डेंट्सु ने अमित वाधवा को साउथ एशिया के लिए डेंट्सु क्रिएटिव और मीडिया ब्रैंड्स का चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) नियुक्त किया है।
डेंट्सु ने अमित वाधवा को साउथ एशिया के लिए डेंट्सु क्रिएटिव और मीडिया ब्रैंड्स का चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) नियुक्त किया है। इस नई भूमिका में अमित, हर्षा राजदान (सीईओ - साउथ एशिया, डेंट्सु) और प्रेरणा मेहरोत्रा (सीसीओ व सीईओ - मीडिया, एशिया पैसिफिक) को रिपोर्ट करेंगे।
अमित अब डेंट्सु की क्रिएटिव और मीडिया प्रैक्टिस का नेतृत्व करेंगे। वह तीन प्रमुख क्रिएटिव ब्रैंड्स (डेंट्सु क्रिएटिव वेबचटनी, डेंट्सु क्रिएटिव इसोबार और डेंट्सु क्रिएटिव पीआर) और पांच मीडिया ब्रैंड्स (Carat, dentsu X, iProspect, Posterscope और Sokrati) के बीच सहयोग को और मजबूत करेंगे। उनका मुख्य फोकस इन सभी डोमेन्स को एकीकृत करना और एक साझा विजन के तहत काम को आगे बढ़ाना होगा ताकि क्रिएटिव और मीडिया साथ मिलकर एक ताकतवर असर डाल सकें।
डेंट्सु साउथ एशिया के सीईओ हर्षा राजदान ने कहा, “आज का मार्केटिंग परिदृश्य पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो गया है, लेकिन जटिलता व्यवसायों को धीमा नहीं कर सकती। डेंट्सु में हम इसे सरल, स्मार्ट और मानवीय बना रहे हैं। हमारा 'वन डेंट्सु' मॉडल मीडिया, क्रिएटिव, टेक्नोलॉजी और कस्टमर एक्सपीरियंस को एक साथ लाकर वास्तविक बिजनेस समस्याओं का हल देता है। अमित इस परिवर्तन को आगे बढ़ाएंगे, जबकि अनीता क्लाइंट्स के साथ गहरे रिश्ते बनाकर हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण को मजबूत करेंगी। यह है 'इनोवेटिंग टू इम्पैक्ट'—भविष्य के लिए तैयार मार्केटिंग की असली मिसाल।”
अपनी नियुक्ति पर अमित वाधवा ने कहा, “इस स्तर का इंटीग्रेशन लंबे समय से नहीं हुआ है। यह हमें एक नया रास्ता बनाने का मौका देता है। सफलता किसी एक विचार या व्यक्ति से नहीं आती—यह तब होती है जब सही लोग साथ काम करते हैं, जिम्मेदारी लेते हैं और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ते हैं। यही सोच डेंट्सु साउथ एशिया की अगली ग्रोथ स्टेज को आगे बढ़ा रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “मीडिया और क्रिएटिव दोनों ने सालों तक अलग-अलग शानदार काम किया है। लेकिन अब वक्त है इन्हें एक साथ लाने का, सिर्फ एफिशिएंसी के लिए नहीं बल्कि ज्यादा जुड़ी हुई, फुर्तीली और रणनीतिक सोच के लिए। 2024 ने बुनियाद रखी थी, 2025 उस पर रफ्तार देने का साल है- बड़े आइडिया, तेज एग्जीक्यूशन और समझदारी भरा असर। हमारे पास इंडस्ट्री के कुछ सबसे तेज दिमाग हैं और मैं आगे के सफर को लेकर बेहद उत्साहित हूं।”
गुजरात में जन्मे और लंदन में इंडिया हाउस स्थापित करने वाले श्याम जी कृष्ण वर्मा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कवर में PM मोदी कलश लिए नजर आ रहे हैं।
विदेशी धरती पर भारतीय क्रांतिकारियों के सबसे बड़े संरक्षक माने जाने वाले श्यामजी कृष्ण वर्मा पर अब राज कॉमिक्स के सह-संस्थापक संजय गुप्ता का नया बैनर भारत आत्मन स्टूडियोज एक कॉमिक्स श्रृंखला पेश करने जा रहा है। इस कॉमिक्स का कवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर जारी किया गया। कवर पेज पर पीएम मोदी के हाथ में एक कलश नजर आता है, वहीं श्यामजी कृष्ण वर्मा की छवि भी दिखाई देती है।
गुजरात में जन्मे इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने आज़ादी के आंदोलन में अहम योगदान देते हुए लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना की थी, जो स्वतंत्रता से पहले विदेशों में भारतीय राष्ट्रवाद का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना। श्यामजी कृष्ण वर्मा का 1930 में निधन हुआ था।
उनकी अंतिम इच्छा रही कि उनकी अस्थियां स्वतंत्र भारत की मिट्टी पर लौटाई जाएं। यह सपना वर्ष 2003 में साकार हुआ, जब उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी जिनेवा से उनकी अस्थियां भारत लाए। कवर पेज पर पीएम मोदी के हाथ में दिखाया गया कलश उसी ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है।
राज कॉमिक्स के संस्थापक संजय गुप्ता का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर कवर जारी करने का उद्देश्य सरकार की ओर से दिए गए सम्मान और नई दिशा को दर्शाना है। भारत आत्मन स्टूडियोज के प्रकाशक वासु गुप्ता ने बताया कि उनका मकसद केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कार और सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना भी है।
बच्चों और युवाओं तक श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे अनदेखे नायकों की गाथाएं पहुँचाना इस कॉमिक्स का मूल उद्देश्य है। इस कॉमिक्स की रचना विष्णु शर्मा ने की है और कवर पेज का डिज़ाइन सुशांत पांडा ने तैयार किया है।
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार (17 सितंबर, 2025) को पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की उस अपील को तुरंत सुनवाई के लिए खारिज कर दिया
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार (17 सितंबर, 2025) को पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की उस अपील को तुरंत सुनवाई के लिए खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के खिलाफ कथित मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोक लगाने वाले आदेश के खिलाफ अपील की थी।
रोहिणी कोर्ट के जिला जज राकेश कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला, जो 6 सितंबर के आदेश से जुड़ा है, 18 सितंबर को सुना जाएगा। जज ने कहा, “कल सुबह 10 बजे इस पर सुनवाई होगी।”
अदालत ने कहा, “यदि आपके मुवक्किल दो दिन तक कुछ नहीं प्रकाशित करते, तो क्या यह जीवन-मृत्यु का मामला है?” और तत्काल सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया।
ठाकुरता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस ने तर्क दिया कि यह आदेश बहुत व्यापक था और ठाकुरता की सुनवाई किए बिना जारी किया गया। उन्होंने कहा, “अदालत ने यह नहीं बताया कि कौन सी सामग्री झूठी या मानहानिकारक है। यह वादी का कर्तव्य है कि वह बताएं क्या मानहानिकारक है और अदालत का काम है उस पर निर्णय देना।”
AEL का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने तत्काल सुनवाई की मांग का विरोध किया और कहा कि कोई विशेष परिस्थिति नहीं है जो नियमित प्रक्रिया से अलग कदम उठाने की जरूरत बताए।
ठाकुरता के साथ अन्य पत्रकार रवि नायर, अबीर दासगुप्ता, आयस्कांत दास और आयुष जोशी ने 6 सितंबर के एक्स-पार्टी अंतरिम इंजंक्शन को चुनौती दी है, जो AEL के पक्ष में बिना प्रतिवादियों को शामिल किए जारी किया गया था।
विशेष सिविल जज अनुज कुमार सिंह ने नौ पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स और संस्थाओं को AEL के बारे में “अप्रमाणित, बिना सबूत और प्रथम दृष्टया मानहानिकारक” रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित करने से रोका और ऐसे कंटेंट को 5 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया। आदेश में कंपनी को यह भी अधिकार दिया गया कि वह अन्य ऑनलाइन सामग्री को पहचान सके जिसे वह मानहानिकारक समझती है और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स को 36 घंटे के भीतर उसे हटाना होगा।
यह आदेश AEL द्वारा दायर मानहानि मामले में आया था, जिसमें आरोप था कि “समन्वित मानहानिकारक” सामग्री विभिन्न वेबसाइट्स पर प्रकाशित की गई ताकि कंपनी की साख को नुकसान पहुंचे और उसके वैश्विक व्यापार में बाधा आए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश “सत्यापित, निष्पक्ष और प्रमाणित” रिपोर्टिंग पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाता।
6 सितंबर के आदेश में कहा गया था, “…इस चरण में, प्रतिवादी 1 से 9 को निष्पक्ष, सत्यापित और प्रमाणित रिपोर्टिंग करने से रोकने के बजाय, प्रतिवादी 1 से 10 को वादी (AEL) के बारे में अप्रमाणित, बिना सबूत और प्रथम दृष्टया मानहानिकारक रिपोर्ट्स प्रकाशित/वितरित/प्रसारित करने से अगली सुनवाई तक रोका जाए।”
पत्रकारों ने अपनी अपील में कहा कि अदालत ने बहुत व्यापक और हर चीज को रोकने वाला आदेश जारी किया, बिना यह बताए कि कौन सी सामग्री मानहानिकारक है।
16 सितंबर को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B) ने 6 सितंबर के आदेश के आधार पर कई न्यूज आउटलेट्स और स्वतंत्र पत्रकारों को आदेश दिया कि वे AEL के बारे में कथित मानहानिकारक सामग्री हटा दें। नोटिस में 138 YouTube लिंक और 83 Instagram पोस्ट्स शामिल थीं, जिनमें जांच रिपोर्ट्स, व्यंग्यात्मक वीडियो और अडानी ग्रुप का संयोगिक उल्लेख शामिल था। जिनके पास टेकडाउन नोटिस गए, उनमें Newslaundry, The Wire, HW News, रविश कुमार, अजित अंजुम, परंजॉय ठाकुरता, ध्रुव राठी और व्यंग्यकार आकाश बनर्जी शामिल थे। नोटिस की कॉपी Meta और Google को भी भेजी गई, ताकि वे मध्यस्थ के रूप में कार्रवाई करें।
कई पत्रकारों और कंटेंट क्रिएटर्स ने नोटिस को मनमाना और अत्यधिक बताया। पत्रकार दीपक शर्मा ने X पर लिखा कि रोहिणी कोर्ट ने उनके 11 वीडियो बिना किसी नोटिस के हटाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि आदेश 6 सितंबर को आया, लेकिन उन्हें सिर्फ 16 सितंबर को बताया गया, जबकि 9 सितंबर की जवाब देने की समयसीमा पहले ही समाप्त हो चुकी थी। उन्होंने कहा, “क्या अदालत बिना समन दिए, बिना नोटिस दिए, बिना सुनवाई किए, ईमेल के जरिए फैसला भेज सकती है? क्या हमें सिर्फ कुछ घंटों में सभी अडानी से जुड़े वीडियो हटाने का आदेश दिया जा सकता है?”
व्यंग्यकार आकाश बनर्जी, जो अपने YouTube चैनल ‘Deshbhakt’ पर 6 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स के साथ सामग्री बनाते हैं, ने कहा कि उन्हें 36 घंटे में 200 से अधिक कंटेंट हटाने के लिए कहा गया, बिना इसे चुनौती देने का मौका मिले। उन्होंने लिखा, “दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली बिजनेसमैन छोटे स्वतंत्र यूट्यूबर्स से लड़ रहे हैं। पैसा सब कुछ नहीं खरीद सकता और यही हमारी ताकत है।”
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को कहा कि उन्हें “John Doe” एक्स-पार्टी इंजंक्शन पर गहरी चिंता है, जो वैध रिपोर्टिंग को रोकने और मुक्त भाषण के अधिकार को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि I&B मंत्रालय द्वारा जारी टेकडाउन नोटिस ने “एक निजी कंपनी को यह तय करने का अधिकार दे दिया कि उनके मामलों के बारे में क्या मानहानिकारक है।” गिल्ड ने न्यायपालिका से अपील की कि मानहानि के मामलों को उचित प्रक्रिया के जरिए ही निपटाया जाए, न कि “एकतरफा आदेशों” के जरिए।
मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया था कि अमीर वादी अक्सर मीडिया और सिविल सोसाइटी के खिलाफ प्री-ट्रायल इंजंक्शन ले लेते हैं, जो स्वतंत्र भाषण और सूचना के अधिकार को रोकते हैं। उस समय की तीन सदस्यीय बेंच ने चेतावनी दी थी कि एक्स-पार्टी अंतरिम आदेश पत्रकारिता के लिए “मृत्यु दंड” साबित हो सकता है, इससे पहले कि आरोप साबित हों।
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेज ने The Hindu से कहा कि यह एक्स-पार्टी इंजंक्शन किसी भी अंतरिम राहत के तीन मानदंडों (प्राइमाफेस केस, सुविधा का संतुलन और अपूरणीय नुकसान) को पूरा नहीं करता। उन्होंने कहा, “यह रोक आदेश एक व्यावसायिक कंपनी की मर्जी से सेंसरशिप का खुला चेक है। कानून में प्री-सेंसरशिप पसंद नहीं की जाती और सरकार की जल्दबाजी, बिना विशेष न्यायिक निर्देशों के, भारत में मुक्त भाषण के लिए गंभीर सवाल उठाती है।”
e4m RetailEX Awards एक बार फिर लौट रहा है, अपने दूसरे एडिशन के साथ। इस बार ये पहले से ज्यादा बड़ा, दमदार और असरदार होने वाला है।
e4m RetailEX Awards एक बार फिर लौट रहा है, अपने दूसरे एडिशन के साथ। इस बार ये पहले से ज्यादा बड़ा, दमदार और असरदार होने वाला है। इस साल की जूरी की कमान संभालेंगे संदीप कोहली, जो Novel Jewels के सीईओ हैं। Novel Jewels आदित्य बिड़ला ग्रुप का ज्वेलरी बिजनेस है। संदीप कोहली ब्रैंड बिल्डिंग में अपनी तेज सोच और इनोवेटिव अप्रोच के लिए जाने जाते हैं। कोहली और उनकी जूरी टीम रिटेल मार्केटिंग में आए शानदार और बदले हुए आइडियाज को पहचानेंगे और बेहतरीन काम को सम्मानित करेंगे। उनकी अगुवाई में जूरी ऐसे कैंपेन चुनेगी जो क्रिएटिविटी, प्रासंगिकता और असर के नए पैमाने तय करें।
संदीप कोहली Novel Jewels Ltd. के सीईओ हैं, जो आदित्य बिड़ला ग्रुप (ABG) का ज्वेलरी बिजनेस है। वे 2024 में ABG से जुड़े और अपने साथ तीन दशक से ज्यादा का अनुभव लेकर आए। उन्होंने यूनिलीवर के साथ दुनियाभर में काम किया है, जिसमें पैकेज्ड फूड, पर्सनल केयर और ब्यूटी व वेलनेस जैसे सेक्टर शामिल हैं।
यूनिलीवर में अपने करियर के दौरान कोहली ने भारत समेत कई देशों में बिजनेस संभाले। उन्होंने म्यांमार, कंबोडिया, साउथ एशिया, मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका और तुर्की जैसे जटिल और अलग-अलग मार्केट्स में बिजनेस को बढ़ाया। यूनिलीवर में रहते हुए उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया, जिनमें शामिल हैं- बोर्ड मेंबर, यूनिलीवर इंडोनेशिया, जनरल मैनेजर (ब्यूटी एंड वेलबीइंग), यूनिलीवर इंडोनेशिया, बोर्ड मेंबर यूनिलीवर मिडिल ईस्ट एंड नॉर्थ अफ्रीका और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, ब्यूटी एंड पर्सनल केयर, HUL।
कोहली की लीडरशिप में जूरी सिर्फ क्रिएटिविटी ही नहीं देखेगी, बल्कि ये भी परखेगी कि मार्केट में उसका असर कितना है।
RetailEX Awards का मकसद है उन ब्रैंड्स, एजेंसियों और लोगों को सम्मानित करना, जो इनोवेशन और नए आइडियाज के जरिए रिटेल मार्केटिंग की तस्वीर बदल रहे हैं। ये अवॉर्ड्स ऐसे कैंपेन और पहलों को पहचानते हैं जो ग्राहक के अनुभव को नए स्तर पर ले जाते हैं, चाहे वो टेक्नॉलजी और स्टोरीटेलिंग का मेल हो या कस्टमर जर्नी को बेहतर बनाने का तरीका।
विजेताओं का चयन चार मुख्य कैटेगरी में किया जाएगा- डिजाइन, मार्केटिंग, बेस्ट सेक्टर और PR स्ट्रैटेजी व इनोवेशन। हर कैटेगरी में कई सब-कैटेगरी होंगी।
RetailEX Awards का ये सफर सिर्फ रिटेल मार्केटिंग में श्रेष्ठता का जश्न ही नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए इनोवेशन को प्रेरित करने का भी एक मंच है।
यह अनोखा प्रयोग ज़ी टीवी और ज़ी न्यूज़ की नवाचार परंपरा का हिस्सा है। ज़ी टीवी पर 19 सितंबर को रात 10 बजे प्रसारित होने वाला यह एपिसोड दर्शकों के लिए अनोखा अनुभव होगा।
मनोरंजन और खबरों का मेल जब एक मंच पर आता है तो नतीजा हमेशा कुछ अलग और रोमांचक होता है। इसी सोच के साथ ज़ी टीवी के चर्चित शो ‘छोरियां चली गांव’ का एक खास एपिसोड तैयार किया गया है, जिसमें दर्शकों को रियलिटी शो का जोश और न्यूज़रूम का अनुभव एक साथ देखने को मिलेगा। इस अनूठे प्रयोग में ज़ी न्यूज़ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा विशेष अतिथि और जज की भूमिका में नज़र आएंगे।
यह एपिसोड 19 सितंबर की रात 10 बजे ज़ी टीवी पर प्रसारित किया जाएगा। राहुल सिन्हा ने बतौर जज प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया। उनकी पैनी नज़र और संपादकीय अनुभव ने इस एपिसोड को और भी खास बना दिया। उन्होंने प्रतियोगियों को उनकी पत्रकारिता की समझ, कहानी कहने की शैली और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता के आधार पर परखा। सिन्हा ने प्रतिभागियों को यह भी समझाया कि पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी है।
उनके विचार और मार्गदर्शन ने न केवल प्रतिभागियों को प्रेरित किया, बल्कि दर्शकों को भी पत्रकारिता की असली तस्वीर दिखाई। ज़ेडएमसीएल (Zee Media Corporation Limited) के मार्केटिंग हेड अनिंद्य खरे ने इस पहल पर कहा, हम हमेशा मानते हैं कि कहानी कहने की ताकत समाज को दिशा देने और विचारों को जगाने में अहम भूमिका निभाती है।
‘छोरियां चली गांव’ में हमें लगा कि मनोरंजन के साथ पत्रकारिता की सच्चाई और जिम्मेदारी भी जोड़नी चाहिए। ज़ी न्यूज़ और ज़ी टीवी का यह सहयोग सिर्फ कंटेंट का प्रयोग नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक संदेश है। जब प्रतियोगियों को रिपोर्टर की भूमिका दी गई, तो यह न केवल उन्हें सोचने और संवाद करने की चुनौती थी, बल्कि दर्शकों को भी यह समझाने का मौका था कि हर खबर के पीछे कितनी मेहनत और जिम्मेदारी छिपी होती है।
यह अनोखा प्रयोग ज़ी टीवी और ज़ी न्यूज़ की नवाचार परंपरा का हिस्सा है। ज़ी टीवी पर 19 सितंबर को रात 10 बजे प्रसारित होने वाला यह एपिसोड दर्शकों के लिए एक ऐसा अनोखा अनुभव होगा, जिसे वे लंबे समय तक याद रखेंगे। यह एपिसोड ज़ी की उस सोच का हिस्सा है, जो कहानियों के माध्यम से समाज को जोड़ने, शिक्षित करने और प्रेरित करने का काम करती है।
प्रभाकरन इससे पहले दक्षिण और पश्चिम (Linear & OTT) के चीफ क्लस्टर ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे।
‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) ने सिजू प्रभाकरन को अपने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ‘जी5’ (ZEE5) का चीफ बिजनेस ऑफिसर नियुक्त किया है। प्रभाकरन इससे पहले दक्षिण और पश्चिम (Linear & OTT) के चीफ क्लस्टर ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे।
इससे पहले वह एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट और क्लस्टर हेड (साउथ बिजनेस) के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। बता दें कि प्रभाकरन दो दशक से ज्यादा समय से ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ से जुड़े हुए हैं।
अपनी नई भूमिका में प्रभाकरन सीधे ‘जी’ में प्रेजिडेंट (डिजिटल बिजनेस एंड प्लेटफॉर्म्स, इंटरनेशनल लीनियर बिजनेस, एंटरप्राइज टेक्नोलॉजी और ब्रॉडकास्ट ऑपरेशंस एंड इंजीनियरिंग) अमित गोयनका को रिपोर्ट करेंगे।
इस नियुक्ति को लेकर एक मीडिया रिपोर्ट में कंपनी ने कहा कि ‘ZEE5’ के चीफ बिजनेस ऑफिसर के रूप में प्रभाकरन की नियुक्ति डिजिटल बिजनेस को मजबूत बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
जन्मदिन अक्सर एक ठहराव की तरह होते हैं- एक ऐसा पल, जब हम अपने पीछे छूटे सफर को देखते हैं और आगे आने वाली संभावनाओं पर नजर डालते हैं।
जन्मदिन अक्सर एक ठहराव की तरह होते हैं- एक ऐसा पल, जब हम अपने पीछे छूटे सफर को देखते हैं और आगे आने वाली संभावनाओं पर नजर डालते हैं। स्पॉटिफाई इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और SAMEA (South Asia, Middle East & Africa) के जनरल मैनेजर अमरजीत सिंह बत्रा के लिए यह ठहराव खास मायने रखता है। उनके नेतृत्व ने न सिर्फ स्पॉटिफाई को दुनिया के सबसे जटिल बाजारों में से एक में अपनी जगह बनाने में मदद की, बल्कि इसने भारतीयों के संगीत खोजने, उसकी कद्र करने और उसे साझा करने के तरीकों को भी नया रूप दिया।
जब अमरजीत ने अप्रैल 2018 में कमान संभाली, तब स्पॉटिफाई भारत में वादों और अनिश्चितताओं दोनों के साथ उतरा था। एक ऐसे देश में, जहां फिल्मी संगीत का दबदबा है और लोग मुफ्त में सुनने के आदी हैं, क्या उन्हें स्ट्रीमिंग के लिए भुगतान करने के लिए राजी किया जा सकता था? उनकी सोच और दृष्टि के तहत, इसका जवाब ‘हाँ’ निकला। उन्होंने प्लेलिस्ट को स्थानीय बनाया, क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाया और “प्रीमियम मिनी” तथा छोटे-छोटे सब्सक्रिप्शन पैक जैसी भारतीय नवाचारों को तैयार किया। इस तरह उन्होंने संगीत स्ट्रीमिंग को विलासिता से निकालकर रोजमर्रा की आदत बना दिया। आज, अधिक से अधिक श्रोता संगीत के लिए भुगतान करने को तैयार हैं- यह व्यवहार में एक शांत लेकिन ऐतिहासिक बदलाव है।
शायद अमरजीत की सबसे स्थायी विरासत उनकी भारत के नॉन-फिल्म संगीत आंदोलन के प्रति प्रतिबद्धता है। उनके लिए स्वतंत्र कलाकार कभी भी बाद की सोच नहीं रहे। उन्होंने हमेशा उनके विकास का समर्थन किया है, जैसे Spotify for Artists जैसी पहलों के माध्यम से, और यह सुनिश्चित किया है कि पंजाबी पॉप से लेकर तमिल इंडी तक, क्षेत्रीय ध्वनियों को वैश्विक मंच पर जगह मिले। नतीजा यह है कि भारतीय प्लेलिस्ट आज सिर्फ पृष्ठभूमि का संगीत नहीं हैं; वे सांस्कृतिक पहचान बन गई हैं जो हमारी सीमाओं से बहुत दूर तक जाती हैं। उनके नेतृत्व में स्पॉटिफाई ने सब्सक्राइबर, पॉडकास्ट और विज्ञापन में कई अहम मील के पत्थर पार किए। फिर भी अमरजीत मानते हैं कि काम अभी पूरा नहीं हुआ है। मुद्रीकरण, श्रोताओं को शिक्षित करना और जेनरेशन Z की बदलती प्रवृत्तियों से आगे बने रहना अभी भी चुनौतियां हैं। लेकिन उनका आशावाद अडिग है। वह उस दिन की कल्पना करते हैं जब I-Pop (Indian Pop Music) एक वैश्विक घटना बनकर उभरेगा- रचनात्मकता, तकनीक और निर्भीक कलाकारों की नई पीढ़ी की ताकत से।
इस खास दिन पर, अमरजीत सिंह बत्रा की भूमिका को सिर्फ एक एग्जीक्यूटिव के रूप में नहीं, बल्कि एक श्रोता, एक विश्वास करने वाले और एक निर्माता के रूप में स्वीकार करना उचित है। उनके स्थिर नेतृत्व ने कलाकारों को बड़े सपने देखने की ताकत दी है और श्रोताओं को गहराई से सुनने की प्रेरणा।
शुरुआत से ही जिसने मुझे प्रभावित किया, वह प्रधानमंत्री की सरलता थी। मुझे उनका उस समय का दिल्ली निवास याद है। वह एक सामान्य कमरे में रहते थे, जो किसी और के साथ साझा किया हुआ था।
अर्णब गोस्वामी, फाउंडर, चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ।।
करियर की शुरुआत में, जब मैं कोलकाता से दिल्ली आया था और एनडीटीवी के लिए रिपोर्टिंग करता था, तब मैं भाजपा सहित कई बीट्स कवर करता था। यह 1990 के दशक के अंतिम सालों की बात है, उस समय प्रधानमंत्री पार्टी के महासचिव थे। मैं अक्सर अपनी रिपोर्टिंग से जुड़ी कहानियों के लिए उनसे साउंडबाइट्स लेने पहुंचता और नरेंद्र मोदी हमेशा अपनी सहज शालीनता के साथ सहयोग करते।
शुरुआत से ही जिसने मुझे प्रभावित किया, वह प्रधानमंत्री की सरलता थी। मुझे उनका उस समय का दिल्ली निवास याद है। वह एक सामान्य कमरे में रहते थे, जो किसी और के साथ साझा किया हुआ था। दो साधारण बिस्तर, बिना किसी दिखावे के। यह घर उस समय भाजपा कार्यालय, 11 अशोक रोड, के ठीक पीछे था। एक बार जब मैं एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट के लिए उनके घर गया था, तो बातचीत के दौरान वे बड़े ध्यान से अपने कपड़े खुद प्रेस कर रहे थे और यह बात साफ थी कि वे इस मामले में बहुत ही सतर्क और अनुशासित रहते थे। मुझे जो सबसे ज्यादा प्रभावित कर गया, वह यह था कि उनके पास बहुत ही कम निजी सामान और इच्छाएं थीं। कमरा लगभग खाली-सा था, जिसमें किसी भी तरह की अतिरिक्त सजावट या दिखावे का नामोनिशान नहीं था।
एक और मौके पर, मुझे प्राइम टाइम शो एंकर करने का अवसर मिला। यह मेरे लिए बड़ा क्षण था। शो का विषय था कश्मीर, जो उस समय अलगाववाद की चरम स्थिति से जूझ रहा था। मैंने नरेंद्र मोदी से इसमें शामिल होने का अनुरोध किया और उन्होंने तुरंत सहमति दी। शो के दौरान उन्होंने अलगाववादी मेहमानों के खिलाफ जिस तरह तीखे शब्दों, तर्क की मजबूती और स्पष्ट दृष्टि के साथ अपनी बात रखी, उसने गूंज पैदा की। यही वह प्रवृत्ति थी जिसने अंततः उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर घाटी के सफल एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
उस समय से लेकर अब तक डेढ़ से दो दशक बीत चुके हैं। इन वर्षों में जीवन और करियर के अलग-अलग चरणों में मुझे उनसे कई बार संवाद करने का अवसर मिला। उन्होंने रिपब्लिक के हर वार्षिक शिखर सम्मेलन का निमंत्रण स्वीकार किया, जिसमें पहला सम्मेलन भी शामिल था जिसके लिए प्रधानमंत्री विशेष रूप से दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे। सभी यादों को यहाँ दर्ज करना कठिन है, लेकिन 2014 के चुनाव अभियान का इंटरव्यू आज भी मेरे मन में ताजा है।
यह मई 2014 का दूसरा सप्ताह था। उस समय भारत का सबसे बड़ा चुनाव अभियान समाप्ति पर था। यूपीए का दशक खत्म होने की कगार पर था और भाजपा का चुनावी अभियान उस स्तर और पैमाने का था जो देश ने पहले कभी नहीं देखा था- 3D रैलियां, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फोकस, सोशल मीडिया और डिजिटल टूल्स का उपयोग और जमीनी स्तर पर जबरदस्त प्रचार। मुंबई स्थित हमारे न्यूजरूम से मैं गांधीनगर पहुंचा। मुझे आखिरी समय तक यह भरोसा नहीं था कि मुझे उस व्यक्ति का इंटरव्यू मिलेगा जिसे ऐतिहासिक जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। मुझे सुबह-सुबह का समय दिया गया और यह नरेंद्र मोदी के पूरे चुनाव अभियान का आखिरी इंटरव्यू था।
यही वह इंटरव्यू था जिसमें प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर अपनी नीति बेहद स्पष्टता से रखी। उन्होंने कहा था, “बम, बंदूक और पिस्तौल की आवाज में बातचीत नहीं हो सकती।” दिल्ली में उनके कार्यकाल के दौरान और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी जब-जब प्रधानमंत्री ने इस विषय पर बोला, उनकी पाकिस्तान पर नीति उतनी ही दृढ़ और सुसंगत रही। उस इंटरव्यू के अंत में मैंने प्रधानमंत्री से कैमरा बंद होने के बाद पूछा कि मुझे उनके चुनाव अभियान के बिल्कुल अंत में स्लॉट क्यों दिया गया। उन्होंने जवाब दिया, “आपका 2014 का चुनाव कवरेज एक विशेष नेता के इंटरव्यू से शुरू हुआ था और मैंने सोचा कि यह मेरे इंटरव्यू के साथ समाप्त होना चाहिए।” उस क्षण ने मुझे प्रधानमंत्री की गहरी राजनीतिक और रणनीतिक सोच का बोध कराया।
पिछले कुछ दिनों से रिपब्लिक ने राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है- #IndiaNeedsModi। यह अभियान मुझे गर्व से भरता है, क्योंकि जब भारत $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था से $10 ट्रिलियन की ओर बढ़ेगा, तो रास्ते में चुनौतियां आएंगी। नए प्रकार की चुनौतियां, नई ताकतें, कभी दोस्त रहे लोग अवरोध बन सकते हैं और भारत की विकासगाथा में रुकावट डालने के प्रयास हो सकते हैं। ऐसे समय में भारत को वह नेतृत्व चाहिए जो उसे मार्गदर्शन दे और उसे उसका सही स्थान दिलाए।
कल अपने शो की शुरुआत में मैंने सवाल पूछा: देश कैसा होता यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक कदम, निरंतर सुधार और विकास-उन्मुख शासन पिछले 11 वर्षों में न होते? हमें, एक राष्ट्र के रूप में, चाहे हमारी विचारधारा कुछ भी हो, इस पर अवश्य ठहरकर सोचना चाहिए। हमें यह भी सोचना चाहिए कि बिना दृढ़ नेतृत्व के क्या काले धन पर सख्त प्रहार और नोटबंदी संभव होती? क्या यूपीआई जैसे कदमों से डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आता? क्या डीबीटी और रक्षा उत्पादन जैसी पहलों पर हमें गर्व होता? क्या सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट या ऑपरेशन सिंदूर जैसे निर्णय लिए जा सकते थे? सामूहिक आत्ममंथन से हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत की इस विकास यात्रा को हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इसकी जड़ में शुद्ध नेतृत्व है।
आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है ऐसा दृढ़ नेतृत्व, जो भारत के हितों पर कोई समझौता न करे। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री ने निर्णायक फैसले लिए, भारत को वैश्विक मंच पर अपने शर्तों पर मजबूती से खड़ा किया और हर स्थिति में राष्ट्र प्रथम रखने के लिए सब कुछ दांव पर लगाने की अद्भुत क्षमता और इच्छाशक्ति दिखाई।
और सबसे उल्लेखनीय यह है कि हर कठिन परिस्थिति में- चाहे कोविड-19 की पीड़ा हो, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद के विरोधी हों या हर चुनाव से पहले झूठी खबरों के अभियान- प्रधानमंत्री अपने फैसलों पर अडिग रहे और आलोचकों को गलत साबित किया। उन्होंने अपने शासन की आस्था और निर्णयों की मजबूती को बनाए रखा। यही वह नेतृत्व है जो न केवल वादा करता है बल्कि सुनिश्चित करता है कि भारत हर परिस्थिति में आगे बढ़े।
जैसे ही प्रधानमंत्री अपने 75वें जन्मदिन का उत्सव मना रहे हैं और विश्व के सबसे बड़े नेताओं में से एक के रूप में सम्मानित हो रहे हैं, मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
दुनिया में बहुत कम नेता ऐसे होते हैं जो सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समय की धारा में अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत बन जाती है।
दुनिया में बहुत कम नेता ऐसे होते हैं जो सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समय की धारा में अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत बन जाती है। नरेंद्र मोदी उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं। वे महज राजनेता नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रतीक बन चुके हैं- एक सांस्कृतिक रहस्य, एक प्रेरणा और एक कहानी जो आज 75वें जन्मदिन पर और भी उज्ज्वल दिखती है।
मोदी ने न केवल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व किया है, बल्कि व्यक्तिगत ब्रैंडिंग के क्षेत्र में भी पूरी दुनिया के लिए एक अद्वितीय उदाहरण गढ़ा है। ‘ब्रैंड मोदी’ आज दृढ़ता, पुनर्निर्माण और अटूट संकल्प का दूसरा नाम है। यह वह यात्रा है जो गांव-गांव के सपनों को ऊर्जा देती है और दुनिया भर से सम्मान पाती है।
यह ब्रैंड परंपरा में जड़ें जमाए हुए है, लेकिन भविष्य की भाषा में भी उतना ही प्रवीण है। योग के आसन हों या वैश्विक सम्मेलन, रेडियो की आवाज हो या इंस्टाग्राम की रील, खादी का कुर्ता हो या पावर सूट- मोदी हर रूप में सहज नजर आते हैं। उन्होंने केवल राजनीतिक पहचान नहीं बनाई, बल्कि भारत के गर्व, उसकी आकांक्षाओं और आत्मविश्वास का प्रतीक गढ़ा है।
एक चाय बेचने वाले से देश के प्रधानमंत्री तक का उनका सफर हर भारतीय को अपनत्व का एहसास कराता है। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने विकास की राजनीति को केंद्र में रखा और पूरे देश में ‘सबका साथ, सबका विकास’ से लेकर ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी मुहिमों के जरिये बदलाव की कहानियां गढ़ीं। अनुशासित संचार, सीधी जनता से जुड़ाव और ठोस फैसले उनकी पहचान बन गए।
मोदी की सबसे बड़ी शक्ति उनका संवाद है। “चाय पर चर्चा” से लेकर “मन की बात” तक, उन्होंने हमेशा लोगों से सीधे जुड़ना चुना। यही कारण है कि स्वच्छ भारत, योग, पर्यावरण या फिटनेस जैसे मुद्दे केवल सरकारी योजनाएं नहीं रहे, बल्कि जन-जन के आंदोलन बन गए। सोशल मीडिया पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स इस जुड़ाव के गवाह हैं।
मोदी ने युवाओं को “अमृत पीढ़ी” कहा और उन्हें 2047 के भारत का निर्माता बताया। ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘फिट इंडिया’, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ जैसे अभियान युवाओं के सपनों को पंख देते हैं। परीक्षा काल में उनका कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ लाखों छात्रों के लिए हौसला बढ़ाने वाला साथी बन चुका है। 2022 में लॉन्च हुआ ‘नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड’ डिजिटल युग के सपनों को मान्यता देने का प्रतीक बना।
“मोदी कुर्ता”, जैकेट्स या उनकी अनुशासित जीवनशैली- हर चीज उनकी छवि को और मजबूत बनाती है। योग को वैश्विक मंच पर ले जाना हो या ‘मैन वर्सेस वाइल्ड’ में प्रकृति और पर्यावरण पर बातचीत करना, हर बार मोदी ने दुनिया के सामने भारत की संस्कृति और मूल्यों को गर्व से रखा।
मैडिसन स्क्वायर गार्डन से लेकर सिडनी के स्टेडियम तक, प्रवासी भारतीयों की उमंग में मोदी का स्वागत किसी वैश्विक सितारे जैसा रहा है। 2025 में 75% अनुमोदन रेटिंग के साथ वे दुनिया के सबसे लोकप्रिय लोकतांत्रिक नेता बने। यह सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हर भारतीय का गर्व है।
मोदी का ब्रैंड हमेशा भारत की ब्रैंडिंग के साथ चलता है। जी20 में ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करना, “वोकल फॉर लोकल” से लेकर “इंटरनेशनल सोलर अलायंस” तक, हर पहल ने भारत को प्राचीन सभ्यता और आधुनिक शक्ति दोनों रूपों में प्रस्तुत किया।
नोटबंदी से महामारी तक- हर संकट में मोदी ने संयम और स्थिरता का परिचय दिया। यही स्थिरता आज ‘ब्रैंड मोदी’ को और गहराई देती है।
आज 75 वर्ष की उम्र में नरेंद्र मोदी सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास का चेहरा हैं। वे उस कहानी के नायक हैं जिसमें संघर्ष है, अनुशासन है और एक अडिग विश्वास है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. रजनीश अग्रहरि ने दिया।
सागर स्थित डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय शिक्षक-प्रशिक्षक केंद्र द्वारा आयोजित 12 दिवसीय पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) पाठ्यक्रम के अंतर्गत “उच्च शिक्षा का समकालीन परिदृश्य एवं चुनौतियां – विकसित भारत 2047 के विशेष संदर्भ में” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. संजय द्विवेदी, पूर्व महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान (नई दिल्ली) रहे। प्रो. द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में नई शिक्षा नीति–2020 के बाद उच्च शिक्षा क्षेत्र में आए बदलावों, नीतिगत सुधारों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से विचार रखे।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत का सशक्त दस्तावेज है। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें रोजगार सृजन, नवाचार, उद्यमिता, सामाजिक उत्तरदायित्व और मानवीय मूल्यों का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मीडिया और संचार की नई दिशा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसी चुनौतियां विश्वविद्यालयों के लिए नए अवसर भी लेकर आई हैं।
भारत के पास युवा शक्ति, प्रौद्योगिकी और पारंपरिक ज्ञान का अद्वितीय संगम है, जिसे उचित नीति और प्रबंधन से विश्व स्तर पर अग्रणी बनाया जा सकता है। प्रो. द्विवेदी ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से जोड़ते हुए कहा कि हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धा और स्थानीय आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना होगा।
उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे अपने-अपने संस्थानों में अनुसंधान संवर्धन, गुणवत्ता सुधार, नई शैक्षिक विधियों और सामुदायिक सहभागिता पर बल दें। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ।
स्वागत भाषण डॉ. रजनीश अग्रहरि ने दिया, धन्यवाद ज्ञापन संदीप पाठक ने प्रस्तुत किया और संचालन प्रदीप विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
फिल्ममेकर करण जौहर ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की गुहार लगाई।
फिल्ममेकर करण जौहर ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की गुहार लगाई। उनका आरोप है कि कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पेज उनकी तस्वीरों, नाम और आवाज का इस्तेमाल कर व्यावसायिक लाभ कमा रहे हैं। इस याचिका पर सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई, जिसके बाद न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए तय की है।
करण जौहर की आपत्तियां
सुनवाई के दौरान जौहर की ओर से कथित उल्लंघन से जुड़े लिंक और यूआरएल कोर्ट के सामने रखे गए। उनके वकील, सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने दलील दी कि धन जुटाने के लिए जौहर के नाम और तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ये वे वेबसाइट्स हैं जहां से मेरी तस्वीरें डाउनलोड की जाती हैं, और कई सोशल मीडिया पेज मेरे नाम से मौजूद हैं।”
मेटा का पक्ष
फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा की ओर से वकील वरुण पाठक पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में कहा कि जौहर द्वारा दिए गए कई उदाहरण मानहानि की श्रेणी में नहीं आते। उनका कहना था कि साधारण टिप्पणियों या मजाक को लेकर यदि मुकदमेबाजी शुरू होगी तो इससे अनावश्यक विवाद बढ़ेंगे। पाठक ने तर्क दिया, “ये लोग सिर्फ चर्चा कर रहे हैं। एक सामान्य मजाक को लेकर उन्हें कोर्ट में घसीटना उचित नहीं है।”
कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर फैन पेज को हटाने का आदेश संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “आपको यह स्पष्ट करना होगा कि क्या सामग्री वास्तव में अपमानजनक है। मीम्स जरूरी नहीं कि अपमानजनक हों। इसके अलावा, अगर कोई सामान बेच रहा है या डोमेन नेम का मुद्दा है, तो उसे विशेष रूप से चिन्हित करें। हम हर पेज पर blanket आदेश नहीं दे सकते।”
करण जौहर की दलील
जौहर की ओर से राव ने कहा कि किसी को भी उनकी सहमति के बिना उनके चेहरे, नाम या व्यक्तित्व संबंधी विशेषताओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “मीम्स और वीडियो बनाने के बीच एक सीमा होती है। प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि जितने अधिक मीम्स होंगे, वे उतनी ही तेजी से वायरल होंगे और उतना ही अधिक मुनाफा होगा।”
अगली सुनवाई
सुनवाई के अंत में अदालत ने संकेत दिया कि वह कुछ विशेष पेजों को हटाने का आदेश दे सकती है। साथ ही यह भी कहा कि यदि भविष्य में इस तरह की सामग्री फिर सामने आती है तो जौहर पहले प्लेटफॉर्म को सूचित करें, और उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अंतरिम राहत पर आदेश 17 सितंबर को पारित किया जाएगा।