राजेंद्र यादव आगे कहते हैं कि यह अशोक और अनंत विजय जैसों की तरह ज्यादा पढ़ने और घूमने से उपजी हुई तकलीफ नहीं, बल्कि एक सुना सुनाया और आत्मप्रचार को सही सिद्ध करने का हथकंडा है।
दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ में हुए विमोचन कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे की इस किताब और हिंदी पत्रकारिता से जुड़े तमाम पहलुओं पर हुई चर्चा।