दीपक चौरसिया देश के सबसे चर्चित पत्रकारों में शुमार हैं। देश के पहले निजी सैटेलाइट टीवी चैनल से लेकर अब तक के अपने सफर में दीपक चौरसिया ने सभी पोजिशन पर काम किया है।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार व जाने-माने न्यूज एंकर दीपक चौरसिया ने हिंदी न्यूज चैनल ‘लाइव टाइम्स’ (Live Times) के साथ टीवी न्यूज की दुनिया में वापसी की है और अब उनका शो भी शुरू हो गया है। इस शो का नाम 'खबर ठोक के' है। इस बात की जानकारी खुद दीपक चौरसिया ने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट कर दी है।
उन्होंने लिखा, दोस्तों वो घड़ी आ गई है जिसके बारे में आप मुझसे बार बार पूछ रहे थे। अब रोज़ रात 8 बजे सोमवार से शुक्रवार मैं 'लाइव टाइम्स' पर आपको मिलूँगा। पिछले 32 सालों में आपने मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया है। आशा है की इस सफर में भी आपका प्यार मिलेगा।
आपको बता दें, हिंदी न्यूज चैनल ‘लाइव टाइम्स’ में दीपक ने बतौर डायरेक्टर (न्यूज) जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह सीधे इस नेटवर्क के फाउंडर, सीईओ और एडिटर-इन-चीफ दिलीप सिंह को रिपोर्ट करेंगे। तीन दशक से ज्यादा समय से टीवी पत्रकारिता कर रहे दीपक चौरसिया देश के सबसे चर्चित पत्रकारों में शुमार हैं।
देश के पहले निजी सैटेलाइट टीवी चैनल से लेकर अब तक के अपने सफर में दीपक चौरसिया ने सभी पोजिशन पर काम किया है। फील्ड की रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग और फिर संपादक की भूमिका भी दीपक चौरसिया ने बखूबी निभाई है।
दोस्तों वो घड़ी आ गई है जिसके बारे में आप मुझसे बार बार पूछ रहे थे! अब रोज़ रात 8 बजे सोमवार से शुक्रवार मैं @livetimes_news पर आपको मिलूँगा! पिछले 32 सालों में आपने मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया है! आशा है की इस सफर में भी आपका प्यार मिलेगा ! pic.twitter.com/nUBuaVSMM4
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) June 2, 2025
बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CCI) के हालिया चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो वरिष्ठ नेताओं, राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान, के बीच तीखी टक्कर देखने को मिली। कुछ लोगों के मुताबिक इस चुनाव ने बीजेपी के आंतरिक टकराव को उजागर किया। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं की टक्कर और उसके परिणाम में ज़्यादा कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई केवल इस क्लब में लंबे समय से चली आ रही एक व्यवस्था के परिवर्तन के लिए लड़ी गई थी। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ऐसे कई क्लब हैं जहाँ पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर उठ कर आपसी सहमति से लंबे समय से काम चलता आ रहा है।
यह चुनाव केवल इसी आपसी सहमति को चोट पहुँचाने के लिए लड़ा गया था। आपको बता दें, बिहार के सारण से पांच बार के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री। रूडी पिछले 25 वर्षों से क्लब के सचिव (प्रशासन) रहे हैं और उन्होंने क्लब में कई आधुनिक सुविधाओं का विकास किया।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।
दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं की टक्कर और उसके परिणाम में ज़्यादा कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई केवल इस क्लब में लंबे समय से चली आ रही एक व्यवस्था के परिवर्तन के लिए लड़ी गई थी। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ऐसे कई क्लब हैं जहाँ…
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) August 13, 2025
इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है
इंडी गठबंधन और राहुल गांधी S.I.R. को लेकर सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन और रणनीति बना रहे हैं। उनकी मुख्य मांग चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। दूसरी ओर, बीजेपी इसे संवैधानिक प्रक्रिया बताकर विपक्ष के आरोपों को खारिज कर रही है। यह मुद्दा बिहार सहित पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, S.I.R को लेकर इंडी गठबंधन के लोग और राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहे हैं, लेकिन एक भी आपत्ति इनकी पार्टियों की ओर से दर्ज नहीं की गई है।
चुनाव आयोग को ऑफिशियली ये लोग आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे, केवल मीडिया में बयान देंगे पर आयोग से जवाब ऑफिशियल चाहिए। सोचिये जनता को कैसी टोपी पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग से आधिकारिक रूप से नियमानुसार आप लिखित में पूछेंगे नहीं, क्योंकि वह ग़लत होने पर आपको उसमें सजा होने और सदस्यता जाने का भी खतरा है।
ये सिर्फ चुनाव की हार-जीत का मुद्दा नहीं है, ये देश में घुसपैठियों के दम पर सत्ता कब्जाने का मुद्दा है और यह एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा है। आपको बता दें, S.I.R. (Special Intensive Revision) मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट और सटीक करना है।
हालांकि, इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है।
S.I.R को लेकर इंडी गठबंधन के लोग और राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहे हैं, लेकिन एक भी आपत्ति इनकी पार्टियों की ओर से दर्ज नहीं की गई है।
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) August 13, 2025
चुनाव आयोग को ऑफिशियली ये लोग आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे, केवल मीडिया में बयान देंगे पर आयोग से जवाब ऑफिशियल चाहिए। सोचिये जनता को कैसी टोपी… pic.twitter.com/OEYqc6CIHx
सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने और नसबंदी करने का आदेश दिया है। लेकिन इस फैसले पर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पशु अधिकार संगठन PETA इंडिया ने इसे अमानवीय बताया है। उनका मानना है कि कुत्तों के लिए वैक्सीनेशन और नसबंदी बेहतर विकल्प हैं।
इस बीच टीवी एंकर और पत्रकार मानक गुप्ता ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, आवारा कुत्तों जैसा आदेश सभी आवारा पशुओं पर भी लागू होना चाहिए। हर तरह के आवारा जानवर लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। आए दिन कहीं न कहीं उनका कोई नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है।
सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं। इसलिए आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही दिशा में उठाया गया पहला कदम है। अब इसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि पूरे देश में सभी आवारा पशुओं पर यह आदेश लागू होना चाहिए।
आपको बता दें, कुछ लोग बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों के कारण इस आदेश का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन शेल्टर होम की कमी को बड़ी चुनौती मानते हैं। मामला विवादास्पद बना हुआ है और सभी पक्ष इसे लेकर सक्रिय हैं।
आवारा कुत्तों जैसा एक आदेश सभी आवारा पशुओं पर आना चाहिए…हर तरह के आवारा पशु लोगों की जान ले रहे हैं…आए दिन कोई नया वीडियो टाइमलाइन पर आ जाता है
— Manak Gupta (@manakgupta) August 12, 2025
सड़क पर घूमते आवारा जानवर संस्कृति-विरासत-इंसानियत नहीं दिखाते. सिर्फ़ अराजकता-असभ्यता-असुरक्षा के परिचायक हैं…
आवारा कुत्तों पर…
अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ की अवधि को फिर से 90 दिन यानी नवंबर तक बढ़ा दिया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते फिलहाल स्थिर बने रहेंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, यह एकदम स्पष्ट हो चला है कि, मोदी और ट्रंप में दोस्ती की स्थिति बनने की संभावना लगभग शून्य हो गई है। ट्रंप की लड़ाई अब सिर्फ और सिर्फ भारत से है। ट्रंप की इस तरह की हरकतों को चीन कैसे देख रहा है, इसका ठीक अनुमान अभी नहीं लग रहा है।
भारत के लिए कठिन समय है, लेकिन नेतृत्व की असली पहचान कठिन समय में ही होती है। हम भारत के लोग सामान्य स्थिति में औसत प्रदर्शन ही करते हैं। धकेले जाने पर श्रेष्ठ प्रदर्शन। बिना किसी आधार के ट्रंप हमारे देश के साथ जो कर रहे हैं, उसमें हमारे पास सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है।
आपको बता दें, अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।
यह एकदम स्पष्ट हो चला है कि, मोदी और ट्रंप में दोस्ती की स्थिति बनने की संभावना लगभग शून्य हो गई है। ट्रंप की लड़ाई अब सिर्फ और सिर्फ भारत से है। ट्रंप की इस तरह की हरकतों को चीन कैसे देख रहा है, इसका ठीक अनुमान अभी नहीं लग रहा है। भारत के लिए कठिन समय है, लेकिन नेतृत्व की असली… pic.twitter.com/WeAEzXdfSk
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) August 12, 2025
सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों में शेल्टर भेजने के आदेश को PETA इंडिया ने 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' बताते हुए विरोध किया।
दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर PETA इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' करार दिया। संगठन का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल कुत्तों, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी अराजकता और परेशानी बढ़ेगी।
इस आदेश के विरोध में इंडिया गेट पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और रेस्क्यू संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिसमें कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जब कोई आवारा कुत्ता राह चलते किसी बच्चे या व्यक्ति पर हमला करता है, तब क्या 'PETA' के सदस्य पीड़ित की मदद के लिए आगे आते हैं?
क्या वे घायल के इलाज में सहयोग करते हैं या यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाते हैं कि ये खुले घूमते कुत्ते न किसी को काटें और न डराएं-जैसे उनके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण या नियंत्रण व्यवस्था? वहीं, कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि अदालत का यह निर्देश दिल्ली सरकार और नगर निकायों के लिए अब तक के सबसे प्रतिगामी फैसलों में से एक है, जिससे कुत्तों को खाना खिलाने वालों से लेकर पशु प्रेमियों तक सभी में डर और असमंजस का माहौल बन गया है।
जब कोई #आवरा_कुत्ता #stray_dog किसी राह चलते बच्चे या आदमी पर जानलेवा हमला करता है तो क्या ये #पेटा #peta के लोग उसकी मदद के लिये आगे आते हैं??
— awasthis (@awasthis) August 11, 2025
कुछ करते हैं इलाज वगैरह में मदद?
या फिर ये छुट्टे घूमते कुत्ते किसी को ना काटे.. या न डराये… ऐसी कोई ट्रेनिंग देते हैं इनको?? https://t.co/AywmTbr20G
कर्नाटक में जब कांग्रेस की ही सरकार है, तो क्या वह दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती और आखिर किसका इंतज़ार कर रही है। जवाब दें, राहुल गांधी जी।
सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। उम्मीद है कांग्रेस पार्टी उन तमाम अधिकारियों के खिलाफ जो वोट चोरी में शामिल रहे है, कार्रवाई करेगी। इस बयान के बाद वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, विपक्ष के नेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त में अखिलेश यादव की लाजवाब राजनीतिक सूझबूझ और चपलता उनकी अलग पहचान बन चुकी है। चाहे चुनाव आयोग के विरोध में सड़कों पर उतरकर हस्ताक्षर अभियान चलाना हो, बैरिकेड फांदना, हिरासत में लिया जाना हो या कांग्रेस को सीधे कटघरे में खड़ा करना।
हाल ही में उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा वार करते हुए कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार होती और अधिकारी-कर्मचारी चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोट चोरी में शामिल पाए जाते, तो हम तुरंत कार्रवाई करते। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, उन्हें भी यही करना चाहिए।
यह बयान बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर 1,00,000 से अधिक वोट चोरी के गंभीर आरोपों के बीच आया है, जो राहुल गांधी ने लगाए हैं। सवाल यह है कि कर्नाटक में जब कांग्रेस की ही सरकार है, तो क्या वह दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती और आखिर किसका इंतज़ार कर रही है। जवाब दें, राहुल गांधी जी, क्या आप दे पाएंगे? वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि बिहार में जनता भाजपा के खिलाफ वोट न डाल सके, इसलिए भाजपा जनता से वोट देने का अधिकार छीनना चाहती है।
विपक्ष के नेताओं कि लंबी फ़हरिस्त में @yadavakhilesh कि लाजवाब राजनीतिक सूझबूझ और चपलता, उनकी एक अलग पहचान बना चुकी है।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) August 11, 2025
चाहे @ECISVEEP के विरोध में सड़क पर संग्रह करते हुए, बैरिकेड फाँदना हो, हिरासत में लिया जाना हो, या फिर @INCIndia को रपेटना हो - He is simply too good.
भई,… https://t.co/1fr0lXdSo7
मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल कि चुनाव आयोग ने आपको नोटिस का जवाब देने को कहा है, लेकिन आप जवाब नहीं दे रहे, पर राहुल गांधी ने कहा, ये चुनाव आयोग का डेटा है, मेरा डेटा थोड़ी है जो मैं साइन करूं।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ सोमवार को विपक्षी सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकालने की कोशिश की। इस मार्च में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई विपक्षी दलों के सांसद शामिल थे। हालांकि, पुलिस ने बीच रास्ते में सभी को रोककर हिरासत में ले लिया।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि मतदाता सूची के सत्यापन को लेकर हो रहे इस पूरे विवाद की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट पर भी है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने सत्यापन प्रक्रिया को मंजूरी तो दे दी, लेकिन अब भी इस मामले की सुनवाई जारी है। ऐसे में, तस्वीर साफ करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की ही है और चुनाव आयोग को इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
वहीं, राहुल गांधी ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर अडिग हैं, जबकि चुनाव आयोग उनके आरोपों को बेबुनियाद बता रहा है। मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल कि चुनाव आयोग ने आपको नोटिस का जवाब देने को कहा है, लेकिन आप जवाब नहीं दे रहे, पर राहुल गांधी ने कहा, ये चुनाव आयोग का डेटा है, मेरा डेटा थोड़ी है जो मैं साइन करूं।
राहुल गांधी वोट चोरी के आरोप पर अड़े हैं और चुनाव आयोग उनके आरोपों को फर्जी बता रहा है. तस्वीर साफ कौन कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट! चुनाव आयोग को उसका दरवाजा खटखटाना चाहिए. https://t.co/xkf4EiyicM
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) August 11, 2025
यह बात अमेरिकी लड़ाकू विमान बनाने वाले उद्योग को बिल्कुल पसंद नहीं आएगी, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय साख और भविष्य के सौदों पर असर पड़ सकता है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने खुलासा किया है कि मई 2025 में भारत ने पाकिस्तान के छह सैन्य विमानों को मार गिराया था। इनमें पाँच लड़ाकू विमान और एक बड़ा सर्विलांस विमान शामिल था। सबसे अहम बात यह रही कि इन विमानों में अमेरिकी निर्मित एफ-16 भी थे।
उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, वायुसेना प्रमुख का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि हमारी टीमों ने पाकिस्तान को मात दी है, सिर्फ पाकिस्तान को संदेश देने के लिए नहीं है। यह अमेरिका को भी अप्रत्यक्ष संदेश है। पाकिस्तान के जिन विमानों को हमने मार गिराया, वे अमेरिकी एफ-16 थे। और यह काम हमने रूसी, फ्रांसीसी और स्वदेशी हथियारों के मिश्रण से किया।
इसका मतलब है कि अमेरिकी तकनीक से लैस विमान भी हमारी विविध और गैर-अमेरिकी हथियार प्रणाली के आगे टिक नहीं पाए। यह बात अमेरिकी लड़ाकू विमान बनाने वाले उद्योग को बिल्कुल पसंद नहीं आएगी, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय साख और भविष्य के सौदों पर असर पड़ सकता है। यानी यहां सैन्य ताकत दिखाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रक्षा बाज़ार की रणनीति, तीनों चीज़ें आपस में बड़ी चतुराई से जोड़ी गई हैं।
आपको बता दें, विशेषज्ञों का मानना है कि वायुसेना प्रमुख का यह बयान केवल पाकिस्तान को चेतावनी नहीं, बल्कि अमेरिका को भी संदेश है कि उसकी तकनीक भारत की बहु-स्रोत रक्षा प्रणाली के सामने कमजोर पड़ सकती है। इससे अमेरिकी रक्षा उद्योग की अंतरराष्ट्रीय साख और सौदों पर असर पड़ सकता है।
One of the reasons why the air chief is now speaking out about our teams getting the better of Pakistan , is also about the make of the aircraft’s we have downed , as per the air chief. F16. So it’s as much a signal to US as it is to Pakistan. We have access to Russian / French /…
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) August 10, 2025
अगर चुनाव आयोग को लगता है कि राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़े या आरोप झूठे और भ्रामक हैं, तो फिर आयोग उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत (FIR) दर्ज क्यों नहीं करता।
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए कर्नाटक की एक लोकसभा सीट के तहत आने वाले एक विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची प्रस्तुत की और दावा किया कि चुनाव आयोग जानबूझकर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां कर रहा है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, राहुल गांधी के 'परमाणु बम' (बड़े खुलासे) पर एक चुभता हुआ सवाल। अगर चुनाव आयोग को लगता है कि राहुल गांधी द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़े या आरोप झूठे और भ्रामक हैं, तो फिर आयोग उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत (FIR) दर्ज क्यों नहीं करता और उन्हें अदालत में क्यों नहीं घसीटता?
आखिरकार, राहुल गांधी ने ये आरोप संसद के बाहर लगाए हैं, जहाँ उन्हें कोई संसदीय छूट (immunity) प्राप्त नहीं है। सिर्फ नाम लेकर तंज कसना या अफसरशाही जैसी प्रतिक्रियाएँ देना समाधान नहीं है। अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए, चुनाव आयोग को चाहिए कि वह राहुल गांधी का कानूनी रूप से सामना करे, राज्य की पूरी ताकत के साथ, है ना?
आपको बता दें, राहुल गांधी का कहना है कि इन गड़बड़ियों के ज़रिए चुनाव परिणामों को प्रभावित किया जा रहा है और इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है। उनका आरोप है कि ये सारी अनियमितताएं चुनाव आयोग ने बीजेपी को जिताने की मंशा से की हैं।
A nagging question on @RahulGandhi ‘Atom Bomb’. If @ECISVEEP believes that Rahul Gandhi’s data/charges are false and misleading, then why doesn’t the ECI file a criminal complaint FIR and haul the Cong leader to court? After all, Rahul Gandhi has made his charges outside…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 7, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को चीन पर दिए बयान के लिए फटकार लगाई। प्रियंका गांधी ने जवाब में कहा कि न्यायपालिका तय नहीं कर सकती कौन सच्चा भारतीय है।
5 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को चीन-भारत सीमा विवाद (Border Dispute) पर की गई कथित टिप्पणी के लिए फटकार लगाई। राहुल गांधी ने पहले दावा किया था कि चीन (China) ने भारत की 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है, जिस पर अदालत ने नाराज़गी जताई।
इस पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने संसद परिसर में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'पूरे न्यायपालिका (Judiciary) के प्रति सम्मान के साथ, लेकिन यह तय करना उसका कार्य नहीं है कि कौन सच्चा भारतीय (True Indian) है और कौन नहीं।'
वहीं वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) ने इस मुद्दे पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को केवल अपने राजनीतिक लाभ (Political Advantage) के हिसाब से स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, 'जब फैसला उनके पक्ष में होता है, तब यह सत्य की जीत (Victory of Truth) बन जाता है, और जब नहीं होता, तो वे अदालत की आलोचना करने लगते हैं।'
आपको बता दें, प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल का बचाव करते हुए यह स्पष्ट किया कि उनका बयान केवल सीमा पर स्थिति को लेकर सरकार की जवाबदेही (Accountability) तय करने के लिए था। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी हमेशा भारतीय सेना (Indian Army) का सम्मान करते हैं और यह आरोप सरासर गलत प्रस्तुतीकरण (Misrepresentation) का नतीजा है।
कांग्रेस और विपक्षी दल अपनी सहूलियत के हिसाब से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सम्मान देते है। जब फैसला उनके पक्ष में आता है तब वो इसे सत्य की जीत बताते हैं और जब फैसला उनके विरोध में आता है तो इससे नाराज हो जाते हैं। राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद प्रियंका गांधी का… pic.twitter.com/RN5q1qllxt
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) August 6, 2025