16 साल से कम उम्र वालों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार करे सरकार: मद्रास हाईकोर्ट

देश के बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम सुझाव दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह कोई कानून बनाने पर विचार करें

Last Modified:
Saturday, 27 December, 2025
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देश के बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम सुझाव दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह कोई कानून बनाने पर विचार करें, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक हो।

यह टिप्पणी जस्टिस जी. जयचंद्रन और जस्टिस के.के. रामकृष्णन की बेंच ने 2018 में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की। इस याचिका में बच्चों तक अश्लील कंटेंट की आसान पहुंच का मुद्दा उठाया गया था। कोर्ट ने कहा कि बच्चों से जुड़ा आपत्तिजनक और यौन शोषण वाला कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है और मौजूदा नियम इसे रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया और मोबाइल इंटरनेट के जरिए बच्चे ऐसे कंटेंट के संपर्क में आ रहे हैं जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खतरनाक है। इसी वजह से देश में इस बात पर गंभीर बहस होनी चाहिए कि क्या बच्चों के लिए सोशल मीडिया की उम्र सीमा तय की जानी चाहिए।

ऑस्ट्रेलिया मॉडल का दिया हवाला

मद्रास हाईकोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया के हालिया कानून का उदाहरण दिया, जहां सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की न्यूनतम उम्र 16 साल तय की गई है। खास बात यह है कि वहां उम्र जांच की जिम्मेदारी माता-पिता पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डाली गई है। कोर्ट का मानना है कि ऐसा कानून भारत में भी बच्चों को गलत और नुकसानदेह कंटेंट से बचाने में मदद कर सकता है।

मौजूदा नियम नाकाफी

कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद मोबाइल और इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री आसानी से उपलब्ध है। आईटी नियम 2021 भी इस समस्या को पूरी तरह नहीं रोक पाए हैं। जजों ने चिंता जताई कि इस तरह का कंटेंट बच्चों को गलत रास्ते पर ले जा सकता है और वे खुद शोषण का शिकार भी बन सकते हैं।

माता-पिता को भी ताकत देने की जरूरत

कोर्ट ने सिर्फ बैन की बात नहीं की बल्कि यह भी कहा कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को ऐसे टूल देने चाहिए, जिससे माता-पिता बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रख सकें और जरूरत पड़ने पर उसे रोक सकें। साथ ही राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार आयोगों से भी मिलकर ठोस कदम उठाने की अपील की गई।

कुल मिलाकर, हाईकोर्ट का मानना है कि बच्चों को डिजिटल दुनिया के खतरों से बचाने के लिए सख्त कानून, तकनीकी उपाय और माता-पिता की भूमिका तीनों जरूरी हैं।

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Gmail यूजर्स अब बिना नया अकाउंट बनाए बदल सकेंगे अपना ईमेल एड्रेस

गूगल ने हाल ही में एक नया फीचर पेश किया है, जिससे अब यूजर्स अपना मौजूदा @gmail.com एड्रेस बदल सकते हैं

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Saturday, 27 December, 2025
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गूगल ने ऐसे जीमेल (Gmail) यूजर्स को खुशखबरी दी है, जो अपने पुराने शर्मनाक यूजर्स में फंसे हुए हैं। गूगल ने हाल ही में एक नया फीचर पेश किया है, जिससे अब यूजर्स अपना मौजूदा @gmail.com एड्रेस बदल सकते हैं और सभी डेटा और सर्विसेज वहीँ बनी रहेंगी।

हालांकि, यह नया ऑप्शन अभी गूगल की हिंदी सपोर्ट पेज पर दिख रहा है, जिससे अंदाजा लगता है कि यह पहले भारत या हिंदी भाषी मार्केट्स में रोल आउट होगा। धीरे-धीरे यह फीचर सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा, लेकिन पूरी तरह ग्लोबल रोल आउट में कुछ समय लग सकता है।

कैसे काम करेगा नया फीचर:

  • पुराने एड्रेस को बदलने के बाद भी यह ऑटोमैटिकली एलियास (alias) की तरह काम करेगा। यानी पुराने एड्रेस पर आने वाले ईमेल सीधे आपके नए इनबॉक्स में आएंगे।

  • नया Gmail एड्रेस बदलने के बाद भी आप पुराने एड्रेस से Google Drive, Maps, YouTube जैसी सर्विसेज में लॉगिन कर सकते हैं।

  • पहले नया Gmail एड्रेस लेने के लिए पूरी नई अकाउंट बनानी पड़ती थी और डेटा मैन्युअली ट्रांसफर करना पड़ता था, जो काफी झंझट वाला काम था। अब ऐसा करने की जरूरत नहीं।

कुछ नियम और सीमाएं:

  • एक बार नया Gmail एड्रेस चुनने के बाद, अगले 12 महीनों तक आप दूसरा नया एड्रेस नहीं बना पाएंगे।

  • नया चुना गया एड्रेस डिलीट नहीं किया जा सकता।

  • पुराने एड्रेस को कभी भी दोबारा यूज किया जा सकता है।

गूगल ने अभी तक इस बदलाव के लिए कोई आधिकारिक प्रेस रिलीज या घोषणा नहीं की है, लेकिन यह फीचर यूजर फोरम और टेक कम्युनिटीज में पहले ही खोजा जा चुका है।

इस नए फीचर के साथ, अब यूजर्स अपने पुराने, अजीब लगे ईमेल एड्रेस को बदलकर एक नया, प्रोफेशनल एड्रेस बना सकते हैं, बिना किसी डेटा या सेटिंग खोए।

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बदलते दौर में बदलाव या नई तकनीक समस्या नहीं, सबसे बड़ा सवाल भरोसे का है: भूपेंद्र चौबे

'एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट 2025' में कीनोट स्पीच देते हुए The Squirrels के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ भूपेंद्र चौबे ने कहा कि भारतीय मीडिया के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती भरोसा और विश्वसनीयता है।

Last Modified:
Monday, 15 December, 2025
BhupendraChaube451

'एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट 2025' (e4m NewsNext Summit 2025) में कीनोट स्पीच देते हुए The Squirrels के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ भूपेंद्र चौबे ने कहा कि भारतीय मीडिया के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती भरोसा और विश्वसनीयता है। उनका कहना था कि समस्या पुराने प्लेटफॉर्म के खत्म होने की नहीं बल्कि तेजी से बदलते और लोकतांत्रित कंटेंट इकोसिस्टम में खुद को ढालने में विफलता की है।

भूपेंद्र चौबे ने यह बताते हुए कि हर साल इंडस्ट्री फोरम में वही सवाल क्यों दोहराए जाते हैं, कहा, “सिर्फ एक बात में कहें तो यह भरोसे और विश्वसनीयता की चुनौती है।” उन्होंने जोड़ा कि यह चुनौती किसी भी फॉर्मेट या प्लेटफॉर्म में मीडिया व्यवसाय को लगातार परेशान करती रहती है।

अपने करियर के अनुभव से चौबे ने बताया कि टीवी से अलग होने का उनका फैसला क्यों लिया। उन्होंने NDTV और Network18 में लगभग दो दशकों तक काम किया और CNN-News18 का नेतृत्व भी किया। उन्होंने कहा, “मैं उन पत्रकारों में से हूं जिन्होंने टीवी से अलग होने का फैसला किया, समस्याओं की पहचान की और अपना रास्ता खुद तय किया।” उन्होंने मीडिया में उद्यमिता को फायदेमंद लेकिन बेहद चुनौतीपूर्ण बताया।

मीडिया स्टार्टअप्स के बारे में रोमांटिक सोच पर भूपेंद्र चौबे ने कहा, “स्टार्टअप्स अच्छी हेडलाइन बनाते हैं, लेकिन असली टेस्ट यही है। यह आपको चुनौती देते हैं और आपको बाहर सोचकर समाधान खोजने पर मजबूर करते हैं।” उनके अनुसार, यही प्रयोग करने की इच्छा नए जमाने के मीडिया और पुराने संस्थानों में मूलभूत अंतर बनाती है।

आधुनिक पत्रकारिता में तकनीक को दिल में रखते हुए भूपेंद्र चौबे ने कहा, “मीडिया का वर्तमान तकनीक का है।” उन्होंने याद दिलाया कि अपने करियर की शुरुआत में वे पूरे प्रोडक्शन यूनिट के साथ एक कहानी पर पूरे महीने काम कर सकते थे, जो आज के मार्केट-ड्रिवन सिस्टम में संभव नहीं है।

टीवी या न्यूज बिजनेस के टूटने वाली धारणा को अस्वीकार करते हुए चौबे ने कहा कि सत्ता बस स्थानांतरित हो गई है। उन्होंने कहा, “आज यूट्यूबर के पास जो ताकत है, वह किसी स्टूडियो में बैठे व्यक्ति से अधिक हो सकती है।” उन्होंने जोड़ा कि असली कंटेंट वाले विश्वसनीय कहानीकार अब पारंपरिक ब्रॉडकास्ट की ताकत के बराबर या कभी-कभी उससे अधिक प्रभावशाली हैं।

उन्होंने कहा कि मात्रा आधारित पत्रकारिता का दौर खत्म हो गया है। “पहले यह मायने रखता था कि आप कितनी खबरें बनाते हैं। आज फोकस यह है कि कंटेंट किसी के समय के योग्य है या नहीं।” भूपेंद्र चौबे ने Soch और Think School जैसे प्लेटफॉर्म्स का उदाहरण देते हुए बताया कि उच्च गुणवत्ता और जानकारी-आधारित कहानी कहने के तरीके दर्शकों की उम्मीदों को बदल रहे हैं।

न्यूजरूम गेटकीपिंग पर बात करते हुए भूपेंद्र चौबे ने कहा, “वह दौर खत्म हो गया जब पांच एडिटर मिलकर बड़ी हेडलाइन तय करते थे।” उन्होंने जोड़ा कि महत्वपूर्ण राजनीतिक और पॉलिसी डिस्कोर्स धीरे-धीरे टीवी स्टूडियो से हटकर डिजिटल-फर्स्ट फॉर्मेट्स की ओर बढ़ रहे हैं, जैसे अमेरिका और यूरोप में हो रहा है।

ओपिनियन-आधारित प्रोग्रामिंग पर भूपेंद्र चौबे ने साफ कहा, “राय सस्ती और मुफ्त है।” उनका कहना था कि दर्शक अब ऐसे कंटेंट में समय खर्च नहीं करना चाहते, जिसमें केवल टिप्पणी हो और जानकारी या डेटा-आधारित मूल्य न हो।

उन्होंने यह भी बताया कि कंटेंट देखने के तरीके में मूलभूत बदलाव आया है। “आप कार या मेट्रो में बैठे हुए स्क्रॉल कर रहे हैं,” चौबे ने कहा, और यह बताया कि अगर कंटेंट वर्टिकल, मोबाइल-फर्स्ट फीड्स में ध्यान नहीं खींचता तो पुराने क्रेडेंशियल और पदनाम कोई सुरक्षा नहीं देते।

अपनी स्पीच का समापन करते हुए भूपेंद्र चौबे ने मीडिया की गलत प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया। उन्होंने हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की एयर क्वालिटी पर टिप्पणी का हवाला देते हुए पूछा, “कैसे संभव है कि 800 न्यूज चैनलों वाले देश में ऐसी बात कही जा सकती है और यह हमें नाराज नहीं करता?” उन्होंने इंडस्ट्री से आग्रह किया कि वह यह सोचें कि बुनियादी मुद्दों जैसे साफ हवा पर नाराजगी क्यों नहीं दिखाते, जबकि कम महत्वपूर्ण विषयों पर आसानी से गुस्सा फैलाया जाता है।

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वरिष्ठ पत्रकार पंकज कपाही ने शुरू किया अपना डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म ‘Punjab First Voice’

अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू करने से पहले वह ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (Living India News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

Last Modified:
Thursday, 11 December, 2025
Pankaj Kapahi

पंजाबी मीडिया के जाने-माने चेहरे और वरिष्ठ पत्रकार पंकज कपाही ने करीब 15 साल टीवी की दुनिया में काम करने के बाद ‘पंजाब फर्स्ट वॉइस’ (Punjab First Voice) नाम से अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है।

पंकज के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत में ही उन्होंने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का धमाकेदार इंटरव्यू कर पंजाब में नई सियासी हलचल फैलाई, जिसको बाद में तमाम टीवी चैनल ने फॉलो किया

समाचार4मीडिया से बातचीत में पंकज ने बताया कि मशहूर गायक मनकीरत औलख, बॉलीवुड सुपर स्टार शाहिद कपूर, दिग्गज अदाकार पंकज कपूर उनकी पत्नी सुप्रिया पाठक,  गुरप्रीत gughi जैसे दिग्गज कलाकार ‘पंजाब फर्स्ट वॉयस’ के मंच पर इंटरव्यू देने आए। इसके साथ ही पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा के बेटे की मौत के बाद सबसे पहले मुस्तफा का इंटरव्यू कर अन्य चैनल्स से बाजी मार ली।

बता दें कि पंकज कपाही को मीडिया में काम करने का काफी अनुभव है। अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू करने से पहले वह ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (Living India News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

समाचार4मीडिया से बातचीत में पंकज ने बताया कि वर्ष 2010 से 2017 तक वह दिल्ली में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में रहकर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सियासी गतिविधियों के साथ-साथ संसद और केंद्र सरकार की इन राज्यों से जुड़ी रिपोर्टिंग की।

वर्ष 2017 में उन्होंने दिल्ली में ‘न्यूज18’ जॉइन किया और वर्ष 2020 से चंडीगढ़ में इस चैनल के साथ पंजाब सरकार से संबंधित कई बड़ी खबरों की कवरेज की। उन्होंने किसान आंदोलन, दिल्ली दंगे, और कोविड-19 जैसी घटनाओं की ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्टिंग की।

अपने अब तक के करियर में वह वर्ष 2012, 2017 और  2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव और वर्ष 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों की विस्तृत और जमीनी कवरेज कर चुके हैं। इसके साथ ही राजनीति के मैदान में उन्होंने राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भगवंत मान, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, प्रकाश सिंह बादल, चरणजीत सिंह चन्नी जैसे कई दिग्गज नेताओं के इंटरव्यू भी किए हैं।

समाचार4मीडिया की ओर से पंकज कपाही को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई औऱ शुभकामनाएं।

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'न्यूज24' के हिंदी डिजिटल विंग से जुड़े शारिकुल होदा

जी मीडिया को हाल ही में अलविदा कहने वाले पत्रकार शारिकुल होदा (शारिक) ने अब नई मंजिल तलाश ली है।

Last Modified:
Tuesday, 09 December, 2025
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जी मीडिया को हाल ही में अलविदा कहने वाले पत्रकार शारिकुल होदा (शारिक) ने अब नई मंजिल तलाश ली है। वह अब 'न्यूज24' के हिंदी डिजिटल विंग के साथ सीनियर सब एडिटर के तौर पर जुड़ गए हैं।

बता दें कि जी मीडिया में उनकी पारी 6 साल लंबी चली। वो जीन्यूजडॉटकॉम (zeenews.com) में बतौर सीनियर सब एडिटर के पद पर कार्यरत थे। इस संस्थान में वो स्पोर्ट्स, हेल्थ, लाइफस्टाइल, ट्रैवल और रिलेशनशिप सेक्शन को लीड कर चुके हैं।  

नवंबर 2019 में शारिक ने जी मीडिया में बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर जॉइन किया था। जहां उन्होंने इंग्लिश टू हिंदी लाइव ट्रांस्लेशन की जिम्मेदारी संभाली। सिर्फ 4 महीने के भीतर उन्हें जीन्यूजडॉटकॉम की वेबसाइट में शिफ्ट होना पड़ा। कोरोना वायरस महामारी के मुश्किल वक्त में उन्होंने स्पोर्ट्स डेस्क को लीड किया। बाद में उन्हें हेल्थ, लाइफस्टाइल, ट्रैवल और रिलेशनशिप सेक्शन को हेड किया। जरूरत पड़ने पर वो नेशनल और इंटरनेशनल सेक्शन की न्यूज भी लिखते थे।  

शारिक के लिए स्पोर्ट्स उनका फेवरेट सेक्शन रहा है। साल 2008 में उन्होंने दूरदर्शन में बतौर इंटर्न अपने मीडिया करियर की शुरुआत की थी, फिर दैनिक जागरण, टीवी टुडे नेटवर्क, श्री न्यूज, स्पोर्ट्सकीड़ा, WION जैसे ऑर्गेनाइजेशन में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं

शुरुआत में उन्होंने अखबार और टेलिविजन में तजुर्बा हासिल किया, लेकिन बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपने करियर को स्विच कर लिया।

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The Printers Mysore में राहुल चंदाना बने डिजिटल के AGM , नॉर्थ व ईस्ट रीजन की संभाली कमान

The Printers Mysore ने राहुल चंदाना की नियुक्ति की है। कंपनी ने उन्हें डिजिटल का असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) बनाया है।

Last Modified:
Monday, 08 December, 2025
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'डेक्कन हेराल्ड' व 'प्रजावाणी' के स्वामित्व वाली कंपनी The Printers Mysore ने राहुल चंदाना की नियुक्ति की है। कंपनी ने उन्हें डिजिटल का असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) बनाया है। वह नॉर्थ और ईस्ट रीजन में डिजिटल बिजनेस को मजबूत करने, क्लाइंट्स के साथ बेहतर रिश्ते बनाने और मार्केट में ग्रोथ बढ़ाने पर काम करेंगे।

राहुल चंदाना मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में लंबे समय से जुड़े हैं। इससे पहले वह बिजनेस स्टैंडर्ड में डिजिटल, प्रिंट और इवेंट्स के रीजनल लीड के तौर पर काम कर रहे थे, जहां उन्होंने बड़े क्लाइंट्स को संभाला और कई इंटीग्रेटेड कैंपेन सफलतापूर्वक डिलीवर किए।

नई भूमिका को लेकर चंदाना ने कहा कि यह बदलाव उनके करियर के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है। वे अपनी डिजिटल और क्रॉस-मीडिया एक्सपर्टीज के ज़रिए कंपनी के लिए नए अवसर तैयार करना चाहते हैं और क्लाइंट्स को और बेहतर समाधान देना चाहते हैं।

इस नियुक्ति के साथ उम्मीद है कि The Printers Mysore की डिजिटल स्ट्रैटेजी नॉर्थ और ईस्ट मार्केट में और मजबूत होगी।

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EU ने एलन मस्क के X पर लगाया $140 मिलियन का जुर्माना, इन नियमों के उल्लंघन का लगा आरोप

यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है।

Last Modified:
Saturday, 06 December, 2025
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यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई DSA के तहत अब तक की सबसे कड़ी प्रवर्तन कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।

इस फैसले की घोषणा शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को की गई। यह दो साल की जांच के बाद आया है, जिसमें यूरोपीय संघ ने देखा कि X प्लेटफॉर्म यूजर सुरक्षा, कंटेंट मॉडरेशन और पारदर्शिता संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहा था।

आयोग के अनुसार, X ने तीन मुख्य पारदर्शिता नियमों का उल्लंघन किया।

सबसे बड़ी चिंता रही प्लेटफॉर्म का ब्लू चेकमार्क सिस्टम, जिसे यूरोपीय नियामकों ने 'भ्रामक डिजाइन' कहा। उनका कहना है कि यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी और गलत जानकारी के लिए उजागर करता है और सीधे DSA के कंज्यूमर प्रोटेक्शन नियमों का उल्लंघन करता है।

इसके अलावा आयोग ने पाया कि X का एडवरटाइजिंग ट्रांसपेरेंसी डेटाबेस अधूरा था और अनिवार्य खुलासे के मानक पूरे नहीं करता था। कंपनी ने शोधकर्ताओं को सार्वजनिक डेटा तक आवश्यक स्तर की पहुँच भी नहीं दी, जिससे प्लेटफॉर्म के जोखिमों का अध्ययन करना मुश्किल हो गया, यह भी DSA का एक मूल नियम है।

यह जुर्माना यूरोप की डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी और यूजर सुरक्षा, पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने की नीति को फिर से स्पष्ट करता है।

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सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट रोकने के लिए नए नियम लगभग तैयार, केंद्र ने SC को दी जानकारी

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है।

Last Modified:
Saturday, 29 November, 2025
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केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है। सरकार ने कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा है ताकि इन नए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देकर लोगों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से सुझाव लिए जा सकें।

यह मामला उस समय सुना गया जब चीफ जस्टिस डीवाई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच यूट्यूबर्स रणवीर अल्लाहबादिया, आशीष चंचलानी और अन्य के खिलाफ दर्ज कई FIR वाले मामलों की सुनवाई कर रही थी। इन यूट्यूबर्स पर “India’s Got Latent” नाम के विवादित शो में कथित रूप से अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के आरोप हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून शायद आज की ऑनलाइन दुनिया के हिसाब से पुराने हो चुके हैं और इन्हें अपडेट करने की जरूरत है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज कोई भी व्यक्ति यूट्यूब चैनल खोलकर कुछ भी कह देता है और कानून उसके खिलाफ कुछ कर नहीं पाता। उन्होंने कहा कि गलत कामों पर रोक लगाना प्राथमिकता होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार यह भी सोचे कि क्या ऑनलाइन कंटेंट पर नजर रखने के लिए कोई स्वतंत्र रेगुलेटरी बॉडी बनाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर बिना किसी जवाबदेही के सब कुछ ऑनलाइन दिखाया या बोला जाएगा तो इसका परिणाम क्या होगा?

कोर्ट ने यह भी कहा कि फोन ऑन करने पर कई बार ऐसा कंटेंट सामने आ जाता है जिसे लोग देखना ही नहीं चाहते। ऐसे कंटेंट को रोकने के लिए भी कोई ठोस तरीका होना चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों पर की जा रही अपमानजनक बातों पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जैसे SC/ST समुदाय के लिए कड़े कानून हैं, वैसे ही दिव्यांग लोगों का अपमान रोकने के लिए भी सख्त कानून होना चाहिए। कोर्ट ने सवाल किया कि “अगर सोशल मीडिया पर संवेदनशील मुद्दों का मजाक उड़ाया जाएगा तो दिव्यांग लोगों की रक्षा कौन करेगा?”

यह पूरा मामला तब उठा जब पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज सिंह, सोनाली ठाक्कर और निशांत तंवर को एक SMA से पीड़ित दो महीने के बच्चे का मजाक उड़ाने पर कड़ी फटकार लगाई थी। अगस्त में कोर्ट ने इन सभी को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया था।

Cure SMA Foundation of India की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि सोशल मीडिया पर अश्लील और हानिकारक कंटेंट पर रोक के लिए दिशा-निर्देश बनाना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार (Article 19) किसी भी व्यक्ति की गरिमा (Article 21) से ऊपर नहीं हो सकता।

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Ei Samay ने लॉन्च किए दो नए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स

प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)।

Last Modified:
Wednesday, 26 November, 2025
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प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)। इसका मकसद ब्रैंड को मल्टी-भाषा डिजिटल न्यूज स्पेस में विस्तारित करना है।

इन दोनों प्लेटफॉर्म का मुख्य लक्ष्य पाठकों को बिना किसी भेदभाव, बिना फिल्टर और पूरी स्वतंत्रता के साथ खबरें पेश करना है। News Ei Samay (newseisamay.com) और Samachar Ei Samay (samachareisamay.com) खासकर युवा प्रोफेशनल्स, छात्रों और डिजिटल-प्राथमिकता वाले पाठकों के लिए डिजाइन किए गए हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी और हिंदी में भरोसेमंद और इमर्सिव न्यूज अनुभव मिल सके।

Ei Samay के मेंटर संजय बसु ने कहा, "News Ei Samay और Samachar Ei Samay के लॉन्च के साथ, हम टेक-ड्रिवन डिजिटल जर्नलिज़्म के नए दौर में कदम रख रहे हैं, जो हमारे पाठकों की बदलती उम्मीदों को दर्शाता है। यह प्लेटफॉर्म हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है कि हम हर भाषा में, हर स्क्रीन पर, हर समय गुणवत्तापूर्ण खबरें उपलब्ध कराएं।"

चीफ एडिटर हिरक बंद्योपाध्याय की निगरानी में, News Ei Samay और Samachar Ei Samay में अनुभवी पत्रकारों और विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है। अंग्रेजी प्लेटफॉर्म में 17 और हिंदी प्लेटफॉर्म में 15 पत्रकार विभिन्न क्षेत्रों की खबरों को कवर करेंगे।

यह कदम Ei Samay के डिजिटल विस्तार और भरोसेमंद, रोचक और उच्च गुणवत्ता वाली न्यूज़ उपलब्ध कराने के मिशन को और मजबूत करता है।

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संसदीय समिति PCI से पूछेगी: क्रिएटर्स व इन्फ्लुएंसर्स पर फेक न्यूज रोकने के उपाय

संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है।

Last Modified:
Saturday, 22 November, 2025
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संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति 24 नवंबर को बैठक करेगी, जिसमें भारत के मीडिया नियमों और ढांचे का आकलन किया जाएगा।

बैठक का मुख्य फोकस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के प्रस्ताव पर रहेगा, ताकि डिजिटल क्रिएटर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और अन्य ऑनलाइन कंटेंट निर्माता भी इसके दायरे में आएं और गलत सूचना (misinformation) को रोकने में मदद मिल सके।

प्रेस काउंसिल के अधिकारी प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी राय पेश करेंगे, जो प्रभावशाली डिजिटल आवाजों को पहली बार औपचारिक रूप से नियंत्रित करने का लक्ष्य रखते हैं। इसके अलावा, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की ओर से सबमिशन और साक्ष्य भी समिति में विचार के लिए रखे जाएंगे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, सांसद बैठक में ऑनलाइन क्रिएटर्स की जवाबदेही, नियमों का पालन और निगरानी की जरूरत पर भी समीक्षा करेंगे, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैल रही गलत सूचनाओं पर काबू पाया जा सके।

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ऑनलाइन कंटेंट में ‘अश्लीलता’ की स्पष्ट परिभाषा देने वाले नए नियम लाएगी सरकार!

केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

Last Modified:
Saturday, 22 November, 2025
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केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इस मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि 'अश्लील' और अन्य अस्वीकार्य या अवैध डिजिटल कंटेंट क्या होगा। The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए तैयार किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव सभी डिजिटल कंटेंट- सोशल मीडिया, OTT स्ट्रीमिंग सर्विस और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म पर लागू होगा और इसमें 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट से लिए गए व्यापक प्रतिबंध शामिल हैं।

इस नोट को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वकील ने इस सप्ताह चल रहे मुकदमे में पक्षकारों को भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल पहले सरकार से कहा था कि ऑनलाइन कंटेंट के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।

IT Rules पहले से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देशित करते हैं कि वे अश्लील, पोर्नोग्राफिक, बाल उत्पीड़न, किसी की निजता का उल्लंघन, लिंग या जातीय आधार पर अपमानजनक या उत्पीड़न करने वाला, मनी लॉन्ड्रिंग या जुआ बढ़ावा देने वाला कंटेंट न दिखाएं। अब सरकार का प्रस्ताव अगर सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी पाता है, तो इसमें 'अश्लील डिजिटल कंटेंट' की स्पष्ट परिभाषा और नियमों के कोड ऑफ एथिक्स में बदलाव शामिल होगा। यह बदलाव IT Act की Section 67, केबल TV एक्ट और IPC के आधार पर होगा।

डिजिटल अधिकारों की वकील मिशी चौधरी ने The Hindu से कहा कि यह मूल रूप से केबल TV प्रोग्राम कोड को डिजिटल मीडिया में लागू करने जैसा है। उनका कहना है कि यह भारत में डिजिटल कंटेंट के लिए अब तक का सबसे व्यापक नियामक बदलाव होगा।

सिनेमैटोग्राफ एक्ट के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री को 'सार्वजनिक प्रदर्शन योग्य' होना चाहिए। यह शर्त केवल स्ट्रीमिंग सर्विस पर लागू होगी, सोशल मीडिया पर नहीं।

कोड ऑफ एथिक्स के तहत प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि कंटेंट में अश्लीलता, अपराध को बढ़ावा देने वाला संदेश, आपत्तिजनक या अपमानजनक दृश्य/शब्द, या किसी जातीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह का अपमान न हो। इसमें कुल 17 प्रकार के प्रतिबंध शामिल हैं।

हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने IT Rules के कुछ नियमों पर रोक लगा रखी है और अब यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए है। मिशी चौधरी के अनुसार, नोट इन रोकी गई नियमावली को फिर से लागू करने की कोशिश करता है।

सरकार का प्रस्ताव यह भी कहता है कि कंटेंट के कोड का उल्लंघन हुआ या नहीं, इसका निर्णय 'कम्युनिटी स्टैंडर्ड टेस्ट' के आधार पर होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि क्या समकालीन सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से कंटेंट किसी की कामुक रुचि को भाता है या नहीं। साहित्यिक, वैज्ञानिक, कला या राजनीतिक मूल्य वाली सामग्री इस कोड से बाहर रहेगी।

यह प्रस्ताव कॉमेडियन समय रैना के विवादित जोक के बाद आया है, जब उनके YouTube चैनल का एक भाग सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि नियम तैयार करते समय अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन न हो, लेकिन उचित प्रतिबंध भी सुनिश्चित किए जाएं।म

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