Claude Opus 4.1 का यह लॉन्च ऐसे समय में हुआ है जब AI की दुनिया OpenAI के अगले धमाके का इंतजार कर रही है
AI स्टार्टअप Anthropic ने 5 अगस्त को अपने फ्लैगशिप लैंग्वेज मॉडल Claude Opus 4.1 का चुपचाप लेकिन अहम अपडेट जारी किया है। यह नया वर्जन पहले से बेहतर कोडिंग परफॉर्मेंस और एजेंटिक रीजनिंग (स्वायत्त सोचने-समझने की क्षमता) के साथ आया है, जिससे यह व्यावहारिक उपयोग के मामलों में और प्रभावशाली बन गया है।
Claude Opus 4.1 को कोई बड़ा शोर या मार्केटिंग कैंपेन के बिना लॉन्च किया गया, लेकिन इसकी टाइमिंग साफ संकेत देती है कि Anthropic इसे किस उद्देश्य के साथ लाया है। यह लॉन्च ऐसे समय पर लॉन्च हुआ है जब OpenAI के GPT-5 के जल्द आने की संभावना जताई जा रही है। एक ऐसा मॉडल जिसे खुद CEO सैम ऑल्टमैन ने इतना ताकतवर बताया है कि वह उनके शब्दों में उन्हें “निरर्थक” महसूस कराता है। ऑल्टमैन के सोशल मीडिया संकेतों और OpenAI के गुरुवार को बड़े लॉन्च करने की परंपरा को देखें तो GPT-5 इस सप्ताह गुरुवार को सामने आ सकता है।
GPT-5 को OpenAI की O-सीरीज और GPT-सीरीज क्षमताओं को एकीकृत करने वाला मॉडल माना जा रहा है, जो मल्टीमॉडल इनपुट्स, एजेंटिक वर्कफ्लोज और दीर्घकालिक मेमोरी जैसे फीचर्स पर केंद्रित होगा। हालांकि, ऑल्टमैन ने संभावित कैपेसिटी संकट और देरी की भी चेतावनी दी है। इसी बीच Anthropic ने GPT के इंतजार को दरकिनार करते हुए Claude को पहले ही मंच पर ला खड़ा किया है।
अगर मुख्य सुधार की बात करें, तो Claude Opus 4.1 ने SWE-bench Verified बेंचमार्क पर 74.5 प्रतिशत स्कोर किया है, यह Opus 4 के 72.5 प्रतिशत के मुकाबले दो अंक की सीधी बढ़त है। वहीं Terminal-Bench पर इसने 43.3 प्रतिशत स्कोर किया, जो कि OpenAI के o3 (39.2) और Google के Gemini 2.5 Pro (25.3) से बेहतर है।
Rakuten और Windsurf जैसे शुरुआती यूजर्स ने इसके प्रदर्शन को लेकर स्पष्ट लाभ की बात कही है। Rakuten की टीम ने बताया कि Opus 4.1 ने बड़े कोडबेस में सटीक डिबगिंग की, बिना किसी फालतू बदलाव के। Windsurf ने इसकी तुलना Sonnet 3.7 से Sonnet 4 में हुए प्रदर्शन सुधार से की।
Anthropic ने इस अपडेट को किसी मार्केटिंग धूमधाम की बजाय एक स्थिरता लाने वाले अपग्रेड के रूप में पेश किया है। कंपनी के Chief Product Officer माइक क्रिगर ने स्पष्ट किया कि Opus 4.1 एक अगले बड़े अपग्रेड्स की नींव है जो जल्द आने वाले हैं।
यह मॉडल Anthropic की पारंपरिक हाइब्रिड-रीजनिंग आर्किटेक्चर को आगे बढ़ाता है, जहां जरूरत के अनुसार तेज आउटपुट और गहराई से सोचने वाली प्रक्रियाओं के बीच स्विच किया जा सकता है। इसके उपयोग के प्रमुख क्षेत्र हैं:
स्वायत्त एजेंट वर्कफ्लो,
डेटा रिसर्च और विश्लेषण,
और जटिल कंटेंट जेनरेशन।
Claude Opus 4.1 का यह लॉन्च ऐसे समय में हुआ है जब AI की दुनिया OpenAI के अगले धमाके का इंतजार कर रही है, लेकिन Anthropic ने एक शांत लेकिन असरदार चाल चलते हुए स्पष्ट कर दिया है कि AI की इस दौड़ में वह किसी से पीछे नहीं है।
देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह में हाल ही में कई अहम प्रमोशंस हुए हैं।
देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह में हाल ही में कई अहम प्रमोशंस हुए हैं। इस लिस्ट में एक नाम नीलांजन दास का भी है। उन्हें अब चीफ एआई ऑफिसर (CAIO) की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस भूमिका में वह संपादकीय, टेक्नोलॉजी और बिजनेस टीमों के साथ मिलकर पूरे समूह में एआई को तेजी से अपनाने और इनोवेशन को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
कंपनी की ओर से इस बारे में जारी इंटरनल मेल में कहा गया है, ‘मीडिया क्षेत्र में विशाल अनुभव और इंडिया टुडे ग्रुप में एआई आधारित इनोवेशन को बढ़ावा देने के शानदार ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, नीलांजन इस भूमिका के लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं। पिछले कुछ वर्षों से वे हमारे न्यूजरूम और कंटेंट सिस्टम में एआई को प्रभावी रूप से शामिल करने की अगुवाई कर रहे हैं। फिर चाहे बात एआई न्यूज एंकर्स की हो, एआई स्टार्स की, टीवी के लिए एआई आधारित फिल्मों की या इंडिया टुडे मैगजीन के कवर डिज़ाइनों की, उन्होंने हर पहलू पर काम किया है।’
‘अपनी नई भूमिका में नीलांजन अब इंडिया टुडे एआई लैब का नेतृत्व करेंगे, जहां एआई-फर्स्ट क्षमताओं को विकसित किया जाएगा। इसका मकसद यह है कि हम कंटेंट के निर्माण, डिस्ट्रीब्यूशन और रेवेन्यू जुटाने के तरीकों में बड़े बदलाव ला सकें और तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में इंडिया टुडे ग्रुप की अग्रणी भूमिका बनी रहे।’
OpenAI ने आखिरकार पुष्टि कर दी है कि उसका अगली पीढ़ी का भाषा मॉडल GPT‑5 आज यानी 7 अगस्त को रात 10:30 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होने जा रहा है।
OpenAI ने आखिरकार पुष्टि कर दी है कि उसका अगली पीढ़ी का भाषा मॉडल GPT‑5 आज यानी 7 अगस्त को रात 10:30 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होने जा रहा है। यह घोषणा ‘LIVE5TREAM’ नामक एक दिलचस्प लाइव स्ट्रीम के जरिए X (पूर्व में ट्विटर) पर की जाएगी। 'लाइवस्ट्रीम' शब्द में ‘S’ की जगह ‘5’ रखने से यह लगभग साफ हो जाता है कि ChatGPT‑5 आ रहा है और बहुत जल्द।
GPT‑5 के लॉन्च को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से अटकलें तेज थीं। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन खुद संकेत देते आ रहे थे कि यह मॉडल जल्द ही रिलीज होगा। उन्होंने बताया था कि GPT‑5 एक ज्यादा 'यूनिफाइड' मॉडल होगा, जो OpenAI की O-सीरीज और GPT-सीरीज की क्षमताओं को मिलाकर एक सरल और शक्तिशाली प्रोडक्ट लाइनअप पेश करेगा। भारत समेत दुनियाभर की निगाहें अब इस लॉन्च पर टिकी हैं।
इस मॉडल की झलक पहले ही मिल चुकी है। एक खास पोस्ट में ऑल्टमैन ने GPT‑5 का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें वह न केवल 'Pantheon' नामक दार्शनिक साइंस फिक्शन शो की सिफारिश करता है, बल्कि उसका क्रिटिक स्कोर और टोन भी सटीक रूप से बताता है, यदि यह असली है, तो यह इसकी गहराई और समझदारी को दर्शाता है। कुछ शुरुआती टेस्टर्स, जो नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (NDA) के तहत हैं, ने बताया है कि GPT‑5 कोडिंग, साइंस पजल्स और गणित में काफी बेहतर प्रदर्शन करता है। हालांकि इसका विकास GPT‑4 की तुलना में ज्यादा 'एवोल्यूशनरी' (क्रमिक) लगता है, ना कि पूरी तरह 'रिवॉल्यूशनरी' (क्रांतिकारी)।
लेकिन पर्दे के पीछे चुनौतियां भी रही हैं। डेटा की कमी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव जैसे मुद्दों के चलते GPT‑5 की रिलीज पहले ही विलंबित हो चुकी थी। बावजूद इसके, अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि GPT‑5 अगस्त महीने में ही पूरी तरह रोलआउट हो जाएगा, शायद इस सप्ताह ही।
तो आखिर GPT‑5 में खास क्या है? इस बार का अपग्रेड सिर्फ जनरेशन नहीं, एक नई सोच के साथ आ रहा है, 'यूनिफाइड इंटेलिजेंस' के रूप में। अब यूजर्स को अलग-अलग मॉडल चुनने की उलझन नहीं होगी। GPT‑5 लंबे कंटेक्स्ट विंडो, ज्यादा स्मार्ट मल्टीमॉडल प्रोसेसिंग, गहरी तर्कशक्ति और बेहतर मेमोरी जैसी खूबियों के साथ आएगा।
मीडिया स्ट्रैटेजिस्ट्स और मार्केटिंग प्रोफेशनल्स के लिए यह एक निर्णायक क्षण हो सकता है। GPT‑5 के आने से कंटेंट क्रिएशन, भाषा लोकलाइजेशन, ऑटोमेटेड वर्कफ़्लो और ब्रांड कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में AI की भूमिका पूरी तरह से बदल सकती है। दिलचस्प बात यह है कि यह लॉन्च Anthropic के Claude Opus 4.1 को टक्कर देने वाले हफ्ते में हो रहा है, जिससे AI मॉडल रेस और भी तेज हो गई है।
एप्पल ने आंतरिक रूप से एक नई यूनिट गठित की है, जिसका नाम है– “Answers, Knowledge and Information (AKI)”। इस यूनिट का मकसद है एक जनरेटिव AI-पावर्ड सर्च अनुभव विकसित करना
एप्पल ने आंतरिक रूप से एक नई यूनिट गठित की है, जिसका नाम है– “Answers, Knowledge and Information (AKI)”। इस यूनिट का मकसद है एक जनरेटिव AI-पावर्ड सर्च अनुभव विकसित करना, जो सीधे तौर पर ChatGPT और पारंपरिक सर्च इंजन जैसे गूगल को टक्कर देगा। यह कंपनी की रणनीति में एक बड़ा मोड़ है, क्योंकि एप्पल अब तक चैटबॉट-स्टाइल टूल्स को नजरअंदाज करता रहा है। लेकिन अब AI दौड़ में पिछड़ने की आशंका ने इसे नई दिशा में कदम बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है।
ब्लूमबर्ग के मार्क गुर्मन की रिपोर्ट के अनुसार, इस AKI यूनिट का नेतृत्व पूर्व सिरी प्रमुख रॉबी वॉकर कर रहे हैं और इसका फोकस है एप्पल के पूरे इकोसिस्टम में ‘संवादात्मक सर्च’ को शामिल करना। शुरुआती रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह प्लेटफॉर्म सिरी, स्पॉटलाइट और सफारी को बेहतर बनाएगा, हालांकि इसकी लॉन्च डेट अभी घोषित नहीं हुई है। ‘Apple Intelligence’ के तहत लॉन्च हुए पहले फीचर्स जैसे Genmoji और Notification Summaries खास प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं, वहीं Siri में बड़ा बदलाव अब 2026 तक टल गया है।
एप्पल की AI महत्वाकांक्षाओं के पीछे आंतरिक चुनौतियाँ भी हैं। बीते महीने, इसके ‘फाउंडेशन मॉडल्स’ ग्रुप से चार शोधकर्ता Meta की AI टीम में शामिल हो गए, जिससे टैलेंट बनाए रखने को लेकर चिंता और गहरी हो गई। इसी बीच, CEO टिम कुक ने तिमाही नतीजों के दौरान यह साफ किया कि एप्पल AI में बड़े निवेश कर रहा है और अधिग्रहण के लिए भी तैयार है। खबरें हैं कि कंपनी Perplexity AI जैसे स्टार्टअप्स से बातचीत कर रही है और लगभग 14 अरब डॉलर की डील की अटकलें लगाई जा रही हैं, जो एप्पल का अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण हो सकता है।
रणनीतिक रूप से, एप्पल का यह कदम बेहद नाजुक वक्त पर आ रहा है। कंपनी और गूगल के बीच अरबों डॉलर की डील है, जिसके तहत सफारी में गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखने के लिए गूगल हर साल लगभग 20 अरब डॉलर तक का भुगतान करता है। लेकिन अब अमेरिका में इस डील की जांच चल रही है। ऐसे में अगर एप्पल खुद का AI-संचालित सर्च टूल लाता है, तो यह गूगल पर निर्भरता कम करने और मोबाइल सर्च की दुनिया में एक नया अध्याय लिखने की दिशा में बड़ा कदम होगा।
भारत जैसे बाजार में, जहां iPhone और iPad यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, यह बदलाव मार्केटर्स और मीडिया बायर्स के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। अगर गूगल आधारित सर्च से हटकर एप्पल के AI उत्तर इंजन का इस्तेमाल बढ़ता है, तो खोज-आधारित विज्ञापन, SEO रणनीतियां और ब्रैंड की विजिबिलिटी- तीनों ही क्षेत्रों में नई चुनौतियां और संभावनाएं पैदा होंगी।
गौरतलब है कि AKI प्रोजेक्ट को एप्पल कोई चमकदार, पब्लिक चैटबॉट के तौर पर पेश नहीं करेगा। यह एक “Answer Engine” के रूप में तैयार हो रहा है—यानी ऐसा AI टूल जो बैकग्राउंड में काम करे, लेकिन उपयोगकर्ता अनुभव, जानकारी के प्रवाह, सर्च से होने वाली आमदनी और AI की परिभाषा- इन सब पर एप्पल का पूरा नियंत्रण बनाए रखे।
सालों तक AI की दौड़ में पीछे छूटने के बाद, अब एप्पल ने शांति से लेकिन निर्णायक ढंग से अपनी चालें चलनी शुरू कर दी हैं।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के विज्ञापन तकनीकी (AdTech) मॉडल के खिलाफ औपचारिक जांच का आदेश दिया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के विज्ञापन तकनीकी (AdTech) मॉडल के खिलाफ औपचारिक जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) द्वारा 2024 में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की गई है, जो देश के स्टार्टअप्स का प्रतिनिधित्व करता है। जांच का केंद्र बिंदु गूगल की ऑनलाइन डिस्प्ले विज्ञापन प्रणाली है, जहां वह अपने ऐड सर्वर, ऐक्सचेंज और डिमांड-साइड प्लेटफॉर्म को आपस में जोड़कर संभावित रूप से प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाने वाले तरीके अपना रहा है।
तीन हिस्सों में बंटी शिकायत, सर्च ऐड मामले को खारिज किया गया
1 अगस्त को CCI ने इस मामले में दो प्रमुख आदेश जारी किए। पहले आदेश में ADIF की शिकायत को तीन अलग-अलग भागों में बांट दिया गया:
पहला, गूगल के डिस्प्ले विज्ञापन क्षेत्र में एकाधिकार से जुड़ा है,
दूसरा, गूगल की सर्च ऐड पॉलिसीज को लेकर है,
और तीसरा, विज्ञापन समीक्षा की पारदर्शिता तथा प्राइवेसी सैंडबॉक्स से संबंधित है।
दूसरे आदेश में सर्च विज्ञापन से संबंधित आरोपों को खारिज कर दिया गया। आयोग ने कहा कि यह पहले से ही मैट्रिमोनी डॉट कॉम के 2012 मामले जैसे पुराने मामलों में जांचा जा चुका है और दोहराई गई जांच "समय और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी" होती है।
डिस्प्ले विज्ञापन के मामले में गहराई से होगी जांच
डिस्प्ले विज्ञापन से संबंधित शिकायतों के मामले में CCI ने अपने डायरेक्टर जनरल (DG) को निर्देश दिया है कि वह ADIF की शिकायत को पहले से लंबित अन्य समान शिकायतों के साथ मिलाकर समेकित जांच करें। इनमें 2021 से 2024 के बीच कई पब्लिशर्स और न्यूज संगठनों द्वारा दर्ज की गई शिकायतें भी शामिल हैं।
ADIF का आरोप है कि गूगल Google Ad Manager (पूर्व में DoubleClick for Publishers), Google AdX Exchange और DV360 Demand-Side Platform जैसे अपने प्रॉडक्ट्स को एक-दूसरे से बांधकर और प्रतिस्पर्धियों की राह रोककर अपने वर्चस्व का दुरुपयोग कर रहा है।
आयोग ने कहा है कि उसे Competition Act की धारा 4 के तहत prima facie यह मामला गंभीर प्रतीत होता है और इसमें प्रतिस्पर्धा को खत्म करने की आशंका है।
गूगल की प्रतिक्रिया
गूगल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि भारत में AdTech का परिदृश्य प्रतिस्पर्धी है और Amazon Ads, Trade Desk, Xandr जैसे विकल्प मौजूद हैं। कंपनी ने जांच में पूरा सहयोग देने की बात भी कही है।
ADIF द्वारा उठाए गए सर्च विज्ञापन से जुड़े मुद्दों को CCI ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये पहले ही मैट्रिमोनी ऑर्डर और विशाल गुप्ता मामले में निपटाए जा चुके हैं। आयोग ने साफ किया कि बिना किसी नई ठोस जानकारी के इन्हें दोबारा खोलना फिजूल होता।
एक बड़ी लड़ाई की अगली कड़ी
यह जांच CCI द्वारा गूगल के खिलाफ जारी बहु-आयामी एंटीट्रस्ट कार्रवाई का हिस्सा है। 2022 में CCI ने गूगल पर प्लेस्टोर बिलिंग मामले में ₹936 करोड़ और एंड्रॉयड लाइसेंसिंग के दुरुपयोग पर ₹1,337 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा Android TV, न्यूज़ एग्रीगेशन, और ऐप स्टोर पॉलिसीज़ को लेकर भी जांचें जारी हैं।
क्या बदलेगा भारत का डिजिटल विज्ञापन परिदृश्य?
इस जांच का असर भारत के मार्केटर्स, पब्लिशर्स और मीडिया बायर्स के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे नीलामी में पारदर्शिता, विज्ञापन प्रबंधन के विकल्प और गूगल के इकोसिस्टम से बाहर की संभावनाएं फिर से चर्चा में आ सकती हैं। अगर CCI की जांच से गूगल के AdTech मॉडल को तोड़ने की सिफारिश होती है, तो यह DSPs, एक्सचेंज और विज्ञापन टूल्स के क्षेत्र में नए खिलाड़ियों के लिए रास्ता खोल सकता है।
हालांकि DG रिपोर्ट की समयसीमा तय नहीं की गई है, लेकिन कई मामलों के एकीकृत होने के कारण इसमें कई महीने लग सकते हैं। फिर भी, इसका अंतिम निष्कर्ष भारत के डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र की दिशा और संतुलन को तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
ऊपरी तौर पर यह एक आम टेक कानूनी लड़ाई लग सकती है, लेकिन गहराई से देखें तो यह फैसला मोबाइल ऐप इकोसिस्टम के स्ट्रक्चर और कमाई के तरीके में बदलाव का संकेत देता है- खासतौर पर भारत जैसे देश में
शांतनु डेविड, स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
टेक कंपनी गूगल को अमेरिका में एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वह एक महत्वपूर्ण एंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा-विरोधी) मुकदमा हार गया है और यह फैसला भारत जैसे बाजारों में शायद और भी गंभीर असर डाल सकता है। 30 जुलाई को अमेरिका की एक फेडरल अपीलीय अदालत ने 2023 में आए Epic Games बनाम गूगल केस में जूरी के फैसले को लगभग पूरी तरह बरकरार रखा।
इस फैसले का मूल निष्कर्ष यह था कि गूगल का Android ऐप इकोसिस्टम पर नियंत्रण, कानूनी रूप से प्रतिस्पर्धा-विरोधी (anti-competitive) है। इस निर्णय के बाद टेक दिग्गज कंपनी को अब तीसरे पक्ष की बिलिंग सुविधाओं को अनुमति देनी होगी, Play Store के भीतर वैकल्पिक ऐप स्टोर की सुविधा देनी होगी और इन-ऐप पेमेंट पर अपनी एकाधिकार नीति को ढील देनी होगी। यह सब उस बाजार में हो रहा है जहां गूगल ने लंबे समय से डेवलपर्स से ऐप बिक्री और इन-ऐप खरीद पर 30% तक का कमीशन वसूला है।
सिर्फ तकनीकी कानूनी लड़ाई नहीं
ऊपरी तौर पर यह एक आम टेक कानूनी लड़ाई लग सकती है, लेकिन गहराई से देखें तो यह फैसला मोबाइल ऐप इकोसिस्टम के स्ट्रक्चर और कमाई के तरीके में बदलाव का संकेत देता है- खासतौर पर भारत जैसे देश में, जो शायद दुनिया का सबसे बड़ा Android यूजरबेस और एक मोबाइल-प्रथम डिजिटल अर्थव्यवस्था है।
भारत में 80 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन यूजर हैं, जिनमें भारी बहुमत Android उपयोग करता है। यहां गूगल का नियंत्रण केवल ऐप वितरण (Play Store) तक सीमित नहीं है, वह मॉनेटाइजेशन (Play Billing) और खोज एवं खोजयोग्यता (Search, YouTube और अब Pixel Ecosystem) पर भी मजबूत पकड़ बनाए हुए है।
पिछले एक दशक से ऐप डेवलपर्स, पब्लिशर्स और मार्केटर्स इसी बंद घेरे में काम करते आ रहे हैं। लेकिन अब, इस कोर्ट के फैसले ने उस घेरे का दरवाजा थोड़ा खोल दिया है।
मुद्दा क्या है?
मूल समस्या गूगल के "tying behavior" से जुड़ी है, यानी अपने Android वर्चस्व का इस्तेमाल करते हुए डेवलपर्स को जबरन गूगल Play Billing का उपयोग करने के लिए मजबूर करना और वैकल्पिक ऐप स्टोर्स की प्रतिस्पर्धा को रोकना।
यह प्रैक्टिस नई नहीं है, लेकिन अब एक अमेरिकी अदालत ने इसे अवैध ठहराया है और इसके परिणाम अब लागू किए जा सकते हैं।
इसका सीधा असर क्या होगा?
अब डेवलपर्स को यह विकल्प मिलेगा कि वे Android पर अपने खुद के इन-ऐप पेमेंट सिस्टम दे सकें और ऐप वितरण के लिए वैकल्पिक ऐप स्टोर का उपयोग कर सकें, वो भी Play Store के भीतर ही। सबसे अहम बात- गूगल को अपने ऐप कैटलॉग तक प्रतिद्वंद्वियों को इंटरऑपरेबिलिटी के लिए एक्सेस देना होगा।
अब Android का 'gatekeeper' सिर्फ दरवाजा नहीं संभालेगा, कुंजी भी साझा करनी होगी।
अब बात भारत की
भारत में गूगल पहले ही एंटीट्रस्ट जांच के घेरे में है। 2022 में, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने Android बाजार में वर्चस्व के दुरुपयोग के आरोप में गूगल पर ₹1,337 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसमें एक बड़ा निर्देश था- यूजर्स को प्रीलोडेड ऐप हटाने की अनुमति मिले और वैकल्पिक ऐप स्टोर्स को इस्तेमाल करने की आजादी हो।
गूगल ने उस समय सीमित तौर पर इस पर अमल किया था, लेकिन अब अमेरिकी कोर्ट का यह वैश्विक उदाहरण भारतीय रेगुलेटर्स और स्टार्टअप्स को पहले से कहीं ज्यादा अधिकार और आत्मविश्वास देगा।
बदलाव अब कल्पना नहीं, हकीकत है
भारतीय विकल्प जैसे PhonePe का Indus Appstore पहले से तैयार हैं। Xiaomi, Samsung, Vivo और Oppo जैसे ब्रैंड्स के OEM ऐप स्टोर्स भी मौजूद हैं, लेकिन डेवलपर ट्रस्ट या स्केल की कमी थी। अब, यदि डेवलपर्स को वैकल्पिक वितरण के लिए दंड नहीं मिलेगा, तो ये सारे विकल्प अचानक व्यवहार्य बन सकते हैं।
यह भारतीय इनोवेशन को भी बढ़ावा देगा
जो भारतीय आंत्रप्रेन्योर और मार्केटर्स अब तक गूगल और Apple की दोहरी पकड़ में थे, उनके लिए यह नए अवसरों का संकेत है। Apple अब भी iOS को पूरी तरह नियंत्रित करता है और Epic v. Apple केस में Apple को ज्यादातर राहत मिली, इसलिए iOS मॉनेटाइजेशन में बदलाव की उम्मीद नहीं है। लेकिन Android के मामले में यह एक नई शुरुआत है- एक ऐसा इंटरनेट जैसा युग, जहां चीजें शायद थोड़ा अव्यवस्थित हों, लेकिन अधिक खुली और प्रयोगधर्मी हों।
मार्केटर्स के लिए मतलब
अब गूगल के दायरे से बाहर नई विज्ञापन इन्वेंटरी संभव है। यदि ऐप डेवलपर्स गूगल का हिस्सा बचा पाते हैं, तो वे वो पैसा मार्केटिंग में लगा सकते हैं- इससे पहली पार्टी डेटा बढ़ेगा, विज्ञापन विकल्प अधिक होंगे और CPM यानी विज्ञापन लागत में भी गिरावट संभव है (कम से कम तब तक, जब तक नया संतुलन न बने)।
एक ओर, विखंडित ऐप इकोनॉमी का मतलब है तकनीकी एकीकरण में अधिक मेहनत, लेकिन दूसरी ओर, यह डेवलपर्स के साथ सीधे संबंध और वैकल्पिक मोनेटाइजेशन मॉडल को जन्म दे सकता है।
कुछ शर्तें अब भी लागू हैं
सिर्फ कोर्ट के कहने से बदलाव नहीं होता, यूजर व्यवहार में जड़ता होती है। लोग Play Store और Play Billing को आदत, सुविधा और सुरक्षा के चलते चुनते रहेंगे। गूगल इस बात को जानता है और UX डिजाइन व फ्रिक्शन लेयर के जरिए बदलाव को धीमा कर सकता है, जब तक कि और सख्त रेगुलेशन न हों।
Apple का मुद्दा बरकरार है
Apple अभी भी iOS का पूरा कंट्रोल रखता है और इस फैसले से Apple पर कोई असर नहीं पड़ा है। यदि आपकी ऐप रणनीति iOS पर आधारित है, तो अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं है। लेकिन भारत में, जहां Android का बोलबाला है, यह फैसला बड़ी राहत है, सिर्फ डेवलपर्स के लिए नहीं, पूरे डिजिटल वितरण मॉडल के लिए।
चाहे बात इन-ऐप सब्सक्रिप्शन की हो, फ्रीमियम गेम्स की या डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर कॉमर्स की, गूगल का टैक्स हटाने की संभावना खुद में एक बड़ा मौका है।
बड़ी तस्वीर
गूगल का ऐप स्टोर वर्चस्व अब सिर्फ भारत में नहीं, दक्षिण कोरिया, यूरोप और अमेरिका जैसे बाजारों में भी चुनौती के घेरे में है। अब भारत के पास मजबूत कानूनी उदाहरण भी है और विशाल बाजार का दबाव भी, जिससे वह गूगल से असल अनुपालन की मांग कर सकता है।
अब यह इस पर निर्भर करेगा कि कौन इस मौके को पहचानता है और इसे अवसर में बदलता है या अराजकता में खो देता है।
गूगल ने भारत में अपनी AI Skills Academy की शुरुआत की है, जिसका मकसद पत्रकारों और न्यूजरूम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के व्यावहारिक इस्तेमाल की ट्रेनिंग देना है।
गूगल ने भारत में अपनी AI Skills Academy की शुरुआत की है, जिसका मकसद पत्रकारों और न्यूजरूम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के व्यावहारिक इस्तेमाल की ट्रेनिंग देना है। यह पहल Google News Initiative का हिस्सा है और इसका उद्देश्य संपादकीय टीमों को ऐसे टूल्स और वर्कफ्लो से लैस करना है जो रिपोर्टिंग, रिसर्च, ट्रांसलेशन, ट्रांसक्रिप्शन और फैक्ट वेरिफिकेशन जैसे कार्यों को बेहतर बना सकें।
यह पहल ऐसे समय पर आई है जब भारतीय न्यूजरूम सीमित संसाधनों और तेजी से बदलती डिजिटल खपत की आदतों के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती से जूझ रहे हैं। गूगल का प्रस्ताव सीधा है: AI वह सारा बुनियादी काम कर सकती है, जिससे पत्रकारों को कहानी कहने और प्रभाव बनाने पर ज्यादा ध्यान देने का मौका मिल सके।
AI Skills Academy देशभर के मीडिया संगठनों में हैंड्स-ऑन वर्कशॉप्स और डिजाइन स्प्रिंट्स आयोजित करेगी, जहां पत्रकारों को सिखाया जाएगा कि कैसे वे AI टूल्स को जिम्मेदारी के साथ अपने रोजमर्रा के काम में शामिल करें। इसमें गूगल के अपने टूल्स जैसे Pinpoint और Fact Check Explorer शामिल होंगे, साथ ही जनरेटिव AI मॉडल्स का इस्तेमाल सार-संक्षेप तैयार करने, स्थानीय भाषाओं में अनुवाद और डेटा प्रोसेसिंग के लिए कैसे किया जाए, इस पर भी व्यापक प्रशिक्षण मिलेगा।
इस घोषणा के जरिए गूगल ने भारत के न्यूज इकोसिस्टम के प्रति अपने व्यापक योगदान को आगे बढ़ाया है। पिछले एक साल में गूगल ने 60,000 से ज्यादा पत्रकारों और पत्रकारिता के छात्रों को ट्रेनिंग दी है, फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क को सपोर्ट किया है और लोकल पब्लिशर्स के साथ मिलकर रेवेन्यू बढ़ाने की पहलें की हैं। लेकिन AI Skills Academy एक नया मोड़ दर्शाता है, अब फोकस केवल क्षमताओं के निर्माण से आगे बढ़कर उनके वास्तविक इस्तेमाल की ओर बढ़ रहा है।
मीडिया व मार्केटिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए यह ट्रेंड ध्यान देने लायक है। जैसे-जैसे न्यूजरूम कंटेंट प्रोडक्शन और ऑडियंस इनसाइट्स के लिए AI टूल्स अपनाते हैं, पत्रकारिता और ब्रैंड स्टोरीटेलिंग के बीच की दूरी घट सकती है। स्थानीय भाषाओं में पर्सनलाइजेशन, तेज टर्नअराउंड और अधिक इंटरएक्टिव फॉर्मेट्स जैसे प्रयोग अब दूर की बात नहीं।
एक सीनियर डिजिटल पब्लिशर ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया, “यह केवल पत्रकारों की चुनौती नहीं है। जो भी कंटेंट इकोसिस्टम का हिस्सा है- चाहे मार्केटर हो (एजेंसी हो या कोई प्लेटफॉर्म) उसे यह समझना जरूरी है कि AI किस तरह से कहानियों को बनाने, जांचने और पेश करने के तरीकों को बदल रहा है।”
यह पहल भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में चल रहे एक बड़े बदलाव से भी जुड़ी हुई है। MeitY के IndiaAI Mission, बढ़ते टेक बजट और गूगल जैसी निजी पहलों के जरिए ऐसा आधार तैयार हो रहा है, जिससे मीडिया को AI-सक्षम बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती है- AI का जिम्मेदार और नैतिक उपयोग। गूगल का कहना है कि उसकी अकादमी एथिकल AI को प्राथमिकता देती है और बायस, मिसइन्फॉर्मेशन और तथ्यों से भटके हुए कंटेंट से बचने के लिए गाइडलाइंस भी लागू की गई हैं। लेकिन क्या ये मानक हाई-प्रेशर न्यूजरूम्स में बड़े पैमाने पर कायम रह पाएंगे, यह अभी देखने की बात है।
फिर भी, संदेश साफ है: जनरेटिव AI अब आधिकारिक रूप से भारतीय न्यूजरूम में प्रवेश कर चुका है। और अगर पत्रकार AI की मदद से बेहतर कहानियां गढ़ने की ट्रेनिंग ले रहे हैं, तो मार्केटिंग की दुनिया को भी अब ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए।
गूगल ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उसने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को चुनौती दी है
गूगल ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उसने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें ट्रिब्यूनल ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के निष्कर्षों को सही ठहराया था। CCI ने यह पाया था कि गूगल ने एंड्रॉयड इकोसिस्टम में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया है। आयोग के अनुसार, गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर प्रतिबंधात्मक नीतियों को लागू किया और अपने भुगतान प्लेटफॉर्म Google Pay को अनुचित रूप से प्राथमिकता दी।
बता दें कि यह अपील 21 जुलाई को दायर की गई थी।
इस पूरे मामले की शुरुआत नवंबर 2020 में CCI द्वारा शुरू की गई एक जांच से हुई थी, जिसका केंद्र बिंदु गूगल के प्ले स्टोर में अपनाए गए बिलिंग तरीकों पर था। अक्टूबर 2022 में आयोग ने यह निर्णय दिया कि गूगल ने डेवलपर्स को अपने इन-ऐप ट्रांजैक्शन और परचेज़ के लिए अनिवार्य रूप से Google Play Billing System (GPBS) अपनाने के लिए मजबूर किया, जिससे उसकी बाजार में दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग साबित हुआ। इसके चलते गूगल पर जुर्माना भी लगाया गया।
हालांकि, बाद में NCLAT ने CCI द्वारा लगाए गए इस जुर्माने को काफी हद तक कम कर दिया। पहले यह जुर्माना ₹936.44 करोड़ था, जिसे लगभग 76% घटाकर ₹216.69 करोड़ कर दिया गया। CCI ने अक्टूबर 2022 में यह आरोप लगाया था कि गूगल ने प्ले स्टोर नीतियों को लेकर अपनी दबंगई दिखाई और डेवलपर्स को केवल GPBS का ही इस्तेमाल करने पर मजबूर किया। इससे थर्ड पार्टी पेमेंट सेवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगी, जो प्रतिस्पर्धा-विरोधी माना गया और इससे नवाचार व वैकल्पिक पेमेंट प्रोसेसरों को बाजार में पहुंचने से रोका गया।
अपील पर सुनवाई के दौरान, NCLAT ने इस बात से तो सहमति जताई कि गूगल ने वाकई अपनी प्रभुत्वशाली स्थिति का दुरुपयोग किया, लेकिन जुर्माने की राशि में संशोधन किया। ट्रिब्यूनल ने गूगल को निर्देश दिया कि वह संशोधित जुर्माना 30 दिनों के भीतर अदा करे, यह ध्यान में रखते हुए कि गूगल ने पहले ही अपील प्रक्रिया के दौरान मूल जुर्माने की 10% राशि जमा कर दी थी।
आर्थिक जुर्माने के अलावा, NCLAT ने ऐप इकोसिस्टम में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश भी जारी किए। ट्रिब्यूनल ने गूगल को आदेश दिया कि वह ऐप डेवलपर्स को थर्ड पार्टी बिलिंग सेवाएं अपनाने की अनुमति दे और ऐसे प्रतिबंधात्मक प्रावधानों से परहेज करे जो डेवलपर्स को वैकल्पिक भुगतान विकल्पों का प्रचार करने से रोकते हैं। साथ ही, गूगल को यह भी निर्देश दिया गया कि वह भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए भुगतान की सुविधा देने वाले अन्य ऐप्स के साथ भेदभाव न करे, ताकि सभी पेमेंट सेवा प्रदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित किया जा सके।
हालांकि, NCLAT ने CCI द्वारा प्रस्तावित कुछ कठोर ‘बिहेवियरल रेमेडीज’ को खारिज कर दिया। इनमें तीसरे पक्ष के ऐप स्टोर को प्ले स्टोर में अनुमति न देना, प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को अनइंस्टॉल करने की अनिवार्यता और आधिकारिक चैनलों से बाहर ऐप डाउनलोडिंग को प्रतिबंधित करने जैसी शर्तें शामिल थीं।
Google और OpenAI के जनरल-पर्पस AI मॉडलों ने इंटरनेशनल मैथमैटिकल ओलंपियाड (IMO) में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया है। Google और OpenAI के जनरल-पर्पस AI मॉडलों ने इंटरनेशनल मैथमैटिकल ओलंपियाड (IMO) में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। इन मॉडलों ने मानक प्रतिस्पर्धात्मक शर्तों के तहत छह में से पांच कठिन गणितीय सवाल हल किए, जो अब तक दुनिया के सबसे होनहार किशोर गणितज्ञों का मैदान माना जाता रहा है। यह पहली बार है जब किसी AI ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में पदक जीता है।
Google के Gemini DeepThink मॉडल ने 4.5 घंटे की आधिकारिक परीक्षा को केवल नैसर्गिक भाषा (natural language) के माध्यम से पूरा किया और वह भी बिना किसी विशेष टूल्स या शॉर्टकट के। वहीं, OpenAI का एक बिना नाम वाला एक्सपेरिमेंटल मॉडल, जिसने परीक्षण के समय पर अत्यधिक कंप्यूटेशन का इस्तेमाल करते हुए अनेक संभावित हलों की समानांतर प्रक्रिया चलाई, उसने भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में कुल 630 मानव प्रतिभागी शामिल थे, जिनमें से सिर्फ 67 को गोल्ड मेडल मिला, ऐसे में इन AI मॉडलों का प्रदर्शन उन्हें विशिष्ट श्रेणी में रखता है।
इससे पहले AlphaGeometry जैसे ब्रेकथ्रू मॉडल विशेष रूप से ज्योमेट्री-केंद्रित कोडिंग पर आधारित थे, लेकिन इस बार विजेता AI मॉडल केवल सामान्य भाषा-आधारित तर्कशक्ति के जरिये काम कर रहे थे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल गणितीय सवाल हल करने का मामला नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि AI अब "सिस्टमेटिक क्रिएटिविटी" की ओर बढ़ रहा है- एक ऐसी क्षमता, जो मानव-जैसी लचीली और अमूर्त समस्या-समझने की योग्यता की ओर इशारा करती है।
मार्केटिंग और मीडिया इंडस्ट्री के लिए यह उपलब्धि सिर्फ अकादमिक गौरव का विषय नहीं है, बल्कि कहीं गहरा असर डालने वाली है। ऐसे AI मॉडल जो प्रतीकात्मक तर्क और अमूर्त सोच की जटिलता को समझ सकते हैं, वे कल के कैंपेन स्ट्रैटेजी से लेकर आज की क्रिएटिव आइडिएशन तक हर पहलू को बदल सकते हैं। अगर आज का AI ओलंपियाड स्तर की लॉजिक को समझ सकता है, तो कल वह यूजर बिहेवियर के अनुसार अपने आप ढल जाने वाले मीडिया प्लान तैयार कर सकता है या पूरे मार्केटिंग फनल को रीयल टाइम में ऑप्टिमाइज कर सकता है।
फिलहाल ये मॉडल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। OpenAI ने पुष्टि की है कि उसका गोल्ड जीतने वाला मॉडल कुछ महीनों तक रिलीज नहीं किया जाएगा, लेकिन दिशा साफ है। अब जनरल इंटेलिजेंस कोई दूर की कल्पना नहीं रही। यह खबरों की सुर्खियों में है, गणितीय प्रतियोगिताएं जीत रहा है, और व्यावसायिक प्रासंगिकता के करीब पहुंच चुका है।
जैसे-जैसे विज्ञापन एजेंसियां और ब्रांड जनरेटिव AI से आकार लेते मीडिया परिदृश्य को समझने की कोशिश कर रहे हैं, यह क्षण एक स्पष्ट संकेत देता है—फोकस अब कंटेंट निर्माण से आगे बढ़कर क्रिएटिव सोच की ओर बढ़ रहा है। और इस बदलाव की अगुवाई करने वाले अब गोल्ड लेकर लौटे हैं।
Visa के इंडिया और साउथ एशिया के ग्रुप कंट्री मैनेजर संदीप घोष, e4m TechManch 2025 में “India’s Digital Transformation and the Future of Payments” विषय पर कीनोट संबोधन देंगे।
जैसे-जैसे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था परिपक्व हो रही है, पेमेंट्स अब केवल ट्रांजैक्शन का माध्यम नहीं रह गए, बल्कि वे ट्रांसफॉर्मेशन का अहम आधार बनते जा रहे हैं। इस बदलाव पर रोशनी डालते हुए Visa के इंडिया और साउथ एशिया के ग्रुप कंट्री मैनेजर संदीप घोष, e4m TechManch 2025 में “India’s Digital Transformation and the Future of Payments” विषय पर कीनोट संबोधन देंगे।
TechManch 2025, जो 17 जुलाई यानी आज मुंबई में आयोजित हो रहा है, एक्सचेंज4मीडिया का प्रमुख सम्मेलन है जो मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र के अग्रणी लीडर्स को एक मंच पर लाकर भारत की डिजिटल विकास यात्रा के अगले चरण की पड़ताल करता है। घोष का सत्र इस आयोजन का मुख्य आकर्षण होगा, जिसमें वे बताएंगे कि भारत का पेमेंट ईकोसिस्टम किस तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन और ओम्नीचैनल डिजिटल रणनीतियों से आकार ले रहा है और बदले में इन्हें प्रभावित भी कर रहा है।
Visa, जो भारत में पेमेंट इनोवेशन के अग्रिम पंक्ति में है, के प्रतिनिधि के रूप में घोष यह साझा करेंगे कि डिजिटल पेमेंट्स का विकास किस तरह कस्टमर एक्सपीरियंस, मार्केटिंग की फुर्ती और ब्रैंड परफॉर्मेंस के नियमों को फिर से परिभाषित कर रहा है।
उनका संबोधन इन महत्वपूर्ण बिंदुओं को समेटेगा:
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की तेज़ी से बढ़ोतरी के प्रमुख रुझान
प्रदर्शन सुधार में ऑटोमेशन और ओम्नीचैनल रणनीतियों की भूमिका
डिजिटल-फर्स्ट इकोनॉमी में ब्रैंड्स कैसे ग्राहक-केंद्रित और लचीले बन सकते हैं
पेमेंट्स और कॉमर्स पर AI के प्रभाव की भविष्यवाणी
यह कीनोट TechManch सम्मेलन की विभिन्न थीम्स को एक सूत्र में बांधने वाला प्रमुख सत्र होगा, जिनमें शामिल हैं MarTech, ग्राहक अनुभव, ब्रैंड की गति, और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए विकास।
इस वर्ष के TechManch में मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी के संगम की पड़ताल कई खास ट्रैक्स के जरिए की जाएगी, जैसे:
AI और ब्रैंड रेज़िलिएंस
MarTech के जरिए हाइपर-पर्सनलाइज़ेशन
अटेंशन इकोनॉमी में शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट
कम्पोज़ेबल मार्केटिंग स्टैक्स
कूकी-रहित भविष्य में फर्स्ट-पार्टी डेटा की भूमिका
घोष का सत्र इन सभी चर्चाओं को पेमेंट्स के नजरिए से जोड़ते हुए दर्शाएगा कि पेमेंट अब बैकएंड की तकनीक नहीं, बल्कि ऐसे फ्रंटलाइन ब्रैंड एक्सपीरियंस हैं जो लॉयल्टी, लाइफटाइम वैल्यू और ग्रोथ को आकार देते हैं।
सम्मेलन के बाद TechManch 2025 में Indian Digital Marketing Awards (IDMA) का आयोजन होगा, जो इस बार अपने 16वें संस्करण में पहुंच चुका है। इस वर्ष की जूरी की अध्यक्षता HUL के CEO और MD रोहित जावा ने की, जिनके साथ मीडिया, मार्केटिंग और विज्ञापन जगत के प्रमुख नेता जुड़े।
InMobi और Glance द्वारा पावर्ड और Mobavenue द्वारा गोल्ड पार्टनर के रूप में समर्थित TechManch 2025 ऐसे समय में हो रहा है जब भारत में मार्केटिंग, पर्सनलाइज़ेशन और परफॉर्मेंस का अभूतपूर्व संगम देखने को मिल रहा है।
संदीप घोष का कीनोट केवल विचार नहीं देगा, बल्कि एक रोडमैप पेश करेगा, यह बताने के लिए कि ब्रैंड्स उस अर्थव्यवस्था में कैसे आगे बढ़ सकते हैं, जहां डिजिटल अनुभव के केंद्र में पेमेंट्स हैं।
‘e4m TechManch 2025’ कॉन्फ्रेंस के बाद शाम को ‘इंडियन डिजिटल मार्केटिंग अवॉर्ड्स’ (IDMA) के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।
‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह 17 जुलाई यानी मुंबई में दो बड़े आयोजन ‘e4m TechManch 2025’ और ‘इंडियन डिजिटल मार्केटिंग अवॉर्ड्स’ (IDMA) का आयोजन किया जा रहा है। TechManch का यह नौवां संस्करण है, जो डिजिटल मार्केटिंग की मौजूदा प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा। इस मंच पर देश-विदेश के जाने-माने प्रोफेशनल्स, विशेषज्ञ और इंडस्ट्री लीडर्स एक साथ जुटेंगे।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि डिजिटल मार्केटिंग का परिदृश्य अब केवल विज्ञापन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह रियल-टाइम एंगेजमेंट, एआई-संचालित पर्सनलाइजेशन और डेटा-ड्रिवन ग्रोथ जैसे पहलुओं पर केंद्रित हो गया है। इस बार e4m TechManch 2025 में भी इन पहलुओं पर गहराई से चर्चा होगी, जिसमें AI आधारित मार्केटिंग, परफॉर्मेंस स्ट्रैटेजी, MarTech में हो रहे इनोवेशन और कंटेंट के भविष्य जैसे अहम विषय शामिल हैं।
डिजिटल कॉमर्स की नई दिशा को समझने के लिए टेक्नोलॉजी, डेटा और मार्केटिंग जगत के अग्रणी दिमाग इस सम्मेलन में शामिल होंगे। विशेषज्ञ इस मंच पर उन स्ट्रैटेजी, टूल्स और इनोवेशंस की जानकारी साझा करेंगे, जो आने वाले समय में डिजिटल ब्रैंड बिल्डिंग और मार्केटिंग के तौर-तरीकों को नया आकार देंगे।
दिन भर चलने वाली इस कॉन्फ्रेंस के बाद विशेष पुरस्कार समारोह में ‘इंडियन डिजिटल मार्केटिंग अवॉर्ड्स’ (IDMA) के 16वें एडिशन के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि डिजिटल मीडिया की दुनिया में बेहतरीन काम करने वाले ब्रैंड्स और एजेंसियों को ये अवॉर्ड्स दिए जाते हैं और इनका चुनाव प्रतिष्ठित जूरी द्वारा किया जाता है।
इस वर्ष IDMA जूरी चेयर की भूमिका ‘हिन्दुस्तान यूनिलीवर’ (HUL) के सीईओ और एमडी रोहित जावा ने निभाई है, जो यूनिलीवर साउथ एशिया के प्रेजिडेंट और यूनिलीवर ग्लोबल लीडरशिप एग्जिक्यूटिव के सदस्य भी हैं। अन्य जूरी सदस्यों में विज्ञापन, मार्केटिंग और मीडिया जगत की कई जानी-मानी हस्तियां शामिल रहीं। e4m TechManch 2025 का यह एडिशन InMobi और Glance द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जबकि Mobavenue इस कार्यक्रम का गोल्ड पार्टनर है।