डिज्नी इस समय बड़ी मुसीबत में है और इसकी कीमत उसे हर दिन करीब 4 मिलियन डॉलर (लगभग 33 करोड़ रुपये) चुकानी पड़ रही है।
by
Vikas Saxena
डिज्नी इस समय बड़ी मुसीबत में है और इसकी कीमत उसे हर दिन करीब 4 मिलियन डॉलर (लगभग 33 करोड़ रुपये) चुकानी पड़ रही है। दरअसल, YouTube TV और Disney के बीच चैनल प्रसारण समझौता (carriage agreement) 30 अक्टूबर को खत्म हो गया, जिसके बाद YouTube TV ने ESPN, ABC, FX, National Geographic जैसे डिज्नी के सभी प्रमुख चैनल अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिए हैं।
अमेरिका की निवेश, बैंकिंग सेवाएं, शेयर मार्केट, बीमा, फंड मैनेजमेंट और वित्तीय सलाह जैसी सेवाएं देने वाली कंपनी मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि इस ब्लैकआउट से डिज्नी को हर हफ्ते करीब 30 मिलियन डॉलर यानी करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसमें विज्ञापन राजस्व और पार्टनरशिप फीस दोनों शामिल हैं।
यह झगड़ा नया नहीं है, बस मैदान बदल गया है। डिज्नी चाहती है कि उसके चैनलों के लिए ज्यादा फीस दी जाए, क्योंकि ESPN और ABC अभी भी लाइव स्पोर्ट्स और प्राइमटाइम एंटरटेनमेंट के लिए अहम माने जाते हैं। वहीं, YouTube TV की मालिक कंपनी Alphabet (Google) का कहना है कि डिज्नी की मांगें पूरी करने से उसे सब्सक्रिप्शन रेट बढ़ाने पड़ेंगे, जिससे यूजर्स और अन्य ब्रॉडकास्टिंग पार्टनर्स दोनों में असंतोष पैदा होगा।
पहले के केबल टीवी जमाने में डिज्नी ब्लैकआउट झेल लेती थी, क्योंकि लोगों के पास विकल्प कम थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। YouTube TV अमेरिका की सबसे बड़ी लाइव टीवी स्ट्रीमिंग सर्विस बन चुकी है, जिसके 90 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं। यानी अब ताकत कंटेंट कंपनियों से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथ में दिख रही है।
इस विवाद का वक्त भी डिज्नी के लिए बेहद खराब साबित हो रहा है। ESPN इस वक्त NFL, NBA, कॉलेज फुटबॉल और हॉकी सीजन के चरम पर है। चैनल बंद रहने से विज्ञापनदाताओं की पहुंच घट रही है। उधर, ABC चैनल का भी फॉल सीजन चल रहा है, जिससे उसे भी प्राइमटाइम स्लॉट के विज्ञापनों में बड़ा नुकसान हो रहा है।
बताया जा रहा है कि यदि यह विवाद अगले हफ्ते तक खिंच गया तो डिज्नी को कुल मिलाकर 60 मिलियन डॉलर से ज्यादा का घाटा झेलना पड़ सकता है।
Google की स्थिति कुछ मजबूत मानी जा रही है। उसने प्रभावित ग्राहकों को $20 का क्रेडिट देने की घोषणा की है, जो डिज्नी की मांगों को मानने से कहीं सस्ता विकल्प है। हालांकि कुछ यूजर्स ने इस क्रेडिट को छिपाने और क्लेम करने में मुश्किलें होने की शिकायत की है। फिर भी Google का दांव यह है कि दर्शक कुछ मैच मिस कर लेंगे, लेकिन बढ़े हुए मासिक चार्ज नहीं झेलेंगे।
डिज्नी के लिए यह विवाद उसके सीईओ बॉब आइगर के लिए एक और सिरदर्द बन गया है। पहले से ही कंपनी स्ट्रीमिंग बिजनेस में प्रॉफिट, री-स्ट्रक्चरिंग की लागत और ESPN के स्वतंत्र ऐप या साझेदारी मॉडल जैसे मुद्दों से जूझ रही है। YouTube TV पर अपने चैनल खोने से डिज्नी का असर कमजोर पड़ा है और हर बीतता दिन उसके विज्ञापन और कमाई दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद जल्दी सुलझ जाएगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष इसे लंबा नहीं खींचना चाहते, खासकर जब फुटबॉल सीजन जोरों पर है। लेकिन जब भी चैनल दोबारा शुरू होंगे, एक बात साफ रहेगी, अब टीवी की दुनिया में शो भले कंटेंट हो, लेकिन रिमोट अब डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स के हाथ में है।
प्रतिमा शर्मा लंबे समय से ‘नेटवर्क18’ (Network) समूह के साथ जुड़ी हुई हैं और फिलहाल इस समूह की बिजनेस न्यूज वेबसाइट ‘मनीकंट्रोल’ (moneycontrol)- हिंदी में बतौर संपादक अपनी जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
by
Samachar4media Bureau
वरिष्ठ पत्रकार प्रतिमा शर्मा के बारे में खबर है कि वह जल्द ही ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत कर सकती हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, वह जल्द ही ‘हिन्दुस्तान’ की न्यूज वेबसाइट livehindustan.com में बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगी।
प्रतिमा शर्मा लंबे समय से ‘नेटवर्क18’ (Network) समूह के साथ जुड़ी हुई हैं और फिलहाल इस समूह की बिजनेस न्यूज वेबसाइट ‘मनीकंट्रोल’ (moneycontrol)- हिंदी में बतौर संपादक अपनी जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
बता दें कि बतौर एडिटर livehindustan.com समेत इस समूह की अन्य भाषाओं की वेबसाइट संभाल रहे प्रभाष झा ने करीब तीन माह पहले यहां से इस्तीफा देकर ‘टाइम्स ग्रुप’ जॉइन कर लिया है। तब से यह पद खाली था और यहां नियुक्ति को लेकर तमाम वरिष्ठ पत्रकारों के नाम मीडिया गलियारों में चर्चा में थे। लेकिन अब खबर है कि ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (डिजिटल) में चीफ कंटेंट ऑफिसर बिनॉय प्रभाकर ने इस पद के लिए प्रतिमा शर्मा के नाम को हरी झंडी दे दी है। गौरतलब है कि बिनॉय प्रभाकर भी लंबे समय तक ‘नेटवर्क18’ समूह में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
प्रतिमा शर्मा को डिजिटल और प्रिंट मीडिया में 17 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्हें कंटेंट प्लानिंग, संपादन और टीम मैनेजमेंट में विशेषज्ञता है। पूर्व में वह ‘अमर उजाला’ और ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ (हिंदी) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो पटना वीमेंस कॉलेज से ग्रेजुएट प्रतिमा शर्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट किया है। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली स्थित ‘YMCA’ से प्रिंट जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है।
समाचार4मीडिया की टीम ने इस बारे में आधिकारिक रूप से पुष्टि के लिए ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के प्रबंधन से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां से प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी थी। इसके साथ ही प्रतिमा शर्मा ने भी कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार किया है।
गूगल ने हाल ही में एक नया फीचर पेश किया है, जिससे अब यूजर्स अपना मौजूदा @gmail.com एड्रेस बदल सकते हैं
by
Samachar4media Bureau
गूगल ने ऐसे जीमेल (Gmail) यूजर्स को खुशखबरी दी है, जो अपने पुराने शर्मनाक यूजर्स में फंसे हुए हैं। गूगल ने हाल ही में एक नया फीचर पेश किया है, जिससे अब यूजर्स अपना मौजूदा @gmail.com एड्रेस बदल सकते हैं और सभी डेटा और सर्विसेज वहीँ बनी रहेंगी।
हालांकि, यह नया ऑप्शन अभी गूगल की हिंदी सपोर्ट पेज पर दिख रहा है, जिससे अंदाजा लगता है कि यह पहले भारत या हिंदी भाषी मार्केट्स में रोल आउट होगा। धीरे-धीरे यह फीचर सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा, लेकिन पूरी तरह ग्लोबल रोल आउट में कुछ समय लग सकता है।
कैसे काम करेगा नया फीचर:
पुराने एड्रेस को बदलने के बाद भी यह ऑटोमैटिकली एलियास (alias) की तरह काम करेगा। यानी पुराने एड्रेस पर आने वाले ईमेल सीधे आपके नए इनबॉक्स में आएंगे।
नया Gmail एड्रेस बदलने के बाद भी आप पुराने एड्रेस से Google Drive, Maps, YouTube जैसी सर्विसेज में लॉगिन कर सकते हैं।
पहले नया Gmail एड्रेस लेने के लिए पूरी नई अकाउंट बनानी पड़ती थी और डेटा मैन्युअली ट्रांसफर करना पड़ता था, जो काफी झंझट वाला काम था। अब ऐसा करने की जरूरत नहीं।
कुछ नियम और सीमाएं:
एक बार नया Gmail एड्रेस चुनने के बाद, अगले 12 महीनों तक आप दूसरा नया एड्रेस नहीं बना पाएंगे।
नया चुना गया एड्रेस डिलीट नहीं किया जा सकता।
पुराने एड्रेस को कभी भी दोबारा यूज किया जा सकता है।
गूगल ने अभी तक इस बदलाव के लिए कोई आधिकारिक प्रेस रिलीज या घोषणा नहीं की है, लेकिन यह फीचर यूजर फोरम और टेक कम्युनिटीज में पहले ही खोजा जा चुका है।
इस नए फीचर के साथ, अब यूजर्स अपने पुराने, अजीब लगे ईमेल एड्रेस को बदलकर एक नया, प्रोफेशनल एड्रेस बना सकते हैं, बिना किसी डेटा या सेटिंग खोए।
देश के बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम सुझाव दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह कोई कानून बनाने पर विचार करें
by
Samachar4media Bureau
देश के बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम सुझाव दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह कोई कानून बनाने पर विचार करें, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक हो।
यह टिप्पणी जस्टिस जी. जयचंद्रन और जस्टिस के.के. रामकृष्णन की बेंच ने 2018 में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की। इस याचिका में बच्चों तक अश्लील कंटेंट की आसान पहुंच का मुद्दा उठाया गया था। कोर्ट ने कहा कि बच्चों से जुड़ा आपत्तिजनक और यौन शोषण वाला कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है और मौजूदा नियम इसे रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया और मोबाइल इंटरनेट के जरिए बच्चे ऐसे कंटेंट के संपर्क में आ रहे हैं जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खतरनाक है। इसी वजह से देश में इस बात पर गंभीर बहस होनी चाहिए कि क्या बच्चों के लिए सोशल मीडिया की उम्र सीमा तय की जानी चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया मॉडल का दिया हवाला
मद्रास हाईकोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया के हालिया कानून का उदाहरण दिया, जहां सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की न्यूनतम उम्र 16 साल तय की गई है। खास बात यह है कि वहां उम्र जांच की जिम्मेदारी माता-पिता पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डाली गई है। कोर्ट का मानना है कि ऐसा कानून भारत में भी बच्चों को गलत और नुकसानदेह कंटेंट से बचाने में मदद कर सकता है।
मौजूदा नियम नाकाफी
कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद मोबाइल और इंटरनेट पर आपत्तिजनक सामग्री आसानी से उपलब्ध है। आईटी नियम 2021 भी इस समस्या को पूरी तरह नहीं रोक पाए हैं। जजों ने चिंता जताई कि इस तरह का कंटेंट बच्चों को गलत रास्ते पर ले जा सकता है और वे खुद शोषण का शिकार भी बन सकते हैं।
माता-पिता को भी ताकत देने की जरूरत
कोर्ट ने सिर्फ बैन की बात नहीं की बल्कि यह भी कहा कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को ऐसे टूल देने चाहिए, जिससे माता-पिता बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रख सकें और जरूरत पड़ने पर उसे रोक सकें। साथ ही राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार आयोगों से भी मिलकर ठोस कदम उठाने की अपील की गई।
कुल मिलाकर, हाईकोर्ट का मानना है कि बच्चों को डिजिटल दुनिया के खतरों से बचाने के लिए सख्त कानून, तकनीकी उपाय और माता-पिता की भूमिका तीनों जरूरी हैं।
'एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट 2025' में कीनोट स्पीच देते हुए The Squirrels के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ भूपेंद्र चौबे ने कहा कि भारतीय मीडिया के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती भरोसा और विश्वसनीयता है।
by
Samachar4media Bureau
'एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट 2025' (e4m NewsNext Summit 2025) में कीनोट स्पीच देते हुए The Squirrels के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ भूपेंद्र चौबे ने कहा कि भारतीय मीडिया के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती भरोसा और विश्वसनीयता है। उनका कहना था कि समस्या पुराने प्लेटफॉर्म के खत्म होने की नहीं बल्कि तेजी से बदलते और लोकतांत्रित कंटेंट इकोसिस्टम में खुद को ढालने में विफलता की है।
भूपेंद्र चौबे ने यह बताते हुए कि हर साल इंडस्ट्री फोरम में वही सवाल क्यों दोहराए जाते हैं, कहा, “सिर्फ एक बात में कहें तो यह भरोसे और विश्वसनीयता की चुनौती है।” उन्होंने जोड़ा कि यह चुनौती किसी भी फॉर्मेट या प्लेटफॉर्म में मीडिया व्यवसाय को लगातार परेशान करती रहती है।
अपने करियर के अनुभव से चौबे ने बताया कि टीवी से अलग होने का उनका फैसला क्यों लिया। उन्होंने NDTV और Network18 में लगभग दो दशकों तक काम किया और CNN-News18 का नेतृत्व भी किया। उन्होंने कहा, “मैं उन पत्रकारों में से हूं जिन्होंने टीवी से अलग होने का फैसला किया, समस्याओं की पहचान की और अपना रास्ता खुद तय किया।” उन्होंने मीडिया में उद्यमिता को फायदेमंद लेकिन बेहद चुनौतीपूर्ण बताया।
मीडिया स्टार्टअप्स के बारे में रोमांटिक सोच पर भूपेंद्र चौबे ने कहा, “स्टार्टअप्स अच्छी हेडलाइन बनाते हैं, लेकिन असली टेस्ट यही है। यह आपको चुनौती देते हैं और आपको बाहर सोचकर समाधान खोजने पर मजबूर करते हैं।” उनके अनुसार, यही प्रयोग करने की इच्छा नए जमाने के मीडिया और पुराने संस्थानों में मूलभूत अंतर बनाती है।
आधुनिक पत्रकारिता में तकनीक को दिल में रखते हुए भूपेंद्र चौबे ने कहा, “मीडिया का वर्तमान तकनीक का है।” उन्होंने याद दिलाया कि अपने करियर की शुरुआत में वे पूरे प्रोडक्शन यूनिट के साथ एक कहानी पर पूरे महीने काम कर सकते थे, जो आज के मार्केट-ड्रिवन सिस्टम में संभव नहीं है।
टीवी या न्यूज बिजनेस के टूटने वाली धारणा को अस्वीकार करते हुए चौबे ने कहा कि सत्ता बस स्थानांतरित हो गई है। उन्होंने कहा, “आज यूट्यूबर के पास जो ताकत है, वह किसी स्टूडियो में बैठे व्यक्ति से अधिक हो सकती है।” उन्होंने जोड़ा कि असली कंटेंट वाले विश्वसनीय कहानीकार अब पारंपरिक ब्रॉडकास्ट की ताकत के बराबर या कभी-कभी उससे अधिक प्रभावशाली हैं।
उन्होंने कहा कि मात्रा आधारित पत्रकारिता का दौर खत्म हो गया है। “पहले यह मायने रखता था कि आप कितनी खबरें बनाते हैं। आज फोकस यह है कि कंटेंट किसी के समय के योग्य है या नहीं।” भूपेंद्र चौबे ने Soch और Think School जैसे प्लेटफॉर्म्स का उदाहरण देते हुए बताया कि उच्च गुणवत्ता और जानकारी-आधारित कहानी कहने के तरीके दर्शकों की उम्मीदों को बदल रहे हैं।
न्यूजरूम गेटकीपिंग पर बात करते हुए भूपेंद्र चौबे ने कहा, “वह दौर खत्म हो गया जब पांच एडिटर मिलकर बड़ी हेडलाइन तय करते थे।” उन्होंने जोड़ा कि महत्वपूर्ण राजनीतिक और पॉलिसी डिस्कोर्स धीरे-धीरे टीवी स्टूडियो से हटकर डिजिटल-फर्स्ट फॉर्मेट्स की ओर बढ़ रहे हैं, जैसे अमेरिका और यूरोप में हो रहा है।
ओपिनियन-आधारित प्रोग्रामिंग पर भूपेंद्र चौबे ने साफ कहा, “राय सस्ती और मुफ्त है।” उनका कहना था कि दर्शक अब ऐसे कंटेंट में समय खर्च नहीं करना चाहते, जिसमें केवल टिप्पणी हो और जानकारी या डेटा-आधारित मूल्य न हो।
उन्होंने यह भी बताया कि कंटेंट देखने के तरीके में मूलभूत बदलाव आया है। “आप कार या मेट्रो में बैठे हुए स्क्रॉल कर रहे हैं,” चौबे ने कहा, और यह बताया कि अगर कंटेंट वर्टिकल, मोबाइल-फर्स्ट फीड्स में ध्यान नहीं खींचता तो पुराने क्रेडेंशियल और पदनाम कोई सुरक्षा नहीं देते।
अपनी स्पीच का समापन करते हुए भूपेंद्र चौबे ने मीडिया की गलत प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया। उन्होंने हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की एयर क्वालिटी पर टिप्पणी का हवाला देते हुए पूछा, “कैसे संभव है कि 800 न्यूज चैनलों वाले देश में ऐसी बात कही जा सकती है और यह हमें नाराज नहीं करता?” उन्होंने इंडस्ट्री से आग्रह किया कि वह यह सोचें कि बुनियादी मुद्दों जैसे साफ हवा पर नाराजगी क्यों नहीं दिखाते, जबकि कम महत्वपूर्ण विषयों पर आसानी से गुस्सा फैलाया जाता है।
अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू करने से पहले वह ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (Living India News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
by
Samachar4media Bureau
पंजाबी मीडिया के जाने-माने चेहरे और वरिष्ठ पत्रकार पंकज कपाही ने करीब 15 साल टीवी की दुनिया में काम करने के बाद ‘पंजाब फर्स्ट वॉइस’ (Punjab First Voice) नाम से अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है।
पंकज के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत में ही उन्होंने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का धमाकेदार इंटरव्यू कर पंजाब में नई सियासी हलचल फैलाई, जिसको बाद में तमाम टीवी चैनल ने फॉलो किया
समाचार4मीडिया से बातचीत में पंकज ने बताया कि मशहूर गायक मनकीरत औलख, बॉलीवुड सुपर स्टार शाहिद कपूर, दिग्गज अदाकार पंकज कपूर उनकी पत्नी सुप्रिया पाठक, गुरप्रीत gughi जैसे दिग्गज कलाकार ‘पंजाब फर्स्ट वॉयस’ के मंच पर इंटरव्यू देने आए। इसके साथ ही पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा के बेटे की मौत के बाद सबसे पहले मुस्तफा का इंटरव्यू कर अन्य चैनल्स से बाजी मार ली।
बता दें कि पंकज कपाही को मीडिया में काम करने का काफी अनुभव है। अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू करने से पहले वह ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (Living India News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
समाचार4मीडिया से बातचीत में पंकज ने बताया कि वर्ष 2010 से 2017 तक वह दिल्ली में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में रहकर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सियासी गतिविधियों के साथ-साथ संसद और केंद्र सरकार की इन राज्यों से जुड़ी रिपोर्टिंग की।
वर्ष 2017 में उन्होंने दिल्ली में ‘न्यूज18’ जॉइन किया और वर्ष 2020 से चंडीगढ़ में इस चैनल के साथ पंजाब सरकार से संबंधित कई बड़ी खबरों की कवरेज की। उन्होंने किसान आंदोलन, दिल्ली दंगे, और कोविड-19 जैसी घटनाओं की ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्टिंग की।
अपने अब तक के करियर में वह वर्ष 2012, 2017 और 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव और वर्ष 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों की विस्तृत और जमीनी कवरेज कर चुके हैं। इसके साथ ही राजनीति के मैदान में उन्होंने राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भगवंत मान, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, प्रकाश सिंह बादल, चरणजीत सिंह चन्नी जैसे कई दिग्गज नेताओं के इंटरव्यू भी किए हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से पंकज कपाही को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई औऱ शुभकामनाएं।
जी मीडिया को हाल ही में अलविदा कहने वाले पत्रकार शारिकुल होदा (शारिक) ने अब नई मंजिल तलाश ली है।
by
Samachar4media Bureau
जी मीडिया को हाल ही में अलविदा कहने वाले पत्रकार शारिकुल होदा (शारिक) ने अब नई मंजिल तलाश ली है। वह अब 'न्यूज24' के हिंदी डिजिटल विंग के साथ सीनियर सब एडिटर के तौर पर जुड़ गए हैं।
बता दें कि जी मीडिया में उनकी पारी 6 साल लंबी चली। वो जीन्यूजडॉटकॉम (zeenews.com) में बतौर सीनियर सब एडिटर के पद पर कार्यरत थे। इस संस्थान में वो स्पोर्ट्स, हेल्थ, लाइफस्टाइल, ट्रैवल और रिलेशनशिप सेक्शन को लीड कर चुके हैं।
नवंबर 2019 में शारिक ने जी मीडिया में बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर जॉइन किया था। जहां उन्होंने इंग्लिश टू हिंदी लाइव ट्रांस्लेशन की जिम्मेदारी संभाली। सिर्फ 4 महीने के भीतर उन्हें जीन्यूजडॉटकॉम की वेबसाइट में शिफ्ट होना पड़ा। कोरोना वायरस महामारी के मुश्किल वक्त में उन्होंने स्पोर्ट्स डेस्क को लीड किया। बाद में उन्हें हेल्थ, लाइफस्टाइल, ट्रैवल और रिलेशनशिप सेक्शन को हेड किया। जरूरत पड़ने पर वो नेशनल और इंटरनेशनल सेक्शन की न्यूज भी लिखते थे।
शारिक के लिए स्पोर्ट्स उनका फेवरेट सेक्शन रहा है। साल 2008 में उन्होंने दूरदर्शन में बतौर इंटर्न अपने मीडिया करियर की शुरुआत की थी, फिर दैनिक जागरण, टीवी टुडे नेटवर्क, श्री न्यूज, स्पोर्ट्सकीड़ा, WION जैसे ऑर्गेनाइजेशन में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं
शुरुआत में उन्होंने अखबार और टेलिविजन में तजुर्बा हासिल किया, लेकिन बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने डिजिटल मीडिया में अपने करियर को स्विच कर लिया।
The Printers Mysore ने राहुल चंदाना की नियुक्ति की है। कंपनी ने उन्हें डिजिटल का असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) बनाया है।
by
Samachar4media Bureau,मिलिंद खांडेकर
'डेक्कन हेराल्ड' व 'प्रजावाणी' के स्वामित्व वाली कंपनी The Printers Mysore ने राहुल चंदाना की नियुक्ति की है। कंपनी ने उन्हें डिजिटल का असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) बनाया है। वह नॉर्थ और ईस्ट रीजन में डिजिटल बिजनेस को मजबूत करने, क्लाइंट्स के साथ बेहतर रिश्ते बनाने और मार्केट में ग्रोथ बढ़ाने पर काम करेंगे।
राहुल चंदाना मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में लंबे समय से जुड़े हैं। इससे पहले वह बिजनेस स्टैंडर्ड में डिजिटल, प्रिंट और इवेंट्स के रीजनल लीड के तौर पर काम कर रहे थे, जहां उन्होंने बड़े क्लाइंट्स को संभाला और कई इंटीग्रेटेड कैंपेन सफलतापूर्वक डिलीवर किए।
नई भूमिका को लेकर चंदाना ने कहा कि यह बदलाव उनके करियर के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है। वे अपनी डिजिटल और क्रॉस-मीडिया एक्सपर्टीज के ज़रिए कंपनी के लिए नए अवसर तैयार करना चाहते हैं और क्लाइंट्स को और बेहतर समाधान देना चाहते हैं।
इस नियुक्ति के साथ उम्मीद है कि The Printers Mysore की डिजिटल स्ट्रैटेजी नॉर्थ और ईस्ट मार्केट में और मजबूत होगी।
यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है।
by
Samachar4media Bureau
यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई DSA के तहत अब तक की सबसे कड़ी प्रवर्तन कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।
इस फैसले की घोषणा शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को की गई। यह दो साल की जांच के बाद आया है, जिसमें यूरोपीय संघ ने देखा कि X प्लेटफॉर्म यूजर सुरक्षा, कंटेंट मॉडरेशन और पारदर्शिता संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहा था।
आयोग के अनुसार, X ने तीन मुख्य पारदर्शिता नियमों का उल्लंघन किया।
सबसे बड़ी चिंता रही प्लेटफॉर्म का ब्लू चेकमार्क सिस्टम, जिसे यूरोपीय नियामकों ने 'भ्रामक डिजाइन' कहा। उनका कहना है कि यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी और गलत जानकारी के लिए उजागर करता है और सीधे DSA के कंज्यूमर प्रोटेक्शन नियमों का उल्लंघन करता है।
इसके अलावा आयोग ने पाया कि X का एडवरटाइजिंग ट्रांसपेरेंसी डेटाबेस अधूरा था और अनिवार्य खुलासे के मानक पूरे नहीं करता था। कंपनी ने शोधकर्ताओं को सार्वजनिक डेटा तक आवश्यक स्तर की पहुँच भी नहीं दी, जिससे प्लेटफॉर्म के जोखिमों का अध्ययन करना मुश्किल हो गया, यह भी DSA का एक मूल नियम है।
यह जुर्माना यूरोप की डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी और यूजर सुरक्षा, पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने की नीति को फिर से स्पष्ट करता है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है।
by
Samachar4media Bureau
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है। सरकार ने कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा है ताकि इन नए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देकर लोगों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से सुझाव लिए जा सकें।
यह मामला उस समय सुना गया जब चीफ जस्टिस डीवाई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच यूट्यूबर्स रणवीर अल्लाहबादिया, आशीष चंचलानी और अन्य के खिलाफ दर्ज कई FIR वाले मामलों की सुनवाई कर रही थी। इन यूट्यूबर्स पर “India’s Got Latent” नाम के विवादित शो में कथित रूप से अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के आरोप हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून शायद आज की ऑनलाइन दुनिया के हिसाब से पुराने हो चुके हैं और इन्हें अपडेट करने की जरूरत है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज कोई भी व्यक्ति यूट्यूब चैनल खोलकर कुछ भी कह देता है और कानून उसके खिलाफ कुछ कर नहीं पाता। उन्होंने कहा कि गलत कामों पर रोक लगाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार यह भी सोचे कि क्या ऑनलाइन कंटेंट पर नजर रखने के लिए कोई स्वतंत्र रेगुलेटरी बॉडी बनाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर बिना किसी जवाबदेही के सब कुछ ऑनलाइन दिखाया या बोला जाएगा तो इसका परिणाम क्या होगा?
कोर्ट ने यह भी कहा कि फोन ऑन करने पर कई बार ऐसा कंटेंट सामने आ जाता है जिसे लोग देखना ही नहीं चाहते। ऐसे कंटेंट को रोकने के लिए भी कोई ठोस तरीका होना चाहिए।
इसके साथ ही कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों पर की जा रही अपमानजनक बातों पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जैसे SC/ST समुदाय के लिए कड़े कानून हैं, वैसे ही दिव्यांग लोगों का अपमान रोकने के लिए भी सख्त कानून होना चाहिए। कोर्ट ने सवाल किया कि “अगर सोशल मीडिया पर संवेदनशील मुद्दों का मजाक उड़ाया जाएगा तो दिव्यांग लोगों की रक्षा कौन करेगा?”
यह पूरा मामला तब उठा जब पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज सिंह, सोनाली ठाक्कर और निशांत तंवर को एक SMA से पीड़ित दो महीने के बच्चे का मजाक उड़ाने पर कड़ी फटकार लगाई थी। अगस्त में कोर्ट ने इन सभी को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया था।
Cure SMA Foundation of India की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि सोशल मीडिया पर अश्लील और हानिकारक कंटेंट पर रोक के लिए दिशा-निर्देश बनाना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार (Article 19) किसी भी व्यक्ति की गरिमा (Article 21) से ऊपर नहीं हो सकता।
प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)।
by
Samachar4media Bureau
प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)। इसका मकसद ब्रैंड को मल्टी-भाषा डिजिटल न्यूज स्पेस में विस्तारित करना है।
इन दोनों प्लेटफॉर्म का मुख्य लक्ष्य पाठकों को बिना किसी भेदभाव, बिना फिल्टर और पूरी स्वतंत्रता के साथ खबरें पेश करना है। News Ei Samay (newseisamay.com) और Samachar Ei Samay (samachareisamay.com) खासकर युवा प्रोफेशनल्स, छात्रों और डिजिटल-प्राथमिकता वाले पाठकों के लिए डिजाइन किए गए हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी और हिंदी में भरोसेमंद और इमर्सिव न्यूज अनुभव मिल सके।
Ei Samay के मेंटर संजय बसु ने कहा, "News Ei Samay और Samachar Ei Samay के लॉन्च के साथ, हम टेक-ड्रिवन डिजिटल जर्नलिज़्म के नए दौर में कदम रख रहे हैं, जो हमारे पाठकों की बदलती उम्मीदों को दर्शाता है। यह प्लेटफॉर्म हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है कि हम हर भाषा में, हर स्क्रीन पर, हर समय गुणवत्तापूर्ण खबरें उपलब्ध कराएं।"
चीफ एडिटर हिरक बंद्योपाध्याय की निगरानी में, News Ei Samay और Samachar Ei Samay में अनुभवी पत्रकारों और विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है। अंग्रेजी प्लेटफॉर्म में 17 और हिंदी प्लेटफॉर्म में 15 पत्रकार विभिन्न क्षेत्रों की खबरों को कवर करेंगे।
यह कदम Ei Samay के डिजिटल विस्तार और भरोसेमंद, रोचक और उच्च गुणवत्ता वाली न्यूज़ उपलब्ध कराने के मिशन को और मजबूत करता है।