केंद्र सरकार ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को वर्ष 2025 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है।
केंद्र सरकार ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को वर्ष 2025 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार 139 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाना है। इसमें सात विशिष्ट लोगों को पद्म विभूषण और 19 लोगों को पद्म भूषण सम्मान दिया जाएगा। वहीं, 113 लोगों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।
पद्म भूषण पुरस्कार पाने वालों की लिस्ट में ‘प्रसार भारती’ के पूर्व चेयरमैन ए. सूर्यप्रकाश का नाम भी शामिल है। कर्नाटक के ए. सूर्यप्रकाश को साहित्य और शिक्षा-पत्रकारिता के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।
इसके अलावा यूपी से आने वाले वरिष्ठ पत्रकार और ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ के अध्यक्ष रामबहादुर राय को भी साहित्य और शिक्षा-पत्रकारिता के क्षेत्र में पद्म भूषण पुरस्कार दिया जाएगा।
बता दें कि पद्म पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। देश के राष्ट्रपति द्वारा हर साल मार्च/अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले औपचारिक समारोहों में ये पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
ये पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में दिए जाते हैं।
इसके तहत असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म विभूषण' , उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म भूषण' और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्मश्री' दिया जाता है।
स्टार्टअप पॉलिसी फोरम (SPF) ने इंडियाAI मिशन के साथ साझेदारी में 'IndiaAI in Action' पॉडकास्ट सीरीज की शुरुआत की घोषणा की है।
स्टार्टअप पॉलिसी फोरम (SPF) ने इंडियाAI मिशन के साथ साझेदारी में 'IndiaAI in Action' पॉडकास्ट सीरीज की शुरुआत की घोषणा की है। यह सीरीज इस बात पर केंद्रित है कि भारत के अग्रणी स्टार्टअप्स किस तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके इंडस्ट्री से जुड़ी चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं और वास्तविक कारोबारी तथा सामाजिक परिणाम ला रहे हैं।
'IndiaAI in Action' उन फाउंडर्स की यात्रा को दर्ज करता है जो AI का उपयोग इनोवेशन को आगे बढ़ाने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी समाधान देने के लिए कर रहे हैं।
पहले सीजन में जिन इंडस्ट्री लीडर्स को शामिल किया गया है, उनमें हैं- हर्षिल माथुर, को-फाउंडर, Razorpay; विवेक राघवन, को-फाउंडर, Sarvam AI; संकेत शाह और अंशुल खंडेलवाल, को-फाउंडर्स, Invideo और आलोक बाजपेयी व रजनीश कुमार, को-फाउंडर्स, ixigo।
खुली बातचीत और गहन कहानी कहने के अंदाज के जरिए यह सीरीज दिखाती है कि भारतीय संस्थापक फिनटेक, ट्रैवल, हेल्थकेयर, कंटेंट क्रिएशन, एंटरप्राइज सॉल्यूशंस और अन्य क्षेत्रों में कैसे AI के जरिए इनोवेशन कर रहे हैं और उसे अपना रहे हैं।
यह पॉडकास्ट AI Impact Summit से पहले लॉन्च किया जा रहा है, जिसका आयोजन भारत में फरवरी 2026 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा इंडियाAI मिशन द्वारा किया जाएगा।
यह समिट वैश्विक राष्ट्राध्यक्षों, नीति-निर्माताओं और इनोवेशन करने वालों को एकजुट करेगा ताकि AI को जिम्मेदारी और समावेशी तरीके से अपनाने की दिशा तय की जा सके।
MeitY के अतिरिक्त सचिव और इंडियाAI मिशन के प्रमुख अभिषेक सिंह ने कहा, 'इंडियाAI मिशन पूरे देश में AI को अपनाने और उसके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘IndiaAI in Action’ सीरीज इस मिशन को वास्तविक उत्पादों और समाधानों में बदलने में हमारे स्टार्टअप्स के प्रभाव को सामने लाती है। ये कहानियां भारत की स्थिति को एक वैश्विक AI इनोवेशन और उद्यमिता केंद्र के रूप में और मजबूत करती हैं।'
स्टार्टअप पॉलिसी फोरम की प्रेसिडेंट एवं सीईओ श्वेता राजपाल कोहली ने कहा, 'IndiaAI in Action के जरिए हमारा लक्ष्य है प्रेरित करना, शिक्षित करना और AI इनोवेशन व अपनाने को बढ़ावा देना- दूरदर्शी फाउंडर्स और अत्याधुनिक AI उपयोग मामलों पर रोशनी डालकर। यह सीरीज बताती है कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम कितनी तेजी से इस परिवर्तनकारी तकनीक को अपना रहा है और इसका व्यवसाय व समाज पर क्या असर हो रहा है।'
'IndiaAI in Action' सीरीज को Vultr द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा निजी क्लाउड प्लेटफॉर्म है और 32 वैश्विक डेटा सेंटर्स में 2,20,000 से अधिक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करता है।
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सैयद सुहेल को मीडिया में काम करने का करीब 19 साल का अनुभव है। मीडिया के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘जैन टीवी’ से की थी।
वरिष्ठ पत्रकार और सीनियर न्यूज एंकर सैयद सुहेल ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ को अलविदा कहने के बाद ‘एनडीटीवी’ (NDTV) की टीम में शामिल हो गए है। इस बीच उनके नए शो का ऐलान भी हो गया है। उनका शो 30 अगस्त से रोज रात 9 बजे प्रसारित होगा। उनके शो का नाम 'भारत की बात बताता हूं' रखा गया है।
आपका इंतजार खत्म ?
— Syed Suhail (@SyyedSuhail) August 27, 2025
30 अगस्त रात 8.50 पर @ndtvindia @rahulkanwal @RohitVEditor #ndtv #BharatKiBaatBatataHoon pic.twitter.com/iqIOPPAQxz
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सैयद सुहेल को मीडिया में काम करने का करीब 19 साल का अनुभव है। मीडिया के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘जैन टीवी’ से की थी।
इसके बाद वह ‘न्यूज 24’ (News 24) और ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ के साथ बतौर सीनियर एडिटर और एंकर करीब साढ़े छह साल से जुड़े हुए थे और इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ के लोकप्रिय प्राइम टाइम शो ‘ये भारत की बात है’ को भी उन्होंने होस्ट किया।
संघ का स्वयंसेवक कोई व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा नहीं रखता। यहाँ इंसेंटिव नहीं हैं, बल्कि डिसइंसेंटिव अधिक हैं। स्वयंसेवक समाज-कार्य में आनंद का अनुभव करते हुए कार्य करते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज और जीवन में संतुलन ही धर्म है, जो किसी भी अतिवाद से बचाता है। भारत की परंपरा इसे मध्यम मार्ग कहती है और यही आज की दुनिया की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के समक्ष उदाहरण बनने के लिए समाज परिवर्तन की शुरुआत घर से करनी होगी।
इसके लिए संघ ने पंच परिवर्तन बताए हैं - कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्व-बोध (स्वदेशी) और नागरिक कर्तव्यों का पालन। आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वदेशी को प्राथमिकता दें तथा भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार केवल स्वेच्छा से होना चाहिए, किसी दबाव में नहीं। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला ‘100 वर्ष की संघ यात्रा - नए क्षितिज’ के दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, उत्तर क्षेत्र के प्रांत संघचालक पवन जिंदल और दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल मंच पर उपस्थित रहे। मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ का कार्य शुद्ध सात्त्विक प्रेम और समाजनिष्ठा पर आधारित है। “संघ का स्वयंसेवक कोई व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा नहीं रखता। यहाँ इंसेंटिव नहीं हैं, बल्कि डिसइंसेंटिव अधिक हैं। स्वयंसेवक समाज-कार्य में आनंद का अनुभव करते हुए कार्य करते हैं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि जीवन की सार्थकता और मुक्ति की अनुभूति इसी सेवा से होती है। सज्जनों से मैत्री करना, दुष्टों की उपेक्षा करना, कोई अच्छा करता है तो आनंद प्रकट करना, दुर्जनों पर भी करुणा करना - यही संघ का जीवन मूल्य है। हिन्दुत्व की मूल भावना पर कहा कि हिन्दुत्व सत्य, प्रेम और अपनापन है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें सिखाया कि जीवन अपने लिए नहीं है।
यही कारण है कि भारत को दुनिया में बड़े भाई की तरह मार्ग दिखाने की भूमिका निभानी है। इसी से विश्व कल्याण का विचार जन्म लेता है। सरसंघचालक ने चिंता जताई कि दुनिया कट्टरता, कलह और अशांति की ओर जा रही है। पिछले साढ़े तीन सौ वर्षों में उपभोगवादी और जड़वादी दृष्टि के कारण मानव जीवन की भद्रता क्षीण हुई है। उन्होंने गांधी जी के बताए सात सामाजिक पापों, “काम बिना परिश्रम, आनंद बिना विवेक, ज्ञान बिना चरित्र, व्यापार बिना नैतिकता, विज्ञान बिना मानवता, धर्म बिना बलिदान और राजनीति बिना सिद्धांत” का उल्लेख करते हुए कहा कि इनसे समाज में असंतुलन गहराता गया है।
सरसंघचालक जी ने कहा कि आज दुनिया में समन्वय का अभाव है और दुनिया को अपना नजरिया बदलना होगा। दुनिया को धर्म का मार्ग अपनाना होगा। “पूजा-पाठ और कर्मकांड से परे धर्म है। सभी प्रकार के रिलिजन से ऊपर धर्म है। धर्म हमें संतुलन सिखाता है - हमें भी जीना है, समाज को भी जीना है और प्रकृति को भी जीना है।” धर्म ही मध्यम मार्ग है जो अतिवाद से बचाता है। धर्म का अर्थ है मर्यादा और संतुलन के साथ जीना। इसी दृष्टिकोण से ही विश्व शांति स्थापित हो सकती है।
धर्म को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा, “धर्म वह है जो हमें संतुलित जीवन की ओर ले जाए, जहाँ विविधता को स्वीकार किया जाता है और सभी के अस्तित्व को सम्मान दिया जाता है।” उन्होंने बल दिया कि यही विश्व धर्म है और हिन्दू समाज को संगठित होकर इसे विश्व के सामने प्रस्तुत करना होगा। वैश्विक संदर्भ में उन्होंने कहा कि शांति, पर्यावरण और आर्थिक असमानता पर चर्चा तो हो रही है, उपाय भी सुझाए जा रहे हैं, लेकिन समाधान दूर दिखाई देता है। “
इसके लिए प्रमाणिकता से सोचना होगा और जीवन में त्याग तथा बलिदान लाना होगा। संतुलित बुद्धि और धर्म दृष्टि का विकास करना होगा।” भारत के आचरण की चर्चा करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि “हमने हमेशा अपने नुकसान की अनदेखी करते हुए संयम रखा है। जिन लोगों ने हमें नुकसान पहुँचाया, उन्हें भी संकट में मदद दी है। व्यक्ति और राष्ट्रों के अहंकार से शत्रुता पैदा होती है, लेकिन अहंकार से परे हिन्दुस्तान है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को अपने आचरण से दुनिया में उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि आज समाज में संघ की साख पर विश्वास है। “संघ जो कहता है, उसे समाज सुनता है।” यह विश्वास सेवा और समाजनिष्ठा से अर्जित हुआ है। भविष्य की दिशा पर सरसंघचालक जी ने कहा कि संघ का उद्देश्य है कि सभी स्थानों, वर्गों और स्तरों पर संघ कार्य पहुँचे। साथ ही समाज में अच्छा काम करने वाली सज्जन शक्ति आपस में जुड़े।
इससे समाज स्वयं संघ की ही तरह चरित्र निर्माण और देशभक्ति के कार्य को करेगा। इसके लिए हमें समाज के कोने-कोने तक पहुंचना होगा। भौगोलिक दृष्टि से सभी स्थानों और समाज के सभी वर्गों एवं स्तरों में संघ की शाखा पहुंचानी होगी। सज्जन शक्ति से हम संपर्क करेंगे और उनका आपस में भी संपर्क कराएंगे। उन्होंने कहा कि संघ मानता है कि हमें समाज में सद्भावना लानी होगी और समाज के ओपिनियन मेकर्स से निरंतर मिलना होगा।
इनके माध्यम से एक सोच विकसित करनी होगी। वे अपने समाज के लिए काम करें, उसमें हिन्दू समाज को अंग होने का अनुभव पैदा हो और वे भौगोलिक परिस्थितियों से जुड़ी चुनौतियों का स्वयं समाधान ढूँढे। दुर्बल वर्गों के लिए काम करें। संघ ऐसा करके समाज के स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहता है। मोहन भागवत जी ने बाहर से आक्रामकता के कारण धार्मिक विचार भारत में आए। किसी कारण से उन्हें कुछ लोगों ने स्वीकार किया।
“वे लोग यहीं के हैं, लेकिन विदेशी विचारधारा होने के कारण जो दूरियाँ बनीं, उन्हें मिटाने की ज़रूरत है। हमें दूसरे के दर्द को समझना होगा। एक देश, एक समाज और एक राष्ट्र के अंग होने के नाते, विविधताओं के बावजूद, समान पूर्वजों और साझा सांस्कृतिक विरासत के साथ आगे बढ़ना होगा। यह सकारात्मकता और सद्भाव के लिए आवश्यक है। इसमें भी हम समझ-बूझकर एक-एक कदम आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।”
आर्थिक दृष्टि पर उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे प्रयोग हुए हैं, लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक प्रतिमान गढ़ना होगा। हमें एक ऐसा विकास मॉडल प्रस्तुत करना होगा, जिसमें आत्मनिर्भरता, स्वदेशी और पर्यावरण का संतुलन हो। ताकि वे विश्व के लिए उदाहरण बने। पड़ोसी देशों से रिश्तों पर उन्होंने कह कि “नदियाँ, पहाड़ और लोग वही हैं, केवल नक्शे पर लकीरें खींची गई हैं। विरासत में मिले मूल्यों से सबकी प्रगति हो, इसके लिए उन्हें जोड़ना होगा। पंथ और संप्रदाय अलग हो सकते हैं, पर संस्कारों पर मतभेद नहीं है।”
उन्होंने कहा कि दुनिया में परिवर्तन लाने से पहले हमें अपने घर से समाज परिवर्तन की शुरुआत करनी होगी। इसके लिए संघ ने पंच परिवर्तन बताये हैं। यह हैं कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्व की पहचान तथा नागरिक कर्तव्यों का पालन। उन्होंने उदाहरण दिया कि पर्व-त्योहार पर पारंपरिक वेशभूषा पहनें, स्वभाषा में हस्ताक्षर करें और स्थानीय उत्पादों को सम्मानपूर्वक खरीदें।
उन्होंने कहा कि हंसते-हंसते हमारे पूर्वज फाँसी पर चढ़ गए, लेकिन आज आवश्यकता है कि हम 24 घंटे देश के लिए जीएँ। “हर हाल में संविधान और नियमों का पालन करना चाहिए। यदि कोई उकसावे की स्थिति हो तो न टायर जलाएँ, न हाथ से पत्थर फेंकें। उपद्रवी तत्व ऐसे कार्यों का लाभ उठाकर हमें तोड़ने का प्रयास करते हैं। हमें कभी उकसावे में आकर अवैध आचरण नहीं करना चाहिए।
छोटी-छोटी बातों में भी देश और समाज का ध्यान रखकर अपना काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने होंगे और इसके लिए स्वदेशी को प्राथमिकता देनी होगी। अंत में सरसंघचालक जी ने कहा कि “संघ क्रेडिट बुक में नहीं आना चाहता। संघ चाहता है कि भारत ऐसी छलांग लगाए कि उसका कायापलट तो हो ही, पूरे विश्व में सुख और शांति कायम हो जाए।”
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e4m D2C अवॉर्ड्स के चौथे संस्करण की जूरी मीट 28 अगस्त को आयोजित की जाएगी।
e4m D2C अवॉर्ड्स के चौथे संस्करण की जूरी मीट 28 अगस्त को आयोजित की जाएगी। यह वर्चुअल मीट प्रतिष्ठित इंडस्ट्री लीडर्स और एक्सपर्ट्स को एक साथ लाएगी, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कैटेगरीज में प्रविष्टियों का आकलन करेंगे। इन अवॉर्ड्स का चौथा संस्करण 3 सितंबर 2025 को गुरुग्राम में आयोजित होगा।
इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता भारत की सबसे सफल D2C कहानियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। जूरी पैनल की सामूहिक समझ उन ब्रैंड्स की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जिन्होंने अत्यधिक प्रतिस्पर्धी D2C मार्केट में उत्कृष्टता और लचीलापन प्रदर्शित किया है।
e4m D2C अवॉर्ड्स की जूरी बैठक शीर्ष लीडर्स, मार्केटर्स और उद्यमियों को एक साथ लाएगी, जो उन क्रांतिकारी विचारों और प्रभावशाली अभियानों का मूल्यांकन करेंगे जो भारत के डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) परिदृश्य को आकार दे रहे हैं। पैनल में D2C इकोसिस्टम के कुछ सबसे प्रभावशाली लीडर्स और इनोवेटर्स को शामिल किया गया है।
e4m D2C अवॉर्ड्स के विजेताओं को प्रमुख कैटेगरीज में सम्मानित किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं- मार्केटिंग, इनोवेशन, बेस्ट इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और गेमचेंजर अवॉर्ड्स। इन कैटेगरीज को सावधानीपूर्वक इस तरह से तैयार किया गया है कि वे नवाचार, रचनात्मकता, ब्रैंड बिल्डिंग और प्रभावशाली कहानी कहने को उजागर करें। प्रत्येक सम्मान असाधारण उपलब्धियों पर प्रकाश डालता है और इकोसिस्टम के अन्य खिलाड़ियों को मानक और ऊंचा उठाने के लिए प्रेरित करता है।
यह हैं प्रतिष्ठित जूरी सदस्य:
कुछ प्रोफेशनल करियर बनाते हैं। लेकिन विवेक मल्होत्रा जैसे लोग विरासत गढ़ते हैं- ब्रैंड्स, रणनीतियों और विचारों की ऐसी विरासत, जो इंडस्ट्री और दर्शकों दोनों पर एक स्थायी छाप छोड़ती है।
कुछ प्रोफेशनल करियर बनाते हैं। लेकिन विवेक मल्होत्रा जैसे लोग विरासत गढ़ते हैं- ब्रैंड्स, रणनीतियों और विचारों की ऐसी विरासत, जो इंडस्ट्री और दर्शकों दोनों पर एक स्थायी छाप छोड़ती है। उनके जन्मदिन पर आज यह सही समय है कि हम ठहरकर उस सफर का जश्न मनाएं, जो कभी साधारण नहीं रहा।
विवेक मल्होत्रा आज इंडिया टुडे ग्रुप में ग्रुप CMO और COO (स्ट्रैटेजी) के रूप में वह शख्सियत हैं, जिनका सफर मीडिया और मार्केटिंग की दुनिया में एक दशक से भी ज़्यादा गहरे अनुभव और नेतृत्व का साक्षी रहा है। उनके करियर की कहानी सिर्फ पदों और जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं, बल्कि उस जुनून की दास्तान है जिसने हर भूमिका को एक नई दिशा दी। चाहे टीवी टुडे में मार्केटिंग और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को नई पहचान देना हो, या फिर कंज़्यूमर रेवेन्यू को मज़बूत बनाना, विवेक मल्होत्रा ने हर बार साबित किया है कि वह बदलाव के दौर में सिर्फ परिस्थितियों को संभालते नहीं, बल्कि उन बदलावों को गढ़ते भी हैं। उनकी सोच और रणनीतियां हमेशा यह बताती हैं कि असली लीडर वही है, जो रास्ता बनने से पहले ही उसे देख ले और दूसरों के लिए वह राह आसान कर दे।
विवेक मल्होत्रा को अलग पहचान उनकी क्रॉस-मीडिया विजन देती है। उन्होंने ऐसे उपक्रमों का नेतृत्व किया है जो टेलीविजन, प्रिंट, डिजिटल, कनेक्टेड डिवाइसेज और ब्रैंड अनुभवों में इनोवेशन तक फैले हुए हैं। उनका काम मीडिया के हर कोने को छू चुका है- BloombergUTV में उन्होंने मार्केटिंग, पीआर और रिसर्च को संभाला, Star News में उन्होंने इनसाइट जनरेशन को उपभोक्ता अनुप्रयोग के साथ जोड़ने की शक्ति को खोजा। वहीं CNBC-TV18 में उन्होंने रणनीति, राजस्व और मार्केटिंग के बीच भारत की सबसे स्पष्ट कार्यात्मक सीमाओं में से एक को आकार देने में मदद की, जिससे दीर्घकालिक इनोवेशन को दिशा मिली।
डेटा-आधारित इनसाइट में गहरा विश्वास रखने वाले विवेक मल्होत्रा IAMAI के डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग काउंसिल का हिस्सा रहे हैं, IRS तकनीकी समिति के सदस्य रहे हैं और भारत के सबसे बड़े उपभोक्ता शोध अध्ययनों में योगदान दिया है। वह ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के बोर्ड में भी सेवा दे चुके हैं और न्यूयॉर्क में ऐडवर्टाइजिंग रिसर्च फाउंडेशन से भी जुड़े रहे हैं।
उनका ट्रैक रिकॉर्ड कई साहसी पहलों से भरा है- भारत का पहला कनेक्टेड डिवाइसेज स्ट्रीम लॉन्च करना, हिन्दुस्तान टाइम्स काला घोड़ा फेस्टिवल और एजेंडा आजतक जैसी पहल की शुरुआत करना और इंडिया टुडे तथा न्यूजX जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स को विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर विस्तार देना। चाहे वह IPL जैसी स्पॉन्सरशिप हो, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में इनोवेशन हो या YouTube, Facebook और उभरते डिजिटल इकोसिस्टम्स पर उपभोक्ता यात्राओं को नए सिरे से परिभाषित करना- विवेक ने लगातार ऐसे रास्ते खोजे हैं जिनसे ब्रैंड्स हमेशा आगे बने रहें।
बोर्डरूम की चर्चाओं, समितियों की बैठकों और रणनीति के भारी-भरकम कागज़ों से आगे बढ़कर, विवेक मल्होत्रा की असली पहचान उनकी निरंतर खुद को नया गढ़ने की क्षमता है। वे सिर्फ ब्रांड्स को नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली यादों और अनुभवों को भी नया जीवन देते हैं।
दो दशक से भी अधिक समय पहले, डॉ. बत्रा ने एक्सचेंज4मीडिया की शुरुआत की, जिससे ऐडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग और मीडिया इंडस्ट्री को एक समर्पित आवाज मिली।
लीडर दो तरह के होते हैं- कुछ वे, जो समय की लहरों पर सवार होकर रुझानों का पीछा करते हैं और कुछ वे, जो उन लहरों का रुख मोड़ देते हैं, जो वह मंच तैयार करते हैं जहां विचार जन्म लेते हैं, चर्चाएं आकार लेती हैं और भविष्य की दिशा तय होती है। डॉ. अनुराग बत्रा हमेशा से उसी श्रेणी के लीडर रहे हैं, जो राह चलते नहीं बल्कि राह बनाने का हौसला रखते हैं। उनका नेतृत्व सिर्फ रुझानों का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि वह दीपक रहा है जिसने पूरे इंडस्ट्री को रोशनी दी और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
BW बिजनेसवर्ल्ड के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर के रूप में उन्होंने केवल मीडिया ब्रैंड ही नहीं बनाए, बल्कि ऐसे मंच खड़े किए जहां इंडस्ट्री खुद को देख सके, खुद को चुनौती दे सके और अंततः आगे बढ़ सके। आज उनके जन्मदिन पर, यह उपयुक्त प्रतीत होता है कि हम सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धियों का नहीं, बल्कि उस करियर के प्रभाव का जश्न मनाएं, जिसने भारत के मीडिया और मार्केटिंग परिदृश्य के हर कोने को छुआ है।
दो दशक से भी अधिक समय पहले, डॉ. बत्रा ने एक्सचेंज4मीडिया की शुरुआत की, जिससे ऐडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग और मीडिया इंडस्ट्री को एक समर्पित आवाज मिली। जो एक प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू हुआ था, वह जल्द ही एक जीवंत समूह में बदल गया जिसमें PITCH, IMPACT, Franchisee Plus, Realty Plus और समाचा4मीडिया शामिल हैं और प्रत्येक प्रकाशन ने अपनी अलग पहचान बनाई। 2013 में उन्होंने BW बिजनेसवर्ल्ड का अधिग्रहण किया, जो एक पुराना प्रकाशन था और उसे आधुनिक युग के लिए नए सिरे से गढ़ा और डिजिटल, इवेंट्स और केंद्रित समुदायों तक उसका विस्तार किया।
उनके काम को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता मिली। उन्हें इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ टेलीविजन आर्ट्स एंड साइंसेज (IATAS) का सदस्य चुना गया, जो 60 देशों के 900 से अधिक प्रोफेशनल्स का संगठन है। इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स से उनका जुड़ाव भी उतना ही उल्लेखनीय है। उन्होंने भारत में इसके सेमी-फाइनल जजिंग राउंड की मेजबानी की, जिससे देश को विश्व स्तरीय टेलीविजन कंटेंट की वैश्विक रोशनी में लाया जा सके।
डॉ. बत्रा की आवाज अंतरराष्ट्रीय मंचों तक भी पहुंची। ऑक्सफोर्ड के सईद बिजनेस स्कूल में उन्होंने दुनिया से यह आह्वान किया कि “कॉफी नहीं, चाय की खुशबू महसूस करें”, यानी भारत के सांस्कृतिक आत्मविश्वास और बहुलवाद को उसी गर्व के साथ अपनाएं, जिस तरह अन्य देश अपने प्रतीकों को सम्मान देते हैं।
देश में, उनके योगदान विश्लेषणात्मक और दूरदर्शी दोनों रहे हैं। उन्होंने डेंटसु-e4m डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट के माध्यम से इंडस्ट्री के रुझानों पर संवाद को दिशा दी, जिसमें भारत के ऐडवर्टाइजिंग मार्केट की वृद्धि 2023 में ₹93,166 करोड़ तक दर्ज की गई और 2025 तक इसके ₹1,12,453 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया। उनकी सरल लेकिन प्रभावी “3 Cs” की फिलॉसफी- कंटेंट, कनेक्ट और कॉन्टेक्स्ट डिजिटल व्यवधानों से जूझ रहे मार्केटर्स के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत बन गई।
संस्थानों को गढ़ते हुए भी, डॉ. बत्रा ने नए उपक्रमों का समर्थन किया। एक एंजेल इन्वेस्टर की भूमिका में उन्होंने शुरुआती चरण में IWMBuzz Media जैसे डिजिटल एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म (20 मिलियन मासिक विजिटर्स के साथ) और Fandrum, एक फैन कम्युनिटी स्टार्टअप में निवेश किया। ये केवल निवेश नहीं थे, बल्कि मीडिया उद्यमियों की नई पीढ़ी में उनके विश्वास का बयान थे।
बोर्डरूम और इंडस्ट्री फोरम से परे, डॉ. बत्रा हमेशा जमीन से जुड़े रहे हैं। कंप्यूटर साइंस में बी.टेक और MDI गुड़गांव से एमबीए करने वाले डॉ. बत्रा अपनी यात्रा का श्रेय अक्सर आस्था, आध्यात्मिकता और माता-पिता द्वारा दिए गए मूल्यों को देते हैं। एक दृढ़ आशावादी के रूप में वे इस विश्वास से जीते हैं कि जब आप अपने शौक को पेशा बना लेते हैं, तो काम आनंद बन जाता है। मार्गदर्शन के प्रति जुनून रखने वाले वे “रिवर्स मेंटरिंग” भी करते हैं- यानी युवा उद्यमियों से सीखते हैं, जबकि उन्हें दिशा भी देते हैं। वह FMCC के एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन और अपने अल्मा मेटर MDI के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी सेवा दे चुके हैं।
इन सबके बीच, जो बात उन्हें परिभाषित करती है, वह केवल पैमाना नहीं बल्कि उनका इरादा है। निर्माण करना। जोड़ना। और लगातार यह पुनः कल्पना करना कि मीडिया और मार्केटिंग इकोसिस्टम क्या हो सकता है।
उनके जन्मदिन पर, इंडस्ट्री केवल उनके नेतृत्व के पदों या सम्मानों का जश्न नहीं मनाता। वह एक ऐसे व्यक्ति का उत्सव मनाता है जिसने संवादों को संस्थानों में और संस्थानों को आंदोलनों में बदल दिया।
हर्ष जैन ने यह भी बताया कि कंपनी अब अपनी अन्य इकाइयों पर विशेष ध्यान देगी, जिनमें FanCode, DreamSetGo, Dream Game Studios और Dream Money शामिल हैं।
ड्रीम स्पोर्ट्स, जो कि फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म 'ड्रीम11' की मूल कंपनी है, को हाल ही में भारत के ऑनलाइन गेमिंग कानूनों में आए बदलावों से बड़ा झटका लगा है। इन नए नियमों की वजह से कंपनी की आय में लगभग 95% की गिरावट आई है। इसके बावजूद कंपनी के सीईओ हर्ष जैन ने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि किसी भी तरह की छंटनी नहीं होगी और सभी मिलकर इस कठिन समय से बाहर निकलेंगे।
उन्होंने कहा कि ड्रीम11 हमेशा से कानून का पालन करता आया है और आगे भी पूरी ईमानदारी के साथ कानून का पालन करेगा। हर्ष जैन ने यह भी बताया कि कंपनी अब अपनी अन्य इकाइयों पर विशेष ध्यान देगी, जिनमें FanCode, DreamSetGo, Dream Game Studios और Dream Money शामिल हैं।
उनका कहना है कि इन कंपनियों को आगे बढ़ाकर ड्रीम स्पोर्ट्स का सपना ‘Make Sports Better’ यानी खेलों को बेहतर बनाने का मिशन और मजबूत होगा। उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि कंपनी की असली ताकत उसके लोग हैं और मिलकर मेहनत करने से इस मुश्किल दौर को अवसर में बदला जा सकता है।
कंपनी का मानना है कि खेल जगत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिएटर इकॉनमी का इस्तेमाल कर एक नया भविष्य तैयार किया जा सकता है। हर्ष जैन ने सभी कर्मचारियों, यूज़र्स, पार्टनर्स और मीडिया का धन्यवाद करते हुए कहा कि कंपनी उनके सहयोग से ही फिर से मजबूत बनेगी। ड्रीम स्पोर्ट्स का लक्ष्य भारतीय खेल उद्योग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना और खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों के लिए बेहतर अवसर तैयार करना है।
उन्होंने 2021 में डेल टेक्नोलॉजीज़ के साथ सीनियर एडवाइज़र – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन के रूप में जुड़ाव किया था। इसके बाद उन्हें कंसल्टेंट – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन की भूमिका मिली।
डेल टेक्नोलॉजीज़ ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस ग्रुप (ISG) इंडिया के लिए कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, पब्लिक अफेयर्स और पब्लिक रिलेशंस (PR) हेड के रूप में रौनक नारायणन की नियुक्ति की है। यह जानकारी उन्होंने लिंक्डइन पर साझा करते हुए लिखा, 'डेल टेक्नोलॉजीज़ में इंडिया कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, पब्लिक अफेयर्स और पीआर हेड की नई जिम्मेदारी संभालकर रोमांचित हूँ।
इस सफर के लिए आभार और उन सभी लोगों का धन्यवाद जिन्होंने मेरा साथ दिया। आने वाले समय को लेकर बेहद उत्साहित हूँ।' लगभग दो दशकों के अनुभव के साथ रौनक नारायणन कम्युनिकेशन और पब्लिक रिलेशंस क्षेत्र में एक मजबूत पहचान रखते हैं। उन्होंने 2021 में डेल टेक्नोलॉजीज़ के साथ सीनियर एडवाइज़र – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन के रूप में जुड़ाव किया था।
इसके बाद उन्हें कंसल्टेंट – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन की भूमिका मिली और अब वे इस अहम नेतृत्व पद पर पहुंचे हैं। अपने करियर के दौरान नारायणन ने कई प्रतिष्ठित वैश्विक ब्रांड्स और नामी एजेंसियों के साथ काम किया है। इनमें TEXT 100, जेनेसिस BCW, रेड डिजिटल, WE कम्युनिकेशंस और करंट ग्लोबल जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।
इस दौरान उन्होंने इंटीग्रेटेड कम्युनिकेशन, ब्रांड स्टोरीटेलिंग और स्ट्रैटेजिक पीआर में गहन विशेषज्ञता हासिल की। उनकी नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि डेल टेक्नोलॉजीज़ के इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस ग्रुप (ISG) इंडिया की ब्रांड छवि और पब्लिक अफेयर्स रणनीतियाँ और अधिक सशक्त होंगी।
स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद देश में उपजी विचारधाराओं का विकास पर कहा कि 1857 में स्वतंत्रता का पहला प्रयास असफल रहा, लेकिन उससे नई चेतना जागी।
संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के प्रथम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ का निर्माण भारत को केंद्र में रखकर हुआ है और इसकी सार्थकता भारत के विश्वगुरु बनने में है।
संघ कार्य की प्रेरणा संघ प्रार्थना के अंत में कहे जाने वाले 'भारत माता की जय' से मिलती है। संघ के उत्थान की प्रक्रिया धीमी और लंबी रही है, जो आज भी निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि संघ भले हिंदू शब्द का उपयोग करता है, लेकिन उसका मर्म ‘वसुधैव कुटुंबकम’ है। इसी क्रमिक विकास के तहत गांव, समाज और राष्ट्र को संघ अपना मानता है। संघ कार्य पूरी तरह स्वयंसेवकों द्वारा संचालित होता है। कार्यकर्ता स्वयं नए कार्यकर्ता तैयार करते हैं।
दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘100 वर्ष की संघ यात्रा - नए क्षितिज’ विषय पर तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है। व्याख्यानमाला के उद्देश्य पर मोहन भागवत जी ने कहा कि संगठन ने विचार किया कि समाज में संघ के बारे में सत्य और सही जानकारी पहुंचनी चाहिए। वर्ष 2018 में भी इसी प्रकार का आयोजन हुआ था। इस बार चार स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित होंगे ताकि अधिक से अधिक लोगों तक संघ का सही स्वरूप पहुँच सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की परिभाषा सत्ता पर आधारित नहीं है। हम परतंत्र थे, तब भी राष्ट्र था।
अंग्रेजी का ‘नेशन’ शब्द ‘स्टेट’ से जुड़ा है, जबकि भारतीय राष्ट्र की अवधारणा सत्ता से जुड़ी नहीं है। स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद देश में उपजी विचारधाराओं का विकास पर कहा कि 1857 में स्वतंत्रता का पहला प्रयास असफल रहा, लेकिन उससे नई चेतना जागी। उसके बाद आंदोलन खड़ा हुआ कि आखिर कुछ मुट्ठीभर लोग हमें कैसे हरा सके।
एक विचार यह भी उभरा कि भारतीयों में राजनीतिक समझ की कमी है। इसी आवश्यकता से कांग्रेस का उदय हुआ, लेकिन स्वतंत्रता के बाद वह वैचारिक प्रबोधन का कार्य सही प्रकार से नहीं कर सकी। यह दोषारोपण नहीं, बल्कि तथ्य है। आजादी के बाद एक धारा ने सामाजिक कुरीतियों को मिटाने पर जोर दिया, वहीं दूसरी धारा ने अपने मूल की ओर लौटने की बात रखी।
स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद ने इस विचार को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और अन्य महापुरुषों का मानना था कि समाज के दुर्गुणों को दूर किए बिना सब प्रयास अधूरे रहेंगे। बार-बार गुलामी का शिकार होना इस बात का संकेत है कि समाज में गहरे दोष हैं। हेडगेवार जी ने ठाना कि जब दूसरों के पास समय नहीं है, तो वे स्वयं इस दिशा में काम करेंगे। 1925 में संघ की स्थापना कर उन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज के संगठन का उद्देश्य सामने रखा।
हिंदू नाम का मर्म समझाते हुए सरसंघचालक जी ने स्पष्ट किया कि ‘हिंदू’ शब्द का अर्थ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव है। यह नाम दूसरों ने दिया, पर हम अपने को हमेशा मानव शास्त्रीय दृष्टि से देखते आये हैं। हम मानते हैं कि मनुष्य, मानवता और सृष्टि आपस में जुड़े हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। हिंदू का अर्थ है समावेश और समावेश की कोई सीमा नहीं होती।
सरसंघचालक जी ने कहा कि हिंदू यानी क्या? जो इसमें विश्वास करता है, अपने अपने रास्ते पर चलो, दूसरों को बदलो मत। दूसरे की श्रद्धा का भी सम्मान करो, अपमान मत करो, ये परंपरा जिनकी है, संस्कृति जिनकी है, वो हिंदू हैं। हमें संपूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना है। हिन्दू कहने से यह अर्थ नहीं है कि हिन्दू वर्सेस ऑल, ऐसा बिल्कुल नहीं है। ‘हिन्दू’ का अर्थ है समावेशी।
उन्होंने कहा कि भारत का स्वभाव समन्वय का है, संघर्ष का नहीं है। भारत की एकता का रहस्य उसके भूगोल, संसाधनों और आत्मचिंतन की परंपरा में है। हमने बाहर देखने के बजाय भीतर झाँककर सत्य को तलाशा। इसी दृष्टि ने हमें सिखाया कि सबमें एक ही तत्व है, भले ही वह अलग-अलग रूपों में दिखता हो। यही कारण है कि भारत माता और पूर्वज हमारे लिए पूजनीय हैं।
मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत माता और अपने पूर्वजों को मानने वाला ही सच्चा हिंदू है। कुछ लोग खुद को हिंदू मानते हैं, कुछ भारतीय या सनातनी कहते हैं। शब्द बदल सकते हैं, लेकिन इनके पीछे भक्ति और श्रद्धा की भावना निहित है। भारत की परंपरा और डीएनए सभी को जोड़ता है। विविधता में एकता ही भारत की पहचान है। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे वे लोग भी स्वयं को हिंदू कहने लगे हैं, जो पहले इससे दूरी रखते थे। क्योंकि जब जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है तो लोग मूल की ओर लौटते हैं।
हम लोग ऐसा नहीं कहते कि आप हिंदू ही कहो। आप हिंदू हो, ये हम बताते हैं। इन शब्दों के पीछे शब्दार्थ नहीं है, कंटेंट है, उस कंटेंट में भारत माता की भक्ति है, पूर्वजों की परंपरा है। 40 हजार वर्ष पूर्व से भारत के लोगों का डीएनए एक है। उन्होंने कहा कि जो अपने आपको हिंदू कह रहे हैं, उनका जीवन अच्छा बनाओ। जो नहीं कहते वो भी कहने लगेंगे। जो किसी कारण भूल गये, उनको भी याद आयेगा।
लेकिन करना क्या है, संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन। जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं तो किसी को छोड़ रहे हैं, ऐसा नहीं है। संघ किसी विरोध में और प्रतिक्रिया के लिए नहीं निकला है। हिंदू राष्ट्र का सत्ता से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने संघ कार्य पद्धति के बारे में कहा कि समाज उत्थान के लिए संघ दो मार्ग अपनाता है -पहला, मनुष्यों का विकास करना और दूसरा उन्हीं से आगे समाज कार्य कराना।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संगठन है। संगठन का कार्य मनुष्य निर्माण का कार्य करना है। संघ के स्वयंसेवक विविध क्षेत्रों में काम करते हैं, लेकिन संगठन उन्हें नियंत्रित नहीं करता। उन्होंने कहा कि संघ को लेकर विरोध भी हुआ और उपेक्षा भी रही। लेकिन संघ ने समाज को अपना ही माना।
संघ की विशेषता है कि यह बाहरी स्रोतों पर निर्भर नहीं, बल्कि स्वयंसेवकों के व्यक्तिगत समर्पण पर चलता है। ‘गुरु दक्षिणा’ संघ की कार्यपद्धति का अभिन्न हिस्सा है, जिसके माध्यम से प्रत्येक स्वयंसेवक संगठन के प्रति अपनी आस्था और प्रतिबद्धता प्रकट करता है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। हमारा प्रयास होता है कि विचार, संस्कार और आचार ठीक रहे। इतनी हमें स्वयंसवेक की चिंता करनी है, संगठन की चिंता वो करते हैं। हम सबको मिलकर भारत में गुट नहीं बनाना है। सबको संगठित करना है।
इस दौरान संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, उत्तर क्षेत्र संघचालक पवन जिंदल और दिल्ली प्रांत के संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल मंच पर उपस्थित रहे। इस तीन दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन सेवानिवृत न्यायाधीश, पूर्व राजनयिक, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न देशों के राजनयिक, मीडिया संस्थानों के प्रमुख, पूर्व सेनाधिकारी और खेल व कला क्षेत्र से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रहीं।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब कंपनी के चीफ ग्रोथ ऑफिसर (एड सेल्स) आशीष सहगल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
कंटेंट और टेक्नोलॉजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों में शुमार ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) ने लक्ष्मी शेट्टी को हेड (एडवर्टाइजमेंट रेवेन्यू, ब्रॉडकास्ट और डिजिटल) के पद पर पदोन्नत करने की घोषणा की है। इस पद पर उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब कंपनी के चीफ ग्रोथ ऑफिसर (एड सेल्स) आशीष सहगल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इस नई भूमिका में लक्ष्मी कंपनी के लीनियर और डिजिटल बिजनेस से अधिकतम रेवेन्यू हासिल करने की स्ट्रैटेजी का नेतृत्व करेंगी। इसके जरिये कंपनी की वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी। इस पद पर वह सीधे सीईओ पुनीत गोयनका को रिपोर्ट करेंगी।
लक्ष्मी पिछले 20 सालों से कंपनी की लीडरशिप टीम का अहम हिस्सा रही हैं और रेवेन्यू वर्टिकल के मजबूत स्तंभों में से एक रही हैं। विज्ञापन क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव है। उन्हें टिकाऊ और क्रिएटिव सॉल्यूशंस को सफलतापूर्वक लागू करने तथा राजस्व बढ़ाने के अवसरों को बेहतर बनाने के लिए पहचाना जाता है।
क्रॉस-प्लेटफॉर्म्स इनोवेटिव सॉल्यूशन्स के जरिये सेल्स इकोसिस्टम को स्ट्रैटेजिक रूप से मजबूत बनाने और नए अवसरों का लाभ उठाकर विज्ञापनदाताओं को अधिक मूल्य उपलब्ध कराने में उन्हें महारत हासिल है।
कंपनी के अनुसार, इस नई भूमिका में लक्ष्मी पूरे बिजनेस के लिए एक समग्र मोनेटाइजेशन स्ट्रैटेजी तैयार करने की जिम्मेदारी निभाएंगी। इसमें नए राजस्व स्रोतों को खोजना और कंटेंट व टेक्नोलॉजी के संगम पर नए-नए समाधान देकर विज्ञापनदाताओं के दायरे को बढ़ाना शामिल होगा।