मयूर शर्मा को SEO के क्षेत्र में काम करने का 19 वर्षों से अधिक का अनुभव है। आईटीवी नेटवर्क से पहले मयूर शर्मा इंडिया डॉट कॉम डिजिटल (Zee Digital) में हेड ऑफ एसईओ के पद पर कार्यरत थे।
देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘आईटीवी नेटवर्क’ (ITV Network) ने मयूर शर्मा को वाइस प्रेजिडेंट (SEO) के पद पर नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में मयूर शर्मा ‘आईटीवी नेटवर्क’ के चीफ प्रॉडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर अक्षांश यादव को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
कंपनी के अनुसार, यह स्ट्रैटेजिक नियुक्ति आईटीवी नेटवर्क की डिजिटल मौजूदगी को और मज़बूत करने और अपने विभिन्न न्यूज व मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) रणनीतियों को और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता के तहत की गई है।
मयूर शर्मा को SEO के क्षेत्र में काम करने का 19 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने ऑर्गेनिक ट्रैफिक बढ़ाने और डिजिटल लक्ष्यों को हासिल करने में लगातार सफलता पाई है। आईटीवी नेटवर्क से पहले मयूर शर्मा इंडिया डॉट कॉम डिजिटल (Zee Digital) में हेड ऑफ एसईओ के पद पर कार्यरत थे।
वहां उन्होंने जी न्यूज, डीएनए, विऑन और इंडियाडॉटकॉम जैसे प्रमुख डिजिटल न्यूज ब्रैंड्स के लिए एसईओ रणनीतियों का नेतृत्व किया। ‘जी डिजिटल’ में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने वेबसाइट्स की डिजिटल परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए कई विशेष रणनीतियां अपनाईं और यूजर एक्सपीरियंस को भी बेहतर किया। इसके अलावा मयूर शर्मा ने GroupM Media और Sapient Razorfish जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में भी काम किया है।
मयूर शर्मा की नियुक्ति के बारे में ‘आईटीवी नेटवर्क’ के ग्रुप सीईओ अभय ओझा का कहना है, ‘मेरा लक्ष्य नेटवर्क की मजबूत नींव पर आगे बढ़ते हुए विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर जबरदस्त ग्रोथ लाना है। इस नियुक्ति से डिजिटल क्षेत्र में हमारी ताकत को और मजबूत मिलेगी।’
डिजिटल दर्शकों का ध्यान खींचने की दौड़ में इंफ्लुएंसर-निर्देशित कंटेंट ने ब्रैंड द्वारा बनाए गए पारंपरिक कंटेंट से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।
शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
डिजिटल दर्शकों का ध्यान खींचने की दौड़ में इंफ्लुएंसर निर्देशित कंटेंट ने ब्रैंड द्वारा बनाए गए पारंपरिक कंटेंट से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। Kantar के India Context Lab की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दर्शक औसतन 17.8 सेकंड तक इंफ्लुएंसर कंटेंट देखते हैं, जबकि ब्रैंड-निर्मित कंटेंट को सिर्फ 7.9 सेकंड में स्किप कर दिया जाता है। यानी, इंफ्लुएंसर कंटेंट दर्शकों का ध्यान 2.2 गुना ज्यादा देर तक खींचे रखता है, जो आज के भरे-पूरे डिजिटल परिदृश्य में इंफ्लुएंसर मार्केटिंग को एक निर्णायक बढ़त देता है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इंफ्लुएंसर कंटेंट की दृश्यता अवधि (visibility duration) ब्रैंड-निर्मित कंटेंट की तुलना में 1.4 गुना ज्यादा होती है। यह आंकड़े उन ब्रैंड्स और विज्ञापनदाताओं के लिए खास मायने रखते हैं, जो खासकर मोबाइल-फर्स्ट कैंपेन के जरिए गहन जुड़ाव और कहानी कहने की क्षमता को प्राथमिकता देते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि इंफ्लुएंसर एक्टिवेशन दर्शकों को बांधे रखने में कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हो रहे हैं। जहां ब्रैंड द्वारा निर्मित कंटेंट को कुछ ही सेकंड में स्किप कर दिया जाता है, वहीं इंफ्लुएंसर के कंटेंट दर्शकों को लंबे समय तक रोके रखते हैं, जिससे न केवल मैसेज को बेहतर ढंग से पहुंचाने का मौका मिलता है, बल्कि प्रोडक्ट डिस्कवरी के लिए भी अतिरिक्त समय मिलता है।
हालांकि, बेहतर स्किप टाइम और विजिबिलिटी के बावजूद इन्फ्लुएंसर विज्ञापन टॉप-फनल मेट्रिक्स (जैसे ब्रैंड अवेयरनेस और मैसेज एसोसिएशन) में अभी भी पारंपरिक डिजिटल विज्ञापन से पीछे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन्फ्लुएंसर कंटेंट ब्रैंड अवेयरनेस में सिर्फ 3% की बढ़ोतरी करता है और मैसेज एसोसिएशन में 2% की, वहीं पारंपरिक डिजिटल कंटेंट इन दोनों मेट्रिक्स में 8% की बढ़त दर्ज करते हैं।
लेकिन ‘मिड-टू-लोअर फनल’ के स्तर पर इंफ्लुएंसर कैंपेन मजबूत साबित होते हैं। ये कैंपेन ब्रैंड विशेषताओं की पहचान में 10% (जबकि डिजिटल विज्ञापन में 7%) और खरीदारी की मंशा में 7% (जबकि डिजिटल विज्ञापन में 6%) की बढ़ोतरी लाते हैं।
हालांकि, दीर्घकालिक ब्रैंड निर्माण के नजरिए से देखें तो सिर्फ 7% इंफ्लुएंसर-केंद्रित कैंपेन ही ऐसे होते हैं जो शीर्ष 30% विज्ञापनों में जगह बना पाते हैं, जबकि सामान्य डिजिटल विज्ञापनों के मामले में यह आंकड़ा 32% है।
इसके बावजूद, इंफ्लुएंसर कंटेंट की ज्यादा एंगेजमेंट का बड़ा कारण दर्शकों का भरोसा है। Kantar की एक वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि 67% लोग इंफ्लुएंसर की सिफारिशों पर पारंपरिक कंटेंट की तुलना में ज्यादा भरोसा करते हैं। वहीं 26% लोगों ने कहा कि वे इंफ्लुएंसर की सलाह पसंद करते हैं लेकिन सतर्क रहते हैं। केवल 4% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें पारंपरिक विज्ञापन पर ज्यादा भरोसा है।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि भले ही इंफ्लुएंसर मार्केटिंग अभी दीर्घकालिक ब्रैंड वैल्यू निर्माण में पूरी तरह से सक्षम न हो, लेकिन यूजर अटेंशन और शॉर्ट-टर्म एंगेजमेंट के लिहाज से यह विज्ञापनदाताओं के लिए एक मजबूत रणनीति के रूप में उभर रही है।
जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है।
जब OpenAI और Perplexity अपने ब्राउजर को हाईपरऐक्टिव असिस्टेंट और डिजिटल बटलर में बदलने में व्यस्त हैं, वहीं एलन मस्क का स्टार्टअप xAI इस AI रेस में अपने खास अंदाज में कूद पड़ा है। आज X (पूर्व ट्विटर) पर एक लाइवस्ट्रीम के जरिए Grok 4 लॉन्च किया गया, जो उन्नत रीजनिंग, कोड जनरेशन, मीम इंटरप्रिटेशन और रियल टाइम डेटा इंटीग्रेशन जैसी क्षमताओं का वादा करता है।
दिलचस्प बात यह है कि Grok 4 ने वर्जन 3.5 को पूरी तरह स्किप करते हुए सीधे इस नए एडवांस्ड रूप में छलांग लगाई है। इसे xAI के Colossus Supercomputer पर ट्रेन किया गया है। मस्क का दावा है कि यह “वैज्ञानिक स्तर” की सोच रखने वाला मॉडल है और इसने पहले ही Google के Gemini 2.5 Pro और OpenAI के o3 को Humanity’s Last Exam और ARC-AGI-2 जैसे रीजनिंग बेंचमार्क्स में पछाड़ दिया है। सीधे शब्दों में कहें तो, Grok 4 केवल बातचीत करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने, कोड लिखने और शायद आपकी स्ट्रैटेजी प्रेजेंटेशन में मीम डालने के लिए भी बना है।
Grok 4 की मल्टीमोडल क्षमताएं और भी मजबूत हुई हैं। यह अब टेक्स्ट, इमेज और भविष्य में शायद वीडियो भी समझ और जनरेट कर सकता है। इसमें मीम्स को पढ़ने और बनाने की भी क्षमता है, जो मस्क के उस विश्वास को दर्शाता है कि “मीम आज के जमाने के हाइरोग्लिफिक्स (चित्रलिपि) हैं।” इसके अलावा Grok 4 में एक persistent personality फीचर जोड़ा गया है, जिससे यह पहले के संवादों को याद रख सकता है और ज्यादा पर्सनलाइज्ड जवाब दे सकता है। साथ ही, इसमें DeepSearch के जरिए वेब और X से रियल-टाइम डेटा एक्सेस की सुविधा भी है।
इस नए संस्करण में सबसे चर्चित चीज है $300 प्रति माह वाला “SuperGrok Heavy” टियर, जिसमें इसके सबसे शक्तिशाली multi-agent model तक जल्दी पहुंच और विस्तृत क्षमताएं मिलती हैं। यह कीमत शायद कुछ विज्ञापनदाताओं को परेशान कर सकती है, लेकिन यह मस्क की xAI की प्रीमियम पोजिशनिंग को लेकर आत्मविश्वास दिखाती है।
9 जुलाई 2025 तक जहां Perplexity $14 अरब के वैल्यूएशन के साथ अपनी योजनाएं बना रहा है और OpenAI अपने ब्राउजर रूपी ट्रोजन हॉर्स पर काम कर रहा है, वहीं मस्क की xAI भी पीछे नहीं है। Grok को सीधे X प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट करके xAI खुद को सिर्फ एक और चैटबॉट नहीं, बल्कि AI रीजनिंग, पॉप-कल्चर ट्रेंड्स और सोशल बातचीत के बीच एक सक्रिय सेतु के रूप में पेश कर रहा है।
हालांकि, इस राह में चुनौतियां भी हैं। हाल ही में Grok पर कुछ विवादास्पद और यहूदी विरोधी कंटेंट सामने आया था, जिसके बाद xAI को तत्काल सुधार और स्पष्टीकरण देने पड़े। मस्क की ‘कम सेंसरशिप’ की पॉलिसी कुछ लोगों को पसंद आ सकती है, लेकिन ब्रैंड सुरक्षा और कंटेंट विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं, जिस पर विज्ञापनदाता और मीडिया प्लानर कड़ी नजर रखेंगे।
जहां OpenAI का ब्राउजर एक प्रोऐक्टिव कंसीयर्ज बनना चाहता है और Perplexity का Comet एक सौम्य एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट की तरह है, वहीं Grok 4 उस पार्टी गेस्ट की तरह लगता है जो कभी आपका कोड फिक्स कर सकता है तो कभी पेपे मीम और साजिशों वाले जोक्स छोड़ सकता है।
AI की दुनिया में जहां पहले से ही ओवरलॉर्ड्स, मल्टीटास्कर और कैओस एजेंट भरे पड़े हैं, वहां Grok 4 एक जोरदार घोषणा है कि ये रेस केवल IQ पॉइंट्स और बेंचमार्क्स की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, सांस्कृतिक समझ और मीम-लिटरेसी की भी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें लोकप्रिय फिल्मीं सितारे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और टीवी पर्सनैलिटीज शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच की जद में जिन नामों का उल्लेख किया गया है, उनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, हर्षा साई और श्रीमुखी जैसी हस्तियां शामिल हैं।
यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका आधार हैदराबाद और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में दर्ज की गई कई प्राथमिकियां (FIRs) हैं। ED का आरोप है कि इन हस्तियों ने ऐसे सट्टा प्लेटफॉर्म्स का प्रचार किया, जो गेमिंग ऐप्स के नाम पर बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर रहे थे और फर्जी प्रमोशनल कैंपेन चला रहे थे।
हालांकि, कई सेलेब्रिटी ने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने इन ऐप्स को सामान्य गेमिंग ऐप्स समझकर प्रमोट किया था। वहीं कुछ का यह भी दावा है कि उन्होंने नैतिक कारणों से इन ब्रांड्स के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद, ठगी के शिकार लोगों की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। एक पीड़ित ने तो ₹3 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति होने की बात कही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन प्रमोशनों से आम लोग गंभीर नुकसान उठा रहे हैं।
ED फिलहाल इन सेलेब्रिटी के वित्तीय दस्तावेजों, एंडोर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट्स, सोशल मीडिया कैंपेन और प्रमोशनल गतिविधियों की जांच कर रही है। साथ ही, कथित आरोपियों को पूछताछ के लिए तलब कर मनी ट्रेल यानी "अपराध से अर्जित आय" की कड़ियां खंगाली जा रही हैं। हालांकि, अब तक किसी पर कोई आपराधिक आरोप नहीं तय किए गए हैं, लेकिन इनकी भूमिका ने डिजिटल स्पेस में गैरकानूनी विज्ञापन और प्रभावशाली मार्केटिंग के बीच की धुंधली सीमाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।
यह मामला भारतीय नियामकों के सामने डिजिटल गेमिंग और प्रमोशनल कंटेंट पर नियंत्रण को लेकर आ रही नई चुनौतियों को उजागर करता है। जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रभावशाली हस्तियां किसी ऐप या सेवा का प्रचार करती हैं, तो दर्शकों और उपभोक्ताओं पर उसका असर गहरा होता है और ऐसे में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
YouTube 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है।
यू-ट्यूब (YouTube) 15 जुलाई 2025 से अपने मोनेटाइजेशन नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इस नई पॉलिसी के तहत ऐसे कंटेंट पर सख्ती बरती जाएगी जो कम मेहनत से, बड़े पैमाने पर, या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए तैयार किए गए हैं। YouTube का यह कदम उन क्रिएटर्स को प्रोत्साहन देने के लिए है जो मौलिक और रूपांतरकारी कंटेंट बनाते हैं, जबकि ऐसे चैनलों की कमाई बंद की जाएगी जो केवल ऑटोमेटेड या दोहराए जाने वाले फॉर्मेट्स से विज्ञापन से पैसा कमाने की कोशिश करते हैं।
नई पॉलिसी के तहत ऐसे YouTube चैनल जो बाहरी कंटेंट को बहुत ही मामूली बदलावों के साथ इस्तेमाल करते हैं, AI जनित आवाजों का उपयोग करते हैं लेकिन उसमें मानव टिप्पणी या विश्लेषण नहीं जोड़ते, या फिर एक जैसे वीडियो की लगातार बनी रहने वाली कंपाइलेशन लिस्ट डालते हैं- उन्हें YouTube Partner Program (YPP) से बाहर कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि जो चैनल केवल स्लाइडशो, जनरल वॉयस-ओवर लिस्ट्स या AI से बनी स्क्रिप्ट्स पोस्ट कर रहे हैं, वे एक झटके में डिमॉनेटाइज हो सकते हैं।
YouTube का साफ कहना है कि जो क्रिएटर्स दूसरे का कंटेंट इस्तेमाल करते हैं, उन्हें उसमें ‘मायने रखने वाला’ कमेंट्री या एजुकेशनल वैल्यू जोड़नी होगी।
उदाहरण के लिए, रिएक्शन वीडियो में सिर्फ क्लिप चलाना काफी नहीं होगा- क्रिएटर की खुद की राय या विश्लेषण स्पष्ट तौर पर दिखना चाहिए।
ट्यूटोरियल और व्लॉग्स में भी मौलिकता जरूरी होगी; सिर्फ पब्लिक फुटेज को फिर से पैक कर देना या टेक्स्ट-टू-स्पीच सिस्टम पर निर्भर रहना अब मान्य नहीं होगा।
हालांकि YPP में शामिल होने के लिए पुराने मानदंड यथावत रहेंगे, यानी कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स और बीते 12 महीनों में 4,000 पब्लिक वॉच ऑवर्स या पिछले 90 दिनों में 1 करोड़ वैध Shorts व्यूज। लेकिन अब YouTube इन नियमों के पालन की जांच के लिए और अधिक सख्त मैन्युअल व AI-आधारित समीक्षा करेगा।
अगर कोई चैनल इन नए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे YPP से हटा दिया जाएगा, और दोबारा आवेदन करने की इजाजत तभी मिलेगी जब वह उल्लंघनों को ठीक कर ले।
YouTube इस वक्त ऐसी AI-जनित वीडियोज और फेसलेस चैनलों की बाढ़ से जूझ रहा है, जो सिर्फ एल्गोरिदम को चकमा देकर तेजी से पैसे कमाने के मकसद से बनाए गए हैं। ऐसे में YouTube अब दर्शकों के अनुभव को बेहतर बनाना और अपने रिकमेंडेशन इंजन में भरोसा बहाल करना चाहता है।
इस पॉलिसी बदलाव के साथ YouTube एक स्पष्ट संदेश दे रहा है- अब मौलिकता कोई विकल्प नहीं, बल्कि प्रवेश की अनिवार्य शर्त है।
क्रिएटर्स को दो टूक फैसला लेना होगा: या तो वे अपने कंटेंट में रचनात्मकता और व्यक्तिगत पहचान निवेश करें, या फिर मोनेटाइजेशन की दुनिया से बाहर हो जाएं।
इस बदलाव को एक चेतावनी के साथ-साथ एक अवसर भी माना जा रहा है, जहां असली मेहनत और मौलिक सोच रखने वाले क्रिएटर्स को आगे बढ़ने का नया रास्ता मिलेगा।
डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली Trump Media and Technology Group (TMTG) ने सोमवार को अपनी नई टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस ‘Truth+’ को वैश्विक स्तर पर लॉन्च कर दिया है। इस प्लेटफॉर्म पर कंजर्वेटिव न्यूज चैनल Newsmax को भी शामिल किया गया है, जिससे कंपनी के अंतरराष्ट्रीय विस्तार को बल मिलेगा।
Truth+ अब iOS, Android, वेब, और कनेक्टेड टीवी प्लेटफॉर्म्स जैसे Apple TV, Android TV, Amazon Fire TV और Roku पर उपलब्ध है। इस लॉन्च के साथ, उपयोगकर्ता अब Truth ऐप्स के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग चैनल्स और ऑन-डिमांड वीडियो कंटेंट का लाभ ले सकते हैं।
Trump Media, जो पहले से ही Truth Social नामक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का संचालन करती है, अब मीडिया, तकनीक और फिनटेक के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कंपनी के मुख्य शेयरधारक हैं।
Trump Media के सीईओ और चेयरमैन डेविन नुन्स ने लॉन्च के मौके पर कहा, “हम Truth+ को अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में इतनी तेजी से लॉन्च कर पाने को लेकर उत्साहित हैं और निकट भविष्य में इसे सभी डिवाइसेज और ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम विशेष रूप से Newsmax को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिन्होंने हमारे साथ साझेदारी की जिससे इस नेटवर्क की यूनिक प्रोग्रामिंग नए मार्केट्स में पहुंच सकेगी। आज की जटिल वैश्विक चुनौतियों पर ताजे नजरिए की जरूरत साफ दिखाई देती है और हमारा मकसद 'वोक' मीडिया जगत को एक सशक्त और ईमानदार विकल्प देना है।”
Truth+ ऐप्स दुनियाभर में प्रासंगिक ऐप स्टोर्स से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
कंपनी ने जून के आखिर में Truth+ प्लेटफॉर्म का बीटा टेस्ट शुरू किया था और अब भी विभिन्न मार्केट्स में इसका विस्तार करते हुए यूजर फीडबैक जुटा रही है।
सिर्फ Truth Social और Truth+ तक सीमित न रहते हुए, Trump Media ने अब फाइनेंशियल सर्विसेस और फिनटेक ब्रांड ‘Truth.Fi’ की भी घोषणा की है, जो राष्ट्रपति ट्रंप की “America First” इन्वेस्टमेंट थ्योरी से प्रेरित होगा।
मार्केट की प्रतिक्रिया की बात करें तो Trump Media and Technology Group के शेयर सोमवार सुबह 0.6% बढ़कर $19.06 पर पहुंच गए, जबकि Newsmax के शेयर 2.6% गिरकर $14.65 पर ट्रेड कर रहे थे।
इस लॉन्च के साथ ट्रंप मीडिया ने डिजिटल कंटेंट, फिनटेक और वैश्विक न्यूज इकोसिस्टम में अपने प्रभाव का दायरा और बड़ा कर लिया है।
जानी-मानी टीवी पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है।
प्रसिद्ध टेलीविजन पत्रकार नेहा खन्ना ने अब एक नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने Times Internet (जो कि Times of India का डिजिटल वर्टिकल है) में सीनियर एंकर और एडिटोरियल एडवाइजर के रूप में जॉइन किया है। विदेश नीति पर गहरी समझ रखने वाली नेहा खन्ना अब भारत के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अखबार के डिजिटल मंच पर विदेश मामलों और भू-राजनीति पर आधारित एक दैनिक शो की मेजबानी करेंगी।
Times Internet से पहले नेहा खन्ना TV9 नेटवर्क का हिस्सा थीं, जहां उन्होंने लोकप्रिय प्राइमटाइम शो 'Global Lens' को होस्ट किया। इससे पहले वे WION पर भी मुख्य एंकर रहीं और वहां उन्होंने अपने नाम से साप्ताहिक शो 'Inside South Asia with Neha Khanna' को प्रस्तुत किया। उन्होंने कई अन्य टीवी नेटवर्क्स में भी वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं।
खन्ना ने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत NDTV से की थी, जहां उन्होंने 13 वर्षों तक काम किया। वहीं से उन्होंने रिपोर्टिंग की बुनियादी ट्रेनिंग ली और NDTV के प्रमुख शो ‘The Buck Stops Here–Weekend Edition’ समेत कई प्राइम टाइम कार्यक्रमों की एंकरिंग की।
करीब दो दशक लंबे पत्रकारिता करियर में नेहा खन्ना ने विधि, राजनीति, चुनाव, सामाजिक-आर्थिक मुद्दे, विदेश नीति, लैंगिक असमानता और मानवाधिकार जैसे विषयों पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। इस दौरान उन्होंने भारत और विदेश के कई शीर्ष नेताओं और प्रभावशाली हस्तियों का साक्षात्कार लिया है।
2024 में, खन्ना को प्रतिष्ठित जेफरसन फेलोशिप के लिए चुना गया था, जो हवाई स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर द्वारा प्रदान की जाती है। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, ताइवान और फिलीपींस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने हाल ही में इजराइल-हमास युद्ध और फिलिस्तीन संकट की रिपोर्टिंग की है और इस क्षेत्र के अहम पक्षकारों का साक्षात्कार भी लिया। 2024 की शुरुआत में वह इजराइल गई थीं, हमास द्वारा हमला किए गए इलाकों का दौरा किया और 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों के पीड़ितों से बात की।
नेहा खन्ना संयुक्त राष्ट्र की RAF फेलो, अमेरिका के इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) की फेलो, चेवेनिंग स्कॉलर, और ऑस्ट्रेलिया-इंडिया यूथ डायलॉग की एलुमनस भी रह चुकी हैं। उन्हें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और इजराइल के प्रमुख मीडिया हाउस इंटरव्यू के लिए बुला चुके हैं।
2009 में, उन्होंने बीबीसी (लंदन) के Parliamentary Programmes टीम के साथ इंटर्नशिप की थी और BBC Radio 4 के प्रमुख शो ‘Today in Parliament’ के लिए काम किया था।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो, खन्ना ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से Hansard Research Scholars Programme in Democracy and Public Policy पूरा किया है। उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से रेडियो और टेलीविजन पत्रकारिता की पढ़ाई की है और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक किया है।
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसीज जैसे Reuters, तुर्की का TRT World और चीन का Global Times News के X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल रविवार देर रात बहाल कर दिए गए।
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसीज जैसे Reuters, तुर्की का TRT World और चीन का Global Times News के X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल रविवार देर रात बहाल कर दिए गए। ये अकाउंट भारत में करीब 24 घंटे तक ब्लॉक रहे और इन पर यह संदेश दिख रहा था-“…has been withheld in IN in response to legal demand” (भारत में कानूनी मांग के जवाब में रोका गया)।
'हिन्दुस्तान टाइम्स' की एक खबर के मुताबिक, आईटी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इन अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं दिया गया था और वे इस समस्या को हल करने के लिए X के साथ लगातार काम कर रहे हैं। वहीं मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि Reuters का हैंडल उन अकाउंट्स में शामिल था, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्लॉक करने का आदेश सरकार ने X को दिया था।
अधिकारी ने बताया, “X ने उस समय आदेश का पालन नहीं किया और सरकार ने मामले को आगे नहीं बढ़ाया। हमें हैरानी है कि इतने समय बाद उस पुराने निर्देश के आधार पर अकाउंट ब्लॉक किया गया।”
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत सरकार ने विदेशी मीडिया संस्थानों और प्रमुख यूजर्स के 8,000 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने के कार्यकारी आदेश जारी किए थे।
HT की ओर से प्रतिक्रिया मांगने पर X ने तत्काल कोई जवाब नहीं दिया।
उधर, ऊपर उद्धृत अधिकारी ने बताया कि सरकार ने X को एक लिखित जवाब भेजा है और उनसे इस ब्लॉकिंग की वजह स्पष्ट करने को कहा है।
TRT World और Global Times News के X हैंडल भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान "भारत विरोधी कंटेंट" के खिलाफ की गई कार्रवाई के तहत ब्लॉक किए गए थे। बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया था, लेकिन शनिवार रात एक बार फिर ये अकाउंट भारत में रोके गए।
मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने संभावना जताई कि यह तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में YouTube और Instagram पर कई पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज और न्यूज चैनल्स के अकाउंट्स एक दिन के लिए अनब्लॉक कर दिए गए थे। उस समय भी अधिकारियों ने इसे “तकनीकी त्रुटि” बताया था। बाद में उन्हें दोबारा ब्लॉक कर दिया गया।
अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी के इस प्लेटफॉर्म का मानना है कि टेक ईकोसिस्टम को समझना और तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और रणनीति दोनों के लिए जरूरी है।
अदिति श्रीवास्तव और माधव चंचानी जैसे अनुभवी पत्रकारों ने ‘द आर्क’ (The Arc) नाम से कंटेंट प्लेटफॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफॉर्म सिर्फ एक और टेक न्यूज वेबसाइट नहीं है। बल्कि यह एक ऐसा कंटेंट-आधारित प्लेटफॉर्म है जो गहराई से यह समझने की कोशिश करता है कि तेजी से बढ़ती कंपनियां कैसे चलती हैं, उनकी स्ट्रैटेजी क्या हैं, लीडरशिप कैसे काम करती है और पर्दे के पीछे की स्टोरीज क्या हैं।
दरअसल, ‘The Arc’ उन लोगों के लिए बनाया गया है जो डिजिटल इकोनॉमी में बड़े फैसले लेते हैं-जैसे स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक। सुर्खियों और सबसे पहले खबर देने की दौड़ में उलझे मीडिया जगत से अलग यह कुछ बिल्कुल अलग और सुकून देने वाला काम कर रहा है।
The Arc’ की बुनियाद उस विचार पर रखी गई है जिसे 'इतिहास की आर्क' (Arc of History) कहा जाता है – यानी वह धीमा लेकिन स्थायी बदलाव जो इंडस्ट्री और अर्थव्यवस्थाओं को आकार देता है। इसके नाम की प्रेरणा भी इसी से आई है। ‘The Arc’ का मानना है कि भारत का टेक ईकोसिस्टम एक अहम मोड़ पर खड़ा है और इसे समझना, तथ्यों के साथ गहराई से विश्लेषण करना आज की पत्रकारिता और स्ट्रैटेजी दोनों के लिए जरूरी है।
‘The Arc’ की सह-संस्थापक अदिति श्रीवास्तव की पत्रकारिता की समझ बहुत गहरी है, जिसे उन्होंने ‘The Economic Times’, ’Reuters ’ और ’Stellaris ’ जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स में काम करते हुए निखारा है। उन्हें स्टार्टअप्स की कार्यप्रणाली और फाउंडर्स की सोच की अच्छी समझ है। अदिति टेक मीडिया में महिलाओं की भागीदारी को लेकर मुखर रही हैं और इस प्लेटफॉर्म को एक प्रभावशाली व स्वदेशी डिजिटल ब्रैंड बनाने की कोशिश में हैं। अदिति श्रीवास्तव का कहना है, ‘टेक कंपनियां कई मायनों में बदलाव की अग्रदूत होती हैं। वे नई व्यवस्था लाती हैं, खपत बढ़ाती हैं, रोजगार और संपत्ति का स्रोत बनती हैं। लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसे नजरिये से देखा जाता है। The Arc इस सोच से बाहर निकलने की एक कोशिश है।’
वहीं, इसके दूसरे सह-संस्थापक माधव चंचानी स्टार्टअप मीडिया बीट के जाने-पहचाने नाम हैं। ‘VCCircle’, ‘The Economic Times’, ‘Times of India’ और ‘YourStory’ जैसे प्लेटॉफॉर्म्स पर काम करने का उन्हें 15 साल से अधिक का अनुभव है। माधव ने भारत के वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी जगत को उसकी शुरुआत से ट्रैक किया है। उन्होंने सुंदर पिचाई, रीड हेस्टिंग्स, ब्रायन चेस्की और जैक डोर्सी जैसे दिग्गजों का इंटरव्यू लिया है और ‘ET Startup Awards’ जैसे अहम एडिटोरियल ब्रैंड लॉन्च किए हैं।
वर्ष 2021 में उन्होंने ‘The CapTable’ नाम से एक नया प्लेटफॉर्म शुरू किया था, जिसने 18 महीनों में ही एक लाख से ज्यादा पाठक जोड़ लिए। अब ‘The Arc’ के जरिये माधव एक ऐसा डिजिटल मीडिया ब्रैंड बनाना चाहते हैं जो टेक इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए सटीक, गहन और भरोसेमंद जानकारी दे।
यह उन प्लेटफॉर्म्स से अलग है जो केवल वायरल कंटेंट या क्लिक के पीछे भागते हैं। यहां हर रिपोर्ट स्पष्टता, गहराई और इनसाइट के साथ तैयार की जाती है। टीम रोजाना बिजनेस जगत की अहम घटनाओं को कवर करती है-जैसे किसी कंपनी की कमाई, स्ट्रैटेजी या लीडरशिप में बदलाव और वो भी ऐसे लोगों के जरिये जो खुद इस ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
‘The Arc’ के फाउंडर्स का मानना है कि इस जटिल दुनिया को सही तथ्यों और सही टूल्स के बिना समझना मुश्किल है। इस प्लेटफॉर्म के फॉर्मैट्स तेज, मुफ्त और प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। खासतौर पर स्टार्टअप फाउंडर, CXO, एंप्लॉयीज और निवेशक, यानी वे लोग जो टेक आधारित इकोनॉमी में बड़े फैसले ले रहे हैं।
यही नहीं, इस प्लेटफॉर्म की कोर टीम में फाउंडिंग मेंबर हर्ष वोरा और कंसल्टिंग एडिटर कुनाल तलगेरी जैसे पत्रकार शामिल हैं, जिनके पास न्यूजरूम का गहरा अनुभव है। यह पूरी टीम भारतीय बिजनेस पत्रकारिता के स्तर को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रही है। खासकर एक अच्छी तरह से बताई गई स्टोरी के जरिए और एक-एक रिपोर्ट के साथ।
गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है।
गूगल ने भारत में अपने एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Veo 3 लॉन्च कर दिया है। यह नया टूल खासतौर पर 8-सेकंड के छोटे वीडियो जनरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें यूजर के इनपुट या इमेज रेफरेंस के आधार पर सिंक किए गए साउंड इफेक्ट्स, एम्बिएंट नॉइज और डायलॉग्स जैसी ऑडियो भी शामिल होती है। Veo 3 फिलहाल Google के Gemini ऐप पर AI Pro सब्सक्रिप्शन के साथ उपलब्ध है।
Veo 3 में कई अत्याधुनिक तकनीकी खूबियां शामिल हैं। यह विजुअल्स के साथ नेटिव ऑडियो जेनरेट कर सकता है, साथ ही इसमें रियल-वर्ल्ड फिजिक्स को सिम्युलेट करने की क्षमता है, जिससे मूवमेंट और ट्रांजिशन ज्यादा नेचुरल लगते हैं। यूजर टेक्स्ट, इमेज या फ्रेम-सीक्वेंस के जरिए वीडियो बना सकते हैं और कैमरा कंट्रोल के जरिए सीन की रचना को एडजस्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा यह गूगल के Flow Video Editor से भी इंटीग्रेटेड है, जिससे एडवांस्ड एडिटिंग संभव है।
Google AI Pro सब्सक्रिप्शन (जिसे पहले Gemini Advanced कहा जाता था) भारत में 1,950 रुपये प्रति माह में उपलब्ध है। इस सब्सक्रिप्शन के साथ यूजर को Veo 3, Gemini 2.5 Pro, Veo 2 वीडियो टूल्स, Whisk, NotebookLM, और 2 TB क्लाउड स्टोरेज तक की पहुंच मिलती है।
Veo 3 की सबसे खास बात है इसका ब्रांड्स और मार्केटिंग एजेंसियों के लिए इस्तेमाल। यह टूल बेहद तेजी से पर्सनलाइज्ड वीडियो कैंपेन तैयार करने, क्रिएटिव कॉन्सेप्ट्स के साथ प्रयोग करने, और विविध ऑडियंस के लिए कस्टमाइज्ड कंटेंट बनाने में सक्षम है। आज के तेजी से बदलते डिजिटल परिदृश्य में जहां तेजी से काम और बदलाव की जरूरत होती है, वहां यह टूल बड़ी भूमिका निभा सकता है।
Google ने इस लॉन्च के साथ जिम्मेदार AI प्रैक्टिसेस को प्राथमिकता देने की बात कही है। यूजर की फोटोज से बने वीडियो में एक विजिबल वॉटरमार्क और SynthID डिजिटल वॉटरमार्क शामिल होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सोर्स ट्रेसिंग सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही कंपनी ने कंटेंट पॉलिसी और सिक्योरिटी गाइडलाइंस को भी लागू किया है, ताकि गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके।
Veo 3 की भारत में उपलब्धता से प्रोफेशनल्स, क्रिएटर्स और ब्रांड्स को एडवांस AI वीडियो जेनरेशन की ताकत मिलेगी। यह लॉन्च गूगल के क्षेत्रीय AI विस्तार की रणनीति का हिस्सा है, जो भारत जैसे बड़े और तेजी से डिजिटल हो रहे बाजार में नई संभावनाओं और रचनात्मक अवसरों के दरवाजे खोलता है।
इस लॉन्च के साथ गूगल ने साफ कर दिया है कि AI अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि हर सेक्टर में रचनात्मकता और उत्पादकता का इंजन बनने जा रहा है।
भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है।
भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेलेब्रिटीज, क्रिकेटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर्स के अकाउंट्स पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें दोबारा बैन कर दिया है। बुधवार, 2 जुलाई को कुछ अकाउंट्स भारत में अस्थायी रूप से दिखने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार ने आपात समीक्षा बैठक के बाद इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को फिर से ब्लॉक कर दिया।
करीब दो महीने पहले, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और इसके साथ ही पाकिस्तान से जुड़े हजारों सोशल मीडिया अकाउंट्स, यूट्यूब चैनल्स और न्यूज प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया था। इनमें लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों जैसे सबा कमर, मावरा होकेन, अहद रजा मीर, युमना जैदी और क्रिकेटर्स शाहिद अफरीदी और शोएब अख्तर जैसे नाम शामिल थे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बुधवार को अचानक इन अकाउंट्स को भारत में फिर से एक्सेस किया जा सका, जिसके बाद केंद्र सरकार ने तुरंत नोटिस लिया और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई और समीक्षा के बाद फिर से कड़ा कदम उठाया और 18,000 से अधिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स को दोबारा बैन कर दिया। इसमें इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद चैनल और प्रोफाइल शामिल हैं।
सरकार की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह कदम देश की डिजिटल सुरक्षा और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
केवल सेलेब्रिटीज ही नहीं, बल्कि ‘हम टीवी’, ‘हर पल जियो’ और ‘ARY डिजिटल’ जैसे पाकिस्तानी न्यूज और एंटरटेनमेंट चैनलों के यूट्यूब व सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में दोबारा ब्लॉक कर दिया गया है।
22 अप्रैल के आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने सैन्य कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस अभियान में PoK में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक संबंध सीमित किए, बल्कि सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया था।
हालांकि, 10 मई को सीजफायर के बाद सीमाओं पर स्थिति सामान्य है, लेकिन डिजिटल मोर्चे पर भारत सख्त रुख बनाए हुए है। यह दोबारा लगाया गया प्रतिबंध इस बात का संकेत है कि सरकार पाकिस्तान से जुड़े किसी भी सांस्कृतिक या सूचना माध्यम को लेकर कोई ढील देने के मूड में नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि भारत सरकार डिजिटल सीमाओं की निगरानी में पूरी तरह सतर्क है, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं।