19 दिसंबर को घोषित होंगे ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ विजेता: NDTV करेगा सम्मान

‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ के विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर को की जाएगी। दो दशकों से यह मंच देश के उन व्यक्तियों को सम्मानित करता आ रहा है, जिन्होंने अपने विचारों, नवाचार और प्रभाव से भारत की दिशा बदली है।

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Tuesday, 09 December, 2025
ndtvmanch


भारत की उत्कृष्ट प्रतिभाओं और असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने वाला प्रतिष्ठित मंच NDTV एक बार फिर ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ अवॉर्ड्स के ज़रिए देश के श्रेष्ठतम चेहरों का उत्सव मनाने जा रहा है, जिसके विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में की जाएगी।

पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता रहा है, जिनके विचार, कर्म और नेतृत्व भारत की बदलती पहचान को नई दिशा देते हैं। इस वर्ष पुरस्कारों की थीम ‘आइडियाज़, इंस्पिरेशन, इम्पैक्ट’ रखी गई है, जो उन व्यक्तियों की यात्रा को दर्शाती है, जिन्होंने कल्पनाशीलता, साहस और उद्देश्य के साथ समाज को प्रभावित किया है।

इस बार 14 अलग-अलग श्रेणियों में विजेताओं के चयन के लिए एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने मंथन किया। उद्योग जगत के दिग्गज संजीव गोयनका के अलावा जूरी में राजीव मेमानी, शर्मिला टैगोर, पी. गोपीचंद, सिरिल श्रॉफ और राजीव कुमार जैसे नाम शामिल रहे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से आए नामांकनों की गहन समीक्षा की।

जूरी ने ऐसे व्यक्तियों का चयन किया है जिनका योगदान नवोन्मेष, राष्ट्र निर्माण, खेल, संस्कृति, व्यापार और सार्वजनिक जीवन में मिसाल बना है। एनडीटीवी नेटवर्क के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा कि ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ केवल सफलता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सोच और सामाजिक संवाद को ऊंचा उठाने वालों का सम्मान है।

उन्होंने बताया कि यह मंच उन लोगों को पहचान देता है जो भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। जैसे-जैसे देश नई संभावनाओं की ओर आगे बढ़ रहा है, यह पुरस्कार उन प्रेरणाओं का उत्सव बनेगा जो भारत की प्रगति के मार्ग को मजबूत कर रही हैं।

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‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ में बजा चुनावी बिगुल, 13 दिसंबर को होगा मतदान

एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव व अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।

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Thursday, 11 December, 2025
PCI Election

‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) ने अपने पदाधिकारियों और प्रबंधन समिति के सदस्यों के लिए वार्षिक चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। क्लब की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, चुनाव 13 दिसंबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक 1, रायसीना रोड, नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब परिसर में आयोजित किया जाएगा।

‘पीसीआई’ के महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया 15 नवंबर 2025 को प्रबंधन समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार होगी।

एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव और अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।

चुनाव में कुल 5 पदाधिकारियों और 16 प्रबंधन समिति सदस्यों का चयन किया जाएगा। पदाधिकारियों में शामिल हैं- अध्यक्ष (1), उपाध्यक्ष (1), महासचिव (1), संयुक्त सचिव (1) और कोषाध्यक्ष (1)।

- नामांकन दाखिल करने की तिथि: 24 नवंबर 2025 से 3 दिसंबर 2025 तक (सुबह 11 बजे से शाम 5:30 बजे तक)

- नामांकन की जांच: 3 दिसंबर 2025 (शाम 5:30 बजे)

- नामांकन वापसी: 3 दिसंबर 2025 से 6 दिसंबर 2025 तक (शाम 5:30 बजे तक)

- मतदान: 13 दिसंबर 2025 (सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक)

- मतगणना: 14 दिसंबर 2025 (सुबह 10:30 बजे से)

इस नोटिस में कहा गया है कि केवल वे सदस्य मतदान कर सकेंगे जिन्होंने मतदान के समय तक अपने बकाया का भुगतान चेक या नकद से कर दिया हो। प्रस्तावक और अनुमोदक को भी नामांकन पर हस्ताक्षर करने से पहले अपना बकाया साफ करना होगा।

पीसीआई ने स्पष्ट किया है कि क्लब का कोई भी सदस्य चुनाव में भाग ले सकता है, बशर्ते वह क्लब के ज्ञापन और अनुच्छेदों तथा कंपनियां अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पालन करे। चुनाव बैलट पेपर से होगा, जैसा कि क्लब की पूर्व परंपराओं में रहा है।

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PM मोदी से कार्तिकेय शर्मा व डॉ. ऐश्वर्या पंडित की मुलाकात, कई मुद्दों पर हुई सार्थक बात

आईटीवी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित ने इस दौरान पीएम को अपनी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ भेंट की।

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Thursday, 11 December, 2025
PM Meeting

‘आईटीवी नेटवर्क’ के फाउंडर और राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने हाल ही में अपनी पत्नी और ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (ITV Foundation) की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा के साथ संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

मिली जानकारी के अनुसार, नौ दिसंबर को हुई यह बैठक बहुत सकारात्मक रही और कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। कार्तिकेय शर्मा ने क्षेत्र की प्राथमिकताओं, चल रही पहलों और आगामी योजनाओं के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया।

यह मुलाक़ात आगे के कार्यों के लिए नई दिशा और प्रेरणा देने वाली रही। इस दौरान ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अपनी लिखी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ प्रधानमंत्री को भेंट की।

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दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट ‘किस्सा खाकी का’ ने पूरे किए 200 एपिसोड

यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।

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Monday, 08 December, 2025
KKK

दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट ‘किस्सा खाकी का’ ने 200 एपिसोड पूरे कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जनवरी 2022 में शुरू हुई इस पहल ने पॉडकास्टिंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।

‘किस्सा खाकी का’ उन सच्ची कहानियों को सामने लाता है, जिन्हें अक्सर मीडिया में जगह नहीं मिलती—जैसे किसी बच्चे को अपहरण से बचाना, साइबर ठगी रोकना, अपराधियों को पकड़ना या मानवीयता पर आधारित प्रकरण।  इसने पुलिस की छवि को सिर्फ कानून-व्यवस्था से जोड़ने के बजाय एक संवेदनशील और जनसेवा वाली संस्था के रूप में भी प्रस्तुत किया है।

यह पॉडकास्ट दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया टीम द्वारा तैयार किया जाता है। पूरी परियोजना पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा, विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम) देवेश श्रीवास्तव और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के निर्देशन में चल रही है।

इस पॉडकास्ट की शुरुआत उस समय हुई थी जब दिल्ली पुलिस का नेतृत्व राकेश अस्थाना के पास था। बाद में यह पहल संजय अरोड़ा के कार्यकाल में आगे बढ़ी और वर्तमान पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा के नेतृत्व में एक मजबूत पहचान बना चुकी है।

पॉडकास्ट की कहानियां लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख और मीडिया शिक्षिका प्रोफेसर (डॉ.) वर्तिका नंदा की आवाज में पेश की जाती हैं। वह जेल सुधार कार्यों और अपने ‘ तिनका तिनका जेल रेडियो’ के लिए भी जानी जाती हैं। हर रविवार दोपहर 2 बजे दिल्ली पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इसका नया एपिसोड जारी होता है। 5 से 10 मिनट के इन एपिसोड्स में सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां सुनने को मिलती हैं।

यह पॉडकास्ट सिर्फ अपराधों की कहानी नहीं बताता, बल्कि उन अनकही इंसानी भावनाओं और प्रयासों को भी सामने लाता है, जिनमें पुलिस कर्मी अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर लोगों की मदद करते हैं।

डॉ. वर्तिका नंदा के अनुसार, आज जब ‘ट्रू क्राइम’ कंटेंट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, ऐसे समय में ‘किस्सा खाकी का’ एक सकारात्मक विकल्प के रूप में उभरा है। यह सिर्फ घटनाएं बयान नहीं करता, बल्कि भरोसा, संवाद और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है। कई लोग इसे कंस्ट्रक्टिव जर्नलिज़्म का उदाहरण मानते हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव और जागरूकता का संदेश देता है। इन पॉडकास्ट पर अकादमिक शोध किए जाने चाहिए।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के अनुसार, ‘यह पॉडकास्ट जनता में पुलिस के प्रति विश्वास मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस श्रृंखला को बनाने में एसआई नीलम तोमर और उनकी टीम का भी अहम योगदान है, जो हर सप्ताह नए एपिसोड तैयार करवाती है। 200 एपिसोड पूरा होने के साथ ही ‘किस्सा खाकी का’ सिर्फ एक पॉडकास्ट नहीं, बल्कि दिल्ली पुलिस की पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जनसंवाद का प्रतीक बन चुका है।’

दिल्ली पुलिस शुरू के 50 अंकों पर एक सुंदर कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन कर चुकी है। इससे पुलिस स्टाफ का मनोबल खूब बढ़ा है। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित डॉ. वर्तिका नंदा की किताब - रेडियो इन प्रिजन- में भी उन्होंने किस्सा खाकी का वर्णन किया है। 

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अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी पर 'अटल संग्राम' पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है।

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Monday, 08 December, 2025
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनकी स्मृति को समर्पित एक महत्वपूर्ण पुस्तक 'अटल संग्राम' का विमोचन 17 दिसंबर को होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन द्वारा रचित यह पुस्तक वाजपेयी जी के जीवन, संघर्षों और राजनीतिक यात्रा का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करती है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा इंडिया टीवी के अध्यक्ष रजत शर्मा के विशेष आतिथ्य में यह समारोह संपन्न होगा। यह पुस्तक वाजपेयी जी के काव्य, वाक्पटुता और राष्ट्रनिष्ठा को विशेष रूप से उजागर करती है, जो पाठकों को प्रेरित करेगी। विमोचन समारोह कमला देवी सभागार (मल्टीपरपज हॉल), इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में शाम 6 बजे आयोजित होगा।

कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है। संपादक श्री अशोक टंडन ने कहा, 'यह पुस्तक अटल जी के संग्राम को लोकप्रिय बनाने का प्रयास है।' इच्छुक पाठक प्रभात प्रकाशन से संपर्क कर सकते हैं। यह आयोजन वाजपेयी जी की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।

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एचटी लीडरशिप समिट में सीएम योगी बोले: सुरक्षा के बिना निवेश असंभव

नई दिल्ली में आयोजित एचटी लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, सुरक्षा, माफिया विरोधी अभियान और महिला सशक्तिकरण पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाया।

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Monday, 08 December, 2025
yogiji

हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के रुख को साफ शब्दों में रखा। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्यमी की पहली प्राथमिकता सुरक्षा होती है और वही विकास की पहली सीढ़ी है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि जब प्रदेश में पहले निवेश सम्मेलन की तैयारी शुरू हुई थी, तब कई उद्यमी यूपी आने से डरते थे, लेकिन सरकार के सख्त रुख और बेहतर कानून व्यवस्था के कारण वातावरण बदला। पहले निवेश सम्मेलन में जहां पांच हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले थे, वहीं 2023 में हुए निवेश सम्मेलन में 45 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए, जिनमें से 15 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावों पर जमीन पर काम शुरू हो चुका है।

माफिया और अपराध के खिलाफ चलाए गए अभियानों पर बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि जो लोग व्यवस्था पर बोझ बने हुए थे, उनसे धरती माता को मुक्ति मिली है। उन्होंने दोहराया कि सरकार ने उत्तर प्रदेश में अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू की और उसे करके भी दिखाया।

महिला सुरक्षा पर उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर किसी ने बेटी की सुरक्षा से खिलवाड़ किया तो अगला चौराहा उसके लिए अंतिम पड़ाव होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अपराधी कोई भी हो, उसे हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले हर जिले में माफिया का दबदबा था, लेकिन आज उत्तर प्रदेश माफिया मुक्त प्रदेश बन चुका है।

बुनियादी ढांचे पर बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में एक्सप्रेस-वे की गिनती मुश्किल से होती थी, लेकिन आज उत्तर प्रदेश तेजी से आधुनिक सड़क नेटवर्क की ओर बढ़ चुका है। महिला अधिकारों और सशक्तिकरण पर उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मातृ वंदना योजना और नारी सशक्तिकरण से प्रेरणा लेकर प्रदेश में शिक्षा से लेकर विवाह तक बेटियों के लिए योजनाएं लागू की गई हैं।

स्नातक तक शिक्षा निशुल्क की गई है, विवाह के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है और नौकरी की इच्छुक महिलाओं के लिए विशेष अवसर तैयार किए गए हैं। सीएम योगी ने बताया कि यूपी पुलिस में महिलाओं के पद हजार से बढ़कर अब 44 हजार तक पहुंच चुके हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।

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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोले PM मोदी: ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ अब इतिहास बन चुका

हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तेज आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्दावली पर कड़ा प्रहार किया।

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Monday, 08 December, 2025
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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास की दिशा पर विस्तार से बात करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्दों को पुराने और ग़लत नजरिये का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में आए भारत के दूसरे तिमाही के GDP आंकड़ों में 8 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की गई है, जो यह दिखाती है कि भारत अब केवल उभरती नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रमुख ताकत बन रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक संकेत है कि भारत आज दुनिया का ग्रोथ ड्राइवर बन चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब भारत 2 से 3 प्रतिशत की धीमी विकास दर तक सिमट गया था और उसी दौर में ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्द गढ़े गए, ताकि यह भ्रम फैलाया जा सके कि भारत की धीमी प्रगति उसकी संस्कृति और सभ्यता के कारण है।

उन्होंने इसे गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब बताया और कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी हर विषय में सांप्रदायिकता खोजते हैं, लेकिन उन्हें इस शब्द में कोई सांप्रदायिकता नजर नहीं आई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 79 साल बाद भी भारत उस मानसिकता से बाहर निकलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जिसने देश की क्षमता पर संदेह किया।

उन्होंने मौजूदा सुधारों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जुड़ा बताते हुए कहा कि जब दुनिया मंदी की बात करती है, तब भारत प्रगति की नई इबारत लिख रहा है, जब दुनिया भरोसे के संकट से गुजर रही है, तब भारत भरोसे का स्तंभ बनकर खड़ा हो रहा है, और जब दुनिया बिखराव की ओर बढ़ रही है, तब भारत सेतु का काम कर रहा है।

अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का पहला चौथाई हिस्सा पूरा हो चुका है और इस दौरान दुनिया ने महामारी, युद्ध, तकनीकी बदलाव और आर्थिक अस्थिरता जैसे कई झटके झेले हैं, लेकिन इन तमाम अनिश्चितताओं के बीच भारत ने आत्मविश्वास, स्थिरता और तेज विकास के साथ अपनी अलग पहचान बनाई है।

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इस बड़े उद्देश्य से इंडिया हैबिटेट सेंटर ने शुरू की ‘आईएचसी कनेक्ट’ श्रृंखला

श्रृंखला की पहली कड़ी में आयोजित गोलमेज चर्चा के दौरान ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ के निदेशक प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने आशा व्यक्त की कि मीडिया जनता का विश्वास पुनः प्राप्त कर सकेगा

Last Modified:
Saturday, 06 December, 2025
IHC KG Suresh

इंडिया हैबिटेट सेंटर’ (India Habitat Centre) ने अपनी हैबिटेट लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के माध्यम से एक नई चर्चा श्रृंखला ‘आईएचसी कनेक्ट’ शुरू की है, जिसका उद्देश्य आवास और समाज से जुड़े समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।

श्रृंखला की पहली कड़ी “रचनात्मक जन-चर्चा को बढ़ावा देने में मीडिया की भूमिका: एक गोलमेज चर्चा” का आयोजन 5 दिसंबर, 2025 को बहाई समुदाय के जनसंपर्क कार्यालय के सहयोग से किया गया। गोलमेज चर्चा में मीडिया के उस महत्वपूर्ण दायित्व पर विचार किया गया, जिसमें वह तथ्यों को सटीक रूप से प्रस्तुत कर, महत्वपूर्ण मुद्दों को प्राथमिकता देकर और समाज के साझा हित से जुड़ी बहसों में विविध आवाज़ों को स्थान देकर जन-चर्चा की गुणवत्ता और शुचिता की रक्षा करता है।

पिछले कुछ दशकों में भारत और विश्व भर में गलत सूचनाओं के प्रसार, ध्रुवीकरण, पक्षपात और सोशल मीडिया द्वारा बढ़ाई गई सतहीपन के कारण जन-चर्चा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। ऐसे माहौल में मीडिया निष्पक्ष तथ्यों का स्रोत, जनमत का विश्वसनीय मार्गदर्शक और समाज के कल्याण से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच रचनात्मक एवं परामर्शी संवाद का संवाहक कैसे बना रहे, यही इस गोलमेज चर्चा का मूल प्रश्न था।

चर्चा में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया शिक्षाविद्, पॉडकास्टर तथा फिल्म जैसे अन्य महत्वपूर्ण माध्यमों से संवाद करने वाले संचारक शामिल हुए। चर्चा को अत्यंत अर्थपूर्ण, खुला और व्यापक बताया गया, जिसमें आज के दौर के बदलते मीडिया परिदृश्य से जुड़े विविध पहलुओं पर गहन विमर्श हुआ।

संचालन करते हुए इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने आशा व्यक्त की कि मीडिया जनता का विश्वास पुनः प्राप्त कर सकेगा और रचनात्मक एवं समावेशी विमर्श के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ‘आईएचसी कनेक्ट’ श्रृंखला आगे भी भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर निष्पक्ष एवं विचारोत्तेजक संवाद का मंच प्रदान करती रहेगी।

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खबर में तथ्य सही हों तो पत्रकार पर मानहानि का आरोप नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि पत्रकार द्वारा लिखी खबर में सभी बातें तथ्यात्मक रूप से सही हैं, तो सिर्फ उसकी लिखने की शैली या टोन की वजह से उसे मानहानि का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

Last Modified:
Friday, 05 December, 2025
DelhiHighCourt8451

दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि यदि पत्रकार द्वारा लिखी खबर में सभी बातें तथ्यात्मक रूप से सही हैं, तो सिर्फ उसकी लिखने की शैली या टोन की वजह से उसे मानहानि का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने माना कि पत्रकार किस अंदाज में खबर लिखता है, यह उसकी लेखन कला है और इसे अपराध नहीं माना जा सकता।

ये फैसला 17 नवंबर को उस याचिका पर आया, जिसे पत्रकार नीलांजना भौमिक (टाइम्स मैगजीन की पूर्व ब्यूरो चीफ) ने 2021 में दाखिल किया था। वह 2014 में दर्ज मानहानि के मामले और निचली कोर्ट से जारी हुए समन को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट पहुंची थीं।

मामला 2010 की एक रिपोर्ट से जुड़ा था, जिसमें भौमिक ने एक्टिविस्ट रवि नायर और उनकी संस्था पर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोपों की तरफ इशारा किया था। इस रिपोर्ट पर नायर ने मानहानि का केस कर दिया था।

नीलांजना का कहना था कि उनकी रिपोर्ट किसी भी झूठे दावे पर आधारित नहीं थी। उस समय जांच एजेंसियां वाकई नायर के ट्रस्ट की जांच कर रही थीं और यह बात रिकॉर्ड पर भी थी। नायर ने भी यह नहीं कहा था कि जांच नहीं हुई थी।

वहीं रवि नायर का आरोप था कि नीलांजना भौमिक ने बिना उनसे संपर्क किए गलत और भ्रामक जानकारी प्रकाशित की, जिससे उनकी छवि खराब हुई।

अंत में, हाई कोर्ट ने 28 पन्नों के फैसले में मानहानि केस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में कोई तथ्य गलत नहीं था और कहीं यह भी नहीं कहा गया था कि नायर को किसी जांच में दोषी पाया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ इशारों या अंदाज से किसी को दोषी ठहराने का दावा करना शिकायतकर्ता का जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होना है और इसे मानहानि नहीं माना जा सकता।

 

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पुतिन का 'आजतक' को वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : भारत को बताया विश्व विकास की आधारशिला

हमारे बीच ये संबंध इस सबसे ऊपर है। हमें ये आपसी सहयोग अच्छा लगता है। उतना ही जितना भारत को। और हम केवल हथियार ही नहीं बेच रहे बल्कि टेक्नोलॉजी भी साझा कर रहे हैं।

Last Modified:
Friday, 05 December, 2025
aajtakputininterview

भारत के दौरे में पुतिन कई अहम समझौतों पर पीएम मोदी के साथ बात करेंगे। उससे पहले आजतक ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ 'एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू किया, जिसमें दुनिया के बदलते पावर बैलेंस, यूरोप और अमेरिका के साथ तनाव और भारत के साथ मजबूत संबंधों के फ्यूचर ब्लूप्रिंट सब पर पुतिन ने खुलकर बात की।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के साथ हमारे संबंध बहुत अहम भूमिका निभाते हैं, ये न केवल हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम है बल्कि हमारे पारस्परिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। भारत एक बहुत विशाल देश है। ये 150 करोड़ लोगों का देश है।

ये एक विकासशील देश है जहां विकास की दर 7.7 फीसदी है। ये प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी उपलब्धी है। ये भारत के नागरिकों के लिए गौरव की बात है। हमारी एक बड़ी तेल कंपनी ने भारत में एक तेल रिफायनरी का अधिग्रहण किया है।

ये किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में अब तक के सबसे बड़े निवेश में से एक है। यहां हमने 20 बिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा का निवेश किया। भारत मौजूदा दौर में यूरोप के बाजारों में बड़े स्तर पर तेल सप्लाई कर पा रहा है, क्योंकि वो हमसे सस्ती दरों पर तेल खरीद रहा है लेकिन इसके पीछे हमारे दशकों पुराने संबंध हैं।

भारत हमारे सबसे भरोसेमंद साझेदारों में से एक है। हम सिर्फ भारत को अपने हथियार बेच नहीं रहे हैं और भारत इन्हें केवल खरीद नहीं रहा है। हमारे बीच ये संबंध इस सबसे ऊपर है। हमें ये आपसी सहयोग अच्छा लगता है। उतना ही जितना भारत को। और हम केवल हथियार ही नहीं बेच रहे बल्कि टेक्नोलॉजी भी साझा कर रहे हैं।

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भारतबोध कराती है विचारक मनमोहन वैद्य की किताब: प्रो.संजय द्विवेदी

ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और चिंतक मनमोहन वैद्य की किताब ‘हम और यह विश्व’ भारत और संघ के विमर्श को बहुत प्रखरता से सामने लाती है।

Last Modified:
Friday, 05 December, 2025
profsanjay

प्रो.संजय द्विवेदी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष।

हमारे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श में ‘विचारों की घर वापसी’ का समय साफ दिखने लगा है। अचानक हमारी अपनी पहचान के सवालों, मुद्दों, प्रेरणा पुरुषों और मानबिंदुओं पर न सिर्फ बात हो रही है, बल्कि तमाम चीजें झाड़ पोंछ कर सामने लायी जा रही हैं।

सही मायने में यह ‘भारत से भारत के परिचय का समय’ है। लंबी गुलामी और उपनिवेशवादी मानसिकता से उपजे आत्मदैन्य की गहरी छाया से हमारा राष्ट्र मुक्त होता हुआ दिखता है। सच कहें तो हमारा संकट ही यही था कि हम खुद को नहीं जानते थे, या जानना नहीं चाहते थे। ‘भारत’ को ‘इंडिया’ की नजरों से देखने के नाते स्थितियां और बिगड़ती चली गईं। अब यह बदला हुआ समय है। अपने को जानने और अपनी नजरों से देखने का समय।

ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और चिंतक मनमोहन वैद्य की किताब ‘हम और यह विश्व’ भारत और संघ के विमर्श को बहुत प्रखरता से सामने लाती है। हम जानते हैं कि मनमोहन वैद्य संघ के उन प्रचारकों में हैं, जिनका जन्म नागपुर में हुआ और उनके पिता स्व.श्री एमजी वैद्य न सिर्फ प्राध्यापक और जाने-माने पत्रकार थे, बल्कि संघ के पहले प्रवक्ता भी रहे।

ऐसे परिवेश में मनमोहन वैद्य की निर्मिति और रेडियो कैमेस्ट्री में पीएचडी करने के बाद भी उनका गृहत्याग कर संघ के प्रचारक के रूप में निकल जाना बहुत स्वाभाविक ही लगता है। किंतु बहुत गहरी अध्ययनशीलता और वैचारिक चेतना संपन्न मेघा ने उन्हें उनके संगठन के शीर्ष तक पहुंचाया। अप्रतिम संगठनकर्ता होने के नाते वे गुजरात के प्रांत प्रचारक से लेकर संघ के सहसरकार्यवाह जैसे पद तक पहुंचें।

युवाओं से उनका संवाद निरंतर है और वे उन्हें बहुत उम्मीदों से देखते हैं। कथा-कथन की शैली में संवाद मनमोहन जी विशेषता है, उनकी इस संवाद शैली का असर उनके लेखन में साफ दिखता है। मराठी, हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी में अपनी लोकप्रिय संवाद शैली से उन्होंने कई पीढ़यों को भावविभोर किया है। युवाओं के मन की थाह लेते हुए उनके सवालों के ठोस और वाजिब उत्तर देना उनकी विशेषता है।

यही कारण है कि उनका लेखन और संवाद दोनों उनके व्यक्तित्व की तरह सरल-सरल है। वे संघ के दायित्व में लंबे समय तक अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख रहे हैं, उनमें विरासत से ही मीडिया की संभाल और संवाद कौशल की समझ मिली है। इस नाते वे संचार के महत्व को जानते भी हैं और मानते भी हैं। कम्युनिकेशन की यह समझ उनका अतिरिक्त गुण है।

मनमोहन जी की यह किताब पहले अंग्रेजी में आई और अब हिंदी में आई है, जिसे दिल्ली के सुरूचि प्रकाशन ने छापा है। संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर पूरे समाज और विश्व स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए बहुत उत्सुकता है, ऐसे में यह किताब निश्चित ही संघ और भारत को समझने की गाइड सरीखी है।

उनकी यह किताब भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मूल तत्वों को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए बहुत सारे संदर्भों को सामने लाती है। मनमोहन जी विशेषता यह है कि वे अपने सहज संवादों की तरह लेखन में भी सहजता से बात रखते हैं। इस तरह वे लेखक से आगे एक शिक्षक में बदल जाते हैं जिसकी रुचि ज्ञान का आतंक पैदा करने के बजाए लोक प्रबोधन में है। उदाहरणों के साथ सहजता से विचारों का रखना उनका स्वभाव है।

उन्हें सुनने का सुख तो विरल है ही, उन्हें पढ़ना भी सुख देता है। लगातार अध्ययन और विदेश प्रवास ने उनमें बहुत गहरी वैश्विक अंर्तदृष्टि पैदा की है, जिससे भारतीय संस्कृति की उदात्तता उनके लेखन में साफ दिखती है। इन अर्थों में वे विश्वमंगल की वैश्विक भारतीय अवधारणा के प्रस्तोता बन जाते हैं। उनके लेखन में भावनात्मक उत्तेजना के बजाए बहुत गहरा बौद्धिक संयम है और तर्क-तथ्य के साथ अपनी बात कहने का अभ्यास उनका स्वाभाविक गुण है।

इस किताब में प्रश्नोत्तर के माध्यम से उन्होंने जो कहा है, उससे पता चलता है कि उत्तर किस तरह देना। इन अर्थों में वे कहीं से जड़ और कट्टरवादी नहीं हैं। उनका अपार विश्वास भारत की परंपरा पर है, उसकी वैश्चिक चेतना है। संघ और हिंदुत्व को लेकर उनके विचार नए नहीं हैं, किंतु उनकी प्रस्तुति निश्चित ही विलक्षण और नई है। जैसे वे बहुत सरलता के साथ चार वाक्यों पर मंचों पर कहते हैं -भारत को जानो, भारत को मानो, भारत के बनो, भारत को बनाओ।

यह पंक्तियां न सिर्फ प्रेरित करती हैं, बल्कि युवा चेतना के लिए पाथेय बन जाती हैं। उनका यह चिंतन उनकी गहरी भारतभक्ति और संघ से मिली विश्वदृष्टि का परिचायक है। इसलिए राष्ट्रबोध और चरित्र निर्माण को वे अलग-अलग नहीं मानते। उनकी दृष्टि में संघ की व्यक्ति निर्माण की अनोखी पद्धति इस देश और विश्व के संकटों का वास्तविक समाधान है।

इस किताब के बहाने वे भारत,स्वत्व, हिंदुत्व, धर्म, सनातन जैसे आज के दौर के चर्चित शब्द पदों की व्याख्या करते हैं। इसके साथ ही वे सेकुलरिज्म, लिबरलिज्म तथा अखंड भारत जैसी अवधारणाओं के बारे में भी बात करते हैं।

चार खंडों में विभाजित इस पुस्तक के पहले खंड में ‘संघ और समाज’ के तहत कुल पंद्रह निबंध शामिल हैं जिनमें संघ से जुड़ी विषय वस्तु है। दूसरे खंड ‘भारत की आत्मा’ में 14 निबंध शामिल हैं, जो भारतबोध कराने में सक्षम हैं। तीसरे खंड ‘असहिष्णुता का सच’ में शामिल आठ निबंधों में वो कई विवादित मुद्दों पर बात करते हैं और राष्ट्रीय भावनाओं के आधार पर उनका विश्वेषण करते हैं।

किताब के अंतिम अध्याय ‘प्रेरणा शास्वत है’ में उन्होंने पांच तपस्वी राष्ट्रपुत्रों को बहुत श्रद्धा से याद किया है जिनमें आद्य सरसंघचालक डा. हेडगेवार, दत्तोपंत ठेंगड़ी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, संघ प्रचारक रंगा हरि और अपने पिता एमजी वैद्य के नाम शामिल हैं।

पुस्तक के बारे में इतिहासकार डा. विक्रम संपत ने ठीक ही लिखा है कि 'डा. वैद्य के निबंध स्पष्ट तथ्यों के साथ सुंदर गद्य,मार्मिक भाव और कभी-कभी हास्य विनोद से भरपूर, आनंददायक और अविस्मरणीय पठनीयता प्रदान करते हैं। विचारों का एक ऐसा भंडार जो हर भारतीय हेतु यह समझने के लिए जरुरी है कि हम कौन हैं, हम किसकी ओर देखते हैं, हम कहां से आए हैं और आगे हम कहां जाना चाहते हैं।'

( यह लेखक के निजी विचार हैं )

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