नीरज शर्मा ने अपनी स्पीच की शुरुआत एक निजी भावुक जुड़ाव से की, जब उन्होंने बताया कि वह ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं जहां मैगजीन हमेशा चारों ओर मौजूद रहती थीं।
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Vikas Saxena
इंडियन मैगजीन कांग्रेस (IMC) 2025 के दौरान आज 'दि इम्पीरियल' होटल में आयोजित मुख्य सत्र में 'एक्सेंचर' (Accenture) में कम्युनिकेशन, मीडिया एंड टेक्नोलॉजी (CMT) के मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज शर्मा ने मैगजीन इंडस्ट्री की चुनौतियों, संभावनाओं और डिजिटल युग के बदलते परिदृश्य पर एक अत्यंत विचारोत्तेजक भाषण दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रिंट अब भी डिजिटल की तुलना में ज्यादा लाभदायक है और आने वाले वर्षों में यदि सही दिशा में कदम उठाए गए तो मैगजीन इंडस्ट्री को दोबारा लोकप्रिय संस्कृति में स्थापित किया जा सकता है।
नीरज शर्मा ने अपनी स्पीच की शुरुआत एक निजी भावुक जुड़ाव से की, जब उन्होंने बताया कि वह ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं जहां मैगजीन हमेशा चारों ओर मौजूद रहती थीं। उन्होंने कहा, “हर बार जब मैं मैगजीन की बात करता हूं तो यह मेरे लिए एक नॉस्टैल्जिक अनुभव होता है।”
डिजिटल बदलाव और पुराने सबक
नीरज ने बताया कि कैसे 2012-13 में टेलीकॉम इंडस्ट्री में ग्रोथ ठहर गई थी और फिर Jio के डिजिटल प्लेटफॉर्म से लॉन्च के साथ इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने कहा, “डिजिटल की ओर माइग्रेशन लगभग हर इंडस्ट्री में मौजूदा वैल्यू को खत्म कर देता है। नई वैल्यू तो बनती है, लेकिन वह पुराने खिलाड़ियों को नहीं मिलती।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसे टेलीकॉम और टीवी के साथ हुआ, ठीक वैसे ही डिजिटल मीडिया में भी हो रहा है, जहां डिजिटल वैल्यू क्रिएशन हो तो रहा है, लेकिन उसका लाभ पारंपरिक मीडिया संस्थानों को नहीं मिल रहा। इसके दो प्रमुख कारण उन्होंने गिनाए- एक, विज्ञापन की कमाई का बड़ा हिस्सा बिग टेक के पास चला जाना और दूसरा, डिजिटल सब्सक्रिप्शन में कम दिलचस्पी और उपभोक्ताओं की ‘सब्सक्रिप्शन थकान’।
चार ‘I’ का फ़्रेमवर्क और क्रिएटर इकोनॉमी
नीरज ने ‘4 I Framework’ का जिक्र किया — Information, Insight, Interaction और Intention capture और बताया कि मीडिया कंपनियां पहले दो में तो मजबूत हैं लेकिन आखिरी दो में नहीं। उन्होंने कहा, “Content eyeballs लाता है, पर पैसा उससे नहीं, बल्कि उन फीचर्स से आता है जो यूजर को समझते हैं और commerce को ट्रिगर करते हैं।”
उन्होंने बताया कि भारत में दो साल पहले ही क्रिएटर इकोनॉमी का राजस्व सभी डिजिटल न्यूज और मैगजीन कंपनियों के कुल डिजिटल राजस्व से दोगुना हो चुका था। उन्होंने कहा, “YouTubers और TikTokers ने content और commerce के बीच का ब्रिज बना लिया है।”
उन्होंने KBC के ‘PlayAlong’ फीचर को एक सफल ‘Four-I’ संपन्न प्रोडक्ट बताया और खुद के एक फेल प्रोजेक्ट ‘Constituency’ का उदाहरण भी ईमानदारी से साझा किया, जो उन्होंने 2024 के आम चुनाव के दौरान एक न्यूज मीडिया कंपनी के साथ मिलकर बनाया था। उन्होंने कहा कि यह गेम मुझ जैसे व्यक्ति के लिए था, आम पाठकों के लिए नहीं, लेकिन बाद में तमिलनाडु के एक न्यूज पोर्टल के साथ ‘Area King’ नाम से इसी आइडिया को रीपैक कर सफलता हासिल की गई।
नीरज ने बताया कि देश में 150 मिलियन लोग ऐसे हैं जो curated, credible कंटेंट के लिए भुगतान कर सकते हैं और डिजिटल थकान का दौर शुरू हो चुका है। उन्होंने शोध के हवाले से बताया, “72% भारतीय इंटरनेट यूजर बहुत ज्यादा कंटेंट से परेशान हैं।”
उन्होंने कहा, “अब यह जरूरी नहीं कि आप करोड़ों तक पहुंचें, 1 लाख सच्चे फॉलोअर ही आपकी सफलता के लिए पर्याप्त हैं।”
इसके लिए तीन सूत्र उन्होंने दिए:
प्रिंट, डिजिटल और फिजिकल- तीनों चैनलों में कस्टमर एक्सपीरियंस को खुद संचालित करें।
अपने पाठकों को एक समुदाय की तरह देखें और उस समुदाय की पूरी जिम्मेदारी खुद उठाएं।
प्लेटफॉर्म को भी खुद कंट्रोल करें, सिर्फ YouTube चैनल बना लेने से आप ऑडियंस के मालिक नहीं बनते।
भविष्य की राह: प्रोडक्ट, कंटेंट, मोनेटाइजेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में नया दृष्टिकोण
उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह मैगजीन कंपनियों को multi-format, multi-platform कंटेंट (जैसे YouTube वीडियो, Instagram Reels, LinkedIn carousel आदि) पर ध्यान देना चाहिए। कंटेंट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “1500 शब्दों का लेख अच्छा है, पर 23 वर्षीय यूजर तब तक नहीं पढ़ेगा जब तक वो रील में न दिखे।”
उन्होंने Micro-Influencers की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि ऐप बनाने की बजाय aggregated apps या shared platforms की ओर ध्यान देना चाहिए।
इंडस्ट्री के लिए सामूहिक समाधान
नीरज शर्मा ने एक बेहद महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि कंटेंट के अलावा बाकी सबकुछ (प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मोनेटाइजेशन, डिस्ट्रीब्यूशन) इंडस्ट्री को मिलकर करना चाहिए। उन्होंने ‘OpenAP’ (अमेरिका) और ‘Project Freedom’ (इंडोनेशिया) जैसे उदाहरण दिए जो कि Accenture की मदद से बने इंडस्ट्री कंसोर्टियम थे।
उन्होंने कहा, “यदि हम साथ आकर यह कर पाए, तो यकीन मानिए मैगजीन को फिर से लोकप्रिय कल्पना में स्थापित कर सकते हैं।”
अंत में उन्होंने कहा, “मैगजीन अब भी thumb scroll stoppers हैं। अगली पीढ़ी ऑफलाइन अनुभवों की ओर लौट रही है। बस आपको वहां दिखना और उपलब्ध होना है, जहां वे हैं। और इस तरह आप दोबारा लोकप्रिय बन सकते हैं।”
यहां देखें वीडियो:
इससे पहले अंकित शुक्ला इस अखबार में बतौर मैनेजिंग एडिटर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
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हिंदी अखबार ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) ने वरिष्ठ पत्रकार अंकित शुक्ला को प्रमोशन का तोहफा देते हुए उन्हें ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले अंकित शुक्ला इस अखबार में बतौर मैनेजिंग एडिटर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
समाचार4मीडिया से बातचीत में अंकित शुक्ला ने बताया कि अब अपनी नई भूमिका में वह अखबार के प्रिंट और डिजिटल दोनों की संपादकीय जिम्मेदारी निभाएंगे। उनके ऊपर समूह के विभिन्न संस्करणों और डिजिटल विस्तार की स्ट्रैटेजी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी।
अंकित शुक्ला को मीडिया में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न राज्यों में हिंदी व अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबारों में काम किया है।
भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रहे अंकित शुक्ला ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से की। फिर उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ’जागरण आईनेक्स्ट’ में अपनी भूमिका निभाई। इसके बाद ’दैनिक भास्कर समूह’ में उन्होंने 17 वर्षों तक विभिन्न भूमिकाओं में काम किया और चीफ सब एडिटर से लेकर स्टेट एडिटर (झारखंड और बिहार) तक के पद पर पहुंचे।
’दैनिक भास्कर’ के बाद अंकित शुक्ला ने ’अमर उजाला’, कानपुर में सीनियर एडिटर के रूप में काम किया और फिर ’प्रभात खबर’ से जुड़ गए, जहां उन्हें अब मैनेजिंग एडिटर से ग्रुप एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है। अंदरखाने के सूत्रों की मानें तो अंकित शुक्ला की इस अखबार में नियुक्ति बड़ी भूमिका निभाने के लिए ही की गई थी।
बता दें कि इससे पहले ‘प्रभात खबर’ में ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी के पास थी। हाल ही में केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद पर उनकी नियुक्ति के बाद अंकित शुक्ला को यह प्रभार सौंपा गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी माध्यमिक और बेसिक स्कूलों में छात्रों के लिए अखबार पढ़ना अनिवार्य कर दिया है।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी माध्यमिक और बेसिक स्कूलों में छात्रों के लिए अखबार पढ़ना अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य बच्चों में पढ़ाई की आदत डालना, मोबाइल और टीवी पर स्क्रीन टाइम कम करना और उनके सोचने‑समझने की क्षमता को बढ़ाना है।
सरकारी आदेश के मुताबिक, छात्रों को सुबह की असेंबली के दौरान 10 मिनट का 'अखबार पढ़ने का समय' दिया जाएगा। इस दौरान विद्यार्थी बारी-बारी से अखबार में छपी मुख्य खबरें, संपादकीय और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और खेल जगत की अच्छी खबरें पढ़ेंगे। आदेश में कहा गया है कि यह पढ़ाई अंग्रेजी और हिंदी दोनों अखबारों के लिए लागू होगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (बेसिक और सेकेंडरी एजुकेशन) पार्थ सार्थी सेन शर्मा ने बताया कि यह केवल राज्य‑संचालित स्कूलों के लिए निर्देश है, लेकिन अगर अन्य स्कूल चाहें तो इसका पालन कर सकते हैं।
आदेश में अखबार पढ़ने के कई फायदे बताए गए हैं:
सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स मजबूत होंगे – जो भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में मददगार होगा।
भाषा और शब्दावली सुधार होगी – अलग‑अलग लेख पढ़ने से पढ़ाई और लेखन दोनों में मदद मिलेगी।
सोचने की क्षमता बढ़ेगी – बच्चों में सही और गलत के बीच फर्क करने की समझ आएगी और फेक न्यूज से सतर्क रहने की आदत बनेगी।
स्थानीय और सामाजिक घटनाओं की जानकारी मिलेगी – बच्चों को अपने आस-पास के समाज और परियोजनाओं की समझ बढ़ेगी।
सहानुभूति और जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा – समाज और अन्य लोगों के अनुभवों को समझने में मदद मिलेगी।
लॉजिकल स्किल्स मजबूत होंगी – सुडोकू, क्रॉसवर्ड और वर्ड पजल्स जैसे खेल दिमाग की समझ और समस्या सुलझाने की क्षमता बढ़ाते हैं।
विविध विषयों से परिचय – विज्ञान, खेल और संस्कृति जैसी चीजें भी बच्चों को अखबार से सीखने को मिलेंगी।
सरकारी स्कूलों में अब बच्चों का दिन अखबार पढ़ने के साथ शुरू होगा, ताकि उनकी सोच, ज्ञान और सामाजिक समझ मजबूत हो।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया है।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया है। यह मामला नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने राहुल और सोनिया के खिलाफ चार्जशीट पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाई कोर्ट, में चुनौती दी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ED की याचिका मंजूर करते हुए अगले साल 12 मार्च 2026 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों को केवल 50 लाख रुपए में 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति हासिल हुई।
तुषार मेहता ने कहा कि जून 2014 में एक व्यक्ति ने प्राइवेट कंप्लेंट दायर किया था, जिस पर निचली अदालत ने संज्ञान लिया और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया।
ED ने अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को नामजद किया है। कांग्रेस का कहना है कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है, जबकि ED का दावा है कि यह गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसमें फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं।
ED का कहना है कि कांग्रेस नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए यंग इंडियन नामक प्राइवेट कंपनी के जरिए सिर्फ 50 लाख रुपए का निवेश किया। इस कंपनी के 76% शेयर सोनिया और राहुल के पास हैं।
ED ने आरोप लगाया कि इस मामले में अपराध से अर्जित आय 988 करोड़ रुपए मानी गई है, जबकि संबद्ध संपत्तियों का बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रुपए बताया गया है।
यह केस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। अखबार की शुरुआत 1938 में जवाहरलाल नेहरू और 5,000 स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। इसे AJL प्रकाशित करता था। 2008 में अखबार बंद हो गया और उसके अधिग्रहण को लेकर विवाद और घोटाले की खबरें सामने आने लगीं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संसद को बताया कि उसने अखबारों के खर्चों की समीक्षा कर ली है और उनकी लागत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए प्रिंट विज्ञापनों के रेट में 26% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बुधवार को संसद को बताया कि उसने अखबारों के खर्चों की समीक्षा कर ली है और उनकी लागत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए प्रिंट विज्ञापनों के रेट में 26% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अखबारों को कागज की कीमत बढ़ने, महंगाई और डिजिटल मीडिया से बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने बताया कि 11 नवंबर 2021 को गठित 9वीं रेट स्ट्रक्चर कमेटी ने देशभर के बड़े, मध्यम और छोटे अखबारों से बातचीत की थी। कमेटी ने इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (INS), ऑल इंडिया स्मॉल न्यूजपेपर असोसिएशन (AISNA), और स्मॉल-मीडियम-बिग न्यूजपेपर सोसायटी (SMBNS) जैसे संगठनों के साथ भी लंबी चर्चा की।
कमेटी ने अखबार चलाने की लागत से जुड़े कई मुद्दों की जांच की, जैसे- समाचारपत्र के कागज की कीमतों में तेज बढ़ोतरी, महंगाई का दबाव, छपाई और प्रोडक्शन की बढ़ती लागत, कर्मचारियों के वेतन, और इम्पोर्टेड पेपर के दामों में उतार-चढ़ाव। इन सबको ध्यान में रखते हुए कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को भेजीं, जिन्हें सरकार ने पूरी तरह मंजूर कर लिया है।
नए रेट स्ट्रक्चर में कलर विज्ञापनों के लिए प्रीमियम रेट और बेहतर जगह पर विज्ञापन देने जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि बढ़ा हुआ राजस्व अखबार उद्योग, खासकर छोटे और क्षेत्रीय प्रकाशनों को मजबूती देगा। इससे स्थानीय खबरों की व्यवस्था मजबूत होगी और मीडिया संस्थानों को कंटेंट पर बेहतर निवेश करने में मदद मिलेगी, जिससे जनता को भी ज्यादा लाभ मिलेगा।
देश की प्रतिष्ठित मैगजींस में शुमार 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना एक खास डबल स्पेशल एडिशन जारी किया है, जिसमें भारत के दो सबसे प्रभावशाली समूहों को एक साथ जगह दी गई है
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देश की प्रतिष्ठित मैगजींस में शुमार 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना एक खास डबल स्पेशल एडिशन जारी किया है, जिसमें भारत के दो सबसे प्रभावशाली समूहों को एक साथ जगह दी गई है- RightShift Fittest 40 Above 40 और BW Top 100 Marketers 2025. इस एडिशन में उन लीडर्स को दिखाया गया है जो आने वाले दशक में भारत के बिजनेस को नई दिशा दे रहे हैं, चाहे वो अपनी फिटनेस से हो या मार्केटिंग की समझ से।
इस बार RightShift Fittest 40 Above 40 की लिस्ट में लोगों का इतना ज्यादा उत्साह देखने को मिला कि 40 की जगह 45 लीडर्स को चुना गया। ये सभी अलग-अलग सेक्टर्स- कानून, मीडिया, खेल, टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और बिजनेस से आते हैं, लेकिन इन सबकी सोच एक है: अच्छा लीडर बनने के लिए फिटनेस भी उतनी ही जरूरी है जितना स्किल।
इसके साथ ही इस एडिशन में BW Top 100 Marketers 2025 की लिस्ट भी शामिल है। इसमें उन मार्केटिंग प्रोफेशनल्स को जगह दी गई है जो AI, डिजिटल बदलाव और नए ग्राहक व्यवहार के दौर में ब्रांड्स को नई ऊंचाई दे रहे हैं। ये मार्केटर्स FMCG, ऑटो, टेक, वेलनेस, फाइनेंस और कई नए सेक्टर्स से हैं।
एडिशन में Lead Fit Forum की चर्चाओं को भी शामिल किया गया है, जहां देश के CEO, फाउंडर्स और सीनियर लीडर्स ने फिटनेस, पोषण, रिकवरी, मेंटल हेल्थ और डिसिप्लिन जैसे मुद्दों पर बात की। अब वेलनेस सिर्फ पर्सनल गोल नहीं, बल्कि कंपनियों की रणनीति का अहम हिस्सा बन रहा है।
यह डबल स्पेशल एडिशन BW Businessworld की उस सोच को आगे बढ़ाता है, जिसमें वह ऐसे लीडर्स को पहचान देता है जो भारत के विकास की अगली कहानी लिख रहे हैं।
BW Businessworld का यह नया एडिशन अब डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मेट में उपलब्ध है।
ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड डेली मेल के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है।
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ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड 'डेली मेल' (Daily Mail) के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है। इस डील के तहत DMGT द टेलीग्राफ मीडिया ग्रुप को 500 मिलियन पाउंड (654 मिलियन डॉलर) में खरीदने जा रहा है।
DMGT ने प्रेस रिलीज में बताया कि दोनों कंपनियों के बीच समझौता हो गया है और अब जल्दी ही सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इस खरीद के बाद DMGT ब्रिटेन के सबसे बड़े दाएं झुकाव वाले मीडिया समूहों में से एक बन सकता है, इसलिए माना जा रहा है कि इस डील की जांच कंपटीशन रेगुलेटर भी करेगा।
पिछले हफ्ते ही RedBird Capital ने अचानक टेलीग्राफ खरीदने की अपनी कोशिश छोड़ दी थी। उसके बाद से फिर से अखबार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई थी। यह अखबार करीब दो साल से बिक्री में अटका हुआ है।
DMGT का कहना है कि नई डील से अखबार के कर्मचारियों को “विश्वास और स्थिरता” मिलेगी। कंपनी का प्लान है कि टेलीग्राफ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ाया जाए, खासकर अमेरिका में। साथ ही उन्होंने साफ किया कि डेली टेलीग्राफ की एडिटोरियल टीम पूरी तरह स्वतंत्र रहेगी।
RedBird IMI ने 2023 में भी टेलीग्राफ खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने विदेशी नियंत्रण के खतरे और स्वतंत्रता की आजादी पर असर की आशंका को देखते हुए दखल दिया था। इसके बाद कानून में बदलाव भी किए गए, ताकि विदेशी ताकतें ब्रिटिश अखबारों पर नियंत्रण न कर सकें।
1855 में शुरू हुआ द टेलीग्राफ एक समय “Tory Bible” के नाम से जाना जाता था। 2023 में इसे मालिकाना कर्ज चुकाने के लिए बिक्री पर लगाया गया था। इस पर कई बड़े निवेशकों ने बोली लगाई थी।
अब, मौजूदा डील पर भी सरकार की संस्कृति मंत्री लीसा नैन्डी नजर रखेंगी और सार्वजनिक हित के आधार पर फैसला लेंगी।
DMGT के चेयरमैन जोनाथन हार्म्सवर्थ ने कहा, “मैं लंबे समय से डेली टेलीग्राफ की तारीफ करता आया हूं… यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद अखबार है।”
जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा।
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जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा। यह अखबार कश्मीर का सबसे पुराना इंग्लिश न्यूजपेपर माना जाता है। एजेंसी का आरोप है कि अखबार का 'अलगाववादी और राष्ट्र-विरोधी समूहों के साथ साजिश' में हाथ हो सकता है।
SIA ने दावा किया कि छापे के दौरान ऑफिस से एक रिवॉल्वर, AK-सीरीज के 14 खाली कारतूस, AK की 3 जिंदा गोलियां, 4 फायर की हुई गोलियां, ग्रेनेड के 3 सेफ्टी लीवर और 3 संदिग्ध पिस्टल राउंड मिले हैं।
अखबार की संपादक और मालिक अनुराधा भसीन और उनके पति प्रभोध जमवाल, जो फिलहाल अमेरिका में बताए जा रहे हैं, ने इन छापों की निंदा की। उन्होंने कहा कि सभी आरोप 'निराधार' हैं और यह कार्रवाई 'उन्हें चुप कराने की कोशिश' है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा कि SIA तभी रेड करती है जब किसी मामले में पुख्ता आधार होता है, सिर्फ दबाव बनाने के लिए नहीं।
यह कार्रवाई उस वक्त हुई है जब कुछ दिन पहले J&K पुलिस ने फरीदाबाद में एक आतंकी मॉड्यूल पकड़ने का दावा किया था। इसमें कश्मीर के कम से कम तीन डॉक्टर गिरफ्तार हुए थे। साथ ही 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत का मामला भी जुड़ा है।
यह अखबार अनुराधा भसीन के पिता और वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन ने 1954 में शुरू किया था। कुछ साल पहले इसका जम्मू एडिशन बंद कर दिया गया और अब यह मुख्य रूप से ऑनलाइन चलता है।
SIA के मुताबिक, उन पर ये आरोप लगाए गए हैं कि वे आतंकी और अलगाववादी सोच फैलाने में शामिल हैं। उन पर यह भी आरोप है कि वे भड़काऊ, गढ़ी हुई और झूठी खबरें चला रहे थे, जिससे घाटी के युवाओं को गलत दिशा में ले जाया जा सकता था। एजेंसी का कहना है कि उनका काम लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी और अलगाव की भावना बढ़ा रहा था, जिससे शांति और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। इसके अलावा SIA का आरोप है कि उनकी रिपोर्टिंग और डिजिटल कंटेंट भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसा था।
छापे के दौरान SIA टीम ने ऑफिस और संपादक के घर में दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और दूसरी सामग्री की भी जांच की। अधिकारियों का कहना है कि जांच के तहत अनुराधा भसीन से पूछताछ भी की जा सकती है।
एजेंसी के मुताबिक यह कार्रवाई उन नेटवर्क्स के खिलाफ है जो कथित तौर पर अलगाववादी नैरेटिव या अवैध प्रचार में शामिल हैं।
अपने बयान में अनुराधा और जमवाल ने कहा कि यह सब 'डराने और चुप कराने की कोशिश' है। उन्होंने सरकार से 'उत्पीड़न बंद करने और प्रेस की आजादी का सम्मान करने' की मांग की।
सरकार ने प्रिंट मीडिया यानी अखबारों के विज्ञापन की दरों में 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है।
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सरकार ने प्रिंट मीडिया में विज्ञापन की दरों को 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। अब ब्लैक-एंड-व्हाइट विज्ञापन के लिए एक लाख कॉपी वाले अखबारों में प्रति वर्ग सेंटीमीटर के लिए दरें 47.40 रुपये से बढ़ाकर 59.68 रुपये कर दी गई हैं।
सरकार ने समिति की उन सिफारिशों को भी मंजूर कर लिया है, जिनमें कलर विज्ञापनों के लिए प्रीमियम दरें और खास जगह पर विज्ञापन देने जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
प्रिंट मीडिया के विज्ञापन रेट इससे पहले 9 जनवरी 2019 को बदले गए थे। यह रेट तब 8th रेट स्ट्रक्चर कमेटी (RSC) की सिफारिशों पर आधारित थे और तीन साल के लिए लागू किए गए थे।
सरकार का कहना है कि विज्ञापन रेट बढ़ाने से कई फायदे होंगे। बढ़े हुए रेट से प्रिंट मीडिया को जरूरी आर्थिक मदद मिलेगी, खासकर तब जब डिजिटल और अन्य प्लेटफॉर्म्स से कड़ी टक्कर मिल रही है और पिछले कुछ सालों में लागत भी काफी बढ़ी है।
इस अतिरिक्त आमदनी से अखबार अपने कामकाज को बेहतर तरीके से चला सकेंगे, अच्छी पत्रकारिता बनाए रख सकेंगे और स्थानीय खबरों को समर्थन मिलेगा। आर्थिक रूप से मजबूत होने पर वे बेहतर कंटेंट तैयार कर पाएंगे, जिससे पाठकों को फायदा होगा।
सरकार का यह कदम बदलते मीडिया माहौल के हिसाब से भी है। प्रिंट मीडिया की अहमियत को मानते हुए सरकार चाहती है कि उसकी सूचनाएँ अलग-अलग माध्यमों के जरिए ज्यादा प्रभावी तरीके से जनता तक पहुंचें।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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युवा पत्रकार केशव मिश्रा एक बार फिर ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) की टीम में शामिल हो गए हैं। उन्होंने नोएडा में चीफ सब एडिटर के पद पर जॉइन किया है। बता दें कि ‘अमर उजाला’ समूह के साथ केशव मिश्रा की यह दूसरी पारी है।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने 'दैनिक जागरण', नोएडा में सब एडिटर के तौर पर डेस्क पर करीब दो साल तक अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद ‘नवभारत टाइम्स’ जॉइन किया था।
केशव मिश्रा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बतौर रिपोर्टर की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा में ‘द सी एक्सप्रेस अखबार’ का दामन थाम लिया। यहां सब एडिटर के तौर पर उन्होंने करीब दो साल (नवंबर 2011-अगस्त 2013) तक अपनी सेवाएं दीं।
इसके बाद यहां से अपनी पारी को विराम देकर केशव मिश्रा 'दैनिक भास्कर' बठिंडा से जुड़ गए। इस अखबार से वह करीब दो साल (सितंबर 2013-मार्च 2015) तक जुड़े रहे और फिर 'अमर उजाला', रोहतक के साथ नई पारी शुरू कर दी।
जुलाई 2017 तक 'अमर उजाला' में काम करने के बाद केशव मिश्रा ने अगस्त 2017 में 'दैनिक जागरण' नोएडा में अपनी नई पारी का आगाज किया था और फिर यहां से वर्ष 2019 को बाय बोलकर वह ‘नवभारत टाइम्स’ आ गए थे, जहां से अपनी पारी को विराम देकर अब वह फिर से ‘अमर उजाला’ की टीम में शामिल हो गए हैं।
मूलरूप से प्रयागराज के रहने वाले केशव मिश्रा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से केशव मिश्रा को नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं। वह करीब ढाई साल से बतौर एडिटर, हरियाणा के पद पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
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Samachar4media Bureau
‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) समूह ने वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया पर और अधिक भरोसा जताते हुए उन्हें अब और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इसके तहत उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है। साथ ही वह नेशनल ब्यूरो हेड के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। वह दिल्ली से अपना कामकाज संभालेंगे।
बता दें कि ‘दैनिक भास्कर’ समूह ने करीब ढाई साल पहले भी धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को प्रमोट कर एडिटर, हरियाणा के पद पर नियुक्त किया था। उससे पहले धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2021 से ग्वालियर में बतौर रेजिडेंट एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। वह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं।
मूल रूप से भिंड (मध्य प्रदेश) के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2005 में ‘अमर उजाला’ मेरठ से की थी। इसके बाद वह इसी अखबार में नोएडा आ गए और बिजनेस पेज ‘कारोबार’ की कमान संभालने लगे। वर्ष 2008 में वह दैनिक भास्कर आ गए और इस समूह के बिजनेस अखबार ‘बिजनेस भास्कर’ में कॉरपोरेट इंचार्ज के तौर पर दिल्ली में अपनी पारी शुरू कर दी। यहां से उन्हें बिजनेस भास्कर का मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ का प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट/ब्यूरो हेड बनाकर भोपाल भेज दिया गया।
इसके बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘राजस्थान पत्रिका’ के समाचार पत्र ‘पत्रिका’ ग्वालियर में सिटी चीफ के रूप में अपनी नई पारी शुरू कर दी। हालांकि, यहां वह करीब एक साल तक ही कार्यरत रहे और वर्ष 2011 में फिर से ‘बिजनेस भास्कर’ लौट आए। करीब दो साल बाद इसी अखबार में इंदौर चले गए और फिर वर्ष 2014 में नेशनल आइडिएशन न्यूज रूम में ‘आ गए और वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खबरों पर काम किया। इसके बाद वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में आ गए और फिर कुछ समय बाद वर्ष 2021 में उन्होंने रेजिडेंट एडिटर के तौर पर ग्वालियर की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद अप्रैल 2023 में समूह ने उन्हें एडिटर (हरियाणा) की जिम्मेदारी सौंपी थी और अब उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है।
वर्ष 2014 से अप्रैल तक सात वर्ष में उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेश यात्राएं भी कीं। इसमें वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले की ‘महाभारत-2019 भारत यात्रा’ के अलावा कोरोना काल के दौरान जून 2020 से अगस्त 2020 तक ‘कोरोना काल, देश का आंखों देखा हाल’ (उत्तर प्रदेश-बिहार की यात्रा) प्रमुख रहीं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया ने भोपाल स्थित ‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय‘ से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।