आपको याद होगा कि आजादी के बाद भारत में जो राजनीतिक दल पनपे, वे किसी न किसी ठोस वैचारिक धुरी पर टिके हुए थे।
भारत विरोधी लॉबी के कुछ नेताओं ने तथ्यों को जाने समझे बिना यूरोपीय संसद में मणिपुर हिंसा से जुड़ा एक प्रस्ताव पास करवा दिया।
दरअसल, भाजपा के लिए 2024 में दो-तीन राज्यों में मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं। महाराष्ट्र, बिहार इनमें से एक है।
अगर भारतीय जनता पार्टी को लग रहा है कि शरद पवार को इस हाल में ले आने से उसे राजनीतिक फायदा होगा तो वह मुगालते में है।
2024 के आम चुनावों के पहले एकजुट हो रहे विपक्ष को नित नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
'डीडी न्यूज' की एंकर 'रीमा पाराशर' ने ऐसे ही कुछ मसलों वर्तमान में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से बात की
पिछले दिनों भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता लाने का आह्वान किया और अल्पसंख्यक समुदायों को सुधार के खिलाफ भड़काने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की।
जिस पार्टी में शरद पवार की इजाजत के बिना पत्ता भी ना हिलता हो, वहां 40 विधायक बगावत करने जा रहे हों और शरद पवार को पता तक ना हो।
अमित शाह को आमंत्रित किया गया लेकिन उन्होंने कहा कि पहले वसुंधरा राजे बोलेंगी, उसके बाद वह अपनी बात कहेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व्हाइट हाउस पहुंचे तो राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी पत्नी के साथ भारत के प्रधानमंत्री की आगवानी करने के लिए अपने घर के दरवाजे पर खड़े थे।