तीन दशक से ज्यादा समय से टीवी पत्रकारिता कर रहे दीपक चौरसिया देश के सबसे चर्चित पत्रकारों में शुमार हैं।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार व जाने-माने न्यूज एंकर दीपक चौरसिया अपनी अगली पारी एक नए डिजिटल वेंचर में शुरू करने जा रहे हैं। दीपक चौरसिया "आगे से राईट" नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म को लीड करेंगे। "आगे से राईट" प्लेटफॉर्म बेवसाइट से लेकर यू-ट्यूब और तमाम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध रहेगा।
इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत 17 अप्रैल यानी रामनवमी के दिन होगी। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के कॉन्सेप्ट पर लॉन्च होने वाले इस प्लेटफॉर्म पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति की झलक से लेकर आधुनिक भारत दिखेगा।
इस प्लेटफॉर्म पर सही राजनीति से लेकर सही व्यूज और दक्षिणपंथी विचारधारा के बारे में बात की जाएगी। सभी क्षेत्र के दिग्गजों के इंटरव्यू से लेकर बड़ी खबरें और उसकी बैकग्राउंडर के बारे में बात की जाएगी।
तीन दशक से ज्यादा समय से टीवी पत्रकारिता कर रहे दीपक चौरसिया देश के सबसे चर्चित पत्रकारों में शुमार हैं। देश के पहले निजी सैटेलाइट टीवी चैनल से लेकर अब तक के अपने सफर में दीपक चौरसिया ने सभी पोजिशन पर काम किया है। फील्ड की रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग और फिर संपादक की भूमिका भी दीपक चौरसिया ने बखूबी निभाई है। अपने इस सफर के दौरान देश से लेकर दुनिया तक की तकरीबन हर बड़ी खबर को कवर किया है। दीपक चौरसिया 1993 से मीडिया में है और अपने करियर की शुरुआत ‘लोकस्वामी’ अखबार से की थी।
‘डीडी’ पर आने वाले ‘आजतक’ के आधे घंटे के कार्यक्रम से लेकर ‘आजतक’ के चौबीस घंटे के चैनल के लॉन्च टीम के हिस्सा रहे दीपक चौरसिया के नाम पर ही देश में सबसे कम उम्र के संपादक होने का श्रेय है। महज 31 साल की उम्र में ही दीपक चौरसिया को डीडी न्यूज की जिम्मेदारी 2003 में दी गयी।
दीपक चौरसिया ‘आजतक’, ‘डीडी न्यूज’, ‘जी न्यूज’, ‘न्यूज नेशन’ से लेकर ‘इंडिया न्यूज’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
पत्रकारिता के अपने लंबे सफर के दौरान दीपक चौरसिया ने अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई खास इंटरव्यू किए हैं, जोकि उन्होंने मोदी के एक भाजपा नेता से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद किए। वैसे तो दीपक चौरसिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी वी. नरसिम्हा राव, एच.डी देवगौड़ा और आई.के. गुजराल से लेकर तमाम राजनीतिक शख्सियतों का इंटरव्यू ले चुके हैं।
करीब चार दशकों से देश के हर छोटे बड़े चुनाव को नजदीक से देख चुके दीपक चौरसिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहली बार 2002 में दिल्ली की गद्दी पर आसिन होने की बात की थी। इसके बाद वर्ष 2008 में मोदी का एक इंटरव्यू लेते समय भी उन्होंने इस मामले पर बात की थी। इसके अलावा वर्ष 2012 में एक इंटरव्यू में उन्होंने मोदी से साफ-साफ पूछ लिया था कि वह उन्हें पीएम के रूप में देखना चाहते हैं, क्या आप मुझे शुभकामनाएं देंगे। उस इंटरव्यू में दीपक चौरसिया ने यह भी कहा था कि एक मतदाता के रूप में यह मेरी राय है। इसके अलावा 2014 और 2019 में भी उन्होंने मोदी का इंटरव्यू किया था, जिसमें मोदी ने तमाम मुद्दों पर बेबाकी से जवाब दिए थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेसी नेता राहुल गांधी, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गज राजनेताओं की ऐसी लंबी फेहरिस्त है, जिनके साथ दीपक चौरसिया ने न सिर्फ इंटरव्यू किए हैं, बल्कि जनता से जुड़े तमाम अहम मुद्दों को उनके सामने जोरदार तरीके से उठाया है।
इसके अलावा दीपक चौरसिया ने वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले की ग्राउंड रिपोर्टिंग भी की है। वहीं, पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ जब भारत आए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की थी, तब इस हाईप्रोफाइल मीटिंग की कवरेज भी वह कर चुके हैं। दीपक चौरसिया के खाते में सिर्फ यही बड़ी उपलब्धियां नहीं हैं। अमेरिका में हुए 9/11 हमले के दौरान और ईराक में हुए युद्ध के दौरान भी वह ग्राउंड रिपोर्टिंग कर अपनी प्रतिभा का परिचय दे चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि दीपक चौरसिया ने सिर्फ राजनीतिक खबरों को ही कवर किया है, वह अमिताभ बच्चन, सलमान खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, सनी देओल, शाहरुख खान समेत फिल्मी जगत के तमाम सितारों संग एक्सक्लूसिव इंटरव्यू कर चुके हैं।
गुड ग्लैम ग्रुप (Good Glamm Group) ने अपनी मीडिया यूनिट 'स्कूपव्हूप' (ScoopWhoop) को वुब्बा लुब्बा डब डब (Wubba Lubba Dub Dub) को 20 करोड़ रुपये में बेच दिया है।
गुड ग्लैम ग्रुप (Good Glamm Group) ने अपनी मीडिया यूनिट 'स्कूपव्हूप' (ScoopWhoop) को वुब्बा लुब्बा डब डब (Wubba Lubba Dub Dub) को 20 करोड़ रुपये में बेच दिया है। इस डील को 15 फरवरी को अंतिम रूप दिया गया था, जोकि पूरी तरह से नकद थी। और दोनों पक्षों के बीच समझौता होने में एक महीने से भी कम समय लगा।
गुड ग्लैम ग्रुप ने एक मीडिया आउटलेट को बताया कि स्कूपव्हूप की बिक्री एक रणनीतिक निर्णय थी। चूंकि गुड ग्लैम ग्रुप मुख्य रूप से सौंदर्य से जुड़ी महिला दर्शकों पर केंद्रित है, जबकि स्कूपव्हूप मुख्य रूप से पुरुष दर्शकों को लक्षित करता है, इसलिए यह कंपनी की मौजूदा योजनाओं के अनुरूप नहीं था। इसी कारण गुड ग्लैम ग्रुप ने स्कूपव्हूप को बेचने का फैसला किया।
गुड ग्लैम ग्रुप ने 2021 में भारतीय डिजिटल मीडिया कंपनी के अधिग्रहण की घोषणा की थी। समूह ने बेबी व मदर प्रोडक्ट्स ब्रैंड 'द मॉम्स' को 500 करोड़ रुपये में अधिग्रहित किया था।
गुड ग्लैम ग्रुप के फाउंडर व सीईओ दर्पण संघवी ने उस समय अधिग्रहण के बारे में कहा था, "मैं लंबे समय से स्कूपव्हूप का यूजर और प्रशंसक रहा हूं। यह सौभाग्य की बात है कि सात्त्विक, ऋषि और श्रीपर्णा गुड ग्लैम ग्रुप परिवार में शामिल हुए और स्कूपव्हूप ने समूह के बढ़ते पुरुष ग्रूमिंग और पर्सनल केयर सेगमेंट में कंटेंट-टू-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने की हमारी पहल को तेज किया।"
स्कूपव्हूप के को-फाउंडर सात्त्विक मिश्रा ने टिप्पणी की, "स्कूपव्हूप में हम गर्व महसूस करते हैं कि हमने एक ऐसा ब्रैंड बनाया है जिसे युवा भारत ने इसके मनोरंजक और लाइफस्टाइल-केंद्रित कंटेंट के लिए पसंद किया है। गुड ग्लैम ग्रुप का हिस्सा बनकर हमें बड़े पैमाने पर विस्तार करने का अवसर मिला है, जिससे हम कंटेंट-टू-कॉमर्स क्रांति में एक निर्णायक शक्ति बन सकते हैं।"
मीडिया इंडस्ट्री में एक दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले अक्षांश पूर्व में ‘एबीपी न्यूज’, ‘जी न्यूज’ और ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं।
देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शामिल ‘आईटीवी नेटवर्क’ (Itv Network) ने अपने डिजिटल बिजनेस के लिए अक्षांश यादव को चीफ प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। मीडिया इंडस्ट्री में एक दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले अक्षांश ने पूर्व में ‘एबीपी न्यूज’, ‘जी न्यूज’ और ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है।
मीडिया इंडस्ट्री के अलावा, अक्षांश को फिनटेक और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) सेक्टर का भी खासा अनुभव है। उन्होंने केनरा एचएसबीसी इंश्योरेंस के साथ काम करते हुए भारत में उनके डिजिटल बिजनेस को सफलतापूर्वक लॉन्च करने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, वह ‘इंश्योरेंस देखो’ और ‘कार देखो’ से भी जुड़े रहे हैं।
अक्षांश ने आईडीपीएल (Zee Media) में चीफ प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर के रूप में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की अगुवाई की थी। उनके नेतृत्व में ‘विऑन’ (WION) न्यूज और ‘जी बिजनेस’ (Zee Business) के मोबाइल एप्लिकेशन को नए रूप में लॉन्च किया गया, साथ ही ‘डीएनए’ (DNA) वेबसाइट को भी नए अवतार में प्रस्तुत किया गया।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो अक्षांश ने राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और देश के शीर्ष बिजनेस स्कूलों में शुमार ‘एमआईसीए’ (MICA) से एमबीए किया है । इसके अलावा, उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मशीन लर्निंग में लाइसेंशिएट डिग्री भी हासिल की है।
अपनी नियुक्ति के बारे में अक्षांश यादव का कहना है, ‘आईटीवी नेटवर्क के साथ जुड़कर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं, खासकर ऐसे समय में जब डिजिटल मीडिया तेजी से आगे बढ़ रहा है। मेरा फोकस अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का उपयोग करके हमारे दर्शकों के लिए पर्सनलाइज्ड कंटेंट एक्सपीरियंस तैयार करने पर होगा। मौजूदा समय में यूजर एंगेजमेंट सबसे महत्वपूर्ण है, और मैं इनोवेटिव सॉल्यूशंस के जरिए आईटीवी नेटवर्क को डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए तत्पर हूं।’
वहीं, इस नियुक्ति के बारे में ‘आईटीवी नेटवर्क’ के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर अभय ओझा का कहना है, ‘मीडिया इंडस्ट्री में अक्षांश की विशेषज्ञता और तकनीकी समझ आईटीवी नेटवर्क के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। उनकी लीडरशिप में इनोवेटिव सॉल्यूशंस विकसित किए जाएंगे, जिससे हमारे दर्शकों का अनुभव बेहतर होगा और हमारी डिजिटल स्ट्रैटेजी को और मजबूती मिलेगी।’
भारतीय सरकार 50 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक आचार संहिता पेश करने की तैयारी में है।
भारतीय सरकार 50 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक आचार संहिता पेश करने की तैयारी में है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल का उद्देश्य ऑनलाइन अश्लील और भद्दे कंटेंट पर अंकुश लगाना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के तहत इन्फ्लुएंसर्स को अपनी सामग्री की रेटिंग देनी पड़ सकती है और साथ ही डिस्क्लेमर भी शामिल करना पड़ सकता है।
यह कदम उस विवाद के बाद आया है जिसमें पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया शामिल थे। उनके ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो पर दिए गए अनुचित बयान की व्यापक निंदा हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रतिक्रिया दी। हालांकि कोर्ट ने अल्लाहबादिया को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी, लेकिन यह भी कहा, "उनके दिमाग में जो गंदगी थी, वह इस कार्यक्रम के जरिए उगली गई है।"
ऐसे मामलों को देखते हुए, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़े नियमों की जरूरत पर जोर दिया। लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री पर रोक लगाने के लिए मौजूदा कानूनों को और कड़ा करने की जरूरत है।" वैष्णव ने डिजिटल युग में पारंपरिक संपादकीय जांच की अनुपस्थिति की ओर इशारा किया, जिससे अनियंत्रित और अक्सर भद्दी सामग्री सामने आ रही है। उन्होंने संसदीय स्थायी समिति से इस मुद्दे को प्राथमिकता देने और मजबूत कानूनों के लिए आम सहमति बनाने का आग्रह किया।
यह विकास उस समय हो रहा है जब कंटेंट क्रिएटर्स पिछले साल प्रस्तावित मसौदा कानून को लेकर चिंतित हैं। यह कानून प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने का प्रयास करता है, जिससे केंद्र सरकार को प्रसारण नेटवर्क का बिना पूर्व सूचना निरीक्षण करने और उल्लंघन की आशंका होने पर उपकरण जब्त करने का अधिकार मिल सकता है। आलोचकों का कहना है कि ऐसे उपाय सेंसरशिप को बढ़ावा दे सकते हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकते हैं और डिजिटल मीडिया सामग्री पर सरकारी नियंत्रण को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।
डिजिटल परिदृश्य के विकास के साथ, भारतीय सरकार के सामने यह चुनौती है कि वह नियमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखे, ताकि सामग्री समाजिक मानकों के अनुरूप रहे, लेकिन व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन न हो।
करुण कुमार का यह चैनल क्रिकेट की दुनिया के हर महत्वपूर्ण पहलू को समेटे हुए है। यहां मैचों, खिलाड़ियों और ऐतिहासिक लम्हों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां सुनने को मिलेंगी।
जाने-माने खेल पत्रकार करुण कुमार ने अपनी नई डिजिटल पारी की शुरुआत करते हुए अपना यूट्यूब चैनल "क्रिकेट विद करुण" (@cricketwithkarun) लॉन्च किया है। लगभग 30 वर्षों के पत्रकारिता अनुभव के साथ करुण अब क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांचक कहानियों और अनसुनी जानकारियों का एक नया मंच लेकर आए हैं।
करुण कुमार का यह चैनल क्रिकेट की दुनिया के हर महत्वपूर्ण पहलू को समेटे हुए है। यहां मैचों, खिलाड़ियों और ऐतिहासिक लम्हों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां सुनने को मिलेंगी। साथ ही, इस चैनल पर विशेष पॉडकास्ट के जरिए पूर्व क्रिकेटर्स, कोच्स, जर्नलिस्ट्स और कमेंटेटर्स के इंटरव्यू भी प्रसारित किए जाएंगे, जिनमें वे अपने अनुभव और खेल जगत की अनसुनी बातें साझा करेंगे।
करुण कुमार ने 1998 में टीवीआई (TVI) से अपने करियर की शुरुआत की और बाद में टीडब्ल्यूआई (TWI) (ट्रांस वर्ल्ड इंटरनेशनल) / आईएमजी (IMG) ग्रुप का हिस्सा बने। 2002 की शुरुआत में वे जी न्यूज से जुड़े और फिर फरवरी 2003 में आजतक का हिस्सा बने।
आजतक में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2003 वर्ल्ड कप, श्रीलंका में हुए एशिया कप, लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवॉर्ड्स, भारत-पाकिस्तान वनडे (कानपुर), भारत-इंग्लैंड वनडे (गोवा) और एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौर की सफलता जैसी बड़ी खेल घटनाओं की रिपोर्टिंग की।
2006 में उन्होंने एनडीटीवी इंडिया में प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट के रूप में जर्मनी में हो रहे फुटबॉल वर्ल्ड कप की कवरेज का जिम्मा संभाला। 2008 में उन्होंने मलेशिया में आयोजित अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप की रिपोर्टिंग की, जहां विराट कोहली की कप्तानी में भारत विजेता बना।
इसके बाद वे 2009 में भारत टीवी के स्पोर्ट्स डेस्क से जुड़े और 2010-11 में जीआई ग्रुप के साथ मिलकर अनूठे खेल शो लाने की योजना बनाई। 2011 में न्यूज एक्सप्रेस में रहते हुए उन्होंने पूर्व क्रिकेटर मनोज प्रभाकर के साथ कई चर्चित क्रिकेट शो किए।
2012 में करुण कुमार न्यूज नेशन के स्पोर्ट्स एडिटर बने और 2020 तक इस भूमिका में रहे। इसके बाद उन्होंने भारत24 में स्पोर्ट्स एडिटर और एंकर के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
अब करुण कुमार ने "क्रिकेट विद करुण" के जरिए क्रिकेट प्रेमियों को एक नया प्लेटफॉर्म दिया है, जहां वह खेल की रोमांचक कहानियां, विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय साझा करेंगे।
समाचार4मीडिया से बातचीत में शैलेश चतुर्वेदी ने बताया कि इसमें वेबसाइट के साथ ही यूट्यूब चैनल भी शामिल होगा। फिलहाल वेबसाइट का बीटा वर्जन जारी किया गया है।
‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह में पिछले दिनों अपनी पारी को विराम देने के बाद वरिष्ठ पत्रकार शैलेश चतुर्वेदी ने नई दिशा में कदम बढ़ाए हैं। शैलेश चतुर्वेदी और मीडिया जगत की वरिष्ठ सदस्य वाणी बिष्ट ने साथ मिलकर ‘श्वास क्रिएशन प्रा. लि’ नाम से अपनी कंपनी शुरू की है।
यही नहीं, इस कंपनी के बैनर तले इन दोनों ने अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘Kisanindia.in’ भी शुरू किया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में शैलेश चतुर्वेदी ने बताया कि इसमें वेबसाइट के साथ ही यूट्यूब चैनल भी शामिल होगा। फिलहाल वेबसाइट का बीटा वर्जन जारी किया गया है। कुछ ही दिनों में यानी इस महीने के अंत तक वेबसाइट को विधिवत रूप से लॉन्च किया जाएगा और फरवरी अथवा मार्च में यूट्यूब चैनल भी शुरू कर दिया जाएगा।
शैलेश चतुर्वेदी यहां फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ की भूमिका में हैं. वहीं वाणी बिष्ट फाउंडर व सीईओ की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। आपको बता दें कि वाणी बिष्ट भी इससे पहले ‘इंडिया टुडे’ समूह का हिस्सा रह चुकी हैं जहां वह किसान तक की बिजनेस टीम संभालती थीं। पत्रकारिता से करियर शुरू करने वाली वाणी बिष्ट मीडिया जगत में 17 वर्षों का अनुभव रखती हैं। इस दौरान उन्होंने सहारा समय, सीएनएन न्यूज 18, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, इकॉनॉमिक टाइम्स और इंडिया टाइम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम किया है। अपने इस वेंचर के बारे में वाणी बिष्ट ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर जानकारी भी शेयर की है।
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वहीं, शैलेश चतुर्वेदी करीब दो साल से ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह के डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘किसान तक (Kisan Tak) में बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले इस्तीफा दे दिया था।
‘इंडिया टुडे’ से पहले शैलेश चतुर्वेदी करीब डेढ़ साल तक ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) की डिजिटल टीम में एडिटर (हिंदी) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इससे पहले वह करीब चार साल तक ‘नेटवर्क18‘ का हिस्सा रहे।
मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले शैलेश चतुर्वेदी को प्रिंट, टीवी और डिजिटल तीनों में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। शैलेश चतुर्वेदी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत ‘अमर उजाला’ से की थी। इसके बाद उन्होंने ‘हिन्दुस्तान’ अखबार में अपने सेवाएं दीं। बाद में प्रिंट को छोड़कर शैलेश चतुर्वेदी ने टीवी की दुनिया में कदम रखा और न्यूज चैनल ‘सहारा समय’ में अपनी जिम्मेदारी संभाली।
इसके बाद टीवी को अलविदा कहकर शैलेश डिजिटल की दुनिया में आ गए और ‘नेटवर्क18‘ के साथ जुड़ गए। यहां उन्होंने काफी समय तक ‘फर्स्टपोस्ट‘ (firstpost) हिंदी की कमान संभाली। इसके बाद करीब एक साल तक उन्होंने ‘न्यूज18 हिंदी’ (news18 hindi) में न्यूजरूम हेड के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद यहां से बाय बोलकर वह अगस्त 2020 में ‘टीवी9’ नेटवर्क का हिस्सा बन गए थे, जहां से इस्तीफा देकर वह सितंबर 2022 में ‘इंडिया टुडे’ समूह पहुंचे थे और फिर वहां से बाय बोलकर अब नई दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
भारतीय डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स अब ब्रांडेड कंटेंट को होस्ट करने के लिए नई रणनीतियां तलाश रहे हैं। यह कदम Google की मार्च 2024 की "कोर अपडेट्स और नई स्पैम पॉलिसी" के बाद उठाया जा रहा है
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवेन्जिल्सिट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारतीय डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स अब ब्रांडेड कंटेंट को होस्ट करने के लिए नई रणनीतियां तलाश रहे हैं। यह कदम Google की मार्च 2024 की "कोर अपडेट्स और नई स्पैम पॉलिसी" के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) रैंकिंग में पेड कंटेंट, प्रोडक्ट रिव्यू और कूपन पेजों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
Google की नई नीति के अनुपालन में पब्लिशर्स ने पूरी तरह से कूपन पोस्ट करना बंद कर दिया है। इसके अलावा, कई उपाय किए जा रहे हैं, जैसे कि नई URL बनाना और वेबसाइट पर अलग से डील प्लेटफॉर्म तैयार करना।
एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के डिजिटल हेड ने e4m को बताया, "Google की नीति में बदलाव से पब्लिशर्स को बड़ा झटका लगा है, जिससे हमारे विज्ञापन-आधारित राजस्व मॉडल को खतरा पैदा हो गया है। हमने एक नई URL रजिस्टर की है और जल्द ही एक नई वेबसाइट लॉन्च करेंगे, जिसका डोमेन हमारे मौजूदा डोमेन से मिलता-जुलता होगा। यह विशेष रूप से सभी स्पॉन्सर्ड कंटेंट को होस्ट करने के लिए बनाई गई है।"
कई न्यूज पब्लिशर्स पहले ही नई URL रजिस्टर कर चुके हैं और अपने "ब्रांड वेबसाइट्स" लॉन्च करने की प्रक्रिया में हैं, जिससे उनका एडवरटोरियल बिजनेस प्रभावित न हो, जो उनकी कुल आय का एक तिहाई हिस्सा बनाता है।
एक डिजिटल पब्लिशर ने कहा, "हमने स्पॉन्सर्ड कंटेंट के लिए 'नो फॉलो, नो इंडेक्सिंग' अप्रोच अपनाई है। ब्रांडेड स्टोरीज के लिए अलग URL बनाना इस नई SEO नीति से हुए नुकसान की भरपाई करने की दिशा में हमारा पहला कदम है।"
कुछ पब्लिशर्स, जैसे कि Hindustan Times, ने अपने यूजर जर्नी को फिर से डिज़ाइन किया है और अलग-अलग URL से हटकर अपने ब्रांडेड कंटेंट पर पूरा नियंत्रण बनाए रखने की रणनीति अपनाई है।
HT डिजिटल के सीईओ पुनीत जैन ने कहा, "हमने ब्रांड्स के साथ साझेदारी की है, जिससे हमारे रजिस्टर्ड यूजर्स को सीधे हमारी वेबसाइट पर डील्स और ब्रांडेड कंटेंट ऑफर किया जा सके। हम इस प्रोडक्ट पर लंबे समय से काम कर रहे थे और इन-हाउस ट्रांजैक्शन टेक्नोलॉजी स्टैक को भी विकसित कर रहे हैं।"
e4m ने मंगलवार को रिपोर्ट किया कि भारत और वैश्विक स्तर पर डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स Google की सर्च इंडेक्सिंग नीतियों के कड़े नियमों का सामना कर रहे हैं, जिससे विज्ञापन-आधारित राजस्व मॉडल पर और खतरा मंडराने लगा है।
5 मार्च 2024 को Google ने Core Update और Spam Policies लॉन्च की, जो उसकी अब तक की सबसे लंबी और बड़ी कोर अपडेट मानी जा रही है। यह अपडेट 52 दिनों तक चली और 19 अप्रैल को समाप्त हुई। इस दौरान Google ने उन वेबसाइट्स की रैंकिंग को काफी हद तक कम कर दिया, जो SEO ऑप्टिमाइजेशन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही थीं, बजाय इसके कि वे पाठकों को वास्तविक मूल्यवान सामग्री प्रदान करें।
इसके बाद, Forbes, Wall Street Journal और CNN जैसे प्रमुख डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स की सर्च विजिबिलिटी में हाल के महीनों में भारी गिरावट आई। उद्योग के नेताओं का कहना है, "न्यूज पब्लिशर्स को निर्देश दिया गया था कि वे सभी पेड कंटेंट को हटा दें। जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उनका कंटेंट Google द्वारा हटा दिया गया।"
भारतीय न्यूज पब्लिशर्स को भी इस अपडेट के कारण बीते छह महीनों में 25-30% ट्रैफिक में गिरावट देखने को मिली है। यह खोया हुआ ट्रैफिक वैश्विक स्तर पर न्यूज पब्लिशर्स के लिए लगभग $7.5 मिलियन (लगभग 62.5 करोड़ रुपये) के बराबर है, जैसा कि Sistrix के सर्च विजिबिलिटी एनालिटिक्स में पाया गया है।
यह झटका तब लगा है जब पब्लिशर्स पहले से ही AI ओवरव्यू के कारण ट्रैफिक में गिरावट से जूझ रहे थे, जिसे सर्च इंजन द्वारा प्रदान किया जाता है।
हालांकि, Google के एक प्रवक्ता ने दावा किया, "मार्च 2024 कोर अपडेट और हमारी नई स्पैम पॉलिसी स्पैम की समस्या को हल करने और उपयोगकर्ताओं को बेहतरीन सर्च अनुभव प्रदान करने के हमारे निरंतर प्रयासों का हिस्सा हैं। हमारी नीति यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है कि सर्च से किसी साइट पर आने वाले यूजर्स को वही कंटेंट मिले, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। इस नीति अपडेट ने सबसे उपयोगी सर्च रिजल्ट्स को सतह पर लाने में मदद की है और यह सुनिश्चित किया है कि सभी साइट्स को उनके कंटेंट की गुणवत्ता के आधार पर रैंक करने का समान अवसर मिले। हम प्रकाशकों के साथ मिलकर उनके दर्शकों की वृद्धि को सक्षम करने के लिए काम कर रहे हैं।
GNI Indian Languages Program के तहत, पिछले दो वर्षों में 9 भाषाओं में 500+ पब्लिशर्स को सहायता प्रदान की गई, जिससे उन्होंने 32% पेज व्यूज़ और 39% डिजिटल विज्ञापन राजस्व में वृद्धि देखी।
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रेजिडेंट अनंत नाथ ने इस कदम को मीडिया की आजादी पर सीधा हमला बताया है।
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने ‘सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ (MeitY) द्वारा प्रमुख तमिल मैगजीन पब्लिशर ‘आनंद विकटन’ (Ananda Vikatan) की वेबसाइट vikatan.com को ब्लॉक किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है।
‘एआईएम’ के अनुसार, यह कार्रवाई 15 फरवरी 2025 को तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) में दायर एक शिकायत के बाद की गई थी। शिकायत विकटन प्लस में प्रकाशित एक राजनीतिक कार्टून को लेकर की गई थी।
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि मंत्रालय ने बिना किसी पूर्व सूचना, सुनवाई या औपचारिक आदेश जारी किए पूरी वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया। केवल एक राजनीतिक शिकायत के आधार पर इतनी बड़ी कार्रवाई किया जाना पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला है।
विकटन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, प्रेस ब्यूरो ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने उसी दिन विकटन के रजिस्टर्ड ऑफिस का दौरा किया और यह जानने की कोशिश की कि विकटन प्लस प्रिंट में भी पब्लिश होता है या नहीं। वहीं, पब्लिशर ने स्पष्ट किया कि यह मैगजीन डिजिटल पब्लिकेशन है।
एसोसिएशन ने यह भी उजागर किया कि वेबसाइट ब्लॉक करने के बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 17 फरवरी 2025 को इंटर-डिपार्टमेंटल कमेटी (IDC) की बैठक बुलाने का नोटिस भेजा। यह बैठक IT नियम 2021 के तहत वेबसाइट को ब्लॉक करने के अनुरोध पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। AIM का कहना है कि पहले ब्लॉकिंग का आदेश दिया गया और फिर सुनवाई रखी गई, जो न्यायिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन है।
गौरतलब है कि IT नियम 2021 को कई हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके तहत कोड ऑफ एथिक्स से जुड़े नियम 9(1) और 9(3) पर अदालत ने रोक भी लगाई हुई है। AIM ने सवाल उठाया कि जब अदालत ने इन नियमों को रोक रखा है, तब भी इस तरह की जांच क्यों की जा रही है।
‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने इस कार्रवाई को मीडिया की आज़ादी पर सीधा हमला बताते हुए MeitY से vikatan.com को ब्लॉक करने के आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। साथ ही सूचना-प्रसारण मंत्रालय से अपील की है कि जब तक अदालत का स्टे लागू है, तब तक IT नियम 2021 के तहत कोई नई जांच शुरू न की जाए।
वहीं, ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ के प्रेजिडेंट अनंत नाथ का कहना है, ‘यह एक तानाशाहीपूर्ण कदम है जो प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करता है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस फैसले को पलटे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करे।’
पाकिस्तान की मेजबानी में 19 फरवरी से चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज हो रहा है, जोकि 9 मार्च तक चलेगा। भारत में जियोस्टार नेटवर्क के पास चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का प्रसारण अधिकार है।
पाकिस्तान की मेजबानी में 19 फरवरी से चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज हो रहा है, जोकि 9 मार्च तक चलेगा। भारत में जियोस्टार नेटवर्क के पास चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का प्रसारण अधिकार है। चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले कराची, लाहौर और रावलपिंडी में खेले जाएंगे। इस टूर्नामेंट में वनडे की शीर्ष आठ टीमें हिस्सा ले रही हैं। चैंपियंस ट्रॉफी के 9वें संस्करण में भारत अपने सभी मुकाबले दुबई में खेलेगा।
प्रसारक इस टूर्नामेंट को टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स दोनों पर प्रसारित करेगा। पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट को 16 फीड्स और 9 भाषाओं में लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। इनमें अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, हरियाणवी, बंगाली, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ शामिल हैं। जियोहॉटस्टार पर चार मल्टी-कैम फीड्स से लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। टीवी पर अंग्रेजी फीड के अलावा स्टार स्पोर्ट्स और स्पोर्ट्स18 के चैनल्स पर हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ में कवरेज होगा।
इस टूर्नामेंट के प्रसारण के बारे में बात करते हुए जियोस्टार में कंटेंट के हेड (स्पोर्ट्स) सिद्धार्थ शर्मा ने कहा, "आईसीसी मेंस चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को हम दर्शकों के लिए अभूतपूर्व स्तर की देखने के विकल्पों और अनुभवों के साथ प्रस्तुत करेंगे। देश के सबसे बड़े लीनियर टेलीविजन स्पोर्ट्स नेटवर्क और सबसे बड़े डिजिटल स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म की संयुक्त ताकत के साथ, इस प्रारूप का रोमांच न केवल गहरा और व्यापक होगा, बल्कि और भी इमर्सिव, इनोवेटिव, और इंक्लूसिव होगा। हमने हर दर्शक के लिए, चाहे उनकी प्राथमिकता कुछ भी हो, एक ऐसा जुड़ाव या नवाचार का टचपॉइंट बनाया है, जो हमारे टूर्नामेंट की प्रस्तुति को एक ऐसा अनुभव बनाता है, जो पहले कभी नहीं देखा गया।"
भारत और दुनियाभर के डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, क्योंकि Google ने अपनी सर्च इंडेक्सिंग (Search Indexing) नीतियों को कड़ा कर दिया है।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवेन्जिल्सिट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत और दुनियाभर के डिजिटल डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, क्योंकि Google ने अपनी सर्च इंडेक्सिंग (Search Indexing) पॉलिसीयों को कड़ा कर दिया है। यह बदलाव उन पब्लिशर्स के लिए खतरा बन सकता है, जो अपनी आमदनी के लिए विज्ञापन-आधारित मॉडल पर निर्भर हैं।
गूगल ने मार्च 2024 में अपनी ‘कोर अपडेट्स और नई स्पैम पॉलिसी’ जारी की थीं, जिसमें उन वेब पेजों की इंडेक्सिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो स्पॉन्सर्ड कंटेंट, प्रोडक्ट रिव्यू और SEO रैंकिंग के लिए कूपन का इस्तेमाल करते हैं। इस पॉलिसी के बाद, Forbes, Wall Street Journal और CNN जैसे दुनिया के शीर्ष डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स की सर्च विजिबिलिटी (खोज में दिखने की क्षमता) हाल के महीनों में काफी गिर गई है। कई भारतीय न्यूज पब्लिशर्स के ट्रैफिक में भी बीते छह महीनों में 25-30% की गिरावट देखी गई है।
सर्च विजिबिलिटी एनालिटिक्स फर्म Sistrix के अनुसार, इस गिरे हुए ट्रैफिक का वैश्विक स्तर पर कुल मूल्य कम से कम 7.5 मिलियन डॉलर (करीब 62 करोड़ रुपये) आंका गया है।
इन न्यूज पब्लिशर्स पर आरोप है कि वे थर्ड-पार्टी वेंडर्स के साथ मिलकर राजस्व उत्पन्न कर रहे थे। ये वेंडर्स इन पब्लिशर्स के लिए उनके डोमेन पर उनके ब्रांड नाम का उपयोग करते हुए संबद्ध व्यवसाय संचालित करते थे। इसमें भुगतान किए गए कंटेंट, उत्पाद समीक्षाएं, कूपन आदि शामिल थे।
प्रमुख अंग्रेजी और हिंदी अखबारों के डिजिटल हेड्स ने हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया, "डिस्काउंट कूपन और प्रायोजित लेख पिछले कुछ वर्षों में हमारे ट्रैफिक और राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रहे हैं। प्रायोजित कंटेंट हमारी कुल डिजिटल आय में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता था और कूपनों का योगदान 5-7 प्रतिशत था। इस तरह के कंटेंट को इंडेक्स करने पर प्रतिबंध लगने का मतलब है कि हम अपनी एक-तिहाई आय खोने के खतरे में हैं।"
'एक्सचेंज4मीडिया' को पता चला है कि जो मीडिया हाउस इन नई पॉलिसी का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं, उन्हें जुर्माने का नोटिस दिया गया है। यह झटका ऐसे समय में आया है जब प्रकाशक पहले से ही सर्च इंजनों द्वारा प्रदान किए गए एआई-ओवरव्यू के कारण ट्रैफिक में गिरावट से जूझ रहे हैं।
प्रभाव डालने वाले अपडेट
5 मार्च 2024 को, गूगल ने अब तक का सबसे लंबा और बड़ा कोर अपडेट और स्पैम पॉलिसी के अपडेट लॉन्च किया। इस अपडेट को पूरा होने में 52 दिन लगे और यह 19 अप्रैल को समाप्त हुआ। इन बदलावों के तहत, गूगल ने उन वेबसाइटों की रैंकिंग को काफी हद तक घटा दिया, जिन्हें उसने यह मानते हुए पहचाना कि वे वास्तविक पाठकों को मूल्य प्रदान करने के बजाय सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही थीं।
इस अपडेट की व्यापकता को गूगल के अपने ब्लॉग से समझा जा सकता है। “मार्च 2024 का कोर अपडेट हमारे सामान्य कोर अपडेट की तुलना में अधिक जटिल है, क्योंकि इसमें कई कोर सिस्टम में बदलाव शामिल हैं। यह इस बात का भी संकेत है कि हम कंटेंट की उपयोगिता की पहचान कैसे करते हैं, इसमें एक नया विकास हुआ है।”
"जिस तरह हम भरोसेमंद जानकारी की पहचान करने के लिए कई सिस्टम का उपयोग करते हैं, उसी तरह हमने अपने कोर रैंकिंग सिस्टम को बेहतर बनाया है ताकि विभिन्न नवीन सिग्नल और तरीकों का उपयोग करके अधिक उपयोगी परिणाम दिखाए जा सकें। अब केवल एक ही संकेतक या सिस्टम इसका आधार नहीं होगा, और हमने इस बदलाव को समझाने में मदद के लिए एक नया FAQ पेज भी जोड़ा है।"
चूंकि यह एक जटिल अपडेट है, इसका रोलआउट पूरा होने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है। यह संभव है कि रैंकिंग में पहले की तुलना में अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिले, क्योंकि विभिन्न सिस्टम पूरी तरह अपडेट होकर एक-दूसरे को मजबूत करेंगे। इस अपडेट के लिए क्रिएटर्स को कुछ नया या अलग करने की जरूरत नहीं है, बशर्ते कि वे पहले से ही लोगों के लिए संतोषजनक कंटेंट बना रहे हों।
पिछले साल 5 जून को, गूगल ने अपनी पॉलिसी को और अपडेट किया, जिसमें कहा गया कि वाइट-लेबल सेवाएं जो सर्च रैंकिंग में हेरफेर करने के लिए कूपन को पुनर्वितरित करती हैं, वे उसकी "साइट रेप्यूटेशन अब्यूज पॉलिसी" का उल्लंघन करती हैं। इस अपडेट में यह स्पष्ट किया गया कि प्रकाशनों को दंड से बचने के लिए सीधे व्यापारियों से कूपन प्राप्त करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
एक विशेषज्ञ के अनुसार, FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवालों) के पिछले संस्करण में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि प्रकाशनों को यह बताने की जरूरत है कि वे कूपन कहां से प्राप्त कर रहे हैं। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कूपन कंटेंट पाठकों के लिए वास्तविक मूल्य प्रदान करे और केवल सर्च रैंकिंग बढ़ाने की रणपॉलिसी न हो।
इस खबर पर गूगल की प्रतिक्रिया अब तक नहीं मिली थी, जब तक यह स्टोरी फाइल की गई। जैसे ही गूगल की प्रतिक्रिया मिलेगी, कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा।
चुनौतीपूर्ण समय
पब्लिशर्स की डिजिटल राजस्व से जुड़ी समस्या कई स्तरों पर फैली हुई है, जिनमें हर एक की अपनी जटिलताएं हैं। उदाहरण के लिए, एआई (AI) का प्रभाव बहुत बड़ा है, जैसा कि पिछले सप्ताह जारी की गई WARC रिपोर्ट में बताया गया है। रिपोर्ट में SEER Interactive के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा गया, "AI Overviews (AIOs) से पहले, पब्लिशर्स को गूगल सर्च में ऑर्गेनिक प्लेसमेंट से लगभग 4% क्लिक-थ्रू रेट (CTR) की उम्मीद होती थी। हालांकि, अब गूगल सर्च में 'नो-क्लिक' ट्रेंड बढ़ रहा है, जिसमें 58.5% अमेरिकी सर्च या तो बिना किसी और ऐक्शन के रह जाती हैं या फिर केवल दूसरी सर्च में बदल जाती हैं। सिर्फ एक छोटी संख्या – लगभग 36% सर्च ही ओपन वेब तक पहुंचती हैं।"
AI-संचालित सर्च और गूगल की नई पॉलिसीज का संयुक्त प्रभाव 2024 के दौरान ऑर्गेनिक विजिबिलिटी को कम करने और ऐड इंप्रेशन्स को घटाने का कारण माना जा रहा है।
इसके अलावा, CPM (Cost Per Mille) रेट्स भी सालों से नहीं बढ़े हैं, बल्कि घटे हैं। 1995 में, जब ऑनलाइन विज्ञापन इंडस्ट्री अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी, तब अमेरिका में वेब बैनर विज्ञापनों के लिए CPM दरें औसतन $75 (लगभग ₹3,000 उस समय) थीं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, साल 2000 में भारत में CPM (Cost Per Mille) दरें ₹250 से लेकर ₹1,000 या उससे अधिक तक होती थीं, जो वेबसाइट की लोकप्रियता पर निर्भर करती थीं। लेकिन वर्तमान में भारत में ऑनलाइन बैनर विज्ञापनों के लिए औसत CPM दरें ₹50 से ₹150 के बीच रह गई हैं, जो विज्ञापन के प्रारूप, प्लेटफॉर्म और लक्ष्यीकरण जैसी विभिन्न चीजों से प्रभावित होती हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "CPM दरों में गिरावट का मुख्य कारण ऑनलाइन विज्ञापन स्थानों की भारी वृद्धि है। नए वेब पोर्टल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के आने से विज्ञापन स्थानों की आपूर्ति बढ़ गई, जिससे पब्लिशर्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी और विज्ञापनदाताओं के लिए दरें सस्ती हो गईं।"
स्थिति को और खराब करने वाली बात यह है कि वर्षों से Click-Through Rates (CTR) भी घटी हैं, बजाय बढ़ने के। "ऑनलाइन विज्ञापन के शुरुआती दिनों में CTR बहुत अधिक था, कभी-कभी 40% तक पहुंच जाता था। इसकी वजह यह थी कि इंटरनेट विज्ञापन नई चीज थी और विज्ञापन की अधिकता नहीं थी। लेकिन आज, DVAP (Digital Video Advertising Platform) भी 0.3% CTR को स्वीकार्य मानता है। यह दिखाता है कि समय के साथ विज्ञापन की प्रभावशीलता कैसे घट गई है, जिसका मुख्य कारण विज्ञापन की अधिकता, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और 'एड फटीग' (ad fatigue) है," इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है।
एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया, "ट्रैफिक में यह गिरावट प्रोग्रामेटिक विज्ञापन को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से ट्रैफिक वॉल्यूम पर निर्भर करता है। जब विज्ञापन इंप्रेशंस कम होंगे, तो विज्ञापन से होने वाली कमाई भी कम हो जाएगी, जो उन पब्लिशर्स के लिए बड़ी चिंता की बात है, जो पहले से ही सीमित मार्जिन के साथ काम कर रहे हैं।"
बढ़ती प्रतिस्पर्धा और चुनौतियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि प्रकाशक अब केवल विज्ञापन से वित्तीय स्थिरता हासिल नहीं कर सकते। कई मीडिया संस्थान नई कमाई रणनीतियों की तलाश कर रहे हैं, जिनमें पेवॉल (Paywalls) और प्रीमियम मेंबर्सशिप्स (Premium Memberships), इवेंट होस्टिंग (Event Hosting), ब्रैंडेड कंटेंट (Branded Content) और नेटिव एडवरटाइजिंग (Native Advertising) शामिल हैं।
एक प्रकाशक ने कहा, "डेटा लाइसेंसिंग (Data Licensing) भी एक नया राजस्व स्रोत बन रहा है। कुछ प्रकाशक अपने उपभोक्ता इनसाइट्स (Consumer Insights) को एनोनिमाइज़्ड डेटा सेट्स (Anonymized Data Sets) के रूप में विज्ञापनदाताओं और मार्केटर्स को बेचकर कमाई कर रहे हैं।"
आगे की राह
Dalberg Advisors की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में डिजिटल न्यूज कंज्यूमर्स की संख्या 2026 तक 70 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, जो विभिन्न प्रारूपों में फैली होगी। भारतीय नागरिकों द्वारा न्यूज कंटेंट देखने में बिताया गया औसत समय 2020 में 44 मिनट प्रतिदिन से बढ़कर 2026 में 49 मिनट होने का अनुमान है, जिसमें डिजिटल न्यूज देखने में बिताया जाने वाला समय मुख्य रूप से इस वृद्धि को बढ़ावा देगा।
डिजिटल प्लेटफॉर्म ने हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन न्यूजों की पहुंच को भी आसान बना दिया है, और रिपोर्ट के अनुसार, इसका उपभोग अंग्रेजी न्यूजों की तुलना में 6-8 गुना तेजी से बढ़ने की संभावना है, चाहे वह दर्शकों की संख्या हो या न्यूज देखने में बिताया गया समय।
इन वृद्धि अनुमानों के बीच, यह स्पष्ट है कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के लिए विज्ञापन मॉडल में बड़े बदलाव आ रहे हैं।
एक मीडिया एग्जिक्यूटिव ने कहा, "इस नए युग में आगे बढ़ने के लिए, पब्लिशर्स को इनोवेशन अपनाना होगा, ऑडियंस एंगेजमेंट को प्राथमिकता देनी होगी और राजस्व स्रोतों में विविधता लानी होगी। जो लोग तेजी से और रणनीतिक रूप से खुद को अनुकूलित करेंगे, वे इन चुनौतियों का बेहतर सामना कर सकेंगे और विकसित होते डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में मजबूती से उभरेंगे।"
सीनियर मार्केटिंग प्रोफेशनल श्रीष्णा श्रीकिशन ने InMobi से विदाई ले ली है। वह यहां APAC की मार्केटिंग डायरेक्टर थीं।
सीनियर मार्केटिंग प्रोफेशनल श्रीष्णा श्रीकिशन ने InMobi से विदाई ले ली है। वह यहां APAC की मार्केटिंग डायरेक्टर थीं। लिंक्डइन पोस्ट के जरिए उन्होंने यह जानकारी साझा की है। श्रीकिशन ने इस एडटेक कंपनी के साथ अपनी यात्रा को याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने 2016 में एक इंटर्न के रूप में की थी।
लिंक्डइन पर उन्होंने लिखा, "एक इंटर्न के रूप में ताइवान से एक ऐसा रोबोट लाने की जिम्मेदारी से शुरुआत की, जो जकार्ता में एक इवेंट में मेहमानों का स्वागत करता था और फिर एक मार्केटिंग लीडर बनी, जिसने प्रसून जोशी को हमारे एक प्रोडक्ट पर मंच पर एक तात्कालिक दोहा रचते देखा - यह सफर किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रहा।"
श्रीकिशन 2016 में InMobi से एक मार्केटिंग इंटर्न के रूप में जुड़ीं और कंपनी में विभिन्न भूमिकाएं निभाते हुए प्रमोट होकर मार्केटिंग डायरेक्टर बनीं।
इससे पहले, वह Cafebond में एक मार्केटिंग इंटर्न के रूप में और Oracle में एक एसोसिएट कंसल्टेंट के रूप में कार्य कर चुकी हैं।