सूचना-प्रसारण मंत्रालय ‘ओवर द टॉप’ (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को अपने दायरे में लाना चाहता है
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ‘ओवर द टॉप’ (OTT) प्लेटफॉर्म्स (नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5, ऑल्ट बालाजी जैसे कई ओटीटी प्लेफॉर्म्स) पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को अपने दायरे में लाना चाहता है। इस बात के संकेत सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सचिव अमित खरे ने कहा, ‘ओटीटी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो अभी सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के तहत आता है। इस प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज, सीरियल जैसे कंटेंट दिखाए जाते हैं, जोकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय के तहत आना चाहिए।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘इस तरह के मसलों पर कामकाज करने के लिए विभिन्न मंत्रालय में तालमेल होना चाहिए और कारोबारी माहौल में ऐसा किया जाना जरूरी है। खास तौर पर जिस तरह के बदलाव हो रहे हैं उसमें यह बहुत ही आवश्यक है।’
खरे ने कहा कि प्लेटफॉर्म्स के अनुसार भारत में विनियामक कानून विकसित किए गए हैं और देश में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे उभरते मीडिया के लिए फिलहाल कोई नियम नहीं हैं।
दरअसल हाल के दिनों में लॉकडाउन के दौरान देश में ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स की संख्या बढ़ी है। इस कारण इन प्लेटफॉर्म्स पर कंटेट की भी बाढ़ आ गई है। कई कंटेंट को लेकर विवाद भी हुए हैं और लोगों की भावनाओं को आहत करने के आरोप लगा हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपने दायरे में लेने की सूचना प्रसारण मंत्रालय की पहल के पीछे यह भी एक वजह बताई जा रही है।
हाल ही में विश्व हिंदू परिषद समेत कई संस्थाओं ने ओटीटी पर हिंदू धर्म की भावना को आहत करने और स्वस्थ समाज के खिलाफ शो दिखाये जाने के आरोप लगाए थे। इस संदर्भ में विहिप ने सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए एक नियामक बनाये जाने की भी मांग की थी।
गौरतलब है कि भारत में प्लेटफॉर्म्स के हिसाब से नियामक बनाने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन अभी तक भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए कोई नियामक नहीं है। प्रिंट, रेडियो, टीवी, फिल्म के लिये नियामक हैं, जबकि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म रिलीज के लिए कोई नियामक नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल ओटीटी पर रिलीज होने वाली फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के तहत नहीं आती है क्योंकि उसे एक फिल्म की तरह नहीं दिखाया जाता है। हाल ही में लॉकडाउन के दौरान नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5, ऑल्ट बालाजी जैसे कई ओटीटी प्लेफॉर्म्स के सब्सक्रिप्शन में बड़ा उछाल देखा गया। लॉकडाउन के दौरान सिनेमा हॉल के बंद होने के कारण कई प्रोडक्शन हाउसेस थियेटर के बजाय सीधे ओटीटी फ्लेटफॉर्म्स पर ही रिलीज कर रहे हैं।
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कई न्यूज चैनलों में इनपुट हेड के पद पर काम कर चुके पत्रकार प्रशांत सक्सेना अब इस दुनिया में नहीं रहे।
कई न्यूज चैनलों में इनपुट हेड के पद पर काम कर चुके पत्रकार प्रशांत सक्सेना अब इस दुनिया में नहीं रहे। कोरोना से संक्रमित हो जाने की वजह से उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद मंगलवार को उनका निधन हो गया। इन दिनों वे डिजिटल प्लेटफॉर्म न्यूजजे (NEWS J) के साथ कार्यरत थे।
इससे पहले प्रशांत नवतेज टीवी में इनपुट एडिटर के पद पर कार्यरत थे। मई, 2020 में अमर उजाला से अलविदा कहने के बाद उन्होंने नवतेज टीवी जॉइन किया था। अमर उजाला में वे जून, 2018 से डिजिटल विडियो कंटेंट के लिए इनपुट हेड की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
मूल रूप से यूपी के बरेली जिले के रहने वाले प्रशांत ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत 2002 में बरेली के फरीदपुर में हिंदी दैनिक अखबार 'शाह टाइम्स' से बतौर रिपोर्टर की थी। वे करीब एक साल तक यहां रहे थे, जिसके बाद वे टीवी न्यूज चैनल ‘न्यूज टुडे’ से जुड़ गए और यहां भी उन्होंने रिपोर्टिंग में हाथ आजमाए। कई साल रिपोर्टिंग करने बाद उन्होंने असाइनमेंट डेस्क पर अपनी सेवाएं दीं। वे ‘रियल4न्यूज’ में भी सीनियर प्रड्यूसर (इनपुट डेस्क) की भूमिका निभा चुके थे। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई अन्य टीवी चैनलों के साथ भी काम किया था। वे पिछले पांच चैनलों में इनपुट हेड की ही भूमिका में थे।
प्रशान्त ने भोपाल की एमसीआरपी यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर व मास्टर डिग्री ली थी। उनकी यूपी व उत्तराखण्ड की राजनीति व प्रशासनिक क्षेत्रों में मजबूत पकड़ थी।
युवा पत्रकार सुनील चौरसिया ने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब ढाई साल से चैनल की डिजिटल विंग में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
युवा पत्रकार सुनील चौरसिया ने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब ढाई साल से चैनल की डिजिटल विंग में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। सुनील चौरसिया ने अब अपने नए सफर की शुरुआत ‘टीवी9’ (डिजिटल) के साथ की है।
उत्तर प्रदेश के मऊ के मूल निवासी सुनील का परिवार लंबे समय से दिल्ली में रह रहा है। सुनील को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब साढ़े चार साल का अनुभव है। दिल्ली के वेंकटेश्वेर कॉलेज से ग्रेजुएट सुनील ने हरियाणा के हिसार स्थित गुरु जंम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत सुनील ने नोएडा में ‘दिन की पहली खबर’ अखबार से की थी। यहां करीब दो महीने तक इंटर्नशिप करने के बाद उन्होंने हैदराबाद के ‘न्यूज इंडिया’ चैनल को जॉइन कर लिया। कुछ समय बाद यहां से बाय बोलकर सुनील ने ‘जनप्रवाद’ अखबार के साथ अपनी नई पारी शुरू की।
इसके बाद उन्होंने ‘इंडिया वॉइस’ चैनल की डिजिटल विंग के साथ अपना सफर शुरू किया और फिर वहां से अलविदा कहकर ‘राजस्थान पत्रिका’ होते हुए ‘न्यूज नेशन’ पहुंचे, जहां करीब ढाई साल पुरानी पारी को विराम देते हुए उन्होंने अब ‘टीवी9’ के साथ नए सफर की शुरुआत की है। समाचार4मीडिया की ओर से सुनील चौरसिया को उनके नए सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।इस प्लेटफॉर्म पर लोग तमिल भाषा में खबरें पढ़, देख और सुन सकते हैं।
‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) ने अपने विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तमिल बोलने और समझने वालों के लिए तमिल भाषा में एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म 'एबीपी नाडु' (ABP Nadu) लॉन्च किया है। इस लॉन्चिंग के जरिये एबीपी नेटवर्क की योजना तमिलनाडु के प्रतिस्पर्धी डिजिटल न्यूज स्पेस में अपना प्रमुख स्थान बनाने की है। नेटवर्क की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, समय के साथ रीजनल न्यूज और कंटेंट के क्षेत्र में एबीपी नेटवर्क काफी मजबूती के साथ आगे बढ़ा है। नेटवर्क के रीजनल चैनल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने संबंधित मार्केट्स में मजबूत ब्रैंड इक्विटी तैयार की है।
नेटवर्क पश्चिम बंगाल (एबीपी आनंदा), महाराष्ट्र (एबीपी माझा), गुजरात (एबीपी अस्मिता), पंजाब (एबीपी सांझा), उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (एबीपी गंगा) और बिहार (एबीपी बिहार) में सफलतापूर्वक अपने रीजनल चैनल्स/डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का संचालन कर रहा है।
अब एबीपी नेटवर्क ने साउथ में अपने कदम बढ़ाते हुए एबीपी नाडु के नाम से नया डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को उनके पसंदीदा कंटेंट की विस्तृत श्रंखला मिलेगी। एबीपी नाडु अपने यूजर्स के लिए रोजाना 50 न्यूज स्टोरी, 10 स्पेशल स्टोरी और 20 वीडियो रोजाना उपलब्ध कराएगा।
इस लॉन्चिंग के बारे में एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडे का कहना है, ‘तमिलनाडु के कड़े प्रतिस्पर्धी माहौल में प्रवेश करने को लेकर हम काफी उत्साहित हैं। तमिल बाजार में एंट्री के लिए यह सबसे सही समय है। यहां न केवल इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की अच्छी संख्या है, बल्कि लोग भी डिजिटल रूप से खबरें पढ़ने की रुचि रखते हैं। हमें उम्मीद है कि एबीपी नाडु तमिलनाडु के लोगों की इंफॉर्मेशन हासिल करने की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में सफल होगा और रीजनल न्यूज के क्षेत्र में हमें आगे ले जाने में सक्षम बनाएगा।’
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देश के प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ (MX Player) ने अभिषेक जोशी को प्रमोट कर बिजनेस हेड (subscription business) की जिम्मेदारी सौंपी है। उनकी नई नियुक्ति अप्रैल से प्रभावी है। जोशी ने अक्टूबर 2018 में एमएक्स प्लेयर में बतौर हेड ऑफ मार्केटिंग और बिजनेस पार्टनरशिप जॉइन किया था।
‘एमएक्स प्लेयर’ से पहले जोशी ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया’ (SPNI) में बतौर सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड (Marketing, Subscription and Content Licensing- Digital business) की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। जोशी ने जून 2015 में ‘सोनी’ में बतौर वाइस प्रेजिडेंट और हेड (Marketing & Analytics, Digital Business - OTT) के तौर पर अपनी पारी शुरू की थी।
इस दौरान डिजिटल बिजनेस की लीडरशिप टीम की कमान संभालने के साथ ही मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस (ऑनलाइन और ऑफलाइन) पर ध्यान केंद्रित करने के साथ समग्र बिजनेस स्ट्रैटेजी को नया आकार देने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी।
‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया’ में अपनी पारी निभाने से पूर्व जोशी ‘Zenga Media’ में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थे। इसके अलावा वह ‘रिलायंस बिग पिक्चर्स’ (Reliance Big Pictures), ‘सब टीवी’ (Sab TV) और ‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) आदि के साथ भी काम कर चुके हैं।
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टेक-मीडिया स्टार्टअप ‘न्यू इमर्जिंग वर्ल्ड ऑफ जर्नलिज्म’ (NEWJ) अपने विस्तार की दिशा में कदम बढ़ रहा है। इसके तहत मार्च 2021 में एक महीने के भीतर NEWJ ने चार नए रीजनल चैनल्स लॉन्च करने की घोषणा की है। मार्च 2021 में जिन भाषाओं में नए चैनल्स को लॉन्च करने की घोषणा की गई है, उनमें NEWJ (Punjabi), NEWJ (Odia), NEWJ (Assamiya/Assamese) और NEWJ (Urdu) शामिल हैं। इसके बाद एक महीने के भीतर रीजनल भाषा में इसके चैनल्स की संख्या आठ से बढ़कर 12 हो गई है।
NEWJ के अनुसार, नई भाषाओं में चैनल्स शुरू करने का उद्देश्य देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाना है। NEWJ का कहना है, देश में 37 मिलियन से ज्यादा लोग उड़िया बोलते हैं, 33 मिलियन से ज्यादा पंजाबी, 15 मिलियन से ज्यादा लोगो असमिया भाषा और पांच मिलियन से ज्यादा उर्दू बोलते हैं। इन क्षेत्रों में इंटरनेट की खपत भी बढ़ रही है, ऐसे में NEWJ ने रीजनल भाषाओं में अपने कदम और आगे बढ़ाए हैं, ताकि लोगों की क्वालिटी कंटेंट की मांग को पूरा किया जा सके।
इन चैनल्स की लॉन्चिंग के बारे में NEWJ के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ शलभ उपाध्याय का कहना है, ‘Cisco की वार्षिक इंटरनेट रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 907 मिलियन से ज्यादा होगी। ऐसे में हमें देश के डिजिटल नॉलेज ईकोसिस्टम को और प्रभावी बनाना है। भाषायी दीवार को हटाना और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच बनाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।’
उनका यह भी कहना है, ‘टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिजिटल व्युअरशिप बढ़ रही है, खासकर पहले की तुलना में सोशल मीडिया का काफी विस्तार हुआ है। विभिन्न सेक्टर्स के तमाम ब्रैंड्स डिजिटल पर क्षेत्रीय भाषा का कंटेंट उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं। ऐसे में हम रीजनल भाषा में चार नए चैनल्स लॉन्च करने को लेकर काफी खुश हैं।’
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युवा पत्रकार अतुल यादव ने न्यूज ऐप ‘इनशॉर्ट्स’ (Inshorts) के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने यहां पर कम्युनिटी सपोर्ट स्पेशलिस्ट के तौर पर जॉइन किया है। अतुल यादव इससे पहले करीब एक साल से न्यूज एजेंसी ‘आईएएनएस’ की हिंदी शाखा के साथ जुड़े हुए थे।
मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले अतुल यादव ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। यहां ग्रेजुएशन के दौरान भी वह कॉलेज में कई जिम्मेदारियों को संभाल चुके हैं। अतुल 2018-19 में स्टूडेंट यूनियन में ‘मीडिया प्रेजिडेंट’ भी रह चुके हैं।
अतुल यादव ने मीडिया जगत में अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन (डीडी) में बतौर इंटर्न की थी। इसके बाद वह कुछ समय तक न्यूज एजेंसी ‘यूएनआई’ के साथ जुड़े रहे।
‘यूएनआई’ के बाद अतुल यादव ने दिल्ली में ‘राजनीति संदेश’ अखबार के साथ अपनी पारी शुरू की। यहां करीब एक साल तक बतौर रिपोर्टर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद उन्होंने यहां से अलविदा कहकर ‘आईएएनएस’ का रुख कर लिया और अब वहां से बाय बोलकर ‘इनशॉर्ट्स’ के साथ नई पारी शुरू की है।
समाचार4मीडिया की ओर से अतुल यादव को उनकी नई पारी के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
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सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर परोसी गई सामग्री यानी का कंटेंट को नियंत्रित करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट समेत अन्य हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, तो कोई भी हाई कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर उठाया। दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से यह मांग की है इस मामले की सुनवाई होली के बाद की जाए, तब तक इस मामले में लंबी बहस की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई होली के दूसरे हफ्ते में करेगा।
वहीं सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में वह तभी आगे कार्यवाही करेगी, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक नहीं लगाई जाती। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि ट्रांसफर पिटीशन (सुनवाई को टालने की याचिका) पर नोटिस जारी किया जाना तकनीकी तौर पर हाई कोर्ट में लंबित मामले में रोक लग जाना होता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा देंगे। मामले को तब तक ट्रांसफर नहीं किया जाएगा, जब तक इस मामले में नोटिस की कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को होली के बाद दूसरे हफ्ते तक टालते हुए आदेश दिया कि ‘देश की अलग-अलग हाई कोर्ट में OTT के मामलों पर 15 से 20 याचिकाएं लंबित हैं और हम उन सभी मामलों की सुनवाई और प्रक्रिया पर रोक लगाते हैं, जो हाई कोर्ट में लंबित हैं। याचिकाकर्ता सूचना-प्रसारण मंत्रालय के जवाब पर अपना जवाब दाखिल करें।’
दरअसल, याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा ने अपनी याचिका में कहा कि OTT प्लेटफॉर्म में लगातार ऐसे कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं, जो सामाजिक और नैतिक मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, कुछ कार्यक्रमों में सैन्य बलों (Military Forces) तक का गलत चित्रण किया गया है। इसलिए, एक स्वायत्त संस्था का गठन किया जाए जो OTT के कार्यक्रमों की निगरानी कर सके। याचिका के मुताबिक, केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने OTT प्लेटफॉर्म्स को उन बातों की एक लिस्ट सौंपी थी, जिन्हें कार्यक्रमों में नहीं दिखाया जा सकता, लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा।
याचिका में कहा गया है कि नेटफ्लिक्स, एमॉन प्राइम, हॉट स्टार, ऑल्ट बालाजी जैसे 15 बड़े प्लेटफॉर्म्स ने मिलकर खुद पर नियंत्रण के लिए एक संस्था बनाई, लेकिन संस्था का कामकाज संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह OTT प्लेटफॉर्म्स में दिखाई जा रही सामग्री पर नियंत्रण के लिए किस तरह की व्यवस्था बनाएगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि वो OTT प्लेटफॉर्म के कंटेनेट पर निगरानी रखे हुए है। सू सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नए नियमों के मुताबिक OTT प्लेटफॉर्म्स जैसे- नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम आदि के कंटेंट पर निगरानी रखी जा रही है।
मंत्रालय ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म को लेकर उनके पास कई शिकायतें मिली थी, जिसमें कई सांसद, विधायक व बुद्धिजीवी शामिल थे। उन शिकायतों पर गौर करने के बाद इसी साल OTT प्लेटफार्म के कंटेनेट पर निगरानी के लिए एक नया नियम इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 लाया गया।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक, इस एक्ट कि धारा 67,67A और 67 B में ये प्रावधान है कि सरकार आपत्तिजनक कंटेंट को प्रतिबंधित कर सके।
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मूलरूप से कानपुर के रहने वाले पुलक बाजपेयी को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल तीनों प्लेटफॉर्म्स पर काम करने का अनुभव है।
युवा पत्रकार पुलक बाजपेयी ने ‘जी बिजनेस’ में अपनी करीब चार साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। यहां वह डिप्टी एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने अब अपना नया सफर दैनिक भास्कर, भोपाल से शुरू किया है। यहां उन्होंने बतौर डिप्टी एडिटर (डिजिटल) जॉइन किया है। अपनी नई भूमिका में वह डिजिटल विंग में बिजनेस से जुड़ी खबरों की कमान संभालेंगे।
पुलक पिछले 14 साल से भी ज्यादा समय से पत्रकारिता में अपना योगदान दे रहे हैं और उन्हें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल तीनों प्लेटफॉर्म्स पर काम करने का अनुभव है। वर्ष 2006 में नोएडा के जागरण इंस्टीट्यूट से मासकॉम करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत कानपुर स्थित न्यूज चैनल एबीसी न्यूज (ABC NEWS) से की, जहां उन्होंने ‘आपसे मुलाकात’ प्रोग्राम की एंकरिंग की।
इसके बाद वह वर्ष 2008 में ‘दैनिक जागरण’ समूह के अखबार ‘आईनेक्स्ट’ से जुड़ गए और कानपुर में रहते हुए इसके लिए रिपोर्टिंग की। कुछ महीनों तक यहां रिपोर्टिंग की बारीकियां सीखने के बाद वह मई 2008 में ‘बिजनेस भास्कर’ से सीनियर सब एडिटर के तौर पर जुड़ गए, जहां वह करीब ढाई साल तक बिजनेस की खबरों में अपना योगदान देते रहे। सितंबर 2010 में उन्होंने यहां से अलविदा कह दिया और ‘इकनॉमिक टाइम्स’ के हिंदी एडिशन से जुड़ गए। सीनियर कॉपी एडिटर के साथ-साथ वह यहां दो साल तक रिपोर्टिंग भी करते रहे।
इसके बाद पुलक ने जागरण समूह एक बार फिर जॉइन और तब उन्हें समूह के डिजिटल वेंचर में चीफ सब एडिटर बनाया गया। अपने बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत वे जल्द ही प्रमोट होकर डिप्टी न्यूज एडिटर बन गए, जिसके बाद वह इसी पद पर ‘बिजनेस भास्कर’ से जुड़े और फिर चीफ सब एडिटर के तौर पर ‘मनीभास्कर’ न्यूज पोर्टल से।
वर्ष 2015 में पुलक ने यहां से बाय बोलकर हिंदी बिजनेस न्यूज चैनल ‘सीएनबीसी आवाज’ जॉइन कर लिया। जुलाई 2017 तक यहां अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद पुलक बाजपेयी ने यहां पर अपनी पारी को विराम दे दिया और ‘जी बिजनेस’ से जुड़ गए। इसके बाद अब उन्होंने फिर दैनिक भास्कर समूह जॉइन किया है।
यूपी की कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम करने वाले पुलक ने वर्ष 2013 में महाराष्ट्र के महात्मा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है। समाचार4मीडिया की ओर से पुलक बाजपेयी को उनके नए सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
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केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया से जुड़े किसी भी व्यक्ति को जेल भेजने की धमकी देने से इनकार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि सरकार ने कभी भी ट्विटर समेत किसी भी डिजिटल मीडिया कंपनी के कर्मचारी को जेल भेजने की धमकी नहीं दी है।
फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर आदि के कर्मचारियों के लिए जेल की सजा का प्रावधान किए जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्रालय का कहना है कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म अन्य व्यवसायों की तरह भारत के कानूनों और देश के संविधान का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
मंत्रालय के अनुसार, जैसा कि संसद में कहा गया है डिजिटल मीडिया यूजर्स सरकार, प्रधानमंत्री या किसी भी मंत्री की आलोचना कर सकते हैं। लेकिन हिंसा को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक विभाजन और आतंकवाद के प्रसार को रोकना होगा।
गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में ट्विटर को सैकड़ों पोस्ट, अकाउंट और हैशटैग हटाने का आदेश दिया था। सरकार का कहना था कि ये नियमों का उल्लंघन करते हैं। ट्विटर ने शुरू में पूरी तरह से इसका अनुपालन नहीं किया, लेकिन सरकार द्वारा दंडात्मक प्रावधानों का हवाला देने के बाद उसने अमल किया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रालय का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के लिए पिछले दिनों जारी गाइडलाइंस का मकसद सिर्फ इतना है कि ये प्लेटफॉर्म्स यूजर्स के लिए मजबूत शिकायत निवारण तंत्र का गठन करें। मंत्रालय के अनुसार, ‘सरकार आलोचना और असहमति का स्वागत करती है। हालांकि, आतंकी समूहों द्वारा देश के बाहर से नफरत और हिंसा फैलाने के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल गंभीर चिंता की बात है।‘
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केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों डिजिटल मीडिया के लिए जारी गाइडलाइंस को लेकर सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को ‘डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन’ (डीएनपीए) के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस मीटिंग में ‘इंडिया टुडे’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘एबीपी’, ‘ईनाडु’, ‘दैनिक जागरण’ और ‘लोकमत’ के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस दौरान जावड़ेकर का कहना था कि नए नियमों में डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के लिए कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। इनमें ‘भारतीय प्रेस परिषद’ (Press Council of India) द्वारा निर्धारित पत्रकारीय आचरण के नियम और केबल टेलिविजन नेटवर्क अधिनियम के तहत प्रोग्राम कोड जैसी आचार संहिताओं का पालन करना शामिल है।
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उन्होंने कहा कि लोगों की शिकायतों के समाधान के लिए इन नियमों में तीन स्तरीय शिकायत समाधान तंत्र (three-tier grievance redressal mechanism) उपलब्ध कराया गया है। इसमें पहले और दूसरे स्तर पर डिजिटल न्यूज पब्लिशर और उनके द्वारा गठित स्व नियामक संस्थाएं (self-regulatory bodies) होंगी।
जावड़ेकर ने यह भी बताया कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को एक आसान से फॉर्म में मंत्रालय को कुछ मूलभूत जानकारियां भी देनी होंगी, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। समय-समय पर उन्हें अपने द्वारा की गई शिकायतों के समाधान को सार्वजनिक करने की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया और टीवी चैनल्स के डिजिटल संस्करण हैं, जिनका कंटेंट काफी हद तक उनके पारम्परिक प्लेटफॉर्म जैसा ही होता है। हालांकि, कुछ ऐसा कंटेंट भी होता है जो विशेष रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए होता है। इसके अलावा कई ऐसी इकाइयां हैं, जो सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हैं। इस क्रम में, डिजिटल मीडिया पर पब्लिश समाचारों पर नियम लागू होने चाहिए, जिससे उन्हें पारम्परिक मीडिया के स्तर का बनाया जा सके।
इस मीटिंग के दौरान नए नियमों का स्वागत करते हुए विभिन्न मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों का कहना था कि टीवी और प्रिंट मीडिया लंबे समय से केबल टीवी नेटवर्क अधिनियम और प्रेस परिषद अधिनियम के नियमों का पालन करते रहे हैं। इसके अलावा डिजिटल संस्करणों के प्रकाशन के लिए पब्लिशर्स पारम्परिक प्लेटफॉर्म्स के मौजूदा नियमों का पालन करते हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ उन न्यूज पब्लिशर्स से अलग व्यवहार करना चाहिए, जो सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हैं। इस पर जावड़ेकर ने कहा कि सरकार इन पर विचार करेगी और मीडिया इंडस्ट्री के समग्र विकास के लिए इस परामर्श की प्रक्रिया को जारी रखेगी।
बता दें कि इससे पहले चार मार्च को जावड़ेकर ने विभिन्न ‘ओवर द टॉप’ (OTT) प्लेटफॉर्म्स जैसे- अल्ट बालाजी, डिज्नी+ हॉटस्टार, एमेजॉन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, जियो टीवी, जी5, वूट, शेमारू और एमएक्स प्लेयर के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी।
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