महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में ‘पुरोधा संपादकों की कहानी: हरिवंश की जुबानी’...
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में ‘पुरोधा संपादकों की कहानी: हरिवंश की जुबानी’ कार्यक्रम 27 से 29 मार्च 2019 तक आयोजित किया गया। हरिवंश ने हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन 27 मार्च 2019 की शाम गणेश मंत्री के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। दूसरे दिन 28 मार्च 2019 को हरिवंश ने नारायण दत्त और धर्मवीर भारती पर और तीसरे दिन 29 मार्च 2019 की सुबह प्रभाष जोशी के व्यक्तित्व पर व्याख्यान दिया।
पहले दिन का कार्यक्रम हिंदी विश्वविद्यालय के गालिब सभागार तथा दूसरे व तीसरे दिन का कार्यक्रम जनसंचार विभाग के माधव राव सप्रे सभा कक्ष में आयोजित हुआ। पुरोधा संपादकों का पुण्य स्मरण करते हुए हरिवंश ने कहा कि आज की पत्रकारिता में विचार, मूल्य और चरित्र की कमी है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता पूंजी प्रधान है, इसलिए वह उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे पा रही है, जो मानवता के भविष्य के लिए जरूरी हैं।
हरिवंश ने कहा कि आज के पत्रकार तथ्यों की जांच किए बिना खबरें करते हैं। वे देश की आर्थिक स्थिति के बारे में सही बात लिखने से बचते हैं। वे यह भी नहीं बताते कि हमारा देश गंभीर आर्थिक परेशानियों में है और जिस आर्थिक नीति पर चल रहे हैं, उसका भविष्य खतरनाक है। ऐसे मौके पर उन संपादकों का स्मरण जरूरी है, जो विचार और साहस की पत्रकारिता के आखिरी युग की कड़ी थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि विकास का मौजूदा रास्ता खतरनाक है। इसलिए सभ्यता को कोई और मार्ग चुनना होगा। ऐसे समय में महात्मा गांधी सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के महत्त्वपूर्ण कथन पागल दौड़ का जिक्र करते हुए कहा कि भौतिक सुविधाओं को जमा करने के लालच में हमारी सभ्यता की नैतिक ऊंचाई एक इंच भी नहीं बढ़ी है। हरिवंश ने कहा कि गणेश मंत्री, नारायण दत्त, धर्मवीर भारती और प्रभाष जोशी पर गांधी युग का प्रभाव था और वे देश, समाज, भाषा और संस्कृति निर्माण के लिए पत्रकारिता कर रहे थे। उनका उद्देश्य व्यावसायिक नहीं था। इसीलिए वे अपने समय में बहुत सारी बातों को स्पष्ट तौर पर कह सके। गणेश मंत्री के जीवन और कृतित्व का जिक्र करते हुए हरिवंश ने कहा कि वे समाजवादी विचारों से प्रभावित थे। वे डॉ. राम मनोहर लोहिया के अंधभक्त थे। इसके बावजूद वे मार्क्स, गांधी और डॉ. आंबेडकर के गहन अध्येता थे और उन्होंने उनके विचारों को ‘धर्मयुग’ जैसे व्यापक प्रसार वाली पत्रिका में जगह दी। उन्होंने कहा कि गणेश मंत्री का पत्रकारीय जीवन उनके विद्यार्थी जीवन का ही विस्तार है,क्योंकि अध्ययनशीलता उनमें अंत तक बनी रही।

हरिवंश ने कहा कि धर्मवीर भारती जैसे दिग्गज संपादक के होते हुए भी गणेश मंत्री छह लाख प्रसार वाली ‘धर्मयुग’ जैसी पत्रिका में न सिर्फ रचनात्मक साहित्य के लिए स्थान निकालते थे, बल्कि राजनीतिक विचारों के लिए भी जगह बना लेते थे। हरिवंश ने बताया कि उन्होंने आपातकाल के दिनों में ‘टाइम्स आफ इंडिया’ समूह में पत्रकारिता शुरू की और उस समय गणेश मंत्री ने उन्हें हतोत्साहित किया था। लेकिन जब उन्हें लगा कि वे पत्रकारिता ही करेंगे तो अपने छोटे भाई के रूप में स्नेह और सहयोग दिया और उनके लेखन व विचारों को गढ़ा। गणेश मंत्री के प्रभाव का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि जेल से छूटने के बाद जार्ज फर्नांडीज जैसे नेता ने सबसे पहले गणेश मंत्री को ही इंटरव्यू दिया। हरिवंश ने कहा कि गणेश मंत्री के पिता राजस्थान सरकार में मंत्री थे पर उनकी सरकारी गाड़ी का उपयोग करने से मना करके गणेश मंत्री ने दर्शा दिया था कि पत्रकार के लिए नैतिकता और चरित्र का कितना महत्त्व होता है। गणेश मंत्री ने एक बार देश के सबसे बड़े उद्योगपति के बेटे की शादी का कार्ड और उसके साथ आया उपहार भी लेने से मना कर दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि वे उद्योगपति उनके किसी कार्यक्रम में क्या आएंगे और क्या वे उन्हें इतना महंगा उपहार दे पाएंगे।
कार्यक्रम के दूसरे दिन पूर्वाह्न में नारायण दत्त के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए हरिवंश ने कहा कि नारायण दत्त मूलतः तेलुगूभाषी थे। उनका परिवार कर्नाटक में बसा, जहां उन्होंने कन्नड़ सीखी। फिर नारायण दत्त बंबई (अब मुंबई) आए, जहां उन्होंने मराठी, तमिल सीखी। वे हिंदी के गंभीर अध्येता थे ही और भाषा के मामले में बहुत संवेदनशील थे। नारायण दत्त किसी भी प्रकार की भाषा त्रुटि को बर्दाश्त नहीं करते थे। यह उनके ‘नवनीत’ और ‘पीटीआई’ की हिंदी फीचर सेवा के संपादन के दौरान कई बार साबित हुआ। हरिवंश ने कहा कि नारायण दत्त शोध कर्ता भी थे और कांग्रेस के सौ वर्ष पूरे होने पर उन्होंने पीटीआई फीचर से कांग्रेस के इतिहास और उसके अध्यक्षों पर जो शृंखला चलाई, वह सबसे प्रामाणिक दस्तावेज है। रिटायर होने के बाद नारायण दत्त बेहद लोकप्रिय कैलेंडर ‘काल निर्णय’ का संपादन करते थे और वह त्रुटिहीन होता था। हरिवंश ने कहा कि नारायण दत्त के बड़े भाई एचवाई शारदा प्रसाद इंदिराजी के प्रेस सलाहकार थे। वे भी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। एक बार वे ‘धर्मयुग’ के दफ्तर आए और टाइम्स के अधिकारियों से पूछा-हरिवंश से मिलना है। वे मेरी कुर्सी के सामने आकर बैठ गए और इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि बीमारी के दौरान मैंने नारायण दत्त की सेवा-सुश्रुषा की।
कार्यक्रम के दूसरे दिन अपराह्न धर्मवीर भारती के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए हरिवंश ने कहा कि धर्मवीर भारती ने कठोर श्रम से ‘धर्मयुग’ को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया। उन्होंने ‘धर्मयुग’ को सात लाख की प्रसार संख्या तक पहुंचाया और उसे पाठकों की संख्या में परिवर्तित किया जाय तो वह संख्या एक करोड़ तक जाती है। इतना बड़ा पाठक वर्ग धर्मवीर भारती के कठोर श्रम से निर्मित हुआ। वे ठीक सुबह साढ़े नौ बजे दफ्तर आ जाते थे। उनके मन-मस्तिष्क और कार्यालय की आलमारियों में ‘धर्मयुग’ की योजना चलती रहती थी। वे निरंतर अपने उप संपादकों को बुलाकर हर पेज की तात्कालिक और अग्रिम सामग्री और तस्वीर के बारे में तय करते थे। उन्होंने स्वयं 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की रिपोर्टिंग की। बड़े-बड़े नेता और अभिनेता उनसे मिलने के लिए ‘धर्मयुग’ आते थे, किंतु वे काम में इतने मग्न रहते थे कि उनसे नहीं मिल पाते थे। इस वजह से कुछ लोगों द्वारा उन्हें तानाशाह और घमंडी कहकर लांछित किया गया, जबकि उन्होंने मुनादी शीर्षक से कविता लिखकर इंदिराजी की तानाशाही को चुनौती दी थी। वे इतने भावुक और संवेदनशील थे कि जयप्रकाश नारायण पर 4 नवंबर 1974 को पटना में पुलिस लाठी चार्ज की तस्वीर देखकर विचलित हो गए। वह तस्वीर रघुराय ने खींची थी, जिसमें पुलिस जेपी पर लाठी ताने हुई थी। उस तस्वीर को देखकर धर्मवीर भारती चार-पांच दिनों तक भयंकर बेचैन रहे और नौ नवंबर की रात दस बजे मुनादी कविता के रूप में उनका आक्रोश उबल पड़ा। धर्मवीर भारती ने ‘धर्मयुग’ को बनाने के लिए अपने साहित्यकार की बलि चढ़ा दी। यही वजह है कि गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, अंधा युग और कनुप्रिया जैसी श्रेष्ठ रचनाएं धर्मयुग का संपादक बनने से पहले लिखी गईं। हरिवंश ने बताया कि किस तरह उनसे भारतीजी ने ‘धर्मयुग’ की कई आमुख कथाएं लिखवाईं।
कार्यक्रम के चौथे सत्र में 29 मार्च 2019 को पूर्वाह्न हरिवंश ने प्रभाष जोशी के रचनात्मक अवदान पर वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि प्रभाष जोशी प्रामाणिक पत्रकारिता के जीवंत उदाहरण थे। समझ, दृष्टि, भाषा संस्कार, संचार कौशल जैसे विशिष्ट गुणों में प्रभाष जोशी एक आदर्श थे, उनके जैसा अब तक कोई दूसरा नहीं हुआ है। आज बहुत कम लोग हैं जो सही को सही कहने का साहस रखते हैं, प्रभाष जोशी वैसी ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वे जहां भी होते थे सिर्फ उनकी मौजूदगी ही प्रभावपूर्ण होती थी। हरिवंश जी ने कहा कि मुल्क के बुनियादी सवालों पर देशज ज्ञान से किसी समस्या का हल निकालने वाले प्रभाष जी जैसा दूसरा कोई पत्रकार अभी तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रभाष जी जमीनी हकीकत की लोक समझ रखते थे। वे हिंदी के अकेले ऐसे संपादक थे, जिन्होंने अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के तीन संस्करणों का संपादन करने के बाद हिंदी पत्रकारिता की और ‘जनसत्ता’ के संस्थापक संपादक बने थे। रामनाथ गोयनका के साथ लगभग 20 वर्षों तक काम करने वाले प्रभाष जोशी अकेले संपादक थे। इतने वर्षों तक कोई संपादक गोयनका के साथ काम नहीं कर पाता था।
हरिवंश ने बताया कि बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स ने अपने-अपने क्षेत्रों में जो उल्लेखनीय कार्य किया है वैसा ही कार्य प्रभाष जोशी ने हिंदी पत्रकारिता में किया है। प्रभाष जी ने उच्च स्तर का ‘जनसत्ता’ अखबार निकाला, जिसकी पंच लाइन ‘सबकी खबर ले, सबको खबर दे’ वर्तमान में भी प्रासंगिक बनी हुई है। इस अखबार में उनके द्वारा लिखा जाने वाला कॉलम ‘कागद कारे’ बहुत लोकप्रिय हुआ। एक बार धर्मवीर भारती ने जनसत्ता अखबार को देखकर कहा था, ‘यह अद्वितीय अखबार है।‘ हर व्याख्यान के बाद हरिवंश ने श्रोताओं के प्रश्नों के जवाब भी दिए। हरिवंश के विभिन्न व्याख्यान कार्यक्रमों की अध्यक्षता कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र और सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक विजय दत्त श्रीधर ने की। सप्रे संग्रहालय, भोपाल की निदेशक डा. मंगला अनुजा और आवासीय लेखिका डा. पुष्पिता अवस्थी ने भी पुरोधा संपादकों पर अपने विचार रखे। विभिन्न सत्रों का संचालन राजेश लेहकपुरे, धरवेश कठेरिया, अशोक मिश्र और रेणु सिंह ने किया। स्वागत भाषण और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कृष्णकुमार सिंह, प्रो. मनोज कुमार, अरुण कुमार त्रिपाठी, संदीप कुमार वर्मा और वैभव उपाध्याय ने किया। विषय प्रवर्तन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत पुरोधा संपादकों के छायाचित्रों पर पुष्पांजलि अर्पण से हुई। जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने कुलगीत और स्वागत लोकगीत भी प्रस्तुत किए। इस अवसर पर जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने प्रतिदिन अपना प्रायोगिक अखबार ‘मीडिया समय’ निकाला। विद्यार्थियों के प्रायोगिक रेडियो बुलेटिन ‘वर्धा वाणी’ एवं प्रायोगिक टेलिविजन बुलेटिन ‘वर्धा दर्शन’ का प्रतिदिन प्रसारण किया गया।
श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन लिमिटेड (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) जिसे जल्द ही Aqylon Nexus Limited के नाम से जाना जाएगा
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श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन लिमिटेड (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) जिसे जल्द ही Aqylon Nexus Limited के नाम से जाना जाएगा, ने तेलंगाना सरकार के साथ एक MoU (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत कंपनी तेलंगाना में 50 मेगावाट क्षमता वाला AI और Hyperscale ग्रीन डेटा सेंटर कैंपस विकसित करेगी।
कंपनी के मुताबिक, इस परियोजना में लगभग 4,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और यह करीब 20 एकड़ जमीन पर Fab City, Tukkuguda में बनेगा। MoU का हस्ताक्षर 9 दिसंबर 2025 को किए गए।
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस परियोजना में तेलंगाना सरकार के साथ कोई शेयरधारिता नहीं है और इसका कंपनी के प्रमोटर या ग्रुप कंपनियों से कोई संबंध नहीं है। परियोजना के लिए कोई विशेष शेयर या बोर्ड पर नामांकन का अधिकार भी नहीं है।
MoU की वैधता दो साल की होगी और इसे किसी भी पक्ष द्वारा 30 दिन के लिखित नोटिस के साथ समाप्त किया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि यह परियोजना आधुनिक तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल उपायों के साथ तैयार की जाएगी।
यह बड़ा कदम SABT के लिए AI और डेटा सेंटर क्षेत्र में विस्तार का संकेत है और तेलंगाना में डिजिटल और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगा।
एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव व अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।
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‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) ने अपने पदाधिकारियों और प्रबंधन समिति के सदस्यों के लिए वार्षिक चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। क्लब की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, चुनाव 13 दिसंबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक 1, रायसीना रोड, नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब परिसर में आयोजित किया जाएगा।
‘पीसीआई’ के महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया 15 नवंबर 2025 को प्रबंधन समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार होगी।
एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव और अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।
चुनाव में कुल 5 पदाधिकारियों और 16 प्रबंधन समिति सदस्यों का चयन किया जाएगा। पदाधिकारियों में शामिल हैं- अध्यक्ष (1), उपाध्यक्ष (1), महासचिव (1), संयुक्त सचिव (1) और कोषाध्यक्ष (1)।
- नामांकन दाखिल करने की तिथि: 24 नवंबर 2025 से 3 दिसंबर 2025 तक (सुबह 11 बजे से शाम 5:30 बजे तक)
- नामांकन की जांच: 3 दिसंबर 2025 (शाम 5:30 बजे)
- नामांकन वापसी: 3 दिसंबर 2025 से 6 दिसंबर 2025 तक (शाम 5:30 बजे तक)
- मतदान: 13 दिसंबर 2025 (सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक)
- मतगणना: 14 दिसंबर 2025 (सुबह 10:30 बजे से)
इस नोटिस में कहा गया है कि केवल वे सदस्य मतदान कर सकेंगे जिन्होंने मतदान के समय तक अपने बकाया का भुगतान चेक या नकद से कर दिया हो। प्रस्तावक और अनुमोदक को भी नामांकन पर हस्ताक्षर करने से पहले अपना बकाया साफ करना होगा।
पीसीआई ने स्पष्ट किया है कि क्लब का कोई भी सदस्य चुनाव में भाग ले सकता है, बशर्ते वह क्लब के ज्ञापन और अनुच्छेदों तथा कंपनियां अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पालन करे। चुनाव बैलट पेपर से होगा, जैसा कि क्लब की पूर्व परंपराओं में रहा है।
आईटीवी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित ने इस दौरान पीएम को अपनी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ भेंट की।
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‘आईटीवी नेटवर्क’ के फाउंडर और राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने हाल ही में अपनी पत्नी और ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (ITV Foundation) की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा के साथ संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
मिली जानकारी के अनुसार, नौ दिसंबर को हुई यह बैठक बहुत सकारात्मक रही और कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। कार्तिकेय शर्मा ने क्षेत्र की प्राथमिकताओं, चल रही पहलों और आगामी योजनाओं के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया।
यह मुलाक़ात आगे के कार्यों के लिए नई दिशा और प्रेरणा देने वाली रही। इस दौरान ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अपनी लिखी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ प्रधानमंत्री को भेंट की।
‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ के विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर को की जाएगी। दो दशकों से यह मंच देश के उन व्यक्तियों को सम्मानित करता आ रहा है, जिन्होंने अपने विचारों, नवाचार और प्रभाव से भारत की दिशा बदली है।
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भारत की उत्कृष्ट प्रतिभाओं और असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने वाला प्रतिष्ठित मंच NDTV एक बार फिर ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ अवॉर्ड्स के ज़रिए देश के श्रेष्ठतम चेहरों का उत्सव मनाने जा रहा है, जिसके विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में की जाएगी।
पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता रहा है, जिनके विचार, कर्म और नेतृत्व भारत की बदलती पहचान को नई दिशा देते हैं। इस वर्ष पुरस्कारों की थीम ‘आइडियाज़, इंस्पिरेशन, इम्पैक्ट’ रखी गई है, जो उन व्यक्तियों की यात्रा को दर्शाती है, जिन्होंने कल्पनाशीलता, साहस और उद्देश्य के साथ समाज को प्रभावित किया है।
इस बार 14 अलग-अलग श्रेणियों में विजेताओं के चयन के लिए एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने मंथन किया। उद्योग जगत के दिग्गज संजीव गोयनका के अलावा जूरी में राजीव मेमानी, शर्मिला टैगोर, पी. गोपीचंद, सिरिल श्रॉफ और राजीव कुमार जैसे नाम शामिल रहे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से आए नामांकनों की गहन समीक्षा की।
जूरी ने ऐसे व्यक्तियों का चयन किया है जिनका योगदान नवोन्मेष, राष्ट्र निर्माण, खेल, संस्कृति, व्यापार और सार्वजनिक जीवन में मिसाल बना है। एनडीटीवी नेटवर्क के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा कि ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ केवल सफलता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सोच और सामाजिक संवाद को ऊंचा उठाने वालों का सम्मान है।
उन्होंने बताया कि यह मंच उन लोगों को पहचान देता है जो भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। जैसे-जैसे देश नई संभावनाओं की ओर आगे बढ़ रहा है, यह पुरस्कार उन प्रेरणाओं का उत्सव बनेगा जो भारत की प्रगति के मार्ग को मजबूत कर रही हैं।
यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।
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दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट ‘किस्सा खाकी का’ ने 200 एपिसोड पूरे कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जनवरी 2022 में शुरू हुई इस पहल ने पॉडकास्टिंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।
‘किस्सा खाकी का’ उन सच्ची कहानियों को सामने लाता है, जिन्हें अक्सर मीडिया में जगह नहीं मिलती—जैसे किसी बच्चे को अपहरण से बचाना, साइबर ठगी रोकना, अपराधियों को पकड़ना या मानवीयता पर आधारित प्रकरण। इसने पुलिस की छवि को सिर्फ कानून-व्यवस्था से जोड़ने के बजाय एक संवेदनशील और जनसेवा वाली संस्था के रूप में भी प्रस्तुत किया है।
यह पॉडकास्ट दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया टीम द्वारा तैयार किया जाता है। पूरी परियोजना पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा, विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम) देवेश श्रीवास्तव और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के निर्देशन में चल रही है।

इस पॉडकास्ट की शुरुआत उस समय हुई थी जब दिल्ली पुलिस का नेतृत्व राकेश अस्थाना के पास था। बाद में यह पहल संजय अरोड़ा के कार्यकाल में आगे बढ़ी और वर्तमान पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा के नेतृत्व में एक मजबूत पहचान बना चुकी है।
पॉडकास्ट की कहानियां लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख और मीडिया शिक्षिका प्रोफेसर (डॉ.) वर्तिका नंदा की आवाज में पेश की जाती हैं। वह जेल सुधार कार्यों और अपने ‘ तिनका तिनका जेल रेडियो’ के लिए भी जानी जाती हैं। हर रविवार दोपहर 2 बजे दिल्ली पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इसका नया एपिसोड जारी होता है। 5 से 10 मिनट के इन एपिसोड्स में सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां सुनने को मिलती हैं।
यह पॉडकास्ट सिर्फ अपराधों की कहानी नहीं बताता, बल्कि उन अनकही इंसानी भावनाओं और प्रयासों को भी सामने लाता है, जिनमें पुलिस कर्मी अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर लोगों की मदद करते हैं।
डॉ. वर्तिका नंदा के अनुसार, आज जब ‘ट्रू क्राइम’ कंटेंट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, ऐसे समय में ‘किस्सा खाकी का’ एक सकारात्मक विकल्प के रूप में उभरा है। यह सिर्फ घटनाएं बयान नहीं करता, बल्कि भरोसा, संवाद और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है। कई लोग इसे कंस्ट्रक्टिव जर्नलिज़्म का उदाहरण मानते हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव और जागरूकता का संदेश देता है। इन पॉडकास्ट पर अकादमिक शोध किए जाने चाहिए।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के अनुसार, ‘यह पॉडकास्ट जनता में पुलिस के प्रति विश्वास मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस श्रृंखला को बनाने में एसआई नीलम तोमर और उनकी टीम का भी अहम योगदान है, जो हर सप्ताह नए एपिसोड तैयार करवाती है। 200 एपिसोड पूरा होने के साथ ही ‘किस्सा खाकी का’ सिर्फ एक पॉडकास्ट नहीं, बल्कि दिल्ली पुलिस की पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जनसंवाद का प्रतीक बन चुका है।’
दिल्ली पुलिस शुरू के 50 अंकों पर एक सुंदर कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन कर चुकी है। इससे पुलिस स्टाफ का मनोबल खूब बढ़ा है। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित डॉ. वर्तिका नंदा की किताब - रेडियो इन प्रिजन- में भी उन्होंने किस्सा खाकी का वर्णन किया है।
कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है।
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनकी स्मृति को समर्पित एक महत्वपूर्ण पुस्तक 'अटल संग्राम' का विमोचन 17 दिसंबर को होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन द्वारा रचित यह पुस्तक वाजपेयी जी के जीवन, संघर्षों और राजनीतिक यात्रा का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करती है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा इंडिया टीवी के अध्यक्ष रजत शर्मा के विशेष आतिथ्य में यह समारोह संपन्न होगा। यह पुस्तक वाजपेयी जी के काव्य, वाक्पटुता और राष्ट्रनिष्ठा को विशेष रूप से उजागर करती है, जो पाठकों को प्रेरित करेगी। विमोचन समारोह कमला देवी सभागार (मल्टीपरपज हॉल), इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में शाम 6 बजे आयोजित होगा।
कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है। संपादक श्री अशोक टंडन ने कहा, 'यह पुस्तक अटल जी के संग्राम को लोकप्रिय बनाने का प्रयास है।' इच्छुक पाठक प्रभात प्रकाशन से संपर्क कर सकते हैं। यह आयोजन वाजपेयी जी की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।
नई दिल्ली में आयोजित एचटी लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, सुरक्षा, माफिया विरोधी अभियान और महिला सशक्तिकरण पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाया।
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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के रुख को साफ शब्दों में रखा। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्यमी की पहली प्राथमिकता सुरक्षा होती है और वही विकास की पहली सीढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब प्रदेश में पहले निवेश सम्मेलन की तैयारी शुरू हुई थी, तब कई उद्यमी यूपी आने से डरते थे, लेकिन सरकार के सख्त रुख और बेहतर कानून व्यवस्था के कारण वातावरण बदला। पहले निवेश सम्मेलन में जहां पांच हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले थे, वहीं 2023 में हुए निवेश सम्मेलन में 45 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए, जिनमें से 15 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावों पर जमीन पर काम शुरू हो चुका है।
माफिया और अपराध के खिलाफ चलाए गए अभियानों पर बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि जो लोग व्यवस्था पर बोझ बने हुए थे, उनसे धरती माता को मुक्ति मिली है। उन्होंने दोहराया कि सरकार ने उत्तर प्रदेश में अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू की और उसे करके भी दिखाया।
महिला सुरक्षा पर उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर किसी ने बेटी की सुरक्षा से खिलवाड़ किया तो अगला चौराहा उसके लिए अंतिम पड़ाव होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अपराधी कोई भी हो, उसे हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले हर जिले में माफिया का दबदबा था, लेकिन आज उत्तर प्रदेश माफिया मुक्त प्रदेश बन चुका है।
बुनियादी ढांचे पर बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में एक्सप्रेस-वे की गिनती मुश्किल से होती थी, लेकिन आज उत्तर प्रदेश तेजी से आधुनिक सड़क नेटवर्क की ओर बढ़ चुका है। महिला अधिकारों और सशक्तिकरण पर उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मातृ वंदना योजना और नारी सशक्तिकरण से प्रेरणा लेकर प्रदेश में शिक्षा से लेकर विवाह तक बेटियों के लिए योजनाएं लागू की गई हैं।
स्नातक तक शिक्षा निशुल्क की गई है, विवाह के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है और नौकरी की इच्छुक महिलाओं के लिए विशेष अवसर तैयार किए गए हैं। सीएम योगी ने बताया कि यूपी पुलिस में महिलाओं के पद हजार से बढ़कर अब 44 हजार तक पहुंच चुके हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तेज आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्दावली पर कड़ा प्रहार किया।
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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास की दिशा पर विस्तार से बात करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्दों को पुराने और ग़लत नजरिये का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में आए भारत के दूसरे तिमाही के GDP आंकड़ों में 8 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की गई है, जो यह दिखाती है कि भारत अब केवल उभरती नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रमुख ताकत बन रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक संकेत है कि भारत आज दुनिया का ग्रोथ ड्राइवर बन चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब भारत 2 से 3 प्रतिशत की धीमी विकास दर तक सिमट गया था और उसी दौर में ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्द गढ़े गए, ताकि यह भ्रम फैलाया जा सके कि भारत की धीमी प्रगति उसकी संस्कृति और सभ्यता के कारण है।
उन्होंने इसे गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब बताया और कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी हर विषय में सांप्रदायिकता खोजते हैं, लेकिन उन्हें इस शब्द में कोई सांप्रदायिकता नजर नहीं आई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 79 साल बाद भी भारत उस मानसिकता से बाहर निकलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जिसने देश की क्षमता पर संदेह किया।
उन्होंने मौजूदा सुधारों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जुड़ा बताते हुए कहा कि जब दुनिया मंदी की बात करती है, तब भारत प्रगति की नई इबारत लिख रहा है, जब दुनिया भरोसे के संकट से गुजर रही है, तब भारत भरोसे का स्तंभ बनकर खड़ा हो रहा है, और जब दुनिया बिखराव की ओर बढ़ रही है, तब भारत सेतु का काम कर रहा है।
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का पहला चौथाई हिस्सा पूरा हो चुका है और इस दौरान दुनिया ने महामारी, युद्ध, तकनीकी बदलाव और आर्थिक अस्थिरता जैसे कई झटके झेले हैं, लेकिन इन तमाम अनिश्चितताओं के बीच भारत ने आत्मविश्वास, स्थिरता और तेज विकास के साथ अपनी अलग पहचान बनाई है।
श्रृंखला की पहली कड़ी में आयोजित गोलमेज चर्चा के दौरान ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ के निदेशक प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने आशा व्यक्त की कि मीडिया जनता का विश्वास पुनः प्राप्त कर सकेगा
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‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ (India Habitat Centre) ने अपनी हैबिटेट लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के माध्यम से एक नई चर्चा श्रृंखला ‘आईएचसी कनेक्ट’ शुरू की है, जिसका उद्देश्य आवास और समाज से जुड़े समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।
श्रृंखला की पहली कड़ी “रचनात्मक जन-चर्चा को बढ़ावा देने में मीडिया की भूमिका: एक गोलमेज चर्चा” का आयोजन 5 दिसंबर, 2025 को बहाई समुदाय के जनसंपर्क कार्यालय के सहयोग से किया गया। गोलमेज चर्चा में मीडिया के उस महत्वपूर्ण दायित्व पर विचार किया गया, जिसमें वह तथ्यों को सटीक रूप से प्रस्तुत कर, महत्वपूर्ण मुद्दों को प्राथमिकता देकर और समाज के साझा हित से जुड़ी बहसों में विविध आवाज़ों को स्थान देकर जन-चर्चा की गुणवत्ता और शुचिता की रक्षा करता है।

पिछले कुछ दशकों में भारत और विश्व भर में गलत सूचनाओं के प्रसार, ध्रुवीकरण, पक्षपात और सोशल मीडिया द्वारा बढ़ाई गई सतहीपन के कारण जन-चर्चा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। ऐसे माहौल में मीडिया निष्पक्ष तथ्यों का स्रोत, जनमत का विश्वसनीय मार्गदर्शक और समाज के कल्याण से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच रचनात्मक एवं परामर्शी संवाद का संवाहक कैसे बना रहे, यही इस गोलमेज चर्चा का मूल प्रश्न था।
चर्चा में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया शिक्षाविद्, पॉडकास्टर तथा फिल्म जैसे अन्य महत्वपूर्ण माध्यमों से संवाद करने वाले संचारक शामिल हुए। चर्चा को अत्यंत अर्थपूर्ण, खुला और व्यापक बताया गया, जिसमें आज के दौर के बदलते मीडिया परिदृश्य से जुड़े विविध पहलुओं पर गहन विमर्श हुआ।
संचालन करते हुए इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने आशा व्यक्त की कि मीडिया जनता का विश्वास पुनः प्राप्त कर सकेगा और रचनात्मक एवं समावेशी विमर्श के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ‘आईएचसी कनेक्ट’ श्रृंखला आगे भी भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर निष्पक्ष एवं विचारोत्तेजक संवाद का मंच प्रदान करती रहेगी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि पत्रकार द्वारा लिखी खबर में सभी बातें तथ्यात्मक रूप से सही हैं, तो सिर्फ उसकी लिखने की शैली या टोन की वजह से उसे मानहानि का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि पत्रकार द्वारा लिखी खबर में सभी बातें तथ्यात्मक रूप से सही हैं, तो सिर्फ उसकी लिखने की शैली या टोन की वजह से उसे मानहानि का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने माना कि पत्रकार किस अंदाज में खबर लिखता है, यह उसकी लेखन कला है और इसे अपराध नहीं माना जा सकता।
ये फैसला 17 नवंबर को उस याचिका पर आया, जिसे पत्रकार नीलांजना भौमिक (टाइम्स मैगजीन की पूर्व ब्यूरो चीफ) ने 2021 में दाखिल किया था। वह 2014 में दर्ज मानहानि के मामले और निचली कोर्ट से जारी हुए समन को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट पहुंची थीं।
मामला 2010 की एक रिपोर्ट से जुड़ा था, जिसमें भौमिक ने एक्टिविस्ट रवि नायर और उनकी संस्था पर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोपों की तरफ इशारा किया था। इस रिपोर्ट पर नायर ने मानहानि का केस कर दिया था।
नीलांजना का कहना था कि उनकी रिपोर्ट किसी भी झूठे दावे पर आधारित नहीं थी। उस समय जांच एजेंसियां वाकई नायर के ट्रस्ट की जांच कर रही थीं और यह बात रिकॉर्ड पर भी थी। नायर ने भी यह नहीं कहा था कि जांच नहीं हुई थी।
वहीं रवि नायर का आरोप था कि नीलांजना भौमिक ने बिना उनसे संपर्क किए गलत और भ्रामक जानकारी प्रकाशित की, जिससे उनकी छवि खराब हुई।
अंत में, हाई कोर्ट ने 28 पन्नों के फैसले में मानहानि केस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में कोई तथ्य गलत नहीं था और कहीं यह भी नहीं कहा गया था कि नायर को किसी जांच में दोषी पाया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ इशारों या अंदाज से किसी को दोषी ठहराने का दावा करना शिकायतकर्ता का जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होना है और इसे मानहानि नहीं माना जा सकता।