नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सख्त कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने आज देशभर में विरोध प्रदर्शन किया।
नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सख्त कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने आज देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने ED दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।
इससे पहले, ED ने मंगलवार को इस हाई प्रोफाइल मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड, डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और डोटेक्स से जुड़े सुनील भंडारी को भी आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट के अनुसार, कांग्रेस नेताओं ने AJL की ₹2,000 करोड़ की संपत्तियों पर ‘यंग इंडियन’ नामक निजी कंपनी के माध्यम से केवल ₹50 लाख में नियंत्रण प्राप्त करने के लिए आपराधिक साजिश रची। यंग इंडियन में सोनिया और राहुल गांधी के पास 38-38% हिस्सेदारी है, जबकि शेष 24% दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास थी। ED के मुताबिक, इन नेताओं ने एआईसीसी द्वारा AJL को दिए गए ₹90.21 करोड़ के कर्ज को ₹9.02 करोड़ की इक्विटी में बदला और फिर वह पूरी हिस्सेदारी यंग इंडियन को ₹50 लाख में हस्तांतरित कर दी गई।
एजेंसी का दावा है कि इस प्रक्रिया से ‘अपराध से अर्जित आय’ ₹988 करोड़ रही और संबंधित संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य ₹5,000 करोड़ है। 12 अप्रैल को ED ने दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में स्थित ₹661 करोड़ की अचल संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
एजेंसी ने अपने आरोपपत्र में पीएमएलए की धाराओं 44, 45, और 70 के तहत अपराध की बात कही है और पीएमएलए की धारा 4 के तहत सजा की मांग की है, जिसके तहत सात साल तक की कैद हो सकती है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में यह मामला चल रहा है और इसकी अगली सुनवाई 25 अप्रैल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी। कोर्ट ने ED से मामले की केस डायरी भी तलब की है।
ED ने यह भी कहा है कि यंग इंडियन को कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत ‘गैर-लाभकारी’ संस्था के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन जांच में यह सामने आया है कि कंपनी ने कभी कोई धर्मार्थ गतिविधि नहीं की और घोषित उद्देश्यों पर कोई खर्च नहीं किया गया। जांच में यह भी कहा गया है कि यंग इंडियन ने 414 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी की है, जो 2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश पर आधारित है।
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहनकर किया गया राज्य प्रायोजित अपराध है। यह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा बदले की राजनीति और धमकाने का प्रयास है, लेकिन कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा।”
वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप दोहराए हैं। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “ED का मतलब अब ‘डकैती तथा वंशवाद का अधिकार’ नहीं है। जिन्होंने जनता की संपत्ति को हड़पने का काम किया है, उन्हें अब उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
इसी बीच, मंगलवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा भी ED के ऑफिस पहुंचे, जहां उनसे गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड घोटाले को लेकर पूछताछ की गई।
14 अप्रैल को राहुल गांधी और सोनिया गांधी डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर संसद परिसर पहुंचे थे, जहां उन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। अब वहीं, दोनों नेता एक बार फिर जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं और इस कानूनी लड़ाई की अगली कड़ी अदालत में तय होगी।
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ द्वारा ‘भारतीय विज्ञापन मानक परिषद’ (एएससीआई) के साथ मिलकर मेगा फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया।
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को ‘भारतीय विज्ञापन मानक परिषद’ (एएससीआई) के साथ मिलकर मेगा फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया गया। आईआईएमसी के नई दिल्ली परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य मीडिया, विज्ञापन, विपणन, कानून और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखने वाले विभिन्न संस्थानों के संकाय सदस्यों को जिम्मेदार विज्ञापन, स्व-नियमन और उभरते मीडिया परिदृश्य के सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील बनाना था।
कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव सी. सेंथिल राजन, आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर, एएससीआई की सीईओ और महासचिव मनीषा कपूर और नेस्ले के निदेशक एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रणनीति, विपणन एवं संचार) चंदन मुखर्जी ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईएमसी के कुलसचिव डॉ. निमिष रुस्तगी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सी. सेंथिल राजन ने कंटेंट क्रिएटर्स को विज्ञापन संहिताओं और नैतिक नियमों के आवश्यक ज्ञान से लैस करने के लिए नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक कंटेंट क्रिएटर को विज्ञापन को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों को समझना चाहिए। आईआईएमसी भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से हैं, जो विज्ञापन एवं संचार के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर्स तैयार कर रहा है और इस तरह की कार्यशाला ऐसे क्रिएटिव माइंड्स के कौशल को निखारती है और उनकी जागरूकता बढ़ाती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस तरह की और अधिक कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का समर्थन करते हुए प्रसन्नता अनुभव करेगा, ताकि छात्रों और प्राध्यापकों को विज्ञापन उद्योग की नैतिकता से अवगत कराया जा सके।’ उन्होंने प्रतिभागियों को रचनात्मक क्षेत्रों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मुंबई में Indian Institute of Creative Technology की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी।
डॉ. अनुपमा भटनागर ने अपने संबोधन में नैतिक विज्ञापन की शिक्षा पर बल देते हुए प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इन सीखों को अपनी शिक्षण पद्धति में शामिल करें। उन्होंने कहा, ’हम अपने विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमताओं को निखारने के साथ-साथ उनमें नैतिक मूल्यों की समझ भी विकसित करना चाहते हैं। विद्यार्थियों को यह समझना चाहिए कि अच्छा विज्ञापन क्या होता है और भ्रामक प्रचार से कैसे बचा जाए।’
मनीषा कपूर ने स्व-नियमन की भूमिका और डिजिटल युग में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ’यह संयुक्त एफडीपी विज्ञापन में उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित करने की दिशा में एएससीआई की प्रतिबद्धता का परिचायक है। प्रशिक्षित प्राध्यापक इन शिक्षाओं को विद्यार्थियों तक पहुंचाएंगे, जो भविष्य के विज्ञापन पेशेवर बनेंगे। हम आईआईएमसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर गौरवान्वित हैं।’
चंदन मुखर्जी ने जिम्मेदार विज्ञापन और ब्रैंड की विश्वसनीयता बनाए रखने में नैतिकता की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा, ’विज्ञापन केवल उत्पाद बेचने का माध्यम नहीं है, यह समाज के साथ विश्वास का रिश्ता बनाने का माध्यम है।’
डॉ. निमिष रुस्तगी ने कहा, ’डिजिटल युग में विज्ञापन में नैतिकता की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उपभोक्ता व्यवहार के आंकड़ों का विश्लेषण कर विज्ञापनदाता जो शक्ति प्राप्त करते हैं, वह उन्हें और अधिक जवाबदेह बनाती है। नैतिकता ही एकमात्र मूल्य है, जो उपभोक्ता कल्याण को बनाए रख सकती है और उनकी स्वायत्तता का सम्मान कर सकती है।’
दिन भर चले इस कार्यक्रम में ’जिम्मेदार विज्ञापन की आवश्यकता’, ’एएससीआई कोड’, ’उत्तरदायी से जिम्मेदार विज्ञापन की ओर’ और ’एएससीआई की उभरती भूमिका’ जैसे विषयों पर ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किए गए, जिससे प्रतिभागियों को विज्ञापन उद्योग में नैतिक मानकों और स्व-नियमन की व्यापक समझ मिली। इन ज्ञानवर्धक सत्रों का संचालन भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) में निदेशक (ऑपरेशंस) डॉ. सहेली सिन्हा ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को विज्ञापन में स्व-नियमन के सिद्धांतों और प्रथाओं की गहरी समझ प्रदान की।
कार्यक्रम के संबंध में एएससीआई अकादमी की निदेशक नम्रता बचानी ने कहा, ’यह संयुक्त मेगा एफडीपी विज्ञापन में विश्वास बनाए रखने के प्रति एएससीआई की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। कार्यशाला में प्रशिक्षित प्राध्यापक इस ज्ञान को विद्यार्थियों तक पहुंचाएंगे, जो भविष्य के विज्ञापन पेशेवर बनेंगे। हमें इस पहल के लिए आईआईएमसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ साझेदारी कर प्रसन्नता हो रही है।’
कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र का संचालन आईआईएमसी की सह प्राध्यापक डॉ. मीता उज्जैन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन एफडीपी के संयोजक प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने दिया। इस कार्यक्रम में भारत के विभिन्न संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 98 संकाय सदस्यों ने भाग लिया।
यह कार्यक्रम विज्ञापन एवं मीडिया शिक्षा में नैतिक अनुशासन, जवाबदेही तथा नियामक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) एवं ‘भारतीय विज्ञापन मानक परिषद’ (ASCI) द्वारा 4 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली स्थित आईआईएमसी परिसर में एक दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम विज्ञापन एवं मीडिया शिक्षा में नैतिक अनुशासन, जवाबदेही तथा नियामक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह एफडीपी, आईआईएमसी और एएससीआई की उस व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसके तहत शिक्षकों को सशक्त किया जाएगा, ताकि वे भावी विज्ञापन पेशेवरों को वैचारिक रूप से सजग, ज़िम्मेदार और नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण मार्गदर्शन दे सकें।
कार्यक्रम में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव सी. सेन्थिल राजन, आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर, एएससीआई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं महासचिव मनीषा कपूर सहित कई विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ संकाय सदस्य उपस्थित रहेंगे। दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में मीडिया, संचार, विज्ञापन, विधि, प्रबंधन एवं विपणन विषयों का शिक्षण करने वाले लगभग 100 संकाय सदस्य इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
आईआईएमसी की कुलपति डॉ. अनुपमा भटनागर ने बताया, ‘मीडिया एवं संचार शिक्षा के क्षेत्र में देश का सबसे अग्रणी संस्थान होने के नाते, आईआईएमसी भावी संप्रेषकों में नैतिक जागरूकता एवं सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति प्रतिबद्धता विकसित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। वर्तमान मीडिया परिदृश्य में यह आवश्यक हो गया है कि विज्ञापन पेशेवर न केवल रचनात्मक दृष्टि से समृद्ध हों, बल्कि नैतिक दृष्टिकोण से भी संतुलित हों। एएससीआई के साथ इस साझेदारी के माध्यम से हम शिक्षकों को ऐसे उपकरण एवं ज्ञान प्रदान करना चाहते हैं, जो अगली पीढ़ी में जिम्मेदार विज्ञापन मूल्यों को स्थापित करने के लिए आवश्यक हैं। यह कार्यक्रम शैक्षणिक विमर्श में औद्योगिक मानकों एवं नियामक संरचनाओं के एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’
’एएससीआई’ की सीईओ एवं महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ’पिछले कुछ दशकों में भारत के मीडिया परिदृश्य का अत्यंत तीव्र विस्तार हुआ है, जिसके साथ-साथ विज्ञापन की मात्रा एवं विविधता में भी व्यापक वृद्धि हुई है। ऐसे समय में उपभोक्ताओं को भ्रामक अथवा गुमराह करने वाली प्रचार सामग्री से सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी नियमन आवश्यक है। एएससीआई कोड समय के साथ इंडस्ट्री और उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित होता रहा है। इस क्रम में हम भारतीय जन संचार संस्थान के साथ मिलकर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने की इस पहल में सहभागी बनकर अत्यंत प्रसन्न हैं, ताकि वे भावी विज्ञापन विशेषज्ञों एवं नेतृत्वकर्ताओं को तैयार कर सकें।’
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. प्रमोद कुमार के अनुसार, ’इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में विज्ञापन की नैतिकता, स्वनियमन तंत्र, एएससीआई संहिता, तथा विज्ञापन विमर्श के निर्माण में मीडिया शिक्षकों की भूमिका जैसे विषयों पर विविध सत्र आयोजित किए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि यह आयोजन आईआईएमसी की उस कार्यनीति को सुदृढ़ करता है, जिसके अंतर्गत शैक्षणिक और औद्योगिक सहयोग के माध्यम से विद्यार्थियों को केवल व्यावसायिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि नैतिक नेतृत्व के लिए भी तैयार किया जाता है।’
जितेन्द्र बच्चन करीब 38 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े हैं। दो पत्रकार संगठनों के अध्यक्ष भी रहे और वर्तमान में ‘राष्ट्रीय जनमोर्चा’ के संपादक हैं।
वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए ‘तिरंगा गौरव’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। लाजपतनगर स्थित नेशनल पार्क के लाजपत भवन ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह में यह सम्मान उन्हें इंटरनेशनल वेलफेयर ह्यूमन राइट फाउंडेशन के चेयरमैन व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ राम अवतार शर्मा, डायरेक्टर डॉ कबीर टाइगर व मुंबई से आई श्रुति सिंह ने दिया।
बता दें कि जितेन्द्र बच्चन करीब 38 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े हैं। वह ‘दैनिक जागरण‘, ‘पंजाब केसरी‘,‘हिन्दुस्थान समाचार‘ में कई बड़े पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। दो पत्रकार संगठनों के अध्यक्ष भी रहे और वर्तमान में ‘राष्ट्रीय जनमोर्चा’ के संपादक हैं। इसके अलावा राजनीति, अपराध और समसामयिक विषयों पर निरंतर लेखन कर रहे हैं।
पूर्व में जितेन्द्र बच्चन को ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुरस्कार’ और ‘भारत गौरव अवार्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा कई सामाजिक संस्थाओं, प्रशासनिक अधिकारियों व प्रतिष्ठानों द्वारा उन्हें पत्रकारिता व समाज सेवा के लिए पुरस्कृत व सम्मानित किया गया है।
कार्यक्रम में शंकर जालान, रमेश वशिष्ठ, प्रोफेसर संदीप सिंह, श्रीनिवास तिवारी, मयंक जैन, डॉ सीमा गुप्ता आदि उपस्थित थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में सात दशक से भी अधिक लंबा और गौरवशाली सफर तय कर चुके दासु कृष्णमूर्ति मंगलवार को 100 वर्ष के हो गए हैं।
पत्रकारिता के क्षेत्र में सात दशक से भी अधिक लंबा और गौरवशाली सफर तय कर चुके दासु कृष्णमूर्ति मंगलवार को 100 वर्ष के हो गए हैं। भारत में प्रिंट मीडिया की कई अहम परंपराओं के साक्षी और वाहक रहे कृष्णमूर्ति आज भी सक्रिय हैं और अपनी तेज स्मृति व ऊर्जा के साथ कंप्यूटर पर कई घंटे बिताते हैं।
पत्रकारिता परिवार से थे दासु
पत्रकारों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले दासु कृष्णमूर्ति ने 1954–55 में हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डी. फॉरेस्ट ओ’डेल के मार्गदर्शन में पहली पत्रकारिता बैच में दाखिला लिया और अपनी कक्षा में टॉप किया। उसी दौरान उन्होंने द टाइम्स ऑफ इंडिया में इंटर्नशिप की, जहां उन्हें महान संपादक फ्रैंक मोरेस से प्रशंसा मिली।
द इंडियन एक्सप्रेस से की ऐतिहासिक शुरुआत
अपने करियर की शुरुआत उन्होंने द सेंटिनल, द डेक्कन क्रॉनिकल और द डेली न्यूज से की, इसके बाद वे द इंडियन एक्सप्रेस में चीफ सब-एडिटर बने। यहां उन्होंने 1959 में विजयवाड़ा संस्करण की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ समय अहमदाबाद में टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बिताने के बाद वे 1969 में दिल्ली आ गए और वहां पैट्रियट में करीब दो दशक तक काम किया।
दिल्ली की पत्रकारिता बिरादरी में उन्हें ‘डेस्कमैन एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ के रूप में जाना गया, खासकर उनके शानदार पेज लेआउट स्किल्स के लिए।
पत्रकारिता के शिक्षक और लेखक
सक्रिय पत्रकारिता से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपने अनुभवों को शिक्षा के माध्यम से साझा किया। वे दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) में एसोसिएट प्रोफेसर रहे और बाद में हैदराबाद विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश ओपन यूनिवर्सिटी और भावन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म में भी पढ़ाया। इसी दौरान उन्होंने मीडिया और संचार से जुड़े विषयों पर लगातार लेखन जारी रखा।
अमेरिका में भी रहा लेखन का सफर जारी
2001 में जब वे 75 वर्ष के थे, तब वे अमेरिका चले गए और लेखन में पूरी तरह रम गए। उन्होंने अपनी बेटी ताम्रपर्णी दासु के साथ मिलकर ‘इंडिया राइट्स’ नामक पहल शुरू की, जिसका मकसद तेलुगु लघुकथा लेखकों के कार्यों का अंग्रेजी में अनुवाद कर उन्हें वैश्विक मंच पर पहुंचाना था।
उन्होंने अब तक तीन किताबें प्रकाशित की हैं:
Santoshabad Passenger 1947 and Other Stories (2010)
The Seaside Bride and Other Stories (2019)
Ten Greatest Telugu Stories Ever Told (2022)
फिलहाल वे अपनी आत्मकथा पर काम कर रहे हैं।
100 की उम्र में भी प्रेरणास्रोत
आज भी वे शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं और उनकी स्मरणशक्ति चौंकाने वाली है। कुछ ही महीने पहले उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी के मौजूदा पत्रकारिता छात्रों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया। 1954–55 के पूर्व छात्र का 2024–25 की बैच से संवाद इतिहास और प्रेरणा का अद्भुत क्षण बन गया। छात्रों ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया।
दासु कृष्णमूर्ति का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्चा पत्रकार समय से परे होता है। वह समाज को दिशा देता है, सोच को आकार देता है और पीढ़ियों को जोड़ता है।
एक महिला पत्रकार व लेखिका की आत्महत्या की खबर को लेकर मीडिया कवरेज की शैली पर देशभर की महिला पत्रकारों ने कड़ा विरोध दर्ज किया है।
एक महिला पत्रकार व लेखिका की आत्महत्या की खबर को लेकर मीडिया कवरेज की शैली पर देशभर की महिला पत्रकारों ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। 'द हिन्दू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कलेक्टिव ऑफ वुमन जर्नलिस्ट्स’ के बैनर तले एकजुट होकर उन्होंने महिला पत्रकार की नाबालिग बेटी की पहचान उजागर करने वाले सभी कंटेंट को तत्काल हटाने की मांग की है और इसे कानून व पत्रकारिता की नैतिकता का गंभीर उल्लंघन बताया है।
सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न मीडिया संस्थानों से जुड़ी वरिष्ठ महिला पत्रकारों ने कहा कि इस मामले में जिस तरह से नाबालिग लड़की की तस्वीरें, नाम और यहां तक कि उसके स्कूल का नाम भी सार्वजनिक कर दिया गया, वह POCSO एक्ट के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है। यदि कोई कानूनी कार्रवाई करता है तो संपादक से लेकर सभी संबंधित कर्मचारी कटघरे में होंगे।
‘भूमिका कलेक्टिव’ से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता सत्यवती कोंडावीती ने बताया कि उन्होंने इस रिपोर्टिंग को लेकर साइबर क्राइम यूनिट और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में पहले ही शिकायत दर्ज करा दी है। उन्होंने कहा कि POCSO अधिनियम के अनुसार, नाबालिग बच्चों की पहचान, नाम और उनके माता-पिता की पहचान को सार्वजनिक करना पूरी तरह गैरकानूनी है, लेकिन इस मामले में मीडिया ने सारी सीमाएं लांघ दीं।
पत्रकार वाई. कृष्णा ज्योति ने रिपोर्टिंग की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आत्महत्या को अपराध बताना बंद किया जाना चाहिए और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार, ‘committed suicide’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी न किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति अदालत का रुख करता है तो कॉपी एडिटर सहित हर जिम्मेदार पत्रकार को जवाब देना पड़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी द्वारा लिखा गया पत्र भी खुले तौर पर प्रसारित किया गया, जो कानूनी रूप से पूरी तरह गलत है।
वरिष्ठ पत्रकार सी. वनेजा ने कहा कि रिपोर्टिंग न केवल संवेदनशील और नैतिक होनी चाहिए, बल्कि देश के कानूनों के अनुरूप भी होनी चाहिए। उन्होंने पुलिस को सलाह दी कि इस मुद्दे पर मीडिया से प्रेस कॉन्फ्रेंस करना बंद करे और राजनेताओं से अपील की कि वे इस मामले का राजनीतिकरण न करें।
पत्रकार कविता कट्टा ने मीडिया से पीड़िता के चरित्र हनन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की, जबकि पत्रकार राजेश्वरी कल्याणम ने कहा कि अब पत्रकारिता और झांकझांक में फर्क मिटता जा रहा है। उन्होंने लीगेसी मीडिया संस्थानों से तुरंत नाबालिग बच्ची से जुड़ा सारा विजुअल हटाने की मांग की, क्योंकि उनके प्लेटफॉर्म्स की पहुंच बेहद व्यापक है।
करीब 50 महिला पत्रकारों ने मिलकर संपादकों और मीडिया संस्थानों के प्रबंधन के नाम एक ओपन लेटर जारी किया, जिसमें घटना की गैर-जिम्मेदार और अमानवीय रिपोर्टिंग पर गहरा आक्रोश जताया गया है। पत्र में कहा गया कि सनसनीखेज हेडलाइन, भड़काऊ नैरेटिव और नाबालिग लड़की की तस्वीरों वाले थंबनेल्स पत्रकारिता की नैतिकता और मानवीय गरिमा दोनों का उल्लंघन हैं।
पत्रकारों ने तीन प्रमुख मांगें रखीं—
नाबालिग बच्ची से जुड़ी सभी तस्वीरें, वीडियो और थंबनेल्स को तुरंत हटाया जाए,
परिवार और पत्रकार समुदाय से सार्वजनिक माफी मांगी जाए,
महिला और बच्चों से जुड़ी संवेदनशील रिपोर्टिंग पर एडिटोरियल टीम को दोबारा प्रशिक्षित किया जाए।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि इन मांगों को नहीं माना गया, तो वे कानूनी, नियामकीय और पेशेवर हर स्तर पर कार्रवाई करेंगी ताकि ऐसे मीडिया संस्थानों को जवाबदेह ठहराया जा सके।
प्राजक्ता कोली का सफर सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर की कहानी नहीं है, बल्कि वो मिसाल है जो आज के युवाओं को ये भरोसा देती है कि असली सफलता सिर्फ व्यूज से नहीं, विश्वास से बनती है।
यूट्यूब सेंसेशन, रेडियो जॉकी, एक्ट्रेस, ऑथर और अब चेंजमेकर प्राजक्ता कोली का सफर सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर की कहानी नहीं है, बल्कि वो मिसाल है जो आज के युवाओं को ये भरोसा देती है कि असली सफलता सिर्फ व्यूज से नहीं, विश्वास से बनती है। 27 जून 2025 को प्राजक्ता ने अपना 32वां जन्मदिन मनाया, एक ऐसा साल जिसमें उन्होंने फिर साबित किया कि कैसे जमीनी स्तर पर रहकर भी ग्लोबल इम्पैक्ट बनाया जा सकता है।
'MostlySane' से मिशन सेंस तक
2015 में यूट्यूब चैनल ‘MostlySane’ की शुरुआत से लेकर आज 7.2 मिलियन यूट्यूब सब्सक्राइबर्स और 8 मिलियन इंस्टाग्राम फॉलोअर्स तक का सफर उन्होंने अपनी सच्चाई और सादगी से तय किया है। उनका कंटेंट सिर्फ हंसी तक सीमित नहीं, उसमें संवेदना, समझ और समाज के लिए एक सोच भी होती है। चाहे Gillette Venus के साथ लंबी भागीदारी हो, Bata Floatz के quirky ब्रांड फिल्म हों या फिर UNDP India के साथ बतौर Youth Climate Champion काम करना- हर कैंपेन में उनके कंटेंट की गहराई साफ दिखती है।
नेटफ्लिक्स से नॉवेल तक
2020 में आई उनकी शॉर्ट फिल्म 'खयाली पुलाव' और फिर नेटफ्लिक्स की हिट वेब सीरीज ‘Mismatched’ में डिंपल का किरदार निभाकर उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में भी अपनी जगह पक्की की। इसके बाद करण जौहर की फिल्म ‘जुग जुग जियो’ में भी वह नजर आईं। रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी प्रति प्रोजेक्ट फीस करीब ₹30 लाख तक पहुंच चुकी है।
2023 में उन्होंने अपने राइटिंग स्किल्स का भी परिचय दिया और अपनी पहली किताब ‘Too Good To Be True’ लॉन्च की। भले ही किताब को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, लेकिन उन्होंने बिना किसी डर के क्रिएटिव एक्सपेरिमेंट किया- ठीक वैसे ही जैसे वो हमेशा कहती हैं, "learn in public."
असरदार और जिम्मेदार दोनों
प्राजक्ता उन गिने-चुने भारतीय क्रिएटर्स में हैं जिन्होंने प्रभाव और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाकर रखा है। Cadbury के बिलबोर्ड्स से लेकर 1 Billion Followers Summit, Dubai में भारत का प्रतिनिधित्व करने तक, वो केवल ट्रेंड्स के पीछे नहीं भागतीं, बल्कि ट्रेंड से आगे की बात करती हैं।
आज उनकी नेट वर्थ ₹16 करोड़ के करीब आंकी जाती है। Forbes 30 Under 30, Femina Star Influencer, NDTV Climate Influencer of the Year जैसे कई सम्मान उनके नाम हैं और यह सिलसिला थमने वाला नहीं है।
पर्सनल लाइफ में भी नई शुरुआत
इस साल फरवरी में उन्होंने अपने लॉन्गटाइम पार्टनर वृषांक खनाल के साथ एक निजी, लेकिन बेहद खूबसूरत समारोह में शादी रचाई, जहां कैमरे कम और जज्बात ज्यादा थे।
प्राजक्ता कोली की कहानी उस दुनिया का हिस्सा है, जहां कंटेंट से ज्यादा कॉमिटमेंट मायने रखता है और जहां स्क्रीन के पीछे भी एक ईमानदार आवाज अपना असर छोड़ती है।
जनमदिन की ढेरों शुभकामनाएं, प्राजक्ता! आप न सिर्फ इंटरनेट की आइकन हैं, बल्कि इस दौर की एक जरूरत भी, जहां लोगों को ऐसा रोल मॉडल चाहिए, जो जब कैमरा बंद हो, तब भी क्लैप डिजर्व करे।
कोच्चि में शनिवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि विजुअल और प्रिंट मीडिया में काम करने वाले पत्रकार आज कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
कोच्चि में शनिवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि विजुअल और प्रिंट मीडिया में काम करने वाले पत्रकार आज कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सूचना तकनीक के तेज विकास और सोशल मीडिया के विस्तार ने पत्रकारों के कार्यक्षेत्र को जटिल बना दिया है। उन्होंने यह बात केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) द्वारा आयोजित पत्रकार कल्याण कोष के उद्घाटन समारोह में कही।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भले ही पत्रकारों को लोकतंत्र के संरक्षक कहा जाता है, लेकिन आज वे अपने ही पेशे में असुरक्षा और दबाव का सामना कर रहे हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैंकिंग गिरती जा रही है और इसके साथ ही पत्रकारों के अधिकार भी कम हो रहे हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की “श्रम विरोधी नीतियां” इस संकट को और गहरा बना रही हैं। विजयन ने कहा, “वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट” को लेबर कोड में विलय करने की कोशिश हो रही है और पत्रकारों को बेहतर वेतन दिलाने के लिए बनाए गए वेतन आयोग (Wage Board) के भविष्य को लेकर भी गंभीर चिंताएं उठ रही हैं,”
मुख्यमंत्री ने KUWJ को अपना खुद का वेलफेयर फंड शुरू करने के लिए बधाई दी और इसे वर्तमान कठिन समय में पत्रकारों के लिए “सर्वाइवल का सही कदम” करार दिया। उन्होंने कहा कि संकट के समय पत्रकारों और उनके परिवारों की मदद करने का यह निर्णय आपसी संवेदनशीलता और सहयोग की भावना को दर्शाता है।
विजयन ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार और पत्रकारों के बीच कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे बातचीत से सुलझाया न जा सके। उन्होंने कहा कि पत्रकार पेंशन योजना से जुड़े सभी मुद्दे बातचीत के जरिए हल किए जा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने KUWJ द्वारा शुरू किए गए Breaking D (ड्रग्स के खिलाफ एक विशेष कैंपेन) की भी सराहना की।
समाज को भी निभानी होगी भूमिका: विपक्ष नेता वी.डी. सतीशन
KUWJ के Breaking D कैंपेन का उद्घाटन करते हुए विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने कहा कि नशे के खिलाफ केवल सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई काफी नहीं है, समाज को भी इस दिशा में जागरूकता लाने की जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने KUWJ के पत्रकार कल्याण कोष को एक “आदर्श मॉडल” बताया, जिसे अन्य संस्थानों को भी अपनाना चाहिए।
सतीशन ने कहा, “यह कोष पत्रकारों की अपने साथियों के प्रति करुणा और सहानुभूति का प्रतीक है। इस तरह की पहलें समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।”
इस पूरे आयोजन ने न सिर्फ पत्रकारिता पेशे की वर्तमान चुनौतियों को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि एकजुटता और जिम्मेदारी के साथ मिलकर काम करने से समाधान की राह निकाली जा सकती है।
गुवाहाटी के एक पत्रकार पर की गई टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे असम सरकार के मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने रविवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
गुवाहाटी के एक पत्रकार पर की गई टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे असम सरकार के मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने रविवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। शुक्रवार को प्रेस क्लब में दिए उनके बयान ने राज्यभर के पत्रकारों और मीडिया संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी थी।
जयंत मल्ला बरुआ, जो वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (Public Health Engineering) के मंत्री हैं, ने सोशल मीडिया पर माफी पोस्ट करते हुए स्पष्ट किया कि उनका इरादा समूचे मीडिया समुदाय का अपमान करने का नहीं था। उन्होंने लिखा, “हमारे परिवार का मीडिया से बहुत पुराना जुड़ाव रहा है। मेरे पिता ने दैनिक असम के लिए 22 वर्षों तक संवाददाता के रूप में काम किया। बचपन से ही मेरा पत्रकारों के प्रति गहरा सम्मान रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “निराशा के एक क्षण में मुझसे ऐसी बात निकल गई जो नहीं कहनी चाहिए थी। मेरी बात एक व्यक्ति के लिए थी, लेकिन अगर इससे पूरे पत्रकार समुदाय को ठेस पहुंची है, तो यह मेरे लिए दुखद है।”
दरअसल, शुक्रवार को गुवाहाटी प्रेस क्लब में एक पत्रकार वार्ता के दौरान एक रिपोर्टर द्वारा पूछे गए सवाल पर बरुआ ने कथित तौर पर जवाब दिया था कि वह “निम्न वर्ग के व्यक्ति” (lower-class person) से बात नहीं करेंगे और सवाल का जवाब तब देंगे जब उसका “मालिक” पूछेगा। इस बयान ने पत्रकार समुदाय में गहरी नाराजगी फैला दी।
पत्रकार संगठनों का विरोध और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मीडिया एसोसिएशन ऑफ असम (MAA) और गुवाहाटी प्रेस क्लब सहित कई संगठनों ने इस टिप्पणी को “अपमानजनक और अस्वीकार्य” करार दिया। गुवाहाटी प्रेस क्लब की अध्यक्ष सुस्मिता गोस्वामी ने कहा, “किसी पत्रकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना और उसे अपमानित करना एक मंत्री के स्तर के व्यक्ति के लिए शोभा नहीं देता। अगर मंत्री सवालों से असहज हैं, तो उन्हें मीडिया को आमंत्रित ही नहीं करना चाहिए।” क्लब ने पत्रकारों से आह्वान किया कि जब तक मंत्री सार्वजनिक माफी नहीं मांगते, तब तक वे उनका बहिष्कार करें।
शनिवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “किसी को भी पत्रकारों का अपमान करने का अधिकार नहीं है। मुझे नहीं पता जयंत मल्ला बरुआ ने क्या कहा, लेकिन अगर उन्होंने कुछ अनुचित कहा है तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए। मैं उनसे ऐसा करने को कहूंगा। और अगर कोई गलती हुई है, तो मैं भी क्षमा मांगता हूं।”
बरुआ का बचाव और आरोप
वहीं दूसरी ओर, मंत्री बरुआ ने आरोप लगाया कि संबंधित मीडिया समूह का एक वरिष्ठ संपादक इस पूरे विवाद का इस्तेमाल उनकी छवि खराब करने के लिए कर रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि प्रेस वार्ता की पूरी वीडियो क्लिप देखें और स्वयं तय करें कि संवाद कैसा था।
बरुआ के समर्थन में असम सरकार के कैबिनेट मंत्री पीयूष हजारिका सामने आए। उन्होंने कहा कि बरुआ द्वारा इस्तेमाल किया गया “निम्न वर्ग” वाला शब्द संभवतः पत्रकार की उम्र या अनुभव को लेकर था, न कि सामाजिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में। हजारिका ने सफाई दी कि उन्होंने शायद पत्रकार की आयु को लेकर वह शब्द कहा, न कि उसके सामाजिक दर्जे को लेकर।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर सत्ता और मीडिया के बीच संबंधों में संवेदनशीलता की जरूरत को रेखांकित किया है, जहां संवाद और आलोचना की मर्यादा दोनों पक्षों द्वारा बरकरार रखना जरूरी है।
लंदन में रविवार, 29 जून को 'We The Women' फेस्टिवल के पहले संस्करण का शानदार शुभारंभ हुआ।
लंदन में रविवार, 29 जून को 'We The Women' फेस्टिवल के पहले संस्करण का शानदार शुभारंभ हुआ। 'Vedanta' द्वारा प्रस्तुत और Mojo Story के लाइव स्ट्रीम के जरिए दुनिया तक पहुंचता यह प्रतिष्ठित समारोह, महिलाओं की उपलब्धियों, नेतृत्व और बदलाव की कहानियों को समर्पित है।
पूरे दिन तीन सत्रों में आयोजित हुए इस फेस्टिवल में राजनीति, कला, फिल्म, संगीत और कॉमेडी जगत की दिग्गज हस्तियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र की शुरुआत ढोल प्लेयर पारव कौर से हुई, जिन्होंने अपनी धुनों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने अपनी यात्रा को "रॉ, रियल और रिलेेंटलेस" बताते हुए दर्शकों से दिल से जुड़ाव कायम किया। कलाकार दंपति सुबोध गुप्ता और भारती खेर ने अपनी रचनात्मक साझेदारी की झलक पेश की।
Souparnika Nair की प्रस्तुति को "पिच परफेक्ट प्रोडिजी" कहा गया, जबकि डिजिटल प्रभाव और यूट्यूब की दुनिया पर TS अनिल, आकाश मेहता, राघव चड्ढा और मल्लिका कपूर ने संवाद किया। मशहूर सितार वादक अनुष्का शंकर ने अपने सत्र में "The Pulse. Power. Transformation" की बात की।
दोपहर के सत्र में ब्रिटिश-एशियन कॉमेडियन सिंधु वी, लेखिका व कलाकार मीरा सायल, वेदांता की प्रिया अग्रवाल हेब्बर और फिल्ममेकर करण जौहर जैसे दिग्गज मंच पर आए। इस सत्र की खास पेशकश रही स्मृति ईरानी और करण जौहर की साझा बातचीत, जिसका शीर्षक था- “‘क्योंकि’ She is Still The Boss”।
समापन सत्र की शुरुआत लेखिका और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति से हुई, जिन्होंने “From Storyteller to Sansad” की अपनी यात्रा साझा की। करीना कपूर ने “The Icon” के रूप में दर्शकों को संबोधित किया, जबकि शशि थरूर ने अपने सत्र “Man on a Mission” में प्रेरणादायक संवाद पेश किया। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने समापन में कीनोट भाषण दिया।
‘The ChangeMakers, 2025’ की थीम पर आधारित यह फेस्टिवल, न केवल महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि समाज में बदलाव के लिए प्रेरणा भी है। लंदन संस्करण की इस शुरुआत ने यह साबित कर दिया कि 'We The Women' अब सिर्फ एक भारतीय मंच नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।
इनमें से हर पत्रकार का डिजिटल पत्रकारिता से लेकर प्राइम टाइम एंकरिंग और डीप फील्ड रिपोर्टिंग तक का अपना अलग-अलग अनुभव और ताकत है।
एनडीटीवी ने अभी हाल ही में एनडीटीवी इंडिया के न्यूजरूम में तीन कुशल और पेशेवर पत्रकारों को शामिल करने की घोषणा की है। ये पत्रकार हैं, शुभांकर मिश्रा, मीनाक्षी कंडवाल और मलिका मल्होत्रा। इन तीनों का एनडीटीवी से जुड़ना एनडीटीवी इंडिया की पत्रकारिता के प्रति नजरिए को आकार देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। विश्वसनीय, जमीनी और भारत के लिए जरूरी सवालों से जुड़ा हुआ। इनमें से हर पत्रकार का डिजिटल पत्रकारिता से लेकर प्राइम टाइम एंकरिंग और डीप फील्ड रिपोर्टिंग तक का अपना अलग-अलग अनुभव और ताकत है।
शुभांकर मिश्रा ने हिंदी पत्रकारों के बीच सबसे बड़ी डिजिटल फॉलोइंग बनाई है। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर उनके तीन करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उनकी विश्वसनीयता ग्राउंड रिपोर्टिंग और भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों के दर्शकों के साथ मजबूत जुड़ाव से उपजी है। पत्रकारिता के प्रति उनका नजरिया उनकी उपस्थिति और भागीदारी से पहचाना जाता है। वे अक्सर ऐसे क्षेत्रों से रिपोर्टिंग करते हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक कवरेज नहीं मिलती है।
मीनाक्षी कंडवाल को टीवी पत्रकारिता में एक दशक से अधिक का अनुभव है। उन्होंने कई विषयों और मु्द्दों पर रिपोर्टिंग की है और आपदाओं के लाइव कवरेज से लेकर फील्ड से इन-डेप्थ रिपोर्ट्स तक फाइल की हैं। उनकी ताकत एक नजरिए के साथ एंकरिंग और साफगोई के साथ रिपोर्टिंग में है। वो ऐसी कहानियां सामने लेकर आती हैं, जो सुर्खियों से परे होती हैं।
मलिका मल्होत्रा अपनी लांग फार्म ग्राउंड रिपोर्टिंग से एडिटोरियल टीम को और मजबूत बनाती हैं। सिंघु बॉर्डर पर किसान के विरोध-प्रदर्शन से लेकर की जोशीमठ से उनकी फॉलोअप रिपोर्टिंग उनकी पत्रकारिता में निहित दृढ़ता और निरंतरता को दिखाते हैं। कहानियों के साथ बने रहने की उनकी क्षमता उन्हें अलग बनाती है।
इन नई नियुक्तियों पर टिप्पणी करते हुए एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर इन चीफ राहुल कंवल ने कहा कि इनमें से हर व्यक्ति कुछ महत्वपूर्ण लेकर आ रहा है। शुभांकर की ताकत डिजिटल फर्स्ट है, मिनाक्षी का संपादकीय संतुलन और मलिका की फील्ड रिपोर्टिंग के प्रति प्रतिबद्धता। वे हेडलाइन का पीछा नहीं करते हैं, बल्कि भरोसा पैदा कर रहे हैं। हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
एनडीटीवी इंडिया की संपादकीय नीति और जिम्मेदार और सार्थक पत्रकारिता की ओर सचेत बदलाव से गुजर रही है। विश्वसनीयता, निरंतरता और संदर्भ पर ध्यान दिया जा रहा है- ये सभी बदलते भारत की सूचना संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी हैं। यह एनडीटीवी इंडिया के न्यूजरूम को थोड़े समय के शोर-शराबे की जगह दीर्घकालिक विश्वास के इर्द-गिर्द फिर से संगठित करने के व्यापक प्रयास का एक हिस्सा है। इसे ज्यादा जानकारी, भागीदारी और जुड़ाव वाले नए भारत के लिए बनाया गया है।