पत्रकार की शिकायत पर मुंबई की अदालत में 12 जुलाई को होगी सुनवाई
बॉलिवुड के दबंग यानी सलमान खान एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल, JK24x7 न्यूज चैनल के महाराष्ट्र के हेड अशोक पांडे ने सलमान खान और उनके सहयोगियों के खिलाफ धमकी, दुर्व्यवहार और गालीगलौज करने समेत कई आरोपों में मुंबई के अंधेरी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट (Metropolitan Magistrate Court) में शिकायत दर्ज कराई है।
अशोक पांडे के वकील नीरज गुप्ता के अनुसार, सलमान खान, उनके सहयोगी विजय और एक अज्ञात के खिलाफ दर्ज इस शिकायत पर 12 जुलाई को सुनवाई होगी। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट यह तय करेगी कि पुलिस को जांच का आदेश दिया जाए अथवा आरोपियों को सम्मन जारी किया जाए।
अपनी शिकायत में पांडे का कहना है कि 24 अप्रैल को वह कैमरामैन सैयद इरफान के साथ अपनी कार से कांदिवली से जुहू जा रहे थे। यहां उन्होंने सलमान खान को दो सुरक्षाकर्मियों के साथ साइकिल चलाते हुए देखा। पांडे के अनुसार उन्होंने दोनों सुरक्षाकर्मियों से अनुमति लेकर अपने मोबाइल से सलमान का विडियो बनाना शुरू कर दिया। इस पर सलमान ने अपने सुरक्षाकर्मियों के जरिये उन्हें ऐसा करने से मना किया। इस दौरान उनकी सुरक्षाकर्मियों से बहस हो गयी। इसके बाद सलमान के बॉडीगार्ड ने कैमरामैन को धक्का भी मारा।
इस बीच सलमान खुद आये और उन्होंने पांडे के हाथ से मोबाइल छीन लिया। इससे नाराज़ पांडे ने जब 100 नंबर डायल किया तो उनका मोबाइल वापस कर दिया गया। इसके बाद पांडे ने मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन में अभिनेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
इस घटना के करीब दो महीने बाद डीएन नगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया कि इस मामले में किसी तरह का अपराध नहीं बनता है। पांडे के अनुसार, इस दौरान सलमान खान की तरफ से जोहैब नामक व्यक्ति ने फोन कर मामले में समझौता करने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद पांडे ने कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई कि इस मामले में पुलिस को जांच का आदेश दिया जाए और आरोपियों के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्यवाही की जाए।
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शीर्ष अदालत ने मामले से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई
हैदराबाद कांड में मीडिया की भूमिका पर उठे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के साथ ही ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत चाहती है कि बलात्कार और हत्या जैसे संगीन मामलों की रिपोर्टिंग के संबंध में मीडिया को खास ध्यान रखना चाहिए।
हालांकि अदालत ने साफ किया है कि उसका इरादा मीडिया को रिपोर्टिंग से रोकने का बिलकुल नहीं है, बल्कि वह जांच के पहलुओं को सार्वजनिक होने से रोकने पर विचार कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने हैदराबाद कांड से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर मीडिया में सुबह से लेकर शाम तक केस से जुड़े सबूत क्यों दिखाए जाते रहे? इस पर तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मीडिया में खबर आने के बाद ही इस बारे में सबको पता चला।
चीफ जस्टिस ने अदालत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि हम मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं, हम केवल यही चाहते हैं कि जांच से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को सार्वजनिक न किया जाए। अदालत ने वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के सभी आरोपितों के एनकाउंटर की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराये जाने के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इस फेर में कई मीडिया संस्थानों ने पीड़िता और उसके परिवार की न सिर्फ पहचान उजागर की थी, बल्कि पीड़िता की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई थी। इसके अलावा, आरोपितों की तस्वीरें भी सार्वजनिक कर दी गई थीं।
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स्थानीय सहित राष्ट्रीय अखबारों में भी उनके द्वारा खींची गईं फोटो छपती रही हैं। उन्होंने पिछले साल शादी भी कर ली, मगर एक ही झटके में पूरी तस्वीर ही बदल गई
मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं करा लेती। अपनी तस्वीरों से अखबारों में छाए रहने वाले फोटो जर्नलिस्ट मुनीब उल इस्लाम आज मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालने को विवश हैं। मुनीब के बुरे दिन कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिली आजादी के साथ शुरू हुए। कुछ दिन तो उन्होंने जैसे-तैसे गुजार लिए, लेकिन जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो उन्हें मजबूरन कैमरा किनारे रखकर ईंट-पत्थरों से भरे तसले उठाने पड़े।
अनंतनाग निवासी मुनीब फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट के रूप में पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं। स्थानीय सहित राष्ट्रीय अखबारों में भी उनके द्वारा खींची गईं फोटो छपती रही हैं। पांच अगस्त से पहले तक उनकी जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी। उन्होंने पिछले साल शादी भी कर ली, मगर एक ही झटके में पूरी तस्वीर ही बदल गई।
दरअसल, अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही सरकार ने एहतियात के तौर पर घाटी में कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इनमें फोन और इंटरनेट सेवा भी शामिल है। इंटरनेट सेवा तो अब तक पूरी तरह बहाल नहीं हो सकी है, जिसका खामियाजा मीडिया और पत्रकारों को भी उठाना पड़ा। खासकर मुनीब जैसे पत्रकार सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जिन्हें सैलरी नहीं मिलती।
वैसे, श्रीनगर के पत्रकार मीडिया सुविधा केंद्र में इंटरनेट उपयोग कर सकते हैं, लेकिन कश्मीर के अन्य जिलों में काम करने वाले पत्रकारों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है। इसके परिणामस्वरूप पत्रकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। घाटी के माहौल के चलते मीडिया संस्थानों को विज्ञापन आदि से होने वाले कमाई में भी गिरावट आई है, इससे निपटने के लिए उनके द्वारा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है।
30 वर्षीय मुनीब ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस तरह मजदूरी करनी पड़ेगी। वह कहते हैं, ‘मैंने पिछले साल शादी की थी। मेरी पत्नी प्रेग्नेंट हैं, जिसकी देखभाल के लिए मुझे पैसों की जरूरत रहती है। यही वजह है कि जब हालात नहीं बदले तो मुझे मजदूरी करने पर विवश होना पड़ा। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में से अधिकांश दिन मैं बेरोजगार ही रहा।’
ऐसा नहीं है कि मुनीब ने घाटी की फिजा को कैमरे में उतारना बंद कर दिया है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी उन्होंने सैकड़ों तस्वीरें खींचीं, लेकिन इंटरनेट सेवा बहाल नहीं होने के चलते वह उन्हें किसी पब्लिकेशन को भेज नहीं सके। मुनीब और उनके जैसे पत्रकारों के लिए बार-बार श्रीनगर जाना संभव नहीं है। नतीजतन, उनकी फोटो-खबरें बस उनकी ही होकर रह गई हैं।
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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील में नमक-रोटी दिए जाने की खबर दिखाने पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज किया गया था मुकदमा
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को नमक-रोटी दिए जाने की खबर को लेकर मुकदमे का सामना कर रहे ‘जनसंदेश टाइम्स’ अखबार के पत्रकार पवन जायसवाल के मामले में अब ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (PCI) भी हरकत में आ गई है। काउंसिल ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक को तलब किया है। इन अधिकारियों से 18 दिसंबर तक अपना जवाब देने को कहा गया है।
बता दें कि ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ पहले ही पवन जायसवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को पत्रकारों के खिलाफ क्रूर कदम बताते हुए इसकी निंदा पर चुका है।
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व मिर्जापुर में हिनौता स्थित एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को मिड-डे मील के नाम पर नमक-रोटी खिलाने का मामला सामने आया था। पवन जायसवाल ने इस घटना का विडियो बनाकर सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर किया था। वहीं, मिर्जापुर के जिला प्रशासन का आरोप था कि पवन जायसवाल ने फर्जी तरीके से और गलत नीयत से यह विडियो बनाया। इसके बाद प्रशासन ने पवन जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।
प्रशासन ने पवन जायसवाल के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा उत्पन्न करने, झूठे साक्ष्य और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। एफआईआर के मुताबिक, इस विडियो को रिकॉर्ड करने के लिए गांव के एक अधिकारी ने जायसवाल के साथ साजिश रची थी, क्योंकि उन्हें पता था कि स्कूल में काम करने वाले रसोइए के पास सामान नहीं था।
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पत्रकार ने पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई करने की गुजारिश की है
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र जैन को जान से मारने की धमकी मिलने का मामला सामने आया है। बताया जाता है कि इस धमकी की वजह पिछले दिनों मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के संबंध में लिखी गई खबर है। रविंद्र जैन ने इस घटना से पुलिस को अवगत करा दिया है। दरअसल, रविंद्र जैन ने अपनी न्यूज वेबसाइट ‘सबकी खबर’ पर 18 नवंबर को एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में बताया गया था कि कैसे जुलानिया ने अपनी बेटी की कंपनी को अरबों के ठेके दिलवाए। इस खुलासे ने प्रदेश में हडकंप मचा दिया था।
‘समाचार4मीडिया’ से बातचीत में जैन ने बताया, ‘8 दिसंबर को एक अंजान शख्स हाथ में फाइल लिए मेरे आवास पर पहुंचा, लेकिन उस वक्त मैं घर पर नहीं था। उसने बताया कि उसे राधेश्याम जुलानिया ने कुछ जरूरी बात करने के लिए भेजा है। इस पर मेरे बेटे ने उसे घर के अंदर बुलाया। कुछ देर यहां-वहां की बातें करने के बाद उसने मेरे बेटे से कहा कि तुम्हारे पिता राधेश्याम जुलानिया को जानते नहीं हैं, जुलानिया उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर देंगे, आप भी उनकी लाश नहीं ढूंढ पाओगे। इतना कहने के बाद वो वहां से निकल गया, लेकिन मेरे बेटे ने उसकी एक फोटो खींच ली।’ जैन ने श्यामला हिल्स पुलिस स्टेशन में इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज की है।
बता दें कि रविंद्र जैन अब तक कई खुलासे कर चुके हैं। पुलिस और प्रशासन पर गहरी पकड़ रखने वाले जैन ने अपनी धारधार लेखनी की बदौलत सियासी गलियारों में भी जमकर हडकंप मचाया है। भोपाल से प्रकाशित होने वाले दैनिक ‘राज एक्सप्रेस’ में समूह संपादक की जिम्मेदारी संभालने के दौरान उन्होंने सत्ता प्रतिष्ठान की नींद उड़ा रखी थी। इसके बाद जब उन्होंने टैबलॉयड अखबार ‘अग्निबाण’ की कमान संभाली, तो तकरीबन रोजाना कोई न कोई विशेष खबर अखबार के फ्रंट पेज पर रहती थी। फिलहाल वह अपने न्यूज पोर्टल पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं और यहां भी उनकी खबरें सुर्खियां बंटोर रही हैं।
लोगों का कहना है कि चूंकि यह मामला सीधे तौर पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़ा है, लिहाजा यह देखने वाली बात होगी कि पुलिस क्या कार्रवाई करती है। जैन के अनुसार, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस विषय में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
जिस खबर के चलते रविंद्र जैन को धमकी मिली, उसे आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं:
रविंद्र जैन के बेटे द्वारा पुलिस में दी गई शिकायत की कॉपी आप यहां पढ़ सकते हैं:
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पूर्व में कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं कुमार उत्तम
‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार कुमार उत्तम ने यहां से बाय बोल दिया है। उन्होंने अब नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रतिष्ठित विमान निर्माता कंपनी ‘एयरबस’ (AirBus) का दामन थामा है। खबर है कि यहां उन्हें डायरेक्टर (कॉर्पोरेट अफेयर्स) की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बता दें कि कुमार उत्तम पूर्व में कई मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से रांची (झारखंड) के रहने वाले कुमार उत्तम ने हरियाणा के हिसार स्थित गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है।
कुमार उत्तम ने वर्ष 2000 में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में बतौर करेसपॉन्डेंट अपने करियर की शुरुआत की थी। करीब पौने पांच साल (दिसंबर 2000-सितंबर 2005) यहां काम करने के बाद उन्होंने अक्टूबर 2005 में बतौर प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट ‘डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड’ का दामन थाम लिया। यहां करीब दो साल अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोल दिया और सितंबर 2007 में स्पेशल पॉलिटिकल करेसपॉन्डेंट के तौर पर ‘द पॉयनियर’ से जुड़ गए। यहां करीब साढ़े छह साल तक उन्होंने अपनी सेवाएं दीं और फिर यहां से अलविदा कहकर फरवरी 2014 में एक बार फिर ‘एचटी मीडिया लिमिटेड’ के साथ जुड़ गए। अब करीब छह साल पुरानी अपनी पारी को विराम देकर कुमार उत्तम ने ‘एयरबस’ के साथ अपनी नई पारी शुरू की है।
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शाहीन भट्ट की बुक लॉन्चिंग के मौके पर मीडिया से मुखातिब था भट्ट परिवार, आलिया भट्ट ने किसी तरह कराया चुप
फिल्म निर्माता व निर्देशक महेश भट्ट एक रिपोर्टर द्वारा पूछे गए एक सवाल पर इतना भड़क गए कि कार्यक्रम में ही चिल्लाने लगे। बाद में उनकी बेटी और बॉलिवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने किसी तरह उन्हें शांत किया। पहले तो आलिया की बात को महेश भट्ट ने नजरअंदाज कर दिया, फिर जवाब देकर शांत हो गए। इस घटना का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
दरअसल, महेश भट्ट की बड़ी बेटी शाहीन भट्ट की किताब 'आई हैव नेवर बीन (अन) हैपियर' (I’ve Never been (Un)Happier) की लॉन्चिंग के मौके पर भट्ट परिवार मीडिया से मुखातिब हुआ था। इस दौरान डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ को लेकर बातचीत भी हुई।
इसी बीच एक रिपोर्टर ने महेश भट्ट से मनोचिकित्सक को लेकर कुछ सवाल पूछ लिया। बस, फिर क्या था। सवाल सुनते ही महेश भट्ट भड़क गए और चिल्लाने लगे। यह देखकर बगल में बैठी आलिया ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की। उन्होंने रिपोर्टर से यह भी कहा, 'मैंने आपको चेतावनी दी थी ऐसा होने वाला है।' इस बीच महेश भट्ट अपनी बात कहकर चुप हो जाते हैं। बता दें कि शाहीन भट्ट लंबे समय तक डिप्रेशन से जूझी हैं और उन्होंने अपनी जिंदगी के उस दौर पर यह किताब लिखी है।
आप भी यह विडियो यहां देख सकते हैं।
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1969 में पत्रकार भवन का निर्माण हुआ था और इसे 30 साल की लीज पर दिया गया था
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मालवीय नगर स्थित पत्रकार भवन को सोमवार को नगर निगम की टीम ने बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने यह कार्रवाई की। 1969 में पत्रकार भवन का निर्माण हुआ था और इसे लीज पर दिया गया था। अब लीज रिन्यूअल की रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद सरकार ने इस इमारत को गिराने का निर्देश दिया था, जिसके बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में इस इमारत को गिरा दिया गया।
इस मामले में मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कोर्ट द्वारा पत्रकार समितियों की अपील खारिज करने के बाद यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि पत्रकार भवन जर्जर हो गया था। अब पत्रकारों के लिए सर्व सुविधा युक्त भवन बनाया जाएगा। इससे पहले शनिवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इमारत में स्थित श्रमजीवी पत्रकार संघ का दफ्तर सील कर दिया था। प्रशासन का कहना था कि श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा हाई कोर्ट में लीज को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन खारिज हो गई है। वहीं, पत्रकार संघ का आरोप था हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद दफ्तर को सील किया गया है। प्रशासन ने दफ्तर सील करने के बाद इसे जनसंपर्क विभाग को सौंप दिया। श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेशध्यक्ष शलभ भदौरिया ने बताया कि पत्रकार भवन की लीज का केस हाई कोर्ट में चल रहा था, उसे खारिज कर दिया गया है।
बताया जाता है कि भोपाल के जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकार भवन को 30 साल की लीज पर दिया गया था। लेकिन 30 साल की लीज खत्म होने के बाद भी भवन को खाली नहीं किया जा रहा था, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। दो दिन पहले हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को पत्रकार भवन का कब्जा देने के आदेश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने इस भवन में ताला लगा दिया था।
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दिल्ली स्थित अपने घर पर बिना बताए ठहरे थे हरिद्वार के होटल में, वहां से बिना बताए चले गए थे कहीं
लापता चल रहे दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अनुज गुप्ता की मौत हो गई है। छत्तीसगढ़ में कोरबा के मूल निवासी अनुज गुप्ता नागपुर से पब्लिश होने वाले ‘नवभारत’ अखबार के दिल्ली में ब्यूरो चीफ थे। पूर्व में वह ‘जनसत्ता’ चंडीगढ़ में भी काम कर चुके थे। उनका शव गंग नहर पथरी पावर हाउस रानीपुर झाल से मिला है। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है। पुलिस इसे आत्महत्या से जुड़ा मामला बता रही है। मंगलवार की दोपहर करीब दो बजे दिल्ली में लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अनुज गुप्ता के परिवार में पत्नी, बेटी और बेटा है।
अनुज गुप्ता को करीब से जानने वालों का कहना है कि उन्हें ज्ञान अर्जन का काफी शौक था। नई-नई चीजों को जानने की उत्सुकता के चलते वह हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते रहते थे। यही कारण था कि उनके हाथ में अक्सर कोई न कोई किताब रहती थी।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने अनुज गुप्ता की मौत पर गहरा दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। एक ट्वीट में दीपक चौरसिया ने कहा है, 'पत्रकारिता के मेरे पहले गुरु अनुज गुप्ता जी आज जिंदगी की जंग हार गए! उन्होंने इस शहर में उंगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया था! अनुज जी यूं चले जाएंगे, सपने में नहीं सोचा था!'
पत्रकारिता के मेरे पहले गुरु अनुज गुप्ता जी आज ज़िंदगी की जंग हार गए! उन्होंने इस शहर में उँगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया था! अनुज जी यूँ चले जाएँगे, सपने में नहीं सोचा था! #RipAnujGupta pic.twitter.com/eCUamITwZB
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) December 9, 2019
बताया जाता है कि अनुज गुप्ता घर से बिना बताए हरिद्वार चले गए थे। यहां वह जीएसए गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। परिजनों ने दिल्ली में अनुज की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस तभी से उनकी तलाश में जुटी हुई थी। वहीं, हरिद्वार के जिस गेस्ट हाउस में वह ठहरे हुए थे, वहां से भी वह रविवार की देर रात संदिग्ध परिस्थितियों में किसी को बिना बताए कमरा लॉक कर कहीं चले गए थे।
रविवार को चेकआउट का समय होने के बाद होटल द्वारा रूम में फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। रूम खोलने की कोशिश की गई तो वह लॉक मिला। इसके बाद होटल प्रबंधन ने अनुज द्वारा दिए गए मोबाइल फोन पर संपर्क किया तब पता चला कि वह घर से बिना बताए निकले हैं।
इसके बाद होटल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। जब कमरा खोला गया तो पुलिस के भी होश उड़ गए। कमरे में बेड की चादर और तकिए सहित बाथरूम में खून ही खून पड़ा था, मगर अनुज कुमार गुप्ता रूम में मौजूद नहीं थे। पुलिस द्वारा जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई तो पता चला कि वह देर रात होटल के स्टाफ को बताए बिना वहां से चले गए थे। अब उनकी मौत के बाद पूरा मामला उलझ गया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
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देश के पहले टॉक शो आधारित टीवी चैनल ‘फाउंडर इंडिया’ ने शुरू किया है यह नया शो, Amazon fireTV के साथ ही यूट्यूब और फेसबुक पर भी उपलब्ध है
देश के पहले टॉक शो आधारित टीवी चैनल ‘फाउंडर इंडिया’ (Founder India) ने सहकारी क्षेत्र का पहला टीवी शो ‘CO-OPERATIVE TALKS’ शुरू किया है। लंबे समय से सहकारी आंदोलन को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार आलोक कुमार को इस शो को होस्ट करने की कमान सौंपी गई है।
इस शो में आलोक कुमार सहकारी क्षेत्र की हस्तियों से रूबरू होकर उनसे चर्चा करेंगे। सहकारिता से जुड़े और सहकारिता को समझने की इच्छा रखने वाले दर्शकों के लिए यह शो काफी खास भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही सहकारिता में हाथ आजमाने के इच्छुक उद्यमियों को इस शो के माध्यम से काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिलेगा।
इस टॉक शो के बारे में ‘फाउंडर इंडिया’ के संपादक लवजीत एलेक्जेंडर का कहना है कि इस टीवी टॉक शो का उद्देश्य सहकारिता के बारे में लोगों तक सही और तथ्यपरक जानकारी पहुंचाना है। यह शो युवाओं को सहकारिता के प्रति आकर्षित करने का काम करेगा।
Co-operative Talks के पहले ही एपिसोड में आलोक कुमार ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य डॉ.चंद्रपाल सिंह यादव से खास बातचीत की है। इस दौरान भारतीय सहकारी आंदोलन से जुड़े कई दिलचस्प तथ्य निकलकर सामने आए हैं। आने वाले दिनों में इस शो के द्वारा दर्शकों को सहकारी संस्थाओं और सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां पाने का मौका मिलेगा। इस शो को Amazon fireTV पर देखा जा सकता है। यूट्यूब और फेसबुक पर भी यह शो उपलब्ध है।
इस शो के पहले एपिसोड को आप यहां भी देख सकते हैं।
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प्रेजिडेंट के अलावा चार वाइस प्रेजिंडेट का भी किया गया चुनाव, फेडरेशन के सदस्यों ने सूचना-प्रसारण मंत्री से की मुलाकात
‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी को ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन’ (News Broadcasters Federation) का प्रेजिडेंट चुना गया है। न्यूज इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दे सुलझाने और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के हितों की रक्षा के लिए उन्हें एक मंच प्रदान करने के तहत देशभर के 25 राज्यों से जुड़े 14 भाषाओं के 78 से ज्यादा न्यूज चैनल्स ने मिलकर कुछ महीने पहले ही इस फेडरेशन का गठन किया है।
शनिवार को हुई ‘एनबीएफ’ की बैठक में अरनब गोस्वामी को ‘एनबीएफ’ के गवर्निंग बोर्ड का प्रेजिडेंट चुने जाने समेत कई निर्णय लिए गए। इस मौके पर ‘एनबीएफ’ के लिए चार वाइस प्रेजिडेंट का चुनाव भी किया गया। इनमें ‘Ortel Communications’ की को-फाउंडर ‘जागी मांगत पांडा’ (Jagi Mangat Panda), ‘Fourth Dimension Media’ के शंकर बाला, ’ Prag News’ के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव नारायण (Sanjive Narain) और ‘आईटीवी नेटवर्क’ के कार्तिकेय शर्मा शामिल हैं। ये चारों ‘एनबीएफ’ के गवर्निंग बोर्ड का हिस्सा होंगे। पूर्व पत्रकार और मीडिया सेक्टर में पब्लिक पॉलिसी स्पेशलिस्ट आर. जय कृष्णा को सर्वसम्मति से ‘एनबीएफ’ का पहला सेक्रेट्री जनरल/एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर चुना गया। आर. जय कृष्णा को दो दशक से ज्यादा का अनुभव है और उन्हें न्यूज मीडिया इंडस्ट्री में विशेषज्ञता हासिल है। अरनब गोस्वामी का कहना था, ‘देश के बड़े बॉडकास्टर्स द्वारा मुझ पर जो भरोसा जताया गया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। एनबीएफ एक गेम चेंजर है और यह काफी बड़ी बात है कि इतने सारे चैनल्स के मालिक और शीर्ष अधिकारियों ने इसके गठन में इतनी तेजी दिखाई है। लंबे समय से दिल्ली के चैनलों के एक समूह ने भारतीय ब्रॉडकास्टिंग को रिप्रजेंट करने का दावा किया है, एनबीएफ इस स्थिति को बदलेगा।’
इस बोर्ड मीटिंग से पूर्व ‘एनबीएफ’ के सदस्यों ने सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की और उन्हें अपना पहला ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जावड़ेकर ने मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में न्यूज चैनल्स के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए ‘एनबीएफ’ और इसके सदस्यों से एक मजबूत सेल्फ रेगुलेटरी मैकेनिज्म तैयार करने को कहा। ‘एनबीएफ’ के प्रेजिडेंट सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन अथॉरिटी’ (News Broadcasters Federation Authority) का गठन भी करेंगे। यह संस्था न्यूज ब्रॉडकास्टिंग के नए मानक तैयार करेगी और फेडरेशन में इनका उल्लंघन होने पर ऐसे मामलों का संज्ञान लेगी। इसके लिए संपादकों की एक कमेटी गठित की जाएगी। इसमें चार संपादकों के अलावा एक चेयरमैन और स्वतंत्र तौर पर चार जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी। कमेटी की कमान चेयरमैन के हाथ में होगी। बताया जाता है कि जनवरी 2020 के अंत तक इसके गठन के बारे में आधिकारिक रूप से घोषणा की जा सकती है। इस मौके पर ‘एनबीएफ’ के सदस्यों ने तीन मुद्दों ‘पब्लिक पॉलिसी’, ‘डिस्ट्रीब्यूशन’ और ‘फाइनेंस’ से जुड़ी कमेटियों के सदस्यों के नामों को भी अंतिम रूप दिया।
गौरतलब है कि ‘एनबीएफ’ के फाउंडर मेंबर्स में ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ (रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत), ‘Puthiyathalaimurai और V6 News’ (तमिलनाडु), ‘Orissa TV (ओडिशा), ‘IBC24’ (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘एशियानेट न्यूज नेटवर्क’ (केरल और कर्नाटक), ‘टीवी9 भारतवर्ष’, ‘न्यूजलाइव’ और ‘नॉर्थईस्ट लाइव’ (असम और नॉर्थईस्ट), ‘फर्स्ट इंडिया न्यूज’ (राजस्थान), ‘कोलकाता टीवी’ (पश्चिम बंगाल), ‘सीवीआर न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘Polimer News’ (तमिलनाडु), ‘खबर फास्ट’ (हरियाणा), ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (पंजाब), ‘Prag News’ (असम), ‘एनटीवी’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘महा न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘टीवी5 न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘एमकेटीवी’ (तमिलनाडु), ‘वनिता टीवी’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘DNN’ और ‘IND24’ (मध्य प्रदेश), ‘श्री शंकर टीवी और आयुष टीवी’ (कर्नाटक), ‘A1 TV’ (जयपुर), ‘पावर टीवी’(कर्नाटक), ’राज न्यूज’ (तमिलनाडु), ‘फ्लॉवर्स टीवी’ (केरल), ‘सीवीआर न्यूज नेटवर्क’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना),’ नेशनल वॉयस’ (उत्तर प्रदेश), ‘निर्माण न्यूज’(गुजरात), ‘आनंदी टीवी’ (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘वीआरएल मीडिया’ (कर्नाटक), ‘कलकत्ता न्यूज’ (पश्चिम बंगाल), ‘न्यूज 7’ (तमिलनाडु), ‘डीएनएन एंड न्यूज वर्ल्ड’ ( मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘एमएच वन’ (हरियाणा), ‘मंतव्य न्यूज’ (गुजरात), ‘गुजरात टेलिविजन’ ( गुजरात), ‘एस न्यूज’( पश्चिम बंगाल) ‘बंसल टीवी’ ( मध्य प्रदेश) और ‘Onkat TV’ (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।
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