हाल ही में महाकुंभ के अमृत स्नान के दौरान कुछ दिव्यांग लोग इस धार्मिक अवसर से वंचित रहे, लेकिन ऋषिका ने अपनी साइन लैंग्वेज वीडियो के जरिए उन्हें अमूल्य जानकारी दी।
समाज की मुख्यधारा से कटे हुए मूक बधिर लोगों के लिए सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर ऋषिका मिश्रा एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं। आगरा की रहने वालीं ऋषिका मिश्रा सरकारी योजनाओं और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को साइन लैंग्वेज के माध्यम से दिव्यांगों तक पहुंचा रही हैं। उनके वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हो रहे हैं और वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, ताकि दिव्यांग समुदाय को भी समाज के विकास में बराबरी का हिस्सा मिल सके।
महाकुंभ में दिव्यांगों के लिए प्रयास
हाल ही में महाकुंभ के अमृत स्नान के दौरान कुछ दिव्यांग लोग इस धार्मिक अवसर से वंचित रहे, लेकिन ऋषिका ने अपनी साइन लैंग्वेज वीडियो के जरिए उन्हें अमूल्य जानकारी दी। उनके वीडियो ने उन दिव्यांगों को सूचित किया, जो इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाए थे। ऋषिका का यह प्रयास यह दर्शाता है कि तकनीक और सोशल मीडिया का सही उपयोग किस तरह से लोगों की जिंदगी को बदल सकता है।
योगी सरकार की योजनाओं की जानकारी
इसके अलावा, ऋषिका योगी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और दिव्यांगों के लिए महत्वपूर्ण खबरों पर भी वीडियो बनाकर जानकारी पहुंचाती हैं। उनके वीडियो दिव्यांग समुदाय के लिए एक खजाना साबित हो रहे हैं, जो सरकारी योजनाओं से अनजान थे। ऋषिका का यह प्रयास एक मिसाल है कि किस तरह एक व्यक्ति समाज में बदलाव ला सकता है, खासकर ऐसे लोगों के लिए जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है। ऋषिका के इस पहल से यह साफ है कि समाज में समान अवसरों की आवश्यकता है और वह इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मंगलवार को पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए एक विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मंगलवार को पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए एक विशेष स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। सूचना निदेशालय परिसर में लगे इस शिविर का उद्देश्य पत्रकारों की व्यस्त दिनचर्या के बीच उनके स्वास्थ्य की देखभाल सुनिश्चित करना था।
इस पहल का उद्घाटन राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार और सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने किया। डॉ. कुमार ने कहा कि पत्रकारों की लगातार भागदौड़ और काम के दबाव को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराया गया, ताकि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य परामर्श मिल सके।
शिविर में दून मेडिकल कॉलेज के अनुभवी चिकित्सकों ने भाग लिया और विभिन्न विभागों से जुड़े डॉक्टरों ने सेवाएं दीं। इसमें हृदय, नेत्र, दंत, अस्थि, स्त्री रोग, बाल रोग और ईएनटी से जुड़े विशेषज्ञ शामिल रहे। साथ ही, पैथोलॉजी जांच, आभा आईडी और वय वंदन कार्ड निर्माण जैसी सुविधाएं भी मौके पर प्रदान की गईं।
डॉ. आशुतोष सयाना, निदेशक चिकित्सा शिक्षा, ने बताया कि 350 से अधिक पत्रकारों और उनके परिजनों की जांच की गई। इनमें से कई लोगों में पहली बार डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और दृष्टि से संबंधित समस्याएं सामने आईं, जिन्हें आगे की चिकित्सा सलाह और दवाइयों के साथ इलाज की दिशा में मार्गदर्शन दिया गया।
इस अवसर पर सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने आश्वासन दिया कि पत्रकारों के कल्याण के लिए इस प्रकार के शिविर भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पत्रकार समाज की धुरी हैं और उनकी सेहत को लेकर राज्य सरकार हमेशा सजग रहेगी। पत्रकारों के हित में समय-समय पर ऐसी पहलों को बढ़ावा दिया जाता रहेगा।
इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पत्रकारों का चयन करने के लिए एक जूरी का गठन किया गया है। इस वर्ष कुल बारह पुरस्कार श्रेणियां हैं।
‘इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र’ (IVSK) द्वारा वर्ष 2025 में प्रदान किए जाने वाले देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (पत्रकारिता पुरस्कार) के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। आवेदन के लिए दिल्ली एनसीआर (नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद एवं गुरुग्राम में निवास लेकिन कार्यक्षेत्र दिल्ली) में स्थित पत्रकार पात्र हैं। इस पुरस्कार के लिए केवल वर्ष 2024 में किए गए कार्यों को मान्यता दी जाएगी।
इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पत्रकारों का चयन करने के लिए एक जूरी का गठन किया गया है, जिसमें प्रख्यात पत्रकार और शिक्षाविद शामिल हैं। यह जूरी योग्यता के आधार पर सभी प्रविष्टियों पर विचार करेगी। इस वर्ष कुल बारह पुरस्कार श्रेणियां हैं। जूरी का चयन और निर्णय अंतिम होगा।
आप देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान 2025 के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 जून 2025 है।
बता दें कि देवऋषि नारद जी की जयंती के अवसर पर समाज में मीडिया एवं पत्रकारिता जगत के अमूल्य योगदान को सम्मान देने के लिए ‘इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र’ द्वारा हर साल देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जो पत्रकारों द्वारा पत्रकारों के लिए आयोजित किया जाता है।
इस बारे में ज्यादा जानकारी अथवा आवेदन करने के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी को आगामी 21 जून को प्रतिष्ठित 'माधवराव सप्रे सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी को आगामी 21 जून को प्रतिष्ठित 'माधवराव सप्रे सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान भोपाल स्थित माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान की ओर से उन पत्रकारों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता को नई दिशा दी है।
सम्मान समारोह में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश दुबे करेंगे, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति विजय मनोहर तिवारी शिरकत करेंगे।
इस अवसर पर संग्रहालय द्वारा हिंदी पत्रकारिता की द्विशताब्दी के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले समारोह की शुरुआत भी की जाएगी। संस्थान के निदेशक अरविंद श्रीधर के अनुसार, 'माधवराव सप्रे सम्मान' की शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी और तब से यह सम्मान उन पत्रकारों को प्रदान किया जा रहा है जिन्होंने निष्पक्षता, जिम्मेदारी और मूल्यों से जुड़ी पत्रकारिता को आगे बढ़ाया है।
इस समारोह को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों के लिए एक प्रेरणास्रोत माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सभ्यता हर युग में बदली है, लेकिन इस पीढ़ी में परिवर्तन की गति अभूतपूर्व है। विज्ञान और तकनीक ने जीवन को बदल दिया है, लेकिन यह बदलाव हमारी संवेदनाओं को नष्ट कर रहा है।
राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उदयपुर में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय पर एक विचारोत्तेजक विचार-विमर्श कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह आयोजन नगर निगम टाउनहॉल परिसर में स्थित सुखाड़िया रंगमंच में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन करके किया।
इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों की महिलाएं और गणमान्य लोग उपस्थित थे। गुलाब कोठारी ने अपने संबोधन में सभ्यता के तेजी से बदलते स्वरूप पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सभ्यता हर युग में बदली है, लेकिन इस पीढ़ी में परिवर्तन की गति अभूतपूर्व है। विज्ञान और तकनीक ने जीवन को बदल दिया है, लेकिन यह बदलाव हमारी संवेदनाओं को नष्ट कर रहा है।
मोबाइल ने हमारे दिमाग को जकड़ लिया है, जिससे बचपन के संवाद, संस्कृति और पारिवारिक मूल्य लुप्त हो रहे हैं। यह हमारे मानसिक विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता को संरक्षित करने के लिए गंभीर चिंतन करना होगा। गुलाब कोठारी ने कहा कि आधुनिक शिक्षा ने अर्धनारीश्वर की अवधारणा को नष्ट कर दिया है।
पुरुष के भीतर स्त्री का भाव होता है, लेकिन उसे समझने की शिक्षा नहीं दी जाती। लड़कियों को मातृत्व और संवेदनशीलता में पकाया जाता है, इसलिए वे पुरुष के भाव को समझ लेती हैं। लेकिन पुरुष को स्त्री की शक्ति, उसका मोल और अर्थ नहीं सिखाया जाता। यही कारण है कि वह उनका अपमान करता है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वरिष्ठ पत्रकार कोम्मिनेनी श्रीनिवास राव (Kommineni Srinivasa Rao) को अंतरिम जमानत देते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वरिष्ठ पत्रकार कोम्मिनेनी श्रीनिवास राव (Kommineni Srinivasa Rao) को अंतरिम जमानत देते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। राव को 9 जून को उस लाइव डिबेट शो के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक पैनलिस्ट द्वारा अमरावती की महिलाओं को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। यह कार्यक्रम 'साक्षी टीवी' (Sakshi TV) पर प्रसारित हुआ था, जिसकी मेजबानी राव कर रहे थे।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और मनमोहन की आंशिक अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्रकार राव ने खुद ऐसा कोई बयान नहीं दिया था, बल्कि यह टिप्पणी कार्यक्रम में शामिल एक पैनलिस्ट ने की थी। कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में राव के पत्रकारिता अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा आवश्यक है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता ने स्वयं उस टीवी शो में आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की थी, इसलिए उनके पत्रकारिता अधिकारों को सुरक्षित रखना आवश्यक है ताकि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी बनी रहे। हम ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन याचिकाकर्ता की रिहाई का आदेश देते हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि श्रीनिवास राव आगे किसी भी शो में इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियां न करें और न ही किसी को ऐसी बात कहने की अनुमति दें।
9 जून को आंध्र प्रदेश पुलिस ने हैदराबाद से राव को उस शो के लिए गिरफ्तार किया था जिसमें 6 जून को अमरावती को लेकर कथित अपमानजनक टिप्पणियां की गई थीं। पुलिस को इस मामले में कई शिकायतें मिली थीं जिनमें कहा गया कि अमरावती क्षेत्र की महिलाओं के बारे में शो में आपत्तिजनक बातें कही गईं।
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पहले एक बयान में कहा था कि राजनीतिक द्वेष या मीडिया विश्लेषण के नाम पर महिलाओं के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणियां अक्षम्य अपराध हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि राजधानी अमरावती के खिलाफ सुनियोजित साजिश के तहत महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने बताया की तानसेन का संगीत के क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है जिसकी तुलना भी नहीं की जा सकती।
वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश शुक्ला द्वारा लिखित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की पुस्तक 'तानसेन का ताना-बाना' का भव्य लोकार्पण नई दिल्ली केशव कुंज स्थित विचार विनिमय न्यास सभागार में सम्पन्न हुआ। दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा, अगर भारत को विश्वगुरु बनना है तो हमें अपने इतिहास, साहित्य और संस्कृति को स्मरण कर उसे समृद्ध करना होगा। हमारा इतिहास, हमारी संस्कृति, हमारी विरासत हमारे लिए महत्वपूर्ण बाते हैं जो भविष्य के निर्माण के लिए आवश्यक है। हमें अपनी कमियां दूर करते हुए अपने भूतकाल के इतिहास को लिखते रहना चाहिए ताकि नई पीढ़ी को वह बता सकें और दिखा सकें।
ऐसी पुस्तकें नई पीढ़ी को उपहार में दी जानी चाहिए, ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़ सकें। उन्होंने सुरुचि प्रकाशन को विशेष धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे प्रकाशकों का कार्य सराहनीय है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने बताया, तानसेन का संगीत के क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है जिसकी तुलना भी नहीं की जा सकती। तानसेन ने अपने काल में संगीत परम्परा को आगे बढाने और उसको कायम रखने में बहुत संघर्ष किया। तानसेन की साधना को 'संगीत के हर स्वरूप के आराध्य और भारत की आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक' बताया और ऐसी परंपराओं को जीवित रखने व समृद्ध बनाने की दिशा में अनवरत प्रयत्न करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, तानसेन पर पांच सौ वर्षों बाद भी लेखन जारी है, यह इस बात का प्रमाण है कि उनका योगदान आज भी प्रासंगिक है। इतिहास उठा कर देखें तो अनेक ऐसे लोग हुए हैं जो तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी अपने कर्तव्य के आधार पर, व्यक्तित्व के आधार पर उनका जीवन कालजयी हो गया।
उन्होने कहा कि भारतीय सभ्यता पश्चिम की तरह नहीं है जहां पीछे देखने और गर्व करने को कुछ नहीं है, अपितु भारत हमेशा न सिर्फ अपने इतिहास से सीख लेता है, बल्कि सतयुग, त्रेतायुग या द्वापर युग के महान मूल्यों को आत्मसात् करने की प्रवृत्ति भी रखता है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भारत ने वर्ष 2047 में विकसित भारत बनाने का संकल्प ले रखा है, और विकसित भारत की ये यात्रा हमारी महान विरासत के बिना अधूरी होगी।
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा, यह किताब तानसेन के जीवन को समझने और शोध में संदर्भ के रूप में कार्य करने वाली ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। आगे भविष्य में यह पुस्तक रेफरेंस के रूप में प्रयोग की जायेगी ऐसे पूरी उम्मीद है। पुस्तक के लेखक श्री राकेश शुक्ला ने बताया कि तानसेन की यात्रा सिर्फ अकबर के दरबार तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह सतना के छोटे से गांव बांधा से चली थी, और इसके साथ बहुत कुछ है जो इतिहास से छुपा रह गया है।
कार्यक्रम के दौरान सुरुचि प्रकाशन के प्रतिनिधि श्री राजीव तुली ने बताया कि हमारी संस्कृति में साहित्य की अनंत महिमा बताई गई है। शास्त्र की ऐसी शक्ति है की वह अनेक संशयों को दूर करती है। एक अच्छी पुस्तक उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने में हमने भी गति पकड़ी है। हमने पिछले 50 वर्षों में उन पुस्तकों को छापा जिन्हें कोई नहीं छापता था।
हर इंसान के हिस्से में मौत लिखी है, लेकिन जिस तरह वो एक हादसे के शिकार हुए वो बहुत दुख देने वाला रहा। वो हादसा ही इतना भयावह है कि मन सिहर उठता है।
मोहम्मद नदीम, राज्य सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश।।
विजय रूपाणी जी जिस दौर में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, मैं उस दौर में दिल्ली में नवभारत टाइम्स का नेशनल पॉलिटिकल एडिटर हुआ करता था। रूपाणी जी नियमित अंतराल पर दिल्ली से पत्रकारों को बुलाया करते थे, गुजरात में उनकी सरकार ने जो कुछ नया किया होता था वो दिखाने के लिए। पहले उनके ऑफिस से ऑफिसियल आमंत्रण आता फिर रूपाणी जी खुद फ़ोन से न्योता देते, यह कहते हुए-बहुत दिन हो गया दिल्ली की कोई खबर नहीं मिली, आप लोग आएंगे तो दिल्ली का हालचाल मिल जाएगा।
बैठकी में गुजरात के विकास यात्रा की बात शुरू होती तो मोदी जी का ज़िक्र ना हो तो यह मुमकिन ही नहीं था, मैं अक्सर मजाक में बोल दिया करता था कि देखिए, मोदी जी अब हमारे यूपी के हो चुके हैं। रूपाणी जी भी कभी कभी चुटकी ले लेते थे कि नदीम जी से डरना पड़ता है, मोदी जी इनके राज्य से आते हैं।
रूपाणी जी से रिश्ते प्रगाढ़ होते गए। बग़ैर गुजरात गये भी बातचीत हो ज़ाया करती थी। कोरोना काल में हमारे लखनऊ, बाराबंकी के कुछ परिचित गुजरात में लॉकडाउन में फँस गये। उन लोगों से ज्यादा उनके परिवार के लोग परेशान थे। सबका दबाव था कि कुछ करिए। मैंने रूपाणी जी के ऑफिस को नोट कराया। एक घंटे के अंदर उनका संदेश आया, बेफ़िक्र रहिए। मेरे अफ़सर उन सारे लोगों तक पहुंच गये हैं।
फिर रूपाणी जी मुख्यमंत्री नहीं रहे, मैं भी कुछ समय बाद लखनऊ आ गया। लेकिन कोशिश रहती थी फ़ोन से ही सही दुआ सलाम हो जाए। मकसद यही रहता था कि यह ना हो कि अपनत्व का जो रिश्ता बना था, वो सिर्फ़ मुख्यमंत्री कि कुर्सी तक ही था। एक बार मैंने उन्हें यह बात बता भी दी तो वो खूब तेज़ हंसे। बोले-यह सुनकर अच्छा लगा।
मुख्यमंत्री के रूप में उनकी सरलता मुझे बहुत भाती थी। हर इंसान के हिस्से में मौत लिखी है, लेकिन जिस तरह वो एक हादसे के शिकार हुए वो बहुत दुख देने वाला रहा। वो हादसा ही इतना भयावह है कि मन सिहर उठता है। श्रद्धांजलि।
(उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की फेसबुक वॉल से साभार। लेखक पेशे से पत्रकार और नवभारत टाइम्स, लखनऊ के संपादक रहे हैं।)
घर से शुरू हुआ यह क्लाउड किचन अब पूरी तरह से प्रोफेशनल बन चुका है और ‘The Snack Stories By Neelam’ नाम से अपनी सेवाएं दे रहा है।
गुरुग्राम में एक नया फूड स्पॉट धूम मचा रहा है। दरअसल, पूर्व पत्रकार नीलम गुप्ता ने गुरुग्राम में क्लाउड किचन शुरू किया है। घर में शुरू हुई इस रसोई से क्लाउड किचन में मुंबई और दिल्ली का असली स्ट्रीट फूड परोसा जाता है, जिसे प्यार से पकाया जाता है और स्वाद के साथ परोसा जाता है। घर से शुरू हुआ यह क्लाउड किचन अब पूरी तरह से प्रोफेशनल बन चुका है और ‘The Snack Stories By Neelam’ नाम से अपनी सेवाएं दे रहा है।
मुंबई से मंगाए गए पाव से बने वड़ा पाव से लेकर आलू भाजी के साथ जोधपुर स्टाइल प्याज की कचौरी और इंदौर से कुरकुरी मसालेदार दही सैंडविच तक, यह सब एक ही छत के नीचे उपलब्ध है। इसके अलावा मिनी मील, सिग्नेचर चटनी और घर में बने सीक्रेट मसाले भी शामिल हैं। स्वाद, चटपटा, पुराने दिनों की याद दिलाने वाला और पूरी तरह से संतुष्टि देने वाला है।
इसकी सह-संस्थापक नीलम गुप्ता कहती हैं, अच्छा खाना बनाना और परोसना हमेशा से मेरा जुनून रहा है। अब, मैं हर दिन इस खुशी को और लोगों के साथ साझा कर सकती हूँ। उनके पार्टनर मनीष कहते हैं, हम स्वाद या सामग्री से समझौता नहीं करते। प्रतिक्रिया अद्भुत रही है। आप तुरंत डिलीवरी के लिए सीधे +9199800 62513 पर कॉल कर सकते हैं। स्विगी या ज़ोमैटो पर अभी ऑर्डर किया जा सकता है।
NCLAT ने प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें UFO Moviez India और Qube Cinema Technologies पर प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के आरोप में आर्थिक दंड लगाया गया था।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें UFO Moviez India और Qube Cinema Technologies पर प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार के आरोप में आर्थिक दंड लगाया गया था।
NCLAT ने स्पष्ट किया कि इस मामले में “संतुलन CCI के पक्ष में है” और “प्रथम दृष्टया मामला” भी आयोग के समर्थन में प्रतीत होता है।
ट्रिब्यूनल ने कहा, “ऐसे हालात में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उपलब्ध तथ्यों के आधार पर विवादित आदेश पर स्थगन देना उचित नहीं है।”
दोनों कंपनियों पर करोड़ों का जुर्माना
16 अप्रैल को CCI ने UFO Moviez और उसकी यूनिट Scrabble Digital पर 1.04 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जबकि Qube Cinema Technologies पर 1.66 करोड़ रुपये का दंड तय किया गया था। यह मामला उन समझौतों से जुड़ा है, जिनमें डिजिटल सिनेमा उपकरण किराए पर देने वाली कंपनियों — जैसे UFO और Qube — पर थिएटर मालिकों के साथ प्रतिस्पर्धा विरोधी शर्तें लागू करने का आरोप है।
इन कंपनियों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए NCLAT का रुख किया था, जो CCI के आदेशों की अपील के लिए अधिकृत मंच है। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने जुर्माने की प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन दोनों कंपनियों को कुल जुर्माने की 25% राशि दो सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया।
चार सप्ताह में जवाब, 1 अगस्त को अंतिम सुनवाई
NCLAT ने कहा, “हम पहले ही एक अलग आदेश में 25 प्रतिशत राशि जमा करने का निर्देश दे चुके हैं, जिसे दो हफ्तों में पूरा करना होगा।” साथ ही ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही अंतरिम रोक की याचिका खारिज की जाती है, फिर भी जवाब देने के लिए चार सप्ताह और प्रतिवाद दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है।
अब इस मामले की अंतिम सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है।
सिनेमा मालिकों की आज़ादी पर लगाई गई थी शर्तें
CCI की जांच में सामने आया कि UFO और Qube ने अपने थिएटर ऑपरेटर ग्राहकों के साथ हुए लीज समझौतों में ऐसी शर्तें रखीं जिनसे पोस्ट-प्रोडक्शन सामग्री के स्रोत चुनने की स्वतंत्रता सीमित हो गई। ये शर्तें अन्य पोस्ट-प्रोडक्शन सेवा प्रदाताओं के लिए बाधा बन रही थीं।
भारतीय डिजिटल सिनेमा इक्विपमेंट (DCE) बाजार में UFO और Qube की हिस्सेदारी क्रमशः 34% और 47% पाई गई।
फिल्म रील से डिजिटल माध्यम पर हुए बदलाव ने DCE प्रदाताओं की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है क्योंकि अब फिल्में डिजिटल फॉर्म में ही वितरित और प्रदर्शित होती हैं।
रिपोर्ट और आदेश में सामंजस्य: NCLAT
NCLAT ने CCI की जांच रिपोर्ट और अंतिम आदेश का बारीकी से अध्ययन करते हुए कहा, “हमें DG की रिपोर्ट और आयोग का आदेश आपस में मेल खाते प्रतीत होते हैं। इनमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि सामग्री को लेकर लगाए गए प्रतिबंध ‘मास्टरिंग प्रक्रिया’ के बाद के चरणों पर लागू होते हैं।”
ट्रिब्यूनल ने कहा, “समझौतों की शर्तों के अनुसार, तीसरे पक्ष की सामग्री DCE पर चलाई जा सकती है, लेकिन CTO (Cinema Theatre Owners) को इसके लिए ₹20,000 का भुगतान करना होगा और वह भी तब जब मूल प्रदाता कंटेंट उपलब्ध न करा सके।”
अंत में NCLAT ने यह भी माना कि समझौतों की शर्तों के कारण CTO उन फिल्म निर्माताओं से दूरी बना लेते हैं जिन्होंने Scrabble Digital से अपनी पोस्ट-प्रोडक्शन सेवाएं नहीं ली हैं। यह व्यवहार प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3(4)(d) का उल्लंघन है।
प्रो. वल्लभ भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) में अध्यापन कर चुके हैं और वित्तीय विषयों पर उनके कई शोधपत्र प्रतिष्ठित जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं।
राजनीति और शिक्षा—दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके प्रो. गौरव वल्लभ को केंद्र सरकार ने एक अहम जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें 10 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) में बतौर सदस्य मनोनीत किया गया है।
प्रो. वल्लभ भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) में अध्यापन कर चुके हैं और वित्तीय विषयों पर उनके कई शोधपत्र प्रतिष्ठित जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें एकेडमिक जगत के साथ-साथ सार्वजनिक बहसों—विशेषकर टीवी डिबेट्स—में भी सक्रिय भागीदारी के लिए जाना जाता है, जहां वे तर्क और तथ्यों के आधार पर अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखते हैं।
बताया जा रहा है कि अब वे प्रधानमंत्री को आर्थिक विकास, महंगाई, वैश्विक अर्थव्यवस्था और नीति-निर्धारण जैसे विविध विषयों पर सलाह देंगे। उल्लेखनीय है कि EAC-PM सरकार द्वारा गठित एक स्वतंत्र संस्था है, जो प्रधानमंत्री को देश की आर्थिक रणनीति और दीर्घकालिक नीतियों पर मार्गदर्शन देती है।