भारत की ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ एआई क्रांति उसकी तैयारी से कहीं आगे निकल चुकी है। देश के रचनात्मक, सांस्कृतिक और नीतिगत इकोसिस्टम पर इसका गहरा प्रभाव महसूस किया जा रहा है। इसी के तहत देश के कुछ सबसे प्रभावशाली इंडस्ट्री लीडर्स ने मिलकर ‘एआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (AIAI) की शुरुआत की है। यह अपनी तरह का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, सांस्कृतिक और विनियामक मानकों को परिभाषित करना है।
‘रेडिफ्यूजन’ (Rediffusion) के चेयरमैन और देश में मीडिया व टेक सेक्टर की सबसे अनुभवी शख्सियतों में से एक डॉ. संदीप गोयल के नेतृत्व में AIAI खुद को एक वॉचडॉग नहीं, बल्कि एक आर्किटेक्ट के रूप में स्थापित कर रहा है। ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के साथ खास बातचीत में ‘रेडिफ्यूजन’ के चेयरमैन डॉ. संदीप गोयल ने ‘एआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (AIAI) की अहम भूमिका, ‘एथिकल एआई’ पर अपने विचार समेत तमाम मुद्दों पर अपने विचार शेयर किए। इस दौरान उन्होंने ‘AIAI’ के गठन के पीछे की सोच के बारे में भी विस्तार से बताया है।
प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
देश का एआई इकोसिस्टम उसकी रेग्युलेटरी तैयारियों से कहीं तेजी से आगे बढ़ रहा है। वह कौन-सा मुख्य गैप या खतरा था, जिसे आपने और अन्य इंडस्ट्री लीडर्स ने पहचाना और जिसकी वजह से AIAI का गठन जरूरी हो गया?
हमें आने वाले समय की तस्वीर साफ दिखाई दे रही थी। देश तेजी से जेनरेटिव एआई अपना रहा है। चाहे कोर्टरूम में बॉट द्वारा लिखे जा रहे तर्क हों या बॉलीवुड की स्क्रिप्ट्स, जिन्हें मशीन लर्निंग से तैयार किया जा रहा है, लेकिन इस तेज रफ्तार को निर्देशित, सुरक्षित या नियंत्रित करने के लिए जरूरी ढांचे लगभग नदारद हैं। असल कमी इनोवेशन में नहीं, बल्कि संस्थागत भरोसे और नैतिक ढांचे में थी।
‘AIAI’ की शुरुआत एक बहुत स्पष्ट खतरे के कारण हुई कि भारत—जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है—अनजाने में विदेशी एआई टूल्स का केवल एक निष्क्रिय उपभोक्ता बनकर रह जाए और अपने सांस्कृतिक, नैतिक और कानूनी मानक खुद परिभाषित न कर पाए।
हमें डर है डीपफेक्स के हथियार बन जाने का, कलाकारों की क्रेडिट लाइन खत्म होने का और बिना किसी जवाबदेही के ब्लैक-बॉक्स एआई टूल्स की बाढ़ से बाजार भर जाने का। इसीलिए हम अलार्मिस्ट नहीं, बल्कि आर्किटेक्ट के रूप में सामने आए हैं। AIAI हमारा जवाब है उस तत्काल जरूरत का, जिसमें एक ऐसा राष्ट्रीय जड़ों से जुड़ा, इंडस्ट्री-नेतृत्व वाला निकाय चाहिए, जो नवाचार यानी इनोवेशन को संप्रभुता (sovereignty) के साथ जोड़ सके।
AIAI का गठन इनोवेशन और नैतिकता के सवाल पर किया गया है। आज देश के संदर्भ में ‘एथिकल एआई’ का वास्तविक अर्थ क्या है? और यह प्लेटफ़ॉर्म इसे लागू करने योग्य या अपनाने योग्य मानकों में कैसे बदलेगा?
आज भारत में ‘एथिकल एआई’ का मतलब तीन प्रमुख बातें हैं:
1: सांस्कृतिक संरेखण (Cultural alignment): यह सुनिश्चित करना कि एआई सिस्टम भारत की विविधता को मिटाए या उसका गलत प्रतिनिधित्व न करें।
2: पारदर्शिता और क्रेडिट (Transparency & Attribution): खासकर रचनात्मक क्षेत्रों में—जहां मौलिकता, सहमति और लेखकीय अधिकार बेहद महत्वपूर्ण हैं।
3: डिजाइन में समावेशन (Inclusion by design): ताकि हमारे एआई टूल्स सिर्फ डिजिटल रूप से सक्षम अभिजात वर्ग नहीं, बल्कि हर भारतीय की सेवा करें।
AIAI एक ऐसा मानक ढांचा (standards framework) तैयार कर रहा है, जो यह करेगा:
मीडिया, डिज़ाइन, विज्ञापन और संगीत जैसे क्षेत्रों में एआई टूल्स का एथिकल कम्प्लायंस सर्टिफिकेशन।
ऐसे ओपन डेटासेट्स विकसित करना, जो भारत की भाषाई, क्षेत्रीय और कलात्मक विविधताओं को सही रूप में दर्शाएं।
बायस, स्रोत-प्रामाणिकता (provenance) और बौद्धिक संपदा (IP) की शुचिता के लिए ऑडिट गाइडलाइंस तैयार करना।
सबसे महत्वपूर्ण बात—हम यह काम अलग-थलग नहीं कर रहे हैं। हम इसे स्टार्टअप्स, विधि विशेषज्ञों, सांस्कृतिक संस्थाओं और सरकारी निकायों के साथ मिलकर तैयार कर रहे हैं, ताकि इन मानकों को सिर्फ सराहा ही न जाए, बल्कि वास्तव में अपनाया भी जा सके।
नेशनल संयोजक के रूप में, आप कैसे देखते हैं कि AIAI एक विश्वसनीय नीति-निर्माण वाला प्लेटफॉर्म बने? सिर्फ एक और इंडस्ट्री एसोसिएशन नहीं, बल्कि ऐसा निकाय जिसे सरकार एआई विनियमन पर गंभीरता से सलाहकार के रूप में माने?
AIAI का जो गवर्निंग बोर्ड जल्द घोषित होने वाला है, उसमें देश के शीर्ष उद्योगपति, सांस्कृतिक विशेषज्ञ, टेक्नोलॉजी लीडर्स और कई अन्य प्रख्यात नाम शामिल होंगे। विश्वसनीयता दावा करने से नहीं मिलती, यह उस कार्य से हासिल होती है, जो नियम बनने से पहले किया जाता है। हमारा लक्ष्य सिर्फ इंडस्ट्री की जार्गन-भरी गूंज बनना नहीं है। इसके बजाय AIAI खुद को भारत के ‘फर्स्ट-मूवर फोरम’ के रूप में स्थापित कर रहा है—यानी ऐसा मंच जो सरकार की जरूरत से पहले ही व्यवहारिक policy briefs जारी करेगा, ड्राफ्ट गाइडलाइंस तैयार करेगा और ethics charters का पायलट परीक्षण करेगा। हम पहले ही MeitY, नीति आयोग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ बातचीत की शुरुआत कर चुके हैं। हम जानते हैं कि एआई भारत के 50 लाख रचनात्मक पेशेवरों—लेखकों, निर्देशकों, डिजाइनरों, इन्फ्लुएंसर्स—पर कैसे असर डालता है, सिर्फ कोडर्स और CTOs पर नहीं।
भारत डेटा संप्रभुता, सांस्कृतिक पक्षपात, आईपी संरक्षण और वर्कफोर्स डिसरप्शन जैसी अनोखी एआई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनमें से AIAI सबसे पहले किस मुद्दे को प्राथमिकता देगा और क्यों?
हमने अपनी पहली रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में रचनात्मक कार्यों में आईपी संरक्षण (IP protection) को चुना है। क्योंकि यही सबसे महत्वपूर्ण मोर्चा है।
जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल पहले से ही विज्ञापन अभियानों, स्क्रीनप्ले, सोशल मीडिया फ़िल्टर्स और फैशन प्रोटोटाइप्स में हो रहा है। अक्सर बिना श्रेय (attribution), सहमति (consent) या किसी ट्रेसबिलिटी के। यदि हमने इसे अभी संबोधित नहीं किया, तो जोखिम सिर्फ नौकरियों का नहीं, बल्कि पहचान (identity) के खोने का भी है।
हम सक्रिय रूप से इन बिंदुओं पर काम कर रहे हैं:
Creative AI Attribution Protocol स्थापित करना
एआई-जनित कंटेंट की ओनरशिप के लिए कानूनी ढाँचे का समर्थन
क्रिएटर्स को यह गाइड करना कि वे अपने काम को कैसे लाइसेंस, वॉटरमार्क या सुरक्षित कर सकते हैं
जब यह आधार मजबूत हो जाएगा, तब हम डेटा संप्रभुता (data sovereignty) और समावेशन (inclusion) पर विस्तार करेंगे—क्योंकि यदि हमारे डेटासेट पर नियंत्रण नहीं रहा, तो हमारी नैतिकता भी बाहरी स्रोतों पर निर्भर हो जाएगी।
स्टार्टअप्स, बड़ी कंपनियां, क्रिएटर्स और नीति-निर्माता, ये सभी एआई को अलग-अलग उम्मीदों और चिंताओं के साथ देखते हैं। AIAI इन समूहों के बीच भरोसा कैसे बनाएगा?
AIAI में भरोसा कोई उप-उत्पाद नहीं, बल्कि एक डिजाइन लक्ष्य है। हम एसोसिएशन को एक सहयोगी ढांचे (collaborative architecture) के रूप में संरचित कर रहे हैं, न कि ऊपर-से-नीचे चलने वाली किसी नौकरशाही की तरह।
हर वर्किंग ग्रुप—चाहे वह नीति, रिसर्च, स्किलिंग या एथिक्स पर काम करे—में कम से कम ये लोग शामिल होंगे:
एक स्टार्टअप फाउंडर
एक बिग-टेक प्रतिनिधि
एक क्रिएटिव प्रोफेशनल
एक विधि/नीति विशेषज्ञ
यह मल्टी-स्टेकहोल्डर मॉडल सुनिश्चित करता है कि कोई भी एकल दृष्टिकोण पूरे नैरेटिव पर हावी न हो। इसके अलावा, हम AIAI Trust Index लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं, यह अपनी तरह का पहला ढांचा होगा, जो भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए एआई टूल्स की पारदर्शिता, निष्पक्षता और अनुपालन के आधार पर रेटिंग करेगा। समय के साथ, यह ट्रस्ट इंडेक्स एक ऐसी प्रतिष्ठात्मक मुद्रा (reputational currency) बन जाएगा, जिसे कंपनियां और क्रिएटर्स महत्व देंगे।
एआई के तेजी से विकास को देखते हुए, पारंपरिक नियामक चक्र शायद पहले ही धीमे पड़ गए हैं। AIAI अपनी मार्गदर्शन को वास्तविक समय में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए कौन से गतिशील और अनुकूलनीय (adaptive) तंत्र पेश करने की योजना बना रहा है?
आप बिल्कुल सही हैं, पुराने नियमों की रफ्तार एआई युग में टिक नहीं पाएगी। इसी कारण, AIAI ‘लिविंग फ्रेमवर्क्स’ बना रहा है। इसमें मॉड्यूलर, संपादन योग्य और संस्करण-नियंत्रित नीति ब्लूप्रिंट्स, जिन्हें तिमाही आधार पर विशेषज्ञों की सलाह से अपडेट किया जाएगा।
मुख्य तंत्र इस प्रकार हैं:
रीयल-टाइम एथिक्स सैंडबॉक्स (Real-Time Ethics Sandbox): जहां स्टार्टअप्स एआई टूल्स का परीक्षण कर सकते हैं और AIAI से नैतिक, सांस्कृतिक और कानूनी कमजोरियों पर प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं।
एआई इनसिडेंट रजिस्ट्री (AI Incident Registry): भारत में सार्वजनिक रचनात्मक एआई टूल्स में दुरुपयोग या पक्षपात (bias) को ट्रैक और संबोधित करने के लिए।
फ्लैश पैनल्स (Flash Panels): तेज, 48 घंटे के विशेषज्ञ समूह जो उभरते खतरे—जैसे चुनावों में डीपफेक्स या सिंथेटिक इन्फ्लुएंसर्स—पर मार्गदर्शन तैयार करेंगे।
इस तरह, AIAI सिर्फ खबरों के पीछे नहीं भागेगा, बल्कि यह तय करेगा कि भारत अपने एआई सफर का अगला अध्याय कैसे लिखे।