राष्ट्रपति की नीतियों की आलोचना करने पर मैगजीन को धमकी, ऑफिस में भेजा सुअर का कटा सिर

इंडोनेशिया में पत्रकारिता पर दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका (मैगजीन) टेम्पो को हाल ही में अज्ञात व्यक्तियों से धमकी मिली है।

Last Modified:
Monday, 24 March, 2025
Tempo8458


इंडोनेशिया में पत्रकारिता पर दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका (मैगजीन) टेम्पो को हाल ही में अज्ञात व्यक्तियों से धमकी मिली है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की नीतियों की आलोचना करने के बाद पत्रिका के कार्यालय में सुअर का कटा सिर और कटे हुए चूहों का एक डिब्बा भेजा गया। यह घटना प्रेस की स्वतंत्रता पर मंडराते संकट और पत्रकारों के लिए बढ़ते खतरों को उजागर करती है।

धमकी के पीछे कौन?

टेम्पो पत्रिका, जो 1970 के दशक से इंडोनेशिया के प्रमुख प्रकाशनों में शामिल है, हाल ही में सरकार की नीतियों पर लगातार आलोचनात्मक लेख प्रकाशित कर रही थी। शनिवार (22 मार्च) को पत्रिका के सफाईकर्मियों को कार्यालय में कटे हुए चूहों से भरा एक डिब्बा मिला, जबकि गुरुवार को वहां एक सुअर का सिर भेजा गया था। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इस धमकी के पीछे कौन है, लेकिन यह मामला प्रेस की स्वतंत्रता के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

पत्रकारों और संगठनों की कड़ी प्रतिक्रिया

एमनेस्टी इंटरनेशनल और पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) जैसे संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया के कार्यकारी निदेशक उस्मान हामिद ने कहा, "इंडोनेशिया में पत्रकार होना अब 'मौत की सजा' जैसा होता जा रहा है।" उन्होंने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की।

पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) के एशिया कार्यक्रम प्रमुख बेह लिह यी ने इस धमकी को एक "खतरनाक और सुनियोजित डराने-धमकाने का कृत्य" बताया।

टेम्पो का जवाब

पत्रिका के प्रधान संपादक सेत्री यासरा ने कहा कि यह धमकी उनके काम को प्रभावित नहीं कर सकती। उन्होंने स्पष्ट किया, "अगर इरादा हमें डराने का है, तो हम डरने वाले नहीं हैं।" टेम्पो ने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी है और जांच शुरू हो चुकी है।

प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल

राष्ट्रपति प्रबोवो के प्रवक्ता हसन नासबी ने पहले इस घटना को हल्के में लेते हुए कहा कि "उन्हें (टेम्पो को) बस सुअर का सिर पका लेना चाहिए," लेकिन बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणी स्पष्ट की और कहा कि सरकार प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करती है।

सरकार की आलोचना और बढ़ता तनाव

टेम्पो पत्रिका ने हाल के हफ्तों में राष्ट्रपति प्रबोवो की नीतियों, खासतौर पर बजट कटौती पर कई आलोचनात्मक लेख प्रकाशित किए हैं। इस मुद्दे पर देश में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। यह घटना इंडोनेशिया में मीडिया और सरकार के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता पर एक नया संकट खड़ा हो गया है।

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चार पत्रकारों को 'चरमपंथ' के आरोप में 5 साल 6 महीने की जेल

रूस की एक अदालत ने चार स्वतंत्र पत्रकारों को चरमपंथ से जुड़े आरोपों में दोषी करार देते हुए 5 साल 6 महीने की सजा सुनाई है।

Last Modified:
Wednesday, 16 April, 2025
RussiaJournalists9562

रूस की एक अदालत ने चार स्वतंत्र पत्रकारों को चरमपंथ से जुड़े आरोपों में दोषी करार देते हुए 5 साल 6 महीने की सजा सुनाई है। इन पत्रकारों पर आरोप था कि वे अब दिवंगत हो चुके विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली संस्था के लिए काम कर रहे थे, जिसे सरकार पहले ही चरमपंथी संगठन घोषित कर चुकी है।

जिन पत्रकारों को सजा दी गई है, उनमें एंतोनीना फावर्स्काया, किस्तांतिन गाबोव, सर्गेई कारेलिन और आर्ट्योम क्रिगर शामिल हैं। इन सभी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा कि वे सिर्फ पत्रकारिता कर रहे थे और इसी वजह से उन्हें निशाना बनाया गया।

क्या है मामला

इन पत्रकारों पर नवलनी की भ्रष्टाचार-विरोधी संस्था से जुड़ा होने का आरोप था, जिसे रूस सरकार ने 2021 में बैन कर दिया था। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में हुई। माना जा रहा है कि यह कार्रवाई उन सभी के खिलाफ है जो सरकार की आलोचना करते हैं- खासकर तब से जब 2022 में रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू की।

सरकार ने इस दौरान कई विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को भी निशाना बनाया है। सैकड़ों लोग जेल में हैं और हजारों को देश छोड़ना पड़ा है।

कौन हैं ये पत्रकार

फावर्स्काया और क्रिगर ‘सोताविजन’ नाम की एक स्वतंत्र रूसी न्यूज एजेंसी से जुड़े थे, जो विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक खबरों पर रिपोर्टिंग करती है। गाबोव एक फ्रीलांस प्रोड्यूसर हैं और उन्होंने रॉयटर्स समेत कई संस्थाओं के लिए काम किया है। कारेलिन एक स्वतंत्र वीडियो पत्रकार हैं, जो एसोसिएटेड प्रेस जैसी विदेशी मीडिया के लिए रिपोर्टिंग कर चुके हैं।

एलेक्सी नवलनी को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे तेज आलोचकों में गिना जाता था। उन्होंने लंबे समय तक सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया। फरवरी 2024 में उनकी मौत आर्कटिक क्षेत्र की जेल में हुई, जहां वे 19 साल की सजा काट रहे थे। उन पर कई गंभीर आरोप थे, जिनमें चरमपंथी संगठन चलाने का भी आरोप शामिल था। नवलनी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था।

फावर्स्काया ने पहले की एक सुनवाई में कहा था कि उन्हें इसलिए सजा दी जा रही है क्योंकि उन्होंने नवलनी की जेल में हालत पर रिपोर्टिंग की थी। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें नवलनी के अंतिम संस्कार में मदद करने की वजह से निशाना बनाया गया।

क्रिगर के चाचा मिखाइल क्रिगर पहले से जेल में हैं। उन्हें 2022 में फेसबुक पर पुतिन के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते सात साल की सजा दी गई थी। उन पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और नफरत फैलाने का आरोप था।

गाबोव ने कहा, "मुझे पता है मैं किस देश में रह रहा हूं… यहां स्वतंत्र पत्रकारिता को चरमपंथ समझा जाता है।"

कारेलिन ने कहा कि उन्होंने नवलनी से जुड़े यूट्यूब चैनल ‘पॉपुलर पॉलिटिक्स’ के लिए इंटरव्यू किए थे, लेकिन यह चैनल सरकार ने चरमपंथी घोषित नहीं किया है। उन्होंने कहा, "मैं अपने काम और देश से प्यार के कारण जेल में हूं।"

क्रिगर ने कहा, "मैं सिर्फ एक ईमानदार पत्रकार की तरह अपने काम कर रहा था और इसी वजह से मुझे चरमपंथी कह दिया गया।"

अदालत के बाहर समर्थन

जब इन चारों पत्रकारों को कोर्ट से बाहर ले जाया गया, तो वहां मौजूद लोगों ने तालियों और नारों से उनका समर्थन किया। रूस की मानवाधिकार संस्था 'मेमोरियल' ने इन्हें राजनीतिक कैदी बताया है। वर्तमान में रूस में 900 से ज्यादा लोग राजनीतिक कारणों से जेल में हैं।

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अमेरिकी मदद से चलने वाले इस न्यूज नेटवर्क पर संकट, फंडिंग रुकी, एम्प्लॉयीज की छंटनी

। चैनल के चीफ जेफ्री गेडमिन (Jeffrey Gedmin) ने लगभग पूरी टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया है और टीवी कार्यक्रमों को भी सीमित कर दिया है।

Last Modified:
Monday, 14 April, 2025
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मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 3 करोड़ दर्शकों का दावा करने वाला अमेरिकी फंडिंग वाला अरबिक न्यूज चैनल अल हुर्रा (Al Hurra) इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रहा है। चैनल के चीफ जेफ्री गेडमिन (Jeffrey Gedmin) ने लगभग पूरी टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया है और टीवी कार्यक्रमों को भी सीमित कर दिया है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका की पूर्व ट्रंप सरकार और एलन मस्क के नेतृत्व वाले प्रशासन पर “गैर-जिम्मेदाराना और अवैध तरीके से” फंडिंग रोकने का आरोप लगाया है।

शनिवार को एम्प्लॉयीज को भेजे गए ईमेल में गेडमिन ने साफ किया कि अब वह इस उम्मीद में नहीं हैं कि अमेरिकी सरकार द्वारा रोकी गई फंडिंग जल्द बहाल होगी। ये फंडिंग अमेरिकी संसद द्वारा पास की गई थी, जिसका इस्तेमाल अल हुर्रा और अन्य अरबिक भाषी संगठनों के संचालन के लिए होता रहा है।

गेडमिन ने इस संकट के लिए करी लेक (Kari Lake) को जिम्मेदार ठहराया, जो अमेरिका की वैश्विक मीडिया एजेंसी की प्रमुख हैं और जिन्हें ट्रंप सरकार ने नियुक्त किया था। गेडमिन के मुताबिक, उन्होंने फंडिंग रुकने के मुद्दे पर बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनके अनुसार, "वह जानबूझकर हमें वो पैसा नहीं दे रहीं जिसकी हमें जरूरत है ताकि हम अपने कर्मियों को वेतन दे सकें।"

अल हुर्रा की वेबसाइट पर काम करने वाले मिस्र के पत्रकार मोहम्मद अल-सबाघ (Mohamed al-Sabagh) ने मीडिया को बताया कि चैनल और वेबसाइट से जुड़े सभी एम्प्लॉयीज को ईमेल के जरिए कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने की सूचना दी गई है।

अल हुर्रा की शुरुआत 2003 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश सरकार के कार्यकाल में हुई थी, जब इराक युद्ध के दौरान अमेरिका ने इस चैनल को एक 'मध्य पूर्व की आवाज' के रूप में लॉन्च किया। इसका उद्देश्य था स्वतंत्र प्रेस और लोकतांत्रिक मूल्यों को ऐसे इलाकों तक पहुंचाना, जहां पर सेंसरशिप और अधिनायकवादी शासन मौजूद हो।

हालांकि समय-समय पर इस चैनल पर पक्षपात के आरोप लगते रहे, लेकिन यह क्षेत्र का एकमात्र ऐसा मंच था जो प्रेस की स्वतंत्रता और खुलकर बोलने की आजादी की जगह देता रहा।

अपने विदाई संदेश में गेडमिन ने कहा कि कुछ दर्जन एम्प्लॉयीज को रखा जाएगा और ऑनलाइन मौजूदगी बरकरार रहेगी, लेकिन फंडिंग को लेकर अब अमेरिका की अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, “मध्य पूर्व में अमेरिका की आवाज को चुप कराना किसी भी तरह से समझदारी नहीं है।”

यह घटनाक्रम एक ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका समर्थित अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे वॉयस ऑफ अमेरिका, रेडियो फ्री यूरोप और रेडियो फ्री एशिया भी फंडिंग में कटौती के चलते मुश्किलों से जूझ रहे हैं।

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'चैनल4 न्यूज' की अमेरिका में नई आवाज बनीं अनुष्का अस्थाना

'चैनल4 न्यूज' ने वरिष्ठ पत्रकार अनुष्का अस्थाना को अपनी नई अमेरिकी संपादक (US Editor) नियुक्त किया है। वह वॉशिंगटन डीसी में कार्यरत होंगी

Last Modified:
Friday, 11 April, 2025
AnushkaAsthana

'चैनल4 न्यूज' ने वरिष्ठ पत्रकार अनुष्का अस्थाना को अपनी नई अमेरिकी संपादक (US Editor) नियुक्त किया है। वह वॉशिंगटन डीसी में कार्यरत होंगी और अमेरिका से जुड़ी राजनीति और समसामयिक विषयों की कवरेज का नेतृत्व करेंगी।

अनुष्का अभी तक ITV न्यूज में डिप्टी पॉलिटिकल एडिटर के रूप में कार्यरत थीं। वर्ष 2021 से इस भूमिका में रहते हुए उन्होंने कई अहम राजनीतिक रिपोर्टिंग की। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका अनुभव कई प्रमुख संस्थानों तक फैला है, जिनमें द गार्जियन, स्काई न्यूज, द टाइम्स, द ऑब्जर्वर और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे बड़े नाम शामिल हैं। ब्रिटेन में उन्हें ITV के शो Peston की को-होस्ट और BBC रेडियो 4 के Week in Westminster की पूर्व एंकर के रूप में भी जाना जाता है।

अपनी नई भूमिका को लेकर अनुष्का ने कहा, "चैनल 4 न्यूज की अमेरिकी संपादक बनने पर मुझे बेहद गर्व और खुशी हो रही है। यह एक ऐसा समय है जब अमेरिकी और वैश्विक राजनीति में अहम बदलाव हो रहे हैं और मैं इस बेहतरीन टीम के साथ काम करने को लेकर उत्साहित हूं। यह न्यूजरूम अपनी अनोखी, धारदार और असरदार पत्रकारिता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। आज के दौर में जनसेवा पत्रकारिता की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा है, और मैं इस मिशन में योगदान देने के लिए तैयार हूं।"

उनकी यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका समेत पूरी दुनिया राजनीतिक और सामाजिक बदलावों के दौर से गुजर रही है, ऐसे में अनुष्का अस्थाना की भूमिका और भी अहम मानी जा रही है।

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ट्रंप प्रशासन की सेंसरशिप पर कोर्ट की रोक, एसोसिएटेड प्रेस को मिला इंसाफ

अमेरिका की एक अदालत ने ट्रंप प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) की व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति से जुड़ी प्रेस कवरेज तक पहुंच तुरंत बहाल करे।

Last Modified:
Wednesday, 09 April, 2025
Trump7845

अमेरिका की एक अदालत ने ट्रंप प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) की व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति से जुड़ी प्रेस कवरेज तक पहुंच तुरंत बहाल करे। यह आदेश उस विवाद के बाद आया है जिसमें एसोसिएटेड प्रेस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “गल्फ ऑफ मेक्सिको” का नाम बदलकर “गल्फ ऑफ अमेरिका” कहने से इनकार कर दिया था।

जज ट्रेवर मैकफैडन (Trevor McFadden), जिन्हें ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में नियुक्त किया था, ने अपने फैसले में कहा कि सरकार का यह कदम अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (First Amendment) के खिलाफ है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

मामला तब शुरू हुआ जब ट्रंप प्रशासन ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर “गल्फ ऑफ मेक्सिको” को “गल्फ ऑफ अमेरिका” कहने की बात कही। एसोसिएटेड प्रेस ने इसे अपने कवरेज में शामिल करने से मना कर दिया। इसके बाद एजेंसी की व्हाइट हाउस और एयरफोर्स वन जैसे कार्यक्रमों में रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी गई।

जज मैकफैडन ने कहा, “अगर सरकार कुछ पत्रकारों को ओवल ऑफिस (Oval Office) या ईस्ट रूम (East Room) जैसे स्थानों में रिपोर्टिंग की अनुमति देती है, तो वह बाकी पत्रकारों को उनके नजरिए के आधार पर बाहर नहीं कर सकती। संविधान इससे कम की इजाजत नहीं देता।”

हालांकि, अदालत ने अपने फैसले पर अमल को रविवार तक के लिए स्थगित कर दिया है ताकि ट्रंप प्रशासन अपील कर सके।

एसोसिएटेड प्रेस ने अदालत में दलील दी थी कि केवल शब्दों के इस्तेमाल को लेकर हुए मतभेद के चलते उनकी एक्सेस रोकना, प्रेस की आजादी पर सीधा हमला है।

फैसले के बाद एसोसिएटेड प्रेस की प्रवक्ता लॉरेन ईस्टन ने प्रतिक्रिया में कहा, “आज का फैसला इस बात की पुष्टि करता है कि प्रेस और जनता को सरकार से डर के बिना बोलने की आजादी है— यह स्वतंत्रता अमेरिकी संविधान द्वारा दी गई है।”

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के नाइट फर्स्ट अमेंडमेंट इंस्टिट्यूट के कार्यकारी निदेशक जमील जाफर ने भी अदालत के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध प्रतिशोधात्मक और असंवैधानिक था।

गौरतलब है कि एसोसिएटेड प्रेस ने ट्रंप प्रशासन की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट, चीफ ऑफ स्टाफ सूसी वाइल्स और डेप्युटी चीफ ऑफ स्टाफ टेलर बुडोविच के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।

ट्रंप प्रशासन का कहना था कि एसोसिएटेड प्रेस को राष्ट्रपति की "विशेष पहुंच" की कोई गारंटी नहीं है। वहीं, एसोसिएटेड प्रेस ने साफ किया है कि वह अब भी "गल्फ ऑफ मेक्सिको" ही कहेगा, लेकिन सरकार के नाम बदलने के कदम की जानकारी भी देगा।

इस विवाद ने अमेरिका में प्रेस की स्वतंत्रता और सरकारी हस्तक्षेप को लेकर फिर बहस छेड़ दी है।

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अमेरिका में कार्यरत विदेशी पत्रकार संकट में, ट्रंप के इस आदेश से निर्वासन का बढ़ा खतरा

अमेरिका में कार्यरत विदेशी पत्रकारों के लिए हालात अचानक बेहद मुश्किल हो गए हैं।

Last Modified:
Monday, 07 April, 2025
Trump8451

अमेरिका में कार्यरत विदेशी पत्रकारों के लिए हालात अचानक बेहद मुश्किल हो गए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) के गैर-कानूनी घटकों व वैधानिक कार्यों को समाप्त व सीमित करने का आदेश न केवल पत्रकारों की नौकरियों पर असर डाल रहा है, बल्कि उनकी कानूनी स्थिति और सुरक्षा पर भी संकट खड़ा कर रहा है। 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 मार्च 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस आदेश के तहत, उन्होंने यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) सहित सात सरकारी एजेंसियों के कार्यों में कटौती करने और उन्हें न्यूनतम स्तर तक सीमित करने का निर्देश दिया। इस आदेश के परिणामस्वरूप, USAGM के अंतर्गत आने वाले वॉयस ऑफ अमेरिका (VOA), रेडियो फ्री एशिया (RFA), और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी जैसे मीडिया संगठनों के संचालन प्रभावित हुए। कई कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया और इन संगठनों के प्रसारण भी प्रभावित हुए।

वैसे बता दें कि USAGM के अंतर्गत आने वाले इन मीडिया संस्थानों के पत्रकार दुनिया के उन हिस्सों में सेंसरशिप से मुक्त, निष्पक्ष और लोकतंत्र के समर्थन में रिपोर्टिंग भी करते हैं, जहां स्वतंत्र मीडिया की कोई जगह नहीं है।

निर्वासन और उत्पीड़न का डर

कंबोडियाई पत्रकार वुथी था (Vuthy Tha) और हॉर हूम (Hour Hum) ने थाईलैंड में सात साल छिपकर बिताने के बाद अमेरिका में शरण ली थी। वे RFA के जरिए अपने देशवासियों को निष्पक्ष खबरें पहुंचा रहे थे। लेकिन अब ट्रंप के आदेश से उनकी नौकरी और वीजा दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।

वुथी, जो दो बच्चों के अकेले पिता हैं, कहते हैं कि यह आदेश उनके जीवन पर कहर बनकर टूटा है। वहीं हॉर हूम को अफसोस है कि अब उनके श्रोताओं तक सच्ची खबरें नहीं पहुंच पाएंगी। दोनों पत्रकारों को डर है कि अगर उन्हें कंबोडिया वापस भेजा गया, तो वहां की तानाशाही सरकार उन्हें उनके काम के लिए सजा दे सकती है।

अमेरिका की नैतिक जिम्मेदारी

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और 36 मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, अमेरिका में कार्य वीजा पर रह रहे कम से कम 84 पत्रकारों को निर्वासन का खतरा है। इनमें से 23 पत्रकार ऐसे हैं जिन्हें अपने देश लौटने पर तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है, या उन्हें लंबे समय तक जेल की सजा हो सकती है।

RFA की पत्रकार शिन डेवे म्यांमार में "आतंकवाद को समर्थन" देने के आरोप में 15 साल की सजा काट रही हैं। वियतनाम में RFA के चार पत्रकार जेल में हैं और एक नजरबंद है।

थीबो ब्रुटिन, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के प्रमुख ने कहा, “यह शर्मनाक है कि जो पत्रकार अपने देश की दमनकारी नीतियों को उजागर करने के लिए जान जोखिम में डालते हैं, उन्हें अब अमेरिका में ही छोड़ दिया जा रहा है। यह न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता का भी सवाल है।”

अदालत की शरण

वॉइस ऑफ अमेरिका से जुड़े कई पत्रकारों ने ट्रंप के आदेश के खिलाफ अमेरिकी संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। याचिका में दो विदेशी पत्रकारों का उल्लेख है, जिनमें से एक अपने काम की वजह से दस साल की जेल की सजा भुगत सकता है, जबकि दूसरे को अपने देश में शारीरिक उत्पीड़न का खतरा है।

फिलहाल अदालत ने इन पत्रकारों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने पर रोक लगा दी है, जिससे उन्हें अस्थायी राहत मिली है। RFA और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी ने भी अपनी फंडिंग बहाल करने की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

उम्मीद की किरण

हालांकि हालात मुश्किल हैं, लेकिन पत्रकारों को अभी भी उम्मीद है। वुथी था कहते हैं, “RFA आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है — और जब तक लड़ाई जारी है, उम्मीद भी जिंदा है।”

इस पूरे घटनाक्रम के बीच, सवाल यह है कि क्या अमेरिका, जो दुनिया भर में प्रेस की आजादी का झंडा उठाता रहा है, अब खुद उन पत्रकारों को बेसहारा छोड़ देगा जो उसकी ही लोकतांत्रिक नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए जान जोखिम में डालते हैं?

यह सिर्फ पत्रकारों का नहीं, बल्कि अमेरिका की साख और उसकी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का भी सवाल है।

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नेपाल में राजशाही बहाली की मांग तेज, हिंसक प्रदर्शन में पत्रकार की मौत

नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर काठमांडू में एक विशाल रैली निकाली, जो बाद में हिंसक झड़पों में बदल गई। हालात काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों ने बल प्रयोग किया, जिसमें एक पत्रकार की मौत हो गई।

Last Modified:
Saturday, 29 March, 2025
Nepal84510

नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर राजधानी काठमांडू में हजारों लोगों ने एक विशाल रैली निकाली, जो बाद में हिंसक झड़पों में बदल गई। हालात काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों ने बल प्रयोग किया, जिसमें एक पत्रकार की मौत हो गई।

प्रदर्शन के दौरान हिंसा, पुलिस ने चलाई गोलियां

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पहले आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद भीड़ के उग्र होने पर रबर की गोलियां और गोलियां चलाई गईं। पुलिस प्रवक्ता दिनेश कुमार आचार्य ने बताया कि इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। इसके अलावा, एक पत्रकार की भी उस समय मौत हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत में आग लगा दी, जहां से वह कवरेज कर रही थीं।

राजशाही की बहाली की मांग के गूंजे नारे

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के पास एकत्र होकर "राजा और देश हमें जान से भी प्यारे हैं" जैसे नारे लगाए। नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट के कारण राजशाही की बहाली की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। काठमांडू घाटी पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शन के दौरान कई सरकारी इमारतों और वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस प्रवक्ता शेखर खनाल ने बताया कि इस हिंसा में चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

23 प्रदर्शनकारी घायल, 17 गिरफ्तार, कर्फ्यू लागू

हिंसा के दौरान 23 प्रदर्शनकारी घायल हुए, जबकि 17 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरे काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग क्यों बढ़ रही है?

नेपाल 2008 तक एक हिंदू राष्ट्र था, लेकिन लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाने के बाद इसे एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया। अब, 16 साल बाद, एक बार फिर से नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है। यह आंदोलन वामपंथी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

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डेंट्सु क्रिएटिव सिंगापुर की मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं फियोना हुआंग

डेंट्सु ने अपनी क्रिएटिव बिजनेस को और मजबूत करने के उद्देश्य से फियोना हुआंग (Fiona Huang) को डेंट्सु क्रिएटिव सिंगापुर का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया है।

Last Modified:
Wednesday, 26 March, 2025
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डेंट्सु ने अपनी क्रिएटिव बिजनेस को और मजबूत करने के उद्देश्य से फियोना हुआंग (Fiona Huang) को डेंट्सु क्रिएटिव सिंगापुर का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 25 मार्च 2025 से प्रभावी हो गई है।

फियोना हुआंग को ब्रैंड ग्रोथ और क्रिएटिव मार्केटिंग में 17 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने पर्यटन, F&B, टेक्नोलॉजी, लाइफस्टाइल, ऑर्ट सहित कई इंडस्ट्री में नए और प्रतिष्ठित ब्रैंड्स के लिए प्रभावी रणनीतियों को लागू किया है। उनके नेतृत्व में कई ब्रैंड्स ने नए बाजारों में सफलता हासिल की है और बेहतरीन क्रिएटिव कैंपेन विकसित किए हैं।

डेंट्सु सिंगापुर के सीईओ व डेंट्सु SEA के क्लाइंट्स एंड सॉल्यूशंस के सीईओ प्रकाश कामदार ने कहा, "फियोना के पास रणनीतिक नेतृत्व और ऑपरेशनल उत्कृष्टता का मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। उनकी दृष्टि और रचनात्मकता हमारे क्रिएटिव बिजनेस को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगी। यह नियुक्ति हमारे इनोवेशन और स्थायी सफलता की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है। मुझे पूरा विश्वास है कि फियोना का अनुभव हमारी टीमों को प्रेरित करेगा और हमारे हितधारकों के लिए मूल्यवर्धन करेगा।"

अपनी नई भूमिका को लेकर फियोना हुआंग ने कहा, "हम ऐसे दौर में काम कर रहे हैं जहां हमेशा नए बदलाव देखने को मिलते हैं, इसलिए हमें भी लगातार नए दृष्टिकोण अपनाने होंगे। आज हमारे पास क्रिएटिविटी के भविष्य को फिर से गढ़ने के कई अवसर हैं, इसलिए हमें इसे सही दिशा में, तेज़ी और प्रभावशीलता के साथ आगे बढ़ाना होगा। मैं डेंट्सु की इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता का उपयोग कर ब्रैंड्स और उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत संबंध बनाने के लिए उत्साहित हूं।"

फियोना हुआंग की यह नियुक्ति डेंट्सु सिंगापुर द्वारा हाल ही में राहुल थप्पा को अपने CXM और मीडिया बिजनेस के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद हुई है। डेंट्सु सिंगापुर 2020 से अपने क्रिएटिव, CXM और मीडिया सेगमेंट्स के बेहतर समन्वय के लिए एकीकृत रणनीति अपना रहा है, ताकि क्लाइंट-केंद्रित सेवाएं अधिक प्रभावी तरीके से प्रदान की जा सकें।

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इटली के समाचार पत्र का दावा, खुद को बताया AI से तैयार, दुनिया का पहला अखबार

इटली के एक समाचार पत्र ने दावा किया है कि वह दुनिया का पहला ऐसा अखबार है जिसने पूरी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा तैयार किया गया संस्करण प्रकाशित किया है।

Last Modified:
Wednesday, 19 March, 2025
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इटली के एक समाचार पत्र ने दावा किया है कि वह दुनिया का पहला ऐसा अखबार है जिसने पूरी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा तैयार किया गया संस्करण प्रकाशित किया है।

कंजरवेटिव-लिबरल दैनिक अखबार IL Foglio की इस पहल को एक महीने तक चलने वाले पत्रकारिता प्रयोग का हिस्सा बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि AI तकनीक हमारे काम करने के तरीके और हमारी दिनचर्या को कैसे प्रभावित करती है। अखबार के संपादक Claudio Cerasa ने यह जानकारी दी है।

चार पन्नों वाला IL Foglio AI, अखबार के मुख्य संस्करण के साथ संलग्न किया गया है और यह मंगलवार से न्यूजस्टैंड और ऑनलाइन दोनों माध्यमों पर उपलब्ध है।

सेरसा ने कहा, "यह दुनिया का पहला दैनिक समाचार पत्र होगा जिसे पूरी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से तैयार किया गया है। इसमें सबकुछ- लेखन, सुर्खियां, उद्धरण, सारांश और कभी-कभी व्यंग्य भी—AI के जरिए बनाया गया है।" उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में पत्रकारों की भूमिका केवल AI टूल में प्रश्न पूछने और उत्तर पढ़ने तक सीमित थी।

यह प्रयोग ऐसे समय में किया गया है जब दुनियाभर में समाचार संगठनों के बीच इस बात पर चर्चा चल रही है कि AI का उपयोग किस हद तक किया जाना चाहिए। इसी महीने, द गार्जियन ने रिपोर्ट किया था कि BBC News AI का उपयोग करके दर्शकों के लिए अधिक व्यक्तिगत सामग्री प्रदान करने की योजना बना रहा है।

IL Foglio AI के पहले संस्करण के मुखपृष्ठ पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी एक खबर प्रकाशित की गई है। यह खबर "इटली में ट्रंप समर्थकों का विरोधाभास" (paradox of Italian Trumpians) शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसमें बताया गया कि कैसे ये लोग "कैंसिल कल्चर" (cancel culture) का विरोध करते हैं, लेकिन जब अमेरिका में उनका आदर्श नेता किसी तानाशाह की तरह व्यवहार करता है तो या तो वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं या फिर उसका जश्न मनाते हैं।

पहले पन्ने पर एक और मुख्य लेख प्रकाशित हुआ, जिसका शीर्षक था "Putin, the 10 betrayals". इस लेख में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा किए गए "20 वर्षों के दौरान तोड़े गए वादों, रद्द किए गए समझौतों और विश्वासघात" को उजागर किया गया है।

इटली अर्थव्यवस्था पर एक सकारात्मक खबर भी प्रकाशित की गई है, जो राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी Istat की नवीनतम रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट में आय पुनर्वितरण (इनकम रिडिस्ट्रिब्यूशन) के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं और बताया गया है कि देश में हालात "बदल रहे हैं और वह भी बुरी दिशा में नहीं"। इसमें 750,000 से अधिक कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि को आयकर सुधारों के सकारात्मक प्रभाव के रूप में बताया गया है।

दूसरे पन्ने पर "सिचुएशनशिप" (Situationships) पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें बताया गया कि कैसे युवा यूरोपीय लोग अब स्थायी रिश्तों से दूर भाग रहे हैं। अखबार में प्रकाशित सभी लेख संरचित, स्पष्ट और सीधी भाषा में हैं और इनमें कोई भी व्याकरण संबंधी त्रुटि नजर नहीं आई।

हालांकि, समाचार पृष्ठों में प्रकाशित किसी भी लेख में किसी वास्तविक व्यक्ति का सीधा उद्धरण (क्वोट) शामिल नहीं था। अंतिम पृष्ठ पर पाठकों द्वारा संपादक को लिखे पत्रों को AI द्वारा तैयार किया गया। इन पत्रों में से एक में पूछा गया कि "क्या AI भविष्य में मनुष्यों को कमजोर बना देगा?"। इस पर AI द्वारा तैयार उत्तर में लिखा गया: "AI एक बड़ी इनोवेटिव तकनीक है, लेकिन अभी भी यदि इसे कॉफी ऑर्डर करने को कहें, तो यह सही मात्रा में चीनी डालने में भी गलती कर सकती है।"

सेरसा का कहना है कि IL Foglio AI वास्तव में एक "वास्तविक समाचार पत्र" की तरह तैयार किया गया है और यह "खबरों, बहस और विचारों का मिश्रण" है। लेकिन यह एक प्रयोगात्मक प्रयास भी है, जिसमें यह परखा गया कि AI के उपयोग से एक दैनिक समाचार पत्र को कैसे तैयार किया जा सकता है और इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं। साथ ही, इस प्रक्रिया ने कई ऐसे सवाल खड़े किए जिनका जवाब केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं है।

सेरसा ने अंत में कहा, "यह बस एक और Foglio है, जिसे बुद्धिमत्ता (intelligence) के साथ बनाया गया है- इसे कृत्रिम (artificial) मत कहिए।"

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'वॉइस ऑफ अमेरिका' पर संकट: 1300 एम्प्लॉयीज की छुट्टी, कई चैनलों के प्रसारण ठप: रिपोर्ट्स

अमेरिका की सरकारी मल्टीमीडिया प्रसारण सेवा 'वॉइस ऑफ अमेरिका' (VOA) बड़े संकट से गुजर रही है।

Last Modified:
Monday, 17 March, 2025
VOI

अमेरिका की सरकारी मल्टीमीडिया प्रसारण सेवा 'वॉइस ऑफ अमेरिका' (VOA) बड़े संकट से गुजर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर VOA की पैरेंट कंपनी के साथ अनुबंध रद्द कर दिया है, जिससे इस प्रतिष्ठित न्यूज सेवा पर ताले लगाने की नौबत आ गई है। इस आदेश के बाद, 1300 एम्प्लॉयीज को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया और कई चैनलों का प्रसारण ठप हो गया है।

50 से अधिक भाषाओं में न्यूज सेवा प्रभावित

VOA के निदेशक माइकल अब्रामोविट्ज ने इस फैसले पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने लिंक्डइन पर पोस्ट करते हुए कहा, "83 वर्षों में पहली बार वॉइस ऑफ अमेरिका को पूरी तरह से चुप करा दिया गया है। हमारे 1300 से अधिक पत्रकार, प्रोड्यूसर्स और सहयोगी एम्प्लॉयीज को अचानक छुट्टी पर भेज दिया गया है।" उन्होंने बताया कि इससे 50 से अधिक भाषाओं में प्रसारित होने वाली न्यूज सेवा पूरी तरह से प्रभावित हो गई है।

न्यूज की जगह म्यूजिक का प्रसारण

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, VOA के विभिन्न चैनलों पर न्यूज प्रसारण रोक दिया गया है और स्थानीय रेडियो स्टेशनों पर अब न्यूज की जगह म्यूजिक चलाया जा रहा है। एडिटर्स और रिपोर्टर्स को काम बंद करने का निर्देश दिया गया है, जिससे दुनियाभर की कवरेज ठप हो गई है।

यूएसएजीएम के अन्य नेटवर्क भी प्रभावित

VOA, यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) का हिस्सा है, जो रेडियो फ्री यूरोप, रेडियो फ्री एशिया और मिडल ईस्ट ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क जैसे कई अन्य प्रसारण सेवाओं का संचालन करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने इन नेटवर्क के अनुबंध भी समाप्त कर दिए हैं, जिससे ये भी छंटनी की चपेट में आ गए हैं।

ट्रंप प्रशासन का तर्क: पैसे की बर्बादी

डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों का मानना है कि इस तरह के सरकारी प्रसारण से केवल पैसे की बर्बादी होती थी। उनका दावा है कि चीन और अन्य देशों में अमेरिका द्वारा किए जा रहे न्यूज प्रसारण से राष्ट्रीय हितों को खतरा था। दशकों से अमेरिका अंतरराष्ट्रीय न्यूज कवरेज और करेंट अफेयर्स पर भारी खर्च करता आ रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह बजट सही जगह इस्तेमाल नहीं हो रहा था।

क्या यह विदेशी प्रसारण पर अंकुश लगाने की शुरुआत है?

यह फैसला अमेरिका की मीडिया नीति में बड़े बदलाव का संकेत देता है। VOA को दुनियाभर में निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए जाना जाता है, लेकिन इस फैसले से यह सवाल उठने लगा है कि क्या अमेरिका विदेशों में अपने न्यूज प्रसारण को नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है? इस कदम के दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं, खासकर उन देशों में जहां अमेरिकी प्रसारण को स्वतंत्रता और निष्पक्ष खबरों का स्रोत माना जाता था।

अब यह देखना होगा कि VOA और अन्य प्रभावित नेटवर्क इस फैसले से कैसे उबरते हैं और क्या ट्रंप प्रशासन पर इसे वापस लेने का कोई दबाव बनता है।

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डिज्नी में छंटनी, 200 एम्प्लॉयीज पर गिरी गाज: रिपोर्ट

वॉल्ट डिज्नी कंपनी (Walt Disney Co.) अपने ABC न्यूज ग्रुप व डिज्नी एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स में लगभग 200 नौकरियों में कटौती कर रही है।

Last Modified:
Thursday, 06 March, 2025
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वॉल्ट डिज्नी कंपनी (Walt Disney Co.) अपने ABC न्यूज ग्रुप व डिज्नी एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स में लगभग 200 नौकरियों में कटौती कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कटौती ABC न्यूज ग्रुप और डिज्नी एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स के कुल एम्प्लॉयीज का लगभग 6 प्रतिशत होगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कटौती का सबसे अधिक असर न्यूयॉर्क स्थित ABC न्यूज डिवीजन पर पड़ेगा। ABC न्यूज स्टूडियोज, 20/20 और नाइटलाइन जैसी प्रोडक्शन यूनिट्स का एकीकरण किया जाएगा और प्रभावित एम्प्लॉयीज को बुधवार को इसकी सूचना दी जाएगी, रिपोर्ट में दावा किया गया है।

रिपोर्ट्स का कहना है कि कंपनी ने इस संबंध में एक आंतरिक मेमो जारी किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मेमो में कहा गया है, "ABC न्यूज ग्रुप और डिज्नी एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स लगातार संसाधनों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और दक्षता बढ़ाने के नए तरीकों का मूल्यांकन कर रहे हैं।" 

इसके अतिरिक्त, कंपनी अपने राजनीतिक और डेटा-केंद्रित न्यूज साइट 538 को बंद करने जा रही है, जिसमें लगभग 15 एम्प्लॉयीज कार्यरत हैं।

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