'एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस' ने तेलंगाना के CM से मांगी बजटीय सहायता

'एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस' ने AIM से जुड़े पब्लिशर्स के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की मांग की है।

Last Modified:
Monday, 17 June, 2024
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'एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस' (AIM) ने अपने अध्यक्ष अनंत नाथ की ओर से तेलंगाना के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें नागरिकों के बीच पढ़ने के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए सरकार से बजटीय सहायता का अनुरोध किया गया है। 

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस देशभर में 40 से अधिक मैगजींस से जुड़े मैगजीन पब्लिशर्स की एकीकृत आवाज है, जो 200 से अधिक मैगजींस का प्रतिनिधित्व करती है।

अनंत नाथ ने कहा, 'हमारा मानना ​​है कि ऑनलाइन दुनिया में गलत सूचनाओं के इस दौर में, मैगजींस विश्वसनीय और अच्छी तरह से शोध की गई सामग्री के लिए एक महत्वपूर्ण कमी को पूरा करती हैं, जो सामाजिक रूप से जिम्मेदार और जागरूक नागरिकों को जानकारी प्रदान करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मैगजीन की एडिटोरियल टीम्स सावधानीपूर्वक ऐसी सामग्री तैयार करती हैं, जो तथ्य-परक की हुई, तर्कपूर्ण और पाठकों को सूचित व शिक्षित करने वाली होती हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'हम आपके राज्य में विश्वसनीय पठन-पाठन के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए भारतीय मैगजींस की ओर से आपको पत्र लिख रहे हैं। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों, जैसे- शिक्षा, सार्वजनिक पुस्तकालय, उच्च शिक्षा, एससीईआरटी, पंचायती राज व अन्य के माध्यम से आपकी सरकार के पास मैगजींस के लिए बजटीय सहायता स्वीकृत करने का अधिकार है, जो आपके द्वारा निर्धारित सामाजिक उत्तरदायित्व के कई लक्ष्यों को पूरा करने में काफी मददगार साबित हो सकती है।' 

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस ने AIM से जुड़े पब्लिशर्स के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की मांग की है।

अनंत नाथ ने कहा, "इसके अलावा, ऐसे कई तरीके हैं जिनसे मैगजींस आपके नेतृत्व में किए जा रहे महान कार्यों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं। मैगजीन पब्लिशर्स इस पर चर्चा करने का अवसर पाकर प्रसन्न होंगे।' 

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लोकप्रिय अखबार 'संयुक्त कर्नाटक' के संपादक वसंत नादिगेर का निधन

कर्नाटक के प्रसिद्ध समाचार पत्र 'संयुक्त कर्नाटक' के संपादक वसंत नादिगेर का बेंगलुरु में निधन हो गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 September, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 September, 2024
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कर्नाटक के प्रसिद्ध समाचार पत्र 'संयुक्त कर्नाटक' के संपादक वसंत नादिगेर का बेंगलुरु में निधन हो गया। रविवार, 9 सितंबर सुबह करीब 3.30 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अपने घर पर ही उनका निधन हो गया। मृतक के परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं।

मूल रूप से हावेरी जिले के रानीबेन्नूर के रहने वाले वसंत नादिगेर ने 'संयुक्त कर्नाटक', 'विजया कर्नाटक' और 'विश्ववाणी' अखबारों में काम किया था। 'विजया कर्नाटक' को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए उन्हें कई अभिनव प्रयोगों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कन्नड़ पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। उन्होंने मशहूर हिंदी गायिका लता मंगेशकर की जीवनी कन्नड़ में लिखी है।

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क्या IRS की वापसी से प्रिंट मीडिया को मिल सकती है नई दिशा?

IRS को फिर से शुरू करने की योजना से प्रकाशकों में उम्मीद जगी है कि इस सर्वे की वापसी से उन्हें अपने विज्ञापन राजस्व में सुधार करने और प्रिंट इंडस्ट्री को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 09 September, 2024
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Monday, 09 September, 2024
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कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इंवाजेलिस्ट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।

भारतीय मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (MRUC) द्वारा पांच साल के अंतराल के बाद इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) को फिर से शुरू करने की योजना बनाई है, जिससे प्रकाशकों में उम्मीद जगी है कि इस सर्वे की वापसी से उन्हें अपने विज्ञापन राजस्व में सुधार करने और प्रिंट इंडस्ट्री को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रभुत्व वाले परिदृश्य में, प्रिंट मीडिया हाउस बढ़ते दबाव का सामना कर रहे हैं। इंडस्ट्री से जुड़े अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कई समाचार पत्रों ने अपने प्रसार को 15-20 प्रतिशत तक कम कर दिया है और घाटे में चल रहे संस्करणों को बंद कर दिया है ताकि लाभप्रदता में सुधार हो सके।

हालांकि, हाल के दिनों में प्रिंट विज्ञापन राजस्व में वृद्धि देखी गई है, लेकिन यह विज्ञापन दरों में गिरावट के कारण है, न कि ब्रैंड्स के समग्र मार्केटिंग खर्च में वृद्धि के कारण।

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेडिबल और अपडेटेड रीडरशिप डेटा विज्ञापनदाताओं को प्रोत्साहित कर सकता है, जो तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में निवेश कर रहे हैं, ताकि वे अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट विज्ञापनों पर आवंटित करें।

एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के शीर्ष लीडर ने कहा, "IRS प्रिंट मीडिया उपभोग पर स्पष्टता प्रदान करने का वादा करता है। यह निश्चित रूप से प्रिंट में विज्ञापनदाताओं की रुचि को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"

प्रिंट मीडिया को अपनी स्थायी प्रासंगिकता के बावजूद भारत के कुल विज्ञापन खर्च का केवल 20% हिस्सा ही हासिल है, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को 44% और टेलीविजन को 32% हिस्सा मिलता है।

EY-FICCI की नवीनतम मीडिया और एंटरटेनमेंट रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड के बाद प्रिंट मीडिया धीरे-धीरे पुनरुद्धार की राह पर है, लेकिन इस क्षेत्र ने अभी तक महामारी पूर्व राजस्व स्तरों को प्राप्त नहीं किया है। विज्ञापन राजस्व महामारी से पहले की तुलना में 14% कम है, हालांकि 2021 में 16,595 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 19,250 करोड़ रुपये हो गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आईपीएल और विश्व कप जैसे प्रमुख आयोजनों ने विज्ञापन बजट को प्रिंट से दूर कर दिया, जिससे 2023 में त्योहारी सीजन के दौरान विज्ञापन खर्च कम रहा।

डिजिटल न्यूज कंजप्शन में वृद्धि ने प्रिंट मीडिया को प्रभावित किया है, जिसमें भारत में 456 मिलियन डिजिटल समाचार उपभोक्ता हैं और 80% से अधिक मोबाइल फोन के माध्यम से समाचार पढ़ते हैं। इससे प्रिंट पाठकों का डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर रुझान बढ़ गया है, जिससे नए ग्राहकों को आकर्षित करना कठिन हो गया है।

IRS की वापसी चाहते हैं विज्ञापनदाता

मीडिया बायर्स के अनुसार, ऑटो, BFSI, रियल एस्टेट, रिटेल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और FMCG जैसे क्षेत्रों में प्रमुख विज्ञापनदाता प्रिंट को अपने मीडिया रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, क्योंकि यह मीडिया की विश्वसनीयता और उपभोक्ताओं के साथ विश्वास निर्माण में मदद करता है।

एक मीडिया बायर ने कहा, “यह भरोसा और प्रिंट की मूर्त प्रकृति बेहतर सूचना प्रतिधारण में योगदान करती है जो ब्रैंड्स के लिए महत्वपूर्ण है।” 

हालांकि, उचित पाठक डेटा के अभाव में, उनके पास अंतर्ज्ञान, सरोगेट सर्वे, डीलर्स/मीडिया बायर्स की प्रतिक्रिया और ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन डेटा आदि के आधार पर चुनाव करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। मीडिया खरीदारों ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि कुछ ब्रैंड्स अभी भी विज्ञापन दरों और निवेश का फैसला करने से पहले 2019 के IRS डेटा पर विचार करते हैं।

तनिष्क की चीफ मार्केटिंग ऑफिसर पल्की शेरिंग ने कहा, "सभी विज्ञापनदाताओं को पाठकों की संख्या की पुष्टि और खपत को ध्यान में रखते हुए योजना बनाने के लिए अपडेट और यथार्थवादी IRS डेटा की आवश्यकता होती है, जिससे विज्ञापन दरों का मूल्यांकन किया जा सके।" 

शेरिंग ने कहा कि तनिष्क वर्तमान में अखबारों की वेबसाइट पर सरोगेट सर्वे करता है, ताकि अखबारों के पाठकों के बारे में व्यापक जानकारी मिल सके।

हालांकि, अधिकांश ब्रैंड्स इस बात को स्वीकार करते हैं कि जो उपभोक्ता पहले ही डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर जा चुके हैं, वे प्रिंट मीडिया में वापस नहीं लौटेंगे।

एक FMCG ब्रैंड के CMO ने कहा, "प्रिंट उपभोक्ताओं में ज्यादातर मिलेनियल्स और उससे ऊपर की पीढ़ी शामिल है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारा डिजिटल विज्ञापन खर्च बढ़ता रहेगा क्योंकि युवा पीढ़ी वहां अधिक समय बिताती है। प्रिंट को अपने विज्ञापनदाताओं को बनाए रखने के लिए इनोवेशन के मामले में कड़ी मेहनत करनी होगी।"

एक मीडिया बायर ने याद दिलाते हुए कहा कि इस साल जून में, स्विगी इंस्टामार्ट ने आम की खुशबू वाला अखबार का फ्रंट पेज विज्ञापन निकाला, जिसमें लिखा था, 'इस विज्ञापन को अपनी नाक से पढ़ें'। यह वायरल हो गया, जिससे काफी चर्चा हुई और लोगों ने इसे पसंद भी किया।"  

INS प्रमुख: IRS से विज्ञापनदाता और प्रकाशक दोनों को लाभ होगा

इंडियन न्यूजपेपर्स सोसाइटी के प्रेजिडेंट राकेश शर्मा का कहना है कि प्रिंट विज्ञापन और डिजिटल मीडिया विज्ञापन दो अलग-अलग मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, "डिजिटल विज्ञापन में वृद्धि का प्रिंट विज्ञापन से कोई संबंध नहीं है।"

IRS के बारे में विस्तार से बताते हुए शर्मा ने कहा, "IRS अखबारों के प्रसार, विभिन्न क्षेत्रों में कितनी प्रतियां वितरित होती हैं, कितने पाठक होते हैं, पाठकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि को समझने में मदद करता है। यह सर्वे विज्ञापनदाताओं के लिए अपने प्रिंट निवेश को अनुकूलित करने के लिए एक आवश्यक उपकरण है।"

IRS की नई डेटा से प्रकाशकों को भी अपने पाठकों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। यह बहुत संभव है कि प्रसार में कमी के बावजूद किसी समाचार पत्र के पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई हो। चूंकि IRS, जो भारत में प्रिंट मीजरमेंट के लिए एकमात्र करेंसी है, पांच साल से अटका हुआ है, इसलिए प्रकाशकों को भी वास्तविक पाठकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। फ्रेश डेटा उन्हें बेहतर तरीके से बार्गनिंग करने की शक्ति देगा।

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अपने उद्देश्यों पर कायम रहते हुए लंबे समय तक अखबार चलाना कठिन काम है: अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को मुंबई में 'मुंबई समाचार' की डॉक्यूमेंट्री '200 नॉट आउट' का विमोचन किया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 09 September, 2024
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Monday, 09 September, 2024
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को मुंबई में 'मुंबई समाचार' की डॉक्यूमेंट्री '200 नॉट आउट' का विमोचन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि किसी भी संस्था और विशेषकर एक स्थानीय अखबार को दो शताब्दी तक चलाना बहुत कठिन होता है। उन्होंने कहा कि 'मुंबई समाचार' ने पत्रकारिता में विश्वसनीयता की एक मिसाल पैदा की है। अमित शाह ने कहा कि इतनी विश्वसनीयता को अर्जित करने के लिए बहुत कठिन तप करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी आइडियोलॉजी से बिना जुड़े कोई भी राजनीतिज्ञ अच्छा काम नहीं कर सकता वहीं किसी आइडियोलॉजी से जुड़ा कोई भी अखबार अच्छा काम नहीं कर सकता और मुंबई समाचार किसी भी आइडियोलॉजी से जुड़े बिना अपने पाठकों से जुड़े रहकर उन तक सत्य पहुंचाता रहा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि झांसी की रानी ने जिस उद्देश्य के लिए शहादत दी, उसी उद्देश्य को सिद्ध करने वाले एक गुजराती ने 2014 में शपथ ली, इन दोनों खबरों को छापने वाला एकमात्र अखबार 'मुंबई समाचार' है। अमित शाह ने कहा कि 1857 की क्रांति, कांग्रेस की स्थापना, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी द्वारा गणेश उत्सव की शुरूआत, गोखले-तिलक का संघर्ष और गांधी जी का टेकओवर, भारत छोड़ो आंदोलन, नमक सत्याग्रह, आज़ादी का दिन और आज़ादी के 75 साल जैसे अवसरों की रिपोर्टिंग करने वाला मुंबई समाचार एकमात्र अखबार है।

अमित शाह ने कहा कि लंबे समय तक अखबार चलाना और अपने उद्देश्यों पर कायम रहते हुए अखबार चलाना बहुत कठिन काम है जो इस संस्था ने किया। उन्होंने कहा कि 1962 का भारत-चीन युद्ध, कच्छ का भूकंप, स्वतंत्रता आंदोलन, आपातकाल के खिलाफ लोगों के संघर्ष जैस देश के कई उतार-चढ़ावों में स्थितप्रज्ञ रहते हुए इस संस्था ने मुंबई समाचार को पत्रकारिता के धर्म के अनुसार चलाया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में गुजराती को जीवंत रखने और बोलचाल से जोड़ने में इस अखबार ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। अमित शाह ने कहा कि मुंबई समाचार के सर्कुलेशन को देखने की बजाए इसके योगदान को देखना चाहिए, जो सर्कुलेशन से बहुत अधिक बड़ा है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि दुनिया के सभी देशों की माइनॉरिटी को पारसी समुदाय से सीखना चाहिए। माइनॉरिटी में भी अगर कोई माइनॉरिटी है तो पारसी है। माइनॉरिटी के राइट्स के लिए झगड़ा करने वाले लोगों को पारसी समुदाय से सीखना चाहिए, जो अपने कर्तव्यों के लिए ही जीवन जीते हैं और जिन्होंने कभी कोई माँग किये बिना हर क्षेत्र में योगदान दिया है। अमित शाह ने कहा कि देश के कानून, औद्योगिक विकास, फिनटेक या आई क्षेत्र की बात हो, पारसी समुदाय इन सबमें सबसे आगे खड़ा है। उन्होंने कहा कि मुंबई समाचार के माध्यम से पत्रकारिता के क्षेत्र में कामा परिवार का ये योगदान गुजरात, गुजराती और भारत कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि मुंबई का नाम बॉम्बे से बदला गया तो अदालत में सबसे बड़ा साक्ष्य मुंबई अखबार का टाइटल था कि ये शहर मुंबई है।

अमित शाह ने कहा कि भारत की भाषाएं इसकी विरासत है। दुनिया में किसी अन्य देश में इतनी बोलियां और भाषाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य किया गया है। गृह मंत्री ने सब लोगों से अनुरोध करते हुए कहा कि हमें घर में अपनी भाषा में बोलना चाहिए, इससे बच्चे भाषा को आगे ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी भाषा से अपने आप को काट लेंगे तो हम अपनी संस्कृति से भी कट जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक हम बच्चों को अपनी भाषा न सिखाएं, इसे आगे न बढ़ाएं और इसे अगली पीढ़ी को सौंप कर न जाएं तब तक हमारा दायित्व समाप्त नहीं होता।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारी भाषा को संभालने, संजोने, ज्यादा सार्थक व लचीला बनाने और इसकी सखी भाषाओं से हमारे शब्दकोष को समृद्ध बनाने से हमारे शब्दकोष समृद्ध बनेंगे। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गृह मंत्रालय ने बहुत सटीकता से काम कर हिंदी शब्दकोश का विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि 22,831 शब्दों को देशभर की स्थानीय भाषाओं से लाकर हमने हिंदी को संपूर्ण भाषा बनाने की दिशा में काम किया है। अमित शाह ने कहा कि सभी को अपनी मातृभाषा के लिए योगदान करना चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि ‘मुंबई समाचार’ एशिया का सबसे पुराना और विश्व का तीसरा सबसे पुराना क्रियाशील समाचार पत्र है। उन्होंने कहा कि ये विश्व में विश्वनीयता बरकरार रखने वाला एकमात्र समाचार पत्र है। अमित शाह ने कहा कि पिछले 200 साल भारत के इतिहास में बहुत उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल और अब आगे का रास्ता प्रशस्त, स्पष्ट और यशस्वी है, लेकिन इससे पहले के 125 साल बहुत उतार-चढ़ाव वाले थे और इस दौरान मुंबई समाचार ने कभी मुनाफे का ध्यान नहीं रखा और हमेशा पत्रकारिता के धर्म को आगे बढ़ाने का काम किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस 50 मिनट की डॉक्यूमेन्ट्री को एक भी मिनट एडिट किए बिना हिंदी और अंग्रेजी में डब करना चाहिए। इससे पूरे देश को ये पता चलेगा कि स्थानीय भाषा का यह अखबार दो शताब्दी के बाद आज भी क्रीज़ पर टिका हुआ है और तीसरी शताब्दी पूरी करने के लिए तैयार है।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और हम विश्व में 11वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। उन्होंने कहा कि आज पुरी दुनिया भारत को डार्क जोन में एक ब्राइट स्पॉट मानती है। अमित शाह ने कहा कि आज जी-20 देशों में सबसे ज्यादा विकास दर भारत की है और जल्द ही हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज़ादी के 75 से 100 साल के बीच के काल को अमृतकाल कहा है और ये यात्रा भारत को विश्व में हर क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर तक ले जाने वाली यात्रा है। अमित शाह ने कहा कि देश के 140 करोड़ नागरिकों ने मोदी जी के इस संकल्प को अपनाया है कि 15 अगस्त 2047 को भारत विश्व में हर क्षेत्र में नंबर वन होगा।

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‘प्रभात खबर’ ने मनाई 40वीं वर्षगांठ, शुरू किया पौधरोपण अभियान

अपनी इस शानदार यात्रा का जश्न मनाने के लिए अखबार ने पिछले दिनों रांची में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 02 September, 2024
Last Modified:
Monday, 02 September, 2024
Prabhat Khabar Anniversary

प्रतिष्ठित हिंदी अखबार ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) ने इस साल 14 अगस्त को अपनी स्थापना के 40 साल पूरे कर लिए हैं। अपनी इस शानदार यात्रा का जश्न मनाने के लिए अखबार ने पिछले दिनों रांची में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम में अखबार के पूर्व संपादक हरिवंश नारायण सिंह समेत तमाम दिग्गज शामिल हुए। अपनी 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर अखबार ने अधिक से अधिक पौधे लगाने के उद्देश्य से ‘पौधा लगायें, जीवन बचायें’ शीर्षक से एक अभियान भी शुरू किया है।

बता दें कि प्रभात खबर की यात्रा 14 अगस्त, 1984 से रांची से आरंभ हुई थी। कांग्रेस के विधायक ज्ञानरंजन ने इस अखबार को निकाला था, जो झारखंड अलग राज्य के प्रबल समर्थक थे। प्रभात खबर के लिए भी यह यात्रा आसान नहीं रही लेकिन जनहित, तेवर, मुद्दों और जमीनी पत्रकारिता के कारण तमाम बाधाओं को पार करते हुए प्रभात खबर ने राष्ट्रीय पहचान बनाई।

आज प्रभात खबर आठ स्थानों- रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और कोलकाता से एक साथ प्रकाशित होता है। यह अखबार सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने और चारा घोटाले जैसे घोटालों का खुलासा करने में सबसे आगे रहा है।

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अब इस मीडिया समूह की टीम में शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश तिवारी

इससे पहले अखिलेश तिवारी मुंबई में ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) में बतौर स्पेशल करेसपॉन्डेंट कार्यरत थे। अपनी इस भूमिका में वह मुख्य रूप से अपराध जगत की खबरें कवर कर रहे थे।

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Published - Monday, 02 September, 2024
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Monday, 02 September, 2024
Akhilesh Tiwari

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश तिवारी ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times Of India) समूह के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में अखिलेश तिवारी ने बताया कि उन्होंने इस समूह के हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ (Nav Bharat Times) में बतौर स्पेशल करेसपॉन्डेंट जॉइन किया है। वह मुंबई से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे।

बता दें कि ‘नवभारत टाइम्स’ में अपनी नई पारी शुरू करने से पहले अखिलेश तिवारी मुंबई में ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) में बतौर स्पेशल करेसपॉन्डेंट कार्यरत थे। उन्होंने ‘टीवी9’ (TV9) समूह में अपनी करीब पौने पांच साल पुरानी पारी को विराम देकर पिछले साल जून में ही यहां बतौर स्पेशल करेसपॉन्डेंट जॉइन किया था। अपनी इस भूमिका में वह मुख्य रूप से अपराध जगत की खबरें कवर कर रहे थे। 

उन्होंने वर्ष 2018 में TV9 मराठी चैनल जॉइन किया था। इसके बाद वर्ष 2019 में ‘टीवी9 भारतवर्ष’ लॉन्च होने के बाद वह इस चैनल में आ गए थे। इस चैनल में वह बतौर सीनियर स्पेशल करेसॉन्डेंट अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

अखिलेश तिवारी को मीडिया में काम करने का करीब 23 साल का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने प्रिंट और टीवी दोनों में काम किया है। ‘दैनिक भास्कर’ और  ‘टीवी9’ से पहले वह ‘मिरर नाउ’ (Mirror Now) में कार्यरत थे। इसके अलावा पूर्व में वह ‘नवभारत’ (Navbharat), ‘स्टार न्यूज’ (Star News), ‘बीएजी नेटवर्क’ (BAG Network), ‘सहारा’ (Sahara) और ‘सीटीवी’ (CTV) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं।  

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो अखिलेश तिवारी मुंबई के केसी कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में पीएचडी की है। समाचार4मीडिया की ओर से अखिलेश तिवारी को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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'स्टारडस्ट' पत्रिका के प्रकाशक नारी हीरा का निधन, 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

चर्चित फिल्म ‘स्कैंडल’ समेत कई फीचर फिल्मों के निर्माता और प्रसिद्ध फिल्म पत्रिका 'स्टारडस्ट' के प्रकाशक नारी हीरा का मुंबई में निधन हो गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 24 August, 2024
Last Modified:
Saturday, 24 August, 2024
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चर्चित फिल्म ‘स्कैंडल’ समेत कई फीचर फिल्मों के निर्माता और प्रसिद्ध फिल्म पत्रिका 'स्टारडस्ट' के प्रकाशक नारी हीरा का मुंबई में निधन हो गया। 26 जनवरी 1938 को जन्मे नारी हीरा ने 86 साल की उम्र में शुक्रवार को अंतिम सांस ली।

नारी हीरा को सीधे डीवीडी पर फिल्में रिलीज करने के चलन को प्रचलित करने के लिए भी फिल्म इंडस्ट्री में खास पहचान मिली थी। उन्होंने अपने बैनर 'हिबा फिल्म्स' के तहत एक दर्जन से अधिक फिल्मों का निर्माण किया, जिन्हें सीधे वीडियो पर रिलीज किया गया।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, नारी हीरा का अंतिम संस्कार शनिवार को दोपहर में वर्ली के बाणगंगा श्मशान घाट पर किया जाएगा।

परिवार की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, "हम बड़े दुख के साथ उनके निधन की खबर साझा कर रहे हैं। वह प्रिंट मीडिया के अग्रणी, एक पारिवारिक व्यक्ति और अतुलनीय पिता थे। उनकी अनुपस्थिति में हम सभी दुखी हैं।"

1938 में कराची में जन्मे नारी हीरा का परिवार 1947 में विभाजन के बाद मुंबई आ गया। उन्होंने 1960 के दशक में पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन बाद में प्रकाशन में कदम रखा। उनकी पत्रिका 'स्टारडस्ट' बॉलीवुड के विवादों, सनसनीखेज कहानियों और गॉसिप के लिए जानी जाती थी, जिससे उन्हें बड़ी सफलता मिली।

'स्टारडस्ट' पत्रिका की विवादित सामग्री के कारण नारी हीरा को कानूनी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। पत्रिका पर कई मशहूर हस्तियों जैसे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और सलमान खान ने मानहानि के मुकदमे दर्ज किए। पत्रिका पर मशहूर हस्तियों की निजता का उल्लंघन करने के आरोप भी लगे, जिसके चलते उसे कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा।

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AI के आने से पुराने अवसर विलुप्त होंगे, तो नए क्रिएट भी होंगे: विनोद अग्निहोत्री

'अमर उजाला' के कंसल्टिंग एडिटर विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि जितने भी आविष्कार हुए हैं, हर आविष्कार में पुरानी चीजें पीछे हुईं और कुछ नया सामने आया है।

Last Modified:
Friday, 23 August, 2024
VinodAgnihotri784541

एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। 

सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

इस दौरान अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए 'अमर उजाला' के कंसल्टिंग एडिटर विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि मुझे वह दौर याद है जब राजीव गांधी इस देश में कंप्यूटर ला रहे थे तो कंप्यूटर के खिलाफ जबरदस्त विद्रोह था, विरोध था सड़कों पर लोगों का। बस यही कहा जा रहा था कि तमाम लोग बेकार हो जाएंगे। नौकरियां चली जाएंगी। रेलवे के टीटी बेकार हो जाएंगे। बसों के कंडक्टर बेकार हो जाएंगे। प्रूफ रीडर बेकार हो जाएंगे। मुझे याद है  कि हस्ताक्षर अभियान जुलूस और सेमिनार सब हो रहा था और मैं भी शामिल था विरोध करने वालों में। हमें भी लगता था कि जो काम मनुष्य को करना चाहिए, कंप्यूटर करेगा। लेकिन आज महसूस होता है कि कंप्यूटर नहीं आता तो हम अफगानिस्तान की तरह कहीं पड़े होते। कंप्यूटर आने के बाद जितनी नौकरियां गई होंगी, उससे कई गुना अवसर जो हैं अर्जित भी हुए हैं। तो तकनीक निश्चित रूप से जब आती है, तो पुरानी चीजों को साफ करती है और नई चीजें  लाती भी है। आग के आविष्कार से लेकर पहिए के आविष्कार और इंजन के आविष्कार तक, जितने भी आविष्कार हुए हैं, हर आविष्कार में पुरानी चीजें पीछे हुईं और कुछ नया सामने आया है। अब आप कल्पना कीजिए उस दौर की जब भारत की आबादी या दुनिया की आबादी आज की आबादी से मुश्किल से 10 फीसद रही होगी या 15-20 फीसदी रही होगी, उस वक्त जो अवसर थे रोजगार के या कमाई के वह धीरे-धीरे विलुप्त होते चले गए, लेकिन तमाम नए अवसर क्रिएट हो गए जब कपड़ा बुनने की मशीन नहीं थी, बुनकर होते थे भारत में और उसके बाद अंग्रेज आए बड़ी-बड़ी मिले लगीं, तो बुनकर आउट हो गए, लेकिन मशीने और उसके बाद मिलो में तमाम लोगों को जगह मिली तो मुझे लगता है कि एआई से डरने की जरूरत नहीं है। हो सकता है कि न्यूज रूम की जरूरत न रहे, प्रोड्यूसर की जरूरत न रहे, पीसीआर की जरूरत न पड़े, लेकिन हो सकता है कुछ ऐसी चीज सामने आ जाएं कि बहुत सी अन्य चीजों की जरूरत पड़ जाए।

अब सवाल है कि यदि हर आदमी अपना चैनल निकाल सकता है, तो दर्शकों की जरूरत होगी कि नहीं होगी, श्रोताओं की जरूरत होगी कि नहीं होगी। अब सबके ही चैनल हो जाएंगे, तो कौन से दर्शक किसको देखेंगे। मुझे लगता है कि शायद इस प्रश्न का जवाब भी मिलेगा आज या कल। लेकिन आप देखिए कितने सारे चैनल हैं, कितने सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं, जिनमें हर आदमी अपनी बात कह रहा है।

एक जमाना था कि एडिटर्स की दादागिरी चलती थी, मतलब आर्टिकल्स ही आते थे। संपादक तक तो पहुंच पाना बहुत दूर की बात थी। हमारे संपादक अलोक मेहता जी रहे, एसपी सिंह थे और भी कई लोग रहे। उन तक तो जाना दूर, जो डेस्क इंचार्ज होता था उसकी दादागिरी चलती थी।  आर्टिकल छपे या न छपे कोई फर्क नहीं पड़ता था। लेकिन जो सभ्य समाज के  लोग होते थे, वो कम से कम एक्नॉलेजमेंट करके भेज देते थे कि ये खेत छापने योग्य नहीं है या हमारे पास जगह नहीं है। कई तो भेजते भी नहीं थे, लेकिन आज क्या है, आज लाइक डिसलाइक और बहस भी होती है। संवाद भी होता है। किसी को जरूरत नहीं है कि अखबार में लिखे  या छपे। तो कहना चाहता हूं कि तकनीक ने बहुत सारे चीजें अगर खत्म करती हैं, तो बहुत सारे नए आयाम खोलती भी है। इसी से मानव सभ्यता और मानवता आगे बढ़ती है। खतरे हर चीज के होते हैं। अब जैसे चाकू है, चाकू से ऑपरेशन भी होता है और चाकू से हत्या भी होती है। तो एआई की तकनीक का दुरुपयोग भी होगा और जाहिर है, उससे बहुत सारे काम आसान भी होंगे।

उन्होंने बताया कि मेरा बेटा फिल्म मेकिंग में है, वो बताता है कि कैसे फिल्म इंडस्ट्री में एआई का जबरदस्त तरीके से प्रयोग हो रहा है और बहुत सारी चीज बेहतर हो रही हैं।  

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काव्य संग्रह ‘बुलबुल की कहानी’ में दिखी उमा त्यागी की रचनात्मकता, दिल्ली में हुआ विमोचन

दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) एनेक्सी के सभागार में 21 अगस्त को आयोजित इस काव्य संग्रह के विमोचन समारोह में पूर्व सांसद व ‘लोकमत मीडिया’ के चेयरमैन डॉ. विजय दर्डा मुख्य अतिथि थे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 22 August, 2024
Last Modified:
Thursday, 22 August, 2024
Book Launching

कवयित्री उमा त्यागी के काव्य संग्रह ‘बुलबुल की कहानी’ का 21 अगस्त को दिल्ली में विमोचन किया गया। दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) एनेक्सी के सभागार में आयोजित विमोचन समारोह में पूर्व सांसद व ‘लोकमत मीडिया’ के चेयरमैन डॉ. विजय दर्डा मुख्य अतिथि थे। वरिष्ठ पत्रकार (पद्मश्री) और लेखक आलोक मेहता की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत, चिकित्सक, चिंतक और समाजशास्त्री डॉ. हरीश भल्ला और प्रसिद्ध कवि, आलोचक व साहित्यिक विद्वान अशोक वाजपेयी बतौर विशेष अतिथि शामिल हुए। इस किताब को ‘समय प्रकाशन’ ने प्रकाशित किया है।

लेखिका उमा त्यागी ने बताया कि 239 पेज के इस काव्य संग्रह में 95 कविताएं हैं, जिनमें जीवन के विभिन्न पड़ावों को काफी सहज तरीके से सहेजा गया है। उमा त्यागी का कहना था, ‘मेरे घर का माहौल साहित्य व कवितामय है इसीलिए मुझे कण-कण में कविताएं दिखाई देती हैं।’

काव्य संग्रह के विमोचन के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. विजय दर्डा का कहना था, ’हिंदी साहित्य और कविता लिखना मुश्किल काम है, लेकिन उमा त्यागी ने अपने कड़े संघर्ष एवं लगन से इसे संभव कर दिखाया। इस काव्य संग्रह को पढ़कर लगा कि कोई इतना अच्छा भी लिख सकता है। मेरे जीवन में भी कविता व साहित्य का विशेष महत्व है। उमा त्यागी की इस उपलब्धि को अच्छी तरह समझ सकता हूं।’

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र का कहना था कि इस काव्य संग्रह में कहीं बहुत सारा उजाला दिखाई दिया तो कहीं बहुत अंधेरा दिखाई दिया। इस काव्य संग्रह के कुछ ऐसे विचार हैं जो मन को छू गये। यदि कोई लेखक पढ़ने वाले के दिल को छू ले तो उसका लेखन सफल हो जाता है।

कार्यक्रम के ‌विशिष्ट अतिथि शशि शेखर का कहना था, ’महिला अपने आप में एक चलता-फिरता महाकाव्य है। उमा त्यागी ने इस पुस्तक के लेखन के माध्यम से यह साबित कर दिया है। आप आने वाले समय में एक सशक्त हस्ताक्षर बनेंगी और आपकी यह संगीत यात्रा पूरी दुनिया देखेगी।’

वरिष्ठ पत्रकार (पद्मश्री) आलोक मेहता ने कहा कि इस पुस्तक में एक दर्द है तो आशा भी है। कविता के माध्यम से लेखिका ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है। इस दौरान वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी व डॉ. हरीश भल्ला ने भी इस काव्य संग्रह को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। मंच संचालन लोकमत समाचार समूह के वरिष्ठ संपादक विकास मिश्र ने किया। पूर्वी त्यागी ने धन्यवाद दिया।

लेखिका के बारे में: अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट उमा त्यागी वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में रहती हैं। वह पेशे से उच्च अध्यापन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर में जन्मीं उमा त्यागी ने रामपुर में पांच साल तक आकाशवाणी के आंचल कार्यक्रम का संचालन किया है। इसके अलावा वह आकाशवाणी के अनेक कार्यक्रमों का संचालन करती रही हैं।  

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अरविंद केजरीवाल की फोटो के बिना अखबारों में विज्ञापन देने पर अधिकारियों को नोटिस

दिल्ली की सूचना एवं प्रचार मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तस्वीर के बिना अखबार में विज्ञापन जारी करने के लिए विभाग के सचिव और निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 22 August, 2024
Last Modified:
Thursday, 22 August, 2024
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दिल्ली की सूचना एवं प्रचार मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तस्वीर के बिना अखबार में विज्ञापन जारी करने के लिए विभाग के सचिव और निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में अधिकारियों से तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है कि बिना मंजूरी के विज्ञापन क्यों प्रकाशित किया गया और इस गलती की भरपाई उनके वेतन से क्यों न की जाए।

मामला तब उठा जब 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री की तस्वीर के बिना विज्ञापन छपा। आतिशी ने पहले ही मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ विज्ञापन जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग ने इसके बावजूद तस्वीर के बिना विज्ञापन प्रकाशित कर दिया।

सूचना और प्रचार निदेशालय (डीआइपी) के अधिकारियों ने 14 अगस्त को एक नोट में मुख्यमंत्री की तस्वीर लगाने पर आपत्ति जताई थी, यह कहते हुए कि स्वतंत्रता दिवस किसी व्यक्ति को प्रदर्शित करने का अवसर नहीं है, खासकर तब जब वह व्यक्ति न्यायिक हिरासत में हो।

मुख्यमंत्री केजरीवाल आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस घटना को आम आदमी पार्टी और दिल्ली की नौकरशाही के बीच संभावित टकराव के एक और संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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अंशुल गुप्ता ने इस बड़े पद पर जॉइन किया ‘The Times of India’

अंशुल गुप्ता को एफएमसीजी इंडस्ट्री में सेल्स में विभिन्न प्रमुख पदों पर काम करने का 21 साल से ज्यादा का अनुभव है।

Last Modified:
Tuesday, 20 August, 2024
Anshul Gupta

‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (The Times of India) में अंशुल गुप्ता ने डायरेक्टर (RMD) के पद पर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह सर्कुलेशन बढ़ाने और स्ट्रैटेजिक पहल के द्वारा लाभदायक सर्कुलेशन रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार होंगे।

इसके अलावा वह समग्र ब्रैंड स्ट्रैटेजी के अनुरूप ऑडियंस की भागीदारी और रेवेन्यू को बढ़ाएंगे। अंशुल गुप्ता इससे पहले ‘डाबर इंडिया लिमिटेड’ में वाइस प्रेजिडेंट और सेल्स हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

फिजिक्स में ग्रेजुएट और गुजरात के आनंद में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट से एमबीए अंशुल गुप्ता को सेल्स में विभिन्न प्रमुख पदों पर काम करने का 21 साल से ज्यादा का अनुभव है। वह ‘Dabur India Ltd’, ‘Perfetti Van Melli’ और ‘Amul’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विभिन्न प्रमुख पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।

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