एम्स में शनिवार को ली आखिरी सांस, प्रधानमंत्री नरेंदं मोदी समेत तमाम हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
‘फाइनेंसियल एक्सप्रेस' (Financial Express) के मैनेजिंग एडिटर सुनील जैन का निधन हो गया है। सुनील जैन कुछ दिनों से कोविड-19 के संक्रमण से जूझ रहे थे और दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे, जहां शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। सुनील जैन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम हस्तियों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, ‘आप हमें बहुत जल्दी छोड़कर चले गए सुनील जी। मुझे आपके कॉलम पढ़ने और विविध मामलों पर आपके स्पष्ट और व्यावहारिक विचारों को सुनने की कमी खलेगी। आपके दुखद निधन से आज पत्रकारिता कमजोर पड़ गई है। परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना। शांति।’
You left us too soon, Sunil Jain. I will miss reading your columns and hearing your frank as well as insightful views on diverse matters. You leave behind an inspiring range of work. Journalism is poorer today, with your sad demise. Condolences to family and friends. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 15, 2021
वहीं, सीएनबीसी-टीवी18 की मैनेजिंग एडिटर शीरीन भान ने ट्वीट कर कहा है, ‘बुरी खबरें लगातार आ रही हैं। कोविड संबंधी जटिलताओं के कारण आज शाम वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन का निधन हो गया है। उनसे कुछ हफ्ते पहले ही बात हुई थी। विश्वास नहीं हो रहा कि सुनील जैन नहीं रहे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।’
The bad news continues. Senior Journalist Sunil Jain passed away this evening due to covid complications. Spoke to him just a few weeks ago, can’t believe he is no more. My best to the family. May God bless him @vijayvaani
— Shereen Bhan (@ShereenBhan) May 15, 2021
बता दें कि फाइनेंसियल एक्सप्रेस को जॉइन करने से पूर्व सुनील जैन ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) अखबार में सीनियर एसोसिएट एडिटर थे। सुनील जैन ने वर्ष 1986 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद बतौर कंसल्टेंट अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह फिक्की (FICCI) में चले गए थे, जहां पर वह करीब एक साल तक एक्सपोर्ट पॉलिसी डेस्क के प्रभारी रहे थे। इसके बाद सुनील जैन ने पत्रकारिता का रुख कर लिया था, जहां उन्होंने करीब दो दशक तक काम किया।
सुनील जैन ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1991 में ‘इंडिया टुडे’ (India Today) मैगजीन में बतौर रिपोर्टर की थी। वह मैगजीन में बिजनेस एडिटर भी रहे और इसके बाद इंडियन एक्सप्रेस में चले गए, जहां पर वह बिजनेस और इकनॉमी कवरेज की कमान संभालते थे। इंडियन एक्सप्रेस में करीब छह साल काम करने के बाद उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड में करीब आठ साल तक अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर फाइनेंसियल एक्सप्रेस में आ गए थे।
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‘ऑल इंडिया रेडियो’ (AIR) की पूर्व न्यूज रीडर सरोज नारायणस्वामी का निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार को मुंबई स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। करीब 86 वर्षीय सरोज पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके परिवार में एक बेटी और एक बेटा है।
उन्होंने ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के समाचार सेवा प्रभाग की तमिल न्यूज यूनिट में बतौर तमिल न्यूज रीडर-कम ट्रांसलेटर काम किया था। वह 20 साल से ज्यादा समय तक तमिल यूनिट में न्यूज इंचार्ज रही थीं। ब्रॉडकास्टिंग जर्नलिज्म में सरोज नारायणस्वामी के योगदान के लिए वर्ष 2009 में उन्हें तमिलनाडु सरकार द्वारा कलाईमनी पुरस्कार (Kalaimamani Award) से सम्मानित किया गया था।
वह मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की आधिकारिक दुभाषिया रही थीं। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स की डिग्री के साथ सरोज नारायणस्वामी ने नई दिल्ली स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म का कोर्स किया था।
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बिहार के सारण इलाके में पुलिस द्वारा कवरेज के दौरान एक पत्रकार को पीटने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सारण जिले के गरखा थाना इलाके के औढ़ा माल गांव में पुलिस अलाउद्दीन खान (35) नामक व्यक्ति की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में जांच के लिए पहुंची थी। कथित तौर पर अलाउद्दीन खान की मौत अवैध शराब पीने से हुई थी।
इसी दौरान वहां मौजूद अनूप नामक स्थानीय पत्रकार ने पुलिस से क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री को लेकर सवाल शुरू कर दिए। बताया जाता है कि पहले तो पुलिस काफी देर तक चुप रही, इसके बाद उसने तमाम लोगों के सामने अनूप की पिटाई शुरू कर दी। इसके साथ ही पुलिस ने उसका माइक भो तोड़ डाला।
बताया जाता है कि पत्रकार की पिटाई होते देखकर गांव वाले भी आक्रोशित हो गए और उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने अनूप को पीटना बंद किया।
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जानी-मानी टीवी एंकर और पत्रकार ऋचा जैन कालरा के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दरअसल, उन्हें ‘Caparo Maruti Limited’ ( Joint Venture Between MSIL and Lord Swaraj Paul Caparo Group) और ’Caparo Engineering India Ltd’ (CEIL) में स्वतंत्र निदेशक चुना गया है।
ऋचा जैन कालरा को उनके लंबे अनुभव और दक्षता को देखते हुए लॉर्ड स्वराज पॉल के ‘Caparo India Group‘ में यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। ऋचा जैन कालरा की यह उपलब्धि इस मायने में भी खास है क्योंकि देश में गिने-चुने पत्रकार/एंकर ही खबरों के साथ-साथ कॉरपोरेट की दुनिया में भी खास मुकाम हासिल कर पाते हैं।
अपने दो दशक से भी अधिक के मीडिया सफर में उन्होंने एक से एक बेहतरीन ग्राउंड रिपोर्टिंग और शो किए हैं। सालों तक वह ‘एनडीटीवी‘ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा रही हैं।
पिछले साल उन्होंने डिजिटल की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए ‘अच्छी खबर’ (Achchi Khabar) नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है। ऋचा इस चैनल की फाउंडर और सीईओ हैं। इस चैनल पर दर्शकों को ऐसी कहानियों से रूबरू करवाया जाता है, जो न सिर्फ सकारात्मक होती हैं, बल्कि लोगों के जीवन में एक नए उत्साह और उमंग को भरने का कार्य करती हैं।
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बिहार के जमुई में बेखौफ बदमाशों द्वारा बुधवार को दिनदहाड़े गोली मारकर ‘प्रभात खबर‘ के पत्रकार गोकुल कुमार की हत्या का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोकुल कुमार (35) सिमुलतल्ला थाना क्षेत्र के लीलावरण गांव के रहने वाले थे और प्रभात खबर में रिपोर्टर के पद पर कार्यरत थे।
बताया जाता है कि मोटरसाइकिल सवार पांच हमलावर सुबह से ही गोकुल कुमार (35) के घर के नजदीक रास्ते में घात लगाकर इंतजार कर रहे थे। नाश्ता करने के बाद करीब 11 बजे जैसे ही गोकुल कुमार वहां से गुजरे, बदमाशों ने उन पर नजदीक से गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। बदमाशों ने एक गोली गोकुल कुमार की कनपटी पर, दूसरी सीने में और तीसरी पीठ में मारी।
वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पत्रकार के परिजन और पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और घायल गोकुल को इलाज के लिए जमुई के सदर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने गोकुल कुमार को मृत घोषित कर दिया।
गोकुल के पिता नागेन्द्र यादव का कहना है कि पंचायत चुनाव की रंजिश में उनके बेटे की हत्या की गई है। नागेन्द्र यादव के अनुसार, गोकुल कुमार ने इस बार पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी को मुखिया पद के लिए प्रत्याशी बनाया था, जो विरोधी खेमे को नागवार गुजरा और उन्होंने इस घटना को अंजाम दे दिया। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है और परिजनों ने जिन लोगों पर आशंका जताई है, उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
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‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) एवं ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ द्वारा बुधवार को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के उपलक्ष्य में विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। ‘विभाजन की विभीषिका’ विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि इतिहास में अगर हमसे गलतियां हुईं हैं तो उन गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
उनका कहना था कि वर्ष 1947 में देश बंट गया, लेकिन अब मुल्क नहीं बंट सकता। अब सिर्फ हिंदुस्तान रहेगा और हिंदुस्तान पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा कि कैसे सभी लोग चाहे वे किसी भी धर्म, संप्रदाय के हों, हिंदुस्तान की सरजमीं पर अमन-चैन से रह सकते हैं। यह हिंदुस्तान की जमीन की खूबी है। आज हमारी एक ही पहचान है कि हम भारतीय हैं। हम सभी मिलकर भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारत पूरी दुनिया के समक्ष एक मॉडल की तरह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं। हम दुनिया को सुख, शांति और वैभव का संदेश देने वाले देश हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में मुख्यत: विभाजन की पीड़ा को ही व्यक्त किया जाता है, लेकिन आईआईएमसी के इस आयोजन में आज एक गंभीर अकादमिक विमर्श दिखाई दे रहा है, जो एक अनुकरणीय पहल है। उन्होंने बताया कि विभाजन की विभीषिका का एक पहलू यह भी है कि विश्व की इस भयानक त्रासदी की पीड़ा झेलकर भी भारत आने वाले शरणार्थियों ने अपने अंदर मौजूद मानवता की भावना को कम नहीं होने दिया। उनके द्वारा बड़े संख्या में खोले गए स्कूल, आश्रम और अस्पताल इसके उदाहरण हैं।
वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘संडे मेल’ के पूर्व संपादक त्रिलोक दीप ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे रावलपिंडी में रहते थे और जब पाकिस्तान बना, उस समय वह करीब 12 साल के थे। उन्होंने बताया कि 1947 में होली के आसपास उन्होंने कुछ धार्मिक नारे सुने, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें अपने घरों में बंद हो जाने को कहा। बाद में बड़ी संख्या में लोगों को दो हफ्ते तक कैंपों में रखा गया। उन्होंने बताया कि इस घटना से उन्हें विभाजन का पूर्वाभास हो गया था। वे यह बताते हुए भावुक हो गए कि पत्रकार होने के नाते कैसे वे आजादी के बाद रावलपिंडी गए और अपने घर और स्कूल भी गए। उन्होंने बताया कि उन्हें उस मुल्क की बहुत याद आती है, उस जमीन की बहुत याद आती है।
वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला ने कहा कि वे एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसने विभाजन का दंश बहुत करीब से देखा और झेला है। उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि पाकिस्तान से सिर्फ हिंदू ही भारत आए, लेकिन ऐसा नहीं है। कांग्रेस विचारधारा पर यकीन रखने वाले कई मुस्लिम भी पाकिस्तान से भारत आए। उन्होंने बताया कि जो शरणार्थी भारत आए, उनका इस देश की अर्थव्यवस्था में आज बहुत बड़ा योगदान है। शरणार्थियों में ज्यादातर व्यवसाय करने वाले लोग थे।
वरिष्ठ लेखक कृष्णानंद सागर ने कहा कि विभाजन एक बहुत बड़ी त्रासदी थी, जिसकी जमीनी वास्तविकता सरकारी आंकड़ों से बहुत अलग है। उन्होंने बताया कि वे ऐसी सैकड़ों दुर्घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जहां ट्रेनों में लोगों को काटा गया, गोलीकांड हुए, लोगों को कैंपों में रखा गया और उन्हें वहां कई प्रकार की यातनाएं झेलनी पड़ीं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का जिक्र करते हुए बताया कि पुस्तक में विभाजन की त्रासदी के साक्षी रहे 350 लोगों के साक्षात्कार हैं और पुस्तक चार खंडों में प्रकाशित हुई है।
कार्यक्रम की शुरुआत में फिल्म्स डिवीजन द्वारा देश के विभाजन पर निर्मित एक लघु फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रम का संचालन उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने दिया।
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वरिष्ठ पत्रकार शिवदास श्रीवत्सन का रविवार को निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे और अपने दोस्तों और पत्रकार मंडलियों में ‘वत्सन’ के नाम से लोकप्रिय थे। बताया जा रहा है कि उन्हें सिर में चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें कोझीकोड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
श्रीवत्सन के परिवार में उनकी पत्नी रेमा व एक पुत्र दीपक हैं। वह ‘तेलंगाना टुडे’ से एसोसिएट एडिटर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने विजयवाड़ा में ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ में स्पोर्ट्स डेस्क से अपना करियर शुरू किया था। ‘द हिंदू’ में स्पोर्ट्स डेस्क में एक कार्यकाल के बाद वे न्यूज एडिटर के रूप में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ कोयंबटूर लौट आए।
एक खेल पत्रकार के तौर पर उन्होंने फिल्मों में भी गहरी रुचि ली। बाद में उन्होंने ‘द हिंदू’ में रहते हुए हैदराबाद आ गए और न्यूज एडिटर का पदभार संभाला। ‘द हिंदू’ के साथ काम करते हुए श्रीवत्सन ने कई जिम्मेदार पदों पर काम किया। वह 2021 में सेवानिवृत्त होने से पहले एसोसिएट एडिटर के रूप में ‘तेलंगाना टुडे’ में शामिल हुए।
उन्होंने दो उपन्यास ‘दि इनर कॉलिंग’ (The Inner Calling) और ‘द कंट्रीसाइड एल्बम’ (The Countryside Album) भी लिखे।
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‘पीटीसी पंजाबी‘ (PTC Punjabi) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले टेलीविजन शो ‘वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप’ (Voice Of Punjab Chhota Champ) के सीजन-8 का समापन छह अगस्त को पंजाब के मोहाली में हुआ।
इस साल संगीत के क्षेत्र की यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी अमृतसर के अर्जुन सिंह ने जीती। ‘पीटीसी पंजाबी‘ के मोहाली स्टूडियो में ‘वॉयस ऑफ पंजाब‘ सीजन-8 के ग्रैंड फिनाले में अर्जुन को विजेता घोषित किया गया, साथ ही लुधियाना की मेहकजोत कौर प्रथम उपविजेता और हिमाचल प्रदेश के रहने वाले वंश को द्वितीय उपविजेता घोषित किया गया।
‘पीटीसी नेटवर्क‘ के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष रबिन्द्र नारायण ने अर्जुन सिंह को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विजेता की ट्रॉफी प्रदान की। साथ ही उन्होंने सभी फाइनलिस्ट्स और इस सीजन में पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से भाग लेने वाले प्रतिभागियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले, पंजाब के विभिन्न हिस्सों से आए 24 प्रतियोगियों ने इस सीजन में मेगा ऑडिशन में जगह बनाई, जिसमे शीर्ष सात प्रतियोगियों को शो की जूरी द्वारा उनके अद्भुत प्रदर्शन (जो की कई स्तरों से गुजरा) के आधार पर चुना गया था। जैसे-जैसे शो आगे बढ़ा, इसकी यात्रा के दौरान कई प्रतियोगियों को विभिन्न राउंड में बाहर होना पड़ा।
'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के लिए ऑडिशन अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली जिलों में आयोजित किए गए थे। इस सीजन के जजों में मशहूर संगीत निर्देशक सचिन आहूजा, प्रसिद्ध गायक और अभिनेता अमर नूरी, गीतकार और गायक बीर सिंह शामिल थे। कलाकार हशमत सुल्ताना और अफसाना खान द्वार समापन समारोह में शानदार प्रदर्शन किया गया।
इनके अलावा, अतुल शर्मा, गुरमीत सिंह, रविंदर ग्रेवाल, सुरिंदर खान, खान साब, फिरोज खान, सज्जन अदीब, प्रीत हरपाल, ममता जोशी, इंद्रजीत निक्कू और जी खान जैसे कई कलाकार मेहमानों को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विभिन्न राउंड्स में स्पेशल जज के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
बता दें कि यह शो पंजाबी संगीत और फिल्म उद्योग को नई युवा प्रतिभाओं से जोड़ता है, साथ ही युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान करते हुए पंजाबी संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। ‘पीटीसी नेटवर्क‘ ने पहली बार 2013 में 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' रियलिटी शो की शुरुआत पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को बढ़ावा देने के अपने उद्देश्य से की थी।
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अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को नामंजूर कर दी। कोर्ट ने इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए पिछली दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मलयालम न्यूज पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। कप्पन उस समय हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे। उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कप्पन फिलहाल उत्तर प्रदेश की मधुरा जेल में बंद हैं।
गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले के एक गांव में चार लोगों ने 19 साल की एक दलित लड़की से दरिंदगी की थी, उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
पीड़िता के शव को जिला प्रशासन ने आधी रात में ही कथित रूप से मिट्टी का तेल डालकर जलवा दिया था। लड़की के परिजन ने आरोप लगाया था कि जिला प्रशासन ने उनकी मर्जी के बगैर पीड़िता का अंतिम संस्कार जबरन करा दिया।
कप्पन की जमानत याचिका को मथुरा की एक अदालत ने नामंजूर कर दिया था। उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
यूपी सरकार की ओर से कप्पन पर आरोप लगाया गया है कि वह पीएफआई के एक्टिव सदस्य हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार एवं मलयालम दैनिक अखबार ‘मेट्रो वार्ता’ के प्रधान संपादक आर. गोपीकृष्णन का निधन हो गया है। करीब 65 वर्षीय गोपीकृष्णन पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। रविवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
गोपीकृष्णन के निधन पर मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन, विपक्ष के नेता वी डी सतीशन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं और पत्रकारों ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
गोपीकृष्णन ने दैनिक अखबार ‘दीपिका’ से पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कोट्टयम और नई दिल्ली में ‘मंगलम‘ के डिप्टी एडिटर के तौर पर काम किया। बाद में उन्होंने ‘केरल कौमुदी‘ दैनिक अखबार के डिप्टी एडिटर की जिम्मेदारी भी संभाली।
गोपीकृष्णन जाने-माने लेखक भी थे। उन्होंने नई दिल्ली में एक सहकर्मी पत्रकार के साथ मिलकर डैन ब्राउन के मशहूर उपन्यास ‘दा विंची कोड’ (Da Vinci Code) का मलयालम भाषा में अनुवाद भी किया था।
वर्ष 1985 और 1988 में उन्होंने केरल सरकार से सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का पुरस्कार जीता था। इसके अलावा राजनीतिक रिपोर्टिंग के लिए उन्हें एम शिवराम पुरस्कार, वी करुणाकरण पुरस्कार, के सी सेबेस्टियन पुरस्कार, सी एच मोहम्मद कोया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
गोपीकृष्णन ने केरल से स्नातक करने के बाद बुल्गारिया में जियोर्गी दिमित्रोव इंस्टीट्यूट ऑफ जनर्लिज्म से पत्रकारिता की पढ़ाई भी की थी।
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बिहार की राजधानी पटना में एक पत्रकार द्वारा खुद को गोली मारकर जान देने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पत्रकार ने एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसमें उसने एक महिला पर आत्महत्या के लिए उकसाने समेत कई आरोप लगाए हैं। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, पटना में खगौल के गाड़ीखाना निवासी विशाल कुमार (32) लंबे समय से पटना के एक दैनिक अखबार में संवाददाता के रूप में काम कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशाल जिस मकान में रहता था, वह मकान वंदना नामक महिला का था, जिससे उसका प्रेम प्रसंग चल रहा था। आरोप है कि वंदना लंबे समय से विशाल को सुसाइड के लिए उकसा रही थी। बताया जाता है कि इस बारे में विशाल ने मेल पर सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसे उसने अपनी बहन के वॉट्सऐप पर भी भेजा है।
इस नोट में विशाल ने लिखा है कि मुझे सुसाइड के लिए वंदना और उसके बच्चों ने उकसाया है। विशाल ने लिखा है, ‘वंदना ने मुझसे कहा कि मैं घर पर लाइसेंसी पिस्टल छोड़कर आई हूं। दम है तो खुदकुशी करके दिखाओ। मैं मां के घर टीवी के सामने बैठी हूं। सभी के साथ बैठकर तुम्हारी मौत की खबर देखूंगी।‘ अपने सुसाइड नोट में विशाल ने यह भी लिखा है कि वंदना और उसने दो अक्टूबर 2020 को शादी कर ली थी। वंदना जदयू नेता है। वंदना का रसूखदारों से संपर्क है, उसने ही अपने पति की भी हत्या कराई थी।
इसके बाद विशाल ने वंदना को कई फोन किए लेकिन उसने नहीं उठाया। वंदना द्वारा कॉल न उठाए जाने के बाद विशाल ने नाराज होकर खुद को गोली मार ली। विशाल द्वारा खुद को गोली मारने की खबर मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे इलाज के लिए दानापुर स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया। विशाल की गंभीर हालत देखते हुए डाक्टरों ने उसे आईजीआईएमएस रेफर कर दिया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद देर शाम इलाज के दौरान विशाल ने दम तोड़ दिया फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
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