बिहार फ़िलहाल पत्रकारों के लिए एक्सक्लूसिव कवरेज करने और सिस्टम पर गुस्सा निकालने की वजह बना हुआ है
बिहार फ़िलहाल पत्रकारों के लिए एक्सक्लूसिव कवरेज करने और सिस्टम पर गुस्सा निकालने की वजह बना हुआ है। तमाम टीवी चैनलों के पत्रकार मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कालेज अस्पताल का चक्कर लगाकर आ रहे हैं, जहाँ बच्चों का इलाज चल रहा है।
आजतक की स्टार एंकर अंजना ओम कश्यप भी मंगलवार को अस्पताल पहुंची थीं। यहां उन्होंने न केवल पीड़ित परिवारों का दर्द दिखाया, बल्कि राज्य सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किये। अपनी स्टोरी को मार्मिक रूप देने के लिए अंजना बोलते-बोलते इमोशनल भी हुईं, कई दफा उनका गला भी भर आया। यहां तक सबकुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसे लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर निशाना बनाया जा रहा है।
गौर करने वाली बात यह है कि निशाना बनाने वालों में कोई और नहीं बल्कि अंजना की बिरादरी के लोग यानी पत्रकार ही हैं। दरअसल, अंजना ने अपने सवाल-जवाब के लिए काफी देर तक ऑन ड्यूटी डॉक्टर को रोके रखा, उनसे बेहद तल्ख़ सवाल किये। वो शायद यह भूल गईं कि डॉक्टर के पास हर सवाल के जवाब नहीं हो सकते। फिर भी अंजना को अपने सवालों के जवाब मिले, मगर उनका गुस्सा कम नहीं हुआ। जैसे ही डॉक्टर स्ट्रेचर पर ले जाए जा रहे एक मरीज की ओर मुड़े उन्होंने अफसरी अंदाज़ में कहा ‘अब जाकर क्या करियेगा, अभी-अभी मुख्यमंत्री यहां से गए हैं, तब ये हाल है। अगर मैं माइक ऑन नहीं करती साहब, तो आप एक घंटे तक मरीज को मुड़कर नहीं देखते’। अंजना के इस अंदाज़ पर डॉक्टर भी खफा हो गए, उन्होंने भी गुस्से में कहा ‘क्या बात कर रहीं हैं आप, मैं राउंड पर था। क्या मैं यहां बैठा हूं’? इसके बाद भी अंजना अपने सवाल दागती रहीं। यही बात लोगों खासकर अन्य पत्रकारों को पसंद नहीं आ रही है।
वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष ने अंजना ओम कश्यप के बारे में ट्वीट किया है ‘यह महिला लगातार पत्रकारिता को एक गलत नाम देती आ रही है। इन्हें आम नागरिकों को धमकाने और नेताओं की खुशामद करने के लिए पहचाना जाता है। बेहद निंदनीय’।
इसी तरह, एनडीटीवी की पत्रकार कादम्बनी शर्मा ने लिखा है ‘ICU में जाकर नौटंकी एंकरिंग करने से,डॉक्टरों पर चिल्लाने से अगर बच्चे ठीक हो जाते तो यही दवाई लिखी जाती। ऐसी रिपोर्टिंग ग़लत और घटिया है’। वहीं, रोहणी सिंह ने डॉक्टर के साथ अंजना के दुर्व्यवहार के लिए आजतक से माफ़ी मांगने को कहा है। उन्होंने ट्वीट किया ‘मुझे लगता है कि @IndiaToday को अपनी स्टार रिपोर्टर द्वारा अस्पताल के डॉक्टरों के साथ किये गए बर्ताब के लिए माफी मांगनी चाहिए। पत्रकारों को इस तरह की आक्रामकता उन क्रिकेट प्रेमी नेताओं के लिए बचाकर रखनी चाहिए, जो अस्पताल की बुनियादी सुविधाओं के लिए जिम्मेदार हैं। क्या डॉक्टर और नर्स अपनी पूरी कोशिश नहीं कर रहे हैं’।
अंजना पर निशाना साधने वालों में वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता भी शामिल रहे। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर अंजना का नाम नहीं लिया, लेकिन निशाने पर वही थीं। उन्होंने ट्वीट किया ‘उन डॉक्टरों को परेशान करना जो कई रातों से सोये भी नहीं हैं, न तो मीडिया की स्वतंत्रता के तहत आता है और न ही ये मीडिया का अधिकार है। इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार को आईसीयू में घुसकर डॉक्टर के मुंह पर माइक लगाकर उन बातों के बारे में स्पष्टीकरण मांगते देखना जिसके उसका कोई नाता नहीं, बेहद दुखदाई है।’
इसी तरह लेखक और पूर्व पत्रकार Shubhrastha ने भी अंजना को खरी-खोटी सुनाई हैं। उन्होंने लिखा है ‘तुम्हें शर्म आनी चाहिए अंजना। जिस तरह तुमने अस्पताल के डॉक्टर और नर्सों के साथ व्यवहार किया वह देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया। यह पत्रकारिता के मुंह पर तमाचे की तरह है।’
डॉक्टर कफील खान ने भी अंजना के अंदाज़ पर ऊँगली उठाई है। उन्होंने लिखा है ‘यह @aajtak @anjanaomkashyap रिपोर्टिंग है। इस तरह का मीडिया डॉक्टर के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देता है। क्या बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना भी अब डॉक्टर की जिम्मेदारी है? डॉक्टर मरीज का अनुपात देखें? 100 मरीजों के भर्ती होने पर 1 डॉक्टर क्या कर सकता है’?
अपने ऊपर हो रहे लगातार हमलों का अंजना ने भी अब जवाब दिया है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं और जो उन्होंने किया वह बार-बार करती रहेंगी। अंजना ने ट्वीट करके कहा है कि ‘अस्पताल में अप्रबंधन और बेरुखी का सच सामने लाना ज़रूरी था,है,रहेगा। ICU में आए बच्चों को अटेंडे करना ज़रूरी था,है,रहेगा। प्रोपोगेंडा वाले आज 108बच्चों की मौत भूल गए। डॉक्टर के लिए मगरमच्छी सहानुभूति दिखाने वालों, हेकलिंग का प्रपोगैंडा बंद करिए,फिर याद दिला दूँ-अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है।’ अब यहाँ कौन सही है और कौन नहीं यह बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन इतना ज़रूर है कि अंजना को अफसरों की तरह पेश नहीं आना चाहिए था। पत्रकार सवाल कर सकता है, यह उसका अधिकार है, लेकिन सवाल पूछने की भी मर्यादा होती है।
नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए।
नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है क्योंकि देशभर में फैला जनाक्रोश हिंसक रूप ले चुका है। काठमांडू से लेकर पोखरा तक भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई से नाराज़ युवा सड़कों पर उतर आए। खास तौर पर सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध ने इस गुस्से को और भड़का दिया।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपने मन की बात कही। उन्होंने लिखा, नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए। यही कारण है कि आज़ादी के बाद से हमारे यहाँ स्थिरता रही है जबकि पड़ोसी देशों में उथलपुथल होती रही है।
आपको बता दें, असल में यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया का नहीं बल्कि लंबे समय से चले आ रहे भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और युवाओं की हताशा का नतीजा है। नेपाल का यह ‘Gen-Z मूवमेंट’ देश के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकता हैं।
नेपाल में सड़कों पर अराजकता चिंता का कारण होना चाहिए लेकिन यहाँ कुछ लोग इस इंतज़ार में बैठे हैं कि भारत में ऐसा कब होगा? सत्ता परिवर्तन का मार्ग लोकतांत्रिक होना चाहिए. यही कारण है कि आज़ादी के बाद से हमारे यहाँ स्थिरता रही है जबकि पड़ोसी देशों में उथलपुथल होती रही है.
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) September 10, 2025
सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के प्रस्ताव के बाद Gen-Z का एक गुट बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग लेकर सेना मुख्यालय पहुंचा।
नेपाल में भ्रष्टाचार और इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ Gen-Z के हिंसक प्रदर्शनों के बाद सेना ने सुरक्षा संभाली है। कर्फ्यू लगा दिया गया है और सड़कों पर सेना गश्त कर रही है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला समूह के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, नेपाल की दुर्दशा के लिये वो कम्युनिस्ट -माओवादी नेता ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं जिन्हें 1990 से मार्क्सवादी विचारधारा के उभार के दौर में जनता ने मुक्ति का मसीहा माना और एक एक करके सबको सत्ता सौंपी लेकिन अपने निजी स्वार्थों में उलझ कर वो न देश को स्थिर सरकार दे सके न लोकतंत्र बचा सके।
आगे उन्होंने लिखा, 1990 के बाद मैं काठमांडू समेत नेपाल के दूरदराज़ इलाक़ों में भी गया। नेपाली कांग्रेस की लोकप्रियता घट चुकी थी कम्युनिस्ट विकल्प बन रहे थे।लेकिन मनमोहन अधिकारी माधव नेपाल प्रचंड बाबूराम भट्टराई केपी शर्मा ओली के सारे वामपंथी प्रयोगों की विफलता ने नेपाल को अंधे कुएँ में धकेल दिया।
आपको बता दें, सेना की मध्यस्थता के बाद Gen-Z प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों की बैठक में अंतरिम सरकार के गठन पर सहमति बन गई है। इसमें नेपाल की पूर्व एवं प्रथम महिला न्यायाधीश सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव है।
1990 के बाद मैं काठमांडू समेत नेपाल के दूरदराज़ इलाक़ों में भी गया ।नेपाली कांग्रेस की लोकप्रियता घट चुकी थी कम्युनिस्ट विकल्प बन रहे थे।लेकिन मनमोहन अधिकारी माधव नेपाल प्रचंड बाबूराम भट्टराई केपी शर्मा ओली के सारे वामपंथी प्रयोगों की विफलता ने नेपाल को अंधे कुएँ में धकेल दिया। https://t.co/yepDqDUiYL
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) September 10, 2025
डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है। स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं। सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। वहीं इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। इस बड़ी जीत के साथ सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर कहा कि अब लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी हो जाए। उन्होंने लिखा, लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए।
पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
आपको बता दें, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 लोकसभा के उपाध्यक्ष का उल्लेख है। अनुच्छेद 93 के मुताबिक, लोकसभा के सदस्य दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेंगे। अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा।
डिप्टी स्पीकर चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा लोकसभा स्पीकर का चुनाव करने के तुरंत बाद ही किया जाता है। लोकसभा अध्यक्ष ही उपाध्यक्ष के चुनाव तारीख तय करता है। डिप्टी स्पीकर का चुनाव सामान्य तौर पर दूसरे सत्र में होता है।स्पीकर का पद रिक्त होता है या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित होते हैं, तब उप-सभापति ही कामकाज संभालता है।
लगे हाथ लोक सभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी करा लेना चाहिए। पिछले छह वर्षों से खाली है यह पद। संसदीय इतिहास में इतने लंबे समय तक यह पद रिक्त नहीं रहा है। जबकि संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोक सभा जितना जल्दी हो सके, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करे।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) September 9, 2025
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया। भारत-नेपाल की 1,751 किमी लंबी सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया।
पिछले दो दिनों से नेपाल के कई इलाकों में तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। उग्र भीड़ ने कई सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एक जैसा ही पैटर्न दिखा। एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया। यह महज संयोग नहीं हो सकता। ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है।
आपको बता दें, हिंसक प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बीच भारत ने मंगलवार को बयान जारी कर अपने नागरिकों से सतर्क रहने और नेपाली अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल में रहने वाले भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी कदमों और दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए एकसा ही पैटर्न दिखा --- एक साथ लाखों लोग सड़क पर आये और बहुत थोड़े से समय में पूरा देश उनके कब्जे में आ गया ---यह महज संयोग नहीं हो सकता ---- ये एक ही डिज़ाइन इन तीनों देशों में जमीन पर उतारी गई है ----
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 9, 2025
गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।
नेपाल में भारी हंगामे और हिंसक प्रदर्शनों के बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन को तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। यह फैसला सोमवार को हुई झड़पों में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा के घायल होने के बाद लिया गया, जिसमें मुख्य रूप से युवा (जेन-जेड) प्रदर्शनकारी शामिल थे।
संचार मंत्री प्रिथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया कि इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग के बाद यह निर्णय लिया गया, और अब फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब सहित सभी प्रमुख ऐप्स फिर से चालू हो चुके हैं। यह बैन 4 सितंबर को लगाया गया था, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को दबाना था। लेकिन इससे उल्टा असर हुआ।
युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और पूरे देश में सड़कों पर उतर आए। काठमांडू में संसद भवन के बाहर हजारों प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़त ली, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि न केवल सोशल मीडिया बैन हटाया जाए, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को हटाया जाए।
इस हिंसा में 19 मौतें हुईं, जिनमें ज्यादातर युवा थे, और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। गृह मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉकेज किए, कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन युवाओं की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बैन हटना भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक सुधारों की शुरुआत है?
इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
जीएसटी की दरों में बदलाव की खबर इस हफ्ते सुर्खियों में रही। जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले कर ढांचों को खत्म कर दिया गया। जीएसटी दरों में हुए बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी बयानबाजी भी जारी है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अमर उजाला डिजिटल के साप्ताहिक कार्यक्रम 'खबरों के खिलाड़ी' में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा।
इस सियासत को मैं गलत नहीं मानता हूं। इस कदम का स्वागत कौन नहीं करेगा। असल बात ये है कि क्या इसका पूरा लाभ उपभोक्ता तक पहुंचेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देखिए, जिस रूसी तेल की वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है उसका लाभ कौन ले रहा है?
कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं और आम आदमी को पेट्रोल डीजल पर आज भी उतना ही पैसा देना पड़ रहा है। आपको बता दें, भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सबसे बड़ा कर सुधार कहा गया, लेकिन इसके लागू होने से पहले और बाद में यह सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया। यूपीए सरकार की पहल से लेकर एनडीए सरकार की लॉन्चिंग तक, इस पर लगातार राजनीतिक खींचतान चलती रही है।
इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर पाकिस्तान को उच्च स्तर के बाढ़-जल प्रवाह डाटा साझा कर रहा है। वो भी उसी समय जब इंडस वाटर ट्रीटी (IWT) निलंबित है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने लिखा, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को खुद से निरस्त करने का ऐलान किया था। भारत ने साफ कहा था कि जहाँ चाहेंगे, बाँध बनाएंगे, जब चाहेंगे पानी छोड़ेंगे और इस संबंध में पाकिस्तान के साथ कोई जानकारी साझा नहीं करेंगे। यह घोषणा इसी साल मई में की गई थी।
लेकिन अब, यानी सितंबर 2025 (सिर्फ तीन महीने बाद), भारत मानवीय आधार पर इंडस नदी में संभावित बाढ़ से होने वाले नुकसान की जानकारी पाकिस्तान को पहले से दे रहा है, ताकि पाकिस्तान की जनता को नुकसान न हो। वहीं, क्रिकेट को लेकर भारत का रुख भी दिलचस्प है। भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय सीरीज खेलने से इनकार कर दिया है, आतंकी हमलों को वजह बताते हुए।
लेकिन जब बात मल्टी-नेशन टूर्नामेंट की आती है, तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को तैयार रहता है। इस सबके बीच यह सवाल उठता है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति आखिर है क्या? विदेश मंत्रालय (MEA) क्या इस पर स्पष्ट रुख रखता है?
और सबसे अहम सवाल -क्या हम, भारतीय नागरिक, सरकार के इस रुख के बारे में जान सकते हैं? आपको बता दें, MEA के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया, हमारे उच्चायोग और अन्य कूटनीतिक माध्यमों के जरिए जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान को बाढ़ से संबंधित डेटा उपलब्ध करा रहे हैं। यह कदम मानवीय आधार पर उठाया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने Indus Water Treaty, खुद से निरस्त करने का ऐलान किया। भारत ने दावा किया कि जहाँ चाहेगे, बंध बनायेंगे। जब चाहेंगे, पानी छोडेंगे। कोई जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा नहीं करेंगे। ये बाते इसी साल, मई में कही गई।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) September 5, 2025
अब, यानि सितंबर 2025 (3 महीने बाद),… https://t.co/HGIayKq5xl
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया। अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महान शिक्षाविद और देश के पूर्व राष्ट्रपति एस.राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया। लोक भवन में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने घोषणा की कि अब सभी शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना का लाभ शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को भी मिलेगा।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट करते हुए अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों के घर की देहरी पर दिवाली से पहले ही खुशियों का दिया जला दिया।
अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। इस दायरे में शिक्षामित्र, अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किए गए हैं। मैं सचमुच भावुक हूँ, क्योंकि यह सुविधा लाखों परिवारों को निश्चिंतता और सुरक्षा प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का मैं हृदय से व्यक्तिगत आभार व्यक्त करता हूँ।
आपको बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित 81 शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्हाेंने बेसिक शिक्षा विभाग के 66 और माध्यमिक शिक्षा विभाग के 15 शिक्षकाे काे सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज राज्य के 9 लाख शिक्षकों की देहरी पर दिवाली से पहले ही दिवाली का दिया आलोकित कर दिया --अब शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी --- इस परिधि में शिक्षामित्र,अनुदेशक और रसोइया भी शामिल किया गए हैं --- मैं भावुक हो रहा , यह सुविधा लाखों…
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) September 5, 2025
इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
केंद्र सरकार ने जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य (0%) कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बहुत अच्छी खबर -जीवनरक्षक कैंसर दवाइयों और रेयर मेडिसिन्स पर अब जीएसटी शून्य। पहले यह 12% था।
यह कदम पहले ही उठ जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। अगली चुनौती है कि ये दवाइयां हर जरूरतमंद तक उपलब्ध हों। सरकार के इस फैसले से देशभर में लाखों मरीजों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब इन महंगी दवाइयों की कीमतें कम होंगी और उपचार का आर्थिक बोझ कुछ हद तक घटेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि सिर्फ टैक्स में छूट काफी नहीं है। इन दवाइयों की उपलब्धता और सभी तक पहुंच सुनिश्चित करना अगला बड़ा कदम होना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां दवाइयों की कमी और इलाज की सुविधाओं का अभाव रहता है।
Very good news: zero tax on life saving cancer drugs and rare medicines. From 12% to zero per cent. Well done @nsitharaman @narendramodi . Yes, should have happened much earlier (as should have NO GST on health and life insurance) but better later than never. Next challenge is…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 4, 2025
क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जोधपुर में शुक्रवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें भाजपा विश्व हिंदू परिषद स्वदेशी जागरण मंच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संस्कार भारत सेवा भारती मजदूर संगठन प्रमुख हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे। दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषयों पर निर्णायक सहमति बन सकती है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।
तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के 320 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। बीजेपी ने अभी तक अपना नया अध्यक्ष तय नहीं किया है। क्या नड्डा जी इस बैठक में मोदी जी का संदेश लेकर गए हैं, या संघ से कोई कड़ा संदेश लेकर लौटेंगे? मोहन भागवत ने दिल्ली में साफ कर दिया था कि संघ को बीजेपी अध्यक्ष चुनना होता तो इतना समय नहीं लगता। मतलब साफ संदेश है कि हमारी दी हुई सलाह पर निर्णय बीजेपी को करना है। हमारी सलाह को माने या अपने मनमानी का फैसला ले, लेकिन अध्यक्ष को लेकर निर्णय ले।
अटकाने, लटकाने, भटकाने की जरूरत नहीं है। बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के पास बीजेपी अध्यक्ष को लेकर 10 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तक का ही समय है। 9 सितंबर को उप राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा। उसके बाद 28 सितंबर के आसपास बिहार चुनाव की अधिसूचना लगने की संभावना है, ऐसे में सिर्फ 15-17 दिन का वक्त ही है जिसमें बीजेपी अपना नया अध्यक्ष चुन सकती है।
क्या नड्डा जी मोहन भागवत को यह संदेश देने गए हैं कि नया अध्यक्ष अब बिहार चुनाव के बाद मिलेगा, या यह भरोसा देकर लौटेंगे कि इसी सितंबर माह में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। नया अध्यक्ष बीजेपी को मिलना तय है, लेकिन क्या यह भी तय है कि नया अध्यक्ष संघ की पसंद का होगा?
मामला पेचीदा और फंसा हुआ है। क्या मामला सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है? समन्वय बैठक में कोई समन्वय होता है या स्थिति जस की तस रहती है? फैसला होगा और जरूर होगा, किसके हित में होता है यह देखना बाकी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आज से जोधपुर में शुरू हो रही है।बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जोधपुर की इस बैठक में शामिल होंगे।
— sameer chougaonkar (@semeerc) September 5, 2025
दिल्ली में मोहन भागवत के बौद्धिक के तुरंत बाद हो रही इस बैठक में कई विषय पर निर्णायक सहमति बन सकती है।जिसका असर…