'न्यूजनेक्स्ट 2024' के 16वें संस्करण में मोजो स्टोरी की फाउंडर व एडिटर बरखा दत्त ने 'टेक्नोलॉजी, एआई और पत्रकारिता पर इसका प्रभाव' विषय पर बात की।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप एक बार फिर अपने प्रतिष्ठित वार्षिक मीडिया सम्मेलन 'न्यूजनेक्स्ट 2024' (NewsNext 2024) का आयोजन किया, जोकि 30 मार्च को नई दिल्ली के द इंपीरियल होटल में आयोजित किया गया। यह इस कार्यक्रम का 16वां संस्करण है। इस शिखर सम्मेलन में मोजो स्टोरी की फाउंडर व एडिटर बरखा दत्त ने 'टेक्नोलॉजी, एआई और पत्रकारिता पर इसका प्रभाव' विषय पर बात की।
बरखा दत्त ने अपने सत्र की शुरुआत पत्रकारों द्वारा मुख्यधारा की मीडिया से हटकर अपना प्लेटफॉर्म स्थापित करने की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए की। हालांकि, उन्होंने उल्लेख किया कि इस बदलाव के बावजूद, पत्रकार इस मीडिया इंडस्ट्री में अतिध्रुवीकरण से उत्पन्न चुनौतियों से अछूते नहीं हैं।
उनके अनुसार, आज पत्रकारों को तीन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, चाहे वह किसी भी माध्यम से जुड़े हों।
उन्होंने साझा किया कि पहली चुनौती है अतिध्रुवीकरण, क्योंकि दर्शकों को बायस (bias) पसंद आने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी चुनौती है टेक्नोलॉजी की बदलती प्रकृति। अच्छी खबर यह है कि मीडिया में टेक्नोलॉजी के जरिए बड़ी अपॉर्चुनिटी सक्षम हो गई है। मैं हर शाम पांच बजे अपने प्लेटफॉर्म पर एक लाइव स्ट्रीमिंग शो करती हूं। जब मैंने यही शो एनडीटीवी में करती थी, तो इसमें 15 लोगों का दल, प्रॉडक्शन कंट्रोल रूम, एक आउटपुट एडिटर आदि शामिल थे। अब जब मैंने टेक्नोलॉजी में महारत हासिल कर ली है, तो मैं इसे स्वयं कर सकती हूं। हम इसे प्रॉडक्शन के उच्चतम मानकों पर बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा, “नकारात्मक पक्ष यह है कि टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है कि हम सभी को दो चीजें करनी होंगी। हम सभी को अपनी स्किल को बढ़ाना होगा और हम सभी को और सीखना होगा। यदि हम अपने स्किल को विकसित नहीं करते हैं, तो हम और अधिक सीख नहीं सकते हैं, लिहाजा हम जल्द ही बेकार हो जाएंगे। यदि टेक्नोलॉजी को अपना दोस्त नहीं बनाएंगे तो, बुरी तरह से पिछड़ जाएंगे, लिहाजा टेक्नोलॉजी को अपना दोस्त बनाएं।''
आखिरी चुनौती जिसके बारे में उन्होंने बात की तो वह है रेवेन्यू। उनके अनुसार, न्यूजपेपर सरकार पर निर्भर हैं, जबकि टेलीविजन चैनल बड़े बिजनेस या सरकार पर निर्भर हैं, जबकि मार्केट और इंटरनेट अब क्लिक पर निर्भर हैं।
“हम अब उस स्थिति से आगे बढ़ गए हैं, जब मीडिया सरकार के स्वामित्व में थी, मार्केट का दबाव था, जब इस बात का दबाव था कि ऐडवर्टाइजर्स और आपकी रेटिंग ने आपको कितने स्पॉन्सर्स दिए, अब एल्गोरिदम के अत्याचार हैं, ये चुनौतियां हैं और ये एक प्रकार के अतिध्रुवीकरण की ओर ले जाती है। आज मीडिया में क्लिक पर अत्यधिक निर्भरता बहुत बड़ी चिंता का विषय है।
अंत में उन्होंने कहा कि चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितने भी प्लेटफॉर्म्स या जॉब्स छीन ले, आपके और आपके दर्शकों के बीच का रिश्ता ही मायने रखता है।
iTV नेटवर्क के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'NewsX' ने अपनी वेबसाइट newsx.com को पूरी तरह से नए अवतार में लॉन्च कर दिया है।
iTV नेटवर्क के अंग्रेजी न्यूज चैनल 'NewsX' ने अपनी वेबसाइट newsx.com को पूरी तरह से नए अवतार में लॉन्च कर दिया है। यह नया प्लेटफॉर्म आधुनिक डिजाइन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित फीचर्स और यूजर-फर्स्ट अप्रोच के साथ डिजिटल न्यूज के अनुभव को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है।
नई वेबसाइट न सिर्फ विजुअली आकर्षक है, बल्कि इसकी नेविगेशन भी बेहद सहज है। सबसे खास बात है इसका AI-पावर्ड कंटेंट रिकमेंडेशन इंजन, जो हर यूजर के लिए उनकी रुचि के मुताबिक खबरों का चयन करता है। इसका मतलब यह है कि अब पाठकों को वही खबरें पहले दिखेंगी जो उनके लिए सबसे ज्यादा प्रासंगिक, समयानुकूल और भरोसेमंद हैं। NewsX की रिपोर्टिंग में गहराई, तथ्य-आधारित विश्लेषण और ग्लोबल परिप्रेक्ष्य साफ झलकता है।
वेबसाइट में इंटरऐक्टिव विजेट्स, ट्रेंडिंग स्टोरीज, मल्टीमीडिया फॉर्मैट्स और इन-डेप्थ एनालिसिस को प्रमुखता दी गई है। पूरी वेबसाइट का ढांचा इस तरह तैयार किया गया है कि पाठकों को बिना किसी रुकावट के सूचनाएं मिलें और वे NewsX की विविध कंटेंट ऑफर्स से और गहराई से जुड़ सकें। डिजाइन में मोबाइल-फ्रेंडली और इमर्सिव ब्राउजिंग को प्राथमिकता दी गई है।
NewsX की इस रणनीतिक पहल के बारे में iTV नेटवर्क के चीफ प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर अक्षांश यादव ने कहा, “नई NewsX वेबसाइट हमारी इस सोच का परिणाम है कि AI का इस्तेमाल करके न्यूज को न सिर्फ पर्सनलाइज किया जा सकता है, बल्कि उसे ज्यादा आकर्षक और भरोसेमंद भी बनाया जा सकता है। टीम ने साइट के हर पहलू को नए सिरे से डिजाइन किया है ताकि यूजर्स को सहज, तथ्य-आधारित और नेत्रसुखद अनुभव मिले। यह कदम हमारी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन यात्रा में एक अहम पड़ाव है।”
iTV नेटवर्क के ग्रुप सीईओ अभय ओझा ने कहा, “newsx.com का यह नया रूप हमारी नवाचार और ऑडियंस संतुष्टि की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एडिटोरियल क्वॉलिटी और टेक्नोलॉजी के बेहतरीन मेल से हम डिजिटल मीडिया में भरोसेमंद नेतृत्व को और मजबूत बनाने के लिए तैयार हैं।”
NewsX की यह नई वेबसाइट आज के डिजिटल पाठकों को एक ऐसा अनुभव देने का वादा करती है जो न सिर्फ सूचनात्मक और विश्वसनीय हो, बल्कि तेज, स्मार्ट और पूरी तरह उनके लिए ही तैयार किया गया हो।
iTV नेटवर्क की डिजिटल इकाई iTV Digital Services Private Limited (IDSPL) ने वरिष्ठ पत्रकार संघमित्रा मजूमदार को अपने इंग्लिश डिजिटल वर्टिकल की न्यूज डायरेक्टर नियुक्त किया है।
iTV नेटवर्क की डिजिटल इकाई iTV Digital Services Private Limited (IDSPL) ने वरिष्ठ पत्रकार संघमित्रा मजूमदार को अपने इंग्लिश डिजिटल वर्टिकल की न्यूज डायरेक्टर नियुक्त किया है। इस भूमिका में वे नेटवर्क के अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होने वाले वेबसाइट्स, वीडियो और सोशल प्लेटफॉर्म्स के लिए संपादकीय रणनीति, न्यूजरूम संचालन और ऑडियंस ग्रोथ की अगुवाई करेंगी।
संघमित्रा मजूमदार को डिजिटल और प्रिंट पत्रकारिता में दो दशकों से भी अधिक का अनुभव है। ABP Live English की संपादक के रूप में काम करने से पहले वे The Indian Express, The Print और The Statesman जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में वरिष्ठ संपादकीय पदों पर रही हैं। उनकी पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 2000 में हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ हुई थी।
अपनी नई जिम्मेदारी को लेकर संघमित्रा मजूमदार ने कहा, “आज की डिजिटल पत्रकारिता सिर्फ तेजी नहीं, संदर्भ और समझ के साथ खबर देने की कला है। 25 साल के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि चुनौती सिर्फ़ ख़बरें सबसे पहले देने की नहीं है, बल्कि उन्हें भरोसे, विश्वसनीयता और जुड़ाव के साथ पेश करने की है। इस नई भूमिका में मेरा लक्ष्य एक ऐसी न्यूजरूम संस्कृति बनाना होगा जो रफ्तार के साथ गहराई, तकनीक के साथ ईमानदारी और दर्शकों के लिए सचमुच जरूरी कहानियों को प्राथमिकता दे।”
iTV नेटवर्क के सीईओ अभय ओझा ने संघमित्रा की नियुक्ति पर कहा, “हम संघमित्रा मजूमदार का iTV नेटवर्क परिवार में स्वागत करते हुए बेहद उत्साहित हैं। उनकी संपादकीय सूझबूझ, न्यूज सेंस और शीर्ष राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स पर नेतृत्व का लंबा अनुभव हमारे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में अहम भूमिका निभाएगा। उनका विजन और पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्धता हमारी अंग्रेजी डिजिटल पेशकशों को नई दिशा देगी। हमें विश्वास है कि उनके नेतृत्व में एक सशक्त और भरोसेमंद डिजिटल अध्याय की शुरुआत होगी।”
iTV नेटवर्क यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी डिजिटल खबरें न सिर्फ तेज हों, बल्कि भरोसेमंद और जनहित से जुड़ी भी हों और संघमित्रा मजूमदार की नियुक्ति उसी दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
टेक्नोलॉजी कंपनी मेटा (Meta) ने भारत में अपने नए मैनेजिंग डायरेक्टर और हेड के रूप में अरुण श्रीनिवास (Arun Srinivas) की नियुक्ति की है।
टेक्नोलॉजी कंपनी मेटा (Meta) ने भारत में अपने नए मैनेजिंग डायरेक्टर और हेड के रूप में अरुण श्रीनिवास (Arun Srinivas) की नियुक्ति की है। यह घोषणा कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट (भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया) संध्या देवनाथन की भूमिका में विस्तार के बाद की गई है, जिनके अधीन अब भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया दोनों क्षेत्र होंगे।
अरुण श्रीनिवास 1 जुलाई 2025 से अपनी नई भूमिका में कार्यभार संभालेंगे और संध्या देवनाथन को रिपोर्ट करते रहेंगे। इस नई जिम्मेदारी में वे मेटा के व्यवसाय, नवाचार और राजस्व प्राथमिकताओं को एक सूत्र में पिरोते हुए कंपनी के साझेदारों और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही वे भारत में कंपनी की दीर्घकालिक विकास रणनीति को मजबूती देने के लिए अग्रणी ब्रांड्स, विज्ञापनदाताओं, डेवलपर्स और साझेदारों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएंगे।
श्रीनिवास वर्तमान में मेटा इंडिया में डायरेक्टर और हेड ऑफ ऐड्स बिज़नेस की भूमिका में हैं। वे 2020 में मेटा से जुड़े थे और तब से लेकर अब तक भारत के प्रमुख विज्ञापनदाताओं और एजेंसी पार्टनर्स के साथ कंपनी की रणनीतिक राजस्व प्राथमिकताओं—जैसे AI, रील्स और मैसेजिंग—पर काम कर चुके हैं।
करीब तीन दशक के अनुभव के साथ श्रीनिवास हिंदुस्तान यूनिलीवर, रीबॉक, ओला और वेस्टब्रिज कैपिटल जैसी कंपनियों में सीनियर नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुके हैं।
संध्या देवनाथन ने इस मौके पर कहा, “जैसे-जैसे भारत आर्थिक प्रगति और नवाचार का केंद्र बनता जा रहा है, हमें खुशी है कि अरुण हमारे प्रयासों का नेतृत्व करेंगे। भारत में AI अपनाने से लेकर वॉट्सऐप और रील्स में अग्रणी भूमिका निभाने तक, मेटा की दिशा को तय करने में अरुण का अनुभव, टीम निर्माण की उनकी क्षमता और साझेदारियों को मजबूत करने की समझ बेहद अहम होगी। हम मिलकर भारत में मेटा के विस्तार को और गति देंगे।”
विकिपीडिया (Wikipedia) ने हाल ही में शुरू किए गए एआई-जनित आर्टिकल समरीज (AI-generated article summaries) के ट्रायल को फिलहाल स्थगित कर दिया है
विकिपीडिया (Wikipedia) ने हाल ही में शुरू किए गए एआई-जनित आर्टिकल समरीज (AI-generated article summaries) के ट्रायल को फिलहाल स्थगित कर दिया है, क्योंकि इसके स्वयंसेवी संपादकों (Editors) की समुदाय से तीव्र प्रतिक्रिया मिली है। यह फीचर वेबसाइट के मोबाइल वर्जन पर टेस्ट किया जा रहा था, जिसका मकसद लंबी और जटिल जानकारियों को संक्षेप में, मशीन से तैयार किए गए टेक्स्ट में पेश करना था। हालांकि सटीकता, संपादकीय नियंत्रण और प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता को लेकर उठे सवालों के बाद विकिमीडिया फाउंडेशन को यह ट्रायल रोकना पड़ा।
एआई से तैयार ये समरीज कुछ लेखों की शुरुआत में दिखाए जा रहे थे और इन्हें पीले रंग के "unverified" टैग के साथ स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया था। उद्देश्य था कि पाठकों (खासकर उन लोगों के लिए जो विषय से परिचित नहीं हैं) के लिए लेखों को समझना आसान बनाया जाए। लेकिन कई अनुभवी संपादकों को लगा कि यह प्रयोग विकिपीडिया की मूल भावना के खिलाफ है, जहां सामग्री इंसानी योगदान और समीक्षा के आधार पर बनती है।
एक वरिष्ठ संपादक ने प्रतिक्रिया में कहा, “यह वह नहीं है, जिसके लिए विकिपीडिया खड़ा है।” उनके मुताबिक इस तरह के एआई समरीज पाठकों को भ्रमित कर सकते हैं और साइट की सामग्री की गुणवत्ता कमजोर कर सकते हैं। अन्य संपादकों ने चेताया कि मशीन से तैयार लेखों में सूक्ष्म गलतियां या गलतफहमियां हो सकती हैं, जिन्हें मानव संपादक पकड़ सकता है।
विरोध उस समय और तेज हो गया जब संपादकों ने इस पहल की तुलना Google के AI Overviews से की, जिसे हाल ही में तथ्यात्मक त्रुटियों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। विकिपीडिया के कई योगदानकर्ताओं ने चिंता जताई कि अगर विकिपीडिया भी इसी राह पर चलता है, तो उसकी साख को गहरा नुकसान हो सकता है, खासतौर पर तब जब एआई जनित सामग्री को इंसानी लेखन से ऊपर रखा जाने लगे।
ऑनलाइन चर्चाओं में “बहुत खराब विचार” और “पूरी तरह विरोध” जैसे शब्द बार-बार सामने आए। कुछ योगदानकर्ताओं ने यहां तक कह दिया कि अगर विकिपीडिया इसी दिशा में गया, तो वे संपादन छोड़ देंगे। उनके अनुसार, इंसानी संपादक गलतियां कर सकते हैं, लेकिन विकिपीडिया का सहयोगात्मक मॉडल दीर्घकाल में भरोसे की गारंटी देता है, जो बिना निगरानी के एआई कभी नहीं दे सकता।
इस तीव्र प्रतिक्रिया के बाद विकिमीडिया फाउंडेशन ने पुष्टि की कि एआई समरी ट्रायल फिलहाल रोक दिया गया है। एक आधिकारिक बयान में फाउंडेशन ने स्वीकार किया कि इस फीचर को पेश करते वक्त संपादक समुदाय से पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं किया गया, और भविष्य में एआई जैसे टूल्स को शामिल करने से पहले सोच-समझकर योजना बनानी होगी।
हालांकि यह परियोजना फिलहाल स्थगित है, विकिमीडिया ने स्पष्ट किया कि वह भविष्य में एआई के इस्तेमाल की संभावना से इनकार नहीं करता। लेकिन आगे किसी भी तरह का प्रयोग पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी के साथ ही किया जाएगा।
कंपनी के अनुसार, इसमें Speed 50, Speed 100, Duniya 20, Sports 20, Mausam 20 जैसे छोटे और दिलचस्प फॉर्मैट्स में रीयल टाइम कंटेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
‘कनेक्टेड टीवी’ (CTV) और लीनियर टीवी पर मौजूदगी के बाद अब India TV Speed News वेब प्लेटफॉर्म पर भी लॉन्च हो चुका है। इस विस्तार के साथ यह चैनल अब सभी डिजिटल माध्यमों पर उपलब्ध है, जिससे दर्शक किसी भी समय, किसी भी डिवाइस पर तेजी से और सहज रूप से खबरें देख सकते हैं।
कंपनी के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म खास तौर पर उन डिजिटल-फर्स्ट दर्शकों के लिए तैयार किया गया है जो ताजा जानकारी तुरंत चाहते हैं। इसमें Speed 50, Speed 100, Duniya 20, Sports 20, Mausam 20 जैसे छोटे और दिलचस्प फॉर्मैट्स में रीयल टाइम कंटेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
इंडिया टीवी की मैनेजिंग डायरेक्टर रितु धवन ने कहा, 'Speed News को अब वेब पर लॉन्च करके हम तेज और भरोसेमंद पत्रकारिता को आज के डिजिटल दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं। यह प्लेटफॉर्म पहले ही CTV और टीवी पर अच्छी सफलता दर्ज कर चुका है, और अब वेब के माध्यम से हम दर्शकों तक उनकी सुविधा के अनुसार किसी भी समय, किसी भी डिवाइस पर पहुंच सकेंगे।'
कंपनी का कहना है कि यह वेब लॉन्च ‘इंडिया टीवी’ के उस विजन को आगे बढ़ाता है, जिसमें खबरों को तेजी, सटीकता और विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत करने की प्रतिबद्धता है। चाहे स्मार्ट टीवी हो, पारंपरिक टीवी सेट या स्मार्टफोन—India TV Speed News अब हर प्लेटफॉर्म पर तेज, केंद्रित और भरोसेमंद खबरों का प्रमुख ठिकाना बन चुका है।
प्रॉडक्शन बजट पर दबाव बढ़ने के साथ, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं।
कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
प्रॉडक्शन बजट पर दबाव बढ़ने के साथ, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। सिर्फ दर्शकों को कंटेंट सजेस्ट करने के लिए नहीं, बल्कि स्क्रिप्ट लेखन, स्टोरीबोर्ड बनाने और वर्चुअल लोकेशन्स तैयार करने जैसे रचनात्मक कार्यों में भी AI की मदद ली जा रही है।
जहां ChatGPT पहले से ही प्रड्यूसर और स्क्रिप्टराइटर के बीच लोकप्रिय है, वहीं अब Anthropic द्वारा विकसित Claude भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसका इस्तेमाल संवादों के वैरिएंट्स बनाने, सीन डिस्क्रिप्शन को समृद्ध करने और कैरेक्टर डेवलपमेंट एक्सप्लोर करने में हो रहा है। ये टूल्स टोन को बेहतर बनाते हैं और यहां तक कि किसी विशेष व्यक्ति की लेखन शैली की नकल भी कर सकते हैं।
प्रॉडक्शन की लागत घटाने और शेड्यूल तेज करने के लिए कई प्रॉडक्शन हाउस, यहां तक कि बड़े स्टूडियोज भी अब कंटेंट निर्माण के अलग-अलग चरणों में AI को शामिल कर रहे हैं। हालांकि यह अपनाने का चरण अभी शुरुआती है, लेकिन जनरेटिव AI का उपयोग स्क्रिप्टिंग और प्री-प्रॉडक्शन में रफ्तार पकड़ रहा है। इन टूल्स की मदद से आइडियाज जनरेट करना, ड्राफ्ट बनाना, लोकलाइजेशन करना और डायलॉग लिखना आसान हो गया है।
छोटे स्टूडियोज को इसका विशेष फायदा हो रहा है, क्योंकि इससे उनकी ओवरहेड लागत घटती है और वे ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो पाते हैं। इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स के मुताबिक, कुछ मामलों में AI टूल्स प्रॉडक्शन कॉस्ट को 30-40% तक कम कर सकते हैं।
प्रॉड्यूसर्स का कहना है, “AI टूल्स स्टोरीटेलिंग को आसान बनाते हैं- प्लॉट गैप पकड़ने, स्टोरीबोर्ड जनरेट करने और स्क्रिप्ट को बेहतर करने में मदद करते हैं। Claude की क्रिएटिव इनपुट और Perplexity की प्रिसिशन के साथ हम अपनी कहानियों के दायरे को बड़ा कर पा रहे हैं।”
Juggernaut Productions (IN10 मीडिया नेटवर्क) के टीवी और ओटीटी कंसल्टेंट युबराज भट्टाचार्य कहते हैं कि AI का इस्तेमाल अब वर्चुअल सेट और वातावरण तैयार करने के लिए भी किया जा रहा है। “यह अब विज्ञापनों और म्यूजिक वीडियोज में दिखाई देने लगा है और धीरे-धीरे फीचर फिल्मों में भी।”
क्रिएटर्स के मुताबिक, OpenAI का Sora और Runway का Gen-2 जैसे टूल्स का इस्तेमाल लोकेशन सिमुलेट करने, शूटिंग की टाइमलाइन को संक्षिप्त करने और ऑन-लोकेशन शूट्स की लागत घटाने के लिए ट्रायल पर है।
PTPL इंडिया के COO और SonyLIV के पूर्व एग्जीक्यूटिव पेप फिगुएरेडो कहते हैं, “AI टूल्स अब लेखन, एडिटिंग और पोस्ट-प्रॉडक्शन तक में इस्तेमाल हो रहे हैं—इनमें शामिल हैं Toolsaday, Sudowrite, ScriptBook, DeepStory, Celtx AI, Runway, Adobe Firefly, Pictory, Descript, Wisecut, Soundraw, Amper Music, Cleanvoice AI और CinePlanner।”
FICCI-EY रिपोर्ट के मुताबिक, ये टेक्नोलॉजीज प्री-प्रॉडक्शन लागत को 20–30% तक घटाने, प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और वर्कफ्लो को बेहतर बनाने की क्षमता रखती हैं—वो भी क्रिएटिव डेप्थ को नुकसान पहुंचाए बिना।
फिगुएरेडो के अनुसार, “AI टूल्स हर प्रोजेक्ट में स्क्रिप्ट डेवलपमेंट में ₹40,000 से ₹2,00,000 और पोस्ट-प्रॉडक्शन में ₹1,00,000–₹5,00,000 तक की बचत कर सकते हैं। खासकर क्षेत्रीय और डिजिटल-फर्स्ट क्रिएटर्स के लिए ये गेम-चेंजर हैं—क्योंकि ये क्वालिटी और क्रिएटिव डायरेक्शन से समझौता किए बिना बराबरी का मौका देते हैं।”
हालांकि, सबकी राय इससे मेल नहीं खाती। Locomotive Global के मैनेजिंग पार्टनर सुंदर ऐरन कहते हैं, “हमने AI डबिंग टूल्स (कस्टम मेड) पर प्रयोग किया है, लेकिन पाया कि ये अभी उस क्वालिटी स्तर तक नहीं पहुंचे हैं जो जरूरी है।”
वे आगे कहते हैं, “मुझे उम्मीद है कि अगले 12–24 महीनों में इनकी एफिशियंसी और क्वालिटी में सुधार होगा। तब तक ये आवाज आधारित पोस्ट-प्रॉडक्शन—जैसे कि ADR और विदेशी भाषाओं में डबिंग—के लिए आम प्रैक्टिस बन जाएंगे। ये केवल समय की बात है।”
भारत का OTT बाजार, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले मार्केट्स में शामिल है, 2023 में ₹17,500 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच चुका है और 2028 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। PwC रिपोर्ट के अनुसार, यह 14.9% CAGR से बढ़ेगा।
800 मिलियन से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स और वीडियो कंटेंट की बढ़ती मांग के बीच, पेड वीडियो सब्सक्रिप्शन में भी अगले दो साल में 30% की ग्रोथ की उम्मीद है, जैसा कि FICCI-EY की 'Shape the Future' रिपोर्ट में बताया गया है।
जैसे-जैसे सब्सक्राइबर ग्रोथ धीमी होती जा रही है और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, कॉस्ट-एफिशिएंसी अब इनोवेशन का मुख्य ड्राइवर बन रही है। इंडस्ट्री लीडर्स मानते हैं कि AI इस दौर में प्लेटफॉर्म्स को ज्यादा लचीला और स्केलेबल बनने में अहम भूमिका निभा रहा है।
यहां तक कि Netflix, Prime Video, MX Player, Disney+ Hotstar, Zee5 और SonyLIV जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स (जिन्होंने 2024 में ओरिजिनल कंटेंट और एक्विजिशन पर ₹2,500 करोड़ से ज्यादा खर्च किए) भी अब लगातार हिट देने में संघर्ष कर रहे हैं।
e4m द्वारा देखी गई एक इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में केवल 4% OTT शोज ही दर्शकों से सही कनेक्ट बना पाए। बाकी नाकाम रहे।
विशेषज्ञ इस ट्रेंड के लिए रिपेटेटिव थीम्स, सीमित प्रयोग और असमान बजट आवंटन को जिम्मेदार मानते हैं, और मानते हैं कि यही क्षेत्र हैं जिन्हें AI अब सुधारने की स्थिति में है।
FICCI-EY की 2024 रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रीमियम कंटेंट में निवेश में साल-दर-साल 14% की गिरावट आई है—जो यह दर्शाता है कि प्लेटफॉर्म अब ज्यादा सतर्क और ROI-केंद्रित रणनीति अपना रहे हैं।
यह बदलाव उस संतुलन को दर्शाता है जिसे YouTube अब हानिकारक कंटेंट को रोकने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के बीच साधने की कोशिश कर रहा है
'यूट्यूब' (YouTube) ने अपनी आंतरिक मॉडरेशन गाइडलाइंस में बड़ा बदलाव किया है। The New York Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब ऐसे वीडियो जो उसकी पॉलिसीज का कुछ हद तक उल्लंघन करते हैं, लेकिन सार्वजनिक समझ को बेहतर बनाने में मददगार माने जाते हैं, उन्हें प्लेटफॉर्म से हटाया नहीं जाएगा।
यह बदलाव उस संतुलन को दर्शाता है जिसे YouTube अब हानिकारक कंटेंट को रोकने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के बीच साधने की कोशिश कर रहा है, खासकर चुनाव, पहचान, लिंग, नस्ल, प्रवासन और सामाजिक विचारधाराओं जैसे संवेदनशील मुद्दों पर।
नई पॉलिसी के तहत, कंटेंट मॉडरेटर अब तब तक वीडियो हटाने से बचेंगे जब तक कि उसका 50% से ज्यादा हिस्सा YouTube की गाइडलाइंस का उल्लंघन न कर रहा हो। पहले यह सीमा 25% थी। इसके साथ ही अब मॉडरेटर्स से यह भी अपेक्षा की जा रही है कि वे यह आकलन करें कि क्या किसी वीडियो की फ्री स्पीच यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की संभावित उपयोगिता, उससे जुड़े जोखिमों से कहीं अधिक है। ऐसे मामलों में वीडियो को तुरंत हटाने की बजाय आगे की समीक्षा के लिए भेजने का निर्देश है। यह प्रक्रिया YouTube की EDSA (Education, Documentary, Science, Art) रूपरेखा के तहत आती है।
YouTube की प्रवक्ता निकोल बेल ने The Verge को बताया कि प्लेटफॉर्म के विकसित होते स्वरूप को देखते हुए उसकी कम्युनिटी गाइडलाइंस को नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव वीडियो की एक सीमित श्रेणी को प्रभावित करेगा और इसका उद्देश्य पॉलिसी-प्रवर्तन में अतिरेक को रोकना है। उदाहरण के लिए, किसी लंबे न्यूज पॉडकास्ट को सिर्फ इसलिए नहीं हटाया जाएगा क्योंकि उसमें एक छोटा हिस्सा नियमों का उल्लंघन कर रहा हो।
यह अपडेट उस पॉलिसी का विस्तार है जिसमें YouTube ने चुनावी उम्मीदवारों द्वारा अपलोड किए गए ऐसे वीडियो को भी प्लेटफॉर्म पर रहने देने की अनुमति दी थी, जो नियमों का उल्लंघन करते हों, बशर्ते वे सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ाते हों, विशेषकर 2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए।
यह बदलाव सिर्फ YouTube तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अब एक व्यापक ट्रेंड देखने को मिल रहा है। Meta ने भी हाल में गलत सूचना और घृणास्पद भाषण को लेकर अपने रुख में ढील दी है, उसने तीसरे पक्ष के फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को बंद कर दिया है और अब यूजर्स आधारित सुधारों पर भरोसा कर रहा है। यही तरीका अब X (पहले Twitter) भी अपना रहा है।
Covid-19 महामारी और डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान YouTube ने बहुत सख्त कंटेंट मॉडरेशन लागू किया था यानी वीडियो हटाने या सेंसर करने के नियम काफी सख्त थे। अब जो नई पॉलिसी लागू की गई है, वह उस पुराने कड़े रुख से थोड़ा संतुलन बनाते हुए, उसे थोड़ा नरम या लचीला करने की कोशिश है।"
देश के तेजी से बढ़ते लेकिन अब तक अनियंत्रित रहे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेक्टर में पारदर्शिता, व्यावसायिक अनुशासन और संचालन कुशलता लाने की दिशा में दो अहम इनेशिएटिव्स लिए गए हैं।
देश के तेजी से बढ़ते लेकिन अब तक अनियंत्रित रहे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सेक्टर में पारदर्शिता, व्यावसायिक अनुशासन और संचालन कुशलता लाने की दिशा में दो अहम इनेशिएटिव्स लिए गए हैं। इंडियन इन्फ्लुएंसर गवर्निंग काउंसिल (IIGC) ने जहां ब्रैंड्स के लिए एक ‘कोड ऑफ स्टैंडर्ड्स’ यानी आचार संहिता पेश की है, वहीं AI-आधारित प्लेटफॉर्म ClanConnect ने हर आकार के ब्रैंड्स के लिए प्रीपेड इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पैकेज लॉन्च किए हैं।
ये दोनों इनेशिएटिव्स एक नियामक (regulatory) और दूसरी संचालन (operational) से जुड़ी हैं, जो मिलकर एक जिम्मेदार और दक्ष क्रिएटर इकोनॉमी की ओर इशारा करती हैं।
IIGC द्वारा जारी किया गया यह कोड इन्फ्लुएंसर और ब्रैंड्स के बीच लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को हल करने की कोशिश है। इसके तहत अब ब्रैंड्स को पेड़ पार्टनरशिप, गिफ्टेड प्रोडक्ट्स और एफिलिएट प्रमोशन्स को अनिवार्य रूप से डिस्क्लोज करना होगा। साथ ही वर्चुअल इन्फ्लुएंसर, CGI या डीपफेक जैसे भ्रामक तरीकों के इस्तेमाल पर सख्त रोक की सिफारिश की गई है।
रेगुलेटेड सेक्टर में अब ब्रैंड्स को किसी भी वैज्ञानिक दावे के साथ प्रमाणित डेटा प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कोड एक ऐसी समस्या को संबोधित करता है जो इंडस्ट्री में सबसे अधिक उपेक्षित रही है- कानूनी अनुबंधों की अनुपस्थिति। वर्तमान में लगभग 95% ब्रैंड-इन्फ्लुएंसर साझेदारियां बिना किसी लिखित अनुबंध के चल रही हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए कोड में रेडी-टू-यूज टेम्पलेट्स और बेस्ट प्रैक्टिस गाइड्स शामिल हैं।
डेटा गोपनीयता को भी केंद्र में रखते हुए अब ब्रैंड्स को डेटा संग्रहण और उपभोक्ता सहमति के मामलों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और अन्य प्राइवेसी कानूनों का कड़ाई से पालन करना होगा।
कोड को लागू करने और ब्रैंड्स को वास्तविक समय में सहायता देने के लिए IIGC ने एक विशेष टास्कफोर्स भी गठित किया है। यह टीम डिजिटल लिसनिंग, सेंटिमेंट एनालिसिस और संकट प्रबंधन जैसी सेवाएं प्रदान करेगी ताकि ब्रैंड्स अपनी प्रतिष्ठा से जुड़ी जोखिमों को समय रहते नियंत्रित कर सकें। विवादों, कॉन्ट्रैक्ट या कंटेंट विवादों के समाधान के लिए यह टास्कफोर्स मध्यस्थता भी करेगी और जरूरत पड़ने पर प्रमाणित कानूनी विशेषज्ञों से ब्रैंड्स को जोड़ने का कार्य भी करेगी।
IIGC के चेयरमैन साहिल चोपड़ा का मानना है, “ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर की साझेदारी बेहद प्रभावशाली होती है, लेकिन वह प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशील भी होती है। कोड ऑफ स्टैंडर्ड्स और टास्कफोर्स इस इंडस्ट्री को वह सुरक्षा कवच देते हैं जिसकी उसे लम्बे समय से जरूरत थी।”
जहां IIGC नियामक दिशा में सुधार ला रहा है, वहीं ClanConnect संचालन को सरल बनाने में लगा है। प्लेटफॉर्म ने 50,000 से 2.5 लाख रुपये के बीच के प्रीपेड इन्फ्लुएंसर पैकेज लॉन्च किए हैं, जो खासकर D2C ब्रैंड्स, SMEs, एजेंसियों और क्षेत्रीय कंपनियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए हैं—वे जो पारंपरिक इन्फ्लुएंसर अभियानों की जटिलताओं और लागत का सामना नहीं कर पाते।
इन पैकेजों में निश्चित आउटपुट, तय CPV (कॉस्ट पर व्यू) और गारंटीड रीच का वादा किया गया है। प्रक्रिया बेहद आसान है—पैकेज चुनें, भुगतान करें और कैंपेन लॉन्च करें- न कोई लंबी बातचीत, न ही किसी अनुमान का झंझट।
इस मॉडल में पहले से चुने गए इन्फ्लुएंसर सेट, अनुमोदित स्क्रिप्ट्स, कंटेंट चेक और फीडबैक लूप शामिल हैं, जिससे हर स्तर पर प्रक्रिया को सहज बनाया गया है। इन्फ्लुएंसर्स के लिए भी यह मॉडल फायदेमंद है, उन्हें समय पर ब्रीफ, तेज पेमेंट्स और लगातार प्रोजेक्ट्स मिलते हैं।
ClanConnect के CEO सागर पुष्प कहते हैं, “अधिकतर प्लेटफॉर्म सिर्फ इन्फ्लुएंसर से ब्रैंड की जोड़ी बनाते हैं। लेकिन असली कुशलता उस प्रक्रिया में है जो उसके बाद आती है। हमारा प्रीपेड मॉडल न सिर्फ इन्फ्लुएंसर तक पहुंच देता है, बल्कि एक विश्वसनीय और स्केलेबल फ्रेमवर्क भी प्रदान करता है।”
जैसे-जैसे यह क्षेत्र परिपक्व हो रहा है, नैतिक दिशानिर्देशों को व्यवस्थित करने और अभियान संचालन को सरल बनाने के प्रयास—ब्रैंड्स, क्रिएटर्स और उपभोक्ताओं के बीच भरोसे को बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। कभी असंगठित और अस्पष्ट रहा यह क्षेत्र अब एक जिम्मेदार, पारदर्शी और भरोसेमंद मार्केटिंग चैनल की ओर बढ़ रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार विद्याशंकर तिवारी ने ‘आईटीवी नेटवर्क (iTV Network) के डिजिटल विंग ‘इनखबर’ (Inkhabar) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस संस्थान में करीब सात साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार विद्याशंकर तिवारी ने ‘आईटीवी नेटवर्क (iTV Network) के डिजिटल विंग ‘इनखबर’ (Inkhabar) में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस संस्थान में करीब सात साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
उन्होंने अब ‘News India 24x7’ के साथ अपनी नई पारी शुरू की है, जहां उन्हें डिजिटल हेड बनाया गया है। यहां उन्हें ग्रुप के सभी डिजिटल प्लेटफार्म्स को नए तेवर व कलेवर के साथ पेश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। न्यूज इंडिया को कुछ समय पहले ही नए मैनेजमेंट ने टेकओवर किया है जिसका फोकस चैनल के साथ साथ डिजिटल पर भी बहुत ज्यादा है।
लगभग सात सालों तक ‘इनखबर’ के संपादक रहे विद्याशंकर तिवारी नवाचार में विश्वास रखते हैं। करीब 35 साल के पत्रकारिता करियर में उन्होंने लंबे समय तक प्रिंट और उसके बाद न्यूज चैनलों में अलग अलग भूमिकाओं में काम किया है।
विद्याशंकर ने अपने करियर की शुरुआत ‘दैनिक जागरण’ से की थी। इसके बाद वह ‘राष्ट्रीय सहारा‘ में चीफ रिपोर्टर रहे और दिल्ली-एनसीआर में अपनी रिपोर्टिंग को लोहा मनवाया। ‘राष्ट्रीय सहारा‘ के चीफ रिपोर्टर रहते हुए ही उन्होंने ‘सहारा समय‘ न्यूज चैनल से जुड़कर इलेक्ट्रानिक मीडिया के गुर सीखे। उस दौर में सहारा में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक को एक छत के नीचे लाया गया था। सहारा एनसीआर चैनल की लाचिंग में अहम भूमिका निभाने वाली रिपोर्टिंग टीम का उन्होंने नेतृत्व किया।
‘सहारा‘ में करीब 11 साल की पारी खेल विद्याशंकर ‘अमर उजाला‘ पहुंचे, जहां पर उन्होंने चीफ रिपोर्टर-मेट्रो एडिटर के रूप लोकल रिपोर्टिंग के तेवर व कलेवर को बदला। यहां उन्हें एक साल में ही नेशनल ब्यूरो चीफ बना दिया गया। इसके बाद वह बतौर पॉलिटिकल एडिटर ‘A2Z‘ चैनल से जुड़े और कुछ ही समय में एक्जिक्यूटिव एडिटर बना दिए गए। यहां अपनी पांच साल की पारी के दौरान वह कुछ दिनों तक चैनल हेड भी रहे।
विद्याशंकर के अनुसार, ‘A2Z‘ चैनल छोड़ने के बाद उन्होंने एक बार फिर प्रिंट मीडिया का रुख किया और हिंदी दैनिक ‘सन स्टार‘ को लांच कराया। बतौर कार्यकारी संपादक विकीलिक्स4इंडिया के साथ मिलकर पांचसितारा होटलों में गोमांस, आपरेशन डीडीसीए, व मैनचेस्टर मैच फिक्सिंग समेत कई चर्चित स्टिंग आपरेशन में अहम भूमिका अदा की, ये तीनों आपरेशन देश-दुनिया में काफी चर्चित रहे। फिर उन्होंने संपादक के रूप में ‘न्यू आब्जर्रवर पोस्ट’ जॉइन किया और वहां से सीधे ’iTV’ नेटवर्क पहुंचे, जहां पर वह इनखबर डिजिटल के संपादक बने और अब वहां से अपनी पारी को विराम देकर ’न्यूज इंडिया’ पहुंचे हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से विद्याशंकर तिवारी को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
डिजिटल और म्यूजिक स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री में एक दशक से अधिक का अनुभव रखने वाली मार्केटिंग प्रोफेशनल दिव्या चड्ढा ने इस हफ्ते Amazon Music India में नई जिम्मेदारी संभाल ली है।
डिजिटल और म्यूजिक स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री में एक दशक से अधिक का अनुभव रखने वाली मार्केटिंग प्रोफेशनल दिव्या चड्ढा ने इस हफ्ते Amazon Music India में नई जिम्मेदारी संभाल ली है। हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को मिली उच्च स्तरीय सूत्रों से यह जानकारी मिली है। उन्होंने Spotify को अलविदा कह दिया है।
Spotify India में दिव्या चड्ढा ब्रैंड और कंज्यूमर मार्केटिंग हेड के रूप में कार्यरत थीं। इस भूमिका में उन्होंने ब्रैंड की पहचान और देश में उसकी ग्रोथ को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।
इससे पहले भी चड्ढा ने कई प्रमुख ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। वे Amazon में सीनियर ब्रैंड मार्केटिंग मैनेजर रही हैं और eBay Inc. में मार्केटिंग और मर्चेंडाइजिंग की असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर भी काम कर चुकी हैं।
Amazon Music India में उनकी यह नई पारी उनके ब्रैंड और कंज्यूमर मार्केटिंग के गहरे अनुभव को साथ लेकर आएगी, जिससे देश के प्रतिस्पर्धी म्यूजिक स्ट्रीमिंग बाजार में प्लेटफॉर्म की मौजूदगी और मजबूत होने की उम्मीद है।
हालांकि अब तक Amazon Music India या दिव्या चड्ढा की ओर से इस बदलाव को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 'एक्सचेंज4मीडिया' ने दोनों पक्षों से संपर्क किया है। फिलहाल उनके जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है।