मेटा ने नया Omnilingual ASR मॉडल लॉन्च किया है, जो 1600 से अधिक भाषाओं और बोलियों को पहचानने में सक्षम है। यह AI स्पीच तकनीक को उन लोगों तक भी पहुंचाएगा, जो सिर्फ अपनी स्थानीय भाषाएं बोलते हैं।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
मार्क जुकरबर्ग की कंपनी Meta ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए Omnilingual ASR (ऑम्नीलिंगुअल ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन) मॉडल लॉन्च किया है। यह मॉडल भाषा और एआई के संयोजन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला माना जा रहा है क्योंकि यह उन उपयोगकर्ताओं को भी आवाज़ आधारित AI सुविधाओं से जोड़ देगा, जो अंग्रेजी जैसी प्रमुख भाषाएं नहीं बोलते।
मेटा का दावा है कि यह दुनिया का पहला AI स्पीच मॉडल है जो 1600 से अधिक भाषाओं और बोलियों को समझने और पहचानने में सक्षम है। विशेष बात यह है कि इनमें 500 से अधिक दुर्लभ और कम संसाधन वाली भाषाएं शामिल हैं। ऐसी भाषाएं जिनके डिजिटल रिकॉर्ड भी बहुत कम उपलब्ध हैं।
अब उपयोगकर्ता अब अपनी स्थानीय भाषा या बोली में AI से बात कर सकेंगे। ग्रामीण और क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले भी तकनीक का समान रूप से लाभ उठा पाएंगे। AI उनके सवालों के जवाब उनकी ही भाषा में देगा। यह मॉडल छत्तीसगढ़ी, अवधी, तमिल, बंगला और कई प्राचीन बोलियों को भी पहचानता है।
AI स्पीच तकनीक की पहुंच कई गुना बढ़ जाएगी। Meta का यह नया मॉडल एक मल्टीलिंगुअल ढांचे पर आधारित है। पारंपरिक AI मॉडल किसी एक भाषा के बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित किए जाते हैं, जबकि दुर्लभ भाषाओं के लिए डेटा उपलब्ध नहीं होता। लेकिन Meta ने ऐसे एल्गोरिदम का उपयोग किया है जो भाषाओं के बीच समान पैटर्न ढूंढकर बेहद कम डेटा में भी सीख सके।
यह सिस्टम एक ही मॉडल में सभी भाषाओं को प्रोसेस करता है और विभिन्न भाषाई इनपुट पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है। इससे यह उन उपयोगकर्ताओं के लिए भी उपयोगी बनता है जो अपनी मातृभाषा में ही AI का उपयोग करना पसंद करते हैं।
YouTube ने दर्शकों के लिए एक नया ‘Ask’ बटन फीचर शुरू किया है, जो Google Gemini AI द्वारा संचालित है। इस फीचर से यूजर्स वीडियो से संबंधित सवाल पूछ सकते हैं, उसका सारांश ले सकते हैं।
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वीडियो प्लेटफॉर्म YouTube लगातार अपने यूजर्स के अनुभव को और बेहतर बनाने में जुटा हुआ है। अब कंपनी ने एक नया AI-आधारित फीचर ‘Ask’ बटन लॉन्च किया है, जो Google Gemini AI की मदद से काम करेगा। यह फीचर दर्शकों को किसी भी वीडियो के कंटेंट के साथ सीधे इंटरैक्ट करने का मौका देता है।
‘Ask’ बटन की मदद से यूजर्स वीडियो के बारे में सवाल पूछ सकते हैं, उसका सारांश (Summary) जान सकते हैं, मुख्य बिंदुओं पर चर्चा कर सकते हैं, और यहां तक कि वीडियो पर आधारित क्विज़ में भी हिस्सा ले सकते हैं। यह बटन फिलहाल वीडियो प्लेयर के नीचे, “Share” और “Download” ऑप्शन के बीच देखा जा सकता है।
फीचर फिलहाल iPhone, Android और Windows पर उपलब्ध है। जैसे ही यूजर ‘Ask’ बटन पर क्लिक करते हैं, एक पॉप-अप चैट विंडो खुलती है। इसमें यूजर अपने सवाल टाइप कर सकते हैं या फिर सुझाए गए प्रॉम्प्ट जैसे “Summarise this video” या “Show related topics” को चुन सकते हैं।
AI इसके जवाब Large Language Models (LLMs) की मदद से देता है, जो बिल्कुल इंसान जैसी प्राकृतिक भाषा में उत्तर तैयार करता है। YouTube ने पुष्टि की है कि यह फीचर 18 वर्ष से अधिक उम्र के यूजर्स के लिए अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध है। वर्तमान में यह फीचर अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड और भारत के दर्शकों के लिए रोलआउट किया जा चुका है और इसे प्रीमियम व नॉन-प्रीमियम दोनों यूजर्स एक्सेस कर सकते हैं।
एप्पल 2026 के अंत तक अपना पहला OLED पैनल वाला MacBook Pro पेश करने की तैयारी में है। नए मॉडल्स में M6 Pro और M6 Max चिप, पतले बेज़ल और बदला हुआ डिजाइन मिलेगा।
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टेक दिग्गज Apple अपने MacBook Pro लाइनअप में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी 2026 के आखिरी महीनों में अपना पहला OLED डिस्प्ले वाला MacBook Pro लॉन्च कर सकती है। यह बदलाव MacBook लाइन में वर्षों बाद सबसे बड़ी तकनीकी शिफ्ट माना जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आने वाला OLED MacBook Pro एप्पल के अगले-जनरेशन चिपसेट M6 Pro और M6 Max के साथ पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Apple इन मॉडल्स में पतले बेज़ल, हल्का चेचिस और संभवतः इंबिल्ट 5G सपोर्ट भी जोड़ सकता है। यह बदलाव 2021 के बाद MacBook Pro में आने वाला सबसे बड़ा डिजाइन अपडेट होगा।
डायनामिक आइलैंड नॉच की जगह कोई नया डिजाइन एलीमेंट आ सकता है। हालांकि, MacBook Pro के बेस मॉडल में बदलाव की उम्मीद नहीं है। इस समय Apple 14-इंच M5 चिप वाले बेस मॉडल के अलावा 14-इंच और 16-इंच मॉडल बेचता है, जो M4 Pro और M4 Max चिपसेट से लैस हैं।
कंपनी MacBook Air, Mac Mini और Mac Studio को भी रिडिज़ाइन कर सकती है, और इन्हें भी OLED पैनल के साथ पेश किया जा सकता है। OLED पैनल मिनी-LED के मुकाबले बेहतर कॉन्ट्रास्ट, ज्यादा ब्राइटनेस और ऊर्जा की बचत जैसे फायदे प्रदान करते हैं।
इसके अलावा ये रंगों को अधिक सटीकता से प्रदर्शित करते हैं और बैटरी लाइफ में सुधार लाते हैं। इसी वजह से Apple अपनी पूरी प्रोडक्ट लाइन को धीरे-धीरे OLED पर ट्रांज़िशन कर रहा है।
भारत के लोकल मैसेजिंग ऐप Arattai की बढ़ती लोकप्रियता के बीच WhatsApp अब क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म मैसेजिंग टेस्ट कर रहा है। अब WhatsApp से ही Arattai यूज़र्स को मैसेज भेजा जाएगा।
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भारतीय मैसेजिंग ऐप Arattai, जिसे चेन्नई स्थित Zoho ने विकसित किया है, अब WhatsApp के लिए एक गंभीर प्रतियोगी बनता जा रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में अचानक बढ़ी डाउनलोड्स ने ऐप को सुर्खियों में ला दिया है। Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू लंबे समय से मैसेजिंग ऐप्स में इंटरऑपरेबिलिटी यानी क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म संवाद का समर्थन करते आए हैं। ठीक वैसे ही जैसे UPI हर ऐप पर सहजता से चलता है।
अब लग रहा है कि WhatsApp भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। WaBetaInfo की रिपोर्ट के अनुसार, WhatsApp एक नया फीचर टेस्ट कर रहा है, जिससे यूज़र्स अन्य मैसेजिंग ऐप्स जिनमें Arattai भी शामिल है के यूज़र्स को सीधे WhatsApp से मैसेज भेज सकेंगे।
यह फीचर फिलहाल यूरोप के बीटा टेस्टर्स के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसके विस्तार की संभावना बनी हुई है। सितंबर में, श्रीधर वेंबू ने मैसेजिंग प्रोटोकॉल को मानकीकृत करने की मांग की थी। वर्तमान में WhatsApp केवल BirdyChat नामक एक थर्ड-पार्टी ऐप को सपोर्ट कर रहा है।
साथ ही डेवलपर्स को WhatsApp की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के बराबर सुरक्षा मानकों को पूरा करना पड़ता है। Arattai में अभी E2E एन्क्रिप्शन नहीं है, लेकिन कंपनी जल्द ही यह फीचर जोड़ने की तैयारी कर रही है। फिलहाल यह फीचर यूरोप तक ही सीमित है, और इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि इसे भारत में कब लागू किया जाएगा।
Apple reportedly Google की पैरेंट कंपनी Alphabet को हर साल $1 बिलियन देगा ताकि वह Gemini AI मॉडल का इस्तेमाल कर सके। यह डील Siri के अब तक के सबसे बड़े अपग्रेड का आधार बनेगी।
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टेक जगत की दो दिग्गज कंपनियों Apple और Google के बीच एक ऐतिहासिक एआई साझेदारी लगभग तय मानी जा रही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, Apple करीब $1 बिलियन प्रति वर्ष Google को भुगतान करने पर सहमत है ताकि कंपनी अपने उन्नत 1.2 ट्रिलियन पैरामीटर वाले Gemini AI मॉडल तक पहुंच प्राप्त कर सके।
यह साझेदारी Apple के वॉयस असिस्टेंट Siri के बड़े ओवरहॉल का हिस्सा है, जो कई वर्षों से आलोचना झेल रहा है। Apple का लक्ष्य Siri को एक अधिक समझदार, संदर्भ-आधारित और जटिल कार्य पूरा करने में सक्षम एआई असिस्टेंट में बदलना है। रिपोर्ट के मुताबिक, Apple ने Gemini पर निर्णय लेने से पहले OpenAI के ChatGPT और Anthropic के Claude जैसे कई थर्ड-पार्टी एआई मॉडल का परीक्षण किया था।
हालांकि, यह कदम अस्थायी है क्योंकि Apple 2026 के अंत तक अपना खुद का 1 ट्रिलियन पैरामीटर वाला क्लाउड-आधारित मॉडल तैयार करने पर काम कर रहा है। Gemini का उपयोग Siri के summarizer और planner जैसे फ़ंक्शन को संभालने के लिए किया जाएगा, जबकि बाकी फीचर्स Apple के इन-हाउस एआई सिस्टम पर चलेंगे।
खास बात यह है कि यह मॉडल Apple के Private Cloud Compute सर्वर पर चलेगा, जिससे यूज़र डेटा Google की सिस्टम से पूरी तरह अलग रहेगा। एप्पल का यह कदम उसकी बड़ी रणनीति Apple Intelligence का हिस्सा है, जिसके तहत एआई को उसके पूरे इकोसिस्टम में गहराई से जोड़ा जाएगा। कंपनी जल्द ही Siri की नई क्षमताओं को दिखाने के लिए एक स्मार्ट डिस्प्ले और अन्य नई डिवाइसेज़ भी पेश कर सकती है।
Google ने अपने Maps ऐप में बड़ा एआई अपग्रेड किया है। Gemini AI से ड्राइविंग के दौरान सवाल पूछ सकेंगे, ट्रैफिक रिपोर्ट कर पाएंगे और आस-पास के स्थानों की जानकारी रीयल-टाइम में प्राप्त करेंगे।
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टेक दिग्गज Google ने अपने लोकप्रिय नेविगेशन ऐप Google Maps को और स्मार्ट बना दिया है। कंपनी ने अब इसमें Gemini AI को इंटीग्रेट किया है, जिससे उपयोगकर्ता ड्राइविंग के दौरान वॉयस कमांड के ज़रिए न केवल रास्ते की जानकारी ले सकेंगे, बल्कि रास्ते में आने वाले रेस्तरां, पेट्रोल पंप या पर्यटन स्थलों के बारे में भी सवाल पूछ पाएंगे।
Google के अनुसार, अब ड्राइवर Gemini से बातचीत के रूप में कई सवाल पूछ सकते हैं, जैसे, 'मेरे रास्ते में कोई सस्ता रेस्तरां है जहाँ वेगन ऑप्शन मिले?' या 'वहाँ पार्किंग की सुविधा कैसी है?' इसके अलावा, यूज़र्स अपने कैलेंडर में इवेंट जोड़ने या ट्रैफिक जाम की रिपोर्ट करने जैसे कार्य भी Gemini की मदद से कर पाएंगे।
कंपनी ने बताया कि Maps में अब Gemini को Street View डेटा के साथ जोड़ा गया है ताकि नेविगेशन निर्देश और सटीक बन सकें। अब ऐप यह नहीं कहेगा कि '500 फीट बाद दाएं मुड़ें,' बल्कि वह आस-पास के लैंडमार्क्स जैसे पेट्रोल पंप, कैफ़े या प्रसिद्ध इमारतों का नाम लेकर दिशा बताएगा।
Google का दावा है कि Gemini ने 250 मिलियन स्थानों की जानकारी को Street View छवियों के साथ क्रॉस-रेफरेंस किया है, जिससे यह फीचर और सटीक बन गया है। साथ ही, Google Lens को भी Maps में जोड़ा गया है। अब यूज़र कैमरा से किसी स्थान को स्कैन कर पूछ सकते हैं कि यह जगह क्या है और क्यों प्रसिद्ध है?
कंपनी ने कहा कि ये नए फीचर्स जल्द ही iOS और Android यूज़र्स के लिए जारी किए जाएंगे, जबकि Android Auto के लिए सपोर्ट आने वाले हफ्तों में जोड़ा जाएगा। फिलहाल ट्रैफिक अलर्ट्स और लैंडमार्क नेविगेशन फीचर्स सबसे पहले अमेरिका में रोलआउट होंगे।
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू करने का फैसला किया है। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे प्लेटफॉर्म भी जोड़े गए हैं।
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ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया में पहली बार ऐसा कदम उठाया है, जिसके तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यह नया कानून 10 दिसंबर 2025 से लागू होगा। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म भी शामिल किए गए हैं, जिससे प्रतिबंधित साइटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।
इनमें Facebook, X (Twitter), Instagram, Snapchat, TikTok, YouTube और Threads भी शामिल हैं। सरकार के अनुसार, यदि कोई टेक कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती, तो उसे 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग ₹270 करोड़) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
कंपनियों को नाबालिग यूज़र्स के मौजूदा अकाउंट डिएक्टिवेट करने और नए अकाउंट रोकने के 'उचित कदम' उठाने होंगे। ऑस्ट्रेलिया की eSafety कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने कहा, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखकर हम उन्हें ऐसे डिजिटल जाल से बचाना चाहते हैं, जिनके एल्गोरिदम और डिजाइन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कदम डेटा प्राइवेसी और फेसियल रिकग्निशन जैसी तकनीकों के इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाता है। कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रतिबंध बच्चों को कम सुरक्षित और अनियंत्रित प्लेटफॉर्म की ओर धकेल सकता है।फिलहाल, Discord, WhatsApp, Roblox, Lego Play, YouTube Kids और Google Classroom जैसे प्लेटफॉर्म इस नियम से बाहर रहेंगे।
दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत ओपनएआई को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए OpenAI ने Amazon Web Services (AWS) के साथ 38 अरब डॉलर की बहुवर्षीय रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस समझौते के तहत OpenAI अपने AI मॉडल्स और एप्लिकेशंस, जैसे कि ChatGPT को AWS की क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलाएगा और स्केल करेगा।
दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत OpenAI को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने कहा, फ्रंटियर एआई को स्केल करने के लिए विशाल और भरोसेमंद कंप्यूट की जरूरत होती है।
AWS के साथ यह साझेदारी हमें इस नए AI युग की नींव मजबूत करने में मदद करेगी। वहीं AWS के सीईओ मैट गार्मन ने कहा, OpenAI की बढ़ती एआई महत्वाकांक्षाओं के लिए AWS का बेस्ट-इन-क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर रीढ़ की हड्डी साबित होगा। यह समझौता उस समय आया है जब क्लाउड कंपनियों के बीच AI फर्म्स को होस्ट करने की वैश्विक दौड़ तेज हो चुकी है।
इस घोषणा के बाद Amazon के शेयरों में लगभग 5% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य करीब 140 अरब डॉलर बढ़ गया। ओपनएआई के कई मॉडल पहले से ही Amazon Bedrock पर उपलब्ध हैं, जहां Thomson Reuters, Peloton और Comscore जैसी कंपनियां उनका उपयोग कर रही हैं।
एडोबी और यूट्यूब ने ‘क्रिएट फॉर यूट्यूब शॉर्ट्स’ की घोषणा की है, जिसके तहत क्रिएटर्स अब एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप से सीधे प्रोफेशनल वीडियो एडिटिंग कर सकेंगे और शॉर्ट्स पब्लिश कर पाएंगे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए, एडोबी (Adobe) और यूट्यूब (YouTube) ने Adobe MAX 2025 इवेंट में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत जल्द ही 'Create for YouTube Shorts' नामक एक समर्पित कंटेंट क्रिएशन स्पेस एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप में जोड़ा जाएगा। इसका मकसद है ,दुनियाभर के क्रिएटर्स को प्रोफेशनल-ग्रेड एडिटिंग टूल्स तक आसान पहुंच देना।
एडोबी प्रीमियर मोबाइल के जरिए अब क्रिएटर्स को 'YouTube Shorts' के लिए तैयार किए गए एक्सक्लूसिव टेम्पलेट्स, ट्रांजिशन, इफेक्ट्स और टाइटल प्रीसेट्स मिलेंगे। यूजर्स 'Edit in Adobe Premiere' आइकन पर टैप करके सीधे यूट्यूब से एडिटिंग शुरू कर सकेंगे और एक क्लिक में शॉर्ट्स पब्लिश भी कर पाएंगे।
एडोबी के सीटीओ एली ग्रीनफील्ड ने कहा, हम यूट्यूब के साथ साझेदारी कर क्रिएटर्स को वो ताकत देना चाहते हैं, जिससे वे अपने कंटेंट को अगले स्तर पर ले जा सकें। वहीं यूट्यूब के वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट सिल्वर ने कहा, हमारा उद्देश्य है क्रिएटर्स को वहीं टूल्स देना, जहां वे हैं, ताकि उनका स्टोरीटेलिंग अनुभव आसान और प्रभावी बने।
इस नई सुविधा के साथ क्रिएटर्स जनरेटिव साउंड इफेक्ट्स, Firefly AI टूल्स, और उन्नत ऑडियो-वीडियो एडिटिंग फीचर्स का भी उपयोग कर सकेंगे। एडोबी का कहना है कि यह फीचर जल्द ही ग्लोबली Premiere Mobile यूजर्स के लिए रोलआउट किया जाएगा।
रिलायंस जियो ने अपने यूज़र्स के लिए जबरदस्त ऑफर की घोषणा की है। कंपनी 18 महीने का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन मुफ्त दे रही है, जिसकी कीमत ₹35,100 है।
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रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने अपने ग्राहकों के लिए एक बड़ा तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह ₹35,100 मूल्य का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन अपने यूज़र्स को पूरे 18 महीनों तक बिल्कुल मुफ्त देगी। यह ऑफर सबसे पहले 18 से 25 वर्ष की उम्र वाले यूज़र्स के लिए लागू होगा और बाद में देशभर के सभी योग्य यूज़र्स तक पहुंचाया जाएगा।
जियो के अनुसार, ₹349 या उससे अधिक के अनलिमिटेड 5G प्लान वाले सभी प्रीपेड और पोस्टपेड यूज़र्स इस ऑफर का लाभ उठा सकते हैं। यूज़र्स को MyJio ऐप में “Claim Now” बैनर पर क्लिक कर यह सब्सक्रिप्शन एक्टिवेट करना होगा। जो यूज़र अभी पात्र नहीं हैं, वे “Register Interest” विकल्प के ज़रिए इस ऑफर के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
Google AI Pro सब्सक्रिप्शन में Gemini 2.5 Pro मॉडल, Veo 3.1 वीडियो जनरेशन, NotebookLM एक्सेस और 2TB क्लाउड स्टोरेज (Google Photos, Gmail, Drive) जैसी प्रीमियम सुविधाएँ मिलती हैं।
यह घोषणा ऐसे समय आई है जब OpenAI ने हाल ही में भारतीय यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देने का ऐलान किया था। हालांकि, जियो का यह ऑफर फीचर्स और वैल्यू के लिहाज़ से कहीं ज़्यादा व्यापक माना जा रहा है।
OpenAI ने भारत के यूज़र्स के लिए बड़ी घोषणा की है। कंपनी 4 नवंबर से ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देगी। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के मौके पर पेश किया गया है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अग्रणी कंपनी OpenAI ने भारत के यूज़र्स को खास तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि 4 नवंबर 2025 से भारत में सभी यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल तक फ्री एक्सेस मिलेगा। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के अवसर पर शुरू किया जा रहा है, जो पहली बार बेंगलुरु में आयोजित हो रहा है।
OpenAI के मुताबिक, जो भी यूज़र इस प्रमोशनल पीरियड के दौरान साइन अप करेगा, वह एक साल तक ChatGPT Go की सभी प्रीमियम सुविधाओं का लाभ ले सकेगा जिसमें हाई मैसेज लिमिट, इमेज जेनरेशन और फाइल अपलोड जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
कंपनी ने बताया कि अगस्त में लॉन्च हुए ChatGPT Go को भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी। लॉन्च के पहले महीने में ही भारत में पेड सब्सक्राइबर्स दोगुने हो गए थे। OpenAI के वाइस प्रेसिडेंट निक टर्ली ने कहा कि 'भारत में यूज़र्स की रचनात्मकता और अपनाने की दर बेहद प्रेरणादायक रही है।
इसलिए, हम चाहते हैं कि और अधिक लोग आसानी से एआई की शक्ति का लाभ उठा सकें।' वर्तमान में ChatGPT Go दुनिया के 90 से अधिक देशों में सक्रिय है, और भारत अब OpenAI का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट बन चुका है।