‘द वीक’ और ‘द मलयाला मनोरमा’ के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर रियाद मैथ्यू ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ में ‘making magazines relevant’ सेशन को मॉडरेट करेंगे।
देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) का प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) इस बार तीन मई 2024 को मुंबई स्थित ताज सांताक्रूज होटल में आयोजित किया जाएगा। इस बार ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ की थीम 'Magazine Publishers Building New Revenue Streams' रखी गई है। यह इस आयोजन का 13वां एडिशन है।
कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों के दौरान इस बात पर भी तमाम चर्चा होगी कि तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण के दौर में भविष्य में मैगजींस और प्रिंट पब्लिकेशंस का सबस्क्रिप्शन मॉडल कैसा होगा।
इस दौरान ‘द वीक’ और ‘द मलयाला मनोरमा’ के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर रियाद मैथ्यू ‘The shift from media planning to audience solutions: How can magazines make themselves relevant in the evolving paradigm’ सेशन को मॉडरेट करेंगे। इसमें ‘आईपीजी इंडिया’ (IPG India) के सीईओ शशि सिन्हा, ‘ग्रुप एम, साउथ एशिया’ (GroupM, South Asia) के सीईओ प्रशांत कुमार और ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह के सीईओ मनोज शर्मा शामिल होंगे और अपनी बात रखेंगे।
इस बारे में रियाद मैथ्यू का कहना है, ‘इस पैनल डिस्कशन के दौरान हम मुख्य रूप से इस बात पर विचार करेंगे कि ऐडवर्टाइजर्स किस तरह से आंकड़ों के आधार पर काम करते हैं और पाठकों से जुड़ाव को नहीं देखते हैं। खासकर, जब डिजिटल की बात आती है, जो आंकड़े ज्यादा दिखते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि जुड़ाव के मामले में या किसी पाठक द्वारा मैगजीन पढ़ने में बिताया गया समय अन्य मीडिया की तुलना में बहुत अधिक है।’
मैथ्यू के अनुसार, ‘यदि हम पश्चिम की बात करें तो अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मार्केट्स में प्रिंट मैगजींस और अखबारों में विज्ञापन खपत समान रूप से विभाजित है, लेकिन भारत में अखबारों की तुलना में प्रिंट मैगजींस में विज्ञापन खपत का बहुत बड़ा अंतर है। यह एक और मुद्दा है, जिस पर कार्यक्रम के दौरान गहराई से विचार किया जाएगा।’
उनका कहना है कि किसी मैगजीन को छूना और पन्ने पलटते हुए उसे महसूस करने में डिजिटल के मुकाबले बहुत बड़ा फर्क है। मैगजींस में ग्राफ्स और अन्य विजुअल्स को देखने की अलग ही बात है, जैसी डिजिटल में नहीं आ पाती है। मैगजींस की यही खासियत उन्हें डिजिटल से अलग व यूनिक बनाती हैं और हमें उम्मीद है कि ऐडवर्टाइजर्स इस पर विचार करेंगे।
इसके साथ ही मैथ्यू का यह भी कहना है, ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस के दौरान मैगजींस के भविष्य के सबस्क्रिप्शन मॉडल पर बहुत ध्यान दिया जाएगा। हम ई-कॉमर्स, भुगतान में आसानी और सबस्क्रिप्शन मॉडल को सरल व अधिक सुलभ बनाने के अन्य तरीकों पर विचार करेंगे। कार्यक्रम के दौरान तमाम भारतीय और विदेशी स्पीकर्स सबस्क्रिप्शंस पर अपनी बात रखेंगे। एटलस कंसल्टेंसी के केरिन ओ कॉनर (Kerin O Connor), जो उत्तरी अमेरिका और यूके में सबस्क्रिप्शंस के विशेषज्ञ हैं, वह बताएंगे कि कैसे सबस्क्राइबर्स को अपने साथ जोड़ा जाए और अपने साथ बनाए रखा जाए। इसके अलावा इससे संबंधित अन्य मुद्दों पर भी वह अपनी बात रखेंगे।’
मैथ्यू का मानना है कि भौगोलिक दृष्टि अथवा भाषाओं के मामले में भारत जैसे विविधताओं वाले देश में हर मैगजीन-चाहे वह तमिल, मलयालम, हिंदी या किसी अन्य भाषा में हो, उसका अलग ही रुतबा और लीडरशिप है। मलयाला मनोरमा के पास न केवल केरल और भारत के दक्षिण में, बल्कि मध्य पूर्व और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अच्छी-खासी लीडरशिप है, जहां प्रवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इन क्षेत्रों में हमारे पास पहले से ही विशाल डिजिटल रीडरशिप है और हम अपने डिजिटल कंटेंट और प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए हम कई चीजों पर विचार कर रहे हैं। केरल में साक्षरता दर और अन्य देशों में इसकी प्रवासी आबादी को धन्यवाद, जिस वजह से हमारे पास एक विशाल डिजिटल पाठक वर्ग है, जो लाभांश दे रहा है।
जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में 25 मई को एक खास किताब ‘Zeba’ की लॉन्च ब्रंच पार्टी का आयोजन किया जाएगा।
जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में 25 मई को एक खास किताब ‘Zeba’ की लॉन्च ब्रंच पार्टी का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम विशाल माथुर कंसल्टेंट्स एलएलपी द्वारा आयोजित किया जाएगा।
इस मौके पर मशहूर पत्रकार और लेखक तबीना अंजुम कुरैशी मॉडरेटर के रूप में मंच का संचालन करेंगी। तो वहीं BW बिजनेसवर्ल्ड के एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे, जबकि सोशल एंटरप्रेन्योर विन्नी कक्कड़ गेस्ट ऑफ ऑनर होंगी।
कार्यक्रम में लॉन्च हो रही किताब ‘Zeba’ लेखिका अभिनेत्री हुमा एस. कुरैशी की नई पेशकश है, जिसमें एक अनोखी और नायाब सुपरहीरो की कहानी बयां की गई है। यह कोई आम सुपरहीरो नहीं, बल्कि न्यूयॉर्क की एक बिगड़ी, रईस और निठल्ली लड़की है, जो अपनी छत पर बैठकर अपने पसंदीदा वीड के कश लेकर जिंदगी को बेजारी से देखती है। लेकिन Zeba की आरामदायक जिंदगी तब अचानक बदल जाती है जब वह 'ख़ुदिर' नाम की एक दूर की जगह जाती है और वहां उसे अपनी सुपरपावर का राज पता चलता है। अब, अपनी मर्जी के खिलाफ होते हुए भी, उसी पर ये जिम्मेदारी आ जाती है कि वह उस दुनिया को बचाए जिसे वह प्यार करती है और वह भी एक क्रूर शासक ‘The Great Khan’ से, जिसके इरादे बेहद शैतानी हैं।
अब उसके सामने है एक क्रूर तानाशाह The Great Khan, जिसके शैतानी इरादों से उसे न सिर्फ अपने परिवार को, बल्कि पूरी दुनिया को भी बचाना है। क्या Zeba अपने अंदर की उलझनों से लड़ पाएगी? क्या वह अपनी पूरी ताकत और हिम्मत समेटकर दुनिया को बचा पाएगी?
Zeba सिर्फ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं, बल्कि आज की उस स्त्री की प्रतीक बनती है, जो आजादी, हौसले और आत्मबल के साथ अपनी राह खुद तय करती है। यह किताब जादू से भरपूर है, लेकिन इसकी जड़ें बहुत मानवीय और असल भावनाओं में हैं। यह एक ऐसी कहानी है, जो अंततः बताती है कि मुश्किलों के बीच भी इंसानी जज्बा कैसे जीत हासिल करता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है।
कंचन श्रीवास्तव।।
टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है। यह कदम न केवल प्रिंट पोर्टफोलियो को नई ऊर्जा देने की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि इस बात का संकेत भी है कि ग्रुप को अब भी अपने मजबूत पाठक आधार और शहरी ब्रैंड की गहराई पर पूरा भरोसा है।
कंपनी के अधिकारियों ने एक्सचेंज4मीडिया से इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि ग्रुप 'मुंबई मिरर' को फिर से दैनिक अखबार के रूप में ला रहा है। यह पांच साल पहले एक बेहद पसंद किया जाने वाला प्रोडक्ट था और यह हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत हम अपने पूरे पोर्टफोलियो में नई गति लाने की कोशिश कर रहे हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि एक महीने के भीतर पूर्ण पैमाने पर इसके पुनः लॉन्च होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि नए संस्करण की एडिटोरियल जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी। जब 'मुंबई मिरर' को 2020 में बंद किया गया था, उस समय मीनल बघेल इसकी एडिटर थीं। वर्तमान में वे मुंबई में टहिन्दुस्तान टाइम्सट की रेजिडेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं।
2020 के बाद से इसका संडे एडिशन लगातार जारी रहा, लेकिन दैनिक संस्करण की वापसी सिर्फ पुरानी यादों तक सीमित नहीं है। यह टाइम्स ग्रुप की एक बड़ी और बहुआयामी विकास योजना का हिस्सा है, जिसमें डिजिटल, इवेंट्स और कंटेंट-बेस्ड वर्टिकल्स में नए सिरे से निवेश की योजना भी शामिल है। सूत्रों का मानना है कि ग्रुप कुछ पहले बंद की गई पहलों को भी फिर से शुरू कर सकता है।
e4m ने टाइम्स ग्रुप के प्रेसिडेंट एंड हेड ऑफ रिस्पॉन्स सुरिंदर चावला से भी संपर्क किया है। उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा।
29 मई 2005 को गेटवे ऑफ इंडिया पर भव्य अंदाज में लॉन्च हुआ था 'मुंबई मिरर'। आतिशबाजी, लेजर शो और तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख व अभिनेता अभिषेक बच्चन की उपस्थिति ने इसे खास बना दिया।
उस समय मुंबई के प्रिंट मीडिया क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो रहा था। हिन्दुस्तान टाइम्स अपनी मुंबई एंट्री की तैयारी कर रहा था, जबकि दैनिक भास्कर और जी ग्रुप मिलकर DNA अखबार लाने की योजना में थे। ऐसे माहौल में टाइम्स ग्रुप ने TOI को प्रतिस्पर्धा से सुरक्षित रखने के लिए एक धारदार, शहरी टैब्लॉयड उतारने का फैसला किया।
लेकिन 'मुंबई मिरर' जल्द ही अपनी अलग पहचान और ताकतवर उपस्थिति के लिए जाना जाने लगा। सिर्फ छह साल में 200 करोड़ रुपये का ब्रैंड बन गया था, जैसा कि 2012 में उस समय के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट (रेस्पॉन्स) भास्कर दास ने कहा था।
लॉन्च के दिन ही 'मुंबई मिरर' मुंबई में दूसरा सबसे ज्यादा छपने वाला अखबार बन गया था, जिसकी प्रिंट रन दो लाख कॉपियों की थी। इसकी तेज हेडलाइंस, नागरिक केंद्रित पत्रकारिता और आसान फॉर्मेट ने इसे मुंबई के पाठकों में बेहद लोकप्रिय बना दिया।
विनीत जैन ने उस समय कहा था, “यह प्रिंट मार्केट के कुल विस्तार की ओर ले जाएगा—और अगर आंतरिक प्रतिस्पर्धा होती भी है, तो वह स्वस्थ है।”
TOI के साथ फ्री में बंटना शुरू हुआ यह टैब्लॉयड बाद में पुणे, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे शहरों तक पहुंचा। हालांकि, दिसंबर 2020 में महामारी के आर्थिक दबाव के बीच, ग्रुप ने दैनिक संस्करण को स्थगित करने का ऐलान किया। स्टाफ को सूचित किया गया कि अखबार दो हफ्तों में बंद कर दिया जाएगा।
यह वही समय था जब टाइम्स ग्रुप को वित्त वर्ष 2020 में ₹451 करोड़ का घाटा हुआ था, जबकि पिछले साल उसने ₹484 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया था।
'मुंबई मिरर' की यह वापसी सिर्फ एक अखबार की नहीं, बल्कि एक ऐसे दौर की है जिसने मुंबई की पत्रकारिता को नजदीक से देखा, छुआ और बदला भी। अब देखना होगा कि यह नई शुरुआत पुराने तेवर और नई सोच के साथ कैसा असर छोड़ती है।
यह आर्टिकल ‘द हिंदू’ की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था जो भारतीय वायु सेना के जेट विमानों के कश्मीर क्षेत्र में क्रैश होने से संबंधित एक अप्रमाणित रिपोर्ट पर आधारित था।
‘द हिंदू’ (The Hindu) ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से उस आर्टिकल को हटा दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कश्मीर में तीन भारतीय फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे।
दरअसल, यह आर्टिकल ‘द हिंदू’ की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था जो भारतीय वायु सेना के जेट विमानों के कश्मीर क्षेत्र में क्रैश होने से संबंधित एक अप्रमाणित रिपोर्ट पर आधारित था। हालांकि, कुछ ही समय बाद यह आर्टिकल हटा लिया गया। अब उस लिंक को एक्सेस करने की कोशिश करने पर एक सामान्य एरर संदेश दिखाई देता है, जो बताता है कि वह पेज अब मौजूद नहीं है।
गौरतलब है कि जब यह आर्टिकल पब्लिश किया गया था, तब कई यूजर्स ने ऑनलाइन इसे देखा और कुछ ने उन दावों के स्रोत व सत्यापन पर सवाल उठाए थे। हालांकि, कुछ समय बाद ही इसे प्लेटफॉर्म से डिलीट कर दिया गया।
इस बारे में ‘द हिंदू’ की ओर से एक ट्वीट भी किया गया है। इस ट्वीट में कहा गया है, ‘हमने ऑपरेशन सिंदूर में शामिल भारतीय विमानों के बारे में एक पुरानी पोस्ट हटा दी है। भारत की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक जानकारी रिकॉर्ड में नहीं है। इसलिए हमने अपने प्लेटफॉर्म से उस पोस्ट को हटाने का फैसला किया। हमें खेद है कि इसने हमारे पाठकों के बीच भ्रम पैदा किया।’
We have deleted an earlier post about Indian aircraft involved in Operation Sindoor. There is no such on-record official information from India. We therefore decided to remove the post from our platforms. We regret that it created confusion among our readers.
— The Hindu (@the_hindu) May 7, 2025
आहूजा को प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 15 वर्षों का गहन अनुभव है। फैशन, ब्यूटी और पॉप कल्चर को लेकर उनकी समझ बेहद समृद्ध मानी जाती है।
‘इंडिया टुडे’ समूह की प्रतिष्ठित लाइफस्टाइल मैगजीन ‘Cosmopolitan India’ ने स्निग्धा आहूजा को अपना नया एडिटर नियुक्त किया है। आहूजा को प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 15 वर्षों का गहन अनुभव है। फैशन, ब्यूटी और पॉप कल्चर को लेकर उनकी समझ बेहद समृद्ध मानी जाती है।
अपनी नई भूमिका में वह ग्रुप के लग्जरी और लाइफस्टाइल बिजनेस की सीओओ साक्षी कोहली को रिपोर्ट करेंगी और ITG मीडियाप्लेक्स, नोएडा स्थित दफ्तर से कामकाज संभालेंगी।
इससे पहले वह रिलायंस ब्रैंड्स लिमिटेड की फैशन वेबसाइट ‘The Voice of Fashion’ में मैनेजिंग एडिटर थीं। साथ ही, उन्होंने AJIO के लग्जरी ई-कॉमर्स कंटेंट प्लेटफॉर्म ‘Ajio Luxe’ के लिए संपादकीय दिशा का नेतृत्व भी किया है।
स्निग्धा की नियुक्ति के बारे में इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने कहा, 'Cosmopolitan India की तरह ही स्निग्धा की आवाज बोल्ड, फ्रेश और ऊर्जा से भरपूर है। मुझे भरोसा है कि उनके नेतृत्व में यह ब्रैंड आज के दौर की जिज्ञासु और अभिव्यक्तिपूर्ण युवा ऑडियंस से और भी गहराई से जुड़ पाएगा।'
इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. जोया हसन जैसी जानी-मानी हस्तियां पैनलिस्ट के रूप में शामिल होंगी।
वरिष्ठ पत्रकार और ‘सत्य हिंदी’ न्यूज पोर्टल के को-फाउंडर आशुतोष अपनी नई किताब Reclaiming Bharat: What Changed in 2024 And What Lies Ahead लेकर आए हैं। इस किताब की लॉन्चिंग 9 मई, शुक्रवार को शाम 6:30 बजे दिल्ली के जवाहर भवन में की जाएगी।
इस अवसर पर 'The Future of Constitutional Democracy' विषय पर एक पैनल डिस्कशन भी होगा। इसमें राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. जोया हसन जैसी जानी-मानी हस्तियां पैनलिस्ट के रूप में शामिल होंगी। इस चर्चा का संचालन प्रख्यात लेखक और आलोचक अपूर्वानंद करेंगे।
Reclaiming Bharat वर्ष 2024 के आम चुनावों की गहराई से पड़ताल करती है। यह किताब इस बात की विवेचना करती है कि कैसे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों ने भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल करने से रोका। आशुतोष ने चुनावी राजनीति के सूक्ष्म संकेतों को जोड़ते हुए यह समझाने की कोशिश की है कि भारत इस वक्त किस मोड़ पर खड़ा है और आगे क्या संभावनाएं बन सकती हैं।
बता दें कि आशुतोष इससे पहले Hindu Rashtra; The Crown Prince: The Gladiator and the Hope–Battle for Change; Anna: 13 Days That Awakened India और Mukhaute ka Rajdharma जैसी चर्चित किताबें लिख चुके हैं।
दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन (Delhi Press Patra Prakashan) द्वारा प्रकाशित इस दशकों पुरानी मैगजीन ने BCCI के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया है।
बच्चों की लोकप्रिय मैगजीन ‘चंपक’ और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के बीच एक अनोखा कानूनी विवाद सामने आया है। दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन (Delhi Press Patra Prakashan) द्वारा प्रकाशित इस दशकों पुरानी मैगजीन ने BCCI के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया है। मामला IPL 2025 सीजन के दौरान लॉन्च किए गए रोबोटिक डॉग 'चंपक' से जुड़ा है, जिसका नाम मैगजीन के नाम से मेल खाता है।
इस रोबोट को 23 अप्रैल को एक सार्वजनिक वोटिंग के बाद पेश किया गया था। प्रकाशक का आरोप है कि BCCI ने बिना अनुमति ‘चंपक’ नाम का इस्तेमाल कर उनकी ब्रैंड पहचान और ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है, जो बच्चों के लिए बनाए गए जानवरों पर केंद्रित चरित्रों से जुड़ा रहा है।
प्रकाशक की ओर से पेश वकील अमित गुप्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि भले ही रोबोटिक डॉग एक अलग प्रॉडक्ट हो, लेकिन इसका नाम मैगजीन की विशिष्टता को कमजोर कर सकता है।
हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ बनर्जी ने इस पर सवाल उठाया, “सीधा नुकसान कहां है? इस रोबोटिक डॉग से आपके ब्रैंड के व्यवसाय या प्रतिष्ठा पर वास्तव में क्या असर पड़ा है?”
कोर्ट ने यह भी कहा कि नाम की समानता मात्र से किसी ब्रैंड के व्यावसायिक लाभ उठाने की बात साबित नहीं होती, जब तक कोई स्पष्ट व्यावसायिक लाभ सामने न आए।
कोर्ट ने 'चीकू' का उदाहरण भी दिया, जो 'चंपक' मैगजीन का एक चरित्र है और साथ ही क्रिकेटर विराट कोहली का उपनाम भी रहा है। कोर्ट ने पूछा कि उस स्थिति में कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
इस पर गुप्ता ने जवाब दिया कि अनौपचारिक उपनाम और किसी प्रॉडक्ट को आधिकारिक रूप से ट्रेडमार्क नाम से लॉन्च करना दो अलग बातें हैं।
BCCI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे साई दीपक ने दलील दी कि ‘चंपक’ एक आम इस्तेमाल होने वाला शब्द है, जो एक फूल का नाम भी है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक डॉग का विचार 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' यूनिवर्स से प्रेरित है और इसका उद्देश्य किसी ब्रैंड की प्रसिद्धि से लाभ उठाना नहीं था।
कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तक इसके पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लेकिन नोटिस जारी कर अगली सुनवाई की तारीख 9 जुलाई तय की है।
यह मामला तय करेगा कि IPL में ‘चंपक’ नाम का उपयोग वास्तव में ट्रेडमार्क का उल्लंघन है या केवल एक संयोग।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि यह गलती उत्तर प्रदेश के कुछ शुरुआती संस्करणों में हुई थी और यह चूक एक विदेशी न्यूज एजेंसी द्वारा भेजे गए फोटो कैप्शन के कारण हुई।
प्रमुख अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से एक गंभीर चूक हो गई, जब उसके एक स्थानीय संस्करण में श्रीनगर स्थित डल झील की तस्वीर के नीचे कश्मीर को 'Indian controlled Kashmir' बताया गया। इस शब्दावली को लेकर जनता में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सोशल मीडिया पर अखबार की आलोचना शुरू होने के बाद 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने तत्काल माफी मांगते हुए स्पष्टीकरण जारी किया।
अपने आधिकारिक बयान में अखबार ने कहा कि यह गलती उत्तर प्रदेश के शुरुआती संस्करणों के सीमित हिस्से में हुई थी और इसका कारण एक विदेशी न्यूज एजेंसी द्वारा भेजे गए फोटो कैप्शन का प्रयोग करना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह त्रुटि अखबार के मुख्य राष्ट्रीय संस्करणों, ऑनलाइन वेबसाइट या ई-पेपर में नहीं हुई थी और जैसे ही इस गलती का पता चला, इसे तुरंत ठीक कर दिया गया।
'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने अपने बयान में दो टूक कहा, "हम पूरे देश की तरह स्पष्ट रूप से और मजबूती से यह दोहराते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। यह हमारी निरंतर संपादकीय नीति रही है, जो पूरी तरह भारत के संविधान और भारतीय जनभावना के अनुरूप है।"
अखबार ने कहा कि वह इस चूक को बहुत गंभीरता से लेता है और देशवासियों की भावनाओं का सम्मान करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भरोसा दिलाया कि वह उच्चतम पत्रकारिता मूल्यों और भारत की एकता एवं अखंडता के प्रति पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने कहा, "हम इस चूक के लिए गहरा खेद प्रकट करते हैं और भविष्य में इस तरह की त्रुटियों से पूरी सावधानी बरतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
Statement from The Times of India
— The Times Of India (@timesofindia) April 25, 2025
We sincerely apologise for an incorrect caption that appeared in a limited number of our early Uttar Pradesh editions today, in reference to Jammu & Kashmir. The error was due to a photo caption used by a foreign news agency and appeared in…
इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने लाइफस्टाइल पोर्टफोलियो में एक और नया नाम जोड़ते हुए HELLO! इंडिया के लॉन्च की घोषणा की है।
इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने लाइफस्टाइल पोर्टफोलियो में एक और नया नाम जोड़ते हुए HELLO! इंडिया के लॉन्च की घोषणा की है। यह मैगजीन प्रिंट संस्करण के साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म- वेबसाइट व सोशल मीडिया पर भी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगी। इसके अलावा इसके प्रमुख कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
मैगजीन की संपादकीय टीम का नेतृत्व रुचिका मेहता करेंगी, जो बतौर एडिटर जिम्मेदारी संभालेंगी। लाइफस्टाइल मीडिया में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली रुचिका इससे पहले HELLO! इंडिया की लॉन्चिंग एडिटर रह चुकी हैं और करीब 17 वर्षों तक इसका संचालन कर चुकी हैं।
वहीं, बिजनेस टीम का नेतृत्व इंडिया टुडे ग्रुप की लाइफस्टाइल व लग्जरी बिजनेस COO साक्षी कोहली करेंगी। साक्षी पिछले 17 वर्षों से ग्रुप से जुड़ी हुईं हैं और Harper’s Bazaar, Cosmopolitan और Brides Today जैसी मैगजींस के बिजनेस को लीड करती हैं। उनके पास मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ब्रैंड बिल्डिंग, इवेंट्स और कम्युनिकेशन का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है।
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने मैगजीन की लॉन्चिंग पर कहा, “HELLO! को अपने लाइफस्टाइल ब्रैंड्स में शामिल करना हमारे लिए बेहद उत्साहजनक है। भारत में सेलिब्रिटी और लग्जरी कल्चर तेजी से बढ़ रहा है और यह लॉन्चिंग का सबसे उपयुक्त समय है। मुझे पूरा यकीन है कि हम HELLO! को भारत में एक अग्रणी ब्रैंड बनाएंगे।”
HELLO! और HOLA S.L. ग्रुप के चेयरमैन एडुआर्डो सांचेज पेरेज ने कहा, “जैसे HOLA! अपनी 80वीं सालगिरह मना रहा है, वैसे ही HELLO! इंडिया का इस कहानी का हिस्सा बने रहना हमारे लिए गर्व और खुशी की बात है। हमें विश्वास है कि इसके पाठकों को इसमें हर बार कुछ नया और जश्न मनाने लायक मिलेगा।”
पिछले दिनों पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को कश्मीर के प्रमुख अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर 'ब्लैकआउट' कर एक सशक्त प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया।
जम्मू-कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने हमला किया। इस हमले में 28 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। इस भीषण आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को कश्मीर के प्रमुख अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर 'ब्लैकआउट' कर एक सशक्त प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया।
'ग्रेटर कश्मीर', 'राइजिंग कश्मीर', 'कश्मीर उजमा', 'आफताब' और 'तमीले इरशाद' समेत घाटी के नामचीन अंग्रेजी और उर्दू दैनिकों ने परंपरागत डिजाइन को छोड़ते हुए अपने पहले पन्ने को पूरी तरह काले रंग में प्रकाशित किया। हेडलाइन और संपादकीय सफेद और लाल रंग में छापे गए, जिससे दर्द और आक्रोश का स्पष्ट संदेश उभरकर सामने आया।
‘‘ग्रुसम: कश्मीर गटेड, कश्मीरीज ग्रीविंग’’ (भयावह: कश्मीर तबाह, शोक में कश्मीरी) 'ग्रेटर कश्मीर' ने इस हेडलाइन के साथ हमले की गंभीरता को रेखांकित किया। इसके बाद लाल रंग में उपशीर्षक दिया गया ‘‘26 किल्ड इन डेडली टेरर अटैक इन पहलगाम’’ (पहलगाम में भयावह आतंकी हमले में 26 की मौत)।
अखबार के पहले पन्ने पर छपे संपादकीय का शीर्षक था, ‘‘द मैसकर इन द मेडो - प्रोटेक्ट कश्मीर्स सोल’’ (घाटी में कत्लेआम – कश्मीर की रूह की हिफाजत जरूरी), जिसमें निर्दोष जानों की क्षति पर गहरा शोक जताया गया और घाटी की शांति व सौंदर्य की छवि पर पड़े साये को लेकर चिंता जाहिर की गई।
संपादकीय में लिखा गया – “यह नृशंस हमला सिर्फ इंसानों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की पहचान, संस्कृति, मेहमाननवाजी और अर्थव्यवस्था पर सीधा वार है। कश्मीर की आत्मा इस बर्बरता की घोर निंदा करती है और उन परिवारों के साथ गहरी संवेदना प्रकट करती है, जो यहां सुंदरता खोजने आए थे, लेकिन त्रासदी ले गए।”
लेख में यह भी उठाया गया कि जिस बेताब घाटी में यह हमला हुआ, वहां केवल पैदल या खच्चर के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। ऐसे में इतने दुर्गम और पर्यटकों से भरे इलाके में हमला होना सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक को दर्शाता है। “यह घटना खुफिया और समन्वय के स्तर पर गहरी खामी का संकेत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह एक चेतावनी है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”
अखबारों ने सरकार, सुरक्षाबलों, सिविल सोसाइटी और आम नागरिकों से मिलकर एकजुट होकर आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की। संपादकीय में यह भी कहा गया, “कश्मीर के लोगों ने वर्षों से हिंसा झेली है, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। यह हमला हमें बांटने नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एकजुट करने का अवसर होना चाहिए।”
अंत में आह्वान किया गया कि “आइए मिलकर यह सुनिश्चित करें कि पहलगाम की वादियों में फिर से हंसी गूंजे, गोलियों की आवाज नहीं। और कश्मीर, एक बार फिर अमन और तरक्की की मिसाल बने।”
यह संपादकीय प्रदर्शन न केवल घाटी की पत्रकारिता का साहस दिखाता है, बल्कि आम कश्मीरियों की आवाज को भी मुखर करता है – जो शांति चाहते हैं, और हर तरह की हिंसा के खिलाफ खड़े हैं।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अखबार 'दैनिक जागरण' ने भी पहलगाम हमले के विरोध में अपना फ्रंट पेज ब्लैक एंड व्हाइट किया और शीर्षक दिया- कश्मीर में आतंकी हमला, 28 की मौत। यह शीर्षक लाल रंग में छापा गया।
इसके साथ ही ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की मांग भी की है, ताकि वह इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें और समाधान के लिए मिलकर काम किया जा सके।
40 से अधिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने मैगजीन इंडस्ट्री की स्थिरता को खतरे में डाल रही गंभीर चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार से अपील की है।
इस बारे में 17 अप्रैल 2025 को जारी एक ज्ञापन में ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने नियामक अस्पष्टताओं, लॉजिस्टिक समस्याओं और संस्थागत समर्थन की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने वर्ष 2023 में लागू हुए प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स (PRP) एक्ट को लेकर आशंका जताई है और कहा है कि यह ‘अखबारों’ और ‘पीरियोडिकल्स’ (पत्रिकाओं) के बीच स्पष्ट भेद करता है, जबकि 1867 का पुराना कानून (Press and Registration of Books Act) ऐसा नहीं करता था।
‘AIM’ के अनुसार, ‘इस नई परिभाषा के चलते रियायती डाक दर, रेल परिवहन, न्यूजप्रिंट पर कम कस्टम ड्यूटी और सरकारी विज्ञापन जैसी सुविधाओं की पात्रता को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है। कुछ पब्लिकेशंस को डाक नवीनीकरण से इनकार किए जाने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।’
ऐसे में संस्था ने सरकार से अपील की है कि वह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे ताकि अखबारों और मैगजींस, दोनों को ही पूर्व में प्राप्त रियायतें और सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहें।
‘AIM’ के अनुसार, ‘मैगजीन इंडस्ट्री पारंपरिक रूप से कम लागत वाले डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भारतीय रेलवे पर निर्भर रही है। लेकिन हालिया नीतिगत बदलावों-जैसे कि उत्तरी रेलवे की पैसेंजर ट्रेनों में दोनों SLR डिब्बों का लीज पर जाना और यात्रियों के सामान की सीमा 400 किलोग्राम तक सीमित करना, ने इस मॉडल को बाधित कर दिया है। अब पब्लिशर्स को डिस्ट्रीब्यूशन के लिए कमर्शियल रेट या लीज कॉस्ट चुकानी पड़ रही है, जिससे लागत में इजाफा हो गया है।’
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने मांग की है कि देशभर में जिन 18–20 ट्रेनों का इस्तेमाल मैगजींस डिस्ट्रीब्यूशन के लिए आम तौर पर होता है, उनमें कम से कम 1,000 किलो स्पेस आरक्षित किया जाए ताकि लॉजिस्टिक समस्याओं को कम किया जा सके।
संस्था ने यह भी आग्रह किया है कि सरकारी वित्त पोषित शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों में मैगजींस की सदस्यता को बढ़ावा दिया जाए। ‘AIM’ के अनुसार, ‘देश में 10 लाख से अधिक स्कूल, 58,000 उच्च शिक्षा संस्थान और 54,000 से अधिक सार्वजनिक पुस्तकालय हैं।’ संस्था ने सुझाव दिया है कि विभिन्न मंत्रालय सरकारी स्कूलों (जैसे कि केवीएस और जेएनवीएस), विश्वविद्यालयों और कॉलेजों (यूजीसी/AICTE द्वारा वित्त पोषित), सार्वजनिक पुस्तकालयों और अन्य संस्थानों में मैगजींस के सबस्क्रिप्शन के लिए बजट आवंटन को प्रोत्साहित करें। ‘AIM’ ने उल्लेख किया कि बिहार, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों ने पहले ही इस दिशा में पहल की है और यदि केंद्र सरकार सहयोग करे तो इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार दिया जा सकता है।
इसके साथ ही ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की मांग की है, ताकि वह इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें और समाधान के लिए मिलकर काम किया जा सके।