उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग के अंतर्गत आने वाले मीडिया सेल में तैनात पार्थ श्रीवास्तव ने बीते दिनों लखनऊ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी
उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग के अंतर्गत आने वाले मीडिया सेल में तैनात पार्थ श्रीवास्तव ने बीते दिनों लखनऊ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के लिए पार्थ ने दो लोगों को जिम्मेदार ठहराया है।
इस मामले में चार दिन बाद इंदिरानगर थाने में पिता की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें दो वरिष्ठ सहयोगियों को आरोपी बनाया गया था।
पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों से सोमवार को पूछताछ की, जिसमें कई राज सामने आए हैं। इसमें पार्थ के सुसाइड करने वाली रात में चैटिंग करने की पुष्टि हुई है। इस दौरान उसने रात को अपने दोस्तों को मैसेज भेजा था, जिसमें लिखा था ‘गुड बाय भाई’। कई दोस्तों ने रिप्लाई किया, तो पार्थ ने जवाब में लिखा कि जस्ट लीविंग।
पार्थ ने सुसाइड करने से पहले सुबह 4:56 पर अपने दोस्तों को मैसेज लिखा। कई दोस्तों से उसके खुदकुशी से पहले काफी देर तक बात करने के प्रमाण भी मिले हैं। एक दोस्त को लिखा कि, अगर कोई गलती हुई होगी तो माफ कर देना भाई। एक दोस्त को सुसाइड से एक दिन पहले 3 हजार रुपए ट्रांसफर भी किए, मदद करने के बाद पार्थ ने लिखा कि कोई बात नहीं...। पार्थ की दोस्तों से हुई चैटिंग की पुलिस जांच कर रही है।
पार्थ के दोस्त, रिश्तेदार और परिजनों को इस बात पर अभी तक भरोसा नहीं हो पा रहा है कि आखिर पार्थ जैसा लड़का ऐसा कदम कैसे उठा सकता है। पार्थ के दोस्त और रिश्तेदारों ने सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर पार्थ का कैम्पेन शुरू कर दिया है।
वहीं इस बीच यूपी में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष व मीडिया हाउस ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस’ के ग्रुप सीईओ व मैनेजिंग एडिटर रोहित सक्सेना ने रोष जताया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे बिना देरी किए हुए दोषियों को जेल भिजवाएं और पार्थ श्रीवास्तव के परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में पचास लाख रुपए प्रदान करें।
भारतीय जनसंचार संस्थान के 58वें स्थापना दिवस पर आयोजित व्याख्यान में संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि मूल्य आधारित पत्रकारिता वर्तमान समय की मांग है।
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) ने बुधवार को अपना 58वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान में 'न्यूज 24' की प्रधान संपादक अनुराधा प्रसाद ने कहा कि 'पॉपुलर न्यूज' और 'प्रोपेगेंडा' में अंतर समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को प्रोपेगेंडा से बचना चाहिए और पत्रकारिता की विश्वसनीयता को बरकरार रखना चाहिए।
'नए समय में मीडिया' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए अनुराधा प्रसाद ने कहा कि आज मीडिया, पत्रकारों और मीडिया मालिकों की चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि भविष्य में पत्रकारों के सामने क्या रास्ता है, इस पर भी बात की जाए। आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता ने लोगों में अलख जगाने का काम किया था, इसलिए पत्रकरिता को समाज सेवा के साथ जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत निर्माण में भी पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल पत्रकारों के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी को ही अपना दोस्त बनाना होगा।
अनुराधा प्रसाद के अनुसार पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया को पारदर्शिता बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन करना बेहद जरूरी है। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है।
इस अवसर पर ‘आईआईएमसी’ के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि संस्थान ने अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे किए हैं। किसी भी संस्थान की जीवंतता का प्रमाण है एक-दूसरे से जुड़े रहना और कोरोना के कठिन समय में भी ’आईआईएमसी ’ परिवार एक-दूसरे के साथ जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी इसी भावना से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का निर्माण संभव हो सकता है। तकनीक ने हमें जो सुविधा दी है, उसका फायदा हमें उठाना चाहिए और मिल-जुलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आज हर व्यक्ति सूचना दे रहा है, लेकिन समाचार देने का काम सिर्फ पत्रकार कर रहे हैं। आम जनता को ये पता ही नहीं है कि विज्ञापन क्या है और खबर क्या है। इसलिए समाज को मीडिया साक्षर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज और हेट न्यूज से बचने का मूलमंत्र है, 'बुरा मत टाइप करो, बुरा मत लाइक करो और बुरा मत शेयर करो।' खबरों और विचारों में मिलावट रोकने के लिए मूल्य आधारित पत्रकारिता आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन डीन छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश उपाध्याय ने दिया। इस अवसर पर संस्थान के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह भी विशेष तौर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम में संस्थान के समस्त प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
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देश में आजादी की 75वीं सालगिरह पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) और ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (iTV Foundation) की ओर से श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक से पांच अगस्त को शुरू हुई ‘द ग्रेट इंडिया रन’ 15 अगस्त को अपने आखिरी पड़ाव पर दिल्ली पहुंच गई।
‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत यह रिले रन दस दिनों में चार राज्यों से होती हुई 829 किलोमीटर की दूरी तय कर दिल्ली पहुंची। इस रिले रन में धावक हाथ में तिरंगा लेकर दौड़ लगाते हुए दिल्ली पहुंचे, जहां केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के मुख्य आतिथ्य में नेहरू पार्क में आयोजित समारोह में धूमधाम से उनका स्वागत किया गया।
इस मौके पर नवनियुक्त राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा, लोकसभा सदस्य मनोज तिवारी, बीसीसीआई सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन चेतन शर्मा, पैरालंपिक खेलों में सिल्वर मेडल विजेता और पद्मश्री डॉ. दीपा मलिक, एशियन मैराथन चैंपियन डॉ. सुनीता गोदारा, कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रोहित टोकस, पूर्व भारतीय क्रिकेटर सबा करीम, जाने-माने निशानेबाज समरेश जंग, विराट कोहली के कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित राजकुमार शर्मा समेत तमाम लोग मौजूद थे। समापन समारोह में मौजूद लोगों ने धावकों के साथ-साथ इस रन के आयोजन के लिए आईटीवी नेटवर्क के प्रयासों की काफी सराहना की।
राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने हर घर तिरंगा अभियान को सलामी देते हुए धावकों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इन लोगों के बिना द ग्रेट इंडिया रन सफल नहीं हो सकती थी। इसके साथ ही कार्तिकेय शर्मा का कहना था, ‘द ग्रेट इंडिया रन 2022 एक ऐतिहासिक घटना रही है और इसने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ, क्योंकि पहले कभी इस तरह की किसी भी रन को लाल चौक से हरी झंडी नहीं दिखाई गई थी।
मैं अरुण भारद्वाज के नेतृत्व में 11 बहादुर धावकों को बधाई देता हूं, जिन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और अपने साथी देशवासियों को एकता और अखंडता का संदेश फैलाने वाले तिरंगे के साथ कश्मीर से दिल्ली तक 829 किमी की कठिन दौड़ पूरी की। कश्मीर से दिल्ली तक दौड़ना कोई मामूली काम नहीं है और मैं उनके प्रयासों की सराहना करता हूं और विश्वास करता हूं कि एक देश एक संविधान, एक झंडा, हर घर तिरंगा का विजन जल्द साकार होगा।’
इस ऐतिहासिक पहल की तारीफ करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना था, ’ यह वास्तव में बहुत अच्छी पहल है और मैं इस पहल के लिए कार्तिकेय जी और आईटीवी समूह को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे पूरा यकीन है कि यह पहल न केवल देश में खेल के रूप में दौड़ने को बढ़ावा देने में मदद करेगी, बल्कि एकता और अखंडता का सकारात्मक संदेश भी फैलाएगी।’
वहीं, मनोज तिवारी का कहना था, ‘इस आयोजन का हिस्सा बनना सम्मान की बात है। यह वास्तव में बहुत अच्छी पहल है और लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना बहुत ही शानदार है। मैं कार्तिकेय जी से देश को एकजुट रखने वाली इस तरह की और पहल करने का अनुरोध करूंगा’
बता दें कि ‘आईटीवी नेटवर्क’ ने 'सबसे पहले देश' के अपने संकल्प-सूत्र के तहत श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा लहराकर और कॉन्क्लेव का आयोजन कर एक साहसिक पहल की थी। इसके बाद लाल चौक से 'द ग्रेट इंडिया रन' शुरू की गई थी। जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और ‘आईटीवी नेटवर्क’ के फाउंडर व नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने इस रिले रन (Relay Run) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
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‘समाज कल्याण फेडरेशन ऑफ इंडिया’ ने स्वतंत्रता दिवस पर ‘आजादी का महापर्व’ मनाते हुए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े नौ पत्रकारों को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया। गाजियाबाद के विजयनगर स्थित प्रताप विहार सेक्टर 11 में आयोजित इस सम्मान समारोह के मौके पर संस्था द्वारा एक परिचर्चा भी आयोजित की गई, जिसका विषय था ‘कल्याणकारी योजनाएं और वंचित वर्ग।’
इस परिचर्चा के दौरान ‘राष्ट्रीय जनमोर्चा’ के संपादक जितेन्द्र बच्चन ने आजादी के लिए कुर्बान हुए शहीदों को याद करते हुए कहा कि जिन्होंने अपनी जान देकर इस देश को आजाद कराया, उन्हीं के मुल्क में आज 75 साल बाद भी आम आदमी अपना हक पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। भ्रष्टाचार के चलते समाज का गरीब तबका और मजलूम वर्ग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है। ऐसे में मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
जितेन्द्र बच्चन ने कहा कि देश को आजाद कराने में पत्रकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस संघर्ष में तमाम समाचार पत्र-पत्रिकाएं और उसके संपादकों को तमाम परेशानियों से जूझना पड़ा, इसके बावजूद लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ अपना सीना ताने खड़ा है। हालांकि पत्रकारों के लिए चुनौती कम नहीं हुई है। कल तक जहां यह मुल्क गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था, आज वहीं भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम भ्रष्टाचार की जड़ पर करारा प्रहार करें। सरकार और समाज की सच्चाई आम लोगों के सामने लाएं।
संस्था के राष्ट्रीय महासचिव कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जिन पत्रकारों को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया गया है, उनमें वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन और एनके शर्मा शामिल हैं।
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‘ऑल इंडिया रेडियो’ (AIR) की पूर्व न्यूज रीडर सरोज नारायणस्वामी का निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार को मुंबई स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। करीब 86 वर्षीय सरोज पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके परिवार में एक बेटी और एक बेटा है।
उन्होंने ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के समाचार सेवा प्रभाग की तमिल न्यूज यूनिट में बतौर तमिल न्यूज रीडर-कम ट्रांसलेटर काम किया था। वह 20 साल से ज्यादा समय तक तमिल यूनिट में न्यूज इंचार्ज रही थीं। ब्रॉडकास्टिंग जर्नलिज्म में सरोज नारायणस्वामी के योगदान के लिए वर्ष 2009 में उन्हें तमिलनाडु सरकार द्वारा कलाईमनी पुरस्कार (Kalaimamani Award) से सम्मानित किया गया था।
वह मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की आधिकारिक दुभाषिया रही थीं। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स की डिग्री के साथ सरोज नारायणस्वामी ने नई दिल्ली स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म का कोर्स किया था।
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बिहार के सारण इलाके में पुलिस द्वारा कवरेज के दौरान एक पत्रकार को पीटने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सारण जिले के गरखा थाना इलाके के औढ़ा माल गांव में पुलिस अलाउद्दीन खान (35) नामक व्यक्ति की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में जांच के लिए पहुंची थी। कथित तौर पर अलाउद्दीन खान की मौत अवैध शराब पीने से हुई थी।
इसी दौरान वहां मौजूद अनूप नामक स्थानीय पत्रकार ने पुलिस से क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री को लेकर सवाल शुरू कर दिए। बताया जाता है कि पहले तो पुलिस काफी देर तक चुप रही, इसके बाद उसने तमाम लोगों के सामने अनूप की पिटाई शुरू कर दी। इसके साथ ही पुलिस ने उसका माइक भो तोड़ डाला।
बताया जाता है कि पत्रकार की पिटाई होते देखकर गांव वाले भी आक्रोशित हो गए और उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने अनूप को पीटना बंद किया।
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जानी-मानी टीवी एंकर और पत्रकार ऋचा जैन कालरा के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दरअसल, उन्हें ‘Caparo Maruti Limited’ ( Joint Venture Between MSIL and Lord Swaraj Paul Caparo Group) और ’Caparo Engineering India Ltd’ (CEIL) में स्वतंत्र निदेशक चुना गया है।
ऋचा जैन कालरा को उनके लंबे अनुभव और दक्षता को देखते हुए लॉर्ड स्वराज पॉल के ‘Caparo India Group‘ में यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। ऋचा जैन कालरा की यह उपलब्धि इस मायने में भी खास है क्योंकि देश में गिने-चुने पत्रकार/एंकर ही खबरों के साथ-साथ कॉरपोरेट की दुनिया में भी खास मुकाम हासिल कर पाते हैं।
अपने दो दशक से भी अधिक के मीडिया सफर में उन्होंने एक से एक बेहतरीन ग्राउंड रिपोर्टिंग और शो किए हैं। सालों तक वह ‘एनडीटीवी‘ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा रही हैं।
पिछले साल उन्होंने डिजिटल की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए ‘अच्छी खबर’ (Achchi Khabar) नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है। ऋचा इस चैनल की फाउंडर और सीईओ हैं। इस चैनल पर दर्शकों को ऐसी कहानियों से रूबरू करवाया जाता है, जो न सिर्फ सकारात्मक होती हैं, बल्कि लोगों के जीवन में एक नए उत्साह और उमंग को भरने का कार्य करती हैं।
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बिहार के जमुई में बेखौफ बदमाशों द्वारा बुधवार को दिनदहाड़े गोली मारकर ‘प्रभात खबर‘ के पत्रकार गोकुल कुमार की हत्या का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोकुल कुमार (35) सिमुलतल्ला थाना क्षेत्र के लीलावरण गांव के रहने वाले थे और प्रभात खबर में रिपोर्टर के पद पर कार्यरत थे।
बताया जाता है कि मोटरसाइकिल सवार पांच हमलावर सुबह से ही गोकुल कुमार (35) के घर के नजदीक रास्ते में घात लगाकर इंतजार कर रहे थे। नाश्ता करने के बाद करीब 11 बजे जैसे ही गोकुल कुमार वहां से गुजरे, बदमाशों ने उन पर नजदीक से गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। बदमाशों ने एक गोली गोकुल कुमार की कनपटी पर, दूसरी सीने में और तीसरी पीठ में मारी।
वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पत्रकार के परिजन और पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और घायल गोकुल को इलाज के लिए जमुई के सदर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने गोकुल कुमार को मृत घोषित कर दिया।
गोकुल के पिता नागेन्द्र यादव का कहना है कि पंचायत चुनाव की रंजिश में उनके बेटे की हत्या की गई है। नागेन्द्र यादव के अनुसार, गोकुल कुमार ने इस बार पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी को मुखिया पद के लिए प्रत्याशी बनाया था, जो विरोधी खेमे को नागवार गुजरा और उन्होंने इस घटना को अंजाम दे दिया। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है और परिजनों ने जिन लोगों पर आशंका जताई है, उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
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‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) एवं ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ द्वारा बुधवार को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के उपलक्ष्य में विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। ‘विभाजन की विभीषिका’ विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि इतिहास में अगर हमसे गलतियां हुईं हैं तो उन गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
उनका कहना था कि वर्ष 1947 में देश बंट गया, लेकिन अब मुल्क नहीं बंट सकता। अब सिर्फ हिंदुस्तान रहेगा और हिंदुस्तान पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा कि कैसे सभी लोग चाहे वे किसी भी धर्म, संप्रदाय के हों, हिंदुस्तान की सरजमीं पर अमन-चैन से रह सकते हैं। यह हिंदुस्तान की जमीन की खूबी है। आज हमारी एक ही पहचान है कि हम भारतीय हैं। हम सभी मिलकर भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारत पूरी दुनिया के समक्ष एक मॉडल की तरह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं। हम दुनिया को सुख, शांति और वैभव का संदेश देने वाले देश हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में मुख्यत: विभाजन की पीड़ा को ही व्यक्त किया जाता है, लेकिन आईआईएमसी के इस आयोजन में आज एक गंभीर अकादमिक विमर्श दिखाई दे रहा है, जो एक अनुकरणीय पहल है। उन्होंने बताया कि विभाजन की विभीषिका का एक पहलू यह भी है कि विश्व की इस भयानक त्रासदी की पीड़ा झेलकर भी भारत आने वाले शरणार्थियों ने अपने अंदर मौजूद मानवता की भावना को कम नहीं होने दिया। उनके द्वारा बड़े संख्या में खोले गए स्कूल, आश्रम और अस्पताल इसके उदाहरण हैं।
वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘संडे मेल’ के पूर्व संपादक त्रिलोक दीप ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे रावलपिंडी में रहते थे और जब पाकिस्तान बना, उस समय वह करीब 12 साल के थे। उन्होंने बताया कि 1947 में होली के आसपास उन्होंने कुछ धार्मिक नारे सुने, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें अपने घरों में बंद हो जाने को कहा। बाद में बड़ी संख्या में लोगों को दो हफ्ते तक कैंपों में रखा गया। उन्होंने बताया कि इस घटना से उन्हें विभाजन का पूर्वाभास हो गया था। वे यह बताते हुए भावुक हो गए कि पत्रकार होने के नाते कैसे वे आजादी के बाद रावलपिंडी गए और अपने घर और स्कूल भी गए। उन्होंने बताया कि उन्हें उस मुल्क की बहुत याद आती है, उस जमीन की बहुत याद आती है।
वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला ने कहा कि वे एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसने विभाजन का दंश बहुत करीब से देखा और झेला है। उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि पाकिस्तान से सिर्फ हिंदू ही भारत आए, लेकिन ऐसा नहीं है। कांग्रेस विचारधारा पर यकीन रखने वाले कई मुस्लिम भी पाकिस्तान से भारत आए। उन्होंने बताया कि जो शरणार्थी भारत आए, उनका इस देश की अर्थव्यवस्था में आज बहुत बड़ा योगदान है। शरणार्थियों में ज्यादातर व्यवसाय करने वाले लोग थे।
वरिष्ठ लेखक कृष्णानंद सागर ने कहा कि विभाजन एक बहुत बड़ी त्रासदी थी, जिसकी जमीनी वास्तविकता सरकारी आंकड़ों से बहुत अलग है। उन्होंने बताया कि वे ऐसी सैकड़ों दुर्घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जहां ट्रेनों में लोगों को काटा गया, गोलीकांड हुए, लोगों को कैंपों में रखा गया और उन्हें वहां कई प्रकार की यातनाएं झेलनी पड़ीं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का जिक्र करते हुए बताया कि पुस्तक में विभाजन की त्रासदी के साक्षी रहे 350 लोगों के साक्षात्कार हैं और पुस्तक चार खंडों में प्रकाशित हुई है।
कार्यक्रम की शुरुआत में फिल्म्स डिवीजन द्वारा देश के विभाजन पर निर्मित एक लघु फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रम का संचालन उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने दिया।
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वरिष्ठ पत्रकार शिवदास श्रीवत्सन का रविवार को निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे और अपने दोस्तों और पत्रकार मंडलियों में ‘वत्सन’ के नाम से लोकप्रिय थे। बताया जा रहा है कि उन्हें सिर में चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें कोझीकोड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
श्रीवत्सन के परिवार में उनकी पत्नी रेमा व एक पुत्र दीपक हैं। वह ‘तेलंगाना टुडे’ से एसोसिएट एडिटर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने विजयवाड़ा में ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ में स्पोर्ट्स डेस्क से अपना करियर शुरू किया था। ‘द हिंदू’ में स्पोर्ट्स डेस्क में एक कार्यकाल के बाद वे न्यूज एडिटर के रूप में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ कोयंबटूर लौट आए।
एक खेल पत्रकार के तौर पर उन्होंने फिल्मों में भी गहरी रुचि ली। बाद में उन्होंने ‘द हिंदू’ में रहते हुए हैदराबाद आ गए और न्यूज एडिटर का पदभार संभाला। ‘द हिंदू’ के साथ काम करते हुए श्रीवत्सन ने कई जिम्मेदार पदों पर काम किया। वह 2021 में सेवानिवृत्त होने से पहले एसोसिएट एडिटर के रूप में ‘तेलंगाना टुडे’ में शामिल हुए।
उन्होंने दो उपन्यास ‘दि इनर कॉलिंग’ (The Inner Calling) और ‘द कंट्रीसाइड एल्बम’ (The Countryside Album) भी लिखे।
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‘पीटीसी पंजाबी‘ (PTC Punjabi) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले टेलीविजन शो ‘वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप’ (Voice Of Punjab Chhota Champ) के सीजन-8 का समापन छह अगस्त को पंजाब के मोहाली में हुआ।
इस साल संगीत के क्षेत्र की यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी अमृतसर के अर्जुन सिंह ने जीती। ‘पीटीसी पंजाबी‘ के मोहाली स्टूडियो में ‘वॉयस ऑफ पंजाब‘ सीजन-8 के ग्रैंड फिनाले में अर्जुन को विजेता घोषित किया गया, साथ ही लुधियाना की मेहकजोत कौर प्रथम उपविजेता और हिमाचल प्रदेश के रहने वाले वंश को द्वितीय उपविजेता घोषित किया गया।
‘पीटीसी नेटवर्क‘ के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष रबिन्द्र नारायण ने अर्जुन सिंह को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विजेता की ट्रॉफी प्रदान की। साथ ही उन्होंने सभी फाइनलिस्ट्स और इस सीजन में पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से भाग लेने वाले प्रतिभागियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले, पंजाब के विभिन्न हिस्सों से आए 24 प्रतियोगियों ने इस सीजन में मेगा ऑडिशन में जगह बनाई, जिसमे शीर्ष सात प्रतियोगियों को शो की जूरी द्वारा उनके अद्भुत प्रदर्शन (जो की कई स्तरों से गुजरा) के आधार पर चुना गया था। जैसे-जैसे शो आगे बढ़ा, इसकी यात्रा के दौरान कई प्रतियोगियों को विभिन्न राउंड में बाहर होना पड़ा।
'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के लिए ऑडिशन अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली जिलों में आयोजित किए गए थे। इस सीजन के जजों में मशहूर संगीत निर्देशक सचिन आहूजा, प्रसिद्ध गायक और अभिनेता अमर नूरी, गीतकार और गायक बीर सिंह शामिल थे। कलाकार हशमत सुल्ताना और अफसाना खान द्वार समापन समारोह में शानदार प्रदर्शन किया गया।
इनके अलावा, अतुल शर्मा, गुरमीत सिंह, रविंदर ग्रेवाल, सुरिंदर खान, खान साब, फिरोज खान, सज्जन अदीब, प्रीत हरपाल, ममता जोशी, इंद्रजीत निक्कू और जी खान जैसे कई कलाकार मेहमानों को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विभिन्न राउंड्स में स्पेशल जज के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
बता दें कि यह शो पंजाबी संगीत और फिल्म उद्योग को नई युवा प्रतिभाओं से जोड़ता है, साथ ही युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान करते हुए पंजाबी संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। ‘पीटीसी नेटवर्क‘ ने पहली बार 2013 में 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' रियलिटी शो की शुरुआत पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को बढ़ावा देने के अपने उद्देश्य से की थी।
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