जानें, क्यों हिंदी अखबारों के लिए 'राहत भरी' नहीं है ये रिपोर्ट

मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ने इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019 की दूसरी तिमाही के डाटा जारी कर दिए हैं

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Friday, 16 August, 2019
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'मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल' (MRUC) ने इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019 की दूसरी तिमाही (IRS Q2 2019) के डाटा जारी कर दिए हैं। दूसरी तिमाही में आईआरएस 2017 की तीसरी और चौथी तिमाही IRS 2017 (Q3+Q4) के डाटा के साथ ही वर्ष 2019 की पहली और दूसरी तिमाही (Q1+Q2) में किए गए फील्ड वर्क को शामिल किया गया है। दूसरी तिमाही का फील्ड वर्क अप्रैल 2019 से जुलाई 2019 तक चला और इस दौरान सैंपल साइज के तौर पर 3.36 लाख घरों को शामिल किया गया था।

इस रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंट, टीवी, रेडियो और सिनेमा की पहुंच में पहली तिमाही के मुकाबले ज्यादा परिवर्तन नहीं आया है। हालांकि, इंटरनेट का आगे बढ़ना जारी है। न्यूज का उपभोग डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अखबारों की कुल रीडरशिप (Total Readership) स्थिर बनी हुई है, जबकि एवरेज इश्यू रीडरशिप (AIR) में मामूली गिरावट देखने को मिली है।   

हिंदी और प्रादेशिक अखबारों की एवरेज इश्यू रीडरशिप में लगातार गिरावट देखी जा रही है, लेकिन अंग्रेजी अखबारों में ऐसा देखने को नहीं मिला है। आईआरएस 2017 के साथ ही आईआरएस 2019 की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही की तुलना करें तो देशभर में हिंदी अखबारों की एवरेज इश्यू रीडरशिप में गिरावट क्रमशः 7.2 से घटकर 7.1 और 6.7 प्रतिशत हुई है, जबकि प्रादेशिक अखबारों में यह गिरावट 8.7 प्रतिशत से घटकर 8.4 और अब 8.1 हो गई है।   

इस तरह शहरी मार्केट्स में हिंदी अखबारों की एवरेज इश्यू रीडरशिप का प्रतिशत 10.7 से घटकर 10.5 और फिर 10.1 रह गया है। जबकि प्रादेशिक अखबारों में हिंदी अखबारों का एवरेज इश्यू रीडरशिप प्रतिशत क्रमशः 14.9 से घटकर 14.1 और 13.5 रह गया है। हालांकि अंग्रेजी अखबारों की एवरेज इश्यू रीडरशिप पहले जितनी ही बनी हुई है। यानी इनमें न उछाल दिखा और न ही गिरावट दर्ज की गई है।    

आईआरएस 2019 की दूसरी तिमाही (IRS 2019Q2) के डाटा के बारे में डेंट्सू एजिस नेटवर्क के सीईओ (ग्रेटर साउथ) और चेयरमैन व सीईओ (इंडिया) आशीष भसीन का कहना है, ‘इन डाटा से हमें वास्तविक स्थिति का पता चलता है। जैसा कि हम जानते हैं कि डिजिटल तेजी से आगे बढ़ रहा है और प्रिंट भी मजबूत स्थिति में है। मेरा मानना है कि भविष्य किसी एक में नहीं, बल्कि दोनों का ही है।’

'मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल' के चेयरमैन आशीष भसीन ने यह भी कहा, ‘हर तिमाही के डाटा को देखकर मुझे काफी खुशी हो रही है। न सिर्फ आईआरएस ट्रैक पर वापस आ रहा है, बल्कि और मजूबत हो रहा है और इसे सभी जगह स्वीकार भी किया जा रहा है।‘

वहीं, ‘Madison Media & OOH, Madison World’ के ग्रुप सीईओ और आईआरएस की टेक्निकल कमेटी के चेयरमैन विक्रम सखूजा का कहना है, ‘देश में पहले के मुकाबले मीडिया का उपभोग ज्यादा हो रहा है। प्रिंट के साथ अब इंटरनेट भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और टीवी के साथ कंज्यूमर्स तक पहुंच बनाने में ये दोनों माध्यम काफी महत्वपूर्ण हैं।’

इन डाटा के अनुसार, यदि मैगजीन की रीडरशिप की बात करें तो कुल रीडिरशिप और एवरेज इश्यू रीडरशिप में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। वहीं हिंदी अखबार दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान की कुल रीडिरशिप और एवरेज इश्यू रीडरशिप में कमी देखने को मिली है।  

दैनिक जागरण की कुल रीडरशिप IRS 2019Q1 में जहां 73673 थी, वह IRS 2019Q2 में घटकर 72559 रह गई जबकि इसी अखबार की एवरेज इश्यू रीडरशिप IRS 2019Q1 में 20256 के मुकाबले IRS 2019Q2 में घटकर 18146 रह गई।

हिन्दुस्तान अखबार की बात करें तो IRS 2019Q1 में इसकी कुल रीडरशिप 54696 थी, जो 2019Q2 में घटकर 52866 रह गई, जबकि एवरेज इश्यू रीडरशिप की बात करें तो IRS 2019Q1 में 18422 के मुकाबले IRS 2019Q2 में घटकर यह 15716 रह गई।

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‘नया इंडिया’ में भोपाल के संपादक जगदीप सिंह बैस का निधन

मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में एक सशक्त और निर्भीक स्वर रहे जगदीप सिंह बैस अब हमारे बीच नहीं रहे।

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Published - Monday, 16 June, 2025
Last Modified:
Monday, 16 June, 2025
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मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में एक सशक्त और निर्भीक स्वर रहे जगदीप सिंह बैस अब हमारे बीच नहीं रहे। ‘नया इंडिया’, भोपाल के संपादक और राज्य के प्रतिष्ठित पत्रकारों में शुमार बैस का रविवार को निधन हो गया। वे पिछले कई महीनों से कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर से मीडिया और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीप सिंह बैस के निधन का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति दें।”

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “बैस जी निष्पक्ष पत्रकारिता की मिसाल थे। उन्होंने मध्य प्रदेश की राजनीति और समाज को समझने की एक गंभीर दृष्टि दी। बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति मिले।”

जगदीप बैस ने जबलपुर से प्रकाशित नवभारत अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद वे लंबे समय तक ईटीवी मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ चैनल के प्रमुख रहे। बैस की पत्रकारिता में राजनीतिक समझ, गहरी पड़ताल और संतुलित दृष्टिकोण की खास पहचान थी।

उनका अंतिम संस्कार रविवार को उनके पैतृक स्थान सिहोरा (जबलपुर) में संपन्न हुआ। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में पत्रकार, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और उनके पाठक सहभागी हुए। सबकी आंखें नम थीं और जुबान पर एक ही बात- “हमने एक मार्गदर्शक, एक प्रेरक व्यक्तित्व को खो दिया।”

सीहोर, भोपाल और जबलपुर समेत कई शहरों में उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वरिष्ठ पत्रकार रघुवर दयाल गोहिया ने कहा, “बैस जी केवल पत्रकार नहीं, बल्कि हमारे लिए संरक्षक और प्रेरणा थे। पत्रकारिता के प्रति उनका समर्पण अंतिम सांस तक बना रहा। आज ऐसे पत्रकार विरले हैं।”

उनकी यादों और लेखनी की गूंज लंबे समय तक मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में बनी रहेगी।

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BW बिजनेसवर्ल्ड का ताजा अंक: भारतीय अर्थव्यवस्था में दो बड़े बदलावों की गहराई से पड़ताल

BW बिजनेसवर्ल्ड के नवीनतम संस्करण में भारत की अर्थव्यवस्था को नया आकार देने वाले दो अहम बदलावों पर विशेष कवरेज दी गई है

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Published - Wednesday, 11 June, 2025
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Wednesday, 11 June, 2025
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BW बिजनेसवर्ल्ड के नवीनतम संस्करण में भारत की अर्थव्यवस्था को नया आकार देने वाले दो अहम बदलावों पर विशेष कवरेज दी गई है- पहला, डेकोरेटिव पेंट इंडस्ट्री में मची खलबली और दूसरा, देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षा के बदलते स्वरूप की गहराई से पड़ताल।

पेंट इंडस्ट्री के स्थिर रंगों में उथल-पुथल

कवर स्टोरी ‘Swirling Shades in the Paint Tub’ इस बात का विश्लेषण करती है कि कैसे भारत का अब तक स्थिर और मुनाफे वाला पेंट सेक्टर दशकों बाद सबसे बड़े बदलावों से गुजर रहा है। करीब ₹72,000 करोड़ की डेकोरेटिव पेंट्स मार्केट, जिस पर वर्षों से गिने-चुने बड़े ब्रैंड्स का दबदबा था, अब ग्रासिम के बिड़ला ओपस और JSW पेंट्स जैसी नई कंपनियों की आक्रामक एंट्री के चलते बुनियादी चुनौती का सामना कर रही है।

यह सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि पूरे सेक्टर की संरचना का पुनः संतुलन है। जहां पहले इस इंडस्ट्री को हाई-मार्जिन सेफ जोन माना जाता था, अब वह कीमतों की जंग, नियामक निगरानी और ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं की चपेट में है।

रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि कैसे एशियन पेंट्स जैसे बाजार के दिग्गज ब्रैंड्स को भी अपने बिजनेस मॉडल और रणनीतियों पर दोबारा सोचने को मजबूर होना पड़ा है। लगातार बढ़ते लीगल चैलेंजेस, ऑपरेशनल रिस्क और मुनाफे में गिरावट के बीच ये कंपनियां विरोधाभासी रूप से अपनी उत्पादन क्षमता भी बढ़ा रही हैं। पत्रिका इसे "स्थिरता, तात्कालिकता और पुनर्गठन का जटिल मिश्रण" करार देती है।

भविष्य के भारत के इंजीनियर्स: सोच से टेक्नोलॉजी तक

अंक की दूसरी प्रमुख रिपोर्ट भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में आ रहे व्यापक बदलावों को सामने लाती है। IIT मद्रास, IIT दिल्ली, IIT बैंगलोर और BITS पिलानी जैसे संस्थानों के नेतृत्व से बातचीत के जरिए यह विश्लेषण किया गया है कि कैसे ये संस्थान पारंपरिक तकनीकी शिक्षा से आगे बढ़कर ऐसे स्नातक तैयार कर रहे हैं जो सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को भी गंभीरता से लेते हैं।

रिपोर्ट में यह दिखाया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और रिन्यूएबल एनर्जी अब कोर लर्निंग का हिस्सा बन रहे हैं, जो इंडस्ट्री में आ रही तकनीकी क्रांति को दर्शाते हैं। साथ ही, अब कोर्स डिजाइन में इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच अपनाई जा रही है जिससे इंजीनियरिंग की पारंपरिक सीमाएं टूट रही हैं।

रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि अब पहले की तुलना में कम छात्र विदेश जाने के इच्छुक हैं। वे भारत की तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी इकोनॉमी में न सिर्फ अवसर देख रहे हैं, बल्कि खुद को उसका हिस्सा भी मान रहे हैं। इसके साथ ही संस्थानों में लैंगिक समानता और सस्टेनेबिलिटी को लेकर नई सोच विकसित हो रही है, जो राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों से भी जुड़ी हुई है।

एक साझा सूत्र: बदलाव और अनुकूलन

BW Businessworld का यह अंक दिखाता है कि चाहे बात तत्काल बाजार की हो या दीर्घकालिक संस्थागत परिवर्तन की, दोनों ही भारत की आर्थिक दिशा को तय कर रहे हैं। पेंट इंडस्ट्री और इंजीनियरिंग शिक्षा जैसे अलग-अलग दिखने वाले क्षेत्रों को यह अंक बदलाव और अनुकूलन की साझा भावना से जोड़ता है।

BW Businessworld का यह विशेषांक अब डिजिटल और प्रिंट दोनों संस्करणों में उपलब्ध है। इसकी डिजिटल प्रति से पूरी रिपोर्ट और विश्लेषण नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर पढ़े जा सकते हैं-

https://online.anyflip.com/qqqhq/zssz/mobile/index.html

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'इंडियन एक्सप्रेस' के पटना संस्करण का शुभारंभ, CM बोले- अच्छी पत्रकारिता सुशासन की बुनियाद

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में ''दि इंडियन एक्सप्रेस'' के पटना संस्करण का औपचारिक शुभारंभ किया।

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Published - Tuesday, 10 June, 2025
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Tuesday, 10 June, 2025
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में ''दि इंडियन एक्सप्रेस'' के पटना संस्करण का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “अच्छी पत्रकारिता नागरिकों को सशक्त बनाती है और यह अच्छे शासन की आधारशिला है।”

'दि इंडियन एक्सप्रेस' का यह ग्यारहवां संस्करण है, जो अब दिल्ली, मुंबई, नागपुर, अहमदाबाद, वडोदरा, जयपुर, लखनऊ, कोलकाता, चंडीगढ़ और पुणे के साथ-साथ अब पटना से भी प्रकाशित होगा।

नीतीश कुमार ने कहा, “मैं कॉलेज के दिनों से ही इंडियन एक्सप्रेस का नियमित पाठक रहा हूं। यह बेहद प्रसन्नता की बात है कि यह अखबार अब पटना से भी प्रकाशित होगा।”

इस मौके पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने पटना संस्करण के आगमन का स्वागत किया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “यह गर्व की बात है कि निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए पहचाना जाने वाला इंडियन एक्सप्रेस अब पटना से प्रकाशित हो रहा है। हमें उम्मीद है कि यह जमीनी स्तर से लेकर शासन तक की व्यापक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करेगा।”

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “जब आज के दौर में सनसनी को विवेक पर तरजीह दी जा रही है और कई मीडिया मंच संतुलन खो चुके हैं, ऐसे समय में 'दि इंडियन एक्सप्रेस' ‘खबर बनाम शोर’ के बीच समाचार का झंडा बुलंद किए हुए है। इसकी संपादकीय और विचार स्तंभ बेहतरीन गुणवत्ता वाले होते हैं, जो राजनीति, नीति, समाज और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर गहन समझ विकसित करने में मदद करते हैं।”

AICC के बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु ने कहा, “पटना संस्करण के शुभारंभ की खबर सुनकर बेहद खुशी हुई। मुझे उम्मीद है कि यह संस्करण बिहार में पत्रकारिता के नए मानक स्थापित करेगा।”

पटना संस्करण का शुभारंभ उस महीने हुआ है जब देश आपातकाल की 50वीं बरसी मना रहा है। 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका के नेतृत्व में 'दि इंडियन एक्सप्रेस' ने मौलिक अधिकारों के निलंबन, प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी और प्रशासनिक ज्यादतियों का डटकर विरोध किया था। उस दौर में प्रकाशित अखबार का एक कोरा संपादकीय पन्ना आज भी प्रतिरोध का प्रतीक माना जाता है।

इस अवसर पर 'दि इंडियन एक्सप्रेस' के संपादक उन्नी राजेन शंकर, उत्तर भारत के विपणन उपाध्यक्ष प्रदीप शर्मा, और पटना स्थित वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष सिंह भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए उन्नी राजेन शंकर ने कहा, “पटना से निकलने वाला इंडियन एक्सप्रेस बिहार की आवाज को पूरे देश तक पहुंचाएगा। आज जब तकनीक और समाज में बदलाव तीव्र हो रहे हैं, तब यह भूमिका और भी अहम हो जाती है।”

चेयरमैन विवेक गोयनका ने कहा, “बिहार हमेशा रामनाथजी के दिल के बेहद करीब रहा है। पटना संस्करण हमारी समृद्ध विरासत से प्रेरणा लेते हुए इस राज्य और इसके लोगों के उज्जवल भविष्य की कहानी बयां करेगा।”

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‘Mumbai Mirror’ की वापसी, फिर गूंजेगी शहर की बेबाक आवाज

यह टैब्लॉइड अखबार अब 15 जून 2025 से सोमवार से रविवार तक सातों दिन प्रकाशित होगा।

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Published - Monday, 09 June, 2025
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Monday, 09 June, 2025
Mumbai Mirror

‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि ‘मुंबई मिरर’ (Mumbai Mirror) एक बार फिर से प्रिंट में वापसी कर रहा है। यह टैब्लॉइड अख़बार अब 15 जून 2025 से सोमवार से रविवार तक सातों दिन प्रकाशित होगा।

बता दें कि हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) ने मई 2025 में ही इस बारे में जानकारी दे दी थी, जिसे अब कंपनी ने जरिये सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है।

यह भी पढ़ें: 'मुंबई मिरर' की वापसी तय, जल्द शुरू होगा दैनिक संस्करण

बता दें कि कोविड-19 के प्रभाव के चलते दिसंबर 2020 में ‘मुंबई मिरर’ का प्रिंट संस्करण बंद कर दिया गया था, जिसके बाद यह केवल डिजिटल फॉर्मेट में सीमित रह गया था। अब इसे एक धारदार, बोल्ड और हाइपरलोकल अवतार में फिर से लॉन्च किया जा रहा है।

इस बारे में ‘BCCL’ के सीईओ (पब्लिशिंग) और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर शिवकुमार सुंदरम  का कहना है, ’मुंबई मिरर सिर्फ एक अखबार नहीं है, बल्कि शहर की स्टाइल, आत्मा और समझदारी भरी आवाज़ है। यह हमेशा से Sharp, fearless और unapologetically local रहा है। हमारे रिसर्च में साफ है कि युवा पाठक आज भी भरोसेमंद, हाइपरलोकल स्टोरीटेलिंग चाहते हैं और उन्हें प्रिंट पर पहले से कहीं ज़्यादा भरोसा है। ’

’BCCL ’ के प्रेजिडेंट (Response) सुरिंदर चावला के मुताबिक  ’मुंबई मिरर ’ की वापसी न सिर्फ पाठकों के लिए, बल्कि उन ब्रैंड्स के लिए भी एक बड़ा अवसर है जो मुंबई से गहराई से जुड़ना चाहते हैं। यह वही मंच है जो लोकल बिजनेस, ब्रैंड्स और मोहल्ले के नायकों को उनकी सही जगह देता है।

वहीं, ब्रैंड हेड (Languages & Mumbai Mirror) सुभायू बागची ने कहा कि मुंबई मिरर शहर की धड़कनों से जुड़ा ब्रैंड है। इसकी वापसी अब और बोल्ड व और बेहतरीन कंटेंट के साथ हो रही है, जिसे वे लोग बना रहे हैं जो मुंबई की नब्ज को अच्छी तरह समझते हैं।

प्रकाशन समूह के अनुसार, ‘मुंबई मिरर का वितरण सेंट्रल मुंबई, बांद्रा, अंधेरी और पश्चिमी उपनगरों जैसे शहर के प्रमुख इलाकों में केंद्रित रहेगा। कंपनी को विश्वास है कि यह टैब्लॉइड न सिर्फ पाठकों के लिए, बल्कि स्थानीय विज्ञापनदाताओं के लिए भी एक बेहद असरदार और विश्वसनीय माध्यम साबित होगा।’

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बिहार में दस्तक देगा 'दि इंडियन एक्सप्रेस', CM नीतीश कुमार करेंगे पटना संस्करण का शुभारंभ

निष्पक्ष और तथ्य-आधारित खोजी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाला The Indian Express अब बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है

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Published - Monday, 09 June, 2025
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Monday, 09 June, 2025
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निष्पक्ष और तथ्य-आधारित खोजी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाला The Indian Express अब बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है। सोमवार यानी आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना संस्करण के औपचारिक शुभारंभ समारोह में शामिल होंगे। यह देशभर में प्रकाशित होने वाला इस प्रतिष्ठित अखबार का 11वां संस्करण होगा।

यह लॉन्च ऐसे समय पर हो रहा है जब देश उस दौर को याद कर रहा है जिसे लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय कहा जाता है- आपातकाल की घोषणा के 50 वर्ष। 1975 में जब लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन हुआ, प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया और सत्ता का दुरुपयोग अपने चरम पर था, तब The Indian Express ने रामनाथ गोयनका के नेतृत्व में इन अत्याचारों के खिलाफ सबसे मुखर विरोध दर्ज कराया था। सेंसरशिप के विरोध में अखबार ने एक खाली संपादकीय प्रकाशित कर आजादी की कीमत पर सवाल खड़े किए थे।

रामनाथ गोयनका का जयप्रकाश नारायण से गहरा संबंध था। जेपी ने 1974 में पटना के गांधी मैदान से ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा दिया और अगले ही वर्ष दिल्ली के रामलीला मैदान से इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ निर्णायक आह्वान किया। उस ऐतिहासिक आंदोलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक युवा नेता के रूप में सक्रिय थे और उन्होंने आपातकाल के खिलाफ मुखर भूमिका निभाई थी।

इस मौके पर The Indian Express Group के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक गोयनका ने कहा, “हमारे लिए यह लॉन्च एक तरह से घर वापसी जैसा है। हमारे संस्थापक रामनाथ गोयनका जी का जन्म दरभंगा में हुआ था और उनका जयप्रकाश नारायण से गहरा नाता रहा। बिहार ने हमेशा राष्ट्रीय विमर्श में अहम भूमिका निभाई है। पटना संस्करण की शुरुआत हमारे लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि बिहार के लोग अपनी राजनीतिक समझ और सामाजिक चेतना के लिए जाने जाते हैं — और वे पत्रकारिता का वह स्तर डिज़र्व करते हैं जो उनके विचारों, ज़रूरतों और आकांक्षाओं के साथ न्याय कर सके।”

The Indian Express फिलहाल देश के 10 शहरों- अहमदाबाद, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पुणे और वडोदरा से प्रकाशित होता है।

पटना संस्करण ऐसे समय में शुरू किया जा रहा है जब कुछ ही महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत और हाल के वर्षों में शासन में हुए सुधार (जैसे- पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण) इसे एक बेहद महत्वपूर्ण राज्य बनाते हैं, जहां जागरूक पत्रकारिता की भूमिका और भी अहम हो जाती है।

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The Pioneer के एग्जिक्यूटिव एडिटर बने दीपक कुमार झा

जाने-माने पत्रकार दीपक कुमार झा को देश के सबसे पुराने समाचार पत्र The Pioneer का एग्जिक्यूटिव एडिटर नियुक्त किया गया है।

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Published - Tuesday, 03 June, 2025
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Tuesday, 03 June, 2025
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जाने-माने पत्रकार दीपक कुमार झा को देश के सबसे पुराने समाचार पत्र The Pioneer का एग्जिक्यूटिव एडिटर बनाया गया है। The Pioneer की स्थापना वर्ष 1865 में हुई थी।

दीपक कुमार को पत्रकारिता में 21 वर्षों से अधिक का अनुभव है। इस नई भूमिका से पहले, उन्होंने The Pioneer में ब्यूरो प्रमुख और मेट्रो एडिटर की जिम्मेदारी निभाई और अपने लंबे करियर का अधिकांश समय इसी समाचार पत्र के साथ बिताया।

उन्होंने दूरदर्शन भारती के साथ भी संक्षिप्त कार्यकाल किया और मुंबई आधारित टैब्लॉइड MiD DAY के दिल्ली संस्करण की लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई। अपने पत्रकारिता करियर के दौरान उन्होंने भारतीय संसद, शिक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, कार्मिक विभाग, और प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से संबंधित घटनाक्रमों की रिपोर्टिंग और विश्लेषण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया।

राज्य विधानसभा चुनावों की व्यापक कवरेज के साथ-साथ दीपक कुमार ने 2004 से लेकर 2024 तक सभी लोकसभा आम चुनावों की रिपोर्टिंग की है। प्रदीप कुमार झा की दूरदर्शिता और समझ का ही यह असर था कि सरकार को पिछले साल (2024 लोकसभा चुनावों के दौरान) कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं की तारीखें बदलनी पड़ीं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने यह बात समय पर पहचान ली कि लगातार छुट्टियों की वजह से मतदान प्रभावित हो सकता है और उनकी रिपोर्ट के चलते सरकार को परीक्षा की तारीखें बदलनी पड़ीं। 

दीपक कुमार झा ने अपने करियर में कई अहम और ब्रेकिंग खबरें दी, जिनमें से कुछ के चलते उन्हें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से सेंसरशिप का सामना भी करना पड़ा।

उनकी खोजी रिपोर्टिंग के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वे राज्यसभा की मीडिया सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं और कई सामाजिक संगठनों में मानद सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।

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'दैनिक भास्कर' में छपी खबर का बीजेपी ने किया खंडन, सिंदूर अभियान की बात गलत

भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि दैनिक भास्कर में छपी यह खबर गलत है। भारतीय जनता पार्टी ने घर-घर सिंदूर बांटने का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया है।

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Published - Saturday, 31 May, 2025
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Saturday, 31 May, 2025
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जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत घर-घर सिंदूर पहुंचाने की खबर को भाजपा ने गलत बताया है। दैनिक भास्कर ने 28 मई के अंक में 'घर-घर सिंदूर पहुंचाएगी भाजपा, 9 जून से शुरुआत' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।

इस खबर में लिखा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को जन-जन तक पहुंचाने की तैयारी के तहत भाजपा महिलाओं को सिंदूर बांटेगी। समाचार में भाजपा के आउटरीच प्रोग्राम के तहत किए जाने वाले अन्य कार्यक्रमों की भी विस्तृत जानकारी दी गई थी।

भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 30 मई को लिखा कि दैनिक भास्कर में छपी यह खबर गलत है। भारतीय जनता पार्टी ने घर-घर सिंदूर बांटने का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया है। उधर, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सिंदूर बांटने की खबर को आधारहीन बताया।

उन्होंने कहा, ममता बनर्जी को अपने प्रदेश की बदहाली की चिंता करनी चाहिए, और देश की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बेतुकी बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए।

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भुवन लाल की ‘नमस्ते कान’ पुस्तक का विमोचन ‘कान फिल्म फेस्टिवल 2025’ में चमका

इस मौके पर भुवन लाल ने कहा, ’ मैं भारत की सॉफ्ट पावर की इस कहानी को दुनिया के साथ साझा करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं।’

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Published - Saturday, 24 May, 2025
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Saturday, 24 May, 2025
Bhuvan Lall.

भारतीय लेखक और फिल्म निर्माता भुवन लाल के लिए ‘कान फिल्म फेस्टिवल’ (Cannes Film Festival) 2025 एक ऐतिहासिक क्षण रहा, जिन्होंने 17 मई 2025 को प्रतिष्ठित कार्लटन होटल में अपनी नवीनतम पुस्तक ‘नमस्ते कान: द राइज ऑफ इंडियाज सॉफ्ट पावर के शानदार विमोचन का जश्न मनाया।‘ यह कार्यक्रम वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते प्रभाव को प्रदर्शित करने में एक महत्वपूर्ण पल है।

भारत के सांस्कृतिक उत्थान का एक जीवंत उत्सव, इस लॉन्च में हॉलीवुड के दिग्गज निर्माता अशोक अमृतराज, बहु-अरबपति प्रकाश हिंदुजा, ग्लोबल गेट के चेयरमैन विलियम फ़िफ़र, कला इतिहासकार सुंदरम टैगोर और प्रशंसित फ़िल्म निर्माता गुरिंदर चड्ढा, रीमा दास, सुधीर मिश्रा, पान नलिन, दीपक तिजोरी और विजय सिंह सहित भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म जगत के चुनिंदा सदस्यों ने भाग लिया।

इस मौके पर ‘रिलायंस एंटरटेनमेंट’ के पूर्व अध्यक्ष अमित खन्ना ने कहा, ‘मीडिया और मनोरंजन की दुनिया में एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की यात्रा को दस्तावेज करने के लिए भुवन लाल से बेहतर कोई नहीं हो सकता।’

’नमस्ते कान: द राइज ऑफ इंडियाज सॉफ्ट पावर’ दुनिया के प्रमुख फिल्म समारोह में सिनेमा और संस्कृति के माध्यम से भारत के बढ़ते प्रभाव को बताती है। यह पुस्तक अब दुनिया भर में एमेजॉन पर उपलब्ध है, जो पाठकों को वैश्विक प्रभाव की इस आकर्षक कहानी में गहराई से उतरने के लिए आमंत्रित करती है।

कार्लटन होटल में लॉन्च इवेंट के सार को कैप्चर करने वाला एक वीडियो भी उपलब्ध है, जो कान में इस ऐतिहासिक क्षण के उत्साह और गर्व को दर्शाता है। इस दौरान भुवन लाल ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ’3 दशकों की मेरी कान यात्रा और नमस्ते कान के लॉन्च दोनों मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। मैं भारत की सॉफ्ट पावर की इस कहानी को दुनिया के साथ साझा करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं।’

भुवन लाल के बारे में: भुवन लाल एक प्रशंसित लेखक और फिल्म निर्माता हैं जो वैश्विक मंच पर भारत के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सिनेमाई योगदान को चित्रित करने के लिए समर्पित हैं। ’नमस्ते कान’ उनकी नवीनतम कृति है, जिसने भारत के एक प्रख्यात कहानीकार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है।

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राम्या सरमा की नई किताब ‘Asha Bhosle: A Life in Music’ 25 मई को होगी लॉन्च

यह किताब देश की सबसे प्रतिष्ठित गायिकाओं में शुमार आशा भोसले के जीवन और संगीत यात्रा पर आधारित अंग्रेजी भाषा में एक जीवनी है, जो उनके संघर्ष, कला और वैश्विक पहचान को विस्तार से प्रस्तुत करती है।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 23 May, 2025
Last Modified:
Friday, 23 May, 2025
Ramya Sarma..

प्रसिद्ध लेखिका राम्या सरमा अपनी नई किताब ‘आशा भोसले: ए लाइफ इन म्यूजिक’ (Asha Bhosle: A Life in Music) 25 मई को आधिकारिक रूप से लॉन्च करने जा रही हैं।

यह किताब देश की सबसे प्रतिष्ठित गायिकाओं में शुमार आशा भोसले के जीवन और संगीत यात्रा पर आधारित अंग्रेजी भाषा में एक जीवनी है, जो उनके संघर्ष, कला और वैश्विक पहचान को विस्तार से प्रस्तुत करती है। इस जीवनी में आशा भोसले के शुरुआती संघर्षों से लेकर एक ग्लोबल म्यूजिक आइकॉन बनने तक के सफर को विस्तार से शामिल किया गया है। 

उनकी जादुई व मखमली आवाज ने सात दशकों से भी अधिक समय तक लाखों दिलों को छुआ है और यह जीवनी उनके जीवन, कला और बेमिसाल संगीत यात्रा को एक प्रेरक और भावपूर्ण अंदाज में प्रस्तुत करती है। संगीत प्रेमियों और जीवनी साहित्य के पाठकों के लिए यह किताब एक अनमोल उपहार है।

यह बुक 'मंजुल' (Manjul) की डिवीजन 'amaryllis' द्वारा प्रकाशित की गई है। किताब की आधिकारिक लॉन्चिंग के अवसर पर एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें संगीत जगत की प्रतिष्ठित हस्तियां, आलोचक और आशा भोसले की कला के प्रशंसक भाग लेंगे। 

इस बुक लॉन्चिंग के बारे में राम्या सरमा का कहना है, ‘यह किताब कुछ समय पहले बहुत प्यार और मेहनत से लिखी गई थी। अब जब यह प्रकाशित हो रही है, तो एक सुकून का अहसास हो रहा है कि यह कार्य पूरा हुआ। लेकिन स्वाभाविक रूप से थोड़ी घबराहट भी है, क्योंकि यह नहीं पता कि इसे पाठकों से कैसी प्रतिक्रिया मिलेगी।’

बता दें कि राम्या सरमा एक प्रतिष्ठित लेखिका और पत्रकार हैं, जो भारतीय कला पत्रकारिता की दुनिया में एक सम्मानित नाम हैं। उन्होंने वर्षों तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पब्लिकेशंस के लिए लेखन किया है। संगीत, साहित्य और कला से जुड़े विषयों पर उनकी गहरी समझ और संवेदनशील लेखन शैली उन्हें एक विशिष्ट पहचान देती है।

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अगले महीने मार्केट में दस्तक देगी सोना बहादुर की किताब 'An Invitation to Feast'

‘एलेफ बुक कंपनी’ (Aleph Book Company) द्वारा प्रकाशित सोना बहादुर की इस किताब में संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत और भारतीय व्यंजनों की जानकारी शामिल है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 19 May, 2025
Last Modified:
Monday, 19 May, 2025
Sona Bahadur

मुंबई की पत्रकार और ‘बीबीसी गुड फूड इंडिया’ (BBC Good Food India) की पूर्व संपादक सोना बहादुर इस साल जून की शुरुआत में अपनी पहली किताब ‘An Invitation to Feast’ लॉन्च करने जा रही हैं।
‘एलेफ बुक कंपनी’ (Aleph Book Company) द्वारा प्रकाशित इस किताब में संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत और भारतीय व्यंजनों की जानकारी शामिल है।

इस पुस्तक में भारतीय व्यंजनों की कहानियों को 11 लोकप्रिय पकवानों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जो सोना बहादुर की छह वर्षों की देशव्यापी यात्रा पर आधारित हैं।

इस दौरान उन्होंने घरों में खाना बनाने वाले लोगों, प्रतिष्ठित शेफ, स्ट्रीट फूड विक्रेताओं, रेस्टोरेंट संचालकों, ब्लॉगर्स, किसानों और खाद्य उत्पादकों से बातचीत की, जिससे देश के विविध और समृद्ध खाद्य परिदृश्य की गहराई को समझने का अवसर मिला।

सोना बहादुर के लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं और फूड जर्नलिज्म में शानदार योगदान के लिए उनकी काफी सराहना होती है।

बताया जाता है कि सोना बहादुर की इस किताब में पाठकों को स्वाद, कहानियों, रेसिपीज़ और इतिहास से भरपूर एक समृद्ध अनुभव मिलेगा, जो भारतीय खान-पान परंपरा की विविधता और गहराई को दर्शाता है।

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