युवा पत्रकार मोहम्मद जुनैद अख्तर ने 'उत्तर प्रदेश टाइम्स' से की नई शुरुआत

यहां उन्होंने डिजिटल टीम में जॉइन किया है। जुनैद अख्तर पूर्व में 'अमर उजाला' और 'नवोदय टाइम्स' जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 23 January, 2024
Last Modified:
Tuesday, 23 January, 2024
Juned Akhtar


युवा पत्रकार मोहम्मद जुनैद अख्तर ने 'उत्तर प्रदेश टाइम्स' (डिजिटल) से मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है।  

जुनैद अख्तर को मीडिया में काम करने का करीब दस साल का अनुभव है। उन्होंने वर्ष 2013 में ‘अमर उजाला’ गाजियाबाद से पत्रकारिता की शुरुआत की थी, जहां उन्होंने करीब एक साल कार्य किया।

इसके बाद वर्ष 2014 में ‘नवोदय टाइम्स‘ के लिए रेलवे, स्पोर्ट्स और एजुकेशन की बीट कवर की। करीब एक साल बाद 2015 उनका ट्रांसफर गाजियाबाद से दिल्ली हो गया। दिल्ली में उन्होंने मुस्लिम बीट और जंतर मंतर पर कई बड़े धरना प्रदर्शन कवर किए।

वर्ष 2016 में जुनैद अख्तर नोएडा आ गए। यहां उन्होंने क्राइम बीट पर लगातार करीब तीन साल काम किया। वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्हें क्राइम के अलावा गौतमबुद्ध नगर की तीनों प्राधिकरण और दूसरी बीट भी कवर करने का मौका मिला।

जुनैद अख्तर अब ‘उत्तर प्रदेश टाइम्स’ की डिजिटल टीम से जुड़ गए हैं। समाचार4मीडिया की ओर से जुनैद अख्तर को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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एलन मस्क ने पेश किया xAI का लेटेस्ट मॉडल Grok 4, जानिए इसकी खासियत

जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है।

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Published - Thursday, 10 July, 2025
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Thursday, 10 July, 2025
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जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है। आज X (पूर्व ट्विटर) पर एक लाइवस्ट्रीम के जरिए Grok 4 लॉन्च किया गया, जो उन्नत रीजनिंग, कोड जनरेशन, मीम इंटरप्रिटेशन और रियल टाइम डेटा इंटीग्रेशन जैसी क्षमताओं का वादा करता है।

दिलचस्प बात यह है कि Grok 4 ने वर्जन 3.5 को पूरी तरह स्किप करते हुए सीधे इस नए एडवांस्ड रूप में छलांग लगाई है। इसे xAI के Colossus Supercomputer पर ट्रेन किया गया है। मस्क का दावा है कि यह “वैज्ञानिक स्तर” की सोच रखने वाला मॉडल है और इसने पहले ही Google के Gemini 2.5 Pro और OpenAI के o3 को Humanity’s Last Exam और ARC-AGI-2 जैसे रीजनिंग बेंचमार्क्स में पछाड़ दिया है। सीधे शब्दों में कहें तो, Grok 4 केवल बातचीत करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने, कोड लिखने और शायद आपकी स्ट्रैटेजी प्रेजेंटेशन में मीम डालने के लिए भी बना है।

Grok 4 की मल्टीमोडल क्षमताएं और भी मजबूत हुई हैं। यह अब टेक्स्ट, इमेज और भविष्य में शायद वीडियो भी समझ और जनरेट कर सकता है। इसमें मीम्स को पढ़ने और बनाने की भी क्षमता है, जो मस्क के उस विश्वास को दर्शाता है कि “मीम आज के जमाने के हाइरोग्लिफिक्स (चित्रलिपि) हैं।” इसके अलावा Grok 4 में एक persistent personality फीचर जोड़ा गया है, जिससे यह पहले के संवादों को याद रख सकता है और ज्यादा पर्सनलाइज्ड जवाब दे सकता है। साथ ही, इसमें DeepSearch के जरिए वेब और X से रियल-टाइम डेटा एक्सेस की सुविधा भी है।

इस नए संस्करण में सबसे चर्चित चीज है $300 प्रति माह वाला “SuperGrok Heavy” टियर, जिसमें इसके सबसे शक्तिशाली multi-agent model तक जल्दी पहुंच और विस्तृत क्षमताएं मिलती हैं। यह कीमत शायद कुछ विज्ञापनदाताओं को परेशान कर सकती है, लेकिन यह मस्क की xAI की प्रीमियम पोजिशनिंग को लेकर आत्मविश्वास दिखाती है।

9 जुलाई 2025 तक जहां Perplexity $14 अरब के वैल्यूएशन के साथ अपनी योजनाएं बना रहा है और OpenAI अपने ब्राउजर रूपी ट्रोजन हॉर्स पर काम कर रहा है, वहीं मस्क की xAI भी पीछे नहीं है। Grok को सीधे X प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करके xAI खुद को सिर्फ एक और चैटबॉट नहीं, बल्कि AI रीजनिंग, पॉप-कल्चर ट्रेंड्स और सोशल बातचीत के बीच एक सक्रिय सेतु के रूप में पेश कर रहा है।

हालांकि, इस राह में चुनौतियां भी हैं। हाल ही में Grok पर कुछ विवादास्पद और यहूदी विरोधी कंटेंट सामने आया था, जिसके बाद xAI को तत्काल सुधार और स्पष्टीकरण देने पड़े। मस्क की ‘कम सेंसरशिप’ की पॉलिसी कुछ लोगों को पसंद आ सकती है, लेकिन ब्रैंड सुरक्षा और कंटेंट विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं, जिस पर विज्ञापनदाता और मीडिया प्लानर कड़ी नजर रखेंगे।

जहां OpenAI का ब्राउजर एक प्रोऐक्टिव कंसीयर्ज बनना चाहता है और Perplexity का Comet एक सौम्य एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट की तरह है, वहीं Grok 4 उस पार्टी गेस्ट की तरह लगता है जो कभी आपका कोड फिक्स कर सकता है तो कभी पेपे मीम और साजिशों वाले जोक्स छोड़ सकता है।

AI की दुनिया में जहां पहले से ही ओवरलॉर्ड्स, मल्टीटास्कर और कैओस एजेंट भरे पड़े हैं, वहां Grok 4 एक जोरदार घोषणा है कि ये रेस केवल IQ पॉइंट्स और बेंचमार्क्स की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, सांस्कृतिक समझ और मीम-लिटरेसी की भी है। 

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सट्टा ऐप्स के प्रमोशन में शामिल 29 सेलिब्रिटी ED की जांच के घेरे में, मनी लॉन्ड्रिंग का शक

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

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Published - Thursday, 10 July, 2025
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Thursday, 10 July, 2025
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें लोकप्रिय फिल्मीं सितारे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और टीवी पर्सनैलिटीज शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच की जद में जिन नामों का उल्लेख किया गया है, उनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, हर्षा साई और श्रीमुखी जैसी हस्तियां शामिल हैं।

यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका आधार हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में दर्ज की गई कई प्राथमिकियां (FIRs) हैं। ED का आरोप है कि इन हस्तियों ने ऐसे सट्टा प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया, जो गेमिंग ऐप्स के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर रहे थे और फर्जी प्रमोशनल कैंपेन चला रहे थे।

हालांकि, कई सेलेब्रिटी ने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने इन ऐप्स को सामान्य गेमिंग ऐप्स समझकर प्रमोट किया था। वहीं कुछ का यह भी दावा है कि उन्होंने नैतिक कारणों से इन ब्रांड्स के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद, ठगी के शिकार लोगों की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। एक पीड़ित ने तो ₹3 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति होने की बात कही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन प्रमोशनों से आम लोग गंभीर नुकसान उठा रहे हैं।

ED फिलहाल इन सेलेब्रिटी के वित्तीय दस्तावेजों, एंडोर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट्स, सोशल मीडिया कैंपेन और प्रमोशनल गतिविधियों की जांच कर रही है। साथ ही, कथित आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब कर मनी ट्रेल यानी "अपराध से अर्जित आय" की कड़ियां खंगाली जा रही हैं। हालांकि, अब तक किसी पर कोई आपराधिक आरोप नहीं तय किए गए हैं, लेकिन इनकी भूमिका ने डिजिटल स्पेस में गैरकानूनी विज्ञापन और प्रभावशाली मार्केटिंग के बीच की धुंधली सीमाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।

यह मामला भारतीय नियामकों के सामने डिजिटल गेमिंग और प्रमोशनल कंटेंट पर नियंत्रण को लेकर आ रही नई चुनौतियों को उजागर करता है। जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रभावशाली हस्तियां किसी ऐप या सेवा का प्रचार करती हैं, तो दर्शकों और उपभोक्ताओं पर उसका असर गहरा होता है और ऐसे में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।

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15 जुलाई से बदल जाएंगे YouTube के नियम: अब कम मेहनत, ऑटोमेटेड व AI जनित कंटेंट पर रोक

YouTube 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है।

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Published - Wednesday, 09 July, 2025
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Wednesday, 09 July, 2025
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यू-ट्यूब (YouTube) 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इस नई पॉलिसी के तहत ऐसे कंटेंट पर सख्ती बरती जाएगी जो कम मेहनत से, बड़े पैमाने पर, या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए तैयार किए गए हैं। YouTube का यह कदम उन क्रिएटर्स को प्रोत्साहन देने के लिए है जो मौलिक और रूपांतरकारी कंटेंट बनाते हैं, जबकि ऐसे चैनलों की कमाई बंद की जाएगी जो केवल ऑटोमेटेड या दोहराए जाने वाले फॉर्मेट्स से विज्ञापन से पैसा कमाने की कोशिश करते हैं।

किन्हें होगा नुकसान?

नई पॉलिसी के तहत ऐसे YouTube चैनल जो बाहरी कंटेंट को बहुत ही मामूली बदलावों के साथ इस्तेमाल करते हैं, AI जनित आवाजों का उपयोग करते हैं लेकिन उसमें मानव टिप्पणी या विश्लेषण नहीं जोड़ते, या फिर एक जैसे वीडियो की लगातार बनी रहने वाली कंपाइलेशन लिस्ट डालते हैं- उन्हें YouTube Partner Program (YPP) से बाहर कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि जो चैनल केवल स्लाइडशो, जनरल वॉयस-ओवर लिस्ट्स या AI से बनी स्क्रिप्ट्स पोस्ट कर रहे हैं, वे एक झटके में डिमॉनेटाइज हो सकते हैं।

क्या करना होगा मोनेटाइज बने रहने के लिए?

YouTube का साफ कहना है कि जो क्रिएटर्स दूसरे का कंटेंट इस्तेमाल करते हैं, उन्हें उसमें ‘मायने रखने वाला’ कमेंट्री या एजुकेशनल वैल्यू जोड़नी होगी।

  • उदाहरण के लिए, रिएक्शन वीडियो में सिर्फ क्लिप चलाना काफी नहीं होगा- क्रिएटर की खुद की राय या विश्लेषण स्पष्ट तौर पर दिखना चाहिए।

  • ट्यूटोरियल और व्लॉग्स में भी मौलिकता जरूरी होगी; सिर्फ पब्लिक फुटेज को फिर से पैक कर देना या टेक्स्ट-टू-स्पीच सिस्टम पर निर्भर रहना अब मान्य नहीं होगा।

योग्यता की पुरानी शर्तें रहेंगी बरकरार

हालांकि YPP में शामिल होने के लिए पुराने मानदंड यथावत रहेंगे, यानी कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स और बीते 12 महीनों में 4,000 पब्लिक वॉच ऑवर्स या पिछले 90 दिनों में 1 करोड़ वैध Shorts व्यूज। लेकिन अब YouTube इन नियमों के पालन की जांच के लिए और अधिक सख्त मैन्युअल व AI-आधारित समीक्षा करेगा।

अगर कोई चैनल इन नए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे YPP से हटा दिया जाएगा, और दोबारा आवेदन करने की इजाजत तभी मिलेगी जब वह उल्लंघनों को ठीक कर ले।

क्यों उठाया गया यह कदम?

YouTube इस वक्त ऐसी AI-जनित वीडियोज और फेसलेस चैनलों की बाढ़ से जूझ रहा है, जो सिर्फ एल्गोरिदम को चकमा देकर तेजी से पैसे कमाने के मकसद से बनाए गए हैं। ऐसे में YouTube अब दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाना और अपने रिकमेंडेशन इंजन में भरोसा बहाल करना चाहता है।

क्रिएटर्स के लिए चेतावनी और मौका

इस पॉलिसी बदलाव के साथ YouTube एक स्पष्ट संदेश दे रहा है- अब मौलिकता कोई विकल्प नहीं, बल्कि प्रवेश की अनिवार्य शर्त है।
क्रिएटर्स को दो टूक फैसला लेना होगा: या तो वे अपने कंटेंट में रचनात्मकता और व्यक्तिगत पहचान निवेश करें, या फिर मोनेटाइजेशन की दुनिया से बाहर हो जाएं।

इस बदलाव को एक चेतावनी के साथ-साथ एक अवसर भी माना जा रहा है, जहां असली मेहनत और मौलिक सोच रखने वाले क्रिएटर्स को आगे बढ़ने का नया रास्ता मिलेगा।

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ट्रंप मीडिया ने लॉन्च किया TV स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म 'Truth+'

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है।

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Published - Tuesday, 08 July, 2025
Last Modified:
Tuesday, 08 July, 2025
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डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है। इस प्लेटफॉर्म पर कंजर्वेटिव न्यूज चैनल Newsmax को भी शामिल किया गया है, जिससे कंपनी के अंतरराष्ट्रीय विस्तार को बल मिलेगा।

Truth+ अब iOS, Android, वेब, और कनेक्टेड टीवी प्लेटफॉर्म्स जैसे Apple TV, Android TV, Amazon Fire TV और Roku पर उपलब्ध है। इस लॉन्च के साथ, उपयोगकर्ता अब Truth ऐप्स के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग चैनल्स और ऑन-डिमांड वीडियो कंटेंट का लाभ ले सकते हैं।

Trump Media, जो पहले से ही Truth Social नामक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का संचालन करती है, अब मीडिया, तकनीक और फिनटेक के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कंपनी के मुख्य शेयरधारक हैं।

Trump Media के सीईओ और चेयरमैन डेविन नुन्स ने लॉन्च के मौके पर कहा, “हम Truth+ को अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में इतनी तेजी से लॉन्च कर पाने को लेकर उत्साहित हैं और निकट भविष्य में इसे सभी डिवाइसेज और ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम विशेष रूप से Newsmax को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिन्होंने हमारे साथ साझेदारी की जिससे इस नेटवर्क की यूनिक प्रोग्रामिंग नए मार्केट्स में पहुंच सकेगी। आज की जटिल वैश्विक चुनौतियों पर ताजे नजरिए की जरूरत साफ दिखाई देती है और हमारा मकसद 'वोक' मीडिया जगत को एक सशक्त और ईमानदार विकल्प देना है।”

Truth+ ऐप्स दुनियाभर में प्रासंगिक ऐप स्टोर्स से डाउनलोड किए जा सकते हैं।

कंपनी ने जून के आखिर में Truth+ प्लेटफॉर्म का बीटा टेस्ट शुरू किया था और अब भी विभिन्न मार्केट्स में इसका विस्तार करते हुए यूजर फीडबैक जुटा रही है।

सिर्फ Truth Social और Truth+ तक सीमित न रहते हुए, Trump Media ने अब फाइनेंशियल सर्विसेस और फिनटेक ब्रांड ‘Truth.Fi’ की भी घोषणा की है, जो राष्ट्रपति ट्रंप की “America First” इन्वेस्टमेंट थ्योरी से प्रेरित होगा।

मार्केट की प्रतिक्रिया की बात करें तो Trump Media and Technology Group के शेयर सोमवार सुबह 0.6% बढ़कर $19.06 पर पहुंच गए, जबकि Newsmax के शेयर 2.6% गिरकर $14.65 पर ट्रेड कर रहे थे।

इस लॉन्च के साथ ट्रंप मीडिया ने डिजिटल कंटेंट, फिनटेक और वैश्विक न्यूज इकोसिस्टम में अपने प्रभाव का दायरा और बड़ा कर लिया है।

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जानी-मानी एंकर नेहा खन्ना ने जॉइन किया Times Internet, इस भूमिका में आएंगी नजर

जानी-मानी टीवी पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है।

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Published - Monday, 07 July, 2025
Last Modified:
Monday, 07 July, 2025
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प्रसिद्ध टेलीविजन पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने Times Internet (जो कि Times of India का डिजिटल वर्टिकल है) में सीनियर एंकर और एडिटोरियल एडवाइजर के रूप में जॉइन किया है। विदेश नीति पर गहरी समझ रखने वाली नेहा खन्ना अब भारत के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अखबार के डिजिटल मंच पर विदेश मामलों और भू-राजनीति पर आधारित एक दैनिक शो की मेजबानी करेंगी।

Times Internet से पहले नेहा खन्ना TV9 नेटवर्क का हिस्सा थीं, जहां उन्होंने लोकप्रिय प्राइमटाइम शो 'Global Lens' को होस्ट किया। इससे पहले वे WION पर भी मुख्य एंकर रहीं और वहां उन्होंने अपने नाम से साप्ताहिक शो 'Inside South Asia with Neha Khanna' को प्रस्तुत किया। उन्होंने कई अन्य टीवी नेटवर्क्स में भी वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं।

खन्ना ने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत NDTV से की थी, जहां उन्होंने 13 वर्षों तक काम किया। वहीं से उन्होंने रिपोर्टिंग की बुनियादी ट्रेनिंग ली और NDTV के प्रमुख शो ‘The Buck Stops Here–Weekend Edition’ समेत कई प्राइम टाइम कार्यक्रमों की एंकरिंग की।

करीब दो दशक लंबे पत्रकारिता करियर में नेहा खन्ना ने विधि, राजनीति, चुनाव, सामाजिक-आर्थिक मुद्दे, विदेश नीति, लैंगिक असमानता और मानवाधिकार जैसे विषयों पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। इस दौरान उन्होंने भारत और विदेश के कई शीर्ष नेताओं और प्रभावशाली हस्तियों का साक्षात्कार लिया है।

2024 में, खन्ना को प्रतिष्ठित जेफरसन फेलोशिप के लिए चुना गया था, जो हवाई स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर द्वारा प्रदान की जाती है। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, ताइवान और फिलीपींस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने हाल ही में इजराइल-हमास युद्ध और फिलिस्तीन संकट की रिपोर्टिंग की है और इस क्षेत्र के अहम पक्षकारों का साक्षात्कार भी लिया। 2024 की शुरुआत में वह इजराइल गई थीं, हमास द्वारा हमला किए गए इलाकों का दौरा किया और 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों के पीड़ितों से बात की।

नेहा खन्ना संयुक्त राष्ट्र की RAF फेलो, अमेरिका के इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) की फेलो, चेवेनिंग स्कॉलर, और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया यूथ डायलॉग की एलुमनस भी रह चुकी हैं। उन्हें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और इजराइल के प्रमुख मीडिया हाउस इंटरव्यू के लिए बुला चुके हैं।

2009 में, उन्होंने बीबीसी (लंदन) के Parliamentary Programmes टीम के साथ इंटर्नशिप की थी और BBC Radio 4 के प्रमुख शो ‘Today in Parliament’ के लिए काम किया था।

शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो, खन्ना ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से Hansard Research Scholars Programme in Democracy and Public Policy पूरा किया है। उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से रेडियो और टेलीविजन पत्रकारिता की पढ़ाई की है और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक किया है।

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भारत में ब्लॉक किए गए अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसीज के X हैंडल बहाल

अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसीज जैसे Reuters, तुर्की का TRT World और चीन का Global Times News के X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल रविवार देर रात बहाल कर दिए गए।

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Published - Monday, 07 July, 2025
Last Modified:
Monday, 07 July, 2025
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अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसीज जैसे Reuters, तुर्की का TRT World और चीन का Global Times News के X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल रविवार देर रात बहाल कर दिए गए। ये अकाउंट भारत में करीब 24 घंटे तक ब्लॉक रहे और इन पर यह संदेश दिख रहा था-“…has been withheld in IN in response to legal demand” (भारत में कानूनी मांग के जवाब में रोका गया)।

'हिन्दुस्तान टाइम्स' की एक खबर के मुताबिक, आईटी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इन अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं दिया गया था और वे इस समस्या को हल करने के लिए X के साथ लगातार काम कर रहे हैं। वहीं मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि Reuters का हैंडल उन अकाउंट्स में शामिल था, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्लॉक करने का आदेश सरकार ने X को दिया था।

अधिकारी ने बताया, “X ने उस समय आदेश का पालन नहीं किया और सरकार ने मामले को आगे नहीं बढ़ाया। हमें हैरानी है कि इतने समय बाद उस पुराने निर्देश के आधार पर अकाउंट ब्लॉक किया गया।”

गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत सरकार ने विदेशी मीडिया संस्थानों और प्रमुख यूजर्स के 8,000 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने के कार्यकारी आदेश जारी किए थे।

HT की ओर से प्रतिक्रिया मांगने पर X ने तत्काल कोई जवाब नहीं दिया।

उधर, ऊपर उद्धृत अधिकारी ने बताया कि सरकार ने X को एक लिखित जवाब भेजा है और उनसे इस ब्लॉकिंग की वजह स्पष्ट करने को कहा है।

TRT World और Global Times News के X हैंडल भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान "भारत विरोधी कंटेंट" के खिलाफ की गई कार्रवाई के तहत ब्लॉक किए गए थे। बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया था, लेकिन शनिवार रात एक बार फिर ये अकाउंट भारत में रोके गए।

मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने संभावना जताई कि यह तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में YouTube और Instagram पर कई पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज और न्यूज चैनल्स के अकाउंट्स एक दिन के लिए अनब्लॉक कर दिए गए थे। उस समय भी अधिकारियों ने इसे “तकनीकी त्रुटि” बताया था। बाद में उन्हें दोबारा ब्लॉक कर दिया गया।

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टेक मीडिया की भीड़ में ठहराव और समझ की नई कोशिश है ‘The Arc’

अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी के इस प्लेटफॉर्म का मानना है कि टेक ईकोसिस्टम को समझना और तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और रणनीति दोनों के लिए जरूरी है।

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Published - Thursday, 03 July, 2025
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Thursday, 03 July, 2025
The Arc

अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी जैसे अनुभवी पत्रकारों ने  ‘द आर्क’ (The Arc) नाम से कंटेंट प्लेटफॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफॉर्म सिर्फ एक और टेक न्यूज वेबसाइट नहीं है। बल्कि यह एक ऐसा कंटेंट-आधारित प्लेटफॉर्म है जो गहराई से यह समझने की कोशिश करता है कि तेजी से बढ़ती कंपनियां कैसे चलती हैं, उनकी स्ट्रैटेजी क्या हैं, लीडरशिप कैसे काम करती है और पर्दे के पीछे की स्टोरीज क्या हैं।

दरअसल, ‘The Arc’ उन लोगों के लिए बनाया गया है जो डिजिटल इकोनॉमी में बड़े फैसले लेते हैं-जैसे स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक। सुर्खियों और सबसे पहले खबर देने की दौड़ में उलझे मीडिया जगत से अलग यह कुछ बिल्कुल अलग और सुकून देने वाला काम कर रहा है।

The Arc’ की बुनियाद उस विचार पर रखी गई है जिसे 'इतिहास की आर्क' (Arc of History) कहा जाता है – यानी वह धीमा लेकिन स्थायी बदलाव जो इंडस्ट्री और अर्थव्यवस्थाओं को आकार देता है। इसके नाम की प्रेरणा भी इसी से आई है। ‘The Arc’  का मानना है कि भारत का टेक ईकोसिस्टम एक अहम मोड़ पर खड़ा है और इसे समझना, तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और स्ट्रैटेजी दोनों के लिए जरूरी है।

‘The Arc’ की सह-संस्थापक अदिति श्रीवास्तव की पत्रकारिता की समझ बहुत गहरी है, जिसे उन्होंने ‘The Economic Times’, ’Reuters ’ और ’Stellaris ’ जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स में काम करते हुए निखारा है। उन्हें स्टार्टअप्स की कार्यप्रणाली और फाउंडर्स की सोच की अच्छी समझ है। अदिति टेक मीडिया में महिलाओं की भागीदारी को लेकर मुखर रही हैं और इस प्लेटफॉर्म को एक प्रभावशाली व स्वदेशी डिजिटल ब्रैंड बनाने की कोशिश में हैं। अदिति श्रीवास्तव का कहना है, ‘टेक कंपनियां कई मायनों में बदलाव की अग्रदूत होती हैं। वे नई व्यवस्था लाती हैं, खपत बढ़ाती हैं, रोजगार और संपत्ति का स्रोत बनती हैं। लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसे नजरिये से देखा जाता है। The Arc इस सोच से बाहर निकलने की एक कोशिश है।’

वहीं, इसके दूसरे सह-संस्थापक माधव चंचानी स्टार्टअप मीडिया बीट के जाने-पहचाने नाम हैं। ‘VCCircle’, ‘The Economic Times’, ‘Times of India’ और ‘YourStory’ जैसे प्लेटॉफॉर्म्स पर काम करने का उन्हें 15 साल से अधिक का अनुभव है। माधव ने भारत के वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी जगत को उसकी शुरुआत से ट्रैक किया है। उन्होंने सुंदर पिचाई, रीड हेस्टिंग्स, ब्रायन चेस्की और जैक डोर्सी जैसे दिग्गजों का इंटरव्यू लिया है और ‘ET Startup Awards’ जैसे अहम एडिटोरियल ब्रैंड लॉन्च किए हैं।

वर्ष 2021 में उन्होंने ‘The CapTable’ नाम से एक नया प्लेटफॉर्म शुरू किया था, जिसने 18 महीनों में ही एक लाख से ज्यादा पाठक जोड़ लिए। अब ‘The Arc’ के जरिये माधव एक ऐसा डिजिटल मीडिया ब्रैंड बनाना चाहते हैं जो टेक इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए सटीक, गहन और भरोसेमंद जानकारी दे।

यह उन प्लेटफॉर्म्स से अलग है जो केवल वायरल कंटेंट या क्लिक के पीछे भागते हैं। यहां हर रिपोर्ट स्पष्टता, गहराई और इनसाइट के साथ तैयार की जाती है। टीम रोजाना बिजनेस जगत की अहम घटनाओं को कवर करती है-जैसे किसी कंपनी की कमाई, स्ट्रैटेजी या लीडरशिप में बदलाव और वो भी ऐसे लोगों के जरिये जो खुद इस ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं।

‘The Arc’ के फाउंडर्स का मानना है कि इस जटिल दुनिया को सही तथ्यों और सही टूल्स के बिना समझना मुश्किल है। इस प्लेटफॉर्म के फॉर्मैट्स तेज, मुफ्त और प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। खासतौर पर स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक, यानी वे लोग जो टेक आधारित इकोनॉमी में बड़े फैसले ले रहे हैं।

यही नहीं, इस प्लेटफॉर्म की कोर टीम में फाउंडिंग मेंबर हर्ष वोरा और कंसल्टिंग एडिटर कुनाल तलगेरी जैसे पत्रकार शामिल हैं, जिनके पास न्यूजरूम का गहरा अनुभव है। यह पूरी टीम भारतीय बिजनेस पत्रकारिता के स्तर को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रही है। खासकर एक अच्छी तरह से बताई गई स्टोरी के जरिए और एक-एक रिपोर्ट के साथ।

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भारत में लॉन्च हुआ Google का Veo 3: AI से बनाएं साउंड के साथ वीडियो, हर फ्रेम में कंट्रोल

गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है।

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Published - Thursday, 03 July, 2025
Last Modified:
Thursday, 03 July, 2025
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गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है। यह नया टूल खासतौर पर 8-सेकंड के छोटे वीडियो जनरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें यूजर के इनपुट या इमेज रेफरेंस के आधार पर सिंक किए गए साउंड इफेक्ट्स, एम्बिएंट नॉइज और डायलॉग्स जैसी ऑडियो भी शामिल होती है। Veo 3 फिलहाल Google के Gemini ऐप पर AI Pro सब्सक्रिप्शन के साथ उपलब्ध है।

वीडियो के साथ अब नेचुरल ऑडियो भी

Veo 3 में कई अत्याधुनिक तकनीकी खूबियां शामिल हैं। यह विजुअल्स के साथ नेटिव ऑडियो जेनरेट कर सकता है, साथ ही इसमें रियल-वर्ल्ड फिजिक्स को सिम्युलेट करने की क्षमता है, जिससे मूवमेंट और ट्रांजिशन ज्यादा नेचुरल लगते हैं। यूजर टेक्स्ट, इमेज या फ्रेम-सीक्वेंस के जरिए वीडियो बना सकते हैं और कैमरा कंट्रोल के जरिए सीन की रचना को एडजस्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा यह गूगल के Flow Video Editor से भी इंटीग्रेटेड है, जिससे एडवांस्ड एडिटिंग संभव है।

कितनी है कीमत?

Google AI Pro सब्सक्रिप्शन (जिसे पहले Gemini Advanced कहा जाता था) भारत में 1,950 रुपये प्रति माह में उपलब्ध है। इस सब्सक्रिप्शन के साथ यूजर को Veo 3, Gemini 2.5 Pro, Veo 2 वीडियो टूल्स, Whisk, NotebookLM, और 2 TB क्लाउड स्टोरेज तक की पहुंच मिलती है।

ऐडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग के लिए गेमचेंजर

Veo 3 की सबसे खास बात है इसका ब्रांड्स और मार्केटिंग एजेंसियों के लिए इस्तेमाल। यह टूल बेहद तेजी से पर्सनलाइज्ड वीडियो कैंपेन तैयार करने, क्रिएटिव कॉन्सेप्ट्स के साथ प्रयोग करने, और विविध ऑडियंस के लिए कस्टमाइज्ड कंटेंट बनाने में सक्षम है। आज के तेजी से बदलते डिजिटल परिदृश्य में जहां तेजी से काम और बदलाव की जरूरत होती है, वहां यह टूल बड़ी भूमिका निभा सकता है।

ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा का वादा

Google ने इस लॉन्च के साथ जिम्मेदार AI प्रैक्टिसेस को प्राथमिकता देने की बात कही है। यूजर की फोटोज से बने वीडियो में एक विजिबल वॉटरमार्क और SynthID डिजिटल वॉटरमार्क शामिल होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सोर्स ट्रेसिंग सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही कंपनी ने कंटेंट पॉलिसी और सिक्योरिटी गाइडलाइंस को भी लागू किया है, ताकि गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके।

भारत में एआई वीडियो टूल्स के विस्तार की दिशा में कदम

Veo 3 की भारत में उपलब्धता से प्रोफेशनल्स, क्रिएटर्स और ब्रांड्स को एडवांस AI वीडियो जेनरेशन की ताकत मिलेगी। यह लॉन्च गूगल के क्षेत्रीय AI विस्तार की रणनीति का हिस्सा है, जो भारत जैसे बड़े और तेजी से डिजिटल हो रहे बाजार में नई संभावनाओं और रचनात्मक अवसरों के दरवाजे खोलता है।

इस लॉन्च के साथ गूगल ने साफ कर दिया है कि AI अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि हर सेक्टर में रचनात्मकता और उत्पादकता का इंजन बनने जा रहा है।

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पाकिस्तान के कई सेलेब्रिटीज के अकाउंट व यूट्यूब चैनल्स फिर हुए बैन

भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है।

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Published - Thursday, 03 July, 2025
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Thursday, 03 July, 2025
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भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है। बुधवार, 2 जुलाई को कुछ अकाउंट्स भारत में अस्थायी रूप से दिखने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार ने आपात समीक्षा बैठक के बाद इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को फिर से ब्लॉक कर दिया।

करीब दो महीने पहले, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और इसके साथ ही पाकिस्तान से जुड़े हजारों सोशल मीडिया अकाउंट्स, यूट्यूब चैनल्स और न्यूज प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया था। इनमें लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों जैसे सबा कमर, मावरा होकेन, अहद रजा मीर, युमना जैदी और क्रिकेटर्स शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर जैसे नाम शामिल थे।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को अचानक इन अकाउंट्स को भारत में फिर से एक्सेस किया जा सका, जिसके बाद केंद्र सरकार ने तुरंत नोटिस लिया और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई और समीक्षा के बाद फिर से कड़ा कदम उठाया और 18,000 से अधिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स को दोबारा बैन कर दिया। इसमें इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद चैनल और प्रोफाइल शामिल हैं।

सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह कदम देश की डिजिटल सुरक्षा और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

केवल सेलेब्रिटीज ही नहीं, बल्कि ‘हम टीवी’, ‘हर पल जियो’ और ‘ARY डिजिटल’ जैसे पाकिस्तानी न्यूज और एंटरटेनमेंट चैनलों के यूट्यूब व सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में दोबारा ब्लॉक कर दिया गया है।

22 अप्रैल के आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस अभियान में PoK में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक संबंध सीमित किए, बल्कि सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया था।

हालांकि, 10 मई को सीजफायर के बाद सीमाओं पर स्थिति सामान्य है, लेकिन डिजिटल मोर्चे पर भारत सख्त रुख बनाए हुए है। यह दोबारा लगाया गया प्रतिबंध इस बात का संकेत है कि सरकार पाकिस्तान से जुड़े किसी भी सांस्कृतिक या सूचना माध्यम को लेकर कोई ढील देने के मूड में नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत सरकार डिजिटल सीमाओं की निगरानी में पूरी तरह सतर्क है, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं।

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WhatsApp बिजनेस प्लेटफॉर्म ने बदला बिलिंग मॉडल, अब हर मैसेज पर देना होगा अधिक शुल्क

मेटा (Meta) के स्वामित्व वाला वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म अब फ्लैट-फीस के बजाय प्रति मैसेज बिलिंग मॉडल पर चल रहा है।

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Published - Wednesday, 02 July, 2025
Last Modified:
Wednesday, 02 July, 2025
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मेटा (Meta) के स्वामित्व वाला वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म अब फ्लैट-फीस के बजाय प्रति मैसेज बिलिंग मॉडल पर चल रहा है। 1 जुलाई 2025 से लागू हुए इस नए ढांचे के तहत कंपनियों को भेजे गए हर टेम्पलेट मैसेज के लिए शुल्क देना होगा, जो अब तीन कैटेगरीज- मार्केटिंग, यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन में बांटे गए हैं।

अब प्रत्येक मार्केटिंग टेम्पलेट मैसेज पर ₹0.78 शुल्क लगेगा, जबकि यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन टेम्पलेट्स के लिए ₹0.11 प्रति मैसेज का शुल्क निर्धारित किया गया है। हालांकि, जो कंपनियां भारी मात्रा में मैसेज भेजती हैं, उन्हें ₹0.08 प्रति मैसेज तक की छूट भी मिल सकती है।

फ्लैट रेट की जगह अब प्रति मैसेज बिलिंग

पहले वॉट्सऐप बिजनेस प्लेटफॉर्म पर कंपनियों को हर 24 घंटे की बातचीत की विंडो में भेजे गए सभी मार्केटिंग मैसेज के लिए ₹0.78 की एक समान दर देनी होती थी, चाहे वे कितने भी मैसेज भेजें। लेकिन नए मॉडल में यह सुविधा समाप्त कर दी गई है और अब हर मैसेज की गिनती के आधार पर शुल्क लगेगा।

हालांकि, कस्टमर की ओर से शुरू की गई बातचीत के भीतर भेजे गए यूटिलिटी और सर्विस से जुड़े मैसेज अब भी निशुल्क रहेंगे। लेकिन जैसे ही 24 घंटे की विंडो खत्म होती है, स्टैंडर्ड चार्ज लागू हो जाते हैं।

वॉल्यूम आधारित डिस्काउंट से घटेगी लागत

वॉट्सऐप ने यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन टेम्पलेट्स के लिए टियर-बेस्ड प्राइसिंग भी लागू की है। उदाहरण के लिए, जो कंपनियां हर महीने 25 मिलियन तक मैसेज भेजती हैं, उन्हें ₹0.115 प्रति मैसेज देना होगा। वहीं जो कंपनियां 30 करोड़ (300 मिलियन) से अधिक मैसेज भेजती हैं, उन्हें प्रति मैसेज दर ₹0.08 तक घट जाती है। यह बदलाव वॉट्सऐप को SMS और गूगल RCS जैसे विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्धा में लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

ब्रैंड्स को रणनीति बदलनी पड़ सकती है

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस नए मूल्य मॉडल के कारण कई कंपनियों को अपनी मैसेजिंग रणनीतियों पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। अब जब हर मार्केटिंग टेम्पलेट का शुल्क अलग से जुड़ रहा है, तो हो सकता है कि ब्रैंड प्रचार अभियानों की फ्रीक्वेंसी घटा दें या कुछ संवाद फिर से SMS या RCS की ओर मोड़ें।

हालांकि, जहां यूटिलिटी से जुड़े संवाद (जैसे ऑर्डर अपडेट या OTP) ज्यादा मात्रा में भेजे जाते हैं, वहां यह नया मॉडल SMS की तुलना में सस्ता साबित हो सकता है, क्योंकि ₹0.11 की दर ₹0.12–₹0.15 की सामान्य SMS लागत से कम है।

मेटा की ओर से स्पष्टीकरण

मेटा की वाइस-प्रेजिडेंट (बिजनेस मैसेजिंग) निकिला श्रीनिवासन ने इस बदलाव को "प्राइसिंग में सरलता और बिजनेस बजट में पारदर्शिता" की दिशा में एक अहम कदम बताया है। वहीं, एग्रीगेटर्स कंपनियों को आगाह कर रहे हैं कि शुरुआत में वॉट्सऐप पर वॉल्यूम शिफ्ट करने से लागत बढ़ सकती है, लेकिन यदि टेम्पलेट कैटेगरी और वॉल्यूम टियर का रणनीतिक उपयोग किया जाए तो लंबे समय में यह फायदेमंद हो सकता है।

भारत में प्रभाव अधिक

भारत वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है और यहां पर मैसेजिंग की मात्रा लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कंपनियों को जल्द से जल्द अपनी रणनीतियों में बदलाव कर, नए बिलिंग मॉडल के मुताबिक फ्री विंडो और वॉल्यूम छूट का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। इससे न केवल लागत में बचत हो सकती है, बल्कि संवाद की गुणवत्ता और ग्राहक अनुभव भी बेहतर हो सकेगा।

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