टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है।
कंचन श्रीवास्तव।।
टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है। यह कदम न केवल प्रिंट पोर्टफोलियो को नई ऊर्जा देने की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि इस बात का संकेत भी है कि ग्रुप को अब भी अपने मजबूत पाठक आधार और शहरी ब्रैंड की गहराई पर पूरा भरोसा है।
कंपनी के अधिकारियों ने एक्सचेंज4मीडिया से इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि ग्रुप 'मुंबई मिरर' को फिर से दैनिक अखबार के रूप में ला रहा है। यह पांच साल पहले एक बेहद पसंद किया जाने वाला प्रोडक्ट था और यह हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत हम अपने पूरे पोर्टफोलियो में नई गति लाने की कोशिश कर रहे हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि एक महीने के भीतर पूर्ण पैमाने पर इसके पुनः लॉन्च होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि नए संस्करण की एडिटोरियल जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी। जब 'मुंबई मिरर' को 2020 में बंद किया गया था, उस समय मीनल बघेल इसकी एडिटर थीं। वर्तमान में वे मुंबई में टहिन्दुस्तान टाइम्सट की रेजिडेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं।
2020 के बाद से इसका संडे एडिशन लगातार जारी रहा, लेकिन दैनिक संस्करण की वापसी सिर्फ पुरानी यादों तक सीमित नहीं है। यह टाइम्स ग्रुप की एक बड़ी और बहुआयामी विकास योजना का हिस्सा है, जिसमें डिजिटल, इवेंट्स और कंटेंट-बेस्ड वर्टिकल्स में नए सिरे से निवेश की योजना भी शामिल है। सूत्रों का मानना है कि ग्रुप कुछ पहले बंद की गई पहलों को भी फिर से शुरू कर सकता है।
e4m ने टाइम्स ग्रुप के प्रेसिडेंट एंड हेड ऑफ रिस्पॉन्स सुरिंदर चावला से भी संपर्क किया है। उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा।
29 मई 2005 को गेटवे ऑफ इंडिया पर भव्य अंदाज में लॉन्च हुआ था 'मुंबई मिरर'। आतिशबाजी, लेजर शो और तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख व अभिनेता अभिषेक बच्चन की उपस्थिति ने इसे खास बना दिया।
उस समय मुंबई के प्रिंट मीडिया क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो रहा था। हिन्दुस्तान टाइम्स अपनी मुंबई एंट्री की तैयारी कर रहा था, जबकि दैनिक भास्कर और जी ग्रुप मिलकर DNA अखबार लाने की योजना में थे। ऐसे माहौल में टाइम्स ग्रुप ने TOI को प्रतिस्पर्धा से सुरक्षित रखने के लिए एक धारदार, शहरी टैब्लॉयड उतारने का फैसला किया।
लेकिन 'मुंबई मिरर' जल्द ही अपनी अलग पहचान और ताकतवर उपस्थिति के लिए जाना जाने लगा। सिर्फ छह साल में 200 करोड़ रुपये का ब्रैंड बन गया था, जैसा कि 2012 में उस समय के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट (रेस्पॉन्स) भास्कर दास ने कहा था।
लॉन्च के दिन ही 'मुंबई मिरर' मुंबई में दूसरा सबसे ज्यादा छपने वाला अखबार बन गया था, जिसकी प्रिंट रन दो लाख कॉपियों की थी। इसकी तेज हेडलाइंस, नागरिक केंद्रित पत्रकारिता और आसान फॉर्मेट ने इसे मुंबई के पाठकों में बेहद लोकप्रिय बना दिया।
विनीत जैन ने उस समय कहा था, “यह प्रिंट मार्केट के कुल विस्तार की ओर ले जाएगा—और अगर आंतरिक प्रतिस्पर्धा होती भी है, तो वह स्वस्थ है।”
TOI के साथ फ्री में बंटना शुरू हुआ यह टैब्लॉयड बाद में पुणे, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे शहरों तक पहुंचा। हालांकि, दिसंबर 2020 में महामारी के आर्थिक दबाव के बीच, ग्रुप ने दैनिक संस्करण को स्थगित करने का ऐलान किया। स्टाफ को सूचित किया गया कि अखबार दो हफ्तों में बंद कर दिया जाएगा।
यह वही समय था जब टाइम्स ग्रुप को वित्त वर्ष 2020 में ₹451 करोड़ का घाटा हुआ था, जबकि पिछले साल उसने ₹484 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया था।
'मुंबई मिरर' की यह वापसी सिर्फ एक अखबार की नहीं, बल्कि एक ऐसे दौर की है जिसने मुंबई की पत्रकारिता को नजदीक से देखा, छुआ और बदला भी। अब देखना होगा कि यह नई शुरुआत पुराने तेवर और नई सोच के साथ कैसा असर छोड़ती है।
इंडिया टुडे मैगजींस के CEO मनोज शर्मा ने आज ‘दि इम्पीरियल’ होटल में चल रहे इंडियन मैगजीन कांग्रेस 2025 में अपने संबोधन के दौरान मैगजीन इंडस्ट्री के बदलते दौर, चुनौतियों और नए अवसरों पर खुलकर चर्चा की।
इंडिया टुडे मैगजींस के CEO मनोज शर्मा ने आज ‘दि इम्पीरियल’ होटल में चल रहे इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 में अपने संबोधन के दौरान मैगजीन इंडस्ट्री के बदलते दौर, चुनौतियों और नए अवसरों पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “छोटा ही सुंदर है” और यह सिद्धांत आज के मीडिया परिदृश्य में गहराई से लागू होता है, जहां छोटी लेकिन अर्थपूर्ण और गहरी जुड़ाव वाली कम्युनिटीज ही असली ताकत हैं।
शर्मा ने अपने संबोधन की शुरुआत हल्के-फुल्के अंदाज में करते हुए कहा कि तकनीकी सत्र के बाद वे सबकुछ सरल बनाकर छोटे हिस्सों में तोड़ना चाहते हैं, यानी “पैसा कमाना आसान कैसे बनाएं।” उन्होंने दर्शकों से सवाल किया कि जीवन में सबसे बड़ा डर किस चीज का होता है? जवाब आया- “मृत्यु।” उन्होंने इसे मीडिया इंडस्ट्री की ‘पब्लिकेशन के बंद होने’ वाली स्थिति से जोड़ा और कहा कि प्रोफेशन जीवन में भी जब किसी माध्यम की ‘मौत’ का खतरा होता है, तो हमें बचने के लिए खुद को फिर से गढ़ना और इनोवेशन करना पड़ता है।
टीवी से लेकर डिजिटल तक- हर दौर में लड़ाई और पुनर्जन्म
मनोज शर्मा ने याद किया कि पिछले 15–20 वर्षों में टीवी, रेडियो और अब डिजिटल के ‘ऑनस्लॉट’ के बावजूद मैगजीन इंडस्ट्री ने बार-बार अपने अस्तित्व को साबित किया है। उन्होंने कहा, “मार्केट में हम रोज रिजेक्शन झेलते हैं, लेकिन हर बार कुछ सीखकर लौटते हैं और नए समाधान निकालते हैं।”
उन्होंने बताया कि आज भी 90% लोग मानते हैं कि मैगजीन बची रहेंगी और यदि हम रीइमैजिन करते रहें तो न सिर्फ बचेंगी बल्कि फले-फूलेंगी। उन्होंने प्रिंट और डिजिटल के संयोजन को ‘डेडली कॉम्बिनेशन’ बताते हुए कहा कि प्रिंट विश्वसनीयता देता है और डिजिटल व्यापक पहुंच।
कोविड के दौरान नहीं मानी हार
कोविड-19 काल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनके चेयरमैन अरुण पुरी ने साफ निर्देश दिए कि “इंडिया टुडे का एक भी अंक छूटना नहीं चाहिए।” उस समय पैसेंजर और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज बंद होने के बावजूद उन्होंने कार्गो एयरलाइंस से तीन गुना किराया देकर मैगजीन पांच मेट्रो शहरों में पहुंचाई और वहां से आगे डिस्ट्रीब्यूट की। चूंकि दुकानें बंद थीं, उन्होंने मेडिकल स्टोर्स, दूध बूथ और किराना दुकानों के जरिए मुफ्त कॉपियां बांटी। एजेंट्स की सुरक्षा के लिए मास्क, फेस शील्ड और डिसइंफेक्टेंट तक दिए। इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि प्री-कोविड ढांचे में लागत बहुत अधिक है, इसलिए कॉस्ट मॉडल को पुनर्गठित किया गया और कवर प्राइस तीन बार बढ़ाई गई। नतीजतन अब हर कॉपी ‘कॉस्ट प्लस’ पर बिकती है और घाटा नहीं होता।
डिजिटल थकान, भरोसे का संकट और प्रिंट का महत्व
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान लोगों में डिजिटल और टीवी से थकान पैदा हुई और स्क्रीन टाइम के नुकसान को लेकर जागरूकता बढ़ी। कई देशों (जैसे ऑस्ट्रेलिया) ने स्कूलों में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया है। डिजिटल के ‘ट्रस्ट डेफिसिट’ और ‘इको चैंबर’ इफेक्ट के बीच प्रिंट ही वह माध्यम है जो पाठकों को संपूर्ण और संतुलित दृष्टिकोण देता है।
राजस्व में जबरदस्त वापसी
शर्मा ने गर्व से कहा कि कोविड के चार साल बाद उनकी सर्कुलेशन वैल्यू 2019–20 के मुकाबले 15% बढ़ी है, फिजिकल डिस्ट्रीब्यूशन 8 गुना बढ़ा है और विज्ञापन सेगमेंट में चार वर्षों में औसतन 18% वार्षिक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “सिर्फ इंडिया टुडे का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक है और बिजनेस टुडे व कॉस्मोपॉलिटन जोड़ दें तो यह 150 करोड़ पार हो जाता है, जो कि पूरे इंग्लिश न्यूज टीवी जॉनर (350 करोड़) के लगभग आधे के बराबर है।”
कम्युनिटी बिल्डिंग और IP क्रिएशन से सफलता
उन्होंने कहा कि राजस्व का सबसे सरल फॉर्मूला है- किसी सेक्टर को पहचानो, उसके इर्द-गिर्द गहरी और अर्थपूर्ण कंटेंट बनाकर कम्युनिटी तैयार करो और फिर विज्ञापनदाताओं को उससे जोड़ो। उदाहरण के तौर पर उन्होंने ‘इंडिया टुडे एडवांटेज’ नामक स्कूल-केंद्रित मैगजीन लॉन्च की, जो 14–18 वर्ष आयु के लिए इंडिया टुडे की अपॉलिटिकल व ज्ञान-आधारित कंटेंट को दोबारा लिखकर प्रस्तुत करती है। यह आज 1,50,000 से अधिक सब्सक्रिप्शन के साथ हजार से अधिक स्कूलों में पहुंच चुकी है, और सर्वे में 79.5% छात्रों ने इसे कवर-टू-कवर पढ़ने की बात कही।
शर्मा ने कहा कि पिछले 15 वर्षों से चल रहे कॉलेज रैंकिंग प्रोजेक्ट को डिजिटल रूप दिया गया, जिसमें पिछले 5–6 वर्षों का डेटा डायनेमिक वेबसाइट पर उपलब्ध है ताकि छात्र कॉलेजों की प्रगति देख सकें।
उन्होंने बताया कि ऑटो सेक्टर से चार साल पहले की तुलना में पांच गुना राजस्व हो रहा है, जबकि ट्रैवल रिपोर्ट शुरू करने के बाद यह वर्टिकल अब इंडिया टुडे राजस्व का 5% योगदान देता है।
उन्होंने कहा कि अवसर सिर्फ देश में नहीं, बाहर भी हैं। जापान के साथ पहले इंडो-जापान समिट और फिर दुबई में इंडो-UAE कॉन्क्लेव आयोजित कर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग व व्यापारिक संवाद को बढ़ावा दिया और साथ ही राजस्व भी कमाया।
उन्होंने HR कम्युनिटी से जोड़ने के लिए विश्वविद्यालयों के लिए HR राउंडटेबल और समिट आयोजित किए, जो उनके लिए नया और लाभदायक राजस्व स्रोत बना।
क्रिएटिव कैंपेन और ब्रैंड प्रमोशन
ग्रीन ड्राइव जैसे अभियानों के जरिए कार ब्रैंड्स के साथ साझेदारी की, जिसमें देशभर में SUVs चलाई गईं, 75,000 पेड़ लगाए गए और कंटेंट को डिजिटल, सोशल व प्रिंट में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।
अपने संबोधन के अंत में मनोज शर्मा ने कहा, “यदि आप अवसरों को सूंघकर पकड़ लेते हैं, तो उनसे पैसा जरूर बनाया जा सकता है। इंडस्ट्री में समाधान प्रदाता के तौर पर जाएँ, तभी राजस्व और मार्केट हिस्सेदारी बनाए रखी जा सकती है।”
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इंडिया टुडे ग्रुप के सर्कुलेशन डायरेक्टर दीपक भट्ट ने मैगजीन डिस्ट्रीब्यूशन और सेल्स में डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती भूमिका, पोस्ट-कोविड उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलाव और भविष्य की रणनीतियों पर बात की।
इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 के दौरान ‘दि इम्पीरियल’ होटल में आयोजित सत्र में इंडिया टुडे ग्रुप के सर्कुलेशन डायरेक्टर दीपक भट्ट ने मैगजीन डिस्ट्रीब्यूशन और सेल्स में डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती भूमिका, पोस्ट-कोविड उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलाव और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तार से बात की।
उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया कि इंडिया टुडे ने एक दिन भी प्रिंटिंग बंद नहीं की, लेकिन पहले ही साल में उपभोक्ता आदतों में बड़ा बदलाव दिखा। लोग न केवल मैगजीन बल्कि दूध, किराना और कई ऐसे प्रॉडक्ट्स जिन्हें पहले डिजिटल माध्यम से नहीं खरीदा जाता था, अब ऑनलाइन ऑर्डर करने लगे। उन्होंने कहा, “तब हमने सोचा कि क्यों न मैगजीन को भी उसी तरीके से उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए ग्रुप ने अपने डिस्ट्रीब्यूशन प्रोसेस को पूरी तरह रीवैंप किया।”
एक हालिया मैकिंजी सर्वे का हवाला देते हुए भट्ट ने बताया कि अब 10 में से 5 भारतीय प्रोडक्ट खरीदने से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके तय करते हैं कि क्या खरीदना है। साथ ही, एक औसत उपभोक्ता के पास सप्ताह में ‘पैशनेट प्रोडक्ट्स’ (रुचि-आधारित प्रोडक्ट्स) पर खर्च करने के लिए तीन घंटे अधिक हैं, जो कोविड-पूर्व की तुलना में काफी वृद्धि है।
सर्वे में यह भी सामने आया कि स्पीड, कम लागत, विश्वसनीय डिलीवरी और रिटर्न की सुविधा उपभोक्ता के लिए बेहद अहम है और मैगजीन सेक्टर में यह कमी थी। इसी सोच से ग्रुप ने डिजिटल सेल्स पर जोर दिया।
भट्ट ने कहा, “कोविड से पहले डिजिटल सेल्स हमारे कुल बिजनेस का सिर्फ 1% थीं, जो अब बढ़कर 18% हो चुकी हैं।” उन्होंने डिजिटल सेल्स को तीन कैटेगरी में बांटा-
ई-कॉमर्स
क्विक कॉमर्स
प्रिंट-ऑन-डिमांड
ई-कॉमर्स में 400% ग्रोथ
ई-कॉमर्स की बात करते हुए उन्होंने बताया कि पोस्ट-कोविड में इस चैनल में करीब 400% की वृद्धि हुई है, जिसमें एमेजॉन ने अहम भूमिका निभाई। पहले सिर्फ कवर फोटो और सिंगल प्रोडक्ट लिस्टिंग होती थी, अब हर इश्यू के 7-8 मुख्य आर्टिकल विजुअल फॉर्मेट में डिटेल के साथ लिस्ट किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि अब एमेजॉन पर India Today का स्टोर पेज भी है, जहां सभी मैगजीन एक जगह उपलब्ध हैं।
प्रमोशन के लिए प्रीमियम प्लेसमेंट, बैनर ऐड, सर्च ऑप्टिमाइजेशन और बुक्स से क्रॉस-प्रमोशन (जैसे मोदी पर किताब देखने पर India Today का बैनर) जैसी रणनीतियों ने ट्रैक्शन बढ़ाया। तीन साल की कोशिश के बाद एमेजॉन की ‘बुक्स’ होमपेज पर अब ‘मैगजीन’ कैटेगरी जोड़ी गई है, जिसमें फिलहाल सिर्फ India Today की मैगजीन हैं, लेकिन एमेजॉन चाहता है कि सभी पब्लिशर्स इसमें शामिल हों।
क्विक कॉमर्स: 10 मिनट में मैगजीन डिलीवरी
भट्ट ने बताया कि पोस्ट-कोविड लोग तुरंत डिलीवरी चाहते हैं, इसलिए Blinkit के साथ 10 मिनट में मैगजीन डिलीवरी शुरू की गई। अब यह सेवा 26 शहरों में है और पिछले दो साल में 5 गुना राजस्व वृद्धि हुई है। अब Zepto भी इस मॉडल में दिलचस्पी ले रहा है।
उन्होंने बताया कि रिटर्न मैनेजमेंट को लेकर ऑपरेशनल एक्सीलेंस विकसित की गई है, जैसे शुक्रवार रात प्रिंट हुई India Today को उसी रात 11 बजे तक डिलीवर कर देना और सभी शहरों में अगले दिन सुबह उपलब्ध करा देना। डैशबोर्ड से रोजाना ट्रैक करके रिटर्न रेशियो को स्वस्थ स्तर पर रखा गया है।
प्रिंट-ऑन-डिमांड: विदेशों में भी तीन दिन में डिलीवरी
दो महीने पहले शुरू हुई इस सेवा में Kindle Direct Publishing के जरिए अब India Today दुनिया भर में ऑर्डर की जा सकती है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति जर्मनी में बैठे-बैठे तीन दिन में प्रिंटेड कॉपी मंगवा सकता है। यह मैगजीन स्थानीय रूप से प्रिंट होकर डिलीवर होती है।
भट्ट ने सभी पब्लिशर्स को इस मॉडल में शामिल होने का निमंत्रण दिया और बताया कि लागत शून्य है, जबकि रॉयल्टी सीधे पब्लिशर को मिलती है।
भविष्य की दिशा
स्पीच के अंत में उन्होंने कहा,
“हमें अपने रीडर्स के पास जाना होगा, बजाय इसके कि वो हमारे पास आएं।”
“रीडर चाहे 10 मिनट में मैगजीन चाहता हो या विदेश में बैठे तीन दिन में, हमें वह सुविधा देनी होगी।”
“कम्युनिटीज बनाना, प्रीमियम अनुभव देना और लगातार इनोवेशन करना ही आगे का रास्ता है।”
उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी ने हमें यह सब करने की ताकत दी है, अब इसे और आगे ले जाना होगा।”
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इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) के अध्यक्ष एमवी श्रेयम्स कुमार ने कहा कि प्रिंट मीडिया समाप्त होने की ओर नहीं बढ़ रहा, बल्कि यह मीडिया मिक्स का एक अधिक मूल्यवान और अहम हिस्सा बनता जा रहा है।
दिल्ली में 8 अगस्त को आयोजित इंडियन मैगजीन कांग्रेस 2025 में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) के अध्यक्ष एमवी श्रेयम्स कुमार ने कहा कि प्रिंट मीडिया समाप्त होने की ओर नहीं बढ़ रहा, बल्कि यह मीडिया मिक्स का एक अधिक मूल्यवान और अहम हिस्सा बनता जा रहा है।
उन्होंने कहा, “प्रिंट कहीं गायब नहीं हो रहा है। बल्कि यह इंटीग्रेटेड मार्केटिंग रणनीतियों के जरिए नए रूपों को अपनाते हुए विकसित हो रहा है।” कुमार ने जोर देकर कहा कि आज भी प्रिंट का फोकस, भावनात्मक जुड़ाव और विश्वसनीयता अद्वितीय है। उन्होंने कहा, “प्रिंट वह भरोसा, फोकस, ध्यान और भावना देता है, जो स्क्रीन कभी नहीं दे सकती।”
हालांकि उन्होंने यह भी माना कि डिजिटल माध्यम तत्काल पहुंच और सटीक टार्गेटिंग की क्षमता रखता है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने प्रिंट में लोगों के विश्वास को प्रमुखता दी। उन्होंने केरल का एक उदाहरण साझा किया, जहां एक फीचर स्टोरी को पाठकों ने असली ख़बर समझ लिया। उन्होंने कहा, “जो कुछ भी प्रिंट में छपता है, उस पर लोग भरोसा करते हैं। अगर वही बात डिजिटल पर आती, तो शायद किसी ने उस पर ध्यान भी नहीं दिया होता।”
श्रेयम्स कुमार ने एक अहम आंकड़ा साझा करते हुए बताया कि एक औसत पाठक प्रिंट पब्लिकेशन पर 20 मिनट से ज्यादा समय बिताता है, जबकि डिजिटल कंटेंट पर यह समय पांच मिनट से भी कम होता है। उनके मुताबिक, यह दर्शाता है कि प्रिंट एक टिकाऊ और संवेदनात्मक अनुभव प्रदान करता है।
उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि प्रिंट विज्ञापन डिजिटल की तुलना में 20% अधिक मोटिवेशन और ब्रांड रिकॉल उत्पन्न करते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब प्रिंट और डिजिटल को मिलाकर विज्ञापन किया जाता है, तो उसकी प्रभावशीलता चार गुना तक बढ़ जाती है।
QR कोड जैसे टूल्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये माध्यमों के बीच की खाई को पाट सकते हैं। साथ ही उन्होंने मार्केट एक्सपर्ट्स से आग्रह किया कि वे प्रिंट को डिजिटल के पूरक के रूप में देखें, न कि केवल एक अलग माध्यम के रूप में। उन्होंने कहा, “स्मार्ट मार्केटर्स प्रिंट की अनूठी भूमिका को इंटीग्रेटेड कैंपेन में समझते हैं और उसका इस्तेमाल उसी दृष्टिकोण से करते हैं।”
श्रेयम्स कुमार ने एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस की ONDC और प्रसार भारती वेब OTT के साथ साझेदारी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह दिखाता है कि कैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग प्रिंट मैगजीन की बिक्री बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह इस बात का आदर्श उदाहरण है कि कैसे डिजिटल को समझदारी से प्रयोग में लाकर प्रिंट को मजबूत किया जा सकता है।”
अपनी बात समाप्त करते हुए श्रेयम्स कुमार ने कहा, “प्रिंट मैगजींस पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक नवाचारों के मेल से आगे बढ़ रही हैं और अपने पाठकों को दोबारा से जोड़ रही हैं।”
IMC के मौके पर 'दि इम्पीरियल' होटल में आयोजित सम्मेलन के दौरान टाइम्स इंटरनेट के वाइस प्रेजिडेंट पुनीत कुकरेजा ने सब्सक्रिप्शन आधारित मीडिया बिजनेस के विकास, चुनौतियों और रणनीतियों पर गहराई से बात की।
इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 के मौके पर 'दि इम्पीरियल' होटल में आयोजित सम्मेलन के दौरान टाइम्स इंटरनेट के वाइस प्रेजिडेंट पुनीत कुकरेजा ने सब्सक्रिप्शन आधारित मीडिया बिजनेस के विकास, चुनौतियों और रणनीतियों पर गहराई से बात की। उन्होंने अपने 15–16 वर्षों के करियर अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजार में लगातार भुगतान कराने का मॉडल कैसे काम करे, यही उनका सबसे बड़ा जुनून रहा है।
'एक बार नहीं, बार-बार और ज्यादा पेमेंट कराना है असली चुनौती'
पुनीत ने अपने करियर की शुरुआत MagicBricks.com से की थी, जहां प्रॉपर्टी लिस्टिंग के लिए मालिकों से ₹20,000 तक लिए जाते थे और फिर होमसीकर से भी पेमेंट की मांग होती थी। बाद में Amazon में iPad और लैपटॉप जैसे महंगे प्रोडक्ट्स बेचने का अनुभव मिला। उन्होंने बताया कि Economic Times में सब्सक्रिप्शन यात्रा की शुरुआत 2018 में की गई, जब ARPU (average revenue per user) गिर रहा था और MAU (monthly active users) स्थिर हो गए थे। ऐसे में ET Prime, ET Markets और Masterclasses जैसे उत्पाद लॉन्च किए गए।
'सब्सक्रिप्शन सिर्फ एक्सेस नहीं, वैल्यू का वादा है'
उन्होंने कहा कि सब्सक्रिप्शन मॉडल का फोकस केवल कंटेंट एक्सेस पर नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे एक 'वैल्यू सर्कल' में बदलना चाहिए, जो यूजर को कोई बेहतर निर्णय लेने में मदद करे। उनका मानना है कि यदि कोई यूजर उनके टूल्स या आर्टिकल्स की मदद से प्रमोशन पा ले, बेहतर निवेश कर ले, तो वही सबसे बड़ी सफलता है।
पुनीत ने स्पष्ट कहा कि शुरुआत में उन्होंने कीमत कम रखने की गलती की, लेकिन बाद में समझ आया कि टारगेट यूजर बेस बहुत अलग है और उन्हें वैल्यू के अनुसार ही प्राइसिंग करनी चाहिए। उन्होंने ET Prime जैसे प्रोडक्ट्स को ₹2,000–₹2,500 की कीमत पर लॉन्च किया और Masterclasses को हमेशा प्रीमियम रखा।
'रीटेंशन की अहमियत- 60% रेवेन्यू पहले से तय होता है'
पुनीत के मुताबिक, आज 60% रेवेन्यू पहले दिन से तय रहता है, क्योंकि यूजर रीटेंशन मजबूत है। उन्होंने समझाया कि सिर्फ यूजर एक्सेस पर ध्यान देना गलत है, असली काम तब शुरू होता है जब कोई यूजर पेमेंट कर देता है। उन्होंने सब्सक्राइबर को 'जिम मेंबरशिप' से जोड़ा- एक दिन जिम जाकर कोई फिट नहीं होता, उसी तरह सब्सक्राइबर को लंबे समय तक प्लेटफॉर्म से जोड़े रखना जरूरी है।
AI के युग में बदलाव जरूरी
उन्होंने बताया कि किस तरह AI मीडिया कंपनियों के पारंपरिक मॉडल को चुनौती दे रहा है। जहां पहले 'information advantage' ही USP थी, वहीं अब ChatGPT, Gemini जैसे टूल्स ने उस बढ़त को खत्म कर दिया है। ऐसे में टाइम्स इंटरनेट ने AI को अपनाते हुए खुद को नया रूप देना शुरू कर दिया है।
AI के कुछ प्रयोग जो टाइम्स इंटरनेट कर रहा है:
ET Markets AI TV Anchor: पूरी तरह AI पर आधारित फाइनेंशियल वीडियो, जिसमें डेटा, एंकर और एनालिसिस ऑटोमेटेड हैं।
AI-Generated Songs and Faceless Videos: बिना किसी क्रिएटिव टीम के AI द्वारा गाने और वीडियो बनाए गए।
Tailored AI Agents: भविष्य में यूजर्स को ChatGPT जैसे AI एजेंट ET प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे, जो प्लेटफॉर्म के कंटेंट के अनुरूप जवाब देंगे।
'हर यूजर की सब्सक्रिप्शन वजह अलग होती है'
उन्होंने बताया कि सब्सक्राइबर्स को 5–6 अलग-अलग 'कोहोर्ट्स' में बांटा जाता है- जैसे 'सुपरफैन', 'सुपरडॉर्मेंट', 'सिर्फ कमेंट पढ़ने वाले', आदि। हर ग्रुप को कस्टम मैसेजिंग और वैल्यू-आधारित nudges भेजे जाते हैं ताकि यूजर जुड़ा रहे।
तीन प्रमुख सीख:
सिर्फ रिटेंशन ट्रैकिंग काफी नहीं — हर यूजर की यात्रा को पर्सनलाइज करना जरूरी।
सामान्य प्रेरक संकेत (nudges) असरदार नहीं होते — हर यूजर के अपने अलग-अलग कारण होते हैं।"
पहले 7 दिन निर्णायक होते हैं — पहले सप्ताह में ही यह पता चल जाता है कि कौन सा यूजर रीन्यू करेगा और कौन नहीं।
पुनीत कुकरेजा ने कहा, 'जिंदगी बहुत जटिल नहीं है, बस मजबूत वैल्यू क्रिएट कीजिए, एक अच्छा रीटेंशन इंजन बनाइए और AI की मदद से खुद को लगातार रीइनवेंट करते रहिए।'
यहां देखें वीडियो:
नीरज शर्मा ने अपनी स्पीच की शुरुआत एक निजी भावुक जुड़ाव से की, जब उन्होंने बताया कि वह ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं जहां मैगजीन हमेशा चारों ओर मौजूद रहती थीं।
इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 के दौरान आज 'दि इम्पीरियल' होटल में आयोजित मुख्य सत्र में 'एक्सेंचर' (Accenture) में कम्युनिकेशन, मीडिया एंड टेक्नोलॉजी (CMT) के मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज शर्मा ने मैगजीन इंडस्ट्री की चुनौतियों, संभावनाओं और डिजिटल युग के बदलते परिदृश्य पर एक अत्यंत विचारोत्तेजक भाषण दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रिंट अब भी डिजिटल की तुलना में ज्यादा लाभदायक है और आने वाले वर्षों में यदि सही दिशा में कदम उठाए गए तो मैगजीन इंडस्ट्री को दोबारा लोकप्रिय संस्कृति में स्थापित किया जा सकता है।
नीरज शर्मा ने अपनी स्पीच की शुरुआत एक निजी भावुक जुड़ाव से की, जब उन्होंने बताया कि वह ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं जहां मैगजीन हमेशा चारों ओर मौजूद रहती थीं। उन्होंने कहा, “हर बार जब मैं मैगजीन की बात करता हूं तो यह मेरे लिए एक नॉस्टैल्जिक अनुभव होता है।”
डिजिटल बदलाव और पुराने सबक
नीरज ने बताया कि कैसे 2012-13 में टेलीकॉम इंडस्ट्री में ग्रोथ ठहर गई थी और फिर Jio के डिजिटल प्लेटफॉर्म से लॉन्च के साथ इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने कहा, “डिजिटल की ओर माइग्रेशन लगभग हर इंडस्ट्री में मौजूदा वैल्यू को खत्म कर देता है। नई वैल्यू तो बनती है, लेकिन वह पुराने खिलाड़ियों को नहीं मिलती।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसे टेलीकॉम और टीवी के साथ हुआ, ठीक वैसे ही डिजिटल मीडिया में भी हो रहा है, जहां डिजिटल वैल्यू क्रिएशन हो तो रहा है, लेकिन उसका लाभ पारंपरिक मीडिया संस्थानों को नहीं मिल रहा। इसके दो प्रमुख कारण उन्होंने गिनाए- एक, विज्ञापन की कमाई का बड़ा हिस्सा बिग टेक के पास चला जाना और दूसरा, डिजिटल सब्सक्रिप्शन में कम दिलचस्पी और उपभोक्ताओं की ‘सब्सक्रिप्शन थकान’।
चार ‘I’ का फ़्रेमवर्क और क्रिएटर इकोनॉमी
नीरज ने ‘4 I Framework’ का जिक्र किया — Information, Insight, Interaction और Intention capture और बताया कि मीडिया कंपनियां पहले दो में तो मजबूत हैं लेकिन आखिरी दो में नहीं। उन्होंने कहा, “Content eyeballs लाता है, पर पैसा उससे नहीं, बल्कि उन फीचर्स से आता है जो यूजर को समझते हैं और commerce को ट्रिगर करते हैं।”
उन्होंने बताया कि भारत में दो साल पहले ही क्रिएटर इकोनॉमी का राजस्व सभी डिजिटल न्यूज और मैगजीन कंपनियों के कुल डिजिटल राजस्व से दोगुना हो चुका था। उन्होंने कहा, “YouTubers और TikTokers ने content और commerce के बीच का ब्रिज बना लिया है।”
उन्होंने KBC के ‘PlayAlong’ फीचर को एक सफल ‘Four-I’ संपन्न प्रोडक्ट बताया और खुद के एक फेल प्रोजेक्ट ‘Constituency’ का उदाहरण भी ईमानदारी से साझा किया, जो उन्होंने 2024 के आम चुनाव के दौरान एक न्यूज मीडिया कंपनी के साथ मिलकर बनाया था। उन्होंने कहा कि यह गेम मुझ जैसे व्यक्ति के लिए था, आम पाठकों के लिए नहीं, लेकिन बाद में तमिलनाडु के एक न्यूज पोर्टल के साथ ‘Area King’ नाम से इसी आइडिया को रीपैक कर सफलता हासिल की गई।
नीरज ने बताया कि देश में 150 मिलियन लोग ऐसे हैं जो curated, credible कंटेंट के लिए भुगतान कर सकते हैं और डिजिटल थकान का दौर शुरू हो चुका है। उन्होंने शोध के हवाले से बताया, “72% भारतीय इंटरनेट यूजर बहुत ज्यादा कंटेंट से परेशान हैं।”
उन्होंने कहा, “अब यह जरूरी नहीं कि आप करोड़ों तक पहुंचें, 1 लाख सच्चे फॉलोअर ही आपकी सफलता के लिए पर्याप्त हैं।”
इसके लिए तीन सूत्र उन्होंने दिए:
प्रिंट, डिजिटल और फिजिकल- तीनों चैनलों में कस्टमर एक्सपीरियंस को खुद संचालित करें।
अपने पाठकों को एक समुदाय की तरह देखें और उस समुदाय की पूरी जिम्मेदारी खुद उठाएं।
प्लेटफॉर्म को भी खुद कंट्रोल करें, सिर्फ YouTube चैनल बना लेने से आप ऑडियंस के मालिक नहीं बनते।
भविष्य की राह: प्रोडक्ट, कंटेंट, मोनेटाइजेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में नया दृष्टिकोण
उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह मैगजीन कंपनियों को multi-format, multi-platform कंटेंट (जैसे YouTube वीडियो, Instagram Reels, LinkedIn carousel आदि) पर ध्यान देना चाहिए। कंटेंट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “1500 शब्दों का लेख अच्छा है, पर 23 वर्षीय यूजर तब तक नहीं पढ़ेगा जब तक वो रील में न दिखे।”
उन्होंने Micro-Influencers की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि ऐप बनाने की बजाय aggregated apps या shared platforms की ओर ध्यान देना चाहिए।
इंडस्ट्री के लिए सामूहिक समाधान
नीरज शर्मा ने एक बेहद महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि कंटेंट के अलावा बाकी सबकुछ (प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मोनेटाइजेशन, डिस्ट्रीब्यूशन) इंडस्ट्री को मिलकर करना चाहिए। उन्होंने ‘OpenAP’ (अमेरिका) और ‘Project Freedom’ (इंडोनेशिया) जैसे उदाहरण दिए जो कि Accenture की मदद से बने इंडस्ट्री कंसोर्टियम थे।
उन्होंने कहा, “यदि हम साथ आकर यह कर पाए, तो यकीन मानिए मैगजीन को फिर से लोकप्रिय कल्पना में स्थापित कर सकते हैं।”
अंत में उन्होंने कहा, “मैगजीन अब भी thumb scroll stoppers हैं। अगली पीढ़ी ऑफलाइन अनुभवों की ओर लौट रही है। बस आपको वहां दिखना और उपलब्ध होना है, जहां वे हैं। और इस तरह आप दोबारा लोकप्रिय बन सकते हैं।”
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दिल्ली प्रेस के एग्जिक्यूटिव पब्लिशर व AIM के प्रेजिडेंट अनंत नाथ ने इंडियन मैगजीन कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान न केवल मैगजीन इंडस्ट्री के बदलते स्वरूप पर अपने विचार व्यक्त किए
दिल्ली प्रेस के एग्जिक्यूटिव पब्लिशर और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन (AIM) के प्रेजिडेंट अनंत नाथ ने आज इंडियन मैगजीन कांग्रेस 2025 के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान न केवल मैगजीन इंडस्ट्री के बदलते स्वरूप पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया, बल्कि इस माध्यम की प्रासंगिकता, संभावनाओं और चुनौतियों पर भी विस्तार से चर्चा की। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के होटल 'दि इम्पीरियल' में आयोजित किया गया।
अपने संबोधन की शुरुआत अनंत नाथ ने कोविड के वर्षों के बाद AIM के पुनर्सक्रिय होने की बात से की और बताया कि एसोसिएशन की स्थापना 2002 में हुई थी, ताकि प्रिंट इंडस्ट्री में विशेष रूप से मैगजीन प्रकाशकों की अनोखी जरूरतों और चुनौतियों के लिए एक अलग मंच उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि कैसे कोविड के दौरान AIM के सदस्यों ने साप्ताहिक कॉल्स के माध्यम से एक-दूसरे को संबल दिया और संकट की घड़ी में मानसिक समर्थन का माध्यम बने।
मैगजीन एक रूपक है- ठहराव, दृष्टिकोण और उद्देश्य का
अनंत नाथ ने मैगजीन के भविष्य पर बात करते हुए कहा कि "मैगजीन सिर्फ कागज पर छपी सामग्री नहीं है, बल्कि यह ठहराव, दृष्टिकोण और उद्देश्य का रूपक है।" उन्होंने कहा कि जब पूरी मीडिया इंडस्ट्री तेज रफ्तार ब्रेकिंग न्यूज के पीछे भाग रही है, तब मैगजीन की असल ताकत उसके कंटेंट की गुणवत्ता, सोच की गहराई और एक विशिष्ट पाठक वर्ग से जुड़ाव में है।
स्पीड नहीं, स्थिरता हो लक्ष्य
उन्होंने कहा कि जब हम सबसे तेज होने की दौड़ में हैं, तब हमें यह याद रखने की जरूरत है कि वही कंटेंट टिकता है जो उद्देश्यपूर्ण होता है और पाठकों के साथ गहरा रिश्ता बनाता है। उन्होंने कहा, “मैगजीन इंडस्ट्री की यह ‘धीमी गति’ असल में उसकी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।”
बिग टेक के साये में भी छोटी दुनिया की अहमियत
बिग टेक कंपनियों के प्रभाव और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन पर बात करते हुए अनंत नाथ ने Joseph Schumacher की किताब Small is Beautiful का जिक्र किया और बताया कि कैसे छोटी, केंद्रीकृत और समुदाय आधारित इकाइयां न सिर्फ सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से स्थायी होती हैं, बल्कि पाठकों के साथ भावनात्मक संबंध भी बना पाती हैं।
उन्होंने डच भाषा में प्रकाशित एक विदेशी मैगजीन का उदाहरण देते हुए कहा कि "सिर्फ ढाई हजार कॉपियों की प्रिंट रन के बावजूद वह पत्रिका एक संपूर्ण और टिकाऊ मॉडल पर चल रही है।"
पत्रकारिता के पुराने और नए मॉडलों की तुलना करते हुए उन्होंने Jill Abramson की किताब Merchants of Truth का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि कैसे वाइस और बजफीड जैसी तेज रफ्तार डिजिटल कंपनियां आज खत्म हो चुकी हैं, वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसी पारंपरिक संस्थाएं सब्सक्रिप्शन मॉडल पर आधारित सफल उदाहरण बनकर उभरी हैं।
हमें गूगल या फेसबुक नहीं, पाठकों से संबंध चाहिए
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि AIM की प्राथमिकता अब सब्सक्रिप्शन बेस को बढ़ाना है- चाहे वो पेड हो या अनपेड, असल मुद्दा पाठक से सीधा संबंध बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया, "गूगल, फेसबुक या परप्लेक्सिटी हमें मदद नहीं करेंगे। हमें खुद से पाठकों तक पहुंचना होगा।"
AIM की नई पहलों की घोषणा
अपने संबोधन में उन्होंने AIM की कई नई पहलों की घोषणा की, जो मैगजीन इंडस्ट्री को सब्सक्रिप्शन मॉडल की ओर ले जाने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं:
इंडिया पोस्ट के साथ 'मैगजीन पोस्ट' सेवा: जो तेज, सटीक और बेहतर डिलीवरी की सुविधा देती है।
ब्लिंकिट के साथ साझेदारी: जिससे अब 10 शहरों में ऑन-डिमांड मैगजीन स्टोर उपलब्ध है और जल्द ही यह 30-40 शहरों तक पहुंचेगा।
प्रसार भारती के WAVES OTT प्लेटफॉर्म पर मैगजीन स्टोर लॉन्च
ONDC (DigiHaat) पर मैगजीन स्टोर लॉन्च
भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में मैगजीन बिक्री की योजना
अनंत नाथ ने बताया कि इन पहलों का उद्देश्य पाठकों तक मैगजीन को आसानी और सुविधा से पहुंचाना है, जिससे सब्सक्रिप्शन बढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक मिथक है कि लोग सिर्फ फ्री कंटेंट ही चाहते हैं। लोग गहन और गुणवत्ता वाला कंटेंट चाहते हैं, और वे इसके लिए भुगतान भी करना चाहते हैं।
यह निराश होने का समय नहीं, बल्कि नई दिशा लेने का अवसर है
अंत में उन्होंने कहा, “यह समय निराश होने का नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच के साथ कदम उठाने का है। यदि हम अपने सिद्धांतों पर टिके रहें, तो मैगजीन इंडस्ट्री आश्चर्यजनक परिणाम दे सकती है।”
उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग देने वाले सभी सदस्यों और एक्सचेंज4मीडिया की टीम का आभार जताया और बताया कि आज Magzimise Awards की भी वापसी हो रही है, जो आखिरी बार 2016 में आयोजित हुए थे।
FIPP वर्ल्ड मीडिया कांग्रेस की विशेष घोषणा
सत्र के समापन से पहले अंतरराष्ट्रीय संगठन FIPP के प्रमुख अलिस्टेयर का एक वीडियो संदेश भी चलाया गया, जिसमें उन्होंने अक्टूबर 2025 में मैड्रिड, स्पेन में आयोजित होने जा रहे FIPP World Media Congress की घोषणा की। उन्होंने AIM के साथ विशेष साझेदारी के तहत भारतीय प्रकाशकों के लिए रियायती रजिस्ट्रेशन की जानकारी भी साझा की।
यहां देखें वीडियो-
रणविजय सिंह ‘दैनिक जागरण’ से 18 साल से ज्यादा समय से जुड़े हुए थे। 31 जुलाई 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
हिंदी दैनिक ‘दैनिक जागरण’ में 18 साल से ज्यादा लंबी पारी को विराम देकर पत्रकार रणविजय सिंह ने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने अब ‘हिन्दुस्तान’ में प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट के पद पर जॉइन किया है।
रणविजय सिंह ने जनवरी 2007 में ‘दैनिक जागरण’ के बाहरी पश्चिमी दिल्ली कार्यालय से बतौर इंटर्न रिपोर्टिंग की शुरुआत की थी। यहां अपने 18 साल सात महीने के कार्यकाल में उन्होंने दिल्ली स्टेट में प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट तक का सफर तय किया। 31 जुलाई ‘दैनिक जागरण’ में उनका अंतिम कार्यदिवस था।
इन वर्षों में दिल्ली की प्रमुख मंडियों, नगर निगम, आईएआरआई (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान), क्राइम, कोर्ट, तिहाड़ जेल, स्पोर्ट्स, दिल्ली सरकार के जल बोर्ड, स्वास्थ्य (केंद्र सरकार के बड़े अस्पताल व स्वास्थ्य विभाग दिल्ली सरकार), दिल्ली मेट्रो, केंद्रीय भूजल बोर्ड, पर्यावरण व मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय (सीईओ) जैसे बीटों पर रिपोर्टिंग की।
चुनावों के दौरान पालिटिकल स्टोरी भी की और स्पोर्ट्स कवर करने के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच, आइपीएल, इंडियन हाकी लीग जैसे इवेंट भी कवर किए। दिल्ली में मायापुरी रेडिएशन घटना व अन्ना आंदोलन को भी कवर किया। पिछले दस वर्ष से अधिक समय से स्वास्थ्य पर लिख रहे हैं। इसके साथ ही कोविड महामारी व टीकाकरण अभियान को भी कवर किया।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो मगध विश्वविद्यालय के एएन कालेज पटना से स्नातक करने के बाद वर्ष 2005 में उन्होंने हरियाणा में हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी में मास कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा किया है।
समाचार4मीडिया की ओर से रणविजय सिंह को उनकी पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
HT मीडिया ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में साल-दर-साल आधार पर 6% की वृद्धि के साथ ₹451 करोड़ की समेकित आय (consolidated revenue) दर्ज की है
HT मीडिया ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में साल-दर-साल आधार पर 6% की वृद्धि के साथ ₹451 करोड़ की समेकित आय (consolidated revenue) दर्ज की है, जो पिछले साल इसी अवधि में ₹427 करोड़ थी। कंपनी ने अपने प्रिंट और डिजिटल व्यवसायों में हुई वृद्धि के चलते शुद्ध घाटे को भी काफी हद तक कम कर लिया है। तिमाही का शुद्ध घाटा ₹28 करोड़ से घटकर ₹11 करोड़ रह गया।
कंपनी का प्रिंट कारोबार अब भी उसकी आमदनी का मुख्य स्रोत बना हुआ है। इस क्षेत्र की परिचालन आय (operating revenue) में साल-दर-साल 8% की बढ़त दर्ज की गई है, जो ₹324 करोड़ रही। विज्ञापन से मिलने वाली आय 17% बढ़कर ₹255 करोड़ हो गई, जबकि सर्कुलेशन (डिस्ट्रीब्यूशन) से आय 8% घटकर ₹51 करोड़ रही।
यदि भाषा आधारित प्रदर्शन की बात करें, तो अंग्रेजी प्रिंट विज्ञापन में 19% की सालाना वृद्धि देखी गई, जिसका श्रेय सरकारी और व्यावसायिक खर्चों में बढ़ोतरी को दिया गया। वहीं, हिंदी विज्ञापन में 14% की बढ़त दर्ज हुई, जिसमें राज्य स्तरीय सरकारी अभियानों की अहम भूमिका रही। सर्कुलेशन से मिलने वाली आय तिमाही-दर-तिमाही स्थिर बनी रही।
प्रिंट सेगमेंट का ऑपरेटिंग EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई) भी उल्लेखनीय रूप से सुधरा। जहां पिछले साल की पहली तिमाही में यह ₹1 करोड़ का मामूली घाटा था, वहीं इस तिमाही में यह ₹15 करोड़ का मुनाफा हो गया। मार्जिन भी 0% से बढ़कर 5% पर पहुंच गया।
डिजिटल कारोबार ने भी मजबूत प्रदर्शन किया। यहां राजस्व में सालाना आधार पर 21% की वृद्धि हुई, जो ₹56 करोड़ तक पहुंच गया। साथ ही, घाटे में भी कमी आई। डिजिटल सेगमेंट का ऑपरेटिंग EBITDA 15% सुधरकर ₹21 करोड़ के घाटे पर रहा, जिससे संकेत मिलता है कि कंपनी ने निवेशों के तर्कसंगत प्रबंधन के साथ-साथ राजस्व वृद्धि भी हासिल की है।
इसके उलट, रेडियो कारोबार ने 13% की सालाना गिरावट दर्ज की और राजस्व ₹31 करोड़ पर आ गया। इस क्षेत्र में घाटा और गहराया, जहां पिछले साल का EBITDA संतुलित (₹0 करोड़) था, वहीं इस तिमाही में यह ₹7 करोड़ के घाटे में चला गया।
HT मीडिया की चेयरपर्सन शोभना भारतीय ने कहा कि समूह का ध्यान डिजिटल विकास को गति देने, प्रिंट पाठकों के साथ जुड़ाव को और गहराने और रेडियो को अनुभव आधारित फॉर्मेट्स के जरिए नए रूप में पेश करने पर केंद्रित है।
बहुप्रतीक्षित इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 का आयोजन 8 अगस्त को यानी आज नई दिल्ली के 'दि इम्पीरियल' होटल में सुबह 9:30 से शुरू हो चुका है, जोकि रात 9 बजे तक किया जाएगा।
बहुप्रतीक्षित इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 का आयोजन 8 अगस्त को यानी आज नई दिल्ली के 'दि इम्पीरियल' होटल में सुबह 9:30 से शुरू हो चुका है, जोकि रात 9 बजे तक किया जाएगा। यह आयोजन देशभर के पब्लिशिंग इकोसिस्टम से जुड़े थॉट लीडर्स, पब्लिशर्स, इनोवेटर्स और पॉलिसी मेकर्स को एक मंच पर लाएगा।
हर साल ऑल इंडिया मैगजीन (AIM) अपने वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम इंडियन मैगजीन कांग्रेस का आयोजन करता है, जो मैगजीन प्रकाशन से जुड़ी बिरादरी को एक साथ जोड़ता है। इसमें पत्रिका संपादकों, प्रकाशकों, मीडिया हाउसेज के डिजिटल हेड्स, पॉलिसी मेकर्स, मीडिया मालिकों, मार्केट एक्सपर्ट्स, मीडिया प्लानर्स, रिसर्चर्स और इंडस्ट्री एनालिस्ट्स की भागीदारी होती है।
इस आयोजन का उद्देश्य विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन, कंटेंट और डिजिटल मीडिया के उभरते ट्रेंड्स पर चर्चा करना है।
इस वर्ष की कांग्रेस की थीम है: "The Deep Connect – Building Communities. Nurturing Trust. Re-imagining the Future" (गहराई से जुड़ाव – मिलकर समुदाय गढ़ना, भरोसे को संवारना और भविष्य की नई रूपरेखा तैयार करना)
IMC 2025 की मुख्य झलकियां होंगी:
विशेष मुख्य भाषण: अश्विनी वैष्णव, रेल मंत्री; सूचना एवं प्रसारण मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री, भारत सरकार द्वारा
Waves OTT पर मैगजीन ई-स्टोर का शुभारंभ: गौरव द्विवेदी, सीईओ, प्रसार भारती द्वारा
Magnet (ONDC) – सेलर साइड ऐप की लॉन्चिंग: विभोर जैन, एक्टिंग सीईओ व सीओओ, ONDC द्वारा
Magazimise Awards: पत्रिका प्रकाशकों के साथ साझेदारी में की गई सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली विज्ञापन अभियानों को सम्मानित किया जाएगा।
ये लॉन्च भारत में पत्रिका प्रकाशकों के लिए डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखे जा रहे हैं।
इवेंट में भाग लेने वाले प्रमुख वक्ता:
शशि सिन्हा, सीईओ, IPG Mediabrands India
एम.वी. श्रेयम्स कुमार, प्रेजिडेंट, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी
प्रसांत कुमार, WPP मीडिया – GroupM
नीरज शर्मा, एमडी – CMT, Accenture
पुनीत कुकरेजा, वाइस प्रेजिडेंट, Times Internet
ऋचा शाह, एडिटर, चंपक
अभिषेक शर्मा, चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर, हिन्दुस्तान टाइम्स
श्रीनिवासन बी., चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर, आनंद विकटन
अनंत नाथ, एग्जिक्यूटिव पब्लिशर, दिल्ली प्रेस व प्रेजिडेंट, AIM
मनोज शर्मा, सीईओ, मैगजींस, इंडिया टुडे
अनुराग बत्रा, चेयरमैन, BW Businessworld
धवल गुप्ता, डायरेक्टर, CyberMedia
रियाद मैथ्यू, चीफ एसोसिएट एडिटर व डायरेक्टर
गिरीश मल्ल्या, सीओओ, Next Gen Publishing Limited
दीपक भट्ट, सर्कुलेशन डायरेक्टर, इंडिया टुडे
नवीन गौतम को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। हिंदी पत्रकारिता वर्तमान परिपेक्ष्य में और जोगिया द्वारे-द्वारे नाम से उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
वरिष्ठ पत्रकार नवीन गौतम ने हिंदी दैनिक ‘नवभारत’ (Navabharat) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में नवीन गौतम ने बताया कि उन्होंने इस अखबार के नेशनल ब्यूरो में स्पेशल करेसपॉन्डेंट के पद पर जॉइन किया है। वह दिल्ली से अपना कामकाज संभालेंगे।
उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के मूल निवासी नवीन गौतम को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 1996 में ‘दैनिक जागरण’ से की थी। यहां उन्होंने करीब 24 साल तक विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका निभाई और दिल्ली सरकार, सभी राजनीतिक दल, नगर निगम, लोकल व्यापार, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय सहित नगर निगम, विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव कवर किए। इसी अवधि के दौरान दिल्ली राज्य ब्यूरो प्रमुख और हरियाणा के गुरुग्राम ब्यूरो प्रमुख की जिम्मेदारी भी संभाली।
बाद में यहां से अपनी पारी को विराम देकर उन्होंने वर्ष 2019 से बतौर विशेष संवाददाता रोजनामा मेरा वतन (उर्दू दैनिक) में अपनी भूमिका निभाई और फिर अगस्त 2020 से मेट्रो मीडिया (राष्ट्रीय हिंदी दैनिक) में बतौर विशेष संवाददाता जुड़ गए। इसके बाद अब उन्होंने ‘नवभारत’ में अपनी जिम्मेदारी संभाली है।
नवीन गौतम केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार में दूरसंचार सलाहकार समिति एवं केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की टास्क फोर्स के सदस्य भी रह चुके हैं। इसके अलावा केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उन्हें रक्षा मंत्रालय की केंद्रीय हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया था।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो नवीन गौतम ने दिल्ली विश्वविद्यालय से आर्ट्स में ग्रेजुएशन और पत्रकारिता एवं जनसंचार में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी पत्रकारिता वर्तमान परिपेक्ष्य में और जोगिया द्वारे-द्वारे नाम से उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से नवीन गौतम को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।