पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल इस वीडियो में वह एक पत्रकार को चौंकाने वाला जवाब देती नजर आ रही है, जिसमें वह पत्रकार को विज्ञापन पाने के लिए अपनी सरकार की तारीफ करने की हिदायत देती दिखायी दे रही हैं।
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्र की एक महिला पत्रकार ने मुख्यमंत्री से अपने अखबार की माली हालत और आर्थिक तंगी की समस्या साझा की और बताया कि सरकार की ओर से अखबार को विज्ञापन नहीं मिलते हैं। इस पर सीएम ममता बनर्जी ने बांग्ला में जवाब देते हुए कहा कि अगर विज्ञापन चाहिए तो अखबार में सरकार के बारे में पॉजिटिव न्यूज प्रकाशित करना होगा। इतना ही नहीं वह पत्रकार को रोजाना अखबार की एक कॉपी डीएम कार्यालय में जमा करने के लिए भी कहती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ग्रामीण पत्रकारों को सरकार की पॉजिटिव न्यूज दिखानी चाहिए। अगर वो ऐसा करते हैं तो मैं उस जिले के डीएम (जिलाधिकारी) से कहूंगी की उन्हें विज्ञापन दिया जाए।
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार के बारे में पॉजिटिव खबर दिखाने वाले पत्रकार डीएम कार्यालय या अन्य कार्यालयों में अपनी खबर को भेजें ताकि उन्हें भी पता चल सके कि अखबार में सरकार के बारे में अच्छी खबर दिखाई जा रही है। ऐसा करने वालों को विज्ञापन दिया जाए।’
Mamata Didi openly saying that to get govt advertisement in a local newspaper one has to publish "positive news" of the government and send one copy of newspaper everyday to local DM office for proof. This should be condemned by every right thinking person. pic.twitter.com/p4ymWXdTzo
— Avijit Dasgupta (@coolfrnds4u) December 5, 2021
दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब मीडिया संस्थान को सरकार के हक में खबर दिखाने पर विज्ञापन देने की बात कही गई है, इससे पहले हरियाणा सरकार ने एक आदेश दिया था कि सभी जिलों से प्रकाशित/वितरित होने वाले सभी प्रकार के समाचार पत्र, पत्रिकाओं व न्यूज चैनल जोकि सरकार की निगेटिव या पॉजिटिव कवरेज कर रहे हैं उनकी लिस्ट बनाई जाए। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद सरकार को इस आदेश को वापस लेना पड़ा था।
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विज्ञापनों पर निगरानी रखने वाली संस्था एडवर्टाइजिंग एंड स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने साल 2021-22 की रिपोर्ट जारी की है।
विज्ञापनों पर निगरानी रखने वाली संस्था एडवर्टाइजिंग एंड स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने साल 2021-22 की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे बड़ी समस्या विज्ञापन में सही तस्वीर न देने की रही है। ‘आपत्तिजनक या भ्रामक’ विज्ञापनों में से सबसे ज्यादा यानी 33 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र से जुड़े पाए गए, जो मुख्य रूप से एडटेक उद्यमों से संबंधित थे।
बाकी आपत्ति वाले विज्ञापनों में हेल्थकेयर की 16% और पर्सनल केयर की 11% हिस्सेदारी रही। क्रिप्टो का 8-8% हिस्सा वर्चुअल डिजिटल असेट कंपनियों, ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग और फूड एंड बेवरेज कंपनियों के आपत्तिजनक विज्ञापनों का रहा।
इस तरह के विज्ञापन तीन श्रेणियों से संबंधित थे- वे जिनके बारें में दर्शकों से शिकायतें प्राप्त हुईं, वे जिन्हें उद्योग द्वारा चिन्हित किया गया और वे जिनके बारे में ASCI ने स्वत: संज्ञान लिया।
रिपोर्ट के अनुसार, ASCI ने प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन में 5,532 विज्ञापनों की निगरानी की और और उसी आधार पर ये निष्कर्ष निकाला है। 2020-2021 की तुलना में 62 प्रतिशत अधिक विज्ञापनों की निगरानी की गई, जिसके बाद शिकायतों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
ASCI के मुताबिक 39% विज्ञापनों को एडवर्टाइजर ने कंटेस्ट नहीं किया, यानि आपत्तियों पर कोई एतराज नहीं किया। जबकि 55% विज्ञापनों पर उठाए गए सवाल जायज पाए गए। 4% विज्ञापनों के खिलाफ आई शिकायतों में कोई दम नहीं मिला।
ASCI के मुताबिक उसके नियमों पर खरा उतरने के लिए 5532 विज्ञापनों में से 94% ऐसे पाए गए, जिनमें सुधार की जरूरत पायी गई।
ASCI ने डिजिटल परिदृश्य में विज्ञापन को लगातार निगरानी में रखकर अपने दायरे को व्यापक बनाया। निगरानी किए गए विज्ञापनों में से लगभग 48 फीसदी डिजिटल माध्यम से संबंधित थे। पिछले वर्ष प्रभावशाली दिशा-निर्देशों के लागू होने के साथ ही साथ, प्रभावशाली लोगों के खिलाफ शिकायतें, कुल शिकायतों की 29 फीसदी थी।
वहीं, मशहूर हस्तियों वाले विज्ञापनों में भ्रामक दावों की शिकायतों में 41 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जिनमें से 92 फीसदी को ASCI के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया गया।
शिक्षा क्षेत्र में नियमों के उल्लंघन में हुई वृद्धि को देखते हुए, ASCI ने एडटेक कंपनियों के सभी विज्ञापनों पर एक अलग अध्ययन की योजना बनाई है।
इसके बारे में बताते हुए ASCI की सीईओ मनीषा कपूर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘शिक्षा हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है और एक चीज जिसे हमें इस संदर्भ में देखने की जरूरत है, वह यह है कि कुछ अन्य श्रेणियों या ब्रैंड्स के विपरीत शिक्षा इस देश में हर एक उपभोक्ता के संपर्क में आती है।’
उन्होने कहा, ‘यह विशेष रूप से एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें काफी अधिक चिंताएं शामिल हैं और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने बताया कि एडटेक कंपनियों के पास बड़े-बड़े बजट हैं, वे कई प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं और ये नई कंपनियां स्थानीय और क्षेत्रीय दर्शकों की सेवा कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘नौकरी की गारंटी और कुछ खास अंक या टेस्ट्स जैसा वादा करने वाली चीजें ठीक नहीं हैं। हां, हम एडटेक के साथ जुड़ी एक चिंता को देखते हैं और इसलिए हम एक ऐसे अध्ययन पर काम कर रहे हैं, जो सभी एडटेक विज्ञापनों का ऑडिट करेगा। यह अध्ययन इनकी थीम (विषय वस्तु) और भ्रामक दावों का विश्लेषण करेगा।’
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भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने डिजिटल मंचों पर भ्रामक सामग्री संबंधी विज्ञापनों की निगरानी के लिए ‘डिजिटल निगरानी’ प्रणाली स्थापित की है। ASCI इसके लिए कृत्रिम मेधा (AI) आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग कर रहा है। ASCI ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अपनी वार्षिक शिकायत रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
नियामक ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और व्यक्तिगत देखभाल जैसे क्षेत्रों को डिजिटल श्रेणी में शीर्ष तीन उल्लंघनकारी श्रेणियों के रूप में पाया गया है।
ASCI ने कहा कि विज्ञापन अब मोबाइल जैसी व्यक्तिगत स्क्रीन पर तेजी से दर्शाये जा रहे हैं, जिसके कारण नियामकों के लिए विज्ञापनों के पैमाने और प्रभाव को समझना मुश्किल हो गया है।
नियामक ने कहा कि विज्ञापन बनाने वाली इकाइयों की संख्या में जोरदार वृद्धि हुई है और एक अनुमान के अनुसार, एक व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 6,000 से 10,000 विज्ञापनों के संपर्क में आता है।
ASCI की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘डिजिटल दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है। हम निगरानी करने के लिए AI तकनीक की मदद ले रहे हैं।’
रिपोर्ट के अनुसार, ASCI को बीते वित्त वर्ष के दौरान प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन समेत सभी माध्यमों से 7,631 शिकायतें मिलीं और इनमे से 5,532 का निपटान किया गया। डिजिटल क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान देने के साथ ASCI की अनुपालन दर 94 प्रतिशत रही।
ASCI ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 75 प्रतिशत शिकायतों को खुद संज्ञान लिया, जबकि 21 प्रतिशत उपभोक्ता और शेष उद्योग जगत तथा सरकार की तरफ से मिलीं।
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एडवर्टाइजर्स की प्रमुख संस्था ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ (ISA) ने देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था ‘ब्रॉडकास्टर्स ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) के लैंडिंग पेज की ‘एल्गोरिथम’ (algorithm) का समर्थन किया है। बता दें कि बार्क इंडिया के स्टेक होल्डर्स (stakeholders) में ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ भी शामिल है।
इस बारे में ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘बार्क ने माप विज्ञान (measurement science) में सुधार लाने और बाहरी कारकों के दर्शकों की संख्या पर प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से एक डेटा सत्यापन गुणवत्ता पहल (Data Validation Quality Initiative) शुरू की है।’
इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि बार्क इंडिया ने अपने डेटा सत्यापन पद्धति में एक एल्गोरिथम पेश किया है, ताकि सभी चैनल्स पर जबरन व्युअरशिप डेटा को लेकर लैंडिंग पृष्ठ के प्रभाव को दूर किया जा सके।
’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ के अनुसार, यह तरीका सभी शैलियों में बेहतर परिणाम देने के लिए सीधे अनुमानित आंकड़ों (inferential statistics) का उपयोग करता है। इसे बार्क की टेक्निकल कमेटी द्वारा सत्यापित और प्रमाणित किया गया है।
इस बारे में ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ के चेयरमैन सुनील कटारिया का कहना है, ’ बार्क की एल्गोरिथम बहुत उच्च सफलता दर वाले लैंडिंग पृष्ठों का पता लगाती है और एक बार पता चलने के बाद, यह एल्गोरिथम जबर्दस्ती थोपी गई व्युअरशिप (forced viewership) को हटाने का प्रयास करती है और स्वैच्छिक व्युअरशिप (voluntary viewership) उस चैनल के लिए वास्तविक व्युअरशिप के रूप में गिनी जाती है। यह एक सही तरीका है और लैंडिंग पेज व्युअरशिप के मुद्दे पर बार्क द्वारा अपनाए जा रहे इस तरीके पर तमाम एडवर्टाइजर्स एकमत हैं।’
बता दें कि यह स्टेटमेंट इंडस्ट्री के कुछ स्टेक होल्डर्स की उन मांगों के मद्देनजर आया है, जिनमें वास्तविक व्युअरशिप से लैंडिंग पृष्ठ डेटा को अलग करने की आवश्यकता बताई गई है। इन स्टेक होल्डर्स का मानना है कि लैंडिंग पेज टीवी चैनल्स की लोकप्रियता की गलत तस्वीर प्रस्तुत करता है।
लैंडिंग पृष्ठ के मुद्दे पर टीवी न्यूज इंडस्ट्री की अलग-अलग राय है। कुछ प्लेयर्स ने दावा किया है कि यह सिर्फ उन मीडिया कंपनियों के पक्ष में है, जिनके पास काफी पैसा है, जबकि कुछ का दावा है कि लैंडिंग पृष्ठ पूरी तरह से कानूनी है।
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TAM AdEx के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि 2020 की तुलना में साल 2022 में प्रिंट सेक्टर के कुल ऐड स्पेस में 12 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं 2021 की इसी समयावधि की तुलना में इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई थी।
जनवरी से मार्च 2022 में ऐड स्पेस प्रति पब्लिकेशन लगभग जनवरी से मार्च 2021 के बराबर ही था।
इसके अलावा, सर्विस सेक्टर 17% ऐड स्पेस के साथ शीर्ष पर रहा और उसके बाद ऑटो सेक्टर 11% शेयर के साथ दूसरे नंबर पर रहा। शीर्ष तीन सेक्टर्स ने मिलकर प्रिंट में ऐड स्पेस का 38% हिस्सा लिया। इस बीच, तीन सेक्टर्स- रिटेल, फूड एंड बेवजरेज और पर्सनल एसेसरीज ने टॉप-10 की सूची में अपनी रैंकिंग बनाए रखी।
रिपोर्ट के अनुसार, टॉप-10 में शामिल अन्य कैटेगरीज ने मिलकर प्रिंट में ऐड स्पेस का 30% से अधिक हिस्सा अर्जित किया। प्रॉपर्टीज/रियल एस्टेट्स, हॉस्पिटल/क्लीनिक्स व लाइफ इंश्योरेंस जनवरी से मार्च 2022 के दौरान रैंकिंग में ऊपर चले गए और केवल सार्वजनिक निर्गम श्रेणी (Public Issues category) ने जनवरी से मार्च 21 व 22 में अपनी रैंकिंग जस की तस बनाए रखी। साथ ही, टॉप-10 कैटेगरीज में से दो ऑटो, रिटेल और एक-एक बैंकिंग/फाइनेंशियल/इनवेस्ट सेक्टर से थीं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SBS बायोटेक प्रिंट में एडवर्टाइजर्स की सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद एलआईसी ऑफ इंडिया है। शीर्ष तीन एडवर्टाइजर्स ने जनवरी से मार्च 2022 के दौरान अपनी स्थिति बनाए रखी। रिलायंस रिटेल जनवरी से मार्च 2021 में 13वें स्थान की तुलना में जनवरी से मार्च 2022 में आठवें स्थान पर पहुंच गया। जबकि रुचि सोया इंडस्ट्रीज व पतंजलि आयुर्वेद जनवरी से मार्च 2022 की ऐडवर्टाइजमेंट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गए हैं। इसी अवधि के दौरान 53,800 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स ने ऐड दिया।
पहली तिमाही में 62,600 से अधिक ब्रैंडस ने प्रिंट में ऐड दिया, जिसमें एलआईसी ब्रैंड सूची में सबसे आगे रहा। टॉप 10 ब्रैंडस में, दो-दो बैंकिंग/फाइनेंशियल/इनवेस्ट और पर्सनल हेल्थकेयर सेक्टर से आए हैं।
ऐड स्पेस में विटामिन/टॉनिक्स/हेल्थ सप्लिमेंट्स ने 87 प्रतिशत की बढ़त के साथ सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, इसके बाद EcomMedia/Ent./Social Media का स्थान रहा, जो जनवरी से मार्च 2022 और जनवरी से मार्च 2021 के बीच तीन गुना बढ़ गया। ग्रोथ के संदर्भ में, ईकॉम-फाइनेंशियल सर्विस कैटेगरी में टॉप-10 में सबसे अधिक ग्रोथ परसेंटेज देखा गया, यानी जनवरी से मार्च 2022 के बीच 18 गुना।
इस बीच, जनवरी से मार्च 2022 के दौरान जनवरी से मार्च 2021 की तुलना में 32,000 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स और 41,000 ब्रैंड्स को विशेष रूप से प्रिंट में विज्ञापित किया गया था। पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में जनवरी से मार्च 2022 में रुचि सोया इंडस्ट्रीज और Kia Carens टॉप ऐडवर्जाइजर्स और ब्रैंड्स थे।
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देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी वेबसाइट्स/प्लेटफार्म्स (Online Betting websites/ Platforms) के विज्ञापनों को लेकर ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।
मंत्रालय ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सलाह दी है कि वे ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्म्स के विज्ञापनों को प्रकाशित/प्रसारित करने से बचें। इसके साथ ही मंत्रालय ने ऑनलाइन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में ऐसे विज्ञापनों को प्रदर्शित न करने की सलाह दी है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से इस बारे में 13 जून 2022 को जारी लेटर में कहा गया है, ‘मंत्रालय की ओर से चार दिसंबर 2020 को प्राइवेट टीवी चैनल्स के लिए एक एडवाइजरी जारी कर ऑनलाइन गेमिंग के बारे में विज्ञापनों को लेकर एडवर्टाइजमेंट स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की गाइडलाइंस का पालन करने के लिए कहा गया था, जिनमें बताया गया है कि क्या करना है और क्या नहीं।’
सूचना प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, ’यह संज्ञान में आया है कि इन दिनों प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर ऑनलाइन सट्टेबाजी वेबसाइट्स/प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध है और इस तरह के विज्ञापन उपभोक्ताओं, खासकर युवाओं और बच्चों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक व आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं।’
अपनी एडवाइजरी में मंत्रालय का कहना है, ’लोगों को हितों के देखते हुए सलाह दी जाती है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस तरह के विज्ञापनों को प्रकाशित/प्रसारित न करें। साथ ही ऑनलाइन और सोशल मीडिया को भी इस तरह के विज्ञापनों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।’
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— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) June 13, 2022
Print & Electronic Media advised to refrain from publishing ads of online betting platforms.
Online & Social Media advised not to display such ads in India.
Details?https://t.co/zWxQ6SrOst pic.twitter.com/1jkTlG4NgA
केंद्र सरकार ने भ्रमाक विज्ञापनों और ऐसे विज्ञापनों को चर्चित हस्तियों की ओर से पहचान दिए जाने पर रोकथाम के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं
केंद्र सरकार ने भ्रमाक विज्ञापनों और ऐसे विज्ञापनों को चर्चित हस्तियों की ओर से पहचान दिए जाने पर रोकथाम के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनके मुताबिक, अब भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और ऐसी स्थिति में उनका प्रचार करने वाली हस्तियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और भी उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत काम करने वाली एजेंसी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने और ऐसे विज्ञापनों से उपभोक्ताओं की रक्षा करने के उद्देश्य से 'भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन, 2022' को अधिसूचित किया है।
उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत पहले से ही भ्रामक विज्ञापनों और उल्लंघनकर्ताओं के लिए दंड और कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन नए नियम सेलिब्रिटी विज्ञापनों को लक्षित करते हैं, जो गैरकानूनी हो सकते हैं। इनमें सरोगेट विज्ञापन और ऐसे विज्ञापन जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं, शामिल हैं।
नए नियमों के मुताबिक उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाली हस्तियों पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, नए दिशानिर्देश किसी विशेष सेलिब्रिटी को परिभाषित नहीं करते हैं। इस शब्द को आमतौर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति, जैसे अभिनेता या खिलाड़ी के रूप में समझा जाता है। एक विज्ञापन को गैर-भ्रामक और वैध तभी माना जाएगा जब वह नए नियमों में निर्धारित मानदंडों को पूरा करेगा। सरोगेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
जानिए, क्या होते हैं सरोगेट विज्ञापन
कुछ ऐसे प्रोडक्ट, जिनका सीधे विज्ञापन करने पर बैन लगा है। आमतौर पर इनमें शराब, सिगरेट और पान मसाला जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। ऐसे में इन प्रोडक्ट विज्ञापन करने के लिए सरोगेट विज्ञापनों का सहारा लिया जाता है। यानी ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे न बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर बताया और दिखाया जाता है। जैसे शराब को अक्सर म्यूजिक CD या सोडे के तौर पर दिखाया जाता है। यानी ऐसा ऐड जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट दूसरा होता है, जो सीधा-सीधा ब्रैंड से जुड़ा होता है।
नए दिशानिर्देश में बच्चों को टार्गेट करने और उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए मुफ्त दावे करने वाले विज्ञापन शामिल हैं। नियम और शर्तों में जो कुछ भी फ्री बताया गया है, डिस्क्लेमर में भी वह फ्री होना चाहिए। ‘शर्तें लागू’ होने वाले इस तरह के विज्ञापनों को भ्रामक कहा जाएगा। कंपनी के वे विज्ञापन जो कंपनी से जुड़े लोग कर रहे हैं, तो उन्हें बताना होगा कि वह कंपनी से क्या संबंध रखते हैं। मैन्युफैक्चरर अपने प्रोडक्ट के बारे में सही जानकारी देंगे। जिस आधार पर दावा किया गया है उसकी जानकारी देनी होगी।
मंत्रालय द्वारा जारी किये गए ये दिशानिर्देश प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन जैसे सभी मंचों पर प्रकाशित विज्ञापनों पर लागू होंगे। नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CCPA) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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विज्ञापन में लैंगिक रूढ़िवाद को देखना आम हो गया है। लैंगिक रूढ़िवाद हमारे दिमाग में इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी है कि हम शायद ही सोचते हैं कि किसी भी विज्ञापन में एक आदर्श परिवार में एक बड़ा लड़का और एक छोटी लड़की क्यों होते हैं, परिवार में दो लड़कियां क्यों नहीं? एक ठेठ भारतीय ब्रैंड के विज्ञापन की शुरुआत एक आदमी के अखबार पढ़ने और महिला द्वारा उसे चाय पिलाने से क्यों होती है? ‘मर्द मर्द होते हैं’ जैसे शब्द हमारे दिमाग में क्यों आते हैं? हमारे दिमाग में इस तरह की गहरी पैठ जमा चुके लैंगिक रूढ़िवाद को ध्यान में रखते हुए, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने लैंगिक रूढ़िवाद पर दिशा निर्देश जारी किए हैं। इस दिशा-निर्देश (गाइडलाइंस) को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को जारी किया।
ASCI ने विज्ञापनों में लैंगिक चित्रण को बढ़ावा देने पर रोक लगाने की बात कही है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह समाज के लिए हानिकारक है। लिहाजा ASCI ने विज्ञापनों में ‘हानिकारिक लैंगिक रूढ़िवाद’ के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए अस्वीकार्य चित्रण के लिए सीमाएं निर्धारित की हैं। मुख्य रूप से महिलाओं से संबंधित सभी मामलों में इसका पालन करना होगा।
इसके साथ ही विज्ञापन देने वाली कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रगतिशील लैंगिक चित्रों को बढ़ावा देने वाली सामग्रियों को प्रोत्साहित करें।
नए दिशा-निर्देश में अनिवार्य किया गया है कि विज्ञापनों में ‘किसी भी लिंग के पात्रों का यौन उद्देश्य से चित्रण’ या दर्शकों को खुश करने के मकसद से लोगों के लिए कामुक तरीके से चीजों को चित्रित नहीं करना चाहिए।
नए दिशा निर्देशों के अनुसार, किसी भी लिंग के लिए अपमानजनक भाषा या लहजे के जरिये दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही विज्ञापन लिंग के आधार पर हिंसा (शारीरिक या भावनात्मक), गैरकानूनी या असामाजिक व्यवहार को बढ़ावा नहीं दे सकते।
ASCI ने एक बयान में कहा, ‘लैंगिक रूढ़िवादिता, उनकी यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के अनुरूप नहीं होने के चलते विज्ञापनों में लोगों का उपहास नहीं उड़ाया जाना चाहिए।’
बयान के मुताबिक, भले ही यह दिशा-निर्देश मुख्य रूप से महिलाओं पर केंद्रित हैं, लेकिन अन्य लिंग वालों के गलत चित्रण में भी यह लागू होगा। ASCI ने कहा कि भाषा के उपयोग या विजुअल के मामले में यह वहां भी लागू होगा, जहां उत्पाद इससे संबंधित नहीं हैं। दिशानिर्देश में कहा गया है कि विज्ञापनों में लैंगिक आधार पर लोगों का मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए।
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एडवर्टाइजर्स की प्रमुख संस्था ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ (ISA) ने हाल ही में अपने सदस्यों को एक एडवाइजरी नोट जारी किया है। इस एडवाइजरी नोट में ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ ने कुछ प्लेटफॉर्म के बारे में बात की है, जो देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था ‘ब्रॉडकास्टर्स ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) की रेटिंग्स से बाहर निकलना चाह रहे हैं।
इस नोट में ’इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ ने अपने सदस्यों को सलाह दी है कि वे स्वतंत्र रूप से स्थिति का आकलन करें और विज्ञापनों के बारे में डीलिंग के दौरान इस तरह के प्लेटफार्म्स के संबंध में उचित निर्णय लें।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को मिली जानकारी के अनुसार, ‘आईएसए’ के सदस्य अनौपचारिक रूप से बार्क रेटिंग्स से बाहर निकलने वाले कुछ चैनल्स के बारे में 'कोई मीजरमेंट नहीं तो कोई विज्ञापन नहीं' को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
बता दें कि 17 महीने के अंतराल के बाद ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) के आदेश के बाद बार्क ने 17 मार्च से न्यूज रेटिंग्स देना दोबारा शुरू किया है। नई व्यवस्था के अंतर्गत न्यूज और विशिष्ट वर्ग के लिए रेटिंग्स चार सप्ताह की रोलिंग औसत परिकल्पना (four-week rolling average basis) के आधार पर जारी की जा रही है।
जैसा कि हम पूर्व में बता चुके हैं कि ‘NDTV 24x7’ और ‘NDTV India’ न्यूज चैनल्स के स्वामित्व वाले न्यूज ब्रॉडकास्टर्स ‘एनडीटीवी’ (NDTV) ने ‘ब्रॉडकास्टर्स ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के रेटिंग सिस्टम में कथित विसंगतियों को लेकर इससे अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कई न्यूज ब्रॉडकास्टर्स नाखुश हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बार्क ने व्युअरशिप बढ़ाने के लिए लैंडिंग पेज का दुरुपयोग, ब्रॉडकास्ट इंडिया अध्ययन आयोजित करने में देरी और कुछ शरारती तत्वों द्वारा पैनल से छेड़छाड़ की आशंका जैसे उनके मुद्दों को अभी तक हल नहीं किया है।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को एक परफ्यूम ब्रैंड के दो विज्ञापन के वीडियो को ट्विटर, यू-ट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटाने को कहा है। मंत्रालय की ओर से इस संबंध में ट्विटर और यू-ट्यूब को पत्र भी लिखा गया है।
पत्र में कहा गया है, 'यह महिलाओं के लेकर नैतिकता और शिष्टता के हिसाब से हानिकारक' और डिजिटल मीडिया के गाइडलाइंस का उल्लंघन है और किया गया चित्रण महिलाओं के लिए हानिकारक है।’
पत्र में कहा आगे कहा गया है कि वीडियो का कंटेंट सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) के नियमों 3 (1) (बी) (ii) का उल्लंघन है। नियमों के मुताबिक, लिंग के आधार पर अपमानजनक या परेशान करने वाली किसी भी जानकारी को होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, प्रसारित, स्टोर, अपडेट या साझा नहीं किया जा सकता।
बता दें कि परफ्यूम ब्रैंड लेयर'आर शॉट (Layer'r Shot) के बॉडी स्प्रे के दो आपत्तिजनक विज्ञापन का वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी, जो अधिकतर वीडियो के विरोध में थी, जिसमें कई लोगों द्वारा दावा किया गया कि विज्ञापन महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को प्रमोट करता है। लिहाजा विज्ञापनों लेकर कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर ASCI को टैग करके कहा था कि इस तरह के विज्ञापन को बंद किया जाए।
इसके जवाब में ASCI ने लिखा था कि हमें टैग करने के लिए धन्यवाद। यह विज्ञापन नियमों का उल्लंघन है। हमने इस पर तत्काल कार्रवाई की है। कंपनी से विज्ञापन को हटाने के लिए कहा है और आगे की जांच की जा रही है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा लिखे गए पत्र में आगे कहा गया है कि यह उल्लेख किया जा सकता है कि संबंधित वीडियो टीवी पर भी प्रसारित किए गए थे। इस संबंध में एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने भी केबल टेलीविजन नेटवर्क 1994 के नियम 7(2)(ix) के अनुसार विज्ञापन में अपने दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाला पाया है। इस संबंध में ASCI ने विज्ञापनदाता को विज्ञापन को तत्काल आधार पर निलंबित करने को कहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया पर परफ्यूम का एक अपमानजनक विज्ञापन वायरल हो रहा है। मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब को लिखे पत्र में कहा कि एडवर्टाइजिंग स्टैंडडर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने भी वीडियो को अपने दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया है और विज्ञापनदाता से विज्ञापन को तत्काल निलंबित करने को कहा है। कहा गया कि मामला संज्ञान में आने के कुछ घंटों के अंदर मंत्रालय ने विज्ञापन को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस तरह के विज्ञापन पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
दरअसल, सूचना-प्रसारण मंत्रालय के इस मामले पर कार्रवाई करने से पहले दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने परफ्यूम 'शॉट' के विज्ञापन पर गुस्सा जाहिर किया था और कहा था कि कंपनी के मालिकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और सूचना-प्रसारण मंत्री को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पत्र लिखा था। साथ ही कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
शॉट नाम के परफ्यूम से जुड़े दो विज्ञापनों में यह कंटेंट
पहले विज्ञापन में एक स्टोर पर चार लड़के बातचीत कर रहे हैं। चारों लड़के परफ्यूम की आखिरी बची हुई बोतल देखते हैं, और आपस में चर्चा करते हुए बोलते हैं कि हम चार हैं और वह सिर्फ एक, तो ‘शॉट’ कौन लेगा। लड़की डर जाती है और पीछे मुड़ती है, उसे लगता है कि वे उसी के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन इस बातचीत के दौरान विज्ञापन में लड़की के साथ-साथ बॉडी स्प्रे को भी दिखाया जाता है।
दूसरा विज्ञापन बेडरूम में एक कपल के साथ शुरू होता है। अचानक से लड़के के चार दोस्त कमरे में घुसते हैं और बेहद ही भद्दा सवाल पूछते हुए बोलते हैं कि लगता है शॉट मारा। अब हमारी बारी। मगर इसी विज्ञापन को पूरा देखने पर मालूम पड़ता है कि दोस्त सिर्फ पूछ रहे थे कि क्या वे कमरे में रखे शॉट परफ्यूम का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन जैसे ही इसे लोगों ने देखे तो बवाल मचना शुरू हो गया।
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‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर ने अपने लीडरशिप अवॉर्ड्स (Leadership Awards) 2022 के लिए जूरी की घोषणा कर दी है। इस अवॉर्ड का उद्देश्य उन प्रोफेशनल्स को सम्मानित करना और उन्हें एक नई पहचान देना है, जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर मार्केटिंग, विज्ञापन और मीडिया के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दिया है और कंपनियों को सफलता के नए आयाम तक पहुंचाया है।
जूरी की अध्यक्षता ‘आरपीजी एंटरप्राइजेज’ (RPG Enterprises) के चेयरपर्सन हर्ष गोयनका करेंगे। इसके अलावा जूरी में ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र’ (IN-SPACe) के चेयरपर्सन और ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड’ (Mahindra & Mahindra Ltd) के पूर्व एमडी व सीईओ पवन गोयनका, ’आईटीसी लिमिटेड’ (ITC Limited) के डिवीजन चीफ एग्जिक्यूटिव (फूड्स) हेमंत मलिक, ‘टाइटन कंपनी लिमिटेड’ (Titan Company Limited) की सीईओ( Watches & Wearables Division) सुपर्णा मित्रा, ‘फिलिप कैपिटल इंडिया’ ( PhillipCapital India) के एमडी और सीईओ विनीत भटनागर, ‘क्यूमैथ’ (Cuemath) के सीईओ विवेक सुंदर और ‘ट्रांशन इंडिया‘ (Transsion India) के सीईओ अरिजीत तलापात्रा को शामिल किया गया है।
Our jury is all set for the 9th edition of the IAA Leadership Awards. ?@mtata0503 @hvgoenka @GoenkaPk #HemantMalik @Suparnamitra99 @VineetBhatnag20 @Vivek_Sunder @ArijeetT @bedee0805 @NandiniDias #IAA #IAALeadershipAwards #9thEdition pic.twitter.com/iDliOoVP3g
— IAA India Chapter (@IAA_India) May 31, 2022
विजेताओं का चुनाव दो चरणों वाली चयन प्रक्रिया के द्वारा किया जाएगा। पहले चरण में डेटा पर फोकस किया जाएगा प्रोफेशनल्स को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में इन शॉर्टलिस्ट प्रोफेशनल्स में से जूरी द्वारा विजेताओं का चुनाव किया जाएगा।
‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक हर साल दिए जाने वाले इस लीडरशिप अवॉर्ड्स के तहत विजेताओं को सम्मानित किया जाता है। यह इस अवॉर्ड्स समारोह का नौवां एडिशन है।
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