KBC की पहली कड़ी प्रसारित हुई, सब कुछ बदल गया।
दासगुप्ता ने कहा, “मैंने पहला एपिसोड देखा और मेरा दिल बैठ गया।” वह तुरंत समझ गए कि 'लॉक किया जाए' जैसे कैचफ्रेज के साथ आया यह गेम-चेंजर शो भारतीय टेलीविजन के परिदृश्य को पूरी तरह बदलने वाला है।
उन्होंने उस पल को "फैंटम पंच" जैसा बताया- ऐसा वार जो दिखाई नहीं देता, लेकिन गहरा असर छोड़ जाता है। अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया गया यह फॉर्मेट उस समय टीवी पर मौजूद किसी भी शो से बिल्कुल अलग था। इसकी भावनात्मक पकड़, सटीक संरचना और बच्चन की विशालकाय मौजूदगी ने इसे पहले ही एपिसोड में एक नई दिशा दे दी थी। दासगुप्ता ने माना कि भले ही Sony KBC के बढ़ते प्रभाव को तुरंत रोक नहीं पाया, पर वह “हक्का-बक्का” रह गए थे। नेटवर्क की बादशाहत खतरे में थी और वह समझ गए कि अब किनारे बैठकर देखना कोई विकल्प नहीं है।
KBC की सांस्कृतिक और व्यावसायिक ताकत को भांपते हुए, Sony ने साहसिक निर्णय लिया, जो था शो की निर्माता कंपनी को खरीदने का। यह कदम न सिर्फ चैनल को प्रतिस्पर्धा में दोबारा खड़ा करने में मददगार साबित हुआ, बल्कि इसने यह भी दिखा दिया कि Sony तेजी से हालात को समझ कर बाहर से आई सफलता में निवेश करने का माद्दा रखता है।
दासगुप्ता की ये बातें समीर नायर द्वारा साझा की गई एक पोस्ट पर आईं। नायर उस समय 'स्टार प्लस' के प्रोग्रामिंग हेड थे। यह पोस्ट KBC के 25 साल पूरे होने की खुशी में लिखी गई थी।
नायर ने लिखा, “इतिहास रचने में मदद करने वाले हर व्यक्ति को सालगिरह की शुभकामनाएं। हम में से बहुत से लोग इस शो को संभव बनाने में शामिल थे। और दर्शकों का धन्यवाद, क्योंकि आपका प्यार और तालियां ही सबसे ज्यादा मायने रखती हैं।”
कौन बनेगा करोड़पति (KBC) भारत का सबसे प्रतिष्ठित टेलीविजन क्विज शो रहा है, जिसकी शुरुआत साल 2000 में हुई थी। यह ब्रिटिश फॉर्मेट Who Wants to Be a Millionaire? पर आधारित है, जहां प्रतियोगियों से बढ़ती कठिनाई के साथ बहुविकल्पीय सवाल पूछे जाते हैं, जिनका इनाम राशि के साथ स्तर भी बढ़ता जाता है। अधिकतर सीजंस में इसे महानायक अमिताभ बच्चन ने होस्ट किया है और यह शो जल्द ही ज्ञान, ड्रामा और मनोरंजन का सांस्कृतिक प्रतीक बन गया।
शो की कुछ खास विशेषताएं- जैसे "फोन अ फ्रेंड", "ऑडियंस पोल", तनाव बढ़ाने वाला म्यूजि, और बच्चन साहब की जादुई प्रस्तुति, इसे बीते दो दशकों से दर्शकों की पसंद बनाए हुए हैं।
KBC एक साधारण गेम शो से कहीं बढ़कर है। इसने अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाले आम लोगों को रातों-रात अपनी किस्मत बदलने का मौका दिया है। यह शो आशा और आकांक्षा का प्रतीक बन गया है। इसके सवाल सामान्य ज्ञान से लेकर समसामयिक घटनाओं, संस्कृति और इतिहास तक फैले होते हैं, जो दर्शकों में जिज्ञासा और सीखने की भावना को बढ़ाते हैं।
वर्षों के दौरान KBC ने तकनीकी बदलावों और सामाजिक विषयों को अपनाते हुए खास एपिसोड पेश किए हैं और डिजिटल माध्यम से भी खुद को बदला है, जिससे यह हर पीढ़ी में प्रासंगिक और प्रिय बना हुआ है।
खास बात ये है कि इन सदाबहार सीरियल्स को देखने के लिए वेव्स ओटीटी पर किसी तरह का पैसा या सब्सक्रिप्शन फीस नहीं लगेगी।
आपने ‘दूरदर्शन’ का सीरियल ‘फ्लॉप शो’ या ‘ब्योमकेश बख्शी’ तो देखा ही हो होगा। जसपाल भट्टी का सीरियल फ्लॉप शो जब दूरदर्शन पर आया तो इसने कुछ वक्त में ही लोगों को गुदगुदाते हुए उनके दिलों में जगह बना ली थी और कुछ वक्त में ही दूरदर्शन पर सर्वाधिक देखे जाने वाला सीरियल बन गया। ठीक इसी तरह जब ब्योमकेश बख्शी वर्ष 1993 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ तो अभिनेता केके रैना ने अपनी अदाकारी की ऐसी छाप छोड़ी की लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
कोरोना काल में दूरदर्शन के पुराने सीरियल एक बार फिर लौटे और व्यूरअरशिप का रिकॉर्ड बना दिया। दर्शकों की इसी पसंद और डीडी के नॉस्टैलजिक कंटेंट के प्रति प्यार को देखते हुए प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव्स ने (WAVES OTT) ने अपने प्लेटफॉर्म पर डीडी नॉस्टैल्जिया नाम से स्पेशल प्लेलिस्ट लॉन्च की है।
वेव्स ओटीटी की इस खास प्लेलिस्ट में अनुपम खेर और पूजा भट्ट की 'डैडी', सुरेखा सिकरी और इरफान खान की 'सांझा चूल्हा', मुकेश खन्ना की 'चुन्नी', पल्लवी जोशी और आर. माधवन की 'आरोहण', शाहरुख खान का डेब्यू सीरियल 'फौजी' और 'चाणक्य' जैसे सीरियल उपलब्ध हैं। खास बात ये है कि इन सदाबहार सीरियल्स को देखने के लिए वेव्स ओटीटी पर किसी तरह का पैसा या सब्सक्रिप्शन फीस नहीं लगेगी।
इस बारे में जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, जब ज़्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म चमक-दमक वाले शो और करोड़ों के बजट में बने सीरीज दिखाकर दर्शकों का ध्यान खींचने की होड़ में लगे हैं, ऐसे वक्त में प्रसार भारती का WAVES OTT एक अलग राह पर चल रहा है। ये प्लेटफॉर्म पुराने दौर की यादें, भारतीय संस्कृति और देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को सहेजने की कोशिश कर रहा है।
WAVES OTT पर दूरदर्शन के मशहूर सीरियल, आकाशवाणी की दुर्लभ रिकॉर्डिंग्स, फिल्म्स डिवीजन की डॉक्यूमेंट्रीज़ और एनएफडीसी की बेहतरीन फिल्में तो देखी ही जा सकती हैं। इसके साथ ही जया बच्चन की 'सदाबहार', पंकज झा की 'सरपंच साहब', संजय मिश्रा की 'कोट' व 'जाइये आप कहां जाएंगे', 'जैक्सन हॉल्टन' और 'करियट्ठी' जैसी नई फिल्में और वेब सीरीज भी वेव्स पर लोगों का दिल जीत रही हैं।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Z) के शेयरधारकों ने भारी बहुमत से दिव्या करणी को स्वतंत्र निदेशक और सौरव अधिकारी को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बोर्ड में नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Z) के शेयरधारकों ने भारी बहुमत से दिव्या करणी को स्वतंत्र निदेशक और सौरव अधिकारी को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बोर्ड में नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी 8 जुलाई 2025 को समाप्त हुई रिमोट ई-वोटिंग पोस्टल बैलट प्रक्रिया के जरिए हासिल हुई, जिसकी जानकारी कंपनी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।
यह मंजूरी न केवल कंपनी और उसके बोर्ड में शेयरधारकों के भरोसे को दर्शाती है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि वे 'Z' के भविष्य में मूल्य निर्माण और सशक्त विकास पथ की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को लेकर आश्वस्त हैं। कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप, बोर्ड लगातार प्रबंधन को सशक्त मार्गदर्शन देने और मजबूत नीति-आधारित गवर्नेंस फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। इसी सोच के तहत बोर्ड की संरचना को भी विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी विशेषज्ञों को शामिल करके और अधिक समृद्ध किया जा रहा है।
दिव्या करणी और सौरव अधिकारी की नियुक्ति से बोर्ड को समग्र और विविध दृष्टिकोण मिलेगा, जो प्रबंधन को रणनीतिक विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा।
दिव्या करणी मीडिया और विज्ञापन जगत में अपने वर्षों के अनुभव के साथ विज्ञापन राजस्व के क्षेत्र में गहरी समझ लेकर आती हैं। वहीं सौरव अधिकारी संचालन और निवेश की रणनीति में अपनी विशेषज्ञता से बोर्ड में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, क्योंकि उन्हें टेक्नोलॉजी सलाहकार के तौर पर लंबा अनुभव प्राप्त है।
नियुक्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन आर. गोपालन ने कहा, “हम आभारी हैं कि हमारे शेयरधारकों ने सुश्री करणी और श्री अधिकारी के बोर्ड में शामिल होने से मिलने वाले मूल्य को पहचाना। उनके व्यावसायिक दृष्टिकोण और संबंधित क्षेत्रों में उनकी रचनात्मक विशेषज्ञता, बोर्ड को प्रबंधन टीम को दिशा देने में और अधिक सक्षम बनाएगी, जिससे कंपनी अपने लक्ष्यों की ओर और तेजी से अग्रसर हो सकेगी। हम अपने हर निर्णय के माध्यम से कंपनी को सशक्त बनाने और शेयरधारकों के हित को सर्वोच्च रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
दिव्या करणी को भारत, दक्षिण एशिया, यूके और एशिया-पैसिफिक क्षेत्रों की प्रमुख विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों का नेतृत्व करने का तीन दशक से भी अधिक अनुभव है। वह डेंट्सु मीडिया, साउथ एशिया की सीईओ रह चुकी हैं, जहां उन्होंने 12 वर्षों तक एजेंसी को इस क्षेत्र की प्रमुख मीडिया नेटवर्क के रूप में स्थापित किया। वर्तमान में वह कंटेंट, कॉमर्स और कल्चर के संगम पर काम करने वाले आधुनिक मीडिया नेटवर्क ‘कुल्फी कलेक्टिव’ के बोर्ड में चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं।
वहीं, सौरव अधिकारी को टेक्नोलॉजी, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे वैश्विक व्यापार क्षेत्रों में संचालन, जनरल मैनेजमेंट और निवेश विशेषज्ञता के रूप में तीन दशक से अधिक का अनुभव है। उन्होंने एचसीएल, यूनिलीवर और पेप्सिको जैसी वैश्विक कंपनियों में वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर कार्य किया है। फिलहाल वह Indus Tech Edge Fund I के फाउंडर और सीनियर पार्टनर हैं- यह फंड भारत के तेजी से बढ़ते टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को वैश्विक स्तर पर ले जाने पर केंद्रित है। साथ ही वह एआई आधारित फिनटेक, हेल्थकेयर, एनालिटिक्स, IoT और लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप्स में निवेशक और सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।
कंपनी जैसे-जैसे अपने लक्षित उद्देश्यों की ओर तेजी से बढ़ रही है, वैसे-वैसे बोर्ड में करणी और अधिकारी जैसे अनुभवी पेशेवरों की मौजूदगी, प्रबंधन को बदलते कारोबारी परिदृश्य में मजबूती से आगे बढ़ने में निर्णायक रणनीतिक मार्गदर्शन देने का काम करेगी।
इस शो का प्रसारण सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर किया जाएगा।
डिजिटल पत्रकारिता की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुके पत्रकार शुभांकर मिश्रा जल्द ही ‘एनडीटीवी’ (NDTV) पर नया शो ‘कचहरी’ (Kachahari) लेकर आ रहे हैं। इस शो का प्रसारण सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर किया जाएगा।
शुभांकर ने खुद सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा है, ‘अब हर रात जनता की आवाज TV पर गूंजेगी । जनहित के मुद्दे हर रोज कचहरी लगेगी। किस खबर को आप चाहते हैं पहले दिन Prime Time कचहरी में पेश किया जाए?’
सोमवार रात 8 बजे से NDTV इंडिया पर।
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) July 5, 2025
अब हर रात जनता की आवाज़ Tv पर गूँजेंगी । जनहित के मुद्दे हर रोज़ कचहरी लगेगी। किस ख़बर को आप चाहते हैं पहले दिन Prime Time कचहरी में में पेश किया जाए ? pic.twitter.com/a99Rbzqw5O
बता दें कि शुभांकर मिश्रा ने पिछले दिनों ही ‘एनडीटीवी’ के साथ बतौर कंसल्टेंट अपने नए सफर की शुरुआत की है। इसके साथ ही वह अपना यूट्यूब और पॉडकास्ट चलाते रहेंगे।
करीब दो साल पहले टीवी न्यूज की दुनिया को अलविदा कहने के बाद से शुभांकर मिश्रा अपना यूट्यूब चैनल @shubhankarmishraofficial चला रहे हैं, जहां उनके 5.75 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। यहां अपने पॉडकास्ट 'Unplugged' में वह विभिन्न विषयों पर चर्चित हस्तियों के साथ गहन बातचीत करते हैं।
शुभांकर मिश्रा इससे पहले हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ (AakTak) से जुड़े हुए थे। उन्होंने करीब डेढ़ साल तक इस चैनल में बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभाई थी, इसके बाद जुलाई 2023 में उन्होंने इस चैनल को अलविदा बोल दिया था।
‘आजतक’ से पहले शुभाकंर मिश्रा करीब तीन साल तक ‘टीवी9’ (TV9) में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। शुभांकर मिश्रा अब तक तमाम मीडिया चैनल्स में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। ‘टीवी9’ से पहले वह ‘जी न्यूज’ (Zee News) के साथ जुड़े हुए थे। इसके अलावा पूर्व में वह ‘इंडिया न्यूज’ (India News) में भी बतौर न्यूज एंकर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
अपने अब तक के करियर में शुभांकर मिश्रा तमाम महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को अंजाम दे चुके हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘टाइगर हिल्स’ (Tiger Hills) से रिपोर्टिंग रही है, जहां कारगिल युद्ध हुआ था। शुभांकर मिश्रा की सोशल मीडिया पर काफी फैन फॉलोइंग है।
क्रॉस-होल्डिंग और बोर्ड-स्तरीय ओवरलैप पर लगी रोक को हटाने के इस कदम से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह मापन तकनीक को लोकतांत्रिक बनाएगा या इसकी साख को नुकसान पहुंचाएगा?
सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा जारी किए गए नए मसौदा दिशानिर्देश भारत के टेलीविजन रेटिंग इकोसिस्टम की वर्षों पुरानी संरचनात्मक सुरक्षा को खत्म कर सकते हैं। क्रॉस-होल्डिंग और बोर्ड-स्तरीय ओवरलैप पर लगी रोक को हटाने के इस कदम से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह मापन तकनीक को लोकतांत्रिक बनाएगा या इसकी साख को नुकसान पहुंचाएगा?
वर्षों से BARC इंडिया देश की एकमात्र स्वीकृत टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट एजेंसी रही है। इसकी साप्ताहिक रेटिंग्स ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक के विज्ञापन बाजार में मीडिया प्लानिंग, विज्ञापन खर्च और चैनल की स्थिति तय करने का आधार रही हैं। अब, मंत्रालय ने ‘टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश’ में बड़ा बदलाव करते हुए पात्रता मानकों को ढीला कर दिया है और हितों के टकराव से जुड़ी अहम धाराएं हटा दी हैं।
2 जुलाई को जारी किए गए प्रस्ताव में धारा 1.5 और 1.7 को हटा दिया गया है, जो अब तक रेटिंग एजेंसीज को प्रसारकों, विज्ञापनदाताओं या विज्ञापन एजेंसीज से जुड़े लोगों को बोर्ड में रखने या उनमें हिस्सेदारी रखने से रोकती थीं। कई जानकारों का मानना है कि इस बदलाव से बड़ी मीडिया कंपनियों, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, केबल ऑपरेटर्स और विज्ञापन समूहों को अपनी खुद की रेटिंग एजेंसियां शुरू करने का मौका मिल सकता है।
इंडस्ट्री विशेषज्ञ राजीव खट्टर ने कहा, “हम धारा 1.4 में किए गए बदलावों का स्वागत करते हैं, लेकिन जब धारा 1.5 और 1.7 को हटा दिया गया है तो धारा 1.4 की मूल भावना ही समाप्त हो जाएगी। यदि एक ही व्यक्ति रेटिंग एजेंसी और प्रसारक या विज्ञापनदाता दोनों के बोर्ड में है, तो रेटिंग प्रक्रिया पर प्रभाव डाला जा सकता है, इसके लिए कोई सुरक्षा तंत्र नहीं छोड़ा गया है।”
धारा 1.4 में कहा गया है कि “कंपनी कोई भी ऐसा परामर्श या सलाहकार कार्य नहीं करेगी जिससे उसके रेटिंग कार्य से हितों का टकराव उत्पन्न हो।”
BARC पर लंबे समय से डिजिटल और ओटीटी डिस्ट्रीब्यूशन को शामिल करने के लिए पैनल कवरेज बढ़ाने और पद्धति को आधुनिक बनाने का दबाव रहा है। ऐसे में यह उदारीकरण ऐसे समय में आया है जब इंडस्ट्री विश्वसनीय और एकीकृत मापन की जरूरत को लेकर पहले ही असमंजस में है।
एक मीडिया विश्लेषक ने कहा, “क्रॉस-होल्डिंग पर रोक हटाने से आवश्यक सुरक्षा कमजोर होती है। यदि बड़ी कंपनियां खुद को रेट कर सकती हैं तो मापन का मतलब ही क्या रह जाता है? यह वैसा ही है जैसे एक स्कूल का शिक्षक खुद की ट्यूशन चला रहा हो, ऐसे में निष्पक्षता खतरे में पड़ जाती है।”
एक वरिष्ठ एजेंसी प्रमुख ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अब कोई भी एजेंसी बन सकता है- केबल ऑपरेटर, विज्ञापनदाता समूह, या कोई बड़ा प्रसारक। लेकिन इससे सबसे अधिक फायदा उन मार्केट लीडर्स को होगा जो अपनी पहुंच और नियंत्रण बढ़ाना चाहते हैं।”
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि हितों के टकराव से जुड़ी धाराएं हटा दी गई हैं, लेकिन संशोधित धारा 1.4 अब भी ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाती है, जिससे टकराव उत्पन्न हो, जिससे नियमों की व्याख्या और अनुपालन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
धारा 1.5 और 1.7 को हटाने के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं- जैसे रेटिंग एजेंसीज और प्रसारण जगत के अन्य हितधारकों (DPOs, विज्ञापनदाताओं आदि) के बीच स्वामित्व संबंध और बोर्ड-स्तर पर निष्पक्षता का खत्म होना। अब Big Tech कंपनियों, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और DPOs को भी रेटिंग एजेंसीज का मालिक या नियंत्रक बनने की अनुमति मिल सकती है।
इससे निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई ओटीटी प्लेटफॉर्म किसी रेटिंग एजेंसी का मालिक हो, तो वह आंकड़ों को अपने पक्ष में मोड़ सकता है। पहले की नीति का मकसद “सामान्य दूरी पर संचालन” सुनिश्चित करना था। अब इन धाराओं को हटाने से ₹30,000 करोड़ से अधिक के विज्ञापन खर्चों को प्रभावित करने वाले डेटा की विश्वसनीयता पर संकट आ सकता है।
एक कानूनी विशेषज्ञ अलाय रजवी ने कहा, “ये बदलाव Big Tech (जैसे Google, Meta), ओटीटी प्लेटफॉर्म (Netflix, JioCinema), और DPOs (Tata Play, Airtel) को TRP रेटिंग एजेंसियां शुरू करने या उनमें निवेश करने की अनुमति दे सकते हैं। छोटे या स्वतंत्र खिलाड़ी तब तक टिक नहीं पाएंगे जब तक एक मजबूत नियामक ढांचा डेटा इंटरऑपरेबिलिटी और मानकीकरण सुनिश्चित न करे।”
हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे एक स्वागतयोग्य और लंबे समय से जरूरी सुधार मानते हैं।
TAM Media Research के CEO एलवी कृष्णन ने कहा, “बेशक, यह एक प्रगतिशील और सकारात्मक कदम है। ये संशोधन क्षेत्र को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह सिर्फ TAM के लिए नहीं, बल्कि किसी भी वैश्विक मापन कंपनी के लिए एक गेम-चेंजर है।”
विज्ञापनदाताओं की प्रतिक्रिया
एक वरिष्ठ मीडिया प्लानर ने कहा, “इस कदम से नए खिलाड़ी या निष्क्रिय एजेंसियां फिर से सक्रिय हो सकती हैं। इससे नवाचार बढ़ेगा और मूल्य निर्धारण बेहतर हो सकता है। विज्ञापनदाताओं को अब कई और विकल्प मिल सकते हैं, लेकिन मानकीकरण और विश्वसनीयता अहम रहेंगे।”
वहीं कुछ ब्रैंड्स को डर है कि यह प्रणाली को और अधिक बिखरा सकती है।
एक अन्य विज्ञापनदाता ने कहा, “पात्रता मानकों में ढील से गुणवत्ता के मानदंड कमजोर हो सकते हैं। जब अरबों रुपए मीडिया में खर्च होते हैं, तो रेटिंग पर विश्वास जरूरी होता है। नए या फिर से शुरू हुए खिलाड़ियों को भरोसा अर्जित करने में समय लगेगा।”
BFSI सेक्टर के एक विज्ञापनदाता ने कहा, “जब इतने पैसे इन नंबरों पर निर्भर हों, तो किसी भी प्रकार की पक्षपातपूर्ण या अपारदर्शी स्वामित्व तकनीक बाजार को बिगाड़ सकती है।”
GoNews इंडिया के संस्थापक पंकज पचौरी ने कहा, “भारतीय टीआरपी एजेंसीज की साख आम नागरिकों और मार्केटर्स दोनों में घटी है। टीवी चैनलों पर अक्सर टीआरपी के लिए सनसनीखेज और असत्यापित कंटेंट चलाने का आरोप लगता है, जैसा कि हालिया भारत-पाक युद्ध कवरेज में देखा गया।”
उन्होंने कहा, “विश्वसनीयता बहाल करने के लिए पारदर्शिता जरूरी है। MIB ने इन दो धाराओं को हटाकर स्थिति और बिगाड़ दी है। अगर रेटिंग एजेंसीज के निदेशक कंटेंट निर्माताओं से व्यापारिक रिश्ते बना सकें, तो उनकी निष्पक्षता और घटेगी। रेटिंग एजेंसीज को अपने व्यावसायिक हितों का खुलासा करना चाहिए, जैसे कि शेयर बाजार के विश्लेषक अपने होल्डिंग्स का करते हैं। MIB को क्लैश-ऑफ-इंटरस्ट डिस्क्लोजर अनिवार्य करना चाहिए, वो उल्टा कर रहा है।”
RSH Global की CMO पौलोमी रॉय ने कहा, “नियमों को प्रसारकों के प्रभाव को रोकने के लिए और सख्त बनाया गया है। अगर इसे उसी तरह पढ़ा जाए, तो आंकड़े और डेटा अधिक वास्तविक हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “पहले से बनी धारणाओं को चुनौती दी जा सकेगी। ब्रॉडकास्टर का वितरण नेटवर्क नंबर तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। दरें दोबारा तय की जा सकती हैं। इस अस्थिर वातावरण में सफल अभियान चलाना चुनौतीपूर्ण होगा।”
अब जब मंत्रालय अगले 30 दिनों के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों को आमंत्रित कर चुका है, तो इंडस्ट्री एक केंद्रीय प्रश्न से जूझ रही है- क्या एक उदार, बहु-एजेंसी प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही ला सकती है या यह विशेष हितों से संचालित अराजकता में बदल जाएगी?
सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती द्वारा आयोजित 89वीं ई-नीलामी के तहत दो न्यूज चैनल्स TNP News और Living India News ने डीडी फ्री डिश पर MPEG-4 स्लॉट हासिल कर लिया है।
सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती द्वारा आयोजित 89वीं ई-नीलामी के तहत दो न्यूज चैनल्स TNP News और Living India News ने डीडी फ्री डिश पर MPEG-4 स्लॉट हासिल कर लिया है। यह स्लॉट 11 जुलाई 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए आवंटित किया गया है।
50 मिलियन से अधिक घरों में पहुंच रखने वाले इस फ्री-टू-एयर डायरेक्ट-टू-होम (DTH) प्लेटफॉर्म पर स्लॉट मिलना रीजनल व नेशनल ब्रॉडकास्टर्स के लिए ब्रॉडकास्ट पहुंच और विज्ञापन राजस्व बढ़ाने की एक रणनीतिक उपलब्धि मानी जाती है।
प्रसार भारती की ओर से विविध कंटेंट की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से MPEG-4 स्लॉट्स के लिए यह ई-नीलामी 2 जुलाई 2025 से शुरू हुई थी।
इस संबंध में जारी अधिसूचना में कहा गया था कि केवल उन्हीं सैटेलाइट टीवी चैनल्स को नीलामी में भाग लेने की अनुमति होगी, जिन्हें सूचना-प्रसारण मंत्रालय से अनुमति और लाइसेंस प्राप्त है। इसमें निजी प्रसारकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारक भी शामिल हैं।
नीलामी प्रक्रिया को भाषा और श्रेणी के आधार पर पांच बकेट्स में विभाजित किए गए थे- R1, R2, R3 (रीजनल भाषाएं) और G1, G2 (न्यूज और नॉन-न्यूज जॉनर)। रिजर्व प्राइस चैनल्स की श्रेणी के अनुसार भिन्न है, जहां रीजनल चैनल्स (R1, R3) के लिए यह ₹3.62 लाख से शुरू होता है, वहीं न्यूज चैनल्स (G1) के लिए यह ₹57.14 लाख तक जाता है। बिड इन्क्रीमेंट ₹50,000 से ₹1 लाख के बीच तय किया गया है।
इस बार कंटेंट की विश्वसनीयता और भाषा-समानता को लेकर भी खास जोर दिया गया है। अधिसूचना में साफ कहा गया है कि प्रसारकों को अपने मासिक प्रसारण का कम से कम 75 प्रतिशत कंटेंट उस भाषा और जॉनर में रखना होगा, जिसकी घोषणा उन्होंने की है। ऐसा न करने पर स्लॉट आवंटन रद्द किया जा सकता है।
नीलामी में भाग लेने के लिए ₹25,000 की नॉन-रिफंडेबल प्रोसेसिंग फीस तथा ₹3 लाख की सहभागिता राशि अनिवार्य थी, जिसे डिमांड ड्राफ्ट या RTGS के माध्यम से जमा किया जा सकता था।
आवेदन और सभी दस्तावेज जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून 2025 निर्धारित की गई थी।
डीडी फ्री डिश के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह नीलामी रीजनल और उभरते न्यूज चैनल्स के लिए नए दर्शकों तक पहुंचने और प्रभाव बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बनकर सामने आई है।
भारत में टीवी दर्शकों की बदलती आदतों और प्लेटफॉर्म्स के विस्तार को देखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने टेलीविजन रेटिंग पद्धति में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव रखा है।
भारत में टीवी दर्शकों की बदलती आदतों और प्लेटफॉर्म्स के विस्तार को देखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने टेलीविजन रेटिंग पद्धति में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव रखा है। मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा ऑडियंस मापन तकनीक भारत के विविध और जटिल दर्शक आधार को सही तरीके से नहीं दर्शा पाती। यही वजह है कि 2 जुलाई 2025 को मंत्रालय ने टीवी रेटिंग एजेंसियों के लिए वर्ष 2014 की नीति दिशानिर्देशों में कई संशोधनों का ड्राफ्ट जारी किया है, जिस पर 30 दिन के भीतर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी गई है।
सरकारी बयान के मुताबिक, भारत में फिलहाल लगभग 23 करोड़ टीवी घर हैं, लेकिन इनका व्युअरशिप डेटा मापने के लिए महज 58,000 पीपल मीटर लगे हैं, जो कुल टीवी घरों का केवल 0.025% है। इतनी सीमित सैंपलिंग से क्षेत्रीय और सामाजिक विविधताओं को सही रूप में दर्शाना संभव नहीं है। यह डेटा BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) इकट्ठा करता है, जो फिलहाल भारत की एकमात्र रेटिंग एजेंसी है।
मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा प्रणाली तकनीकी और ढांचागत दोनों ही स्तरों पर पिछड़ी हुई है। खासकर स्मार्ट टीवी, मोबाइल ऐप और स्ट्रीमिंग डिवाइसेज जैसी नई तकनीकों के साथ यह मापन प्रणाली तालमेल नहीं बिठा पा रही है, जिससे रेटिंग की सटीकता पर असर पड़ता है और ब्रॉडकास्टर्स व ब्रैंड्स की रणनीतियों में बाधा आती है।
बार्क की मोनोपॉली और बीते छह वर्षों से बेसलाइन सर्वे न होने जैसी कमियों ने इंडस्ट्री जगत में "रेटिंग गैप" की स्थिति बना दी है, जहां पुराने डेटा के आधार पर ही विज्ञापन खर्च और कंटेंट निर्णय लिए जा रहे हैं।
प्रस्तावित संशोधन चार प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित हैं:
क्लॉज 1.4 में संशोधन: अब एजेंसियां दर्शक मापन के अलावा अन्य कार्यों में भी शामिल हो सकती हैं, बशर्ते उनमें हितों का टकराव न हो। इससे कामकाज की लचीलापन बढ़ेगा।
क्लॉज 1.5 और 1.7 हटाए गए: ये धाराएं अब तक नए खिलाड़ियों के प्रवेश में रोड़ा बनी हुई थीं। इन्हें हटाकर सरकार एक खुला और प्रतिस्पर्धी वातावरण बनाना चाहती है, जिससे बार्क का एकाधिकार खत्म हो सके।
कनेक्टेड टीवी और मल्टी-स्क्रीन मापन को शामिल करने पर जोर: डिजिटल खपत के तेजी से बढ़ने के बावजूद अब तक इन प्लेटफॉर्म्स को रेटिंग मापन में समुचित रूप से शामिल नहीं किया गया था।
ब्रॉडकास्टर्स और ऐडवर्टाइजर्स के लिए निवेश के नए अवसर: इससे बेहतर डेटा संग्रहण और विश्लेषण के लिए तकनीकी क्षमताओं में सुधार हो सकेगा।
TRAI पहले ही सरकार को सलाह दे चुका है कि एकाधिक रेटिंग एजेंसियों की अनुमति दी जाए। वहीं, BARC ने 2023 में 2025 तक अपने पैनल को 75,000 घरों तक बढ़ाने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इसमें प्रगति धीमी रही है।
इंडस्ट्री के भीतर भी मतभेद हैं। IBDF (इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन) में फ्री-टू-एयर ब्रॉडकास्टर्स का आरोप है कि उन्हें BARC बोर्ड में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जिससे कई अहम सुधार लंबित पड़े हैं।
एक मीडिया प्लानर ने कहा, “बड़े स्क्रीन का उपयोग तेजी से बदल रहा है लेकिन हमारा मीडिया प्लानिंग अभी भी पुराने अनुमानों पर आधारित है।” एक अन्य एफएमसीजी ब्रैंड के हेड ने कहा, “हमें केबल, डीटीएच, सीटीवी और मोबाइल को कवर करने वाला 'करंसी-ग्रेड डेटा' चाहिए, बिना इसके हम अंधेरे में काम कर रहे हैं।”
जहां बार्क अभी तक डिजिटल मापन में पिछड़ा रहा है, वहीं Google और Comscore मिलकर यूट्यूब CTV व्युअरशिप मापन समाधान लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। TRAI के चेयरमैन ए.के. लाहोटी ने मौजूदा टीवी रेटिंग प्रणाली को “विकृत” करार देते हुए बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया है।
सरकार द्वारा प्रस्तावित यह सुधार भारत में टीवी रेटिंग सिस्टम को आधुनिक खपत पैटर्न के अनुकूल बनाने का एक ऐतिहासिक अवसर है। लेकिन इसकी सफलता इंडस्ट्री के सहयोग पर निर्भर करेगी। प्रस्तावों पर सुझाव देने की अंतिम तारीख से आगे असली चुनौती होगी, इन्हें नीतिगत रूप से लागू करना और इंडस्ट्री को इसके लिए तैयार करना।
एक डिजिटल-फर्स्ट और समावेशी रेटिंग इकोसिस्टम का निर्माण तभी संभव होगा जब ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर और टेक कंपनियां अपने पारंपरिक हितों से ऊपर उठकर मिलकर काम करें। बदलाव की शुरुआत हो चुकी है, अब देखना है कि हम कितनी तेजी से उसे अपनाते हैं।
भारत में टेलीविजन व्युअरशिप मापन तकनीक को नया आकार देने की दिशा में सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने बड़ी पहल करते हुए टीवी रेटिंग एजेंसीज के लिए पात्रता मानदंडों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है।
भारत में टेलीविजन व्युअरशिप मापन तकनीक को नया आकार देने की दिशा में सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने बड़ी पहल करते हुए टीवी रेटिंग एजेंसीज के लिए पात्रता मानदंडों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है। 2 जुलाई 2025 को जारी मसौदे में मंत्रालय ने 2014 की नीति में अहम बदलाव किए हैं, जिनमें दो प्रमुख धाराएं (क्लॉज 1.5 और 1.7) को हटाना शामिल है। ये धाराएं अब तक रेटिंग एजेंसीज और ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स या ऐड एजेंसीज के बीच क्रॉस-होल्डिंग पर रोक लगाती थीं।
इस बदलाव को लेकर माना जा रहा है कि यह कदम नीतिगत ढांचे को आधुनिक बनाने, प्रवेश की बाधाएं कम करने और संभवतः OTT प्लेटफॉर्म, बिग टेक कंपनियों व मीडिया फंड्स जैसे नए खिलाड़ियों को इस क्षेत्र में आने का अवसर देने के लिए उठाया गया है।
एक अग्रणी ब्रॉडकास्ट नेटवर्क के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “MIB द्वारा एंट्री नॉर्म्स में ढील देना सकारात्मक कदम है। इससे नए एजेंसीज के आने का रास्ता खुलेगा और रेटिंग्स को लेकर नए नजरिए और समेकित KPI सामने आ सकते हैं।”
TAM के सीईओ एलवी कृष्णन ने कहा, “यह निस्संदेह एक प्रगतिशील और स्वागत योग्य फैसला है। खासकर मल्टी-स्क्रीन व्युअरशिप के संदर्भ में यह बदलाव नई सोच और समग्र मापन तकनीक के लिए रास्ता खोलता है, जो डिजिटल को भी शामिल करेगा।”
हालांकि, सभी लोग इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। एक मीडिया विश्लेषक ने चेतावनी दी, “क्रॉस-होल्डिंग प्रतिबंध हटाना महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को कमजोर करता है। यदि इंडस्ट्री के सबसे बड़े खिलाड़ी खुद को ही रेट करें, तो ऑडियंस मापन का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है। यह वैसा ही है जैसे कोई स्कूल टीचर खुद के ट्यूशन की परीक्षा ले।”
सिंघानिया एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रोहित जैन का मानना है कि सरकार का इरादा संतुलन बनाए रखने का है। उन्होंने कहा, “क्लॉज 1.5 और 1.7 को हटाने से जहां नए स्टेकहोल्डर्स को मौका मिलता है, वहीं क्लॉज 1.4 का विस्तार कर कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को रोकने की कोशिश की गई है। यह देखना जरूरी होगा कि किसी नए एंट्री से पूर्वाग्रह पैदा होता है या नहीं।”
एक प्रमुख केबल टीवी ऑपरेटर ने चिंता जताई कि बोर्ड लेवल या ओनरशिप से जुड़ी पाबंदियां हटने से रेटिंग एजेंसीज की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा, “OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए बेहतर पैनल प्रतिनिधित्व जरूरी है, जिसमें अब तक BARC पीछे रहा है।”
एक अन्य मीडिया एजेंसी हेड ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कागजों पर यह कदम खुला और लोकतांत्रिक दिखता है, लेकिन असल में इससे उन्हीं बड़ी कंपनियों को फायदा होगा जो ज्यादा कंट्रोल चाहती हैं और खुद की एजेंसी शुरू करना चाहती हैं।”
एक FMCG ब्रांड के मीडिया प्लानर ने कहा, “यह बदलाव प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है, नए इनोवेशन ला सकता है और शायद मूल्य निर्धारण को भी प्रभावित करे। यह डिजिटल और ब्रॉडकास्ट के मिलते हुए परिदृश्य में ज्यादा लचीली रेटिंग प्रणाली की ओर ले जा सकता है।”
हालांकि, कुछ ऐडवर्टाइजर्स ने स्टैंडर्ड्स में गिरावट की आशंका भी जताई। उनके अनुसार, “कमजोर पात्रता मानदंडों के कारण मापन की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है। ऐसे क्षेत्र में जहां अरबों रुपये खर्च होते हैं, विश्वसनीयता से समझौता नहीं किया जा सकता।”
कुल मिलाकर, यह फैसला मापन तकनीक को अधिक लोकतांत्रिक बना सकता है, लेकिन इसके साथ पारदर्शिता, मानकीकरण और कड़े रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत और भी अधिक बढ़ गई है। कुछ मीडिया बायर्स ने यह चिंता भी जताई कि एक से ज्यादा रेटिंग एजेंसीज से "कंपीटिंग करंसी" का संकट पैदा हो सकता है, जिससे ब्रांड्स और ब्रॉडकास्टर्स दोनों भ्रमित होंगे।
सरकार ने इन मसौदा संशोधनों पर 30 दिनों के भीतर पब्लिक फीडबैक मांगा है। अंतिम आदेश जारी होने के बाद यह तय होगा कि भारत में टेलीविजन और डिजिटल दर्शकों की मापने की प्रणाली कैसे बदलेगी, खासकर ऐसे समय में जब क्रॉस-स्क्रीन मापन और एकीकृत मीट्रिक्स पहले से कहीं अधिक जरूरी हो चुके हैं।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने स्नेहा मोहरीर परेरा को 'जी मराठी' की नॉन-फिक्शन श्रेणी की वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने स्नेहा मोहरीर परेरा को 'जी मराठी' की नॉन-फिक्शन श्रेणी की वाइस प्रेजिडेंट नियुक्त किया है। उन्होंने इस नई भूमिका की जानकारी लिंक्डइन पोस्ट के जरिए साझा की।
स्नेहा ने लिखा, "एंटरटेनमेंट की दुनिया में एक नया अध्याय शुरू करते हुए 'जी मराठी' में नॉन-फिक्शन की वाइस प्रेजिडेंट के रूप में अपनी यात्रा शुरू करके बेहद खुशी हो रही है।"
उन्होंने मराठी कंटेंट की ताकत को रेखांकित करते हुए लिखा, "मराठी कंटेंट दिलचस्प कहानियां और प्रभावशाली ड्रामा पेश करने में अग्रणी रहा है। इस विरासतभरे नेटवर्क के साथ इस रोमांचक सफर के लिए उत्साहित हूं।"
इस नियुक्ति से पहले स्नेहा मोहरीर परेरा Viacom18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ तीन साल से अधिक समय तक सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर –Viacom18 Digital के रूप में जुड़ी रहीं। यहां उन्होंने कंटेंट इनोवेशन में अहम भूमिका निभाई और ग्लोबल दर्शकों के लिए प्रभावशाली स्टोरीटेलिंग अनुभव रचने पर फोकस किया।
स्नेहा एक अनुभवी मीडिया पेशेवर हैं जिन्हें अनस्क्रिप्टेड और ब्रैंडेड कंटेंट प्रोडक्शन में विशेष महारत हासिल है। पिछले 18 वर्षों में उन्होंने रियलिटी, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट की दुनिया में कंटेंट रणनीतियों को नए सिरे से गढ़ा है, हाई-इम्पैक्ट प्रोडक्शन्स को लीड किया है और मल्टीप्लेटफॉर्म व्यूअर एंगेजमेंट में उल्लेखनीय इजाफा किया है।
उनकी नियुक्ति न केवल जी मराठी के नॉन-फिक्शन कंटेंट पोर्टफोलियो को मज़बूती देगी, बल्कि क्षेत्रीय मनोरंजन के परिदृश्य में नवाचार को भी नया आयाम दे सकती है।