‘AI’ के कई फायदे हैं तो इससे जुड़ी तमाम बड़ी चुनौतियां भी हैं: राहुल सिन्हा

‘आर्टिफिशियल इंटेलेजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’ विषय पर समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद’ को संबोधित कर रहे थे ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा

Last Modified:
Tuesday, 20 August, 2024
Rahul Sinha


'एक्सचेंज4मीडिया' समूह की हिंदी वेबसाइट ‘समाचार4मीडिया’ (Samachar4media.com)  की ओर से 12 अगस्त 2024 को दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 अवॉर्ड कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह इस कार्यक्रम का तीसरा एडिशन था। प्रतिष्ठित जूरी द्वारा चुने गए 40 साल से कम उम्र के 40 प्रतिभाशाली पत्रकारों को इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक थे।

इससे पहले सुबह से ‘मीडिया संवाद’ कार्यक्रम के तहत विभिन्न परिचर्चाओं का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया जगत के दिग्गजों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इस दौरान ‘आर्टिफिशियल इंटेलेजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’ पर आयोजित परिचर्चा में हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा का कहना था, ’ समय के साथ आज के दौर में पत्रकारिता के मायने बदल चुके हैं। पुराने समय में जिस तरीके की पत्रकारिता हुआ करती थी और आज जो देखने को मिलती है, वह काफी अलग है। बहुत कुछ बदलाव आ चुका है पर फिर भी बहुत सारे लोग हैं जो अभी भी उसी विचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’ पिछले चुनावों का उदाहरण देते हुए राहुल सिन्हा का कहना था, ‘आज के वक्त में जब हमारी निष्पक्षता पर बार-बार सवाल उठते हैं, ऐसे समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

इसके साथ ही राहुल सिन्हा का यह भी कहना था, ‘भारत विभिन्न भाषाओं वाला देश है। हम जब न्यूज चैनल खोलते हैं या तो रीजनल चैनल पर जाते हैं या फिर नेशनल चैनल में होते हैं, जो अंग्रेजी होता है या हिंदी होता है लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक और बड़ा इस वक्त प्रयोग चल रहा है कि एक ही जगह पर बैठकर एक व्यक्ति हिंदी में बात करेगा और उसका एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 18-20 भाषाओं में ट्रांसलेशन उसी आवाज में कर देगा यानी मैंने वह बात हिंदी में कही और मेरी आवाज में वही बात तमिल में भी जाएगी तेलुगु में भी जाएगी यानी सभी भाषाओं में जाएगी, यह एक बड़ा महत्त्वपूर्ण पहलू है। मुझे लगता है कि इससे इससे बहुत सारे जर्नलिस्टों को यह फायदा होगा कि अगर हम हिंदी बेल्ट के जर्नलिस्ट हैं और लगता है कि नॉर्थ रीजन में हमें सुना जाता है साउथ में कोई नहीं सुनता लेकिन अब उसी आवाज को उसी चेहरे को साउथ में भी सुना जा सकता है।

एक और बड़ा फायदा जो इस वक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है, वह न्यूज जुटाने को लेकर है। न्यूज गैदरिंग यानी न्यूज जुटाने में खासतौर से यह बात मैं डिजिटल के लिए कह रहा हूं कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने बहुत हद तक कुछ चीजें बहुत आसान कर दी है जैसे पहले जो न्यूज गैदरिंग होती थी उस हिसाब से अगर देखें तो एआई इस बात को समझता है। जर्नलिज्म के साथ हम डिमांड और सप्लाई वाले एक प्रोफेशन में भी काम कर रहे हैं, तो हमें यह पता होना चाहिए कि हम जो दे रहे हैं वो लोग कितना देखना चाहते हैं और कितना नहीं देखना चाहते। कौन से लोग किस चीज को देखना चाहते हैं। किस रीजन के लोगों को इस वक्त क्या चाहिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस पर बहुत जबरदस्त काम कर रहा है। वह बताएगा कि इस वक्त अगर उत्तर प्रदेश के लोग हैं तो उनकी सोच क्या चल रही है और उन्हें उस सोच के हिसाब से वह खबर को प्रायोरिटी पर ले जाएगा। अगर 15 से 18 साल के लोगों की उम्र के लोग जो इस वक्त वेबसाइट को चेक कर रहे हैं वह किस तरीके की खबरों को चेक कर रहे हैं वो उसी तरीके की खबरों को प्राथमिकता के साथ ऊपर ले जाएगा। हर रीजन हर उम्र के हिसाब से उस खबर को वो पोस्ट करेगा और उसका फायदा पब्लिशर को मिलेगा या कह सकते हैं उस ऑर्गेनाइजेशन को मिलेगा और उन लोगों को भी मिलेगा जो उसके रीडर हैं क्योंकि आप अमूमन किसी जगह जाएंगे किसी वेबसाइट पर जाएंगे और आप अपने मतलब की कोई खबर खोजना चाहते हैं तो सर्च के हिसाब से जाएंगे लेकिन एआई इतना स्ट्रांग है कि उसे पता है कि आपको क्या चाहिए आपके सामने वो लाकर के रख देगा।

राहुल सिन्हा के अनुसार, ‘ये दो-तीन चीजें हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बहुत क्रांतिकारी हैं और मुझे लगता है कि भारत में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है आने वाले वक्त में आपको यह सारी चीजें देखने को भी मिलेंगी कि कोई बहुत बड़ा हिंदी का एंकर आपको तमिल में न्यूज़ पढ़ता हुआ अचानक चेन्नई में दिखाई दे जाए। खास बात यह है कि उस आवाज में जरा भी एरर नहीं होता है यानी जिस तरीके से मैं बोल रहा हूं, जहां मैं पॉज दे रहा हूं बिल्कुल उसी तरीके से एआई उसको ट्रांसलेट करता है और दिखा देता है लेकिन इसके कुछ निगेटिव पहलू भी हैं। जर्नलिज्म में जो मानवीय संवेदना है वह सबसे महत्वपूर्ण है। एआई के अंदर मानवीय संवेदना नहीं होती है उसको नहीं पता कि सामने वाले बैठे व्यक्ति के अंदर क्या चल रहा है, वह क्या सोच रहा है, वह क्या कहना चाहता है। वह एक व्यक्ति सामने पहुंच करके उससे सवाल करके ही समझ सकता है तो खबर में मानवीय संवेदना बहुत जरूरी है।

एआई यह तो ढूंढ लेगा कि यह खबर है लेकिन उस व्यक्ति के साथ में उसकी संवेदनाओं के साथ में उस खबर को दिखा नहीं पाएगा, बता नहीं पाएगा तो यह बहुत इंपॉर्टेंट पहलू है। एआई भले ही इस मामले में तेज हो जाए लेकिन यहां थोड़ी सी मुश्किल आएगी। हम अमूमन ग्राउंड पर जाते हैं और खबरें कवर करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि जिस खबर को देखकर, समझकर हम गए थे और जब हमने सामने बैठकर लोगों से बात की तो वह खबर बिल्कुल अलग दिखाई देती है। लेकिन एआई के साथ जो एक्सपेरिमेंट हम लोग देख रहे हैं, उसमें वह बिल्कुल वैसी खबर उठा रहा है। ऐसे में अर्थ का अनर्थ भी हो रहा है।’

राहुल सिन्हा के अनुसार, ‘ग्राउंड रिपोर्टिंग की बात करें तो एआई मेरे हिसाब से आज के समय में विनाशकारी है। क्योंकि एक जर्नलिस्ट जिस तरीके से ग्राउंड पर जाकर तथ्यों के साथ रिपोर्टिंग कर सकता है, संवेदनाओं के साथ रिपोर्टिंग कर सकता है, वह एआई नहीं कर सकता। यानी एआई के साथ अपनी लिमिटेशंस भी हैं। एआई एंकर्स तो स्टूडियो में आ गए हैं लेकिन एआई रिपोर्टर्स का आना मुश्किल है। दूसरा एक बड़ा चैलेंज फेक वीडियोज को लेकर है। खास तौर से पिछले कुछ वक्त में ज्यादा बढ़ा है। जो बात मैंने कही कि एक एंकर की आवाज हूबहू उसका वही उसी तरीके का प्रेजेंटेशन एआई कर सकता है, अब इसमें एक बड़ा चैलेंज यह भी है कि कोई आदमी किसी बारे में न्यूट्रल होकर जानकारी दे रहा है लेकिन उसके लिप्सिंग मैच करा करके उसके ऑडियो उसी तरीके का बिल्कुल सेम प्रेजेंटेशन देकर के उसके मुंह से कुछ और बात भी कही जा सकती है, यह एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है।

पिछले कुछ वक्त में भारतीय मीडिया में तो खैर अभी यह देखने को नहीं मिला लेकिन राजनीति में बहुत बार इसका प्रयोग करता हुआ दिखाई दिया। इस बार के इलेक्शंस में भी कुछ इस तरीके के वीडियो सामने आए जो नेता कह कुछ रहे थे और उनको कुछ और कहते हुए दिखाया गया तो पत्रकार के नाते आप लोगों के लिए यह भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है। मैं आज जो दोनों बातें आपके सामने रख रहा कि वि आज के वक्त में एआई महत्पूर्ण तो है, लेकिन इसके साथ तमाम चुनौतियां भी हैं और पत्रकार होने के नाते आपको उन चुनौतियों को समझते हुए इसका इस्तेमाल करना होगा।’

बता दें कि इस कार्यक्रम के तहत पहले और दूसरे एडिशन की तरह हमें प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल से जुड़े युवा पत्रकारों की ओर से तमाम एंट्रीज प्राप्त हुई थीं। विभिन्न मापदंडों के आधार पर इनमें से करीब 94 पत्रकारों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद 27 जुलाई 2024 को हुई वर्चुअल ‘जूरी मीट’ में हमारे प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने तमाम स्तरों पर मूल्यांकन के बाद समाचार4मीडिया ‘पत्रकारिता 40 अंडर 40’ सूची के लिए इनमें से 40 पत्रकारों का चयन किया था, जिनके नामों की घोषणा 12 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में की गई।

पिछले दोनों एडिशन की तरह इस बार भी जूरी की अध्यक्षता ‘हिन्दुस्तान’ के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर ने की थी। इसके साथ ही जूरी में बतौर सदस्य ‘बिजनेसवर्ल्ड ग्रुप’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा, 'न्यूज24' की एडिटर-इन-चीफ और 'बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया' की चेयरपर्सन अनुराधा प्रसाद, सीनियर न्यूज एंकर और ‘आजतक’ में कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी, ‘एबीपी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) रजनीश आहूजा, ‘एनडीटीवी इंडिया’ में कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी, ‘एबीपी न्यूज’ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज और प्रॉडक्शन) संत प्रसाद राय, भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी सुरेश, इंडिया डेली लाइव के एडिटर-इन-चीफ राहुल महाजन, वरिष्ठ पत्रकार वाशिंद्र मिश्र, अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री, अमर उजाला (डिजिटल) के संपादक जयदीप कर्णिक, वरिष्ठ पत्रकार शमशेर सिंह और शिक्षाविद, स्तंभकार व इतिहासकार डॉ. सैयद मुबीन ज़ेहरा शामिल रहे।

पिछले दोनों बार की तरह इस बार भी इस लिस्ट में मीडिया जगत से जुड़े 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे पत्रकारों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने काम के जरिये इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई है और शिखर पर पहुंचे हैं। इसमें प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को शामिल किया गया।

‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा का पूरा वक्तव्य आप नीचे देख-सुन सकते हैं:

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मीडिया और शैक्षिक क्षेत्र के जाने-माने नाम डॉ. बिकाश बनर्जी नहीं रहे

डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया।

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
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Tuesday, 09 September, 2025
Dr Bikash Banerjee

मीडिया और शैक्षिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, डॉ. बिकाश बनर्जी (Dr. Bikash Banerjee) का हाल ही में निधन हो गया है। डॉ. बनर्जी को कॉरपोरेट जगत में काम करने का तीन दशक से ज्यादा का अनुभव था। इस दौरान उन्होंने देश के शीर्ष मीडिया हाउसों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया और कॉर्पोरेट मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ABP लिमिटेड में मार्केटिंग मैनेजर (1981-1996) के तौर पर की। इसके बाद उन्होंने Vibrant Media के CEO, Mid-Day Multimedia के COO, बिजनेस स्टैंडर्ड के वाइस प्रेजिडेंट और दैनिक भास्कर समूह के बिजनेस हेड जैसे अहम पदों पर काम किया। वर्ष 2009 में उन्होंने Repertoire Media Marketing Consultants की शुरुआत की और वर्ष 2016 तक मीडिया सेल्स, मार्केटिंग स्ट्रैटेजी और ट्रेनिंग में नेतृत्व प्रदान किया।

इसके साथ ही, डॉ. बनर्जी ने शैक्षिक क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दीं। पिछले 14 वर्षों से वे देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत रहे और युवाओं को मार्केटिंग, बिजनेस स्ट्रैटेजी और मीडिया के क्षेत्र में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कॉर्पोरेट आइडेंटिटी मैनेजमेंट में Ph.D. की, जिसमें उन्होंने भारतीय SMEs के लिए कॉर्पोरेट प्रैक्टिस और अकादमिक शोध को जोड़ने का काम किया।

डॉ. बनर्जी ने बोर्डरूम और क्लासरूम दोनों में एक अमिट छाप छोड़ी। समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. बनर्जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।

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दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति में सदस्य बने मनोज मनु

इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं।

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
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Tuesday, 09 September, 2025
Manoj Manu

iTV न्यूज नेटवर्क में एग्जिक्यूटिव एडिटर एवं इंडिया न्यूज (MP/CG) चैनल के हेड मनोज मनु को केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया है।

इस पद पर उनका कार्यकाल तीन साल के लिए होगा। यह समिति हिंदी भाषा को सरकारी कामकाज में बढ़ावा देने और आधिकारिक भाषा नीतियों को लागू करने में सलाह देती है। सरकार की ओर से जारी गजट अधिसूचना में मनोज मनु का नाम गैर-सरकारी सदस्यों की सूची में शामिल है। वह दूरसंचार विभाग द्वारा नामित सदस्यों में से एक हैं।

समिति का गठन 29 अगस्त 2025 को किया गया। इस समिति में संचार मंत्री अध्यक्ष, संचार राज्य मंत्री उपाध्यक्ष और कई सांसद, विशेषज्ञ तथा अधिकारी शामिल हैं। समिति का मुख्य काम संविधान और आधिकारिक भाषा अधिनियम के तहत हिंदी के प्रयोग को बढ़ाना है, खासकर दूरसंचार विभाग और उसके अधीनस्थ संगठनों में।

समाचार4मीडिया से बातचीत में मनोज मनु ने इस नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा कि वे हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान देंगे। बता दें कि यह नियुक्ति 18वीं लोकसभा के गठन के बाद समिति के पुनर्गठन का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि इससे हिंदी को और मजबूती मिलेगी।

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राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की किताब का विमोचन 10 सितंबर को

इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
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फरीदाबाद स्थित मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज के विभाग स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज एंड ह्यूमैनिटीज में 10 सितंबर 2025 को एक विशेष कार्यक्रम होगा। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की किताब ‘Harivansh’s Experiment with AD-Vocacy Journalism — From Ads to Action, Words to Change’ का विमोचन किया जाएगा। इसके साथ ही इस पर चर्चा का आयोजन भी किया जाएगा।

इस अवसर पर 'एक्सचेंज4मीडिया' के फाउंडर व 'BW बिजनेसवर्ल्ड' के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान "Advocacy Journalism" विषय पर एक संवाद सत्र भी होगा, जिसमें पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारियों और जनहित में विज्ञापन की भूमिका पर विचार रखे जाएंगे। 

इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति और डीन भी मंच साझा करेंगे। इसके अलावा, डॉ. अनुराग बत्रा छात्रों और संकाय को “The Role of Public Service Advertising in Media as a Catalyst for Social Change” विषय पर 10 मिनट का संबोधन देंगे।

यह किताब हरिवंश जी के पत्रकारिता सफर को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने रिपोर्टिंग से आगे बढ़कर जनसरोकारों के मुद्दों को केंद्र में रखते हुए पत्रकारिता को एक सामाजिक बदलाव के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है। 

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पत्रकारों को डिजिटल मीडिया व AI में प्रशिक्षित करेगी Infosys

कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
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Tuesday, 09 September, 2025
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कर्नाटक मीडिया एकैडमी (Karnataka Media Academy) ने सोमवार को इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd.) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत पत्रकारों को डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण में सहायता दी जाएगी।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक नोट में कहा गया कि यह प्रशिक्षण इंफोसिस के CSR प्रोग्राम स्प्रिंगबोर्ड के तहत किया जाएगा और यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। यह समझौता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उपस्थिति में हुआ।

इंफोसिस के सीनियर वाइस-प्रेजिडेंट और हेड ऑफ एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड असेसमेंट, सतीशा बी. नंजप्पा ने कहा, “मीडिया एकैडमी को स्प्रिंगबोर्ड के डिजिटल कंटेंट तक पहुंच मिलेगी और पत्रकार सॉफ्ट स्किल्स, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नवीनतम तकनीकों की जानकारी से संबंधित लर्निंग कंटेंट से लाभान्वित हो सकेंगे। यह कार्यक्रम टियर 2 और टियर 3 शहरों के पत्रकारों की मदद करेगा।”

इस कार्यक्रम का लक्ष्य इस साल 150 पत्रकारों को प्रशिक्षित करना है और इसमें तीन दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा, जिसमें डिजिटल मीडिया स्किल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और पर्सनालिटी डेवलपमेंट कवर किया जाएगा। वहीं, एक बैच विशेष रूप से महिला पत्रकारों को प्रशिक्षित करने के लिए जेंडर बजट के तहत समर्पित होगा।

एकैडमी की चेयरपर्सन आयशा खानम ने कहा कि यह प्रशिक्षण पत्रकारों को तकनीकी विशेषज्ञता और स्टोरीटेलिंग की उस दक्षता से लैस करेगा, जो आज के तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में आवश्यक है।

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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने संकर्षण ठाकुर के निधन पर जताया शोक

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार और 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

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Published - Monday, 08 September, 2025
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Monday, 08 September, 2025
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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने द टेलीग्राफ के एडिटर और गिल्ड के वरिष्ठ सदस्य संकर्षण ठाकुर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। 63 वर्षीय ठाकुर का सोमवार को गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया।

गिल्ड ने शोक संदेश में ठाकुर को “एक सशक्त पत्रकार और लेखक” बताया और कहा कि वे अपनी निडर रिपोर्टिंग और पैनी लेखनी के लिए जाने जाते थे। एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, “संकर्षण ठाकुर का निधन भारतीय पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है। हालांकि, उनके लेखन और पेशेवर उत्कृष्टता की गूंज आगे भी बनी रहेगी और यह आने वाले पत्रकारों के लिए हमेशा एक मानक बनी रहेगी।”

दिग्गज पत्रकार जनार्दन ठाकुर के पुत्र संकर्षण ठाकुर ने भारतीय पत्रकारिता में अपनी अलग राह बनाई। उन्होंने कई चर्चित किताबें लिखीं, जिनमें The Brothers Bihari (लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पर आधारित), Subaltern Saheb: Bihar and the Making of Laloo Yadav और Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar शामिल हैं।

संकर्षण ठाकुर ने अपने करियर की शुरुआत Sunday मैगजीन से की और बाद में The Telegraph, The Indian Express और The Hindu से जुड़े। बाद में वे The Telegraph लौटे और इसके एडिटर बने। जमीनी रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध ठाकुर ने भारत की कई अहम घटनाओं को कवर किया, जिनमें कारगिल युद्ध, भोपाल गैस त्रासदी, 1984 के सिख विरोधी दंगे, इंदिरा गांधी की हत्या, कश्मीर और श्रीलंका के जटिल हालात, बिहार और पाकिस्तान की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां शामिल थीं।

पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए उन्हें 2001 में प्रेम भाटिया अवॉर्ड (राजनीतिक रिपोर्टिंग) और 2003 में अप्पन मेनन फैलोशिप से सम्मानित किया गया।

एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष आनंद नाथ, महासचिव रुबेन बनर्जी और कोषाध्यक्ष के. वी. प्रसाद ने इस संदेश पर हस्ताक्षर करते हुए संकर्षण ठाकुर को ऐसे पत्रकार के रूप में याद किया, जिनकी पेशेवर प्रतिबद्धता और लेखन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

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वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर के निधन पर भूपेंद्र चौबे ने जताया शोक

जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है।

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Published - Monday, 08 September, 2025
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Monday, 08 September, 2025
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जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 63 वर्षीय ठाकुर कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार थे। उन्हें पहले डेंगू हुआ, जिसके बाद फेफड़ों के कैंसर का पता चला। मेदांता अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया, लेकिन सर्जरी के 48 घंटे बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और अंततः उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।

संकर्षण ठाकुर लंबे समय से द टेलीग्राफ से जुड़े रहे और वर्तमान में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे थे। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने गहरा दुख व्यक्त किया। चौबे ने ट्वीट में लिखा, “संकर्षण ठाकुर के निधन की खबर से बेहद आहत हूं। वे कई सालों से मेरे मित्र थे। उनका ज्ञान, गंभीरता और हाजिरजवाबी हमेशा याद रखी जाएगी। उनके द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लिखा गया मशहूर हेडलाइन—‘A man who has conscience on call’—हमेशा मेरी पसंदीदा रहेगी।” 

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वरिष्ठ पत्रकार और ‘The Telegraph’ के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन

राजनीतिक पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2001 में उन्हें ‘प्रेम भाटिया’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2003 में कश्मीर पर एक किताब पर काम करने के लिए उन्हें अप्पन मेनन फ़ेलोशिप भी मिली थी।

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Published - Monday, 08 September, 2025
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Monday, 08 September, 2025
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जाने-माने पत्रकार और अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ (The Telegraph) के एडिटर संकर्षण ठाकुर का निधन हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 63 वर्षीय संकर्षण ठाकुर कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे।

संकर्षण ठाकुर को पहले डेंगू हुआ, फिर पता चला कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर था। उनका इलाज (ऑपरेशन) मेदांता अस्पताल में हुआ, लेकिन ऑपरेशन के 48 घंटे बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा, फिर भी उन्हें बचाया न जा सका।

संकर्षण ठाकुर करीब दो साल से इस पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। संकर्षण ठाकुर इससे पहले इस अखबार में एडिटर (नेशनल अफेयर्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

संकर्षण ठाकुर को मीडिया में काम करने का करीब चार दशक का अनुभव था। संकर्षण ठाकुर ने वर्ष 1984 में ‘संडे’ मैगजीन के साथ मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी। पूर्व में वह ‘द टेलिग्राफ’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (Indian Express) में एसोसिएट एडिटर रह चुके थे। इसके अलावा वह बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर वर्ष 2004 में ‘तहलका’ साप्ताहिक की लॉन्चिंग टीम में भी शामिल रहे थे। इसके बाद वह ‘द टेलिग्राफ’ में वापस लौट आए थे।

संकर्षण ठाकुर ने बिहार और कश्मीर को व्यापक रूप से कवर किया था। राजनीतिक पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2001 में उन्हें ‘प्रेम भाटिया’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही वर्ष 2003 में कश्मीर पर एक किताब पर काम करने के लिए उन्हें अप्पन मेनन फ़ेलोशिप भी मिली थी।

संकर्षण ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर ‘The Making of Laloo Yadav, The Unmaking of Bihar’ नाम से किताब लिख चुके थे। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आत्मकथा ‘Single Man: The Life & Times of Nitish Kumar of Bihar’ भी लिखी है। इसके अलावा उन्होंने एक किताब ‘The Brothers Bihari’ में संयुक्त रूप से लालू यादव और नीतीश कुमार की बायोग्राफी लिखी है। उन्होंने कारगिल युद्ध, पाकिस्तान और उत्तर प्रदेश में ऑनर किलिंग (Honour Killing) पर मोनोग्राफ प्रकाशित किए थे।

मूल रूप से पटना के रहने वाले संकर्षण ठाकुर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘द हिंदू’ कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की। वह देश में संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild of India) के मेंबर भी थे।

इस दुखद समाचार के बाद मीडिया जगत, मित्रों और शुभचिंतकों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्राप्त हो।

 

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‘Rediffusion’ के पूर्व चेयरमैन दीवान अरुण नंदा का निधन

दीवान अरुण नंदा ने लगभग 50 वर्षों तक रेडिफ्यूजन का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने एजेंसी की जिम्मेदारी छोड़ दी थी।

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Published - Saturday, 06 September, 2025
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Saturday, 06 September, 2025
Diwan Aurn Nanda

विज्ञापन जगत के दिग्गज और जानी-मानी विज्ञापन एजेंसी ‘रेडिफ्यूजन’ (Rediffusion) के पूर्व चेयरमैन दीवान अरुण नंदा का निधन हो गया है। वह 76 वर्ष के थे। दीवान अरुण नंदा ने लगभग 50 वर्षों तक रेडिफ्यूजन का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने एजेंसी की जिम्मेदारी छोड़ दी थी।

इसके बाद एजेंसी के बोर्ड की चेयरमैनशिप डॉ. संदीप गोयल को सौंपी गई थी, जिन्होंने कई वर्षों तक सीधे दीवान अरुण नंदा के अधीन काम किया था। बता दें कि दीवान अरुण नंदा 1966 में IIM-A के पहले बैच के पहले गोल्ड मेडलिस्ट रहे थे।

वह ‘हिंदुस्तान लीवर’ (Hindustan Lever) द्वारा भर्ती किए गए प्रबंधन प्रशिक्षुओं (मैनेजमेंट ट्रेनी) के पहले बैच में भी शामिल थे। इसके बाद वह वर्ष 1973 में ‘रेडिफ्यूजन’ की स्थापना के लिए उस समय की सबसे क्रिएटिव शॉप ‘एमसीएम’ (MCM) में चले गए।

दो बार ‘एडवर्टाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (AAAI) के प्रेजिडेंट और वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड हासिल कर चुके दीवान अरुण नंदा ‘एयर इंडिया‘, ‘एवररेडी‘, ‘किंगफिशर एयरलाइंस‘, ‘यस बैंक‘ समेत कई जानी-मानी कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रहे थे।

वर्ष 1983 से 1991 तक वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार रह चुके थे। इसके अलावा वह दो विज्ञापन दिग्गज के एशियन जॉइंट वेंचर ‘Dentsu Young & Rubicam’ के चेयरमैन भी रह चुके थे

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हैप्पी बर्थडे अमेय वेलणकर: ब्रैंड्स को स्टोरीज में बदलने वाले मार्केटिंग लीडर हैं आप

देश की बदलती कॉरपोरेट और मार्केटिंग दुनिया में अमेय वेलणकर सिर्फ एक मार्केटर नहीं, बल्कि ब्रैंड्स के कहानीकार, विरासत गढ़ने वाले और बदलाव को दिशा देने वाले नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 06 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 06 September, 2025
Ameya Velankar

देश की बदलती कॉरपोरेट और मार्केटिंग दुनिया में अमेय वेलणकर सिर्फ एक मार्केटर नहीं, बल्कि ब्रैंड्स के कहानीकार, विरासत गढ़ने वाले और बदलाव को दिशा देने वाले नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।

मारिको (Marico) और एससी जॉनसन (SC Johnson) जैसे दिग्गज FMCG ब्रैंड्स के साथ अपने शुरुआती करियर में उन्होंने नई कैटेगरीज को आकार दिया। इसके बाद उन्होंने Uber India & South Asia में मार्केटिंग की कमान संभाली और वहां अपनी दूरदर्शिता और रणनीतिक सोच का शानदार उदाहरण पेश किया।

उनकी यात्रा विजन और एग्जिक्यूशन के बेहतरीन मेल का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने हर मोड़ पर बेहतरीन रणनीति जोड़ी और ऐसे कैंपेन तैयार किए जो केवल सर्विसेज देने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए।

Uber में उनका नेतृत्व इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक वैश्विक ब्रैंड को देश के शहरों की नब्ज से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने मोबिलिटी को सुलभ और आकांक्षापूर्ण (aspirational) बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनके लिए मार्केटिंग केवल मार्केट शेयर तक सीमित नहीं रही, यह भरोसा कायम करने और ऐसी कहानियां गढ़ने की रही जो लंबे समय तक याद रहें।

आज, जब अमेय वेलणकर अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं, तो उनकी यात्रा हमें याद दिलाती है कि सच्ची मार्केटिंग शोर मचाने से नहीं, बल्कि बारीकी और प्रासंगिकता (relevance) से होती है। साहस, रचनात्मकता और स्पष्ट दृष्टिकोण से बनी यह यात्रा आने वाले समय में और भी प्रेरणादायी पड़ाव तय करेगी।

समाचार4मीडिया की ओर से अमेय वेलणकर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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हैप्पी बर्थडे मनीष सिंघल: जुनून और दूरदर्शिता से आपने TV इंडस्ट्री में बनाई खास जगह

‘एंटरटेनमेंट 10 टेलीविजन’ (Enterr10 Television) और इसके प्रमुख ब्रैंड ‘दंगल टीवी’ (Dangal TV) के संस्थापक मनीष सिंघल की इंदौर से शुरू हुई यह कहानी आज वैश्विक मंच तक पहुंच चुकी है।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 05 September, 2025
Last Modified:
Friday, 05 September, 2025
Manish Singhal

देश की बदलती मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कुछ यात्राएं ऐसी रही हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है। ऐसी ही एक प्रेरणादायी यात्रा है ‘एंटरटेनमेंट 10 टेलीविजन’ (Enterr10 Television) और इसके प्रमुख ब्रैंड ‘दंगल टीवी’ (Dangal TV) के संस्थापक मनीष सिंघल की।

आज, पांच सितंबर को जब वह अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इस दिन पूरी इंडस्ट्री सिर्फ उनके जीवन का ही नहीं, बल्कि उस दूरदर्शी सोच का भी जश्न मना रही है, जिसने एक क्षेत्रीय प्रयोग को राष्ट्रीय और अब वैश्विक पहचान दिलाई।

साल 2004 में इंदौर से शुरू हुआ एंटर10 टेलीविजन, मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े मीडिया हब से काफी दूर था। मनीष सिंघल ने इसे अपने सफल टेलीकॉमर्स और शॉपिंग बिजनेस का विस्तार भर समझकर शुरू किया था, लेकिन उनकी दूरदर्शिता और मेहनत ने इसे जल्द ही भारतीय ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र का बड़ा नाम बना दिया।

वर्ष 2009 में ‘दंगल टीवी’ की शुरुआत एक भोजपुरी मूवी चैनल के रूप में हुई थी। लेकिन 2015 में मनीष सिंघल ने दर्शकों की नब्ज को पहचानते हुए इसे हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GEC) में बदलने का साहसिक कदम उठाया। यह फैसला गेमचेंजर साबित हुआ। पारिवारिक ड्रामा, पौराणिक कथाओं और क्राइम शोज के मिश्रण ने ‘दंगल’ को न सिर्फ जगह दिलाई, बल्कि कई बार दर्शक संख्या के मामले में इसे शीर्ष पर पहुंचा दिया। उनकी फिलॉसफी हमेशा रही—“दंगल बनाम दंगल।”

डिजिटल क्रांति के दौर में भी उन्होंने अवसर पहचाना और 2022 में ‘दंगल प्ले’ (Dangal Play) नाम से अपना ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। आज इसे उनके बेटे अक्षत सिंघल आगे बढ़ा रहे हैं। इस तरह पारंपरिक टीवी और नए डिजिटल दौर का संतुलन मनीष सिंघल की सोच में साफ झलकता है।

दंगल टीवी का हर ओरिजिनल शो इन-हाउस तैयार होता है। यही वजह है कि यह अकेला फ्री-टू-एयर (FTA) चैनल है, जो इतने बड़े स्तर पर नया कंटेंट खुद बनाता है। इस स्वतंत्रता ने चैनल को तेजी, क्रिएटिविटी और दर्शकों से सीधा जुड़ाव दिया है। मनीष सिंघल की अगुवाई में एंटरटेनमेंट 10 ने पिछले साल 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया और इस साल 15% वृद्धि का लक्ष्य तय किया है।

आज दंगल टीवी न केवल भारत में बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका (Sling TV समेत) और लगभग 45 देशों तक पहुंच बना चुका है। इसके अलावा तेलुगु और बांग्ला जैसे क्षेत्रीय चैनलों और ‘दंगल HD’ की योजनाओं के साथ कंपनी भविष्य की ओर बढ़ रही है। FMCG कंपनियों के लिए दंगल एक पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन चुका है। करीब 60% विज्ञापन खर्च FMCG सेक्टर से आता है। वहीं यूट्यूब और सोशल मीडिया पर भी इसकी पकड़ मजबूत है, जहां पिछले एक साल में कंटेंट की ग्रोथ ढाई गुना से ज्यादा रही है।

पारंपरिक सत्ता केंद्रों से दूर रहकर भी मनीष सिंघल ने अपने साहस, जुनून और दूरदर्शिता के दम पर भारतीय टीवी इतिहास में खास जगह बनाई है। इंदौर से शुरू हुई यह कहानी आज वैश्विक मंच तक पहुंच चुकी है। समाचार4मीडिया की ओर से मनीष सिंघल जी को उनके जन्मदिन पर ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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