सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक इस MoU के तहत समीर जैन को समूह के सभी अखबारों के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन का पूरा कारोबार मिलेगा, जबकि विनीत जैन को टीवी-रेडियो बिजनेस और 3,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।
‘टाइम्स ग्रुप’ (Times Group) में MoU (memorandum of understanding) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, माना जा रहा है कि लंबे समय से चल रही इस प्रक्रिया को गुरुवार को अंतिम रूप दे दिया गया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि इस MoU के तहत समीर जैन को समूह के सभी अखबारों जैसे- ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘इकनॉमिक टाइम्स’, ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘विजय कर्नाटक’ के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन का पूरा कारोबार मिलेगा। वहीं, उनके छोटे भाई विनीत जैन को ब्रॉडकास्ट, रेडियो मिर्ची, एंटरटेनमेंट (ENIL) और अन्य बिजनेस जैसे फिल्मफेयर, फेमिना के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन भी मिलेंगे। ‘ईटी मनी’ और ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ भी उनके पास बना रहेगा। वर्तमान में, एमएक्स प्लेयर के साथ सभी ऑनलाइन एडिशंस ‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ का हिस्सा हैं, जो जैन भाइयों के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण था।
सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि समूह का प्रिंट व्यवसाय रेवेन्यू के मामले में काफी बड़ा है, इसलिए विनीत जैन को इस MoU के तहत अपने बड़े भाई से कम से कम 3,500 करोड़ रुपये भी मिलेंगे। हालांकि, विभिन्न कारकों के आधार पर यह राशि 5,000 करोड़ रुपये तक भी जा सकती है।
सूत्रों का कहना है, ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (BCCL) समूह के बीच MoU गुरुवार को दिल्ली में जैन भाइयों के लुटियन बंगले में हुआ। दोनों भाइयों ने इस MoU पर हस्ताक्षर किए, इसके बाद एक पारिवारिक पूजा हुई और दोनों भाइयों ने एक नई शुरुआत के तहत एक पौधे को मिलकर रोपा।’
एमओयू को एक कानूनी दस्तावेज में बदलने की जरूरत होती है और माना जा रहा है कि शीर्ष कानूनी फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास इस पहलू पर काम कर रही है।
मामले से जुड़े लोगों ने बताया, 'कंपनी से संबंधित अचल संपत्ति, जिसमें देशभर में विभिन्न संपत्तियां और प्रिंटिंग प्रेस शामिल हैं, का भी मूल्यांकन किया गया है और इसे दोनों भाइयों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा।'
बता दें कि इस बारे मे समीर जैन, विनीत जैन और समूह की तरफ से किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर टाइम्स समूह के अधिकारियों ने बताया कि समीर जैन पहले से ही प्रिंट और विनीत जैन टीवी, रेडियो व टाइम्स इंटरनेट का कारोबार संभाल रहे थे।
यूनिवर्सिटी और निवेश शाखा का मूल्यांकन बाद में किया जाएगा
बेनेट यूनिवर्सिटी की अधिकांश संस्थाओं को एक स्वतंत्र ट्रस्ट में रखा जाएगा व ट्रस्टियों द्वारा चलाया जाएगा और बाद में उनका मूल्यांकन व विभाजन किया जाएगा। टाइम्स ग्रुप की रणनीतिक निवेश शाखा ब्रैंड कैपिटल का अभी तक मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसे बाद में विभाजित किया जाएगा।
ये निवेशक होंगे शामिल
माना जा रहा है कि समीर जैन ने MoU के तहत भुगतान के लिए धन की तलाश शुरू कर दी थी, ताकि वह अपने छोटे भाई को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान कर सकें। सूत्रों के अनुसार, दोनों भाई अपनी-अपनी संस्थाओं के लिए और निवेशकों को भी अपने साथ जोड़ सकते हैं।
पांच इकाइयों का विलय
‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCLT) के आदेश के क्रम में कंपनी के स्ट्रक्चर को नए सिरे से व्यवस्थित करने के तहत ‘BCCL’ अपनी पांच सहायक कंपनियों- माइंड गेम्स शो प्राइवेट (MGSPL), अनंत प्रॉपर्टीज प्राइवेट (APPL), अमृता एस्टेट्स प्राइवेट (AEPL), टाइम्स डिजिटल (TDL) टाइम्स जर्नल (TJIL) और विनाबेला मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट (VMEPL) का भी विलय कर रही है। ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ ने चार मई को विलय को मंजूरी दे दी थी और यह अप्रैल 2021 से प्रभावी होगी।
जटिल प्रक्रिया
देश की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली मीडिया कंपनियों में से एक टाइम्स ग्रुप (बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड या बीसीसीएल) कारोबार चलाने के तरीकों पर भाइयों के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण लंबे समय से अनिश्चितता का सामना कर रही है। करीब दो साल से इस MoU की बात चल रही थी।
समीर जैन अपने भाई विनीत जैन से 10 साल बड़े हैं और BCCL के वाइस चेयरमैन के रूप में कार्य करते हैं, जबकि विनीत मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। लेकिन जब व्यापार कौशल, लाइफ स्टाइल और कंपनी के लिए विजन की बात आती है तो जैन बंधु कथित तौर पर एक-दूसरे से अलग दिखाई देते हैं।
मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि कंपनी की संपत्ति को 70 से अधिक इकाइयों को विभाजित करने के लिए एक विस्तृत मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें सबसे जटिल में से एक टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड (टीआईएल) भी शामिल रही।
इस नीलामी की देखरेख के लिए दो मध्यस्थ नियुक्त किए गए थे। इसमें टेलीकॉम ऑपरेटर ‘भारती एयरटेल’ के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल और डालमिया परिवार के एक सदस्य शामिल थे, जो 1950 के दशक में कंपनी को जैन परिवार को सौंपने से पहले ‘BCCL’ के मालिक थे।
व्यवसायों की बिक्री
‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ पिछले दो वर्षों से अपने बिजनेस को मजबूत करने और घाटे में चल रही संस्थाओं को बंद करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
कंपनी ने वर्ष 2022 की शुरुआत में रेस्टोरेंट बुकिंग ऐप ‘डाइनआउट’ (Dineout) के साथ-साथ शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स टकाटक’ (MX TakaTak) को बेच दिया था। इसने हाल ही में अपनी दो कंटेंट वेबसाइट्स-MensXP और iDiva- और इसके क्रिएटर मैनेजमेंट वर्टिकल Hypp को Mensa Brands को बेच दिया था।
यह ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ को भी बेचने की प्रक्रिया में है। कंपनी अब इसे ऐसी कीमत पर बेचने के लिए ‘एमेजॉन’ के साथ बातचीत कर रही है जो कथित तौर पर इसकी अधिग्रहण लागत से कम है।
टाइम्स इंटरनेट ने एमएक्स प्लेयर को 2018 में अनुमानित 140 मिलियन डॉलर या लगभग 1,000 करोड़ रुपये में खरीदा था। सूत्रों का दावा है कि एमेजॉन ने लगभग 60 मिलियन डॉलर की पेशकश की है, जो इसकी खरीद लागत का लगभग आधा है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि Data.ai की स्टेट ऑफ मोबाइल 2023 रिपोर्ट के अनुसार, MX प्लेयर को भारत में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला ऐप और 2022 में दुनिया में तीसरा सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला ऐप माना गया है।
इसकी फाइनेंसियल रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की इकाई ‘ग्रेडअप’ (Gradeup) को पहले ही ‘एनसीएलटी’ की मंजूरी के जरिये ‘बायजू’ (Byju’s) के साथ मिला दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइम्स इंटरनेट की शेयरहोल्डिंग में भी बदलाव हुआ है और टाइम्स ग्रुप की अलग-अलग संस्थाओं और परिवार के सदस्यों की हिस्सेदारी 2021-22 में बीसीसीएल को ट्रांसफर कर दी गई थी।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
‘आईटीसी लिमिटेड’ (ITC Limited) में मार्केटिंग व एक्सपोर्ट्स के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट करुणेश बजाज को साल 2025-26 के लिए ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) का नए चेयरमैन चुना गया है। इसके साथ ही बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और बोर्ड मेंबर मोहित जैन को डिप्टी चेयरमैन चुना गया है।
मुंबई में ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ की वार्षिक आम बैठक (AGM) में हुए चुनाव में यह फैसला लिया गया। बता दें कि हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
यह भी पढ़ें: ITC के करुणेश बजाज बन सकते हैं ABC के नए चेयरमैन, BCCL के मोहित जैन होंगे वाइस चेयरमैन
बजाज वर्तमान चेयरमैन रियाद मैथ्यू, जो मलयाला मनोरमा ग्रुप के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर हैं, की जगह लेंगे। बजाज एक अनुभवी बिजनेस लीडर हैं, जिन्हें दो दशकों से अधिक का इंडस्ट्री अनुभव है। मार्केटिंग इनसाइट और बिजनेस अक्यूमेन के दुर्लभ संयोजन के कारण उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मोहित जैन भी टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से बीते दो दशकों से जुड़े हुए हैं। इससे पहले उन्होंने जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर और Huhtamaki में काम किया है। समय के साथ उन्होंने रणनीतिक समझ और मीडिया बिजनेस की गहरी जानकारी के लिए मजबूत प्रतिष्ठा अर्जित की है।
ग्लोबल एंटरटेनमेंट न्यूज पब्लिकेशन 'वैरायटी' (Variety) आधिकारिक तौर पर भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहा है।
ग्लोबल एंटरटेनमेंट न्यूज पब्लिकेशन 'वैरायटी' (Variety) आधिकारिक तौर पर भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहा है। इस खबर को फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने एक्स (X) पर एक पोस्ट के माध्यम से साझा किया।
आदर्श ने पोस्ट किया, "वैरायटी (Variety) भारत में प्रवेश कर रहा है – वैरायटी इंडिया की शुरुआत... वैरायटी, जिसे वैश्विक स्तर पर एंटरटेनमेंट बिजनेस न्यूज के सबसे भरोसेमंद और आधिकारिक स्रोत के रूप में जाना जाता है, ने वैरायटी इंडिया लॉन्च करने की घोषणा की है। यह लॉन्च Thursday Tales Publishing Pvt Ltd के साथ साझेदारी में किया जाएगा, जिसका नेतृत्व इंडस्ट्री के दिग्गज सरिता ए. तंवर और गौतम बी. ठक्कर करेंगे।”
भारत में इस संस्करण का मुख्यालय मुंबई में होगा और इसका नेतृत्व सरिता ए. तंवर करेंगी। उन्होंने आगे कहा, “यह फिल्म, टीवी, स्ट्रीमिंग, थिएटर और पॉप कल्चर को आकार देने वाली आवाजों को उजागर करेगा... इसका लॉन्च नवंबर 2025 में होना तय है।”
वैरायटी इंडिया की पूरी संपादकीय और नेतृत्व टीम का अनावरण आने वाले महीनों में किया जाएगा।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स (AIM) ने GST काउंसिल को पत्र लिखकर मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को रेखांकित किया है
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स (AIM) ने GST काउंसिल को पत्र लिखकर मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को रेखांकित किया है और आगामी GST ढांचे के पुनर्गठन में तात्कालिक सुधारों की मांग की है।
27 अगस्त 2025 को लिखे अपने पत्र में AIM, जो 10 भाषाओं में 200 से अधिक मैगजींस और 40 से अधिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करता है तथा 15 करोड़ भारतीयों तक पहुंचता है, ने सरकार से आग्रह किया कि टैक्स पॉलिसीज को प्रिंट और डिजिटल पब्लिशिंग की बदलती जरूरतों के अनुरूप बनाया जाए।
AIM ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा का स्वागत किया जिसमें उन्होंने GST व्यवस्था में व्यापक सुधार का वादा किया था ताकि समानता और व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित हो सके। हालांकि, एसोसिएशन ने कुछ गंभीर विसंगतियों को भी रेखांकित किया जो इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं।
डिजिटल संस्करण पर GST – जहां प्रिंट मैगजीन और समाचारपत्रों को GST से छूट है, वहीं उनके डिजिटल संस्करण पर 18% GST लगता है। AIM ने तर्क दिया कि यह भारत की नॉलेज पर टैक्स न लगाने की पुरानी नीति के खिलाफ है और डिजिटल अपनाने को अनुचित रूप से दंडित करता है, खासकर तब जब पाठक तेजी से ऑनलाइन कंटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। AIM ने डिजिटल संस्करणों पर पूर्ण GST छूट की मांग की, ताकि प्रिंट और डिजिटल में समानता लाई जा सके।
न्यूजप्रिंट और लाइट वेट कोटेड (LWC) पेपर पर GST – AIM ने बताया कि न्यूजप्रिंट पर केवल 5% GST है, जबकि मैगजीन में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले LWC पेपर पर 12% कर लगाया जाता है, जबकि दोनों प्रकाशन के लिए आवश्यक इनपुट हैं। AIM ने काउंसिल से मांग की कि 70 जीएसएम तक के LWC पर GST पूरी तरह हटा दिया जाए या कम से कम इसे घटाकर 5% कर दिया जाए।
कवर पेपर पर GST – मैगजीन में इस्तेमाल होने वाला मोटा कवर पेपर वर्तमान में वाणिज्यिक पैकेजिंग सामग्री के अंतर्गत वर्गीकृत है और इस पर उच्च दर से कर लगता है। AIM ने मांग की है कि पंजीकृत पब्लिशर्स के लिए इसे या तो GST से मुक्त किया जाए या फिर इसे न्यूजप्रिंट की तरह 5% पर लाया जाए।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) – वर्तमान में पब्लिशर्स को केवल अनुपातिक आईटीसी की अनुमति है, क्योंकि प्रसार राजस्व (circulation revenue) पर GST नहीं लगता। AIM ने जोर देकर कहा कि इससे लागत अनुचित रूप से बढ़ जाती है, क्योंकि उत्पादन खर्च प्रसार और विज्ञापन के बीच अलग नहीं किए जा सकते। उसने सभी इनपुट पर पूर्ण आईटीसी की मांग की, चाहे प्रसार राजस्व कर-मुक्त ही क्यों न हो।
एसोसिएशन ने रेखांकित किया कि मैगजीन उद्योग बढ़ती इनपुट लागत, घटती विज्ञापन आय और डिजिटल व्यवधान से जूझ रहा है। ऐसे में एक तर्कसंगत GST ढांचा इस इंडस्ट्री के अस्तित्व और विकास के लिए बेहद अहम है।
प्रतिनिधित्व पर हस्ताक्षर करते हुए AIM के अध्यक्ष अनंत नाथ ने काउंसिल से आग्रह किया कि इन सुधारों पर प्रधानमंत्री की उस दृष्टि के अनुरूप विचार किया जाए, जिसमें उन्होंने एक व्यवसाय-हितैषी और कुशल GST ढांचे की बात कही थी, जो ज्ञान के प्रसार को कमजोर न करे। स्टोरी की तरह लगे?
नमिता फिलहाल सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं और लंबे समय से अखबार के फीचर सप्लीमेंट की कमान संभाल रही हैं।
हिंदी के प्रमुख अखबारों में शुमार ‘नवभारत टाइम्स’ (NBT) में वरिष्ठ पत्रकार नमिता जोशी का ‘कद’ बढ़ गया है। इसके तहत उन्हें संडे एडिशन का भी हेड बनाया गया है।
मौजूदा संडे एडिटर राजेश मित्तल के रिटायर होने के बाद नमिता यह जिम्मेदारी अगले हफ्ते से संभालेंगी। नमिता फिलहाल सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं और लंबे समय से अखबार के फीचर सप्लीमेंट की कमान संभाल रही हैं। अब वह फीचर समूह के साथ-साथ संडे एनबीटी का भी नेतृत्व करेंगी।
बता दें कि नमिता जोशी का पूरा करियर ‘नवभारत टाइम्स’ से ही जुड़ा रहा है। उन्होंने यहां बतौर ट्रेनी शुरुआत की और धीरे-धीरे अपनी मेहनत व काबिलियत के दम पर अहम पदों तक पहुंची हैं। वह न्यूज डेस्क, फ्रंट पेज और नैशनल पेज जैसी टीमों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। एडिट पेज पर भी उन्होंने काफी समय तक काम किया है। पिछले दस वर्षों से वह फीचर टीम की हेड हैं।
महिला मुद्दों पर लगातार लिखते हुए नमिता ने अपनी अलग पहचान बनाई है। अखबार में वह ‘कभी सोचा है…’ नाम से कॉलम लिखती हैं, जिसमें महिलाओं से जुड़े संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय उठाए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित होने वाली ऑल विमेन बाइक रैली की पूरी रूपरेखा भी वही तैयार करती हैं।
‘एनबीटी’ के चल रहे अभियान ‘बराबरी की भाषा’ को भी नमिता ही लीड कर रही हैं। इस कैंपेन के जरिए प्रोफेशनल शब्दों में महिलाओं के लिए नई शब्दावली गढ़ने की कोशिश की जा रही है। जैसे-सैनिक की महिला पहचान ‘सैनिक़ा’, कलाकार की महिला पहचान ‘कलाकारा’ आदि। इस पहल पर उनके लेख सोशल मीडिया में भी चर्चित रहे हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से नमिता जोशी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना नवीनतम अंक जारी किया है। यह अंक उस ‘मोड़’ का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो देश के सबसे गतिशील डिजिटल इंडस्ट्रीज में से एक के सामने आया है।
देश की प्रमुख बिजनेस पत्रिका 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना नवीनतम अंक जारी किया है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और विनियमन विधेयक 2025 के पारित होने के बाद भारत के गेमिंग इकोसिस्टम को झकझोर देने वाले बदलावों पर विस्तृत रिपोर्ट शामिल है। यह अंक उस ‘मोड़’ का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो देश के सबसे गतिशील डिजिटल इंडस्ट्रीज में से एक के सामने आया है।
इस अंक की कवर स्टोरी बताती है कि किस तरह संसद के निर्णय ने रियल मनी गेम्स- जैसे रम्मी, पोकर और फैंटेसी स्पोर्ट्स को प्रतिबंधित करके भारत के गेमिंग परिदृश्य की रूपरेखा ही बदल दी। विश्लेषण दर्शाता है कि किस तेजी से यह विधेयक पारित हुआ और सिर्फ 72 घंटों में दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई, जिससे Dream11, MPL, Gameskraft, Zupee, WinZO और PokerBaazi जैसी दिग्गज कंपनियों के संचालन तुरंत ठप हो गए।
यह केवल एक नियामक बदलाव नहीं बल्कि पूरे इंडस्ट्री की रीसेटिंग है। हम उन प्लेटफॉर्म्स के टूटने के गवाह हैं, जो करोड़ों भारतीयों के लिए घरेलू नाम और सांस्कृतिक पहचान बन चुके थे।
आर्थिक विश्लेषण इस कानून की मानवीय कीमत को सामने लाता है। 250 मिलियन उपभोक्ताओं को अचानक अपने पसंदीदा गेमिंग प्लेटफॉर्म से अलग कर दिया गया। वित्तीय नुकसान ने भारत के निवेश परिदृश्य को गहराई तक प्रभावित किया, जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के ₹65,000 करोड़ एक ही विधायी कदम में मिटा दिए गए।
सबसे स्पष्ट असर विज्ञापन क्षेत्र पर पड़ा, जहां ₹10,000 करोड़ का वार्षिक बाजार पूरी तरह मिट जाने के कगार पर है। यह उथल-पुथल ₹4,500 करोड़ के गेमिंग विज्ञापन इकोसिस्टम में फैल गई है, जिससे मशहूर हस्तियों- एमएस धोनी, विराट कोहली, शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन के लिए तुरंत अनुबंधीय संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि अब उनके हाई-प्रोफाइल एसोसिएशन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ कानूनी रूप से असंभव हो गए हैं।अस
इस नए अंक की जांच यह उजागर करती है कि प्रतिबंध ने कैसे गेमिंग कंपनियों से कहीं आगे तक संकट को फैला दिया है। डिजिटल विज्ञापन दिग्गज Google, YouTube और Meta भी भारी राजस्व प्रभाव के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि उनके विज्ञापन इन्वेंट्री का बड़ा हिस्सा गेमिंग-प्रेरित खर्च पर निर्भर है।
अंक में संतुलित कवरेज है, जिसमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस बयान को शामिल किया गया है कि यह कानून ‘उपभोक्ताओं की रक्षा करने, युवाओं को सुरक्षित रखने और लत व धोखाधड़ी के खतरे को समाप्त करने की एक निर्णायक पहल है।’ साथ ही, इसमें इंडस्ट्री की उन चिंताओं की भी चर्चा की गई है, जो प्रतिबंध की अनुपातिकता पर सवाल उठाती हैं।
विश्लेषण इंडस्ट्री की इस केंद्रीय चेतावनी पर भी प्रकाश डालता है कि ‘प्रतिबंध शायद ही कभी मांग को समाप्त करता है, यह उसे केवल भूमिगत ले जाता है।’ इससे यह सवाल उठता है कि कहीं यह बदलाव उपभोक्ता सुरक्षा के सरकार के घोषित उद्देश्यों को कमजोर न कर दे, क्योंकि लोग अब असं regulated या ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं।
अंक में यह भी विस्तार से बताया गया है कि विधेयक किस तरह निषिद्ध रियल मनी वाले फॉर्मेट और अनुमेय श्रेणियों- जैसे ईस्पोर्ट्स और कैजुअल गेम्स के बीच अंतर करता है। यह carve-out (इंडस्ट्री के एक हिस्से को अलग कर देना), जहां नए विकास मार्ग खोल सकता है, वहीं इंडस्ट्री के सामने वर्गीकरण और अनुपालन को लेकर बड़ी जटिलताएं भी खड़ी करता है।
अंक गेमिंग इंडस्ट्री की नियामक चुनौतियों की तुलना फिनटेक सेक्टर के सफल विकास से करता है। फिनटेक उदाहरण बताता है कि कैसे वह इंडस्ट्री उपभोक्ता सुरक्षा और इनोवेशन के बीच प्रभावी संतुलन स्थापित करने में कामयाब रहा। जैसे ही भारत का गेमिंग इंडस्ट्री अपनी नई हकीकत से जूझ रहा है, फिनटेक मॉडल नियामकों, इंडस्ट्री और उपभोक्ता समर्थकों के बीच रचनात्मक संवाद का सबक देता है। लेकिन यह अभी भी खुला सवाल है कि क्या ऐसे सहयोगी दृष्टिकोण गेमिंग संकट में लागू हो सकते हैं।
'BW बिजनेसवर्ल्ड' का यह नया अंक डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मैट में उपलब्ध है। इसके डिजिटल संस्करण में और गहरी जानकारियाँ और पूरी रिपोर्ट पढ़ी जा सकती हैं।
44 साल की विरासत के साथ 'BW बिजनेसवर्ल्ड' भारत का सबसे तेजी से बढ़ता 360-डिग्री बिजनेस मीडिया हाउस है। 23 विशेष व्यावसायिक समुदायों और 10 मैगजीन के नेटवर्क के साथ, यह घरेलू और वैश्विक वर्टिकल्स में सक्रिय है, जहां सम्मेलन और मंच आयोजित करके व्यावसायिक नेताओं के बीच संवाद और सहयोग का अनुकूल माहौल बनाया जाता है। BW के सभी अंक डिजिटल रूप से भी उपलब्ध हैं, जिनमें ऑनलाइन और वीडियो स्टोरीज शामिल होती हैं, और हर अंक का ई-मैगजीन भी मिलता है।
देश की शीर्ष प्रिंट मीडिया कंपनियों ने Q1 FY26 में मिश्रित प्रदर्शन दर्ज किया, जिसने यह दर्शाया कि एक ओर विज्ञापन मांग में मजबूती रही तो दूसरी ओर प्रसार पर लगातार बने ढांचागत दबाव ने चुनौती पेश की।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
देश की शीर्ष प्रिंट मीडिया कंपनियों ने Q1 FY26 में मिश्रित प्रदर्शन दर्ज किया, जिसने यह दर्शाया कि एक ओर विज्ञापन मांग में मजबूती रही तो दूसरी ओर प्रसार पर लगातार बने ढांचागत दबाव ने चुनौती पेश की। जहां कुछ हिस्सों में विज्ञापन मजबूत रहा, वहीं सब्सक्रिप्शन राजस्व पर दबाव बना रहा, जो बदलते कंजप्शन पैटर्न के बीच पाठकों से कमाई की लगातार चुनौती को उजागर करता है।
DB कॉर्प, एचटी मीडिया और जागरण प्रकाशन के लाभप्रदता रुझानों ने कंपनी-विशेष रणनीतियों और व्यापक उद्योग गतिशीलताओं दोनों को दर्शाया- चाहे वह उच्च लागत वाले इवेंट हों या डिजिटल विस्तार की पहल। तिमाही ने क्षेत्रीय और अंग्रेजी भाषा के प्रकाशकों के बीच स्पष्ट अंतर भी दिखाया। हिंदी अखबार, जिनकी स्थानीय बाजारों में गहरी पैठ है, अपेक्षाकृत मजबूत रहे और मुख्य बाजारों में स्थिर विज्ञापन खर्च से लाभान्वित हुए। वहीं, अंग्रेजी प्रकाशकों को अधिक दबाव झेलना पड़ा, क्योंकि मौसमी सुस्ती और प्रसार से कमाई की चुनौतियों ने राजस्व और लाभ दोनों को प्रभावित किया।
प्रिंट के लिए विज्ञापन जीवनरेखा बना हुआ है, लेकिन तीनों प्रकाशकों के प्रदर्शन में अलग-अलग रुझान दिखे।
DB कॉर्प का विज्ञापन राजस्व साल-दर-साल 7% घटा, जिसका मुख्य कारण Q1FY25 में चुनाव से जुड़े बड़े खर्चों से बनी उच्च आधार रेखा रही। हालांकि समायोजित आधार पर प्रबंधन ने उच्च सिंगल-डिजिट वृद्धि पर जोर दिया, जो मुख्य बाजारों में मजबूत विज्ञापनदाता मांग को दर्शाता है।
जागरण ने सुस्ती को मात देते हुए विज्ञापन राजस्व में 5% की वृद्धि दर्ज की, जो बढ़कर ₹311.6 करोड़ हो गया। वृद्धि कई श्रेणियों में व्यापक रही, जिसमें एफएमसीजी, शिक्षा और सरकारी अभियानों ने गति दी। डिजिटल राजस्व ने भी सहारा दिया, जो साल-दर-साल लगभग 5% बढ़कर ₹23.4 करोड़ हो गया।
एचटी मीडिया ने विज्ञापन राजस्व में 17% साल-दर-साल बढ़त दर्ज की, जो ₹255 करोड़ तक पहुंचा। इसके अंग्रेजी अखबारों का विज्ञापन राजस्व 19% बढ़कर ₹140 करोड़ रहा, जबकि हिंदी खंड में 14% की वृद्धि होकर ₹116 करोड़ तक पहुंचा। हालांकि क्रमिक आधार पर, मार्च तिमाही के बाद मौसमी कमजोरी के चलते अंग्रेजी और हिंदी दोनों विज्ञापन राजस्व घटे।
प्रसार आय के मोर्चे पर मिश्रित तस्वीर रही।
DB कॉर्प का प्रसार राजस्व स्थिर रहा, जो ₹120.3 करोड़ रहा जबकि पिछले साल यह ₹119.2 करोड़ था। कंपनी को अनुशासित सब्सक्रिप्शन प्राइसिंग और स्थिर पाठक आधार से लाभ हुआ।
जागरण का प्रसार राजस्व भी लगभग अपरिवर्तित रहा, ₹84.9 करोड़ जबकि पिछले साल यह ₹85.5 करोड़ था, जो बताता है कि मूल्य निर्धारण अनुशासन और वॉल्यूम प्रबंधन ने कठिनाइयों के बावजूद आय को स्थिर बनाए रखा।
एचटी मीडिया का प्रसार राजस्व 22% घटकर ₹39 करोड़ रहा। प्रबंधन ने इसका कारण छूट वाले सब्सक्रिप्शन ऑफ़र्स के जरिए पाठक आधार बढ़ाने की रणनीति को बताया, जिसने अस्थायी रूप से राजस्व को दबा दिया, भले ही प्रसार वॉल्यूम में सुधार हुआ।
रेडियो और डिजिटल जैसे सहायक कारोबारों ने प्रिंट-विशेष दबाव को संभालने और धीरे-धीरे मल्टी-प्लेटफॉर्म राजस्व मॉडल की ओर बढ़ने में मदद की।
DB कॉर्प की रेडियो डिवीजन ने स्थिर आय दी। रेडियो विज्ञापन राजस्व ₹39.2 करोड़ रहा, जो पिछले साल के ₹38.8 करोड़ से थोड़ा अधिक है। हालांकि, रेडियो EBITDA ₹13.2 करोड़ से घटकर ₹11.5 करोड़ रह गया। प्रबंधन ने कहा कि स्थानीय विज्ञापन मांग बढ़ रही है, लेकिन मार्जिन पर दबाव बना हुआ है।
जागरण के डिजिटल राजस्व Q1FY26 में बढ़कर ₹23.4 करोड़ हो गए, जो पिछले साल ₹22.3 करोड़ थे। यह वृद्धि कंपनी के मल्टी-प्लेटफॉर्म उपस्थिति बनाने में किए निवेश को दर्शाती है।
एचटी मीडिया को अपने रेडियो सेगमेंट में दबाव झेलना पड़ा। रेडियो राजस्व घटकर ₹31 करोड़ रह गया, जो पिछले साल ₹36 करोड़ था। कंपनी ने कहा कि यह आंशिक रूप से उच्च आधार प्रभाव के कारण हुआ। मार्जिन माइनस 21% रहा। इसके विपरीत, एचटी मीडिया के डिजिटल पोर्टफोलियो ने स्वस्थ वृद्धि दिखाई। इस खंड का राजस्व बढ़कर ₹56 करोड़ हो गया, जो साल-दर-साल 21% की वृद्धि है, हालांकि परिचालन मार्जिन अभी भी माइनस 38% पर है।
तीनों कंपनियों के शुद्ध लाभ में तीखा अंतर रहा।
DB कॉर्प का PAT 31% घटकर ₹80.8 करोड़ रहा, जो कम विज्ञापन राजस्व और EBITDA में कमी (₹190.9 करोड़ से घटकर ₹138.4 करोड़) के कारण हुआ। हालांकि क्रमिक आधार पर EBITDA 45% बढ़ा, क्योंकि न्यूजप्रिंट लागत में नरमी और खर्च प्रबंधन से मार्जिन 31% तक सुधरा।
जागरण ने 62.8% की मजबूत वृद्धि के साथ PAT ₹66.8 करोड़ दर्ज किया। इसे उच्च विज्ञापन राजस्व और अन्य आय में 123% उछाल (₹51.5 करोड़) से समर्थन मिला। हालांकि परिचालन लाभ ₹65.5 करोड़ से घटकर ₹63.8 करोड़ रहा, जिससे स्पष्ट हुआ कि शुद्ध लाभ वृद्धि में गैर-परिचालन आय का बड़ा योगदान था।
एचटी मीडिया Q1FY26 में ₹11.4 करोड़ के घाटे में चला गया, जबकि पिछली तिमाही में इसे ₹51.4 करोड़ का लाभ हुआ था। प्रबंधन ने कमजोर प्रसार राजस्व और उच्च लागत को मुख्य कारण बताया। हालांकि घाटा Q1FY25 के ₹27.6 करोड़ से कम रहा, जो साल भर में परिचालन लाभांश में कुछ सुधार को दर्शाता है।
प्रिंट क्षेत्र विज्ञापनदाताओं के भरोसे पर टिका हुआ है, लेकिन प्रसार पर संरचनात्मक दबाव और डिजिटल की ओर बदलाव चुनौती बने हुए हैं।
DB कॉर्प और जागरण के स्थिर विज्ञापन और प्रसार आंकड़े क्षेत्रीय बाजारों में हिंदी अखबारों की मजबूती को रेखांकित करते हैं। वहीं, एचटी मीडिया की मुश्किलें अंग्रेजी प्रकाशन की कठिनाइयों को उजागर करती हैं, जहां प्रसार से कमाई अभी भी कठिन बनी हुई है।
आने वाले समय में लागत प्रबंधन और न्यूजप्रिंट मूल्य प्रवृत्तियां मार्जिन को बनाए रखने में अहम होंगी। साथ ही, रेडियो और डिजिटल जैसे सहायक कारोबार राजस्व की अस्थिरता को संतुलित करने में और भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
रोहित भटनागर इससे पहले करीब तीन साल से ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ (The Free Press Journal) में अपनी भूमिका निभा रहे थे।
‘एचटी सिटी’ (HT City) दिल्ली ने रोहित भटनागर को अपना नया एंटरटेनमेंट एडिटर नियुक्त करने की घोषणा की है। वह इससे पहले ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ (The Free Press Journal) में इसी पद पर तीन साल तक अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
रोहित भटनागर को प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में 16 साल से अधिक का अनुभव है।
भटनागर मुंबई की कई प्रमुख मीडिया संस्थाओं का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें ‘B4U’, ‘CNN-IBN’, ‘E24’, ‘Bollywood Now’, ‘डेक्कन क्रॉनिकल’, ‘मुंबई मिरर’ और ‘PeepingMoon’ भी शामिल हैं।
भारत की सबसे सम्मानित बिजनेस मैगजीन 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपनी 45वीं वर्षगांठ पर विशेष अंक की घोषणा की है।
भारत की सबसे सम्मानित बिजनेस मैगजीन 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपनी 45वीं वर्षगांठ पर विशेष अंक की घोषणा की है। अपनी स्थापना के बाद से ही यह पत्रिका भारत की कॉर्पोरेट और आर्थिक यात्रा का दस्तावेजीकरण करने, महत्वपूर्ण चर्चाओं को आकार देने और अहम पड़ावों को दर्ज करने में अग्रणी रही है।
भविष्य की ओर देखता विशेषांक
यह स्मारक अंक निम्न विषयों पर प्रकाश डालेगा:
India@2047: विकसित भारत के लिए विजन और रोडमैप
The Changing Face of Leadership: यह समझ कि लीडर्स भविष्य की तैयारी किस तरह कर रहे हैं
Voices That Matter: नीतिनिर्माताओं, उद्यमियों और उद्योग जगत के अग्रणी हस्तियों के दृष्टिकोण, जो कल को आकार दे रहे हैं
संग्रहणीय अंक
45वीं वर्षगांठ का यह अंक न सिर्फ अतीत पर नजर डालेगा, बल्कि आने वाले समय का खाका भी प्रस्तुत करेगा। इसमें विशेष निबंध, गहन फीचर और भारत के सबसे प्रभावशाली निर्णयकर्ताओं के लिए थॉट लीडरशिप शामिल होगी।
विस्तृत प्रभाव
यह ऐतिहासिक अंक विस्तारित प्रसार और डिजिटल प्रसार-प्रचार से और अधिक प्रभावी होगा, जिससे यह बिजनेस लीडर्स, नीतिनिर्माताओं, उद्यमियों और बदलाव लाने वाले व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र तक अधिकतम दृश्यता सुनिश्चित करेगा। यह संगठनों के लिए भारत की विकास यात्रा के एक निर्णायक क्षण से जुड़ने का अनोखा अवसर प्रदान करता है।
BW बिजनेसवर्ल्ड का 45वीं वर्षगांठ विशेषांक सितंबर 2025 में जारी किया जाएगा।
छह साल के अंतराल के बाद, मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUCI) तीन शहरों में पायलट इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) करने पर विचार कर रहा है
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
छह साल के अंतराल के बाद, मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUCI) तीन शहरों में पायलट इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) करने पर विचार कर रहा है, ताकि बदलते रीडरशिप पैटर्न को प्रिंट और डिजिटल दोनों न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर ट्रैक किया जा सके। इंडस्ट्री सूत्रों ने यह जानकारी एक्सचेंज4मीडिया को दी।
अधिकारियों ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया, “काउंसिल ने इस महीने की शुरुआत में अपनी बोर्ड मीटिंग में तीन मार्केट्स में पायलट सर्वे करने पर चर्चा की थी, जिसमें प्रिंट और डिजिटल न्यूज रीडरशिप दोनों को कवर किया जाएगा। हालांकि, इन मार्केट्स के चयन पर अभी सहमति नहीं बन पाई है।”
अधिकारियों का कहना है कि अगले मीटिंग में मार्केट्स के नाम, सैंपल साइज, मेथडोलॉजी और सर्वे की टाइमलाइन को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। सर्वे में शहरी और अर्ध-शहरी आबादी को शामिल किया जाना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, काउंसिल संभवतः इस बहुप्रतीक्षित सर्वे को अंजाम देने के लिए रिसर्च फर्म Inteliphyle को शामिल कर सकता है, जिसका नेतृत्व प्रसून बासु कर रहे हैं, जो पहले कंतार और नीलसन में एग्जिक्यूटिव रह चुके हैं।
जब एक्सचेंज4मीडिया ने IRS पायलट टेस्ट के विवरण के बारे में पूछा, तो MRUCI के चेयरमैन शैलेश गुप्ता ने कहा, “इस समय कोई भी बयान देना जल्दबाजी होगी।”
गौरतलब है कि MRUCI ने पिछले साल के दौरान इस सर्वे पर कई मीटिंग्स कीं, लेकिन सदस्य कभी सहमति पर नहीं पहुंचे। फंडिंग फॉर्मूला से लेकर सर्वे मेथडोलॉजी, एजेंसी के चयन और सर्वे के दायरे तक- कई पहलुओं पर व्यापक बहस हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
एक्सचेंज4मीडिया ने पहले रिपोर्ट किया था कि काउंसिल के कई प्रमुख सदस्य पारंपरिक डोर-टू-डोर सर्वे मॉडल के प्रति बढ़ती शंका जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि COVID के बाद हाउसिंग सोसायटीज तक पहुंच सीमित हो गई है और प्राइवेसी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मेट्रो शहरों के निवासी 45 मिनट इंटरव्यू देने के लिए कम इच्छुक हैं, जिससे अर्बन डेटा की विश्वसनीयता और बदले में IRS की साख प्रभावित हो सकती है।
पब्लिशर्स ने यह तर्क भी दिया कि सर्वे को फिर से शुरू करने की लागत और जटिलता अब उचित नहीं ठहराई जा सकती, खासकर जब इसकी प्रासंगिकता पर बढ़ते हुए डिजिटल-चालित प्लानिंग माहौल में सवाल उठ रहे हैं।
2019 में हुआ था आखिरी सर्वे
आखिरी सर्वे 2019 में किया गया था। उसके बाद पहले महामारी के कारण और फिर फंडिंग चुनौतियों की वजह से इसका रोलआउट रुक गया।
इस बीच, भारत का विज्ञापन इंडस्ट्री 2024 में ₹1.1 लाख करोड़ को पार कर गया, जिसमें कुल विज्ञापन खर्च में प्रिंट की हिस्सेदारी 15–16% रही। इसका मतलब है कि प्रिंट इंडस्ट्री अब भी ₹15,000–16,000 करोड़ के विज्ञापन राजस्व पर अधिकार रखता है, जिससे यह करेंसी विज्ञापनदाताओं के लिए और भी अहम हो जाती है, खासकर आज के कठिन आर्थिक माहौल में, जहां हर मार्केटिंग रुपये पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
इस गतिरोध ने इंडस्ट्री-स्तरीय बहस को जन्म दिया है कि क्या पारंपरिक रीडरशिप सर्वे पूरे परिदृश्य को कैप्चर कर सकता है, जब डिजिटल न्यूज, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो और सोशल मीडिया खपत में विस्फोटक वृद्धि हो रही है। कई पर्यवेक्षक प्रिंट के साथ-साथ सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स की खपत को समझने के लिए एक व्यापक अध्ययन की भी मांग कर रहे हैं।
डाबर इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ मीडिया, राजीव दुबे, इस पुराने दृष्टिकोण को एक अधिक AI-संचालित “मीडिया यूनिवर्स सर्वे” से बदलने की वकालत करते हैं।
राजीव दुबे ने सोमवार को अपने एक्सचेंज4मीडिया कॉलम में लिखा, “यह सर्वे सिर्फ इम्प्रेशंस को नहीं गिनेगा, यह प्रिंट, टीवी, मैगजीन, सोशल, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो, ओटीटी, डिजिटल न्यूज और ई-कॉमर्स तक फैला होगा और पूरी शॉपर जर्नी को मैप करेगा और क्रॉस-चैनल व्यवहार को कैप्चर करेगा। यह डायनेमिक और ऑलवेज-ऑन होगा, कोई धुंधली वार्षिक रिपोर्ट नहीं, यह प्लेटफॉर्म्स, चैनल्स और डिवाइसेज पर रियल-टाइम, एक्शन योग्य इनसाइट्स देगा।”
इंडस्ट्री के एक लीडर ने कहा, यह देखना दिलचस्प होगा कि IRS एक टेक-संचालित, हाइब्रिड मीजरमेंट तकनीक में विकसित होता है या अपने पारंपरिक प्रिंट-फर्स्ट दृष्टिकोण को जारी रखता है या फिर हमेशा के लिए अपनी प्रासंगिकता खो देता है।
आईटीसी लिमिटेड में मार्केटिंग व एक्सपोर्ट्स के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट करुणेश बजाज साल 2025-26 के लिए ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस (ABC) के नए चेयरमैन बन सकते हैं।
आईटीसी लिमिटेड में मार्केटिंग व एक्सपोर्ट्स के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट करुणेश बजाज साल 2025-26 के लिए ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस (ABC) के नए चेयरमैन बन सकते हैं। इस संबंध में उच्च पदस्थ सूत्रों ने एक्सचेंज4मीडिया को जानकारी दी है।
परंपरा के अनुसार, बजाज वर्तमान चेयरमैन रियाद मैथ्यू, जो मलयाला मनोरमा ग्रुप के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर हैं, की जगह लेंगे। औपचारिक पुष्टि आगामी वार्षिक आम बैठक (AGM) में होगी और इसके बाद 2 सितंबर से बजाज पदभार ग्रहण करेंगे।
जब इस विकास पर रियाद मैथ्यू से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “यह एक वार्षिक प्रक्रिया है। हर साल ABC में नए चेयर और वाइस चेयर का चुनाव होता है।”
सूत्रों के अनुसार, बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और बोर्ड मेंबर मोहित जैन वाइस चेयरमैन बनाए जा सकते हैं। वह बजाज की जगह लेंगे, जो फिलहाल इस पद पर कार्यरत हैं।
बजाज एक अनुभवी बिजनेस लीडर हैं, जिन्हें दो दशकों से अधिक का इंडस्ट्री अनुभव है। मार्केटिंग इनसाइट और बिजनेस अक्यूमेन के दुर्लभ संयोजन के कारण उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मोहित जैन भी टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से बीते दो दशकों से जुड़े हुए हैं। इससे पहले उन्होंने जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर और Huhtamaki में काम किया है। समय के साथ उन्होंने रणनीतिक समझ और मीडिया बिजनेस की गहरी जानकारी के लिए मजबूत प्रतिष्ठा अर्जित की है।
ABC हर छह महीने में अपने सदस्य प्रकाशकों को ABC सर्टिफिकेट जारी करता है, जिनका सर्कुलेशन डेटा उसके नियमों और विनियमों के अनुरूप होता है। यह संस्था प्रकाशकों के लिए योग्य सर्कुलेशन प्रतियों की गणना हेतु मानकीकृत ऑडिट प्रक्रिया भी निर्धारित करती है।
ABC की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, संस्था की सदस्यता में वर्तमान में 562 दैनिक, 107 साप्ताहिक और 50 मैगजींस शामिल हैं। इसके अलावा 125 विज्ञापन एजेंसियां, 45 विज्ञापनदाता और 22 समाचार एजेंसियां एवं प्रिंट मीडिया और विज्ञापन से जुड़ी संस्थाएं भी इसका हिस्सा हैं।