हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार शुक्ल को देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। वे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक होंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद पत्रकार प्रणव सिरोही ने भी अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी खुशी को जाहिर किया है।
उन्होने एक्स पर लिखा, वैसे तो प्रतिभा किसी भी पुरस्कार से परे है, किंतु जब किसी प्रिय रचनाकार को पुरस्कृत किया जाता है तो हृदय के तार झंकृत हो ही जाते हैं। जिन लेखकों को पढ़कर साहित्य के प्रति मेरे अनुराग में वृद्धि हुई, उनमें से एक श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार की हार्दिक बधाई।
उन्होंने एक और पोस्ट में लिखा, निःसंदेह नौकर की क़मीज़ (जिसके बारे में निर्मल वर्मा का भी यही मानना था कि ‘आधुनिक’ हिंदी की जिन कृतियों [तमस, राग दरबारी और सूखा बरगद सहित] के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है) विनोद कुमार शुक्ल जी की एक नायाब कृति है और उनका समूचा रचना संसार अद्भुत-अप्रतिम है, लेकिन दीवार में एक खिड़की रहती थी में उन्होंने जो जादू रचा वो मैं दोबारा कहीं नहीं खोज पाया।
आपको बता दें, 88 वर्षीय शुक्ल अपनी कहानियों, कविताओं और लेखों के लिए जाने जाते हैं और समकालीन हिंदी साहित्य के सबसे प्रभावशाली रचनाकारों में शुमार हैं। यह पुरस्कार 11 लाख रुपये की राशि, मां सरस्वती की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र के साथ दिया जाता है।