नई सोच, पुराना आधार: करियर में 'कमबैक' का नया चलन

मीडिया इंडस्ट्री, जो हमेशा भविष्य पर केंद्रित रहती है, उसमें अब कई भारतीय मीडिया लीडर फिर से अपने भीतर झांक रहे हैं और उन्हीं संगठनों की ओर लौट रहे हैं, जहां से कभी उन्होंने विदाई ली थी।

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Friday, 01 August, 2025
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अनुजा जैन, कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

वापसी की सबसे अनपेक्षित बात क्या होती है? अकसर लोग मानते हैं कि वापसी अचानक या अनजाने में होती है, लेकिन हकीकत यह है कि ऐसा बहुत कम होता है। मीडिया इंडस्ट्री, जो हमेशा भविष्य पर केंद्रित रहती है, उसमें अब कई भारतीय मीडिया लीडर फिर से अपने भीतर झांक रहे हैं और उन्हीं संगठनों की ओर लौट रहे हैं, जहां से कभी उन्होंने विदाई ली थी। ये न तो असफलता की कहानियां हैं और न ही मजबूरी में लिए गए फैसले। बल्कि ये बेहद सोच-समझकर की गई वापसी है- अपने शुरुआती सफर को एक नए नजरिए और मिशन के साथ फिर से जीने का फैसला। और यह चलन आज करियर ग्रोथ की पारंपरिक परिभाषा को पूरी तरह उलट रहा है।

उदाहरण के तौर पर अजित वर्गीज को ही लें। तीन दशकों का अनुभव रखने वाले इस मीडिया दिग्गज ने JioStar, ShareChat और GroupM जैसे प्लेटफॉर्म्स पर काम किया है और हाल ही में वह Madison World में Group CEO और पार्टनर के रूप में लौटे हैं। इस पर उन्होंने कहा है, “Madison में लौटना घर आने जैसा है, लेकिन इस बार एक नई दृष्टि और बड़े मकसद के साथ,”

उनकी वापसी जितनी अतीत से जुड़े अधूरे काम को पूरा करने की है, उतनी ही पहचाने गए मैदान से भविष्य को दोबारा गढ़ने की कोशिश भी।

यह केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि भारत के मीडिया और मार्केटिंग जगत में उभरती एक बड़ी प्रवृत्ति का संकेत है। हाल के वर्षों में कई सीनियर प्रोफेशनल वापस अपने पुराने संगठनों में लौटते देखे गए हैं। यह रिटर्न नॉस्टैल्जिया से नहीं, बल्कि एक अनकहे वादे की पूर्ति की भावना से प्रेरित है- खुद में और उन संस्थानों में, जिनके निर्माण में उन्होंने भूमिका निभाई थी।

एक और उदाहरण है मोना जैन का, जिन्होंने Zee Media में दूसरी बार वापसी की थी और तब Chief Revenue Officer के रूप में। उनकी वापसी एक सामान्य “रीहायरिंग” नहीं थी बल्कि एक नई प्रतिबद्धता की तरह महसूस होती है, क्योंकि वह कंपनी की कार्यप्रणाली और बाजार में उसकी स्थिति- दोनों को गहराई से समझती हैं। Zee को सिर्फ उनका अनुभव नहीं मिला, बल्कि एक ऐसी लीडर मिली जो उनकी ‘भाषा’ की प्राकृतिक वक्ता थीं।

इसी तरह, सुनील गाडगिल ने यूरोप में Beiersdorf में सीनियर भूमिकाएं निभाने के बाद Nivea India में मार्केटिंग डायरेक्टर के तौर पर वापसी की। भारतीय बाजार की गहरी समझ के साथ-साथ, वह अब एक वैश्विक दृष्टिकोण लेकर लौटे हैं। सालों की यात्रा और अनुभव ने उन्हें ऐसी रणनीतिक सोच दी है जिसे वे अब स्थानीय विशेषज्ञता के साथ जोड़ सकते हैं।

संचारी चक्रवर्ती की वापसी 22feet Tribal WW (DDB Mudra Group) में Senior VP और हेड ऑफ स्ट्रैटेजी के तौर पर इसी प्रवृत्ति का प्रतीक है।

Leo Burnett और Tilt Brand Solutions में Netflix, Meta और Instagram जैसे ब्रैंड्स के लिए कैंपेन लीड करने से पहले उन्होंने इस संस्था में 10 साल से ज्यादा वक्त बिताया था। उनकी यह वापसी पूरी तरह से रणनीतिक सोच का नतीजा है। अब उनके पास एक ऐसा टीम होगी, जो उनकी क्रिएटिव भाषा को समझती है और DDB के पास एक ऐसा लीडर होगा जिसके पास अनुभव की ठोस नींव है। अब फोकस इस बात पर नहीं है कि वह कहां-कहां रहीं, बल्कि इस पर है कि अब वे साथ मिलकर कहां तक जा सकते हैं।

गौरांग मेनन की वापसी भी कुछ ऐसी ही कहानी है। इस बार Chief Creative Officer के रूप में BC Web Wise से जुड़े हैं। वह एक जाना-पहचाना नाम तो थे ही, लेकिन अब उनकी वापसी एक नए अध्याय की शुरुआत है- एक ऐसा लीडर जो अब नेटवर्क एजेंसियों में अर्जित विविध अनुभव के साथ लौटा है। उनकी वापसी बताती है कि कई लीडर्स एक मजबूत नींव पर नए प्रयोग करने के लिए ही वापस लौटते हैं, ताकि संस्था में निरंतरता और नई रचनात्मक ऊर्जा दोनों लाई जा सके।

ऐसे दौर में जहां करियर मूवमेंट अब वर्टिकल से ज्यादा लेटरल होता जा रहा है, कंपनियां अब केवल नया टैलेंट नहीं, बल्कि लौटे हुए लीडर्स को भी ज्यादा महत्व देने लगी हैं, जो ताजा दृष्टिकोण के साथ संदर्भगत समझ (contextual intelligence) भी लाते हैं।

इन "वापसियों" में एक खास बात है- पिछले अनुभव की गहरी समझ (contextual intelligence) और नई सोच का मेल।

वापसी करने वाले लीडर्स के लिए यह अक्सर अपने प्रोफेशनल उद्देश्य को दोबारा परिभाषित करने का मौका होता है, जबकि कंपनियों के लिए यह ऐसे लोगों के साथ तेजी से आगे बढ़ने का अवसर होता है जो पहले से ही उनके मूल स्वभाव (DNA) को समझते हैं। 

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सन टीवी शेयर विवाद: डीएमके सांसद ने भाई कलानिधि मारन को भेजा नोटिस लिया वापस

सन टीवी नेटवर्क ने सोमवार को कहा कि डीएमके सांसद दयानिधि मारन द्वारा अपने बड़े भाई और कंपनी के प्रमोटर कलानिधि मारन को भेजा गया कानूनी नोटिस वापस ले लिया गया है

Last Modified:
Tuesday, 12 August, 2025
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सन टीवी नेटवर्क ने सोमवार को कहा कि डीएमके सांसद दयानिधि मारन द्वारा अपने बड़े भाई और कंपनी के प्रमोटर कलानिधि मारन को भेजा गया कानूनी नोटिस वापस ले लिया गया है, जिससे तमिलनाडु के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक के भीतर का विवाद सुलझ गया है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को लिखे एक पत्र में सन टीवी के कंपनी सचिव रवि राममूर्ति ने बताया कि उन्हें प्रमोटर कलानिधि की ओर से सूचित किया गया है कि दयानिधि द्वारा उनके, उनके रिश्तेदारों और अन्य व्यक्तियों को भेजे गए सभी कानूनी नोटिस “बिना शर्त और अपरिवर्तनीय रूप से वापस ले लिए गए हैं” और इस प्रकार मुद्दे “सुलझ चुके हैं।”

भारत के सबसे बड़े टीवी नेटवर्क में से एक, सन टीवी ने दोहराया कि इन कानूनी नोटिसों का जारी होना और वापस लिया जाना कंपनी के कारोबार, प्रबंधन या दिन-प्रतिदिन के संचालन से संबंधित नहीं है। यह पूरी तरह से प्रमोटर का निजी पारिवारिक मामला है।

पिछले जून में दयानिधि ने अपने बड़े भाई कलानिधि को नोटिस भेजा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सन टीवी प्राइवेट लिमिटेड के 12 लाख इक्विटी शेयर प्रति शेयर ₹10 के मूल्य पर अपने नाम आवंटित कर लिए, “बिना पर्याप्त और उचित मूल्यांकन, निष्पक्ष विचार और बिना अन्य मौजूदा शेयरधारकों- मुरासोली मारन और दिवंगत डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि के परिवारों — की सहमति प्राप्त किए।”

इसके बाद 20 जून को सन टीवी ने एनएसई को पत्र लिखकर कहा था कि दयानिधि द्वारा जारी कानूनी नोटिसों से संबंधित खबरों का कंपनी के कारोबार पर कोई असर नहीं है।

नोटिस की वापसी की उम्मीद तब बढ़ी, जब डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मध्यस्थता की पहल की। यह विवाद उस समय सार्वजनिक हुआ था जब राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। स्टालिन ने इस विवाद को सुलझाने के लिए द्रविड़र कड़गम प्रमुख के. वीरमणि को भी जोड़ा। हालांकि, सन टीवी ने यह नहीं बताया कि मामला आखिरकार किस तरह निपटाया गया।

अपने भाई पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाते हुए दयानिधि ने यह भी चेतावनी दी थी कि वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय से संपर्क कर सन ग्रुप के सभी लाइसेंस तुरंत रद्द करने की मांग करेंगे, साथ ही भारतीय समाचार पत्र रजिस्ट्रार से इसके समाचार पत्रों के पंजीकरण और प्रकाशन लाइसेंस को रद्द करने का आग्रह करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा था कि वह भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) से संपर्क कर सनराइजर्स हैदराबाद को जारी फ्रैंचाइजी लाइसेंस रद्द करने और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से स्पाइसजेट लिमिटेड के परिचालन लाइसेंस को तुरंत रद्द करने की मांग करेंगे। 

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बड़ी डील्स में हवास इंडिया की मास्टर स्ट्रैटेजी, मैडिसन के लिए क्यों है ये नंबर-वन चॉइस

बदलते मीडिया व ऐडवर्टाइजिंग सर्विसेज के बाजार में, जहां वैश्विक दिग्गज स्थानीय स्वतंत्र एजेंसियों पर नजर गड़ाए हुए हैं, हवास इंडिया ने खुद को सबसे अनुशासित आक्रामक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।

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Tuesday, 12 August, 2025
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रुहैल अमीन, सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

भारत के तेजी से बदलते मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग सर्विसेज के बाजार में, जहां वैश्विक दिग्गज स्थानीय स्वतंत्र एजेंसियों पर नजर गड़ाए हुए हैं, हवास इंडिया ने खुद को सबसे अनुशासित और चुपचाप आक्रामक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। कंपनी ने अधिग्रहण के रास्ते से अपना मजबूत नेटवर्क बनाया है- एक रणनीति जो पेरिस मुख्यालय वाली पेरेंट कंपनी की वित्तीय ताकत, वैश्विक नेतृत्व की रचनात्मक दृष्टि और भारतीय प्रबंधन के परिचालन अनुशासन पर आधारित है।

भारत में संचालन का नेतृत्व राणा बरुआ, ग्रुप सीईओ- हवास इंडिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, उत्तर एशिया (जापान और दक्षिण कोरिया) कर रहे हैं। पिछले चार सालों में कंपनी का विस्तार योजनाबद्ध और स्थिर गति से हुआ है- तेजी से नहीं, लेकिन हमेशा एक स्पष्ट सोच के साथ: वहां अधिग्रहण करना, जहां क्षमता मजबूत हो, पैमाना तेजी से बढ़े और सांस्कृतिक प्रासंगिकता गहरी हो।

पहला बड़ा कदम: PivotRoots 

हवास इंडिया के गंभीर इरादों का सबसे पहला संकेत 2023 के मध्य में मिला, जब उसने मुंबई स्थित PivotRoots का अधिग्रहण किया। शिबु शिवानंदन, हेतल खालसा, ध्रुवी जोशी और योगेश खांचंदानी द्वारा स्थापित इस एजेंसी ने परफॉर्मेंस मार्केटिंग, प्रोग्रामैटिक बाइंग और फुल-स्टैक डिजिटल सॉल्यूशंस में मजबूत पकड़ बनाई थी। इसके ग्राहकों में एमेजॉन प्राइम वीडियो, स्विगी, हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे बड़े नाम थे और इसकी संस्कृति भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में गहराई से जुड़ी एक युवा एजेंसी की फुर्ती को दर्शाती थी।

हवास के लिए यह अधिग्रहण किसी बेहतरीन स्वतंत्र एजेंसी को भारी-भरकम बहुराष्ट्रीय ढांचे में समेटने का प्रयास नहीं था। राणा बरुआ के नेतृत्व में, PivotRoots ने अपना नेतृत्व, डीएनए और स्वायत्तता बरकरार रखी, साथ ही हवास के वैश्विक नेटवर्क, टूल्स और क्रॉस-बॉर्डर बिजनेस अवसरों तक पहुंच प्राप्त की। यह हवास इंडिया के पसंदीदा मॉडल का शुरुआती उदाहरण था- घुटन के बिना एकीकरण, पहचान खोए बिना विस्तार।

पोर्टफोलियो बनाना, सिर्फ मौजूदगी नहीं

PivotRoots का सौदा एक व्यापक वैश्विक अधिग्रहण लहर का हिस्सा था, जिसमें हवास ने ऑस्ट्रेलिया की हॉटग्लू और स्पेन की टिडार्ट को भी खरीदा। हर मामले में तरीका वही, अपने क्षेत्र का अग्रणी खरीदना, उसकी धार बनाए रखना और उसे “हवास विलेज” मॉडल में जोड़ना- एक समेकित ढांचा जहां क्रिएटिव, मीडिया, पीआर और कंटेंट यूनिट्स सहज सहयोग में काम करते हैं।

भारत में यह रणनीति अर्चना जैन की पीआर पंडित (PR Pundit) जैसी एजेंसियों के अधिग्रहण में भी दिखी, जो प्रीमियम ब्रांड्स और प्रभावशाली अभियानों के लिए जानी जाती है। हवास इंडिया ने शोबिज (Shobiz) को भी अपने नेटवर्क में शामिल किया, जिसका नेतृत्व समीर तोक्कावाला कर रहे थे। उच्चस्तरीय कॉर्पोरेट इवेंट्स, प्रदर्शनियों और इंटीग्रेटेड ब्रांड एक्सपीरियंस के लिए मशहूर शोबिज ने ग्राहक संबंधों और निष्पादन विशेषज्ञता की एक मजबूत विरासत जोड़ी। इसके हवास विलेज में आने से नेटवर्क की लाइव और एक्सपीरिएंशल मार्केटिंग में स्थिति बेहद मजबूत हुई, जिससे डिजिटल अभियानों से लेकर जमीनी एक्टिवेशन तक हर उपभोक्ता संपर्क बिंदु पर ब्रांड कहानियां पहुंचाई जा सकीं।

इन सौदों ने मिलकर हवास इंडिया को एक ऐसा पोर्टफोलियो बनाने में सक्षम बनाया, जो क्रिएटिव, मीडिया, पीआर, एक्सपीरिएंशल और डिजिटल परफॉर्मेंस- सभी को कवर करता है, वह भी हर क्षमता को शून्य से बनाने में लगने वाले लंबे समय के बिना।

मैडिसन सवाल और उसका जवाब

हवास की अधिग्रहण भूख सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आई, जब उसने भारत के आखिरी बड़े स्वतंत्र एजेंसी समूहों में से एक मैडिसन में गहरी दिलचस्पी दिखाई। रिपोर्टों के अनुसार, कंपनी लगभग ₹750 करोड़ के मूल्यांकन पर नियंत्रण हिस्सेदारी खरीदने की उन्नत वार्ता में थी; वास्तविक आंकड़ा ₹600 करोड़ से अधिक और ₹800 करोड़ से कम बताया गया। मैडिसन के मीडिया और क्रिएटिव एसेट्स को हासिल करना हवास इंडिया को तुरंत एक नए प्रतिस्पर्धी पायदान पर पहुंचा देता, उसके क्लाइंट बेस और बाजार प्रभाव को नाटकीय रूप से बढ़ा देता।

यह संभावित सौदा लंबे समय से चर्चा में था। स्वतंत्र एजेंसी ने NPCI और सैमसोनाइट जैसे बड़े खाते जीते, लेकिन साथ ही गोदरेज कंज्यूमर और मैकडॉनल्ड्स जैसे प्रमुख खाते खोए, जबकि रेमंड पिच पर चला गया। इस उतार-चढ़ाव के बीच बाजार में इसके अगले कदम को लेकर अटकलें तेज थीं। बहुतों के लिए हवास का “विलेज” मॉडल आदर्श समाधान लगता था—जो पैमाना और आधुनिकीकरण दे सकता था, और एजेंसी की मेहनत से बनी ब्रांड पहचान भी बरकरार रखता।

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने एक्सचेंज4मीडिया से पुष्टि की है कि यह सौदा संभवतः अब होने के करीब है। लंबे समय से अटकी बातचीत ने तेजी पकड़ी है और दोनों पक्ष कम से कम 51% और संभवतः 76% हिस्सेदारी के लिए शर्तें तय कर रहे हैं, जिसमें समय के साथ 100% अधिग्रहण की संभावना भी है। यह सौदा साधारण लेन-देन नहीं होगा, बल्कि दो मजबूत विरासतों का मेल होगा- एक वैश्विक और अधिग्रहण-प्रेरित, दूसरी स्वदेशी और स्वतंत्र, जो पैमाने, क्षमता और दृष्टिकोण पर सहमति बना रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि दो अन्य इच्छुक पक्ष भी थे, (एक बड़ी होल्डिंग कंपनी और एक प्राइवेट इक्विटी खिलाड़ी) लेकिन फिलहाल सैम बलसारा और मैडिसन हवास के साथ डील की ओर बढ़ रहे हैं और चर्चा अंतिम चरण में हो सकती है। 

सैम बलसारा: दूरदर्शी संस्थापक से ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के स्तंभ तक

सैम बलसारा का सफर महत्वाकांक्षा, दृढ़ता और दृष्टि का उदाहरण है। मार्च 1988 में उन्होंने मैडिसन वर्ल्ड की स्थापना इस मिशन के साथ की कि एक स्वदेशी एजेंसी बनाई जाए, जो दुनिया की बेहतरीन कंपनियों के बराबर खड़ी हो सके। दशकों में उन्होंने इस सपने को एक कम्युनिकेशन पावरहाउस में बदल दिया, जिसमें मीडिया प्लानिंग, पीआर, ग्रामीण मार्केटिंग, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स जैसे 26 विशेषीकृत यूनिट शामिल हैं। वैश्विक समूहों के दबदबे वाले इंडस्ट्री में भी मैडिसन ने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखी और लगातार रचनात्मक उत्कृष्टता व रणनीतिक प्रभाव दिया।

अजीत वर्गीज का आगमन: नए ग्रुप सीईओ और मैनेजिंग पार्टनर के रूप में

हाल ही में अजीत वर्गीज की मैडिसन में ग्रुप सीईओ और मैनेजिंग पार्टनर (साझी हिस्सेदारी के साथ) के रूप में नियुक्ति को व्यापक तौर पर हवास–मैडिसन सौदे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। उनका आगमन नेतृत्व टीम को और मजबूत करता है, जिससे एजेंसी टैलेंट आकर्षित करने, क्लाइंट बनाए रखने और फिर हवास के तहत स्वतंत्र रूप से काम करते हुए ‘हवास विलेज’ ढांचे में सहजता से फिट होने के लिए तैयार है। इंडस्ट्री विश्लेषकों का मानना है कि उनकी भूमिका केवल परिचालन तक सीमित नहीं होगी, बल्कि परिवर्तनकारी होगी- मैडिसन की स्वतंत्र विरासत और हवास की वैश्विक क्षमताओं के बीच सेतु का काम करेगी, जिससे अधिग्रहण के बाद सांस्कृतिक और व्यावसायिक तालमेल सुचारु रहे।

विक्रांत सक्सेना की मजबूत सलाह

मैडिसन मीडिया और OOH के ग्रुप सीईओ विक्रम सक्सेना (Vikram Sakhuja) ने कंपनी को प्रतिस्पर्धी दौरों से पार कराने में अहम भूमिका निभाई है। IIT दिल्ली और IIM कोलकाता के पूर्व छात्र सक्सेना के पास मार्केटिंग (P&G, कोका-कोला), मीडिया (स्टार टीवी) और ऐडवर्टाइजिंग (माइंडशेयर, ग्रुपएम, मैक्सस वर्ल्डवाइड, मैडिसन) में 38 वर्षों का अनुभव है।

मैडिसन वर्ल्ड में शामिल होने से पहले वह मैक्सस वर्ल्डवाइड के ग्लोबल सीईओ, ग्रुपएम में ग्लोबल स्ट्रैटेजी डेवलपमेंट ऑफिसर, ग्रुपएम साउथ एशिया के सीईओ और माइंडशेयर साउथ एशिया के सीईओ रह चुके हैं। वर्तमान में वह मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUC) के वाइस-चेयरमैन हैं और BARC टेक कमेटी, IRS टेक कमेटी तथा IBDF-AAAI सब-कमेटी के चेयरमैन हैं। साथ ही, वह ABC काउंसिल के सह-अध्यक्ष, AAAI बोर्ड के सदस्य और ऐड क्लब बॉम्बे के पूर्व अध्यक्ष भी हैं। हाल ही में उन्हें एडवरटाइजिंग एजेंसिज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAAI) से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला है।

लारा बलसारा वजीफदार: मैडिसन की आधुनिक विरासत की निर्माता

लारा बलसारा वजीफदार ने मैडिसन को श्रीलंका जैसे नए बाजारों में प्रवेश कराने और पीआर (ब्रैंडकॉम पीआर) व डिजिटल परफॉर्मेंस (हाइवमाइंड्स) जैसी अहम क्षमताओं को जोड़ने में नेतृत्व किया है। उनके मार्गदर्शन में संगठनात्मक विस्तार और कम्युनिकेशन पोर्टफोलियो का दायरा दोनों बढ़ा है। IMPACT मैगजीन की “मीडिया में 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं” की सूची में वह शुरुआत से हर साल शामिल रही हैं। उनकी भूमिका इस बात का उदाहरण है कि दूरदर्शी सोच और परिचालन दक्षता किस तरह किसी विरासत एजेंसी को नए युग के लिए तैयार कर सकती है।

उद्यमशील तालमेल

हवास की उद्यमशीलता की डीएनए और सैम बलसारा का उद्यमी कौशल एक-दूसरे के लिए स्वाभाविक मेल हैं। यह साझेदारी मूल रूप से अधिग्रहण नहीं, बल्कि उद्यमी सहयोग है। इसमें दो प्रबंधन संस्कृतियां साथ आती हैं, जो संस्थापक-नेतृत्व वाली सोच, मजबूत ग्राहक संबंध और जमीनी फुर्ती को महत्व देती हैं। मैडिसन के नेतृत्व को बरकरार रखते हुए और उसकी स्वतंत्र ब्रांड पहचान को बचाए रखते हुए हवास यह संकेत देता है कि उद्देश्य पहचान मिटाना नहीं, बल्कि साझा रणनीतिक दृष्टिकोण के तहत दोनों को फलने-फूलने देना है। यह कदम भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में एक मिसाल बन सकता है कि एकीकरण रचनात्मक विस्तार का माध्यम हो सकता है, सांस्कृतिक मिटावट का नहीं।

बड़े अधिग्रहणों के लिए हवास इंडिया की तैयारियां

हवास इंडिया की सबसे बड़ी ताकत उसका स्थानीय स्वायत्तता और वैश्विक समर्थन का मिश्रण है। राणा बरुआ आक्रामक लेकिन टिकाऊ विकास के जनादेश के साथ काम करते हैं, और विवेंडी (हवास की पेरेंट कंपनी) की गहरी जेबें और रणनीतिक धैर्य उनके पास है। इससे संगठन अवसर आते ही तेजी से कदम बढ़ा सकता है, लेकिन बिना सोचे-समझे केवल पैमाना बढ़ाने की दौड़ में नहीं लगता। 

राणा बरुआ का ‘इंट्राप्रेन्योरियल’ नेतृत्व

हवास इंडिया की रफ्तार का बड़ा श्रेय बरुआ की ‘इंट्राप्रेन्योरियल’ सोच को जाता है- जहां उद्यमी की तरह सोचने का साहस और कॉर्पोरेट नेता की संरचनात्मक अनुशासन, दोनों का मेल है। उन्होंने केवल वैश्विक प्लेबुक को लागू नहीं किया, बल्कि भारतीय बाजार के लिए खास रणनीति तैयार की, उच्च क्षमता वाले साझेदारों को पहचानना, संस्थापकों से गहरे संबंध बनाना और ऐसा माहौल देना, जहां अधिग्रहित कंपनियां अपनी रचनात्मक स्वायत्तता बरकरार रखते हुए अपने सपनों का विस्तार कर सकें।

वित्तीय रूप से समूह अधिकांश स्थानीय प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा कीमत देकर उपयुक्त परिसंपत्तियां खरीद सकता है। सांस्कृतिक रूप से यह उन कंपनियों की पहचान का सम्मान करता है, जिन्हें वह खरीदता है—भारत जैसे देश में यह अहम है, जहां संस्थापक अक्सर अपनी कंपनी को किसी बेनाम बहुराष्ट्रीय ढांचे में खोने से बचाना चाहते हैं। यही कारण है कि हवास इंडिया उच्च प्रदर्शन करने वाली स्वतंत्र एजेंसियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो पैमाना तो चाहती हैं, लेकिन अपनी आत्मा खोए बिना।

बाजार का बड़ा खेल

भारतीय ऐडवर्टाइजिंग बाजार एक संरचनात्मक बदलाव के दौर में है। वैश्विक नेटवर्क न सिर्फ ग्राहकों के बजट के लिए, बल्कि टैलेंट, बौद्धिक संपदा और खास क्षमताओं- खासकर डिजिटल परफॉर्मेंस, ई-कॉमर्स, इंफ्लुएंसर मार्केटिंग और पीआर के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

हवास इंडिया के लिए यह उर्वर जमीन है। कंपनी ने बहुराष्ट्रीय और घरेलू, दोनों तरह के ब्रांड्स के साथ भरोसेमंद छवि बनाई है। अधिग्रहणों ने उसे फुल-फनल समाधान देने की क्षमता दी है, ऐसे समय में जब ग्राहक एकीकृत सेवाएं चाहते हैं।

यह सौदा सिर्फ पैमाना खरीदने के लिए नहीं होगा, यह दशकों पुराने ग्राहक संबंध, राष्ट्रीय स्तर का सर्विस नेटवर्क और भारतीय ऐडवर्टाइजिंग जगत के सबसे पहचानने योग्य नामों में से एक को अपने साथ जोड़ने का मामला होगा। यह कदम हवास इंडिया की प्रतिस्पर्धी स्थिति को रातों-रात बदल देगा।

आगे का रास्ता

हवास इंडिया की M&A (विलय और अधिग्रहण) रणनीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अधिग्रहणों को ‘ट्रॉफी’ की तरह नहीं देखता। हर सौदा क्षमता, सांस्कृतिक मेल और दीर्घकालिक विकास के मंच के रूप में किया जाता है। नेतृत्व स्पष्ट है- लक्ष्य कर्मचारियों की संख्या या बिलिंग में सबसे बड़ा बनना नहीं, बल्कि ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना है जो सांस्कृतिक रुझानों को परिभाषित करे, ग्राहकों के लिए नतीजे दे और मीडिया, क्रिएटिविटी व तकनीक की बातचीत का नेतृत्व करे।

यह दृष्टिकोण एक ‘क्यूरेटेड कलेक्शन’ जैसा है, जहां हर अधिग्रहण इस आधार पर चुना जाता है कि वह पूरे नेटवर्क को कैसे पूरक बनाता है। यह धैर्य और बारीकी वाला तरीका है, जबकि अक्सर बाजार में एकीकरण सिर्फ गति और पैमाने के लिए किया जाता है।

फिर भी, प्रतिस्पर्धा तेज है। प्रतिद्वंद्वी भी उन्हीं परिसंपत्तियों के लिए दौड़ रहे हैं, ग्राहकों के बजट सिमट रहे हैं और डिजिटल बदलाव एजेंसियों को तेजी से विकसित होने पर मजबूर कर रहा है। हवास इंडिया के सामने चुनौती होगी- सटीक अधिग्रहण करना, सावधानी से एकीकृत करना और सांस्कृतिक धार खोए बिना विकास देना।

ऐसे इंडस्ट्री में, जहां अक्सर एकीकरण का मतलब पहचान मिटाना होता है, हवास इंडिया कुछ और कर रहा है- जोड़कर, न कि घटाकर; एकीकृत करके, न कि निगलकर। इस ऐतिहासिक सौदे के करीब आने के साथ, कंपनी की धीमी और सोच-समझकर बढ़ने वाली कहानी अब अपने सबसे निर्णायक अध्याय में प्रवेश करने वाली है।

और अंत में, जैसा कहा जाता है- सौदा तब तक पक्का नहीं होता, जब तक वह बैंक में दर्ज न हो जाए।

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‘HT Media’ में इस बड़े पद से अमित शुक्ला ने दिया इस्तीफा

अमित शुक्ला को मीडिया सेल्स में दो दशक से अधिक का अनुभव है। वह इस मीडिया संस्थान से करीब 11 साल से जुड़े हुए थे।

Last Modified:
Tuesday, 12 August, 2025
Amit Shukla

‘एचटी मीडिया’ (HT Media) में असिस्टेंट वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत अमित शुक्ला ने इस्तीफा दे दिया है। वह करीब 11 साल से इस मीडिया संस्थान से जुड़े हुए थे। फिलहाल उनके अगले कदम को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

अमित शुक्ला को मीडिया सेल्स में दो दशक से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान उन्होंने रेवेन्यू बढ़ाने, लंबे समय तक चलने वाली क्लाइंट साझेदारियां बनाने और प्रिंट व डिजिटल—दोनों प्लेटफॉर्म्स पर टीमों का सफल नेतृत्व करने में अहम भूमिका निभाई है।

 

 

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‘BAG Convergence’ की टीम में शामिल हुए सुशांत मोहन, निभाएंगे ये बड़ी जिम्मेदारी

‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन को चीफ बिजनेस ऑफिसर और ग्रुप एडिटर के पद पर नियुक्त किया है।

Last Modified:
Monday, 11 August, 2025
Sushant Mohan BAG Convergence

‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन को चीफ बिजनेस ऑफिसर और ग्रुप एडिटर के पद पर नियुक्त किया है। अपनी इस दोहरी भूमिका में सुशांत मोहन संस्थान की बिजनेस स्ट्रैटेजी और मोनेटाइजेशन पहलों का नेतृत्व करेंगे, साथ ही समूह के सभी प्लेटफॉर्म्स पर एडिटोरियल विजन को नया आकार देंगे।

बता दें कि सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ (Zee) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह इस समूह के डिजिटल बिजनेस IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।

सुशांत मोहन इससे पहले डिलिजेंट मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के डिजिटल प्लेटफॉर्म DNA (डेली न्यूज एंड एनालिसिस) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

सुशांत मोहन पूर्व में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में एडिटर के तौर पर कार्य कर चुके हैं। उन्होंने ‘बीबीसी न्यूज’, ‘न्यूज18’ और ‘ओपेरा न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं। सुशांत मोहन ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) के विद्यार्थी रह चुके हैं और मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री होल्डर हैं।

सुशांत मोहन की इस नियुक्ति के बारे में BAG नेटवर्क की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर, अनुराधा प्रसाद का कहना है, ‘सुशांत एक डायनामिक लीडर हैं, जिनका स्ट्रैटेजिक विजन और संपादकीय क्षमता उन्हें इस भूमिका के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं। व्यापारिक विकास और उच्च-गुणवत्ता वाले कंटेंट के बीच संतुलन बनाने की उनकी क्षमता BAG Convergence के भविष्य के हमारे दृष्टिकोण से पूरी तरह मेल खाती है।’

वहीं, इस बारे में सुशांत मोहन का कहना है, ‘मीडिया परिदृश्य के विकास के ऐसे अहम दौर में BAG Convergence से जुड़ना मेरे लिए एक विशेषाधिकार और जिम्मेदारी दोनों है। मैं ऐसी कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जो रचनात्मकता, पत्रकारिता की ईमानदारी और नवाचार को प्रोत्साहित करे। मेरा ध्यान ऐसे मजबूत और स्थायी व्यावसायिक मॉडल विकसित करने पर होगा, जो प्रभावशाली स्टोरीटैलिंग को सपोर्ट दें, हमारी पहुंच का विस्तार करें और यह सुनिश्चित करें कि BAG Convergence  अग्रिम मोर्चे पर बना रहे। मैं समूह की प्रतिभाशाली टीमों के साथ मिलकर हमारे दर्शकों, हितधारकों और साझेदारों के लिए मूल्य तैयार करने को लेकर उत्साहित हूं।’

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अब 'News 24' में बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं सुशांत मोहन

सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड जिम्मेदारी निभा रहे थे।

Last Modified:
Monday, 11 August, 2025
Sushant Mohan ..

सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन जल्द ही नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक वह हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ (News24) में चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) के पद पर शामिल हो सकते हैं। हालांकि, चैनल प्रबंधन और सुशांत मोहन की ओर से अभी इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

बता दें कि सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ (Zee) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह इस समूह के डिजिटल बिजनेस IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। छह अगस्त को इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।

सुशांत मोहन इससे पहले डिलिजेंट मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के डिजिटल प्लेटफॉर्म DNA (डेली न्यूज एंड एनालिसिस) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

बता दें कि सुशांत मोहन पूर्व में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में एडिटर के तौर पर कार्य कर चुके हैं। उन्होंने ‘बीबीसी न्यूज’, ‘न्यूज18’ और ‘ओपेरा न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं। सुशांत मोहन ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) के विद्यार्थी रह चुके हैं और मास कम्युनेकशन में मास्टर डिग्री होल्डर हैं।

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‘NDTV’ में इस बड़े पद से रजा शाह ने दिया इस्तीफा

शाह ने अगस्त 2013 में ‘एनडीटीवी’ जॉइन किया था और तब से लेकर अब तक सरकारी विज्ञापन बिक्री को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

Last Modified:
Monday, 11 August, 2025
Raza Shah NDTV

रजा शाह ने ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में नेशनल सेल्स हेड (गवर्नमेंट) के पद से इस्तीफा दे दिया है, इसके साथ ही इस नेटवर्क के साथ उनका करीब 12 साल का सफर खत्म हो गया है। रजा शाह का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।

शाह ने अगस्त 2013 में ‘एनडीटीवी’ जॉइन किया था और तब से लेकर अब तक सरकारी विज्ञापन बिक्री को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इस दौरान चैनल की पहुंच को नए क्षेत्रों तक पहुंचाया और इस सेगमेंट से होने वाली आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की।

करीब तीन दशक के मीडिया करियर में शाह ने भारत के कई बड़े मीडिया संस्थानों में लीडरशिप भूमिकाएं निभाई हैं। ‘एनडीटीवी’ से पहले वह वर्ष 2013 में टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड में वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले 2006 से 2009 तक आईबीएन18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड में अकाउंट डायरेक्टर के रूप में जुड़े रहे। 

उनका एक दशक लंबा कार्यकाल 1996 से 2006 तक बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ग्रुप) में सीनियर मैनेजर के रूप में रहा, जहां उन्होंने मीडिया सेल्स और क्लाइंट रिलेशंस की गहरी समझ के साथ एक मजबूत रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई।

इंडस्ट्री में मजबूत रिश्ते और भरोसेमंद सलाहकार के रूप में पहचाने जाने वाले शाह को क्लाइंट्स के साथ नेटवर्क बनाने और प्रभावी सेल्स स्ट्रैटेजी तैयार करने में माहिर माना जाता है।

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‘India Today’ ग्रुप में इस बड़े पद से मनीषा सोलंकी ने दिया इस्तीफा

वह इस समूह में करीब 11 साल से कार्यरत थीं और सात अगस्त इस समूह में उनका आखिरी कार्यदिवस था।

Last Modified:
Saturday, 09 August, 2025
Manisha Solanki

सीनियर मीडिया प्रोफेशनल मनीषा सोलंकी ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह से इस्तीफा दे दिया है। वह इस समूह में करीब 11 साल से कार्यरत थीं और वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

सात अगस्त इस समूह में उनका आखिरी कार्यदिवस था। समाचार4मीडिया से बातचीत में मनीषा सोलंकी ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। अपनी नई पारी के बारे में मनीषा का कहना था कि वह जल्द ही कहीं जॉइन कर फिर उस बारे में बताएंगी।

बता दें कि मनीषा सोलंकी को मीडिया सेल्स के क्षेत्र में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। पूर्व में वह ‘Valpro Media Services’, ‘United Telelinks’, ‘Zee Entertainment Enterprises Limited’ और ‘Maxus Global’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुकी हैं।

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आजादी के नायकों को समर्पित रहा WAVES OTT का खास संगीतमय कार्यक्रम ‘शौर्य धुन’

दर्शकों ने इस चार दिवसीय कार्यक्रम का लाइव तो आनंद लिया ही, अब 15 अगस्त को पूरे कार्यक्रम का क्यूरेटेड वीडियो भी वेव्स पर रिलीज होगा।

Last Modified:
Friday, 08 August, 2025
wavesott

प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म 'वेव्स' ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के नायकों को समर्पित एक खास संगीतमय कार्यक्रम ‘शौर्य धुन’ (Symphony of Valour) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत 4 अगस्त को हुई और 7 अगस्त तक चला। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में भारत के चार प्रमुख अर्धसैनिक बलों के बैंड ने अपनी प्रस्तुति से देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों को याद किया।

खास बात यह थी कि वीर जवानों की यह प्रस्तुति वेव्स ओटीटी पर लाइव स्ट्रीम भी हुई। शौर्य धुन’ (Symphony of Valour) कार्यक्रम की शुरुआत 4 अगस्त को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के बैंड से हुई। इसके बाद 5 अगस्त को सशस्त्र सीमा बल (SSB), 6 अगस्त को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और 7 अगस्त को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के बैंड ने अपनी प्रस्तुतियां दी। प्रसार भारती ने वेव्स के जरिये इस कार्यक्रम को लाइव देश-दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।

दर्शकों ने इस चार दिवसीय कार्यक्रम का लाइव तो आनंद लिया ही, अब 15 अगस्त को पूरे कार्यक्रम का क्यूरेटेड वीडियो भी वेव्स पर रिलीज होगा। आपको बता दें कि वेव्स ओटीटी पर देशभक्ति और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित तमाम सामग्री उपलब्ध हैं, जो भारत की संघर्ष गाथा, विरासत और जज़्बे को दर्शाती हैं। प्लेटफॉर्म पर इंडियाज स्ट्रगल फॉर फ्रीडम से लेकर भारत एक खोज, सरदार, गांधी, बाग़ी की बेटी जैसी चर्चित फिल्में व डॉक्यूमेंट्री और NFDC की दस्तावेज़ी फिल्मों का विशाल संग्रह मौजूद है, जो भारत की यात्रा को प्रामाणिकता और गहराई के साथ दर्शाता है।

प्रसार भारती द्वारा नवंबर 2024 में लॉन्च किये गए वेव्स ओटीटी ने कुछ ही महीनों के अंदर दर्शकों के दिल अपनी खास जगह बना ली है। खासकर दूरदर्शन के पुराने सीरियल्स को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। वेव्स की 'डीडी नॉस्टैल्जिया' प्लेलिस्ट में अनुपम खेर और पूजा भट्ट की दमदार एक्टिंग वाले 'डैडी', सुरेखा सिकरी और इरफान खान के अभिनय से सजा 'सांझा चूल्हा', मुकेश खन्ना का यादगार सीरियल 'चुन्नी', पल्लवी जोशी और आर. माधवन का 'आरोहण', बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के डेब्यू सीरियल 'फौजी' और दूरदर्शन के ऐतिहासिक सीरियल 'चाणक्य' आदि उपलब्ध और इनका मुफ्त में आनंद लिया जा सकता है।

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दिल्ली में हुआ ‘We Women Want' कॉन्क्लेव का आयोजन, तस्वीरों में देखें झलकियां

"जब महिलाएं उठती हैं, तो देश बदलते हैं"- इसी संदेश को आगे बढ़ाते हुए ‘We Women Want Conclave & Shakti Awards 2025’ का आयोजन 7 अगस्त को दिल्ली में हुआ।

Last Modified:
Friday, 08 August, 2025
WeWomen12

"जब महिलाएं उठती हैं, तो देश बदलते हैं"- इसी संदेश को आगे बढ़ाते हुए ‘We Women Want Conclave & Shakti Awards 2025’ का आयोजन 7 अगस्त को दिल्ली में हुआ। iTV नेटवर्क द्वारा आयोजित इस खास कार्यक्रम में देशभर से सशक्त और प्रेरणादायक महिलाओं को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सांसद डॉ. शशि थरूर सहित कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। मंच पर एकता कपूर, दीया मिर्जा, शबाना आज़मी, नेहा धूपिया, हरसिमरत कौर बादल, ऋतु बेरी, निमरत कौर और लेफ्टिनेंट जनरल साधना नायर जैसी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कॉन्क्लेव में महिला नेतृत्व, वर्क-लाइफ बैलेंस, बॉडी पॉजिटिविटी, वर्दी में महिलाएं जैसे आदि विषयों पर चर्चाएं हुईं। ‘ड्रोन दीदी’ और ‘लखपति दीदी’ जैसी जमीनी स्तर की महिलाएं भी इस मंच पर अपनी कहानियां लेकर आईं।

कार्यक्रम की निर्माता डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने कहा, "यह सिर्फ एक शो नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो हर महिला की असली आवाज को सामने लाता है।" वहीं iTV नेटवर्क के सीईओ अभय ओझा ने इसे "सोशल इम्पैक्ट मीडिया" की एक मिसाल बताया।

‘We Women Want’ एक ऐसा मंच बन चुका है, जो भारत के हर कोने से उठने वाली महिलाओं की कहानियों को पहचान और मंच देता है।

नीचे तस्वीरों में देखें कार्यक्रम की झलकियां-

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चित्रा त्रिपाठी ने बच्चों में जगाई उम्मीद और आत्मविश्वास, दिया सफलता का मंत्र

कार्यक्रम का उद्देश्य उन बच्चों को मंच देना था, जिनकी आवाज़ें अक्सर दब जाती हैं, जिनके सपने हालातों की भीड़ में खो जाते हैं।

Last Modified:
Friday, 08 August, 2025
chitratripathi

देश की राजधानी दिल्ली में सिन्हायना फाउंडेशन द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम केवल एक रंगमंचीय प्रदर्शन नहीं था। यह एक आंदोलन था, एक शांति की क्रांति, जो समाज के सबसे संवेदनशील तबके के बच्चों के भीतर उम्मीद और आत्मविश्वास की लौ जला रहा था। इस आयोजन की गरिमा तब और बढ़ गई जब भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने बच्चों को आशीर्वचन देने हेतु मंच की शोभा बढ़ाई।

अपने प्रेरणादायक शब्दों में उन्होंने कहा, यह पहल दिखाती है कि देश का भविष्य सुरक्षित है, जब ऐसे बच्चे मंच पर अपनी प्रतिभा और आत्मबल के साथ खड़े होते हैं। एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट और वरिष्ठ एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने शायरी के ज़रिए बच्चों के मन में जोश और जुनून भर दिया।

चित्रा त्रिपाठी ने बच्चों को सफलता के मंत्र भी दिए। कार्यक्रम का उद्देश्य उन बच्चों को मंच देना था, जिनकी आवाज़ें अक्सर दब जाती हैं, जिनके सपने हालातों की भीड़ में खो जाते हैं। लेकिन सिन्हायना फाउंडेशन की यह पहल उन सपनों को फिर से आकार देती है। विनय शर्मा जो की सिन्हायन के फाउंडर है ,न सिर्फ तारीफ के लायक है बल्कि सीखने लायक भी है।

सिन्हायना फाउंडेशन की यह पहल दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि झुग्गियों, स्लम बस्तियों और सरकारी स्कूलों तक इसकी गूंज पहुंच चुकी है। इस संस्था ने सिद्ध कर दिया है कि कला में केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने की शक्ति होती है। इस आयोजन को लेकर चित्रा त्रिपाठी के द्वारा की गई इस पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं।

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