OTT प्लेटफॉर्म्स से जुड़े कानूनी प्रारूप में बदलाव के लिए TRAI ने जारी किया परामर्श पत्र

MX प्लेयर, हॉटस्टार और प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से जुड़े मौजूदा कानूनी प्रारूप में बदलाव के लिए ट्राई (TRAI) ने सोमवार को एक परामर्श पत्र जारी किया

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 31 January, 2023
Last Modified:
Tuesday, 31 January, 2023
OTT


नेटफ्लिक्स, MX प्लेयर, हॉटस्टार और प्राइम वीडियो जैसे एंटरटेनमेंट ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से जुड़े मौजूदा कानूनी प्रारूप में बदलाव के लिए ट्राई (TRAI) ने सोमवार को एक परामर्श पत्र जारी किया।

ट्राई ने कहा कि मौजूदा दौर में सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, प्रसारण एवं अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी प्रौद्योगिकियों के सम्मिलन को संभव बनाने के लिए मौजूदा नियमों में बदलाव करने की जरूरत है। ट्राई ने इसके अतिरिक्त इन नियमों से जुड़ी जटिलताओं को भी दूर करने पर भी ध्यान देने की बात कही।

नियामक ने इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इच्छुक संस्थाओं से परामर्श पत्र पर 27 फरवरी तक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। ट्राई के मुताबिक, प्रसारण क्षेत्र में सामग्री का नियमन ओटीटी मंचों के आगमन से काफी जटिल हो गया है। इसके साथ ही ओटीटी मंचों की लोकप्रियता बढ़ने से सामग्री नियमन के नीतिगत क्षेत्र में कई खमियां भी पैदा हो गई हैं।

हालांकि सरकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित की जा रही सामग्री को सूचना-प्रसारण मंत्रालय के तहत लेकर आई है लेकिन मौजूदा व्यवस्था में इस सामग्री का नियमन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 एवं अन्य कानूनों के ही तहत होता है।

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गूगल की कड़ी सर्च पॉलिसी से डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को भारी नुकसान

भारत और दुनियाभर के डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, क्योंकि Google ने अपनी सर्च इंडेक्सिंग (Search Indexing) नीतियों को कड़ा कर दिया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 18 February, 2025
Last Modified:
Tuesday, 18 February, 2025
google

कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवेन्जिल्सिट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

भारत और दुनियाभर के डिजिटल डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, क्योंकि Google ने अपनी सर्च इंडेक्सिंग (Search Indexing) पॉलिसीयों को कड़ा कर दिया है। यह बदलाव उन पब्लिशर्स के लिए खतरा बन सकता है, जो अपनी आमदनी के लिए विज्ञापन-आधारित मॉडल पर निर्भर हैं।

गूगल ने मार्च 2024 में अपनी ‘कोर अपडेट्स और नई स्पैम पॉलिसी’ जारी की थीं, जिसमें उन वेब पेजों की इंडेक्सिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो स्पॉन्सर्ड कंटेंट, प्रोडक्ट रिव्यू और SEO रैंकिंग के लिए कूपन का इस्तेमाल करते हैं। इस पॉलिसी के बाद, Forbes, Wall Street Journal और CNN जैसे दुनिया के शीर्ष डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स की सर्च विजिबिलिटी (खोज में दिखने की क्षमता) हाल के महीनों में काफी गिर गई है। कई भारतीय न्यूज पब्लिशर्स के ट्रैफिक में भी बीते छह महीनों में 25-30% की गिरावट देखी गई है।

सर्च विजिबिलिटी एनालिटिक्स फर्म Sistrix के अनुसार, इस गिरे हुए ट्रैफिक का वैश्विक स्तर पर कुल मूल्य कम से कम 7.5 मिलियन डॉलर (करीब 62 करोड़ रुपये) आंका गया है।

इन न्यूज पब्लिशर्स पर आरोप है कि वे थर्ड-पार्टी वेंडर्स के साथ मिलकर राजस्व उत्पन्न कर रहे थे। ये वेंडर्स इन पब्लिशर्स के लिए उनके डोमेन पर उनके ब्रांड नाम का उपयोग करते हुए संबद्ध व्यवसाय संचालित करते थे। इसमें भुगतान किए गए कंटेंट, उत्पाद समीक्षाएं, कूपन आदि शामिल थे।

 प्रमुख अंग्रेजी और हिंदी अखबारों के डिजिटल हेड्स ने हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया, "डिस्काउंट कूपन और प्रायोजित लेख पिछले कुछ वर्षों में हमारे ट्रैफिक और राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रहे हैं। प्रायोजित कंटेंट हमारी कुल डिजिटल आय में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता था और कूपनों का योगदान 5-7 प्रतिशत था। इस तरह के कंटेंट को इंडेक्स करने पर प्रतिबंध लगने का मतलब है कि हम अपनी एक-तिहाई आय खोने के खतरे में हैं।"

'एक्सचेंज4मीडिया' को पता चला है कि जो मीडिया हाउस इन नई पॉलिसी का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं, उन्हें जुर्माने का नोटिस दिया गया है। यह झटका ऐसे समय में आया है जब प्रकाशक पहले से ही सर्च इंजनों द्वारा प्रदान किए गए एआई-ओवरव्यू के कारण ट्रैफिक में गिरावट से जूझ रहे हैं।

प्रभाव डालने वाले अपडेट

5 मार्च 2024 को, गूगल ने अब तक का सबसे लंबा और बड़ा कोर अपडेट और स्पैम पॉलिसी के अपडेट लॉन्च किया। इस अपडेट को पूरा होने में 52 दिन लगे और यह 19 अप्रैल को समाप्त हुआ। इन बदलावों के तहत, गूगल ने उन वेबसाइटों की रैंकिंग को काफी हद तक घटा दिया, जिन्हें उसने यह मानते हुए पहचाना कि वे वास्तविक पाठकों को मूल्य प्रदान करने के बजाय सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही थीं।

इस अपडेट की व्यापकता को गूगल के अपने ब्लॉग से समझा जा सकता है। “मार्च 2024 का कोर अपडेट हमारे सामान्य कोर अपडेट की तुलना में अधिक जटिल है, क्योंकि इसमें कई कोर सिस्टम में बदलाव शामिल हैं। यह इस बात का भी संकेत है कि हम कंटेंट की उपयोगिता की पहचान कैसे करते हैं, इसमें एक नया विकास हुआ है।”

"जिस तरह हम भरोसेमंद जानकारी की पहचान करने के लिए कई सिस्टम का उपयोग करते हैं, उसी तरह हमने अपने कोर रैंकिंग सिस्टम को बेहतर बनाया है ताकि विभिन्न नवीन सिग्नल और तरीकों का उपयोग करके अधिक उपयोगी परिणाम दिखाए जा सकें। अब केवल एक ही संकेतक या सिस्टम इसका आधार नहीं होगा, और हमने इस बदलाव को समझाने में मदद के लिए एक नया FAQ पेज भी जोड़ा है।"

चूंकि यह एक जटिल अपडेट है, इसका रोलआउट पूरा होने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है। यह संभव है कि रैंकिंग में पहले की तुलना में अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिले, क्योंकि विभिन्न सिस्टम पूरी तरह अपडेट होकर एक-दूसरे को मजबूत करेंगे। इस अपडेट के लिए क्रिएटर्स को कुछ नया या अलग करने की जरूरत नहीं है, बशर्ते कि वे पहले से ही लोगों के लिए संतोषजनक कंटेंट बना रहे हों।

पिछले साल 5 जून को, गूगल ने अपनी पॉलिसी को और अपडेट किया, जिसमें कहा गया कि वाइट-लेबल सेवाएं जो सर्च रैंकिंग में हेरफेर करने के लिए कूपन को पुनर्वितरित करती हैं, वे उसकी "साइट रेप्यूटेशन अब्यूज पॉलिसी" का उल्लंघन करती हैं। इस अपडेट में यह स्पष्ट किया गया कि प्रकाशनों को दंड से बचने के लिए सीधे व्यापारियों से कूपन प्राप्त करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।

एक विशेषज्ञ के अनुसार, FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवालों) के पिछले संस्करण में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि प्रकाशनों को यह बताने की जरूरत है कि वे कूपन कहां से प्राप्त कर रहे हैं। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कूपन कंटेंट पाठकों के लिए वास्तविक मूल्य प्रदान करे और केवल सर्च रैंकिंग बढ़ाने की रणपॉलिसी न हो।

इस खबर पर गूगल की प्रतिक्रिया अब तक नहीं मिली थी, जब तक यह स्टोरी फाइल की गई। जैसे ही गूगल की प्रतिक्रिया मिलेगी, कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा।

चुनौतीपूर्ण समय

पब्लिशर्स की डिजिटल राजस्व से जुड़ी समस्या कई स्तरों पर फैली हुई है, जिनमें हर एक की अपनी जटिलताएं हैं। उदाहरण के लिए, एआई (AI) का प्रभाव बहुत बड़ा है, जैसा कि पिछले सप्ताह जारी की गई WARC रिपोर्ट में बताया गया है। रिपोर्ट में SEER Interactive के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा गया, "AI Overviews (AIOs) से पहले, पब्लिशर्स को गूगल सर्च में ऑर्गेनिक प्लेसमेंट से लगभग 4% क्लिक-थ्रू रेट (CTR) की उम्मीद होती थी। हालांकि, अब गूगल सर्च में 'नो-क्लिक' ट्रेंड बढ़ रहा है, जिसमें 58.5% अमेरिकी सर्च या तो बिना किसी और ऐक्शन के रह जाती हैं या फिर केवल दूसरी सर्च में बदल जाती हैं। सिर्फ एक छोटी संख्या – लगभग 36% सर्च ही ओपन वेब तक पहुंचती हैं।"

AI-संचालित सर्च और गूगल की नई पॉलिसीज का संयुक्त प्रभाव 2024 के दौरान ऑर्गेनिक विजिबिलिटी को कम करने और ऐड इंप्रेशन्स को घटाने का कारण माना जा रहा है।

इसके अलावा, CPM (Cost Per Mille) रेट्स भी सालों से नहीं बढ़े हैं, बल्कि घटे हैं। 1995 में, जब ऑनलाइन विज्ञापन इंडस्ट्री अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी, तब अमेरिका में वेब बैनर विज्ञापनों के लिए CPM दरें औसतन $75 (लगभग ₹3,000 उस समय) थीं।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, साल 2000 में भारत में CPM (Cost Per Mille) दरें ₹250 से लेकर ₹1,000 या उससे अधिक तक होती थीं, जो वेबसाइट की लोकप्रियता पर निर्भर करती थीं। लेकिन वर्तमान में भारत में ऑनलाइन बैनर विज्ञापनों के लिए औसत CPM दरें ₹50 से ₹150 के बीच रह गई हैं, जो विज्ञापन के प्रारूप, प्लेटफॉर्म और लक्ष्यीकरण जैसी विभिन्न चीजों से प्रभावित होती हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "CPM दरों में गिरावट का मुख्य कारण ऑनलाइन विज्ञापन स्थानों की भारी वृद्धि है। नए वेब पोर्टल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के आने से विज्ञापन स्थानों की आपूर्ति बढ़ गई, जिससे पब्लिशर्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी और विज्ञापनदाताओं के लिए दरें सस्ती हो गईं।"

स्थिति को और खराब करने वाली बात यह है कि वर्षों से Click-Through Rates (CTR) भी घटी हैं, बजाय बढ़ने के। "ऑनलाइन विज्ञापन के शुरुआती दिनों में CTR बहुत अधिक था, कभी-कभी 40% तक पहुंच जाता था। इसकी वजह यह थी कि इंटरनेट विज्ञापन नई चीज थी और विज्ञापन की अधिकता नहीं थी। लेकिन आज, DVAP (Digital Video Advertising Platform) भी 0.3% CTR को स्वीकार्य मानता है। यह दिखाता है कि समय के साथ विज्ञापन की प्रभावशीलता कैसे घट गई है, जिसका मुख्य कारण विज्ञापन की अधिकता, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और 'एड फटीग' (ad fatigue) है," इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है।

एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया, "ट्रैफिक में यह गिरावट प्रोग्रामेटिक विज्ञापन को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से ट्रैफिक वॉल्यूम पर निर्भर करता है। जब विज्ञापन इंप्रेशंस कम होंगे, तो विज्ञापन से होने वाली कमाई भी कम हो जाएगी, जो उन पब्लिशर्स के लिए बड़ी चिंता की बात है, जो पहले से ही सीमित मार्जिन के साथ काम कर रहे हैं।"

बढ़ती प्रतिस्पर्धा और चुनौतियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि प्रकाशक अब केवल विज्ञापन से वित्तीय स्थिरता हासिल नहीं कर सकते। कई मीडिया संस्थान नई कमाई रणनीतियों की तलाश कर रहे हैं, जिनमें पेवॉल (Paywalls) और प्रीमियम मेंबर्सशिप्स (Premium Memberships), इवेंट होस्टिंग (Event Hosting), ब्रैंडेड कंटेंट (Branded Content) और नेटिव एडवरटाइजिंग (Native Advertising) शामिल हैं।

एक प्रकाशक ने कहा, "डेटा लाइसेंसिंग (Data Licensing) भी एक नया राजस्व स्रोत बन रहा है। कुछ प्रकाशक अपने उपभोक्ता इनसाइट्स (Consumer Insights) को एनोनिमाइज़्ड डेटा सेट्स (Anonymized Data Sets) के रूप में विज्ञापनदाताओं और मार्केटर्स को बेचकर कमाई कर रहे हैं।"

आगे की राह

Dalberg Advisors की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डिजिटल न्यूज कंज्यूमर्स की संख्या 2026 तक 70 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, जो विभिन्न प्रारूपों में फैली होगी। भारतीय नागरिकों द्वारा न्यूज कंटेंट देखने में बिताया गया औसत समय 2020 में 44 मिनट प्रतिदिन से बढ़कर 2026 में 49 मिनट होने का अनुमान है, जिसमें डिजिटल न्यूज देखने में बिताया जाने वाला समय मुख्य रूप से इस वृद्धि को बढ़ावा देगा।

डिजिटल प्लेटफॉर्म ने हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन न्यूजों की पहुंच को भी आसान बना दिया है, और रिपोर्ट के अनुसार, इसका उपभोग अंग्रेजी न्यूजों की तुलना में 6-8 गुना तेजी से बढ़ने की संभावना है, चाहे वह दर्शकों की संख्या हो या न्यूज देखने में बिताया गया समय।

इन वृद्धि अनुमानों के बीच, यह स्पष्ट है कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के लिए विज्ञापन मॉडल में बड़े बदलाव आ रहे हैं।

एक मीडिया एग्जिक्यूटिव ने कहा, "इस नए युग में आगे बढ़ने के लिए, पब्लिशर्स को इनोवेशन अपनाना होगा, ऑडियंस एंगेजमेंट को प्राथमिकता देनी होगी और राजस्व स्रोतों में विविधता लानी होगी। जो लोग तेजी से और रणनीतिक रूप से खुद को अनुकूलित करेंगे, वे इन चुनौतियों का बेहतर सामना कर सकेंगे और विकसित होते डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में मजबूती से उभरेंगे।" 

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सीनियर मार्केटिंग प्रोफेशनल श्रीष्णा श्रीकिशन ने InMobi से ली विदाई

सीनियर मार्केटिंग प्रोफेशनल श्रीष्णा श्रीकिशन ने InMobi से विदाई ले ली है। वह यहां APAC की मार्केटिंग डायरेक्टर थीं।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 14 February, 2025
Last Modified:
Friday, 14 February, 2025
SreeshnaSreekishan87451

सीनियर मार्केटिंग प्रोफेशनल श्रीष्णा श्रीकिशन ने InMobi से विदाई ले ली है। वह यहां APAC की मार्केटिंग डायरेक्टर थीं। लिंक्डइन पोस्ट के जरिए उन्होंने यह जानकारी साझा की है। श्रीकिशन ने इस एडटेक कंपनी के साथ अपनी यात्रा को याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने 2016 में एक इंटर्न के रूप में की थी।

लिंक्डइन पर उन्होंने लिखा, "एक इंटर्न के रूप में ताइवान से एक ऐसा रोबोट लाने की जिम्मेदारी से शुरुआत की, जो जकार्ता में एक इवेंट में मेहमानों का स्वागत करता था और फिर एक मार्केटिंग लीडर बनी, जिसने प्रसून जोशी को हमारे एक प्रोडक्ट पर मंच पर एक तात्कालिक दोहा रचते देखा - यह सफर किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रहा।" 

श्रीकिशन 2016 में InMobi से एक मार्केटिंग इंटर्न के रूप में जुड़ीं और कंपनी में विभिन्न भूमिकाएं निभाते हुए प्रमोट होकर मार्केटिंग डायरेक्टर बनीं।

इससे पहले, वह Cafebond में एक मार्केटिंग इंटर्न के रूप में और Oracle में एक एसोसिएट कंसल्टेंट के रूप में कार्य कर चुकी हैं।

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‘Times Network’ में जल्द बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगी वरिष्ठ पत्रकार पूजा सेठी!

पूजा सेठी ने हाल ही में ‘इंडिया टीवी’ से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अक्टूबर 2022 में इस संस्थान में जॉइन किया था और ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

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Published - Wednesday, 12 February, 2025
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Wednesday, 12 February, 2025
Puja Sethi

वरिष्ठ पत्रकार पूजा सेठी के बारे में खबर है कि वह जल्द ही ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) के साथ अपनी नई पारी शुरू करने जा रही हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिल रही इस खबर के मुताबिक उन्हें यहां पर बड़ी जिम्मेदारी देते हुए वाइस प्रेजिडेंट अथवा मैनेजिंग एडिटर के पद पर नियुक्ति दी जा सकती है और वह टाइम्स ग्रुप के प्रेजिडेंट व सीओओ (डिजिटल) रोहित चड्ढा को रिपोर्ट करेंगी।

हालांकि, अभी इस खबर पर अभी आधिकारिक रूप से मुहर लगना बाकी है। इस खबर की आधिकारिक रूप से पुष्टि के लिए समाचार4मीडिया की टीम ने ‘टाइम्स नेटवर्क’ के प्रबंधन से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी थी।  

बता दें कि पूजा सेठी ने हाल ही में ‘इंडिया टीवी’ (India TV) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अक्टूबर 2022 में इस संस्थान में जॉइन किया था और ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। पूजा सेठी पूर्व में तमाम प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।

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‘इंडिया टीवी’ में इस बड़े पद से पूजा सेठी ने दिया इस्तीफा

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, वह जल्द ही एक मीडिया संस्थान में सीनियर लेवल पर जॉइन करने जा रही हैं।

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Published - Tuesday, 11 February, 2025
Last Modified:
Tuesday, 11 February, 2025
Pooja

वरिष्ठ पत्रकार पूजा सेठी ने ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अक्टूबर 2022 में इस संस्थान में जॉइन किया था और ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, वह जल्द ही 'टाइम्स समूह' से जुड़ सकती हैं। हालांकि, इस बारे में अभी पुष्टि होनी बाकी है।

बता दें कि पूजा सेठी इससे पहले 'जी मीडिया’(Zee Media) में ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत थीं। वह यहां करीब ढाई साल से अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। इसके पहले वह स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख वेबसाइट myupchar.com में बतौर वाइस प्रेजिडेंट (कंटेंट स्ट्रैटेजी और पार्टनरशिप्स) अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

पूजा सेठी पूर्व में देश के प्रमुख मीडिया समूह 'जागरण प्रकाशन लिमिटेड' की डिजिटल विंग ‘जागरण न्यू मीडिया’ (Jagran New Media) में जीएम और डिजिटल हेड (जागरण ऑनलाइन) के रूप में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं। इसके अलावा वह ‘दैनिक जागरण’समूह के अंग्रेजी अखबार ‘सिटी प्लस’में भी एग्जिक्यूटिव एडिटर रह चुकी हैं। पूर्व में वह ‘indiatimes’ (टाइम्स ऑफ इंडिया) में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो पूजा सेठी ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और मिरांडा हाउस से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह ‘ऑल इंडिया रेडियो’और ‘दूरदर्शन’ में फ्रीलॉन्स एंकर के रूप में भी काम कर चुकी हैं।

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Quint ने बेची हिंदी वेबसाइट व YouTube चैनल, नई रणनीति की ओर बढ़ाया कदम!

क्विंट डिजिटल लिमिटेड (Quint Digital Limited) ने अपनी हिंदी वेबसाइट 'क्विंट हिंदी' (Quint Hindi) और इसका YouTube चैनल बेच दिया है

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 10 February, 2025
Last Modified:
Monday, 10 February, 2025
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क्विंट डिजिटल लिमिटेड (Quint Digital Limited) ने अपनी हिंदी वेबसाइट 'क्विंट हिंदी' (Quint Hindi) और इसका YouTube चैनल बेच दिया है, जिसमें स्थायी कंटेंट लाइसेंस और अन्य मान्यता प्राप्त संपत्तियां भी शामिल हैं।

कंपनी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी के मुताबिक, सेबी ने इस डील पर विचार करते हुए अपनी मंजूरी दे दी है। Quint के हिंदी YouTube चैनल को Shvaas Creations Private Limited को 39.5 लाख रुपये (सटीक राशि 39,52,326 रुपये) में बेचा गया है, जिसमें लागू टैक्स अलग से जोड़े जाएंगे। दिसंबर 2024 में कंपनी ने एक्सचेंजो को जानकारी दी थी कि Quint Hindi को लेकर जो भी एक्टिविटीज हैं, वे 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह क्लोज कर दी जाएंगी।

Shvaas Creations को 17 दिसंबर 2024 को वानी बिष्ट और शैलेश चतुर्वेदी द्वारा पंजीकृत किया गया था। यह कंपनी 'Kisan India' ब्रैंड नाम के तहत एक ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की योजना बना रही है।

डील की शर्तों के अनुसार, Quint Digital Limited, Shvaas में 77.5% हिस्सेदारी भी खरीदेगा। इस कारण Shvaas, Quint Digital की सहायक कंपनी बन जाएगी।

हाल ही में, Quint Digital ने एक अमेरिकी कंपनी Lee Enterprises में 8.4% की हिस्सेदारी खरीदी है। यह निवेश 5.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर में किया गया है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, Quint Digital ने कुल 5,13,000 शेयर खरीदे हैं।

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में, Quint Digital की बैलेंस शीट में कुल राजस्व 85.12 करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो कि पिछले वर्ष की समान तिमाही के 157.65 करोड़ रुपये से 46% की गिरावट को दर्शाता है।

डिजिटल पब्लिकेशन का कुल आय का आंकड़ा 159.78 करोड़ रुपये पर पहुंचा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 220.31 करोड़ रुपये से 27% की गिरावट दर्शाता है।

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में कंपनी का कुल घाटा 31.54 करोड़ रुपये रहा। यह घाटा पिछली तिमाही के मुकाबले बढ़ गया है, क्योंकि 30 सितंबर 2024 को समाप्त तिमाही में कंपनी को 7.9 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

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Meta ने कैंपेन के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए लॉन्च किए AI-संचालित विज्ञापन टूल्स

'मेटा' ने नए AI-संचालित विज्ञापन टूल्स की एक सीरीज की घोषणा की है, जो कैंपेन प्रदर्शन को बेहतर बनाने और विज्ञापनदाताओं को अधिक व्यक्तिगत सिफारिशें प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 07 February, 2025
Last Modified:
Friday, 07 February, 2025
Meta

फेसबुक की पैरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) ने नए AI-संचालित विज्ञापन टूल्स की एक सीरीज की घोषणा की है, जो कैंपेन प्रदर्शन को बेहतर बनाने और विज्ञापनदाताओं को अधिक व्यक्तिगत सिफारिशें प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये इनोवेटिव कैंपेन सेटअप प्रक्रिया को सरल बनाने, AI ऑप्टिमाइजेशन के दायरे का विस्तार करने और डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

इन विकासों के केंद्र में एक नया सुव्यवस्थित Advantage+ कैंपेन सेटअप है, जो वर्तमान में परीक्षण में है। यह फीचर अधिक कैपेंस को उन AI ऑप्टिमाइजेशंस से लाभान्वित करने की अनुमति देता है, जिन्होंने Advantage+ शॉपिंग और ऐप कैपेंस के लिए सफलता प्राप्त की है। यह सरलीकृत सेटअप मार्केटर्स को मैन्युअल और Advantage+ शॉपिंग कैपेंस (ASC+) के बीच चयन करने की आवश्यकता को समाप्त करता है, क्योंकि अब सभी बिक्री, ऐप और लीड कैपेंस में उन्नत AI ऑप्टिमाइजेशन का लाभ उठाया जा सकता है।

इन ऑप्टिमाइजेशंस के सक्रिय होने को उजागर करने के लिए, Meta Advantage+ 'ऑन' लेबल पेश कर रहा है, जो उन कैपेंस में दिखाई देगा जो Advantage+ ऑडियंस, प्लेसमेंट और कैंपेन बजट सुविधाओं का उपयोग करते हैं। प्रारंभिक परीक्षणों से संकेत मिलता है कि इस लेबल वाले कैंपेन, पिछली ASC+ कैपेंस की तुलना में समान Cost Per Action प्रदान कर रहे हैं।

Meta अपने AI प्रसाद का विस्तार कर रहा है और Advantage+ लीड कैपेंस की शुरुआत कर रहा है। यह नई सुविधा पूर्ण कैंपेन स्वचालन लागू करती है ताकि AI का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले लीड्स को प्रभावी ढंग से पहचाना जा सके। प्रारंभिक परीक्षणों से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, जिनमें Advantage+ 'ऑन' लीड कैपेंस ने उन कैपेंस की तुलना में औसतन 10% कम लागत प्रति योग्य लीड प्रदान की है जिनमें यह सुविधा नहीं है।

कंपनी Advantage+ शॉपिंग कैपेंस का नाम बदलकर Advantage+ सेल्स कैंपेन कर रही है, ताकि उन विभिन्न विज्ञापनदाताओं को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित किया जा सके जो इस प्रॉडक्ट से लाभान्वित हो सकते हैं। यह परिवर्तन ऐसे समय में आया है जब ASC+ ने 2024 की चौथी तिमाही में वर्ष-दर-वर्ष 70% वृद्धि दर्ज की है।

Meta की AI प्रगति ने विज्ञापन गुणवत्ता में भी सुधार किया है। Meta Andromeda की शुरुआत के बाद से, कंपनी ने विज्ञापन गुणवत्ता में 8% सुधार देखा है, जिससे Advantage+ कैपेंस से दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का अधिक व्यक्तिगतकरण संभव हुआ है।

विज्ञापनदाताओं को उनके कैंपेन प्रदर्शन को अधिकतम करने में सहायता करने के लिए, Meta अपने अपॉर्च्युनिटी स्कोर टूल (Opportunity Score Tool) की उपलब्धता Ads Manager में बढ़ा रहा है। यह सुविधा प्रत्येक विज्ञापनदाता के लिए 0-100 अंक का एक अनूठा स्कोर प्रदान करती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उनका कैंपेन इष्टतम प्रदर्शन के लिए कितना अच्छी तरह सेट किया गया है। इस स्कोर के साथ प्रदर्शन सुधारने के लिए लगभग वास्तविक समय में सिफारिशें दी जाती हैं, जिनमें Meta के AI-सक्षम Advantage+ सुइट का उपयोग करने के सुझाव शामिल हैं।

अवसर स्कोर टूल के प्रारंभिक परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। जिन विज्ञापनदाताओं ने सिफारिशों को अपनाया, उन्होंने अपने प्रति परिणाम लागत में 5% की औसत कमी देखी। Meta अब इस परीक्षण का विस्तार अधिक व्यवसायों तक कर रहा है, जिसमें प्रारंभिक सेट की कैंपेन सिफारिशें शामिल हैं जो शोध के माध्यम से प्रदर्शन बढ़ाने में प्रभावी साबित हुई हैं।

आने वाले हफ्तों में, परीक्षण समूह के कुछ विज्ञापनदाताओं को अवसर स्कोर सिफारिशें Meta Advantage+ सेटअप के साथ दिखाई देंगी। इस संयोजन का उद्देश्य मार्केटर्स को उनके कैपेंस को बनाने, प्रबंधित करने और संचालित करने के लिए एक अधिक शक्तिशाली आधार प्रदान करना है।

ये नए टूल और सुविधाएं Meta के विज्ञापन में AI के उपयोग को बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। कंपनी के सबसे उन्नत AI समाधान उद्योग मानक बन गए हैं, जो मार्केटर्स को कैंपेन प्रदर्शन को अधिकतम करने में मदद कर रहे हैं, जिससे विज्ञापनों को उन लोगों तक पहुंचाया जा सके जो सबसे अधिक क्रिया करने की संभावना रखते हैं और वह भी सबसे कुशल मूल्य पर।

जैसे-जैसे Meta AI-संचालित विज्ञापन क्षेत्र में नवाचार करता रहेगा, ये नई सुविधाएं और टूल विज्ञापनदाताओं को अपने लक्षित दर्शकों तक अधिक कुशल और प्रभावी तरीकों से पहुंचने और अपने मार्केटिंग लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे। Meta AI ऑप्टिमाइजेशन तक आसान पहुंच को अधिक व्यक्तिगत कैंपेन सिफारिशों के साथ जोड़कर, विज्ञापनदाताओं को अपने कैपेंस से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है।

इन नए AI-संचालित विज्ञापन टूल्स की शुरुआत, कैंपेन प्रदर्शन में सुधार लाने और बेहतर परिणाम देने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शक्ति का उपयोग करने के Meta के समर्पण को दर्शाती है। जैसे-जैसे ये सुविधाएं अधिक विज्ञापनदाताओं के लिए उपलब्ध होंगी, डिजिटल विज्ञापन परिदृश्य में अधिक AI-संचालित, व्यक्तिगत और कुशल कैंपेन प्रबंधन रणनीतियों की ओर बदलाव देखने को मिलेगा।

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वित्त मंत्रालय ने AI चैटबॉट्स के उपयोग पर लगाई रोक, गोपनीयता को लेकर उठे सवाल

वित्त मंत्रालय ने अपने एम्प्लॉयीज को कार्यालय के कंप्यूटर्स और उपकरणों पर ऐसे टूल्स, जैसे कि ChatGPT और DeepSeek के उपयोग से 'कड़ाई से' बचने का निर्देश दिया है

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 06 February, 2025
Last Modified:
Thursday, 06 February, 2025
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट्स की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के बीच, वित्त मंत्रालय ने अपने एम्प्लॉयीज को कार्यालय के कंप्यूटर्स और उपकरणों पर ऐसे टूल्स, जैसे कि ChatGPT और DeepSeek के उपयोग से 'कड़ाई से' बचने का निर्देश दिया है। यह निर्देश वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा 29 जनवरी को जारी किया गया था।

निर्देश में कहा गया है, 'यह निर्धारित किया गया है कि कार्यालय के कंप्यूटर्स और उपकरणों में AI टूल्स और AI ऐप्स (जैसे ChatGPT, DeepSeek आदि) सरकारी डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के लिए जोखिम पैदा करते हैं।'

इसमें आगे कहा गया है, 'इसलिए, सलाह दी जाती है कि कार्यालय के उपकरणों में AI टूल्स/AI ऐप्स का उपयोग कड़ाई से टाला जाए। यह सभी एम्प्लॉयीज के ध्यान में लाया जाना चाहिए।'

कुछ अन्य देशों ने पहले ही AI टूल्स, विशेष रूप से चीनी फाउंडेशनल मॉडल DeepSeek, से अपनी आधिकारिक प्रणालियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं, जो गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के मुद्दों को लेकर चिंतित हैं।

इस बीच, OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने बुधवार को कहा कि भारत अब OpenAI के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है और देश में कंपनी के यूजर्स की संख्या पिछले वर्ष में तीन गुना बढ़ गई है। ऑल्टमैन भारत में शीर्ष सरकारी अधिकारियों, स्टार्ट-अप्स और वेंचर कैपिटल फंड्स के साथ बैठक के लिए भारतीय यात्रा पर हैं।

ऑल्टमैन की यात्रा उस समय हो रही है जब DeepSeek की लोकप्रियता में तेजी आई है, जो एक चीनी AI प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया है और OpenAI के मॉडल की तुलना में कम लागत पर बनाया गया है। DeepSeek का मॉडल दुनिया को यह दिखा रहा है कि अत्याधुनिक फाउंडेशनल मॉडल को सस्ते दामों पर बनाया जा सकता है, जबकि OpenAI के मॉडल बनाने में भारी निवेश किया गया है।

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dentsu-e4m रिपोर्ट: 2025 तक डिजिटल ऐड मार्केट में 30% होगी ऑनलाइन वीडियो की हिस्सेदारी

भारत में ऑनलाइन वीडियो ऐडवर्टाइजिंग तेजी से विकसित हो रही है और यह देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग प्रारूप बनकर उभरी है।

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Published - Tuesday, 04 February, 2025
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Tuesday, 04 February, 2025
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भारत में ऑनलाइन वीडियो ऐडवर्टाइजिंग तेजी से विकसित हो रही है और यह देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग प्रारूप बनकर उभरी है। नवीनतम e4m dentsu 2025 रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में इसकी मार्केट में 28% हिस्सादारी है, जिसकी कीमत 13,756 करोड़ रुपये आंकी गई है। 27.60% की प्रभावशाली वृद्धि दर के साथ, इसके 2025 के अंत तक 30% मार्केट हिस्सेदारी तक पहुंचने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "ऑनलाइन वीडियो और सोशल मीडिया की लगातार और तेजी से बढ़ती लोकप्रियता यह दर्शाती है कि ब्रैंड कंज्युमर्स को जोड़ने और ब्रैंड-कंज्युमर संबंधों को मजबूत करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 2025 के अंत तक, हमें उम्मीद है कि सोशल मीडिया 21.67% की वृद्धि दर के साथ कुल विज्ञापन खर्च में उसकी हिस्सेदारी 30% (spends share) तक पहुंच जाएगी।" 

ऑनलाइन वीडियो ऐडवर्टाइजिंग में यह उछाल शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट, लाइव-स्ट्रीमिंग और इंटरेक्टिव वीडियो एक्सपीरियंस को अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण है। रिपोर्ट में 2026 तक इस क्षेत्र में 23.24% की मजबूत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है, जो सोशल मीडिया (CAGR 20.22%) और पेड सर्च (CAGR 16.85%) से अधिक है। जैसे-जैसे ब्रैंड पारंपरिक डिस्प्ले ऐडवर्टाइजिंग्स से जुड़ाव-आधारित फॉर्मेट्स (Engagement-driven formats) की ओर रुख कर रहे हैं, वैसे-वैसे ऑनलाइन वीडियो उन मार्केटर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है, जो कंज्युमर्स के साथ मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं।

सोशल मीडिया की बढ़त बरकरार, लेकिन वीडियो तेजी से बना रहा पकड़

वर्तमान में, डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग खर्च में सोशल मीडिया 29% (14,480 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी के साथ आगे है, जबकि ऑनलाइन वीडियो 28% के साथ उसके करीब है। हालांकि, इसकी तेज वृद्धि दर को देखते हुए, ऑनलाइन वीडियो के 2025 तक सोशल मीडिया के बराबर पहुंचने की संभावना है।

वहीं, पेड सर्च, जो 2025 में 15.93% की दर से बढ़ रहा है, अपनी मार्केट हिस्सेदारी में 23% से 22% तक की गिरावट देखेगा। इसी तरह, डिस्प्ले बैनर ऐडवर्टाइजिंग, जो 15.15% की दर से बढ़ रहे हैं, अपनी हिस्सेदारी में 16% से घटकर 15% तक की कमी देखेंगे।

वीडियो कंटेंट का यह प्रभुत्व स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच, किफायती डेटा दरों और शहरी व ग्रामीण भारत में वीडियो देखने की बढ़ती प्रवृत्ति से प्रेरित है। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया कंपनियां वीडियो-आधारित ऐडवर्टाइजिंग समाधानों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जिससे इस क्षेत्र का और विस्तार हो रहा है।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें

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dentsu-e4m रिपोर्ट: 2025 तक भारत का डिजिटल ऐड मार्केट 20% बढ़ने की उम्मीद

भारतीय डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग इकोसिस्टम एक अभूतपूर्व वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसे तकनीकी प्रगति, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती पहुंच द्वारा प्रेरित किया जा रहा है

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Published - Monday, 03 February, 2025
Last Modified:
Monday, 03 February, 2025
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भारतीय डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग इकोसिस्टम एक अभूतपूर्व वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसे तकनीकी प्रगति, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती पहुंच द्वारा प्रेरित किया जा रहा है। यह सेक्टर तेजी से बढ़ा है और अब अन्य ऐडवर्टाइजिंग माध्यमों से आगे निकल रहा है, क्योंकि बिजनेस अपनी मार्केटिंग रणनीतियों को डिजिटल-फर्स्ट कंज्यूमर्स के अनुकूल बना रहे हैं।

आज मुंबई में जारी नवीनतम e4m-dentsu रिपोर्ट के अनुसार, भारत का डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग मार्केट 2025 में 20.2% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जिसके वर्ष के अंत तक 59,200 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।

इस बीच, भारत का डिजिटल इकोसिस्टम निरंतर विस्तार देखेगा, क्योंकि यह इंडस्ट्री 19.09% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ आगे बढ़ेगा और 2026 तक इसका बाजार आकार 69,856 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। तब तक, भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में डिजिटल मीडिया का योगदान कुल ऐडवर्टाइजिंग खर्च का 61% से अधिक होगा।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2024 में इस इंडस्ट्री का मार्केट साइजु 49,251 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21.1% की वृद्धि को दर्शाता है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है, क्योंकि आने वाले वर्षों में डिजिटल मीडिया कुल ऐडवर्टाइजिंग सेक्टर में सबसे प्रभावशाली माध्यम बनने जा रहा है।

डिजिटल बदलाव

सोशल मीडिया, वीडियो प्लेटफॉर्म और एआई-संचालित ऐडवर्टाइजिंग प्लेटफॉर्म की व्यापक स्वीकृति के साथ, डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग भारत के मार्केटिंग इंडस्ट्री का मुख्य प्रेरक बन गया है। यह वृद्धि भारत के ऐडवर्टाइजिंग परिदृश्य में डिजिटल चैनलों के मजबूत प्रभुत्व और निरंतर विस्तार को उजागर करती है।

डिजिटल और पारंपरिक ऐडवर्टाइजिंग का सह-अस्तित्व

डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग में जबरदस्त वृद्धि के बावजूद, भारत का मार्केटिंग परिदृश्य प्रगति और परंपरा का मिश्रण बना हुआ है। रिपोर्ट में बताय गया है, "हालांकि जेनरेटिव एआई, प्रोग्रामेटिक ऐडवर्टाइजिंग और ऑटोमेशन  ऐडवर्टाइजिंग प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं, पारंपरिक मीडिया जैसे टीवी, रेडियो और प्रिंट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।"

अब ब्रैंड डिजिटल रणनीतियों को पारंपरिक तरीकों के साथ तेजी से एकीकृत कर रहे हैं, जिससे एक 'फिजिटल' (फिजिकल + डिजिटल) ऐडवर्टाइजिंग मॉडल तैयार हो रहा है, जो कंज्युमर एक्सपीरियंस अनुभव को बेहतर बनाता है। रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि 'रिटेल मीडिया 2.0' और 'यूनिफाइड कॉमर्स' खुदरा प्रवृत्तियों को बदल रहे हैं, जबकि जेनरेशन वैल्यूज (Generational Values) ब्रैंड जुड़ाव को आकार दे रहे हैं।

यह चरण डिजिटल और पारंपरिक दृष्टिकोणों को मिलाकर एक गतिशील परिदृश्य तैयार कर रहा है, जहां बिजनेस कंज्यूमर्स के साथ सार्थक और नवीन तरीकों से जुड़ सकते हैं।

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dentsu-e4m रिपोर्ट: 2025 में 6.5% की दर से बढ़ेगी भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री

बहुप्रतीक्षित 'डेंट्सू-e4m डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2025' का नौवां संस्करण जारी कर दिया गया है।

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Published - Monday, 03 February, 2025
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Monday, 03 February, 2025
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बहुप्रतीक्षित 'डेंट्सू-e4m डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2025' का नौवां संस्करण जारी कर दिया गया है। इस व्यापक रिपोर्ट को 03 फरवरी यानी आज मुंबई में डेंट्सू और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ने इंडस्ट्री जगत के लीडर्स की उपस्थिति में संयुक्त रूप से लॉन्च किया। इस रिपोर्ट की थीम "लुकिंग थ्रू द कैलिडोस्कोप" खी गई है, जो भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंंडस्ट्री में बदलते रुझानों और मीडिया खर्च को दर्शाती है। इस वर्ष की थीम डिजिटल परिदृश्य के भविष्य के रुझानों का पीछा करने के बजाय वर्तमान को अपनाने पर जोर देती है। यह डिजिटल इकोसिस्टम की जटिलताओं को उजागर करती है, जो डेटा, टेक्नोलॉजी और उपभोक्ता व्यवहार में रीयल-टाइम बदलावों से प्रभावित हो रही हैं। 

डेंट्सू-e4m डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2025 को हर्षा राजदान (सीईओ - साउथ एशिया, डेंट्सू), करण बेदी (डायरेक्टर व हेड, एमेजॉन एमएक्स प्लेयर), नारायण देवनाथन (प्रेजिडेंट व चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर, साउथ एशिया - डेंट्सू), अनिता कोटवानी (सीईओ – मीडिया, साउथ एशिया, डेंट्सू), अमित वाधवा (सीईओ, साउथ एशिया, डेंट्सू क्रिएटिव), देवांग शाह (प्रेजिडेंट - इंडस्ट्री सॉल्यूशंस, CXM, डेंट्सू इंडिया), विनोद ठडानी (चीफ ग्रोथ ऑफिसर, मीडिया व सीईओ, iProspect इंडिया), आनंदिता सरकार (वाइस प्रेजिडेंट, ब्रैंड व कम्युनिकेशन, साउथ एशिया, डेंट्सू), अभीक बिस्वास (एवीपी – कंज्यूमर इनसाइट्स- डेंट्सू इंडिया), डॉ. अनुराग बत्रा (चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ, BW बिजनेसवर्ल्ड और फाउंडर, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप), नवल आहूजा (को-फाउंडर, एक्सचेंज4मीडिया) और अन्य इंडस्ट्री जगत के लीडर्स द्वारा जारी किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंंडस्ट्री के 2025 में 6.5% की वृद्धि दर से बढ़कर 1,07,664 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। 2026 में यह वृद्धि दर 7.2% होने की संभावना है, जिससे मार्केट का आकार बढ़कर 1,15,460 करोड़ रुपये हो जाएगा। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में डिजिटल मीडिया सबसे बड़े बदलाव का नेतृत्व कर रहा है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 19.09% है। यह दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भारी निवेश किया जा रहा है। टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रियलिटी शोज और स्पोर्ट्स कंटेंट पर बढ़ते खर्च और बड़े प्रारूप के प्रिंट ऐडवर्टाइजिंगों को प्रमुख विकास कारकों के रूप में पहचाना गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया, "भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंंडस्ट्री ने पिछले वर्ष 6.3% की वृद्धि दर्ज की थी, जिससे 2024 का मार्केट आकार 1,01,084 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से आम चुनावों और विधानसभा चुनावों के कारण हुई थी, जिससे ऐडवर्टाइजिंग खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। 2025 में, आईपीएल, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप जैसे प्रमुख खेल आयोजनों के चलते ऐडवर्टाइजिंग सेक्टर में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है। ये इवेंट ब्रैंड्स के लिए विविध दर्शकों से जुड़ने के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेंगे, जिससे उद्योग की विकास गति बनी रहेगी।" 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ई-कॉमर्स, ऑटोमोबाइल, BFSI, FMCG और रिटेल जैसे प्रमुख सेक्टर डिजिटल और पारंपरिक मीडिया दोनों में हावी हैं। रिटेल मीडिया, ई-कॉमर्स और D2C प्लेटफॉर्म्स पर ऑफर्स और प्रमोशंस का स्तर काफी बड़ा रहेगा, जिससे उपभोक्ताओं की भागीदारी बढ़ेगी। 

भारतीय ऐडवर्टाइजिंग मार्केट में FMCG सेक्टर का दबदबा बना हुआ है, जो कुल खर्च का 31% (31,467 करोड़ रुपये) योगदान देता है। इसके बाद, ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स ब्रैंड्स 15% (15,509 करोड़ रुपये) के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जो इम्पल्स बायिंग पर निर्भर हैं। वहीं, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स श्रेणी का योगदान 7% है। यह मार्केट के विविध और गतिशील स्वभाव को दर्शाता है।

डिजिटल मीडिया ऐडवर्टाइजिंग खर्च का सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया है, जो कुल खर्च का 49% (49,251 करोड़ रुपये) हिस्सा रखता है। टेलीविजन 28% (28,062 करोड़ रुपये) के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि प्रिंट मीडिया का हिस्सा 17% (17,529 करोड़ रुपये) है। यह बदलाव डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती ताकत और ऐडवर्टाइजिंग रणनीतियों में उनके प्रभाव को दर्शाता है।

2024 में, यात्रा और परिवहन सेक्टर में ऐडवर्टाइजिंग खर्च में 33.4% की सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से "चलो इंडिया" अभियान, महाकुंभ मेला 2025 और अन्य स्थानीय पर्यटन प्रचार अभियानों के कारण हुई, जो भारत के विविध परिदृश्यों और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देते हैं। ई-कॉमर्स सेक्टर में 21.1% और ऑटोमोबाइल सेक्टर में 20.4% की वृद्धि दर्ज की गई। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) के बढ़ते चलन के कारण ऑटोमोबाइल सेक्टर में दोपहिया ब्रैंड्स की वापसी भी देखी गई।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया, "भारतीय डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग इंंडस्ट्री ने 2024 में 49,251 करोड़ रुपये के मार्केट आकार के साथ 21.1% की वृद्धि दर दर्ज की। सोशल मीडिया, वीडियो प्लेटफॉर्म्स और AI संचालित ऐडवर्टाइजिंग कैपेंस के चलते डिजिटल मीडिया अन्य ऐडवर्टाइजिंग माध्यमों को पीछे छोड़ रहा है। 2025 में डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग मार्केट 20.2% की वृद्धि दर के साथ 59,200 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। यह डिजिटल चैनलों के निरंतर प्रभुत्व और विस्तार को दर्शाता है।" 

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें।

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