झारखंड के खूंटी जिला अंतर्गत कर्रा थाना क्षेत्र में एक पत्रकार के बेटे की हत्या का मामला सामने आया है।
झारखंड के खूंटी जिला अंतर्गत कर्रा थाना क्षेत्र में एक पत्रकार के बेटे की हत्या का मामला सामने आया है। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने अनिल मिश्र नामक पत्रकार के छोटे बेटे संकेत कुमार मिश्र (28) का अधजला शव लोधमा रोड स्थित छाता नदी के प्रेमघाघ जंगल से बरामद किया है। पुलिस ने मौके से शराब और पानी के बोतल तथा गिलास भी बरामद किए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपराधी सुनियोजित तरीके से संकेत को जंगल में ले गए और लाठी-डंडों से पिटाई करने के बाद गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। यही नहीं, हत्या के बाद अपराधियों ने शव को जलाने का भी प्रयास किया, जिससे शव बुरी तरह से झुलस गया।
दरअसल, कुछ ग्रामीणों ने जंगल में लावारिस अवस्था में मोपेड और युवक का अधजला शव मिलने की खबर पुलिस को दी थी। मौके पर पहुंची पुलिस को मोपेड के नंबर की जांच करने पर पता चला कि वह संकेत के ससुर नागेंद्र पाठक की है। नागेंद्र पाठक से संपर्क करने पर मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद मृतक के पिता अनिल मिश्र मौके पर पहुंचे और वहां मिले जैकेट और जूते से शव की शिनाख्त की।
बताया जाता है कि संकेत पांच जनवरी 2021 को ससुराल से कर्रा के लिए निकला था। इसके बाद वह न तो घर पहुंचा और न ही ससुराल वापस लौटा। शाम करीब पांच बजे के बाद से उसका मोबाइल भी बंद हो गया। इसके बाद गुरुवार को उसका शव बरामद हुआ।
संकेत कुमार मिश्र दो भाई और दो बहनों में सबसे छोटे थे। वर्ष 2017 में रांची पंडरा की फ्रेंड्स कॉलोनी में सीमा कुमारी के साथ उनकी शादी हुई थी। उनकी डेढ़ साल की बेटी है। वह रांची में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे।
पुलिस का कहना है कि मामले की छानबीन की जा रही है। मृतक के मोबाइल की कॉल डिटेल्स भी निकाली जा रही हैं। वहीं, पत्रकारों के कई संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की है। इसके साथ ही पीड़ित परिवार के लिए सरकार से मुआवजा भी मांगा है।
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दैनिक जागरण, आगरा के युवा फोटो पत्रकार अमित भारद्वाज का निधन हो गया है। तबीयत खराब होने पर करीब दो दिन पहले ही अमित को आगरा में सिकंदरा स्थित रेनबो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां मंगलवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
करीब 32 वर्षीय अमित लगभग पांच वर्षों से दैनिक जागरण में फोटो पत्रकार थे। बताया जाता है कि करीब एक हफ्ते पूर्व उन्हें बुखार और उल्टी की समस्या हुई थी। इस पर उन्होंने अपने फैमिली डॉक्टर से दवा ले ली। हालांकि, दवा लेने पर बुखार उतर गया था, लेकिन उल्टी आनी बंद नहीं हुई। इस बीच कराई गई कोविड की जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई। करीब दो दिन पूर्व हालत बिगड़ने पर अमित को रेनबो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनके लिवर में सूजन बताई। मंगलवार की सुबह रेनबो अस्पताल में ही अमित का निधन हो गया।
मूल रूप से आगरा के रहने वाले अमित की करीब डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी। उनके छह माह का बेटा है। अमित के निधन पर तमाम पत्रकारों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक पत्रकार पर जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेवाड़ी जिला के डहीना बस स्टैंड पर सोमवार की सुबह पत्रकार संजय कुमार पर मोटरसाइकिल सवाल चार बदमाशों ने कुल्हाड़ी से जानलेवा हमला कर उसे लहूलुहान कर दिया। संजय कुमार ने बस स्टैंड स्थित पुलिस चौकी में जाकर अपनी जान बचाई।
घटना सोमवार की सुबह करीब सवा चार बजे उस समय हुई, जब संजय कुमार बस स्टैंड स्थित एजेंसी जा रहे थे। पुलिस चौकी के जवानों ने लहूलुहान हालत में संजय कुमार को को प्राथमिक उपचार के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
गंभीर हालत को देखते हुए संजय कुमार को रेवाड़ी के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। संजय कुमार की शिकायत पर पुलिस ने चार अज्ञात बदमाशों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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‘द पॉयनियर’ की पॉलिटिकल एडिटर तविशी श्रीवास्तव का रविवार को कोविड-19 की वजह से निधन हो गया। वे 73 साल की थीं। तविशी को सांस लेने में तकलीफ और बुखार होने के बाद रविवार सुबह लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत बिगड़ने के बाद शाम को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। रात-रात होते-होते उनकी हालत इतनी बिगड़ गई, उनके सांसो की डोर टूट गई।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पॉयनियर के साथ फ्रीलांसर के रूप में की थी और बाद में कठिन परिश्रम के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए यहां तक पहुंची थीं। रविवार एडिशन में उनका कॉलम ‘उल्टा प्रदेश’ काफी लोकप्रिय था। उनके निधन पर तमाम नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने पर शोक व्यक्त किया।
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न्यूज एजेंसी पीटीआई के पूर्व खेल संपादक के जगन्नाथ राव का रविवार को निधन हो गया। वे 78 साल के थे और पिछले छह साल से कैंसर से जूझ रहे थे।
उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटी है। खेल संवाददाता होने के बावजूद राव ने 1971 में पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने सरेंडर करने की खबर ब्रेक की थी। इसके बाद बांग्लादेश का गठन हुआ था। राव 1964 से 2002 में सेवानिवृत्त होने तक पीटीआई के साथ रहे।
राव ने छह ओलंपिक और दो एशियाई खेलों के अलावा भारतीय क्रिकेट टीम का 1982-83 का पाकिस्तान का एतिहासिक दौरा कवर किया।
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कन्नड़ के लेखक, संपादक और लेक्सियोग्राफर जी वेंकटसुब्बैया का बेंगलुरु में सोमवार की सुबह निधन हो गया। वे 107 साल के थे। कन्नड़ भाषा में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री व साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
कन्नड़ साहित्यिक क्षेत्र में लोकप्रिय जी वेंकटसुबैया एक लेक्सियोग्राफर, व्याकरणिक और साहित्यिक आलोचक थे। उन्होंने 12 शब्दकोश संकलित किए हैं। उनकी रचनाओं में व्याकरण, कविता, अनुवाद और निबंध सहित कन्नड़ साहित्य के विभिन्न रूप शामिल हैं।
जी वेंकटसुब्बैया का जन्म 23 अगस्त 1913 में मांड्या जिले के गंजम गांव के श्रीरंगपटना में हुआ था। वे आठ भाई-बहनों में दूसरे स्थान पर थे। उनके पिता गंजम थिमनियाह एक प्रसिद्ध कन्नड़ और संस्कृत विद्वान थे। जी वेंकटसुब्बैया को अपने पिता से ही कन्नड़ के प्रति प्रेम की प्रेरणा मिली थी। जी वेंकटसुब्बैया की प्राथमिक स्कूली शिक्षा दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के बन्नूर और मधुगिरि के शहरों में हुई है। कन्नड़ में पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने मांड्या में एक नगरपालिका स्कूल में बतौर शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद वे दावणगेरे के एक हाई स्कूल और मैसूरु में महाराजा कॉलेज में पढ़ाने चले गए। फिर वे बेंगलुरु के विजया कॉलेज में शिफ्ट हो गए। 1973 में जी वेंकटसुब्बैया ने विजया कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद इसके मुख्य संपादक के रूप में कन्नड़-टू-कन्नड़ शब्दकोश पर काम करने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने 2011 में बेंगलुरु में आयोजित 77वें अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।
जी वेंकटसुब्बैया को उनके स्मारकीय साहित्यिक कृतियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें पद्मश्री, पम्पा पुरस्कार, साहित्य अकादमी द्वारा भाषा सम्मान, कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार और कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार शामिल हैं।
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कोरोनावायरस (कोविड-19) का कहर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। तमाम लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं और कई लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। कोरोना के संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों में कई पत्रकार भी शामिल हैं। ऐसी ही एक दुखद खबर आगरा से आई है। खबर है कि हिन्दुस्तान के आगरा एडिशन में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार बृजेन्द्र पटेल का कोरोना से निधन हो गया है।
कुछ दिनों पूर्व तबीयत खराब होने पर बृजेन्द्र पटेल ने कोविड-19 की जांच कराई थी, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, इसके बाद उन्हें आगरा के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत में थोड़ा सुधार होने पर एक-दो दिन पूर्व उन्हें एसएन अस्पताल, आगरा में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
करीब 50 वर्षीय बृजेन्द्र पटेल कानपुर के मूल निवासी थे। लगभग 25 वर्षों से मीडिया में सक्रिय बृजेन्द्र अब तक दैनिक आज, अमर उजाला और सहारा समेत तमाम मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। करीब दो साल से वह हिंदुस्तान, आगरा में अपनी भूमिका निभा रहे थे।
बृजेन्द्र पटेल के निधन पर डॉ. अनिल दीक्षित, विनोद भारद्वाज, पीपी सिंह, अवधेश माहेश्वरी, ताज प्रेस क्लब के महासचिव उपेंद्र शर्मा और राज कुमार दंडौतिया सहित तमाम पत्रकारों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के पूर्व पत्रकार जमालुद्दीन अहमद का निधन हो गया। उनके पारिवारिक सदस्यों ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि जमालुद्दीन अहमद का निधन हाल में एक बीमारी की वजह से नई दिल्ली में हुआ।
जमालुद्दीन अहमद 2007-2008 के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल में पीटीआई के ब्यूरो प्रमुख रहे। उन्होंने साथ ही यहां कई समाचार पत्रों के लिए भी काम किया।
वहीं आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अहमद के निधन पर दुख व्यक्त किया है और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना ईश्वर से की।
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हिंदी अखबार दैनिक जागरण के लखनऊ एडिशन में कार्यरत युवा पत्रकार अंकित शुक्ल का कोरोना से शुक्रवार की सुबह निधन हो गया। वे करीब 35 साल के थे और विधि संवाददाता के तौर पर दैनिक जागरण में कानूनी मामलों को कवर करते थे।
बताया जाता है कि कुछ दिनों पूर्व तबीयत खराब होने पर अंकित को लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें कोविड-19 के इलाज के लिए बने स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां इलाज के दौरान शुक्रवार की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
जानकारी के मुताबिक, अंकित लखनऊ में सुल्तानपुर रोड पर रहते थे। परिवार में पत्नी व एक बेटी है। पत्नी भी कोविड पॉजिटिव हैं और फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं।
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देश में कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। दिन प्रतिदिन आ रहे आंकड़े बेहद खौफनाक और डराने वाले हैं। हालत यह है कि इस संक्रमण की चपेट में आकर तमाम लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, वहीं विभिन्न अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने के लिए बेड की कमी भी बनी हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना के खिलाफ ‘जंग’ में अपनी भागीदारी निभाते हुए छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव प्रेस क्लब ने अपने परिसर को अस्पताल में तब्दील कर दिया है। छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में बेड की कमी के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।
30 बेड वाले कोरोना देखभाल केंद्र में तब्दील प्रेस क्लब के इस परिसर में कोविड-19 पीड़ितों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा उनके नाश्ते व खाने का भी मुफ्त इंतजाम किया गया है।
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— ANI (@ANI) April 13, 2021
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में शनिवार शाम एक पत्रकार की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में शनिवार शाम एक पत्रकार की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना करक पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के भीतर बथानी खेल क्षेत्र में हुई।
डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक की पहचान स्थानीय अखबार Sada-e-lawaghir के संयुक्त संपादक वसीम आलम के रूप में हुई है।
पीड़िता की मां की ओर से दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, आलम पर यह हमला तब हुआ, जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था। उसे बथानी खेल स्थित एक सरकारी स्कूल के पास निशाना बनाया गया। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
करक पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। इस हमले में संदिग्ध के तौर पर मृतक के पिता का नाम भी सामने आया है।
डॉन के मुताबिक, वसीम आलम के पिता न तो अस्पताल में मौजूद थे और न ही अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। अधिकारी ने आगे कहा कि वसीम आलम अपने परिवार से अलग रह रहे थे। हालांकि पत्रकार की मां ने एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिया है।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमें अब तक कोई भी ऐसा सुराग नहीं मिला है जिससे पता चलता है कि पत्रकार की हत्या पत्रकारिता के काम के लिए की गई है।’
बता दें कि दुनिया में पत्रकारों के लिए पाकिस्तान सबसे खतरनाक जगहों में से एक माना जाता है। काउंसिल ऑफ पाकिस्तान न्यूजपेपर एडिटर्स (CPNE) की मीडिया फ्रीडम रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, पिछले साल पेशेवर जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कम से कम 10 पत्रकारों की हत्या कर दी गई और कई अन्य को धमकी दी गई, कुछ का अपहरण किया गया, प्रताड़ित किया गया और गिरफ्तार किया गया था।
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