समाचार4मीडिया ब्यूरो मीडिया और सिनेमा की पूर्णकालिक शोध पत्रिका ‘समागम’ का नया अंक जारी कर दिया गया है। द्विभाषी मासिक शोध पत्रिका समागम का हर अंक किसी विषय-विशेष पर केंद्रित रहा है और इस बार इसका अंक हिंदी पर केंद्रित है। हिंदी के विविध पक्षों पर सारगर्भित लेखो के साथ शोध आलेख भी है। इस अंक का संपादन हिंदी की सुपरिचित साहित
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कानपुर निवासी शक्ति प्रकाश भार्गव नामक एक व्यक्ति को फर्जी पत्रकार बनकर घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कानपुर निवासी शक्ति प्रकाश भार्गव नामक एक व्यक्ति को फर्जी पत्रकार बनकर घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, भार्गव ने एक हिंदी अखबार के पत्रकार का फर्जी पहचान पत्र बनवाया था और प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखने का प्रयास कर रहा था। उसके पास कुछ दस्तावेज़ थे, जिन्हें उसने केंद्रीय गृहमंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए हवा में उछाला। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया।
पुलिस को आरोपी के पास से जो दस्तावेज़ मिले हैं, उनमें कानपुर की लाल इमली मिल में अनियमितताओं के आरोपों का उल्लेख है। पुलिस ने भार्गव के खिलाफ जबरन घुसने और जालसाजी का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी ने हिंसक कदम नहीं उठाया, बल्कि वह कानपुर की लाल इमली मिल से जुड़े मुद्दों पर गृहमंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहता था। बताया जा रहा है कि वह कुछ दिन पहले ही मुंबई आया था और मौके की तलाश में था।
पुलिस कर रही मामले की जांच
पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि भार्गव ने फर्जी पहचान पत्र कैसे बनवाया। इसके अलावा, 2019 में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भार्गव पर बीजेपी नेता पर जूता फेंकने का भी आरोप है। डीसीपी मनीष कलवानिया के अनुसार, आरोपी को गिरफ्तार कर बीकेसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस पूछताछ में भार्गव ने बताया कि वह कानपुर की लाल इमली मिल की दुर्दशा पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता था। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
अमित शाह के स्वागत में लगाए गए अवैध होर्डिंग्स पर एफआईआर
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मुंबई आगमन पर वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर उनके स्वागत में लगाए गए आठ होर्डिंग्स को लेकर विले पार्ले पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। बीएमसी के के/ईस्ट वॉर्ड विज्ञापन विभाग के एक निरीक्षक को इन होर्डिंग्स के बारे में वॉट्सऐप पर सूचना मिली थी, जिसके बाद यह मामला दर्ज किया गया। यह तीन दिनों में दूसरा ऐसा मामला है, क्योंकि शनिवार को अंधेरी पुलिस स्टेशन में भी शिवसेना (यूबीटी) के होर्डिंग्स को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
हिमाचल प्रदेश में समोसा कांड के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तस्वीरें शेयर करने पर कड़ा निर्देश जारी किया गया है।
हिमाचल प्रदेश में समोसा कांड के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तस्वीरें शेयर करने पर कड़ा निर्देश जारी किया गया है। अब किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी को सीएम सुक्खू की तस्वीरें सार्वजनिक करने से पहले सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक (डीआईपीआर) से स्वीकृति लेनी होगी। इस आदेश के तहत बिना अनुमति के मुख्यमंत्री की कोई भी फोटो नहीं जारी की जा सकेगी।
यह आदेश सरकारी बैठकों, सार्वजनिक कार्यक्रमों और अन्य आधिकारिक समारोहों में ली गई तस्वीरों पर भी लागू होगा। डीआईपीआर ने सभी सचिवों और विभागीय प्रमुखों को पत्र भेजकर यह निर्देश जारी किया है। पत्र में बताया गया है कि मुख्यमंत्री की तस्वीरें कई बार बिना पूर्व स्वीकृति के मीडिया को जारी की जा रही हैं, जिससे संभावित रूप से उनकी सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
**मुख्यमंत्री की छवि को लेकर सख्ती
डीआईपीआर ने अपने पत्र में चेताया है कि कुछ तस्वीरें सीएम की अनुचित भाव-भंगिमाओं को दर्शा सकती हैं, जिससे उनकी छवि को आघात पहुंच सकता है। पत्र में कहा गया है, "इन तस्वीरों के अनियंत्रित प्रसार के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो न केवल मुख्यमंत्री की बल्कि सरकार की छवि को भी प्रभावित कर सकते हैं।"
समोसा कांड के बाद सरकार का सतर्क रुख
कुछ समय पहले सीआईडी के एक कार्यक्रम में 'समोसा कांड' होने के बाद सरकार सतर्क हुई है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सुक्खू की उपस्थिति में होटल से मंगाए गए समोसे और केक को लेकर विवाद हुआ था। दरअसल, यह केक उच्च अधिकारियों के लिए था, पर सुरक्षा कर्मियों को दे दिया गया, जिससे हंगामा खड़ा हो गया। मामले की सीआईडी जांच भी हुई और इसे सरकार विरोधी कृत्य कहा गया।
इस जांच रिपोर्ट के लीक होने के बाद विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया और व्यंग्य करते हुए कहा कि सीएम के समोसे कोई और खा गया और इस पर सीबीआई जांच हो रही है। विपक्ष के इस हमले और संभावित विवादों से बचने के लिए सरकार ने अब यह सख्त कदम उठाया है।
यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का मानवीय पहलू एक बार फिर सामने आया है, जब उनकी तत्परता और सहयोग से वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह की जान बचाई जा सकी
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का मानवीय पहलू एक बार फिर सामने आया है, जब उनकी तत्परता और सहयोग से वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह को समय पर उपचार मिला और उनकी जान बचाई जा सकी।
शनिवार को मान्यता प्राप्त पत्रकार एकादश और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एकादश के बीच में सेमीफाइनल का मैच खेला जा रहा था, तभी फील्डिंग के दौरान मीडिया क्रिकेट टीम के कप्तान राघवेन्द्र प्रताप सिंह को अचानक सीने में दर्द होने लगा।
शनिवार को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में चल रहे इकाना मीडिया T-20 कप में पत्रकारों के बीच क्रिकेट मैच हो रहा था। इस दौरान मान्यता प्राप्त पत्रकार एकादश और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एकादश में सेमीफाइनल का मैच खेला जा रहा था। इस बीच फील्डिंग के दौरान मीडिया क्रिकेट टीम के कप्तान राघवेन्द्र प्रताप सिंह को अचानक सीने में दर्द होने लगा। बिना किसी को बताए, वह ड्राइवर के साथ सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां जांच के दौरान हृदयाघात का पता चला।
इस खबर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचे और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राघवेंद्र प्रताप को पीजीआई में शिफ्ट करवाया। उनकी देखरेख में पीजीआई में डॉक्टरों द्वारा तुरंत एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की गई, जिसमें एक स्टंट डाला गया।
ब्रजेश पाठक ने न केवल राघवेंद्र प्रताप सिंह के इलाज के लिए 55,000 रुपए की आर्थिक सहायता दी बल्कि अस्पताल की औपचारिकताएं भी खुद पूरी कीं। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी जो भी खर्चे आएंगे, उसे वे उठाएंगे। इस संवेदनशील कदम की सोशल मीडिया पर भी जमकर सराहना हो रही है।
इलाज के बाद डॉक्टरों ने राघवेंद्र प्रताप को खतरे से बाहर बताया है और संभवतः दो-तीन दिन में उन्हें डिस्चार्ज किया जा सकता है। ब्रजेश पाठक की त्वरित सहायता और सहयोग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके लिए जनता की सेवा ही सर्वोपरि है।
उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद में स्थित श्री कल्कि धाम में आचार्य प्रमोद कृष्णम की अगुवाई में चल रहे महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे थे ‘भारत एक्सप्रेस’ के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय
‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद में स्थित श्री कल्कि धाम में चल रहे भव्य 108 कुण्डीय शिलादान महायज्ञ में भाग लिया। श्री कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ उन्होंने इस महत्वपूर्ण यज्ञ में आहुतियां दीं और मंदिर निर्माण के लिए शिलादान किया। इस मौके पर उपेंद्र राय का कहना था, ‘श्री कल्कि धाम मंदिर जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया, जिसका निर्माण 2030 तक होगा, आचार्य प्रमोद जी को इसे बनाने का जिम्मा मिला है, ये मंदिर अपने आप में ऐतिहासिक होगा और इसके बनने की कहानी भी इतिहास में दर्ज होगी।’
श्रेष्ठतम की चुनौती है निकृष्टतम: उपेंद्र राय ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे श्रेष्ठ बनने के लिए निकृष्ट चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, उन्होंने बताया, ‘भगवान ने जब इंसान को बनाया तो देवताओं से कहा था कि मैंने एक बहुत ही उत्कृष्ट चीज बनाई है, वो है इंसान। इस पर देवताओं ने सवाल किया कि प्रभु आपने उत्कृष्ट ही बनाया तो सोने से बना देते, चांदी से बना देते, लोहे से बना देते, सबसे निकृष्ट मिट्टी से क्यों बनाया, जो रोज पैरों के नीचे लगती है? तब जवाब देते हुए भगवान ने कहा- श्रेष्ठतम को निकृष्टतम से होकर जाना पड़ता है. श्रेष्ठतम की चुनौती है निकृष्टतम, जब निकृष्टतम से ऊपर उठा तब जाकर श्रेष्ठ बना। इस प्रकार, अगर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भगवान कल्कि के मंदिर निर्माण का जिम्मा लिया है, तो उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, इनकी कहानी मुझे बहुत आकर्षित करती है। मैं इनकी कहानी से बहुत प्रभावित हूं।’
उपेंद्र राय ने संत को परिभाषित करते हुए कहा, ‘एक संत को ऐसा ही होना चाहिए। साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।’ आचार्य प्रमोद कृष्णम को लेकर उन्होंने बताया, ‘मैं आचार्य जी से बहुत-कुछ सीखता हूं। मैं जब इनसे राय मांगता हूं या जब बात करता हूं, तो ये फोन पर सहज ही उपस्थित हो जाते हैं। ये बहुत व्यस्त होते हैं, लेकिन इनका स्वभाव ऐसा है कि जब किसी का भी फोन आता है तो शांत मन से सुझाव देते हैं। तब हम लोगों को लगता है कि आचार्य जी कितने सुलभ उपस्थित हैं, इनकी यही सुलभता और संतों से इन्हें बहुत अलग करती है।’
सर्व धर्म समभाव की बात करते हुए उपेंद्र राय बोले कि आचार्य प्रमोद कृष्णम का सर्व धर्म समभाव उन्हें औरों से अलग करता है। उनकी सहजता, सहज-वाणी, उनका हिंदी उर्दू अंग्रेजी सभी भाषाओं पर विशेष ज्ञान, कोई जाति-वर्ग विशेष से भेद किए बिना सब लोगों को शामिल करना है। उनका जो सर्व धर्म समभाव वाला स्वभाव है, प्रशंसनीय है।
उन्होंने कहा, ‘आचार्य जी सबका स्वागत करते हैं। एक बार, इनसे एक सवाल पूछा गया था कि आप फारुख अब्दुल्ला का भी स्वागत करते हैं और संतों का भी करते हैं, तो इन्होंने कहा था कि उस फारुख अब्दुल्ला का स्वागत मैं क्यों न करूं, जिन्होंने हमारे कल्कि धाम में बैठकर कीर्तन गाए।’ उन्होंने आगे कहा कि आचार्य प्रमोद कृष्णम की सोच और कार्यशैली से वे बहुत प्रभावित हैं, जो न केवल सनातन धर्म के मूल्यों को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज को जोड़ने का काम भी करती है।
इस अवसर पर कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उपेंद्र राय का धन्यवाद करते हुए कहा, ‘मैं यहां इनकी उपस्थिति से प्रसन्न हूं। मैं इन्हें शुभाशीष देता हूं। श्री कल्कि धाम ट्रस्ट की ओर से मैं उपेंद्र राय जी और अन्य सज्जनों का आभार व्यक्त करता हूं। हम चाहते हैं कि इनका कल्कि धाम से एक अटूट संबंध स्थापित हो। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 'भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क' जिस तरह से सनातन के कार्य में लगा है, उसी तरह आगे भी लगा रहे।’ श्री कल्कि धाम में 7 से 11 नवंबर तक चल रहे इस महायज्ञ में देश के कई प्रमुख संतों की उपस्थिति है, जो धर्म और अध्यात्मिकता के प्रति समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है।
ताजनगरी आगरा शुक्रवार 8 नवंंबर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फुटवियर फेयर 'मीट एट आगरा' के 16वें संस्करण की मेजबानी कर रही है।
ताजनगरी आगरा शुक्रवार 8 नवंंबर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फुटवियर फेयर 'मीट एट आगरा' के 16वें संस्करण की मेजबानी कर रही है। यह फेयर आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर (AFMEC) द्वारा आयोजित किया गया है, जो 8, 9 और 10 नवंबर 2024 तक चलेगा। इस फेयर में दुनिया भर के 35 देशों के 200 से अधिक एग्जीबिटर्स भाग ले रहे हैं।
AFMEC के अध्यक्ष पूरन डावर ने आगरा ट्रेड सेंटर में आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि इस बार फेयर का आयोजन 7200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में किया गया है। यहां नवीनतम मशीनरी, शू कंपोनेंट्स और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस आयोजन में 20,000 से अधिक विजिटर्स शामिल होंगे, जो फुटवियर उद्योग के विभिन्न घटकों और नई तकनीकों को समझने का अवसर प्राप्त करेंगे।
**व्यापारिक अवसर और उद्योग के लिए शिक्षा का मंच**
AFMEC के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने बताया कि इस फेयर में चमड़ा, सोल, शू एडेसिव, मशीनरी, और अन्य फुटवियर निर्माण सामग्री का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा देता है बल्कि इसे एक शैक्षिक मंच के रूप में भी देखा जा रहा है। इस फेयर के माध्यम से छात्र और युवा उद्यमी फुटवियर निर्माण की नवीनतम तकनीकों, उत्पादों और व्यापारिक रणनीतियों को सीख सकते हैं, जो उनके करियर को मजबूती प्रदान करेगा।
अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की ओर एक कदम
AFMEC के महासचिव राजीव वासन ने बताया कि इस बार फेयर में ताइवान, जर्मनी, ब्राजील, स्पेन, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित 35 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी है। खासतौर पर ताइवान का एक विशेष प्रतिनिधिमंडल भी भाग ले रहा है, जो भारतीय उद्योगपतियों के साथ संभावित व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश करेगा।
व्यापक स्तर पर आयोजन
वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश सहगल ने कहा कि 'मीट एट आगरा' ने अपने आयोजन के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान बनाई है। यह आयोजन न केवल भारतीय फुटवियर उद्योग के लिए एक बड़ा व्यापारिक मंच है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापारिक संपर्कों को बढ़ाने में सहायक है।
'मीट एट आगरा' की प्रमुख बातें
इस फेयर के उद्घाटन के अवसर पर उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग और एलएसएससी के अध्यक्ष मुख्तारुल अमीन ने भाग लिया। इस मौके पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पांच समूहों को 'एक्सीलेंस अवार्ड' से सम्मानित किया गया। फेयर के दौरान कई सेमिनार और तकनीकी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें उद्योग के विभिन्न मुद्दों जैसे भूमि अधिग्रहण, वित्त प्रबंधन और निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
तीन दिन का आकर्षण
तीन दिवसीय इस आयोजन के हर दिन विभिन्न गतिविधियां और सत्र होंगे, जो प्रदर्शकों और आगंतुकों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं। इसके साथ ही, आयोजन के आखिरी दिन 'बेस्ट एग्जीबिटर्स' को भी सम्मानित किया जाएगा।
फेयर की शुरुआत आज हुई, जिसमें विभिन्न देशों के प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर AFMEC के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, और अन्य वरिष्ठ सदस्य विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कंडुला सुब्रमण्यम ‘आउटलुक बिजनेस’, ‘बिजनेसवर्ल्ड’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे।
वरिष्ठ पत्रकार कंडुला सुब्रमण्यम का निधन हो गया है। इन दिनों वह गेस्ट लेक्चरार के रूप में ‘Transitional Economics’ में फ्रीलांस काम कर रहे थे। इससे पहले वह ‘Grant Thornton Bharat LLP’ में बतौर सलाहकार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
सुब्रमण्यम को पत्रकारिता में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव था। वह ‘आउटलुक बिजनेस’ (Outlook Business) में एसोसिएट एडिटर के पद पर काम कर चुके थे। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो सुब्रमण्यम ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एप्लाइड इकोनॉमिक्स में एम.फिल. की डिग्री प्राप्त की थी।
कंडुला सुब्रमण्यम अपने अब तक के करियर में आउटलुक बिजनेस, बिजनेसवर्ल्ड, इंडियन एक्सप्रेस, फाइनेंसियल एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। उन्होंने वर्ष 1996 में अपने करियर की शुरुआत ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) से की थी।
सुब्रमण्यम ने ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर विशेष लेखन किया। उन्होंने इन विशेष क्षेत्रों पर कई न्यूज स्टोरीज और आर्टिकल्स लिखे। इसके अलावा, ऊर्जा क्षेत्र पर उन्होंने कई शैक्षणिक लेख भी लिखे। उनका एक पेपर ‘Thirteen Years of Power Sector Reform in India: are we still groping in the dark?’ UPenn द्वारा प्रकाशित किया गया था। उन्होंने विश्व बैंक, टेरी और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर ऊर्जा क्षेत्र पर अपनी कई प्रजेंटेशन भी दी थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार सिद्धिकी कप्पन को उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर सप्ताह रिपोर्ट करने की शर्त से मुक्त कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार सिद्धिकी कप्पन को उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर सप्ताह रिपोर्ट करने की शर्त से मुक्त कर दिया है। यह शर्त 2022 में अदालत द्वारा उनके जमानत आदेश के तहत लगाई गई थी। कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जहां एक दलित महिला के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी।
पत्रकार सिद्धिकी कप्पन ने 9 सितंबर, 2022 के अपने जमानत आदेश में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें पहले छह महीनों तक दिल्ली रहने की अनुमति दी गई थी और उसके बाद उन्हें अपने घर, जो कि केरल में है, जाने का अधिकार था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और संदीप मेहता की बेंच ने कहा, “हमारी राय है कि 9 सितंबर, 2022 के आदेश का शर्त संख्या 2 संशोधित किया जाना चाहिए। आवेदक को स्थानीय पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट करना आवश्यक नहीं होगा।”
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वकील रुचिरा गोयल ने अदालत को बताया कि राज्य इस आवेदन से चिंतित नहीं है क्योंकि कप्पन वर्तमान में केरल में रह रहे हैं और उन्हें वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
कप्पन के वकील ने कहा कि स्थानीय अदालत का आदेश यूपी स्थित पुलिस स्टेशन का संदर्भ देता है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि उनके मुवक्किल का पासपोर्ट लौटाया जाए, जिसे उनके निवास से जब्त किया गया था। गोयल ने पासपोर्ट होने से इनकार करते हुए कहा, “हमने उनके दिल्ली निवास से कुछ पुस्तिकाएं और आपत्तिजनक पैम्प्लेट जब्त किए थे। हमारे पास उनका पासपोर्ट नहीं है।”
बेंच ने नोट किया कि पासपोर्ट लौटाने का निर्देश यूपी सरकार के खिलाफ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “आवेदन (पासपोर्ट लौटाने सहित) में अन्य प्रार्थनाओं पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जा सकता है,” जबकि मामले को निपटाया गया।
कप्पन को 6 अक्टूबर 2020 को हाथरस के निकट गिरफ्तार किया गया था और उन पर गंभीर अपराधों जैसे आपराधिक साजिश और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाए गए थे। उनकी जमानत याचिका अगस्त 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा खारिज कर दी गई थी। यूपी सरकार ने आरोप लगाया कि कप्पन पत्रकारिता का उपयोग करके प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की गतिविधियों का प्रचार कर रहे थे।
कप्पन सभी आरोपों से इनकार करते हैं और उन पर UAPA की धारा 17 (आतंकवादी कृत्य हेतु धन जुटाना) और धारा 18 (आपराधिक साजिश) सहित राजद्रोह (धारा 124A) तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) अंतर्गत अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया है। गिरफ्तारी के समय कप्पन मलयालम न्यूज पोर्टल 'अज़ीमुखुम' (Azhimukhum) से जुड़े हुए थे और उन्होंने दावा किया था कि उन्हें PFI से जुड़े एक समाचार पत्र 'Thejas' के साथ काम करने की वजह से अनावश्यक रूप से जोड़ा जा रहा है।
यह दावा यूपी सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया था, जिसने अज़ीमुखुम संपादक द्वारा दिए गए बयान पेश किए थे जिसमें कहा गया था कि चैनल ने उन्हें हाथरस घटना कवर करने हेतु नहीं भेजा था।
उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह हाथरस जा रहे थे जहां एक दलित महिला का सामूहिक बलात्कार हुआ था और चार दिन बाद उसकी मौत हो गई थी।
जब कप्पन को जमानत मिली तो कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रस्तुत सामग्री की साक्ष्य मूल्य पर सवाल उठाए थे लेकिन उन्होंने कप्पन पर कुछ शर्तें लगाईं थीं जैसे उनका पासपोर्ट जमा करना, मामले से संबंधित किसी व्यक्ति से संपर्क न करना तथा चल रही जांच में सहयोग करना शामिल हैं।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी। मलयालम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका शव रात करीब 2 बजे कोच्चि के पनमपिल्ली नगर में उनके अपार्टमेंट में पाया गया। पुलिस ने अभी तक मौत का कारण नहीं बताया है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।
फिल्म एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ केरल (FEFKA) डायरेक्टर्स यूनियन ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर निशाद युसुफ की मौत की पुष्टि की। फिल्म संगठन ने निशाद की तस्वीर साझा करते हुए मलयालम में लिखा, "मलयालम सिनेमा को एक नई दिशा देने वाले संपादक निशाद युसुफ के असमय निधन को फिल्म जगत जल्दी स्वीकार नहीं कर पाएगा। FEFKA डायरेक्टर्स यूनियन की ओर से श्रद्धांजलि।"
हालांकि, क्षेत्रीय मीडिया ने उनके निधन को आत्महत्या की संभावना के रूप में बताया है, लेकिन पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। *मातृभूमि* के अनुसार, केरल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और किसी भी संभावना को खारिज नहीं किया गया है।
निशाद युसुफ मलयालम और तमिल सिनेमा के लोकप्रिय फिल्म एडिटर थे। उन्होंने 'थल्लुमाला', 'उंडा', 'वन', 'सऊदी वेलक्का' और 'अडिओस अमिगोस' जैसी प्रमुख फिल्मों पर काम किया था। पिछले साल उन्होंने अपने करियर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट साइन किया था, जिसमें अभिनेता सूर्या और बॉबी देओल की पैन-इंडिया फिल्म 'कंगुवा' शामिल है, जो 14 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।
FEFKA के अनुसार, निशाद के पास अन्य प्रोजेक्ट्स भी थे, जिनमें मोहनलाल और ममूटी की आने वाली फिल्म 'बाजूका' और 'अलप्पुझा जिमखाना' शामिल हैं। हरिप्पाड के निवासी निशाद को 2022 में 'थल्लुमाला' के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘e4m’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
दिल्ली में लोदी रोड स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में 28 अक्टूबर (सोमवार) को अपराह्न तीन बजे से आयोजित इस प्रार्थना सभा में श्रीमती ऊषा बत्रा को श्रद्धांजलि दी गई और उन्हें याद किया गया।
इस प्रार्थना सभा में डॉ. अनुराग बत्रा के परिजन, शुभचिंतक और तमाम मित्र शामिल हुए, जिन्होंने श्रीमती ऊषा बत्रा को याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी जिंदगी से जुड़ी कई घटनाओं व यादों का जिक्र किया।
बता दें कि श्रीमती ऊषा बत्रा का 25 अक्टूबर 2024 को देहांत हो गया था। वह लगभग साढ़े 83 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उनका इलाज दिल्ली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 25 अक्टूबर को ओल्ड गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर करीब 12:30 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।
श्रीमती ऊषा बत्रा लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहीं। उन्होंने शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT), हरियाणा में अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। श्रीमती ऊषा बत्रा को उनके स्नेह, दयालुता और आत्मीय व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था।
श्रीमती ऊषा बत्रा की श्रद्धांजलि सभा की कुछ तस्वीरें आप यहां देख सकते हैं।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। महिला पत्रकार का कहना है कि इंटरव्यू के दौरान भट्टाचार्य उनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठ गए।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव के जरिए इस घटना को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि रविवार को जब वह तन्मय भट्टाचार्य का इंटरव्यू लेने उनके घर गई थीं, तो उन्होंने अनुचित व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठने की कोशिश की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मामला तेज़ी से वायरल हो गया और CPI(M) के भीतर हड़कंप मच गया।
घटना के बाद CPI(M) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तन्मय भट्टाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। CPI(M) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन किया है। सलीम ने स्पष्ट किया कि पार्टी ऐसे किसी भी गलत व्यवहार का समर्थन नहीं करती और इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करेगी।
CPI(M) ने कहा कि जांच पूरी होने तक भट्टाचार्य निलंबित रहेंगे और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तन्मय भट्टाचार्य के खिलाफ पहले भी शिकायतें आई थीं, जिन्हें अब इस जांच में भी शामिल किया जा सकता है।
पत्रकार का कहना है कि उन्हें पहले भी तन्मय भट्टाचार्य के घर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि भट्टाचार्य को लोगों को छूने की आदत है और वह पहले भी उनका हाथ छू चुके हैं। हालांकि, पहले उन्होंने डर के कारण इसकी शिकायत नहीं की, लेकिन इस बार की घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।
महिला पत्रकार ने बताया कि जब उनका कैमरामैन इंटरव्यू के लिए फ्रेम सेट कर रहा था, तो उसने तन्मय भट्टाचार्य को एक जगह बैठने के लिए कहा। इसी दौरान, भट्टाचार्य ने इसका फायदा उठाते हुए पहले अपनी जगह पूछी और फिर अचानक आकर उनकी गोद में बैठ गए। इस घटना को याद करते हुए पत्रकार की आवाज कांप उठी।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि CPI(M) अपने नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी, लेकिन उनका मानना है कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह कुछ व्यक्तियों की निजी प्रवृत्ति का परिणाम है। इस मामले की शिकायत बारानगर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है और CPI(M) ने तन्मय भट्टाचार्य को निलंबित करते हुए आंतरिक जांच का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि तन्मय भट्टाचार्य CPI(M) के सक्रिय सदस्य रहे हैं और उन्होंने 2016 से 2021 तक उत्तरी दमदम के विधायक के रूप में भी सेवा दी है।