NEET UG पेपर लीक मामले में एक पत्रकार तक पहुंची CBI की जांच, हुआ गिरफ्तार

NEET UG पेपर लीक मामले को लेकर सीबीआई की जांच जारी है। इस मामले में सीबीआई टीम ने झारखंड के हजारीबाग से एक पत्रकार को गिरफ्तार किया है

Last Modified:
Monday, 01 July, 2024
CBI


NEET UG पेपर लीक मामले को लेकर सीबीआई की जांच जारी है। इस मामले में सीबीआई टीम ने झारखंड के हजारीबाग से एक पत्रकार को गिरफ्तार किया है, जिसका नाम जमालुद्दीन है। NEET पेपर लीक मामले में सीबीआई की यह 5वीं गिरफ्तारी है।

इससे महज एक दिन पहले सीबीआई ने ओएसिस स्कूल हजारीबाग के प्रिंसिपल डॉ. एहसान उल हक को गिरफ्तार किया था, जिन्हें  NTA द्वारा NEET एग्जाम के लिए डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर बनाया गया था। इसके साथ ही वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम को भी गिरफ्तार किया गया है।  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये वही स्कूल है जहां जांच करने के बाद जांचकर्ताओं को संदेह हुआ था कि कथित लीक की शुरुआत यहीं से हुई है। 

गुरूवार 27 जून को CBI की टीम ने इस मामले में मनीष कुमार और आशुतोष कुमार नाम के दो व्यक्तियों को पटना से गिरफ्तार किया था, जिन पर एग्जाम से पहले परीक्षार्थियों को एक जगह पर ले जाकर लीक किया हुआ पेपर और उसका आंसर उपलब्ध कराने का आरोप है।

रिपोर्ट्स की मानें तो पत्रकार जलालुद्दीन पर आरोप लगा है कि वह कथित तौर पर डॉ. हक और आलम की मदद कर रहा था। यह पत्रकार झारखंड के एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अखबार से जुड़ा हुआ है। उनके खिलाफ सीबीआई को कुछ अहम तकनीकी सबूत मिले हैं, जिसके चलते उनको गिरफ्तार किया गया है।

पत्रकार और प्रिंसिपल के बीच पेपर लीक और नीट परीक्षा के दौरान लगातार बातचीत होती रही। एहसान उल हक के कॉल डिटेल्स के आधार पर पत्रकार को पहले सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था,।

दूसरी तरफ, NEET पेपर लीक के तार देश के अलग-अलग हिस्सों से जुड़े हैं. सीबीआई की टीमें झारखंड, बिहार के साथ-साथ गुजरात में भी जांच कर रही हैं। गुजरात में भी सीबीआई की टीमें गोधरा, खेड़ा, अहमदाबाद और आनंद में 7 जगहों पर कुछ संदिग्धों की तलाश में छापेमारी की हैं। 22 जून को शिक्षा मंत्रालय ने इस साल के NEET (UG) में कथित अनियमितताओं का मामला व्यापक जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

नहीं रहे जाने-माने बंगाली पत्रकार बिस्वजीत रॉय

बिस्वजीत रॉय कई पुस्तकों के लेखक भी थे, जिनमें गाजा संघर्ष पर एक पुस्तक भी शामिल है

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 15 May, 2025
Last Modified:
Thursday, 15 May, 2025
Biswajit Roy

पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार बिस्वजीत रॉय का निधन हो गया है। पत्रकारिता जगत में उन्हें प्यार से ‘मधु दा’ के नाम से जाना जाता था। बिस्वजीत रॉय से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्होंने पूरी जिंदगी सार्थक और जिम्मेदार पत्रकारिता की।

अपने जीवन के आखिरी कुछ साल रॉय ने शांतिनिकेतन में बिताए। वे लंबे समय से गंभीर विषयों पर शोध और लेखन में लगे हुए थे। उनके परिवार में अब दो बेटे हैं। उनकी पत्नी का निधन दिसंबर 2023 में हो गया था

बिस्वजीत रॉय कई पुस्तकों के लेखक भी थे, जिनमें गाजा संघर्ष पर एक पुस्तक भी शामिल है, जिसे गंभीर पाठकों और जानकारों के बीच सराहा गया। इसके अलावा वे भारत के नेताओं के फिलिस्तीन मुद्दे पर विचारों को लेकर एक किताब पर काम कर रहे थे।

रॉय का लेखन सिर्फ समकालीन राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और पंडित नेहरू जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर भी गहराई से लिखा था। उनके लेखन में इतिहास, मानवता और वैश्विक दृष्टिकोण का समावेश स्पष्ट रूप से दिखाई देता था।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

दुनिया को अलविदा कह गए वरिष्ठ पत्रकार और ‘PTI’ के संवाददाता अनिल दुबे

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल दुबे को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन हैमरेज भी हुआ है।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 14 May, 2025
Last Modified:
Wednesday, 14 May, 2025
Anil Dubey

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) में संवाददाता अनिल दुबे का मंगलवार को निधन हो गया है। वह करीब 54 साल के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल दुबे को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन हैमरेज भी हुआ है। तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।

अनिल दुबे ने अपने लंबे और प्रभावशाली करियर में कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के लिए काम किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। वे अपने पीछे एक बेटी छोड़ गए हैं।

अनिल दुबे के असामयिक निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर है। उनके तमाम जानने वालों व शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए श्रद्धांजलि दी है और उनके परिवार को यह भीषण दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।  

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अनिल दुबे के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर अपने शोक संदेश में उन्होंने लिखा है, ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के वरिष्ठ संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने हमेशा जनहित के मुद्दों पर पत्रकारिता के मूल्यों को सदैव प्राथमिकता दी। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिवार को यह वज्रपात सहन करने का संबल और धैर्य प्रदान करें। ॐ शांति !’

वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक्स’ पर अपने शोक संदेश में लिखा है, ‘वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!’

बता दें कि करीब एक साल पहले ही अनिल दुबे के बड़े भाई श्यामाकांत दुबे का भी हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

गुजरात में राष्ट्रविरोधी पोस्ट को लेकर पुलिस ने कसी नकेल, 14 लोगों पर केस दर्ज

गुजरात में सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 13 May, 2025
Last Modified:
Tuesday, 13 May, 2025
SocialMedia

गुजरात में सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण माहौल के बीच, सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंटरनेट मीडिया पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट डालने वाले 14 व्यक्तियों के खिलाफ गुजरात पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने ऐसे पोस्ट डालने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की निर्देश दिए थे। इसके साथ ही, पुलिस प्रमुख विकास सहाय ने इंटरनेट मीडिया पर फैलाई जा रही गलत सूचनाओं, राष्ट्र विरोधी और नकारात्मक पोस्ट पर कड़ी निगरानी रखने और तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

अब तक 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से कुछ मामले खेड़ा जिले, भुज, जामनगर, जूनागढ़, वापी, बनासकांठा, आणंद, अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, पाटण और गोधरा जिलों से हैं। इन मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है।

इस बीच, सूरत के अमरौली थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यवसायी दीपेन परमार को भी गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर पहलगाम आतंकी हमले को लेकर एक भ्रामक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि हमला पूर्व नियोजित था और उसके पीछे भारत में ही बैठे लोग जिम्मेदार हैं।

इसके अलावा, वडोदरा और राजकोट की नगरपालिकाओं में भाजपा के दो पार्षदों की विवादित सोशल मीडिया पोस्ट भी चर्चा में आ गई हैं। दोनों पार्षदों ने भारत-पाक तनाव की तुलना लोकसभा चुनाव के नतीजों से करते हुए लिखा कि “240 सीट में तो इतना ही युद्ध देखने को मिलेगा, पूरा युद्ध देखना हो तो 400 सीट देना पड़ेगा।” हालांकि, राजकोट भाजपा अध्यक्ष ने इस पोस्ट को ‘हास्य में कही गई बात’ बताते हुए उसका बचाव किया है और कहा कि इसका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था।

गुजरात पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर राष्ट्रहित के खिलाफ कोई भी गतिविधि अब बिना जवाबदेही के नहीं रहेगी और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई तय है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘सिर्फ पत्रकार नहीं, लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी के विकट योद्धा थे डॉ. के. विक्रम राव’

उन्होंने लिखा. खूब लिखा. मरते दम तक लिखा. मौत से बारह घंटे पहले तक लिखा. वे अद्भुत लिक्खाड़ और दुर्लभ लड़ाका थे. किसी की परवाह नहीं करते थे.

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 12 May, 2025
Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
Hemant Sharma.

अलविदा, कोटमराजू विक्रम राव

उन्होंने लिखा. खूब लिखा. मरते दम तक लिखा. मौत से बारह घंटे पहले तक लिखा. वे अद्भुत लिक्खाड़ और दुर्लभ लड़ाका थे. किसी की परवाह नहीं करते. वे सिर्फ पत्रकार नहीं लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी के विकट योद्धा थे. वे एक हाथ में कलम और दूसरे हाथ में डायनामाइट रखने का माद्दा रखते थे. वे सरकार की चूलें हिला देते थे. उनमें अदम्य साहस, हौसला, निडरता, तेजस्विता, एकाग्रता और संघर्ष का अद्भुत समावेश था. उनके लेख जानकारियों की खान हुआ करते थे. वे भाषा में चमत्कार पैदा करते थे. अंग्रेज़ी के पत्रकार थे पर बड़े बड़े हिन्दी वालों के कान काटते थे. उनकी उर्दू और संस्कृत में वैसी ही गति थी. ऐसे कोटमराजू (के.) विक्रम राव आज यादों में समा गए. उनकी भरपाई मुश्किल है. दुखी हूँ.

विक्रम राव का जाना पत्रकारिता के एक युग का अवसान तो है ही, मेरा निजी नुक़सान भी है. वे मुझसे बड़े भाई जैसा स्नेह करते थे. विचारों से असहमत होते हुए भी मैं उनका सम्मान उनके बहुपठित होने के कारण करता था. वे जानकारियों और सूचनाओं की खान थे. अपने से ज़्यादा पढ़ा लिखा अगर लखनऊ में मैं किसी को मानता था तो वे राव साहब थे. 87 साल की उम्र में भी वे रोज लिखते थे. मैं उन्हें इसलिए पढ़ता था कि उनके लेखों में दुर्लभ जानकारी, इतिहास के सूत्र और समाज का वैज्ञानिक विश्लेषण मिलता था.

विक्रम राव जी से मेरी कभी पटी नहीं. वजह वैचारिक प्रतिबद्धताएँ. वे वामपंथी समाजवादी थे. उम्र के उत्तरार्ध में उनके विचारों में जबरदस्त परिवर्तन आया. क्यों? पता नहीं. वे पत्रकारों के नेता भी थे. आईएफडब्लूजे के आमरण अध्यक्ष रहे. मैं उनके मठ का सदस्य भी नहीं था. लखनऊ में पत्रकारिता में उन दिनों दो मठ थे. दोनों मठ मजबूत थे. एक एनयूजे दूसरा आईएफडब्ल्यूजे. अच्युता जी एनयूजे का नेतृत्व करते थे. और राव साहब आईएफडबलूजे के शिखर पुरुष. मैं दोनों मठों में नहीं था. वे मुझे कुजात की श्रेणी में गिनते थे. डॉ. लोहिया गांधीवादियों के लिए यह शब्द प्रयोग करते थे. सरकारी, मठी और कुजात गांधीवादी. एक, वो गांधीवादी जो सरकार में चले गए. दूसरे मठी, जो गांधी संस्थाओं में काबिज रहे. तीसरे कुजात, जो दोनों में नहीं थे. कुजात होने के बावजूद मैं उनका स्नेह भाजन बना रहा. शायद वे दुष्ट ग्रहों को साध कर रखते थे. इसलिए मुझसे प्रेम भाव रखते थे.

एक दफ़ा प्रेस क्लब में उनके सम्मान में एक जलसा था. कई लोगों के साथ मैंने भी भाषण दिया. मैंने कहा, ‘मैंने जीवन में तीन ही महत्वपूर्ण और ताकतवर राव देखें हैं एक भीमराव दूसरे नरसिंह राव तीसरे विक्रम राव. एक ने ब्राह्मणवाद पर हमला किया. दूसरे ने बाबरी ढाँचे पर. और तीसरा किसे नष्ट कर रहा है आप जानते ही हैं. राव साहब ने मुझे तिरछी नज़रों से देखा. बाद में मुझसे पूछा- तुम शरारत से बाज नहीं आओगे. मैंने कहा, आदत से लाचार हूँ. पर इससे उनके स्नेह में कमी नहीं आयी. यह उनका बड़प्पन था.

‘जब तोप मुक़ाबिल हो अख़बार निकालो.’ ऐसा अकबर इलाहाबादी (अब प्रयागराजी) ने कहा था. विक्रम राव तोप और अख़बार दोनों से अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए लड़ रहे थे. इमरजेंसी में जब लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर ख़तरा हुआ तब बड़ौदा में टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर रहते हुए उन्होंने सरकार के खिलाफ कलम के साथ डायनामाइट के रास्ते को भी चुना. बड़ौदा में सरकार के खिलाफ धमाकों के लिए जो 836 डायनामाइट की छड़ें पकड़ी गयी, उसमें विक्रम राव जार्ज फ़र्नाडिस के सह अभियुक्त बने और इमरजेंसी भर जेल में रहे. इस मामले को दुनिया ने बड़ौदा डायनामाइट कांड के तौर पर जाना.

इससे एक किस्सा याद आता है. संपादकाचार्य पं बाबूराव विष्णु पराड़कर क़रीब 20 बरस के थे. भागलपुर से पढ़ाई पूरी करके बनारस लौट आए थे और डाक विभाग में नौकरी करते थे. लेकिन पराड़कर जी के मन में क्रांतिकारी विचारों का प्रभाव गहरा होता जा रहा था. उन्हीं दिनों उनके मामा और बांग्ला लेखक सखाराम गणेश देउस्कर उनसे मिलने बनारस आए. वो ख़ुद क्रांतिकारी थे और उन दिनों तिलक, अरविंद घोष जैसे क्रांतिकारियों से जुड़े हुए थे. उन्होंने पराड़कर से कहा कि आजादी की लड़ाई के दो तरीके हैं. और सामने एक पिस्तौल और एक कलम रख दी. देउस्कर ने कहा कि तुम इनमें से एक रास्ता चुन सकते हो. पराड़कर ने कलम का रास्ता चुना. नौकरी छोड़ दी. 1906 में हिंदी बंगवासी के सह संपादक बने और फिर 1907 में हितवार्ता का संपादन शुरू किया. पत्रकारिता की तब दो धाराएं थीं. एक कलम वाली और दूसरी बंदूक़ वाली. विक्रम राव ने तीसरी धारा दी- कलम और डायनामाइट वाली.

विक्रम राव उस गौरवशाली परंपरा के ध्वजवाहक थे जिसमें आजादी की जंग में उनके पिता के रामाराव भी जेल गए थे. बाद में वे नेशनल हेराल्ड के संस्थापक संपादक हुए. आज़ादी के फौरन बाद वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए. उनके पिता कोटमराजू रामाराव अपने दौर के अकेले ऐसे पत्रकार थे जो 25 से अधिक दैनिक समाचार पत्रों में कार्यशील रहे.

राव साहब बेहद उथल-पुथल के दौर में पत्रकारिता कर रहे थे. देश मे इंदिरा और जेपी का टकराव चल रहा था। इंदिरा गांधी की चरम लोकप्रियता अचानक ही इमरजेंसी की तानाशाही के दौर में बदल गई. जेपी संपूर्ण क्रांति का आह्वान कर रहे थे.  मुलायम, बेनी, लालू और नीतीश जैसे नेता उभरने की कशमकश में थे. इस संवेदनशील दौर को राव साहब ने अपनी सूझबूझ और कलम की ताकत के जोर पर बेहद ही स्पष्ट और सारगर्भित रूप में कवर किया. उन पर कभी भी पक्षपात के आरोप नहीं लगे. उन्होंने पत्रकारिता को हमेशा धर्म की तरह पवित्र माना. उनका जीवन पत्रकारों की आधुनिक पीढ़ी के लिए आदर्श है.

राव साहब को मैं मिलने पर हमेशा ‘राम राम’ ही कहता था .जबाब में वह ‘लाल सलाम’ कहते. मैंने कभी लाल सलाम नहीं कहा. पर आज मैं कहना चाहूँगा-

लाल सलाम कामरेड! बहुत याद आएंगे आप.

जय जय

 (वरिष्ठ पत्रकार और ‘टीवी9’ में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की फेसबुक वॉल से साभार)

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

तथ्यगत पत्रकारिता और सार्थक लेखन के लिए हमेशा याद किये जायेंगे विक्रम राव: हरिवंश नारायण

संघर्ष, प्रभावी पत्रकारिता,श्रेष्ठ लेखन उन्हें विरासत में मिला। बड़ौदा डायनामाइट मामले में अद्भुत संघर्ष और साहस उन्होंने दिखाया।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 12 May, 2025
Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
Harivansh Narayan.

विक्रम राव नहीं रहे। स्तब्धकारी सूचना। निजी—आत्मीय संबंध था। 'धर्मयुग' के दिनों से। 'नेशनल हेराल्ड' के संस्थापक संपादक के.राम.राव के सुयोग्य पुत्र थे।

संघर्ष, प्रभावी पत्रकारिता,श्रेष्ठ लेखन उन्हें विरासत में मिला। बड़ौदा डायनामाइट मामले में अद्भुत संघर्ष और साहस उन्होंने दिखाया।

अंत—अंत तक सामयिक मुद्दों पर विलक्षण टिप्पणियां लिखते रहे। उन्हें पढ़ने का इंतजार रहता था। विक्रम राव तथ्यगत पत्रकारिता और सार्थक लेखन के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। उनकी स्मृतियों को नमन. श्रद्धांजलि।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के फेसबुक पेज से साभार

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘NUJI’ और ‘DJA’ को CM ने दिया पत्रकारों के हित में किए वादे पूरे करने का भरोसा

दिल्ली विधानसभा स्थित सीएम आफिस में प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली के पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं के बारे में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को अवगत कराया।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 12 May, 2025
Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
Journalists Delegation

‘नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स’ (इंडिया) (NUJI) अध्यक्ष रास बिहारी और ‘दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ (DJA) के अध्यक्ष राकेश थपलियाल के नेतृत्व में पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मिला। दिल्ली विधानसभा स्थित सीएम आफिस में प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली के पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने इन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किए जाने का आश्वासन दिया।

‘एनयूजेआई’ अध्यक्ष रास बिहारी ने मुख्यमंत्री को बताया कि दिल्ली में कार्यरत सभी पत्रकारों (मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त) को मुफ्त चिकित्सा सुविधा, पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पेंशन सुविधा मुहैया कराई जाए। इसके अलावा दिल्ली सरकार की प्रत्यायन समिति (एक्रीडिटेशन कमेटी) के पुनर्गठन को लेकर भी चर्चा की गई। साथ ही महिला पत्रकारों की समस्याओं पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संकल्प पत्र में जो घोषणाएं की गई थीं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जल्द ही लागू किया जाएगा।

प्रतिनिधिमंडल में ‘एनयूजेआई’ सचिव अमलेश राजू, ‘डीजेए’ महासचिव प्रमोद कुमार सिंह, ‘एनयूजेआई’महिला प्रकोष्ठ संयोजक प्रतिभा शुक्ला, ‘डीजेए’ उपाध्यक्ष अनिता चौधरी, ‘एनयूजेआई’ चुनाव आयोग चेयरमैन दधिबल यादव, पब्लिक एशिया के संपादक मुकेश वत्स, ‘एनयूजेआई’ कार्यकारिणी सदस्य उषा पाहवा और प्रदीप श्रीवास्तव शामिल रहे।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

डॉ. के. विक्रम राव पत्रकारिता के पुरोधा थे: जितेन्द्र बच्चन

पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन ने डॉ. राव को पत्रकारिता का पुरोधा बताते हुए उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 12 May, 2025
Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
Tribute

वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (आईएफडब्ल्यूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का सोमवार की सुबह निधन हो गया। वह करीब 87 वर्ष के थे और सांस तथा किडनी संबंधी समस्या से ग्रसित थे। हालत गंभीर होने पर डॉ. राव के पुत्र के. विश्वदेव राव उन्हें एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन ने डॉ राव को पत्रकारिता का पुरोधा बताते हुए उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।

बच्चन ने बताया कि डॉ. राव तेलुगूभाषी दक्षिण भारतीय ब्राह्मण और बहुत विनम्र स्वभाव के थे। परिवार में दो पुत्र एक पुत्री और पत्नी डॉ. सुधा राव हैं। के. विक्रम राव को पत्रकारिता विरासत में मिली थी। उनके पिता के. रामाराव नेशनल हेराल्ड के संस्थापक संपादक और सांसद भी रहे हैं। स्वयं डॉ. राव की कलम में गजब की धार थी। खासकर अंग्रेजी और हिंदी में हमेशा उनका जलवा कायम रहा और पत्रकार हितों के लिए वह आजीवन लड़ते रहे।

जितेन्द्र बच्चन का कहना है कि डॉ. राव का जाना भारतीय पत्रकारिता की अपूरणीय क्षति है। श्रमजीवी पत्रकारों के लिए वह आजीवन संघर्ष करते रहे। आज राव साहब भले ही हमारे बीच अब नहीं हैं लेकिन उनके विचार और उनका व्यक्तित्व हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा। अग्रज के. विक्रम राव को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

वरिष्ठ पत्रकार और ‘IFWJ’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का निधन

सांस संबंधी तकलीफ के कारण उन्हें सोमवार को ही लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान ही उनका निधन हो गया।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 12 May, 2025
Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
K Vikram Rao

वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का निधन हो गया है। उन्होंने सोमवार की सुबह लखनऊ के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सांस संबंधी तकलीफ के कारण उन्हें सोमवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान ही उनका निधन हो गया।

डॉ. राव पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय थे। उन्होंने श्रमजीवी पत्रकारों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाया। उनका जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा। उनके पिताजी के. रामाराव भी देश के जाने-माने पत्रकार थे और बेटे के. विश्वदेव राव भी पत्रकार हैं।

डॉ. के. विक्रम राव का पार्थिव शरीर 703, पैलेस कोर्ट अपार्टमेंट, निकट कांग्रेस कार्यालय, मॉल एवेन्यू, लखनऊ में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया है।

डॉ. के. विक्रम राव के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत तमाम शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हैप्पी बर्थडे सलिल कपूर: टेक्नोलॉजी और लीडरशिप से आपने कॉरपोरेट जगत को दिखाई नई दिशा

तीन दशक से भी अधिक लंबे करियर में सलिल कपूर ने इनोवेशन, स्ट्रैटेजी, दूरदर्शिता और उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कई जाने-माने ब्रैंड्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 10 May, 2025
Last Modified:
Saturday, 10 May, 2025
Salil Kapoor

भारतीय कॉरपोरेट जगत में अपनी अलग छाप छोड़ने वाले सलिल कपूर का आज जन्मदिन है। तीन दशक से भी अधिक लंबे करियर में सलिल कपूर ने इनोवेशन, स्ट्रैटेजी, दूरदर्शिता और उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कई जाने-माने ब्रैंड्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

सलिल कपूर ने ‘हिंदवेयर होम इनोवेशन लिमिटेड’ (Hindware Home Innovation Limited) के सीईओ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कंपनी की विकास यात्रा को नई दिशा दी। इससे अलावा उन्होंने ‘एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स’, ‘सैमसंग’, ‘माइक्रोसॉफ्ट’, ‘डिश टीवी’ और ‘वोल्टास’ जैसी दिग्गज कंपनियों में भी लीडरशिप भूमिकाएं निभाई हैं। हर भूमिका में उन्होंने तकनीकी दक्षता और कारोबारी दृष्टिकोण का बेहतरीन तालमेल दिखाया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ‘फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज’ (FMS) के पूर्व छात्र सलिल कपूर की पृष्ठभूमि इंजीनियरिंग की रही है, जिसने उन्हें हर जिम्मेदारी में तकनीक और प्रबंधन, दोनों को संतुलित रूप से समझने का नजरिया दिया।

कॉरपोरेट जगत से परे भी सलिल कपूर ने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CEAMA) और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ESSCI) जैसे उद्योग निकायों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके अनुभव और नेतृत्व ने पूरे सेक्टर को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है।

इस खास दिन पर हम सलिल कपूर को न केवल उनकी प्रोफेशनल उपलब्धियों के लिए, बल्कि उनकी दूरदर्शिता, जोश और मेंटरशिप के लिए भी बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।

समाचार4मीडिया की ओर से सलिल कपूर को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं। हम कामना करते हैं कि वे यूं ही सफलता की नई कहानियां लिखते रहें, स्वस्थ रहें और हमेशा इसी तरह प्रेरणास्त्रोत बने रहें।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

युद्ध की आहट में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने न्यूज चैनल्स से की ये अपील

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के माहौल में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने समाचार चैनलों से संयम बरतने की अपील की है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 10 May, 2025
Last Modified:
Saturday, 10 May, 2025
AnilVij87452

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के माहौल में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने समाचार चैनलों से संयम बरतने की अपील की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने आग्रह किया कि टीवी चैनलों को बार-बार खतरे के सायरन नहीं बजाने चाहिए, क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। विज ने कहा कि अगर भविष्य में कभी वास्तविक सायरन बजा, तो लोग उसे भी टीवी का ही हिस्सा समझ बैठेंगे और समय रहते जरूरी सुरक्षात्मक कदम नहीं उठा पाएंगे।

अनिल विज ने मौजूदा हालात को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि हालात किसी युद्ध से कम नहीं हैं और पाकिस्तान की स्थिति स्पष्ट रूप से कमजोर दिख रही है। उन्होंने दावा किया कि देश की जनता पूरी तरह एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है। उनके अनुसार, पीएम मोदी इस संघर्ष के नेतृत्वकर्ता हैं और पूरे देश को सेना के साहस और पराक्रम पर पूरा भरोसा है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की ओर से हाल ही में जम्मू क्षेत्र में कई जगहों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए गए, जिनका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। सभी हमलों को सेना ने नाकाम कर दिया और पाकिस्तानी ड्रोन व मिसाइलों को मार गिराया। इसी पृष्ठभूमि में विज ने मीडिया से अतिरिक्त सतर्कता बरतने का आग्रह किया है, ताकि जनमानस में किसी तरह की अफवाह या घबराहट न फैले।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए