वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को उन्हें 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। महेश लांगा को 13 कंपनियों और उनके मालिकों के खिलाफ दायर एक कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
इस मामले में लांगा के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान अयाज इकबाल हबीब मालदार (30), अब्दुलकादर समद कादरी (33) और ज्योतिष मगन गोंडालिया (42) के रूप में हुई है। अहमदाबाद अपराध शाखा (डीसीबी) को इन चारों की 10 दिन की पुलिस कस्टडी मिली है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अजीत राजियन ने बताया कि उन्होंने 14 दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने 10 दिन की अनुमति दी।
अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली बताई जा रही है, जिसमें आरोपी फर्जी बिलों के जरिए आईटीसी का गलत तरीके से लाभ उठा रहे थे। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि इस घोटाले में 220 से अधिक बेनामी कंपनियां शामिल हैं, जिनका संचालन जाली दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।
क्राइम ब्रांच ने लांगा के घर पर छापा मारकर 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के गहने और जमीनों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। यह कार्रवाई केंद्रीय जीएसटी विभाग की शिकायत के बाद अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में छापेमारी के बाद की गई।
केंद्रीय जीएसटी विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि महेश लांगा की पत्नी और पिता के नाम पर जाली दस्तावेज बनाए गए, जिनका उपयोग उन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया था। मामले की जांच अभी जारी है।
केरल के स्वतंत्र पत्रकार रेजाज एम शिबा सिद्दीकी के खिलाफ दर्ज मामले की जांच अब महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) कर रही है।
केरल के स्वतंत्र पत्रकार रेजाज एम शिबा सिद्दीकी के खिलाफ दर्ज मामले की जांच अब महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) कर रही है। रेजाज फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं और उन पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े होने का आरोप है। 15 मई को हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र ATS ने विशेष एनआईए कोर्ट को बताया कि पत्रकार पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 38 और 39 लगाई गई है।
जांच एजेंसियों का आरोप है कि रेजाज का संबंध हिजबुल मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) और सीपीआई (माओवादी) जैसे प्रतिबंधित संगठनों से है।
रेजाज को 7 मई को नागपुर के लकड़गंज थाने में दर्ज एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने सेना विरोधी नारे लगाए और प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखे। एफआईआर में उन्हें सीपीआई (माओवादी) का संभावित सदस्य बताया गया है।
पुलिस का दावा है कि उनके पास ऐसे फोटो भी हैं जिनमें रेजाज को हथियारों के साथ देखा गया है। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 149 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी के लिए हथियार इकट्ठा करना), धारा 192 (दंगा भड़काने की नीयत से उकसाना), और धारा 353 के कई उपखंडों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही सूचना एवं खुफिया अधिनियम की धारा 67 के तहत भी केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने कोर्ट से 10 दिन की कस्टडी मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने केरल से जुटाए गए सबूतों से जुड़े पंचनामा और जब्ती दस्तावेज पेश न करने पर महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई। फिलहाल कोर्ट ने 18 मई तक की हिरासत मंजूर की है।
रेजाज ने केरल यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क की पढ़ाई की है और मकतूब व काउंटर करंट्स जैसे स्वतंत्र मंचों के लिए रिपोर्टिंग की है। उनकी पत्रकारिता का फोकस अक्सर पुलिस ज्यादती, जातीय भेदभाव और जेलों में कैद लोगों की हालत पर रहा है। शुरुआत में इस मामले की जांच नागपुर पुलिस कर रही थी, जिसने केरल स्थित उनके घर की तलाशी भी ली थी।
भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के इनक्यूबेशन सेंटर की पहल Ideathon 1.0 का समापन शुक्रवार को सफलतापूर्वक हुआ। इस आयोजन में चुनी गई 14 छात्र टीमों ने अपने-अपने इनोवेटिव मीडिया स्टार्टअप आइडियाज पेश किए।
भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के इनक्यूबेशन सेंटर की पहल Ideathon 1.0 का समापन शुक्रवार को सफलतापूर्वक हुआ। इस आयोजन में चुनी गई 14 छात्र टीमों ने अपने-अपने इनोवेटिव मीडिया स्टार्टअप आइडियाज पेश किए। इस पहल का मकसद मीडिया क्षेत्र में नए विचारों को बढ़ावा देना और स्टूडेंट्स को एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में प्रेरित करना है।
इस सफर की शुरुआत Ideathon 1.0 के लॉन्च से हुई थी, जहां छात्रों को अलग-अलग थीम पर आधारित स्टार्टअप आइडियाज भेजने के लिए आमंत्रित किया गया था। इन विषयों में डिजिटल स्टोरीटेलिंग, मीडिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट की संभावनाएं और सोशल मीडिया साक्षरता जैसे अहम मुद्दे शामिल थे। कुल 31 टीमों ने इसमें भाग लिया, जिनमें से 14 को आगे के राउंड के लिए चुना गया।
चुनी गई टीमों को इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और शिक्षकों से मेंटरशिप दी गई ताकि वे अपने आइडियाज को बेहतर ढंग से तैयार कर सकें। समापन कार्यक्रम में इन टीमों ने अपने परिष्कृत विचारों को जजेस के सामने पेश किया। जज पैनल में मीडिया के अनुभवी नामों के साथ-साथ एंटरप्रेन्योर्स और फैकल्टी सदस्य भी शामिल थे।
IIMC की वाइस चांसलर डॉ. अनुपमा भटनागर ने कार्यक्रम में कहा, “छात्रों का जोश और नवाचार की भावना देखने लायक थी। हमारा इनक्यूबेशन सेंटर ऐसे युवाओं को आगे बढ़ने का मंच देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
इनक्यूबेशन सेंटर की चेयरपर्सन प्रो. अनुभूति यादव ने कहा, “Ideathon 1.0 की यह शुरुआत भविष्य में मीडिया और संचार की दुनिया को नई दिशा देने में मदद करेगी।”
संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ. निमिष रुस्तगी ने छात्रों की क्रिएटिविटी की सराहना करते हुए कहा, “IIMC का इनक्यूबेशन सेंटर स्टूडेंट-ड्रिवन वेंचर्स और मीडिया इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम करता रहेगा। चुने गए आइडियाज को हम आगे भी जरूरी संसाधनों, नेटवर्किंग और समर्थन से मजबूत करेंगे।”
यह आयोजन IIMC के कैंपस में स्टार्टअप कल्चर को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने 'गुजरात समाचार' के मालिक बाहुबली शाह की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए देशभर के पत्रकार संगठनों के साथ मिलकर एक साझा बयान जारी किया है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने 'गुजरात समाचार' के मालिक बाहुबली शाह की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए देशभर के पत्रकार संगठनों के साथ मिलकर एक साझा बयान जारी किया है। इस बयान पर इंडियन वुमेन्स प्रेस कॉर्प्स, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स और वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के भी हस्ताक्षर हैं।
गुरुवार देर रात प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बाहुबली शाह को एक कथित आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया। हालांकि अब तक गिरफ्तारी से जुड़े आरोपों की पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। शाह के परिजनों का कहना है कि उन्हें भी नहीं बताया गया कि उन्हें किस आधार पर हिरासत में लिया गया है।
पत्रकार संगठनों के साझा बयान में कहा गया है कि बाहुबली शाह की गिरफ्तारी प्रेस की स्वतंत्रता और भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा हमला है। बयान में कहा गया, "गुजरात समाचार एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र है जिसने लंबे समय तक स्वतंत्र और जनपक्षीय पत्रकारिता की है। इस तरह की कार्रवाई से यह चिंता गहराती है कि सरकार मीडिया को दबाने और असहमत आवाजों को चुप कराने के लिए अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।"
पत्रकार संगठनों ने यह भी कहा कि लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयाँ जनता के संस्थानों पर भरोसे को कमजोर करती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि गिरफ्तारी से जुड़े आरोपों की पूरी पारदर्शिता बरती जाए और कानून के मुताबिक निष्पक्ष कार्रवाई हो।
बयान में यह भी कहा गया कि जब तक कोई ठोस और पारदर्शी सबूत सामने नहीं लाया जाता, तब तक बाहुबली शाह को रिहा किया जाना चाहिए। साथ ही सरकार से मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की अपील की गई है, ताकि लोकतंत्र मज़बूत रह सके और सत्ता की जवाबदेही बनी रहे।
लोकप्रिय सांध्य दैनिक समाचार-पत्र 'यशभारत' के भोपाल संस्करण के नवीनतम कार्यालय का लोकार्पण 17 मई 2025 को शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक होगा।
लोकप्रिय सांध्य दैनिक समाचार-पत्र 'यशभारत' के भोपाल संस्करण के नवीनतम कार्यालय का लोकार्पण 17 मई 2025 को शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक होगा। इस अवसर पर द्वारका पीठाधीश्वर, जगद्गुरु शंकराचार्य अनंत विभूषित स्वामी सदानंद सरस्वती जी अपने कर-कमलों से कार्यालय का उद्घाटन करेंगे।
कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति ब्रह्मचारी स्वामी सुबुद्धानंद जी की रहेगी, जो शंकराचार्य जी के निज सचिव हैं। लोकार्पण समारोह में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रहेगी, जिनमें राज्यसभा सांसद एवं वरिष्ठ अभिभाषक विवेक कृष्ण तनखा, जबलपुर से सांसद अशोक दुबे, उज्जैन महाकाल लोक के विधायक जगन बहादुर सिंह और श्री राम कथा वाचक आचार्य प्रमोद कृष्णम जी भी शिरकत करेंगे।
यह कार्यक्रम भोपाल के 3, इंदुस्तान प्रेस कार्यालय परिसर, रामगंज मंडी, एम.पी. नगर, ज़ोन-1 में आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर भजन प्रस्तुत करेंगे भजन सम्राट श्री अशोक शुक्ला एवं यशभारत परिवार। साथ ही संगीत प्रस्तुति देंगे मनीष वर्मा (अनुराग वर्मा म्यूज़िकल ग्रुप)।
उद्यमी और लेखक मनोज गुरसहानी को Tiger 21 ने मुंबई-2 का चेयर नियुक्त किया है।
उद्यमी और लेखक मनोज गुरसहानी को Tiger 21 ने मुंबई-2 का चेयर नियुक्त किया है। यह एक प्रतिष्ठित पियर लर्निंग ग्रुप है, जिसमें दुनिया भर के सफल उद्यमी, निवेशक और कारोबारी लीडर्स शामिल होते हैं।
Tiger 21 का मकसद है- धन प्रबंधन, व्यवसायिक विकास, उत्तराधिकार योजना और उद्देश्यपूर्ण जीवन जैसे विषयों पर गहन और गोपनीय चर्चा की एक सुरक्षित जगह बनाना।
अपनी नई भूमिका में गुरसहानी ग्रुप की खास मेंबर मीटिंग्स का नेतृत्व करेंगे, जहां सदस्य खुलकर अपने अनुभव साझा कर सकें और एक-दूसरे को निजी और पेशेवर फैसलों में मार्गदर्शन दे सकें।
गुरसहानी ने कहा, “मैं एक ऐसा मंच तैयार करने के लिए उत्साहित हूं जहां सदस्य एक-दूसरे का समर्थन करें, विचार साझा करें और मिलकर उद्देश्य और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ें।”
मनोज गुरसहानी की पहचान एक बिज़नेस कैटलिस्ट के रूप में है। उनका करियर हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है। वह फिलहाल ग्लोबल चेम्बर के मुंबई चैप्टर के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
वह Vera Healthcare के सह-संस्थापक भी हैं। यह एक हेल्थटेक वेंचर है जो AI तकनीक की मदद से डायबिटीज़ और हृदय रोगों की जांच को ज्यादा सटीक बनाता है। यह उनकी सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
गुरसहानी नेटवर्किंग के क्षेत्र में भी एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनकी किताब The Human Connect का मुख्य संदेश है – रिश्तों को “देने वाले सोच” से बनाना। वह 115 से ज़्यादा रोटरी क्लब्स में इसी सोच पर अपनी बात रख चुके हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने और साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने में उनके योगदान को अमेरिकी दूतावास और अन्य संस्थाओं ने भी सराहा है।
Tiger 21 – Mumbai 2 में उनके नेतृत्व में यह मंच ऐसे प्रभावशाली भारतीय उद्यमियों के लिए एक जगह बनेगा, जहां वे अपने अनुभव साझा कर सकें, विरासत बना सकें और उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व को नई दिशा दे सकें।
वरिष्ठ पत्रकार और दूरदर्शन के पूर्व सलाहकार अनुराग शर्मा का निधन हो गया है। वह कृषि, पर्यावरण और विज्ञान से जुड़े विषयों पर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।
वरिष्ठ पत्रकार और दूरदर्शन के पूर्व सलाहकार अनुराग शर्मा का निधन हो गया है। वह कृषि, पर्यावरण और विज्ञान से जुड़े विषयों पर रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।
अनुराग शर्मा का दूरदर्शन से जुड़ाव एक दशक से भी अधिक समय तक रहा। इस दौरान उन्होंने किसानों से जुड़ी खबरों और कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी। वह डीडी किसान चैनल की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वालों में शामिल थे।
उनके निधन से मीडिया और विशेष रूप से कृषि पत्रकारिता से जुड़े लोगों में शोक की लहर है।
छोटे शहरों व कस्बों के पत्रकारों को बड़े शहरों के मुकाबले ज्यादा आपराधिक मुकदमों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, इन पत्रकारों को गिरफ्तारी व हिरासत में लिए जाने का खतरा भी कहीं ज्यादा होता है।
देश में छोटे शहरों और कस्बों में काम करने वाले पत्रकारों को बड़े शहरों के मुकाबले ज्यादा आपराधिक मुकदमों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, इन पत्रकारों को गिरफ्तारी और हिरासत में लिए जाने का खतरा भी कहीं ज्यादा होता है। 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि उन्हें हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जैसी न्यायिक राहतें उतनी आसानी से नहीं मिल पातीं, जितनी बड़े शहरों के पत्रकारों को मिलती हैं।
यह बातें ‘Pressing Charges’ नाम की एक रिपोर्ट में सामने आई हैं, जो भारत में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का अध्ययन है। इस रिपोर्ट को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, ट्रायलवॉच (जो क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस की पहल है) और ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूट ने मिलकर तैयार किया है। इसे मंगलवार को जारी किया गया।
2012 से 2022 के बीच 427 पत्रकारों पर 624 बार केस दर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2022 के बीच देश के 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 427 पत्रकारों के खिलाफ 624 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इनमें से 60 पत्रकारों पर एक से ज्यादा बार केस दर्ज हुए। हर केस को अलग घटना के तौर पर गिना गया है।
624 मामलों में से 243 छोटे शहरों और कस्बों में दर्ज हुए, जबकि 232 मामले मेट्रो शहरों में दर्ज किए गए।
किन वजहों से दर्ज हुए केस?
रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे ज्यादा केस तब दर्ज हुए जब पत्रकारों ने जनप्रतिनिधियों या सरकारी अधिकारियों पर रिपोर्टिंग की। ऐसी रिपोर्टिंग के चलते 147 मामलों में एफआईआर हुई। इसके अलावा धर्म और आंदोलनों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर भी एफआईआर दर्ज की गईं।
बड़े शहरों में काम करने वाले पत्रकारों पर आमतौर पर "दंगा भड़काने" जैसे आरोप लगाए गए, जबकि छोटे शहरों में “सरकारी काम में बाधा डालने” या “सरकारी अफसर से दुर्व्यवहार” जैसे मामले ज्यादा देखे गए।
मानहानि (defamation) के केस ज्यादातर बड़े शहरों के अंग्रेजी मीडिया से जुड़े पत्रकारों पर दर्ज हुए।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि स्थानीय स्तर पर काम करने वाले पत्रकार सीधे घटनाओं की रिपोर्टिंग करते हैं, जिससे लोकल प्रशासन पर असर होता है। वहीं बड़े शहरों में संसाधन संपन्न लोग निजी शिकायतों के जरिये मानहानि के केस दर्ज कराते हैं।
ज्यादा गिरफ्तार हुए छोटे शहरों के पत्रकार
रिपोर्ट कहती है कि छोटे शहरों में पत्रकारों की गिरफ्तारी की संभावना कहीं ज्यादा होती है। कुल मामलों में 40% मामलों में गिरफ्तारी हुई, लेकिन मेट्रो शहरों में यह आंकड़ा 24% था, जबकि छोटे शहरों में 58% मामलों में गिरफ्तारी हुई।
बड़े शहरों के पत्रकारों को अक्सर गिरफ्तारी से पहले ही कोर्ट से सुरक्षा (अग्रिम ज़मानत या गिरफ्तारी पर रोक) मिल जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 65% मामलों में मेट्रो शहरों के पत्रकारों को ऐसी राहत मिली, लेकिन छोटे शहरों में यह आंकड़ा सिर्फ 3% था।
ट्रायल पर रोक भी बड़े शहरों तक सीमित
जहां हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने केस के ट्रायल पर रोक लगाई, उनमें से 89% मामले मेट्रो शहरों के पत्रकारों से जुड़े थे। छोटे शहरों के किसी भी पत्रकार को ऐसी राहत नहीं मिल सकी।
रिपोर्ट से साफ होता है कि छोटे शहरों के पत्रकारों पर न केवल ज्यादा केस दर्ज होते हैं, बल्कि उन्हें कानूनी सुरक्षा भी बहुत कम मिल पाती है। उनकी गिरफ्तारी की संभावना ज्यादा होती है और कोर्ट से राहत पाने की संभावना कम। वहीं बड़े शहरों में पत्रकारों को ज्यादा संरक्षण मिलता है, खासकर जब वे संसाधनों और संपर्कों से लैस होते हैं।
बिस्वजीत रॉय कई पुस्तकों के लेखक भी थे, जिनमें गाजा संघर्ष पर एक पुस्तक भी शामिल है
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार बिस्वजीत रॉय का निधन हो गया है। पत्रकारिता जगत में उन्हें प्यार से ‘मधु दा’ के नाम से जाना जाता था। बिस्वजीत रॉय से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्होंने पूरी जिंदगी सार्थक और जिम्मेदार पत्रकारिता की।
अपने जीवन के आखिरी कुछ साल रॉय ने शांतिनिकेतन में बिताए। वे लंबे समय से गंभीर विषयों पर शोध और लेखन में लगे हुए थे। उनके परिवार में अब दो बेटे हैं। उनकी पत्नी का निधन दिसंबर 2023 में हो गया था
बिस्वजीत रॉय कई पुस्तकों के लेखक भी थे, जिनमें गाजा संघर्ष पर एक पुस्तक भी शामिल है, जिसे गंभीर पाठकों और जानकारों के बीच सराहा गया। इसके अलावा वे भारत के नेताओं के फिलिस्तीन मुद्दे पर विचारों को लेकर एक किताब पर काम कर रहे थे।
रॉय का लेखन सिर्फ समकालीन राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और पंडित नेहरू जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों पर भी गहराई से लिखा था। उनके लेखन में इतिहास, मानवता और वैश्विक दृष्टिकोण का समावेश स्पष्ट रूप से दिखाई देता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल दुबे को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन हैमरेज भी हुआ है।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) में संवाददाता अनिल दुबे का मंगलवार को निधन हो गया है। वह करीब 54 साल के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल दुबे को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन हैमरेज भी हुआ है। तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
अनिल दुबे ने अपने लंबे और प्रभावशाली करियर में कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के लिए काम किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। वे अपने पीछे एक बेटी छोड़ गए हैं।
अनिल दुबे के असामयिक निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर है। उनके तमाम जानने वालों व शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए श्रद्धांजलि दी है और उनके परिवार को यह भीषण दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अनिल दुबे के निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर अपने शोक संदेश में उन्होंने लिखा है, ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के वरिष्ठ संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने हमेशा जनहित के मुद्दों पर पत्रकारिता के मूल्यों को सदैव प्राथमिकता दी। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिवार को यह वज्रपात सहन करने का संबल और धैर्य प्रदान करें। ॐ शांति !’
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के वरिष्ठ संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने हमेशा जनहित के मुद्दों पर पत्रकारिता के मूल्यों को सदैव प्राथमिकता दी। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) May 13, 2025
बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने…
वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक्स’ पर अपने शोक संदेश में लिखा है, ‘वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!’
वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के संवाददाता श्री अनिल दुबे जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 13, 2025
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति! pic.twitter.com/zd3DODwwLQ
बता दें कि करीब एक साल पहले ही अनिल दुबे के बड़े भाई श्यामाकांत दुबे का भी हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था।
गुजरात में सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं
गुजरात में सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण माहौल के बीच, सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंटरनेट मीडिया पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट डालने वाले 14 व्यक्तियों के खिलाफ गुजरात पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने ऐसे पोस्ट डालने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की निर्देश दिए थे। इसके साथ ही, पुलिस प्रमुख विकास सहाय ने इंटरनेट मीडिया पर फैलाई जा रही गलत सूचनाओं, राष्ट्र विरोधी और नकारात्मक पोस्ट पर कड़ी निगरानी रखने और तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
अब तक 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से कुछ मामले खेड़ा जिले, भुज, जामनगर, जूनागढ़, वापी, बनासकांठा, आणंद, अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, पाटण और गोधरा जिलों से हैं। इन मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है।
इस बीच, सूरत के अमरौली थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यवसायी दीपेन परमार को भी गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर पहलगाम आतंकी हमले को लेकर एक भ्रामक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि हमला पूर्व नियोजित था और उसके पीछे भारत में ही बैठे लोग जिम्मेदार हैं।
इसके अलावा, वडोदरा और राजकोट की नगरपालिकाओं में भाजपा के दो पार्षदों की विवादित सोशल मीडिया पोस्ट भी चर्चा में आ गई हैं। दोनों पार्षदों ने भारत-पाक तनाव की तुलना लोकसभा चुनाव के नतीजों से करते हुए लिखा कि “240 सीट में तो इतना ही युद्ध देखने को मिलेगा, पूरा युद्ध देखना हो तो 400 सीट देना पड़ेगा।” हालांकि, राजकोट भाजपा अध्यक्ष ने इस पोस्ट को ‘हास्य में कही गई बात’ बताते हुए उसका बचाव किया है और कहा कि इसका उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था।
गुजरात पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर राष्ट्रहित के खिलाफ कोई भी गतिविधि अब बिना जवाबदेही के नहीं रहेगी और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई तय है।