विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर ‘द हिन्दू ग्रुप’ ने अपने एक विज्ञापन में केरल के पलक्कड़ में एक हाथिनी की मौत पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जिसने लोगों के दिमाग को झकझोर दिया है।
विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day) के मौके पर ‘द हिन्दू ग्रुप’ ने कछुए का एक विचारणीय विज्ञापन प्रकाशित कर जिस तरह से प्रशंसा बंटोरी थी, उसी अंदाज में यह ग्रुप विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के मौके पर एक और तीखी प्रतिक्रिया के साथ आगे आया है। ग्रुप ने केरल के पलक्कड़ में एक हाथिनी की मौत पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जिसने लोगों के दिमाग को झकझोर कर रख दिया है।
इस घटना पर केंद्रित अपने नए विज्ञापन में, द हिन्दू ग्रुप ने विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) पर एक संदेश जारी किया है, जिसमें इंसान की लालसा और अहंकार पर प्रकाश डाला गया है, जिसकी कीमत जानवरों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।
यह विज्ञापन ‘जंगल के बेताज बादशाह’ को नीचे गिराने के लिए ‘बहादुर इंसानों’ की व्यंग्यात्मक रूप से प्रशंसा करता है। विज्ञापन में हाथी की मौत की वजह का उल्लेख किया गया है कि जब जानवर को मारने के लिए एक बंदूक नहीं होती है, तो कैसे खाने में घातक जहर देकर ‘हाथी के शासनकाल’ को समाप्त कर दिया जाता है। यह ओक के पेड़ों, व्हेल, पक्षियों और सदाबहार जंगलों जैसे मानव "साहस" के अन्य हताहतों के नाम पर भी जाता है।
बता दें कि यह घटना 27 मई को सामने आई थी। केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क की एक गर्भवती हथिनी को कुछ लोगों ने पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था। अनानास चबाते ही उसमें हुए विस्फोट से हथिनी का जबड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। असहनीय दर्द के कारण वह कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ थी, जिसके बाद 15 साल की इस गर्भवती हथिनी की मलप्पुरम में वेल्लियार नदी में खड़े खड़े मौत हो गई थी।
‘बेंगलुरु एडवर्टाइजिंग क्लब’ (The Advertising Club of Bangalore) ने वर्ष 2025 के लिए अपनी नई मैनेजिंग एग्जिक्यूटिव कमेटी की घोषणा कर दी है।
‘बेंगलुरु एडवर्टाइजिंग क्लब’ (The Advertising Club of Bangalore) ने वर्ष 2025 के लिए अपनी नई मैनेजिंग एग्जिक्यूटिव कमेटी की घोषणा कर दी है। इस कमेटी में विज्ञापन और मार्केटिंग क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल्स को शामिल किया गया है।
इस बार कमेटी की कमान ओरिगामी क्रिएटिव कॉन्सेप्ट्स और ब्लूमबॉक्स ब्रैंड इंजीनियर्स के सह-संस्थापक और निदेशक लईक अली को सौंपी गई है, जो क्लब के नए प्रेजिडेंट बने हैं। उनके साथ बतौर वाइस प्रेजिडेंट मार्केटिंग और डिजिटल कम्युनिकेशन के अनुभवी प्रोफेशनल निशाद रामचंद्रन को चुना गया है।
कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी मालविका हरिता को मिली है, जो ब्रैंड सर्कल की फाउंडर और सीईओ हैं। वहीं, नवीन नायर (वनवर्स) को संयुक्त-कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। क्लब की सचिव बनाई गई हैं स्नेहा वाल्के, जो 'द लिटिल थिंग्स कंपनी' की फाउंडर हैं। नई टीम के साथ क्लब ने इंडस्ट्री जगत से जुड़े प्रोफेशनलों को जोड़ते हुए भविष्य के कार्यक्रमों और पहलों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
विस्तारित समिति यानी एक्सटेंडेड कमेटी में भी इंडस्ट्री के कई दिग्गज और उभरते नाम शामिल किए गए हैं। इनमें पब्लिसिस सैपिएंट की इंडिया मार्केटिंग लीडर गंगा गणपति पूवैयाह, वरिष्ठ मीडिया प्रोफेशनल अनिलकुमार सथाराजु, ट्रिगर वर्ल्डवाइड के निदेशक और सीईओ सुनीत जॉन, एआई नेक्स्ट जेन के संस्थापक जी.वी. कृष्णमूर्ति, 'ब्लू' से जुड़े अरुणावा सील, डिशा कम्युनिकेशंस के नाइजल मैथ्यू और लॉडस्टार यूएम (IPG मीडिया ब्रैंड्स) की लया मेनन के नाम प्रमुख हैं। इसके अलावा न्यूज़ फर्स्ट कन्नड़ के एस. दिवाकर, हनीकॉम्ब से नौफेल अनामाला, स्पॉटिफाई की नियति शाह, और वीविल के राजेश वोरकडी भी इस नई टीम का हिस्सा होंगे।
नई मैनेजिंग एग्जिक्यूटिव कमेटी के प्रेजिडेंट लईक अली ने कहा कि समिति इस बार केवल इवेंट्स तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि ब्रैंड-बिल्डिंग, ज्ञान-साझा और पेशेवर नेटवर्किंग को मजबूती देने पर ध्यान केंद्रित करेगी। क्लब के प्रमुख इनिशिएटिव ‘इंस्पिरेशन रूम’ को आगे बढ़ाते हुए वह एक समावेशी और प्रेरणादायी प्लेटफॉर्म के रूप में क्लब को स्थापित करने की दिशा में काम करेंगे।
वहीं, मालविका हरिता ने कहा, ‘एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव आ रहा है और बेंगलुरु एडवर्टाइजिंग क्लब जैसे प्लेटफॉर्म पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। मैं उन पहलों का समर्थन करना चाहती हूं जो नई पीढ़ी के टैलेंट को प्रेरित, सशक्त और अपस्किल करती हैं, साथ ही हमारी प्रोफेशनल कम्युनिटी के बीच गहरे संबंध बनाती हैं।‘
मैनेजिंग एग्जिक्यूटिव कमेटी की पूरी लिस्ट इस प्रकार है:
1: Laeq Ali Origami Creative Concepts and Bloombox Brand Engineers, President
2: Nishad Ramachandran -Seasoned advertising and Digital Professional- Vice President
3: Malavika Harita-Brand Circle,Treasurer
4: Sneha Walke The Little Things Co,Secretary
5: Navin NairOneVerse Joint Treasurer
6: Arunava Seal Bleu
7: Nigel Mathew-Disha Communications
6: Laya Menon Lodestar UM,IPG Mediabrands
7: G.V. Krishnamurthy- Ai Nxt Gen
8: Suneet John-Trigger Worldwide
9: Anil Sathiraju- Senior Media Professional
10: Ganga Ganapathi Poovaiah-Publicis Sapient
11: S .Divakar-News First Kannada
12: Noufel Anamala-Honeycomb
13: Niyati Shah- Spotify
14: Rajesh Vorkady-• Veeville
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की 2024–25 की सालाना शिकायत रिपोर्ट के अनुसार, ऑफशोर सट्टेबाजी (विदेशी सट्टेबाजी से जुड़े) विज्ञापनों ने सभी विज्ञापन उल्लंघनों में सबसे ज्यादा हिस्सा लिया
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की 2024–25 की सालाना शिकायत रिपोर्ट के अनुसार, ऑफशोर सट्टेबाजी (विदेशी सट्टेबाजी से जुड़े) विज्ञापनों ने सभी विज्ञापन उल्लंघनों में सबसे ज्यादा हिस्सा लिया, यानी जितने भी मामलों की ASCI ने जांच की, उनमें से 43 प्रतिशत केवल इन्हीं विज्ञापनों के थे। इसका मतलब है कि यह श्रेणी सभी में सबसे ज्यादा नियम तोड़ने वाली रही।
ASCI ने यह भी नोट किया कि ऐसे उत्पादों का प्रचार करने वाले विज्ञापनों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें भारतीय कानून प्रतिबंधित करता है। ऑफशोर सट्टेबाजी के बाद, रियल एस्टेट के विज्ञापन 24.9% उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार थे। इसके बाद क्रमशः पर्सनल केयर (5.7%), हेल्थकेयर (5.23%) और खाद्य एवं पेय पदार्थ (4.69%) से जुड़े विज्ञापनों में नियमों का उल्लंघन पाया गया।
इसके अलावा, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा किए गए विज्ञापन उल्लंघन कुल मामलों का 14 प्रतिशत थे।
साल भर में ASCI ने कुल 9,599 शिकायतों के आधार पर 7,199 विज्ञापनों की जांच की। इनमें से 98 प्रतिशत विज्ञापनों में किसी न किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता पाई गई। ये अधिकतर उल्लंघन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर देखे गए, जिनमें मेटा (Meta) से जुड़े प्लेटफॉर्म्स पर सबसे अधिक मामले दर्ज हुए।
ASCI ने बताया कि वह भारतीय कानून के तहत प्रतिबंधित क्षेत्रों से संबंधित विज्ञापनों—जैसे सट्टेबाजी/जुए, शराब, तंबाकू और भ्रामक स्वास्थ्य संबंधी दावों—को संबंधित नियामक संस्थाओं तक कार्रवाई के लिए भेजता रहा है। ऐसे मामलों की संख्या 2023–24 में 2,707 से बढ़कर 2024–25 में 3,347 हो गई।
इसके साथ ही, ASCI ने पर्यावरण से जुड़ी झूठी दावेदारी करने वाले विज्ञापनों में भी तेजी से बढ़ोतरी चिन्हित की। इस साल ऐसे 211 विज्ञापनों की जांच की गई, जबकि 2023–24 में इनकी संख्या सिर्फ 34 थी। सभी मामलों में उचित प्रमाण के अभाव में बदलाव की आवश्यकता पाई गई।
ASCI का कहना है कि डिजिटल माध्यमों पर विज्ञापन सामग्री की तेजी से बढ़ती मात्रा यह संकेत देती है कि विशेष रूप से उन श्रेणियों में जो पहले से ही भारतीय कानून के तहत सीमित हैं, अधिक सतर्क निगरानी और व्यापक अनुपालन की जरूरत है।
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024–25 में जिन सभी विज्ञापनों में नियमों का उल्लंघन पाया गया, उनमें से अधिकांश डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर थे
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024–25 में जिन सभी विज्ञापनों में नियमों का उल्लंघन पाया गया, उनमें से अधिकांश डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर थे, जबकि टीवी और अखबार जैसे पारंपरिक माध्यम अब भी अपेक्षाकृत जिम्मेदार बने हुए हैं।
वित्त वर्ष 2024–25 में विज्ञापनों में नियमों का उल्लंघन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर 94.4% हुआ। इसके मुकाबले अखबारों (प्रिंट) में सिर्फ 2.4% विज्ञापनों में गड़बड़ी मिली, तो वहींं टीवी में 2.6% नियमों का उल्लंघन पाया गया। वहीं अन्य आउटडोर (होर्डिंग्स) और रेडियो जैसे अन्य माध्यमों से जुड़ी शिकायतों का हिस्सा सिर्फ 0.6% रहा।
ASCI की रिपोर्ट बताती है कि कुल 7,078 ऐसे विज्ञापन चिन्हित किए गए जिनमें बदलाव की जरूरत थी। इनमें प्रिंट मीडिया का हिस्सा महज 2.4% और टीवी का 2.6% रहा, जबकि डिजिटल माध्यमों ने भारी बहुमत के साथ उल्लंघन में सबसे ऊपर स्थान पाया। आउटडोर और रेडियो जैसे अन्य माध्यमों से जुड़ी शिकायतों का हिस्सा सिर्फ 0.6% रहा।
अनुपालन दर (Compliance Rate) की बात करें तो, प्रिंट में यह 98%, टीवी में 97% और डिजिटल में 81% दर्ज की गई। जिन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सबसे अधिक उल्लंघन पाए गए, उनमें Meta, ई-कॉमर्स साइट्स, वेबसाइट्स, ट्विटर, मोबाइल ऐप्स, प्रॉपर्टी पोर्टल्स और ईमेल सेवाएं शामिल हैं। इसके विपरीत, Google, LinkedIn और OTT प्लेटफॉर्म्स पर सबसे कम उल्लंघन रिपोर्ट किए गए।
डिजिटल शिकायतों की संख्या में वृद्धि और आधुनिक विज्ञापन अभियानों की अल्पकालिक प्रकृति को देखते हुए ASCI ने औसतन एक शिकायत को निपटाने में लगने वाला समय (Turnaround Time या TAT) 46% घटा दिया है। अब एक शिकायत को प्राप्त करने से लेकर उसे हल करने तक का औसत समय सिर्फ 16 दिन रह गया है।
ASCI की CEO और सेक्रेटरी जनरल मनीषा कपूर ने कहा, “डिजिटल युग में ASCI उपभोक्ता संरक्षण के सबसे अहम क्षेत्रों में लगातार अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाता रहा है। सरकार के साथ मिलकर सट्टेबाजी और जुए से संबंधित विज्ञापनों पर हमारा फोकस इसका एक बेहतरीन उदाहरण है कि सभी संबंधित पक्ष प्रभाव डालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम आगे भी उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विज्ञापन निगरानी में अपनी विशेषज्ञता को मजबूत करते रहेंगे।”
उन्होंने इस तेज समाधान समय का श्रेय बिना चुनौती दिए गए मामलों की संख्या में वृद्धि और चुनौती दिए गए मामलों की अधिक दक्ष प्रोसेसिंग को दिया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई डिजिटल ब्रांड्स के पास अलग से कानूनी या मार्केटिंग टीमें नहीं होतीं। ऐसे मामलों में ASCI के केस ऑफिसर्स ने सीधे इन विज्ञापनदाताओं से संपर्क कर उन्हें संभावित कोड उल्लंघनों की जानकारी दी, जिससे स्वैच्छिक अनुपालन की दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई।
वित्त वर्ष 2024–25 में ASCI द्वारा चिन्हित किए गए विज्ञापनों में से 59% मामलों में विज्ञापनदाताओं ने शिकायत को चुनौती नहीं दी, जबकि 2023–24 में यह संख्या 49% और 2022–23 में 37% थी। इन मामलों को तब बंद कर दिया गया जब विज्ञापनदाता ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह शिकायत को चुनौती नहीं देगा और मामला ASCI की उपभोक्ता शिकायत परिषद (Consumer Complaints Council) तक नहीं गया।
आज का दिन भारतीय विज्ञापन उद्योग के एक ऐसे नाम को समर्पित है, जिसने अपने काम, सोच और नेतृत्व से इस क्षेत्र पर गहरा असर डाला है- नवरोज धोंडी।
आज का दिन भारतीय विज्ञापन उद्योग के एक ऐसे नाम को समर्पित है, जिसने अपने काम, सोच और नेतृत्व से इस क्षेत्र पर गहरा असर डाला है- नवरोज धोंडी। 'क्रिएटीजीज' (Creatigies) के फाउंडर व मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में, साथ ही कई अन्य उद्यमों के माध्यम से, नवरोज ने न सिर्फ मार्केटिंग की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि इसे दिशा भी दी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे नवरोज ने अपने करियर की शुरुआत चार दशक पहले लिंटास (Lintas) से की, जहां वे नौ साल तक रहे। इसके बाद वे भारत की प्रतिष्ठित एजेंसी HTA/ JWT से जुड़े और लगभग पांच वर्षों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1995 में, नवरोज धोंडी ने मात्र 30 के दशक में ही ANTHEM का नेतृत्व संभाला और इसे TBWA ANTHEM में बदल दिया। इस बदलाव ने उन्हें भारत के सबसे कम उम्र के CEO में शुमार कर दिया। इसके बाद उन्होंने परसेप्ट ग्रुप जैसी बहुआयामी एजेंसी का संचालन किया और उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
पिछले 22 वर्षों से नवरोज Creatigies के जरिए बतौर उद्यमी सक्रिय हैं। यह एजेंसी भारत में स्पोर्ट्स मार्केटिंग के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी प्रयोगों और मीडिया पार्टनरशिप की अगुवा रही है। उनकी सोच ने खेल और ब्रांडिंग के मेल को जिस तरह नया आकार दिया, वह अपने आप में बेमिसाल है।
लेकिन नवरोज की पहचान सिर्फ एक विज्ञापन पेशेवर तक सीमित नहीं है। वे एक कवि, फोटोग्राफर, लेखक, घुमक्कड़, स्पोर्ट्स लवर और फूड प्रेमी भी हैं। उन्होंने कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों में समय-समय पर लिखा और विज्ञापन से आगे भी अपनी रचनात्मकता को जिया।
उनका करियर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने UK, साउथ अमेरिका, श्रीलंका सहित कई देशों में भारतीय ब्रांड्स को इंटरनेशनल पहचान दिलाई। उनकी कामयाबी का राज सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि अलग-अलग संस्कृतियों को समझने और ब्रांड को उस नजर से प्रस्तुत करने में रहा है।
आज जब नवरोज धोंडी अपना जन्मदिन मना रहे हैं, पूरा इंडस्ट्री उन्हें सलाम करता है- एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में जिसने हर मोड़ पर विज्ञापन को नए मायनों में देखा, समझा और गढ़ा।
नवरोज का परिवार छोटा और खूबसूरत है। उनकी पत्नी नीलूफर धोंडी देश की मशहूर F&B उद्यमी हैं, जबकि उनकी बेटी अनाहिता धोंडी, जो एक जानी-मानी शेफ हैं, का जन्मदिन ठीक एक दिन पहले 23 मई को था। अनाहिता एक सफल कॉर्पोरेट वकील से विवाह कर चुकी हैं और उनके बेटे का नाम कुरुष है।
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं, एक ऐसे लीजेंड को जो आज भी उतने ही प्रेरणादायक हैं जितने वह पहले थे।
भारत में कनेक्टेड टीवी (CTV) विज्ञापन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और देश की मनोरंजन अर्थव्यवस्था के लिए एक नए ग्रोथ इंजन के रूप में उभर रहा है।
भारत में कनेक्टेड टीवी (CTV) विज्ञापन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और देश की मनोरंजन अर्थव्यवस्था के लिए एक नए ग्रोथ इंजन के रूप में उभर रहा है। Deloitte और मीडिया पार्टनर्स एशिया (MPA) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, CTV विज्ञापनों पर खर्च 2022 में जहां 450 करोड़ रुपये था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा तीन गुना बढ़कर 1,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
फिलहाल CTV विज्ञापन भारत में कुल डिजिटल विज्ञापन खर्च का 1.5% हिस्सा हैं, लेकिन अगले कुछ वर्षों में इसके 7 से 8% तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, यह क्षेत्र हर साल करीब 40% की दर से बढ़ रहा है, जो इसकी तेज रफ्तार विकास को दर्शाता है।
रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट से जुड़े स्मार्ट टीवी की बढ़ती पहुंच और सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाओं ने CTV को विज्ञापनदाताओं के लिए आकर्षक माध्यम बना दिया है। पारंपरिक टीवी की तुलना में CTV अधिक सटीक टार्गेटिंग की सुविधा देता है। यह दर्शकों की आदतों, पसंद और जनसांख्यिकी के आधार पर विज्ञापन दिखाने की क्षमता रखता है।
CTV पर दिखाए जाने वाले लोकप्रिय विज्ञापन स्वरूपों में पॉज ऐड्स, प्री-रोल्स, मिड-रोल्स, ऑटो-एक्सपैंडिंग बिलबोर्ड्स और क्लिक-टू-वॉट्सऐप इंटिग्रेशन शामिल हैं, जो दर्शकों का ध्यान खींचने में मदद करते हैं।
CTV की यह बढ़त भारत की फिल्म, टेलीविजन और ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट (OCC) इंडस्ट्री की समग्र प्रगति के बीच देखी जा रही है। वित्त वर्ष 2024 में इस पूरी इंडस्ट्री ने 1.1 लाख करोड़ रुपये (13.1 अरब डॉलर) का संयुक्त राजस्व अर्जित किया है, जो FY2019 की तुलना में 18% अधिक है, जबकि इस दौरान महामारी के चलते सिनेमाघरों की बंदी और शूटिंग रुकने जैसे कई व्यवधान आए।
जहां कई विकसित देशों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पारंपरिक टीवी को पीछे छोड़ रहे हैं, वहीं भारत में यह रुख अलग है। रिपोर्ट के अनुसार, यहां परंपरागत टेलीविजन की धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि बनी रहने की उम्मीद है और OCC इस इकोसिस्टम को बाधित करने के बजाय उसका विस्तार कर रहा है।
फिल्म, टीवी और OCC मिलाकर यह इंडस्ट्री अगले तीन-चार वर्षों में 6–7% की सालाना दर से बढ़ने की संभावना रखती है।
FY2024 में इंडस्ट्री का आर्थिक योगदान
मनोरंजन क्षेत्र का FY2024 में कुल सकल आउटपुट 5.14 लाख करोड़ रुपये (61.2 अरब डॉलर) रहा, जिसमें से 1.41 लाख करोड़ रुपये (16.8 अरब डॉलर) प्रत्यक्ष योगदान था।
टेलीविजन इस आउटपुट में सबसे आगे रहा, जिसने 3.17 लाख करोड़ रुपये का सकल उत्पादन और 87,012 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष उत्पादन किया।
फिल्म सेक्टर ने 1.21 लाख करोड़ रुपये का कुल आउटपुट और 33,292 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष योगदान दिया।
OCC, जो आकार में तुलनात्मक रूप से छोटा है, उसने भी उल्लेखनीय 74,756 करोड़ रुपये का सकल उत्पादन और 20,470 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष योगदान किया।
मूल्य वर्धन (Value Addition) के मामले में:
टेलीविजन ने 1.83 लाख करोड़ रुपये जोड़े, जिसमें से 51,360 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष थे।
फिल्म सेक्टर का कुल योगदान 62,283 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 11,869 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष थे।
OCC ने कुल 32,203 करोड़ रुपये का मूल्य जोड़ा, जिसमें 1,205 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष योगदान शामिल है।
रोजगार और भविष्य की संभावनाएं
FY2024 में यह क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से 8.2 लाख लोगों को रोजगार देता है, और यदि अप्रत्यक्ष और प्रेरित प्रभावों को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा 26.4 लाख नौकरियों तक पहुंचता है।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि यही रफ्तार बनी रहती है, तो FY2029 तक यह इंडस्ट्री देश की अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 1.74 लाख करोड़ रुपये (20.7 अरब डॉलर) का योगदान दे सकती है और 3.6 लाख नई नौकरियों का सृजन संभव है। अगर विकास की गति और तेज हो, तो ये आंकड़े 30 से 40 प्रतिशत तक अधिक हो सकते हैं।
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योग गुरु बाबा रामदेव ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में यह हलफनामा दाखिल किया कि वे “शरबत जिहाद” जैसी किसी भी अपमानजनक या सांप्रदायिक टिप्पणी को भविष्य में नहीं दोहराएंगे।
योग गुरु बाबा रामदेव ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कर्ट में यह हलफनामा दाखिल किया कि वे हमदर्द की रूह अफजा के खिलाफ अपनी “शरबत जिहाद” जैसी किसी भी अपमानजनक या सांप्रदायिक टिप्पणी को भविष्य में नहीं दोहराएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि वे सोशल मीडिया या किसी अन्य सार्वजनिक मंच पर ऐसा कोई बयान, वीडियो या पोस्ट जारी नहीं करेंगे जिससे किसी समुदाय या प्रतिस्पर्धी उत्पाद की छवि को ठेस पहुंचे।
यह हलफनामा कोर्ट द्वारा पहले दिए गए निर्देशों के पालन में दाखिल किया गया। इससे पहले 1 मई को न्यायमूर्ति अमित बंसल ने बाबा रामदेव के वकील को दिन में ही हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके साथ ही रामदेव की कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने भी इसी तरह का हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया।
यह विवाद हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक दीवानी मुकदमे से जुड़ा है। फाउंडेशन ने आरोप लगाया है कि बाबा रामदेव ने पतंजलि के उत्पाद गुलाब शरबत के प्रचार के दौरान रूह अफजा को निशाना बनाते हुए यह दावा किया कि उसका मुनाफा मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में लगाया जा रहा है।
फाउंडेशन के मुताबिक यह बयान केवल प्रतिस्पर्धी उत्पाद की निंदा नहीं, बल्कि एक सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला वक्तव्य है जिसे जानबूझकर दिया गया। इस प्रचार वीडियो में रामदेव ने रूह अफजा का नाम न लेकर भी उसे स्पष्ट रूप से निशाना बनाया और “शरबत जिहाद” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। यह वीडियो पतंजलि प्रोडक्ट्स नाम के फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया था।
22 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस टिप्पणी को “अक्षम्य” करार देते हुए कहा था कि यह न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस तरह के बयान सांप्रदायिक सौहार्द और सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।
इसके बाद रामदेव की ओर से वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने आश्वासन दिया था कि सभी आपत्तिजनक वीडियो और पोस्ट हटा दिए जाएंगे और ऐसा कोई बयान दोबारा नहीं दिया जाएगा।
हालांकि शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हमदर्द की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि जिन वीडियो को हटाया जाना था, उन्हें केवल “प्राइवेट” कर दिया गया है, जबकि कोर्ट ने इन्हें पूरी तरह हटाने का निर्देश दिया था।
जवाब में रामदेव के वकील ने कहा कि कोर्ट के प्रति उनका पूरा सम्मान है और “24 घंटे के भीतर सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।”
1 मई को कोर्ट ने रामदेव को चेतावनी दी थी कि यदि आपत्तिजनक कंटेंट हटाया नहीं गया तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इसी के बाद यह हलफनामा दाखिल किया गया।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि रामदेव द्वारा दिया गया बयान केवल मानहानिकारक नहीं बल्कि सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाला है। उन्होंने कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि रामदेव को इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक बयानों पर फटकार लग चुकी है और एक अन्य मामले में उन्होंने एक मुस्लिम व्यवसायी के खिलाफ भी इसी तरह का बयान दिया था।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 9 मई 2025 तय की है, जब यह देखा जाएगा कि रामदेव और पतंजलि की ओर से दिए गए आश्वासनों पर पूरी तरह अमल हुआ है या नहीं।
भारत की प्रमुख विज्ञापन एजेंसी Madison World की हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा अब अंतिम दौर में पहुंच गई है।
भारत की प्रमुख विज्ञापन एजेंसी Madison World की हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चा अब अंतिम दौर में पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक, पेरिस स्थित एक ग्लोबल कम्युनिकेशन नेटवर्क की भारतीय शाखा Madison में करीब 70% हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत के आखिरी दौर में है। यह सौदा एजेंसी को करीब 1000 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन पर किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि Madison को खरीदने की दौड़ में दो फ्रेंच होल्डिंग कंपनियों की भारतीय इकाइयां शामिल हैं और इनमें से एक एजेंसी फिलहाल इस रेस में आगे चल रही है। इस डील की शर्तें और टाइमलाइन को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है, क्योंकि Madison के वर्षों पुराने क्लाइंट बेस और स्वतंत्र संचालन मॉडल को रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
यदि ये सौदा फाइनल होता है, तो यह भारत की स्वतंत्र विज्ञापन एजेंसियों के इतिहास में सबसे चर्चित अधिग्रहणों में से एक होगा।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विज्ञापन जगत में बड़े नेटवर्क समूहों द्वारा छोटी एजेंसियों के अधिग्रहण और मर्जर की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल क्षमताओं को मजबूत करना और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना है।
उदाहरण के लिए, 2023 में Havas Group ने PR Pundit का अधिग्रहण किया था, वहीं 2025 की शुरुआत में Liqvd Asia ने AdLift को 50 करोड़ रुपये में खरीदा था। 2023 में Pressman Advertising का Signpost India के साथ मर्ज भी इसी दिशा में बड़ा कदम था। इसके अलावा, 2024 में घोषित Omnicom और Interpublic Group के बीच 13.25 अरब डॉलर का संभावित विलय दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनी बनाने की तैयारी है।
1988 में सैम बलसारा द्वारा स्थापित Madison World ने मीडिया, क्रिएटिव, PR और डिजिटल जैसी सेवाओं में गहरी पकड़ बनाई है। इसके विभिन्न यूनिट्स मीडिया प्लानिंग से लेकर आउटडोर, मोबाइल, स्पोर्ट्स और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग तक में काम करते हैं। सैम बलसारा के साथ लारा बलसारा वाजिफदार (एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर) और विक्रम सक्सेना (ग्रुप CEO, Madison Media & OOH) कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में हैं।
सूत्रों के अनुसार, जो भी कंपनी Madison को खरीदेगी, वह न सिर्फ उसके प्रमुख क्लाइंट्स और सेवाओं तक पहुंच बनाएगी, बल्कि सैम बलसारा और विक्रम सक्सेना जैसे अनुभवी नेताओं का मार्गदर्शन भी पाएगी—जो भारत के विज्ञापन इंडस्ट्री की जमीनी समझ रखते हैं।
2024 Madison के लिए मिला-जुला साल रहा। जहां एक तरफ एजेंसी को गॉडरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का 700 करोड़ का खाता गंवाना पड़ा, वहीं दूसरी ओर Parag Milk Foods और NIC Ice Cream जैसे ब्रांडों को बरकरार रखने में सफलता मिली। साथ ही, भाजपा के साथ 2014 से चल रही साझेदारी के तहत 2024 के लोकसभा चुनावों की मीडिया प्लानिंग भी Madison ने ही की।
2025 में Samsonite India का मीडिया अकाउंट Madison Media Infinity को मिला, जिसमें टीवी, प्रिंट, सिनेमा, आउटडोर और डिजिटल शामिल हैं। हाल ही में National Payments Corporation of India (NPCI) ने भी Madison को अपनी मीडिया योजनाओं के लिए चुना है।
यह पहला मौका नहीं है जब Madison हिस्सेदारी बेचने की चर्चा में है। 2015 में भी WPP और Dentsu Aegis Media के साथ बातचीत हुई थी, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर सहमति न बनने पर डील रद्द हो गई थी। उस वक्त एजेंसी का मूल्यांकन 250-300 करोड़ रुपये के बीच था।
अब जब Madison का मूल्यांकन 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, तो देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार डील वाकई पूरी होती है या फिर इतिहास खुद को दोहराता है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार को दिए गए विज्ञापनों को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार को दिए गए विज्ञापनों को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष में बैठी भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए सुक्खू सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार ने इस अखबार को बिना किसी ठोस आधार के करोड़ों रुपये के विज्ञापन दिए, जबकि राज्य के लोगों ने शायद ही इस अखबार का नाम सुना हो।
भाजपा के आरोपों पर पलटवार में सुक्खू सरकार का जवाब
मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने भाजपा पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा खुद अपने कार्यकाल में आरएसएस और उससे जुड़ी संस्थाओं को करोड़ों रुपये के विज्ञापन दे चुकी है। उन्होंने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शासन में ऐसे पत्र-पत्रिकाओं को भी विज्ञापन दिए गए जिनका कोई ठिकाना नहीं था।
नरेश चौहान ने मीडिया के सामने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके मुताबिक:
ऑर्गनाइजर/पांचजन्य मंथली – ₹1.10 करोड़
भारत प्रकाशन, दिल्ली – ₹20.20 लाख
मातृ वंदना मंथली – ₹20.17 लाख
एबीवीपी शिमला मंथली – ₹17.64 लाख
विद्यार्थी निधि ट्रस्ट, मुंबई – ₹12.74 लाख
छात्र उद्घोष – ₹7.74 लाख
दीप कमल संदेश – ₹4.60 लाख
तरुण भारत मंथली, नागपुर – ₹31.93 लाख
नेशनल हेराल्ड पर उठे सवालों को बताया भ्रामक
नरेश चौहान ने बताया कि भाजपा द्वारा नेशनल हेराल्ड को लेकर फैलाई जा रही जानकारी पूरी तरह भ्रामक है। उन्होंने कहा कि यह अखबार नियमित रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित होता है और मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी प्रतियां आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अखबार को अब तक कुल ₹1.01 करोड़ के विज्ञापन दिए गए हैं, जबकि भाजपा ₹2.34 करोड़ का दावा कर रही है, जो कि गलत है।
जयराम और अनुराग ठाकुर के बयान से गरमाया मामला
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया था कि जिस अखबार की हिमाचल में कोई उपस्थिति नहीं, उसे कांग्रेस सरकार ने केवल राहुल गांधी से संबंध होने के कारण भारी विज्ञापन राशि दी। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इसे ‘कांग्रेस का एटीएम’ बताते हुए हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने अपने नेताओं पर ईडी की कार्रवाई से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया।
सीएम सुक्खू ने किया समर्थन
जब मीडिया ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने साफ कहा, “नेशनल हेराल्ड हमारा अपना अखबार है। हम इसमें विज्ञापन देते हैं और आगे भी देंगे। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है।”
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट
इस विवाद के बीच नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और सैम पित्रोदा समेत कई लोगों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है।
निष्कर्ष
नेशनल हेराल्ड को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग का बड़ा मुद्दा बन चुका है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और बयानबाज़ी और राजनीतिक टकराव बढ़ने की संभावना है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने लैक्मे ब्रैंड की हालिया सनस्क्रीन विज्ञापन पर अपनी प्रारंभिक राय देते हुए कहा कि यह विज्ञापन पहली नजर में प्रतिस्पर्धी उत्पादों की छवि को नुकसान पहुंचाता दिखता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के लैक्मे ब्रैंड की हालिया सनस्क्रीन विज्ञापन पर अपनी प्रारंभिक राय देते हुए कहा कि यह विज्ञापन पहली नजर में प्रतिस्पर्धी उत्पादों की छवि को नुकसान पहुंचाता दिखता है। यह टिप्पणी मामाअर्थ की मूल कंपनी होनासा कंज्यूमर लिमिटेड (Honasa Consumer Ltd.) द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई के दौरान की गई।
न्यायमूर्ति अमित बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने HUL को अपने पक्ष में जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। वहीं, होनासा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने कोर्ट से मांग की कि इस विज्ञापन को सभी प्लेटफॉर्म्स (प्रिंट, डिजिटल, सोशल मीडिया और आउटडोर विज्ञापन) से तुरंत हटाने का निर्देश दिया जाए।
विवाद की जड़ में है SPF 50 वाला प्रचार अभियान
यह विवाद लैक्मे सन एक्सपर्ट के प्रचार अभियान से जुड़ा है, जिसमें SPF 50 सनस्क्रीन को बढ़ावा देते हुए एक “SPF लाई डिटेक्टर टेस्ट” दिखाया गया है। विज्ञापन में यह संकेत दिया गया कि सनस्क्रीन की ऑनलाइन श्रेणी में कुछ “बेस्टसेलर” उत्पाद अपने SPF स्तर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। हालांकि किसी प्रतिस्पर्धी ब्रैंड का नाम नहीं लिया गया, लेकिन विज्ञापन में दिखाए गए दो बिना नाम के बोतलें मामाअर्थ के The Derma Co. और नायका की Dot & Key की पैकेजिंग से मिलती-जुलती प्रतीत हुईं।
HUL का दावा – प्रमाणित लैब टेस्ट से मिले परिणाम
HUL ने अपने बचाव में कहा कि उनका विज्ञापन इन-विवो टेस्टिंग पर आधारित है, जिसे सनस्क्रीन की गुणवत्ता जांचने का सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है। उन्होंने दावा किया कि लैक्मे सन एक्सपर्ट SPF 50 मानकों पर खरा उतरता है, जबकि कुछ प्रतिस्पर्धी उत्पादों में SPF स्तर 20 तक ही पाया गया।
ग़ज़ल अलघ का आरोप – फॉर्मूलेशन की नकल की गई
मामाअर्थ की को-फाउंडर ग़ज़ल अलघ ने सोशल मीडिया पर HUL पर कई उत्पादों की नकल करने का आरोप लगाया, इनमें सनस्क्रीन के अलावा मामाअर्थ का प्रमुख विटामिन C फेस वॉश और प्याज वाला शैम्पू शामिल हैं। उन्होंने एक स्लाइड पोस्ट की थी, जिसका शीर्षक था “OG vs Copy”, जिसमें उन्होंने लॉन्च टाइमलाइन के साथ उत्पादों की तुलना की थी। यह पोस्ट अब डिलीट कर दी गई है।
हालांकि एक अन्य पोस्ट अभी भी सार्वजनिक है, जिसमें उन्होंने लिखा: “भारतीय FMCG सेक्टर में लंबे समय से मजबूत प्रतिस्पर्धा की कमी रही है। हम गर्व के साथ इन परंपराओं को चुनौती देते हैं और बार-बार इन विरासत ब्रैंड्स को जगाते हैं।”
HUL ने भी किया पलटवार
सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि HUL ने भी होनासा के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है। कोर्ट ने इस क्रॉस-केस पर और जानकारी मांगी है और कहा है कि इस पर अलग से सुनवाई की जाएगी।
बाजार में बढ़ता टकराव
यह मामला देश के तेजी से बढ़ते स्किनकेयर और पर्सनल केयर बाजार में नए D2C ब्रैंड्स और पुराने FMCG दिग्गजों के बीच बढ़ते टकराव को दर्शाता है। जहां एक ओर नई कंपनियां इनोवेशन और डिजिटल पहुंच के दम पर बाज़ार में तेजी से पैर जमा रही हैं, वहीं पुरानी कंपनियों के लिए यह प्रतिस्पर्धा एक नई चुनौती बनकर उभर रही है।
IPL 2025 में विज्ञापन के मोर्चे पर जोरदार उछाल देखने को मिला है। TAM की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन टीवी पर ऐड वॉल्यूम में 7% की वृद्धि हुई है
IPL 2025 में विज्ञापन के मोर्चे पर जोरदार उछाल देखने को मिला है। TAM की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन टीवी पर ऐड वॉल्यूम (किसी मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों का कुल समय या स्थान, जो किसी तय अवधि में प्रसारित किया गया है।) में 7% की वृद्धि हुई है, जबकि ब्रैंड्स की संख्या में 21% का इजाफा हुआ है। यह तुलना पिछले सीजन यानी IPL 17 के मुकाबले से की गई है।
22 मार्च से 8 अप्रैल 2025 तक खेले गए 22 मैचों के आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट बताती है कि टीवी पर ऐड वॉल्यूम इंडेक्स IPL 17 में जहां 100 था, वहीं IPL 18 में यह बढ़कर 107 पहुंच गया, जो साफ तौर पर 7% की बढ़त दर्शाता है।
इस बार 55 से ज्यादा कैटेगरीज, 70 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स और 125 से ज्यादा ब्रैंड्स ने IPL 18 में अपनी जगह बनाई। पिछली बार की तुलना में कैटेगरीज की संख्या में भी 2% की बढ़ोतरी हुई है। ऐडवर्टाइजर्स की संख्या में 14% और ब्रैंड्स की संख्या में 21% की छलांग देखने को मिली है।
IPL 18 में विज्ञापन देने वालों में सबसे ऊपर माउथ फ्रेशनर की कैटेगरी रही, जिसका कुल शेयर 13% रहा। इसके बाद बिस्किट्स और ई-कॉमर्स दोनों 10%, कार्स 6% और कॉर्पोरेट-फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स 5% पर रहे।
IPL 17 में यह तस्वीर कुछ अलग थी। तब ई-कॉमर्स और गेमिंग सेक्टर का विज्ञापन शेयर 19% के साथ सबसे ऊपर था। इसके बाद फूड प्रोडक्ट्स 10%, माउथ फ्रेशनर 10%, स्मार्टफोन 5% और सिक्योरिटीज व शेयर ब्रोकिंग कंपनियां 5% पर थीं।
IPL 18 में 24 नई कैटेगरीज की एंट्री हुई, जिनमें बिस्किट्स, ई-कॉम ऑटो रेंटल सर्विसेज, रियल एस्टेट, फैशन रिटेल और टायर्स जैसी कैटेगरीज शामिल हैं।
वहीं 84 नए ब्रैंड्स इस सीजन नजर आए, जैसे कि Parle Platina Hide & Seek, Rajshree Silver Coated Elaichi, AMFI, Campa Energy Drink और Rapido Bike Taxi & Auto App।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि IPL 2025 सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि विज्ञापन की दुनिया में भी बदलाव और विस्तार का प्रतीक बनकर उभरा है।