क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और आप इन्फ्लुएंसर हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है।
क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और आप इन्फ्लुएंसर हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सोमवार को गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसके तहत मशहूर हस्तियां और इन्फ्लुएंसर अब सोशल मीडिया पर किसी भी विज्ञापन से लोगों को गुमराह नहीं कर पाएंगे। सोशल मीडिया पर सक्रिय ऐसी हस्तियों को उपभोक्ता संरक्षण कानून व अन्य संबद्ध नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा।
उपभोक्ता मामलों व खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग ने गाइडलाइंस में कहा है, किसी प्रकार की साझेदारी को विज्ञापन, प्रायोजित, सहयोगी या सशुल्क के रूप में दर्शाया जाएगा। इसके लिए हैशटैग या हेडलाइन का प्रयोग किया जाएगा।
गाइडलाइंस में मशहूर हस्तियों और इन्फ्लुएंसर को यह सलाह भी दी गई है कि पहले वह प्रॉडक्ट की समीक्षा करें, खुद को संतुष्ट करें। हालांकि अभी तक सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियां बिना यह घोषित किए की वह ब्रैंड का प्रचार कर रहे हैं, जमकर प्रॉडक्ट का प्रचार करती रही हैं।
गाइडलाइंस के मुताबिक, इंटरनेट मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाले इन्फ्लुएंसर्स को अब किसी भी प्रचार सामग्री में अस्वीकरण यानी डिस्क्लेमर देना अनिवार्य बनाया गया है। बता दें कि सरकार ने कुछ समय पहले भी गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें उल्लंघन करने वालों पर लाखों के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा, अगर इन्फ्लुएंसर्स गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हैं तो प्रॉडक्ट के उनके समर्थन पर प्रतिबंध लगाने का भी उल्लेख है।
विज्ञप्ति के अनुसार, अधिकारियों ने ये फैसला डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट मीडिया, जैसे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इन्फ्लुएंसर्स की प्रगति पर विचार-विमर्श के बाद आया है। मंत्रालय का कहना है कि ये नियम उन सभी पर लागू होते हैं, जो किसी भी प्रॉडक्ट, सर्विस या ब्रैंड के बारे में खरीदारी के फैसले या खरीदारों की राय को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
बता दें कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वे होते हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या काफी अधिक होती है। ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर किसी प्रॉडक्ट को प्रमोट करते हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।कर्नाटक में 10 मई को मतदान है और सोमवार यानी आज शाम पांच बजे तक प्रचार थम जाएगा। इसके पहले निर्वाचन आयोग ने रविवार को एडवाइजरी जारी की है
कर्नाटक में 10 मई को मतदान है और सोमवार यानी आज शाम पांच बजे तक प्रचार थम जाएगा। इसके पहले निर्वाचन आयोग ने रविवार को एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार चुनाव के दिन और एक दिन पहले मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से मंजूरी के बिना प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराएगा।
जारी एडवाइजरी में निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को शिष्ट तरीके से प्रचार अभियान करने पर जोर दिया है। आयोग ने कहा कि आपत्तिजनक और भ्रामक प्रकृति के विज्ञापन पूरी चुनाव प्रक्रिया को दूषित करते हैं।
चुनाव आयोग ने अखबारों के संपादकों को भी एक अलग पत्र लिखा है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के पत्रकारिता आचरण के मानदंड उनके समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते हैं। आयोग ने कर्नाटक के समाचार पत्रों के संपादकों को लिखे एक पत्र में कहा, 'यदि जिम्मेदारी से इनकार किया जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से पहले ही बता दिया जाए।'
राजनीतिक दलों को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या कोई अन्य संगठन अथवा व्यक्ति मतदान के दिन और इससे एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं कराएगा, जब तक कि राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री उनके द्वारा राज्य/जिले की एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणित न करा ली जाए।’
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केंद्र सरकार ने जुए और सट्टेबाजी से संबंधित विज्ञापनों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इस कवायद के तहत केंद्र ने मंगलवार को सभी राज्य सरकारों से जुए और सट्टेबाजी से संबंधित उन विज्ञापनों पर रोक लगाने का आग्रह किया है, जो देशभर में होर्डिंग्स और ऑटो-रिक्शा पर दिखाई देते हैं।
इस बाबत सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है, जिसमें जुए और सट्टेबाजी मंचों से जुड़े होर्डिंग, बैनर और ऑटो-रिक्शा पर दिखने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए उचित कार्रवाई करने को कहा है।
चंद्रा ने कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापन भ्रामक हैं, और ये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 के तहत विज्ञापन संहिता और प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के अनुरूप नहीं दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि सट्टेबाजी और जुआ देश के ज्यादातर हिस्सों में अवैध है, इसलिए वे उपभोक्ताओं, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए वित्तीय और सामाजिक आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं।
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनल, डिजिटल समाचार प्रकाशकों और ओटीटी मंचों को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था। जुए और सट्टेबाजी मंचों के विज्ञापन मीडिया के एक वर्ग- प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन में दिखाई देने के बाद सरकार को यह परामर्श जारी करना पड़ा था, लेकिन मंंत्रालय के पास कई राज्यों में सट्टेबाजी को लेकर होर्डिंग और बैनर लगाए जाने के मामले सामने आए हैं।
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अंग्रेजी न्यूज चैनल 'सीएनएन-न्यूज18' (CNN-News18) ने अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। संशोधित दरें चैनल पर विज्ञापन देने वाले सभी मौजूदा और नए क्लाइंट्स पर लागू होंगी।
चैनल ने अपने बयान में कहा कि यह कदम अंग्रेजी न्यूज जॉनर में उल्लेखनीय उपलब्धि के एक साल बाद उठाया गया है, जिसमें राष्ट्रीय व वैश्विक घटनाओं की बेहतरीन न्यूज कवरेज और पूरा एनालिसिस शामिल है।
विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए 'नेटवर्क18' में बिजनेस क्लस्टर की सीईओ स्मृति मेहरा ने कहा, 'सीएनएन-न्यूज18' को अंग्रेजी न्यूज स्पेस में अपने बेमिसाल नेतृत्व पर गर्व है और भारत व दुनिया भर की स्टोरीज पर सूक्ष्म विश्लेषण और वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने क्लाइंट्स के लिए बेहतरीन विज्ञापन अनुभव के साथ विश्व स्तरीय प्रोग्रामिंग प्रदान करने के लिए हम कुछ साहसिक कदम उठा रहे हैं। जैसे ही हम अपनी विज्ञापन दरों में वृद्धि करेंगे, हम विज्ञापनदाताओं को लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन ऑफर करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले वर्ष में कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव होंगे, सितंबर में नई दिल्ली में 18वां G20 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार का शिखर सम्मेलन, अक्टूबर और नवंबर में क्रिकेट विश्व कप और अंत में 2024 में आम चुनाव होंगे और फिर आने वाला साल टीवी न्यूज जॉनर के लिए ढेर सारी संभावनाएं लेकर आएगा और CNN-News18 अपने विज्ञापनदाताओं के लिए वैल्यू ऐड करना जारी रखेगा। हम अपने सभी मौजूदा विज्ञापनदाताओं को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हम पर विश्वास बनाए रखा। वहीं हम नए क्लाइंट्स का स्वागत करने के लिए भी तत्पर हैं।
बता दें कि चैनल ने चुनाव प्रोग्रामिंग के लिए देशभर में व्यापक कवरेज की योजना बनाई है, जोकि मई 2023 में कर्नाटक में होने वाले राज्य चुनावों से शुरू होकर जनवरी 2024 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों और फिर अप्रैल-मई 2024 में आम चुनावों तक चलेगा।
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‘टैम एडेक्स’ के ताजा आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि राजनीति से जुड़े विज्ञापनों के मामले में इस साल जनवरी से मार्च के दौरान टीवी पर कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाया
मीडिया में राजनीति पार्टियों के विज्ञापनों से जुड़े ‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) की ताजा रिपोर्ट (Political Advertising Report) पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि राजनीति से जुड़े विज्ञापनों के मामले में इस साल जनवरी से मार्च के दौरान टीवी पर कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाया। टीवी राजनीतिक पार्टियों के कुल विज्ञापनों में 20% (ad volume) कांग्रेस के विज्ञापन रहे। इसके बाद नंबर रहा, पीएमके यानी पट्टाली मक्कल काची का, जिसकी कुल विज्ञापनों में 18% का शेयर रहा।
टीवी पर विज्ञापन देने वाले शीर्ष पांच अन्य दलों में 15% के साथ बीजेपी, 13% के साथ डीएमके, 10% के साथ जन सेना पार्टी का शेयर रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, इन शीर्ष पांच राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर टीवी पर 75% विज्ञापन दिए।
वहीं, प्रिंट की बात करें तो कांग्रेस यहां भी 18% शेयर के साथ सूची में शीर्ष पर रही। इसके बाद बीजेपी 14% शेयर के साथ दूसरे नंबर पर रही। इस साल जनवरी से मार्च के दौरान कुल विज्ञापनों में 32% शेयर शीर्ष दो राष्ट्रीय दल यानी कांग्रेस और बीजेपी का रहा। शीर्ष पांच में अन्य दलों में DMK, शिवसेना और भारत राष्ट्र समिति शामिल है।
इस साल जनवरी से मार्च के दौरान रेडियो पर 87% विज्ञापन शीर्ष पांच राजनीतिक दलों के रहे। इसमें 45% हिस्सेदारी भाजपा की रही, जोकि इन आंकड़ों के साथ शीर्ष पर रहा। इसके बाद क्रमश: निर्दलीय उम्मीदवार, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी, समाजवादी पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नंबर आया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल जनवरी और फरवरी की तुलना में फरवरी और मार्च में टीवी पर राजनीतिक दलों के विज्ञापनों में क्रमश: 46% और 44% की वृद्धि हुई। इस बीच, फरवरी की तुलना में मार्च 2023 में प्रिंट में दिखने वाले राजनीतिक विज्ञापनों में 29% की वृद्धि हुई, जबकि रेडियो पर जनवरी में सबसे ज्यादा राजनीतिक विज्ञापन देखे गए।
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एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री की वर्तमान दशा और दिशा को लेकर हाल ही में ‘गवर्नेंस नाउ राउंडटेबल’ (Governance Now Roundtable) का आयोजन किया गया। इस राउंडटेबल में ‘IPG Mediabrands India’ के सीईओ शशि सिन्हा, ‘Madison Media &OOH’ के ग्रुप सीईओ विक्रम सखूजा और ‘एबीपी नेटवर्क’ के सीईओ अविनाश पांडेय जैसी बड़ी शख्सियतें शामिल हुईं और अपने विचार रखे। इस सेशन को ‘गवर्नेंस नाउ’ के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी ने मॉडरेट किया।
इस राउंडटेबल के दौरान इंडस्ट्री के इन दिग्गजों ने न सिर्फ इस बात पर चर्चा की कि इंडस्ट्री में एडवर्टाइजिंग को लेकर क्या ट्रेंड चल रहा है बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि एक एडवर्टाइजर को उस कंटेंट के बारे में जानने का पूरा अधिकार है, जहां उनका विज्ञापन दिखाया जा रहा है।
इस सेशन के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या डिजिटल मीडिया को भौगोलिक आधार पर लक्षित एडवर्टाइजिंग करनी चाहिए? शशि सिन्हा ने कहा, ‘टीवी, प्रिंट और अन्य आउटडोर माध्यमों के विपरीत, डिजिटल मीडिया अपारदर्शी है और यह सर्च, खोज व प्रदर्शन आधारित मार्केटिंग पर आधारित है।’
अविनाश पांडेय का कहना था कि समस्या पूरे ईको सिस्टम में है। डिजिटल में आप एक माध्यम नहीं चुन रहे हैं और केवल एक लक्षित आयु समूह अथवा भौगोलिक क्षेत्र इत्यादि चुन रहे हैं। यह बिजनेस और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। शशि सिन्हा ने भी अविनाश पांडेय के इस विचार से सहमति जताई।
वहीं, विक्रम सखूजा का कहना था कि मीडिया प्लानिंग के माध्यम से सीखे गए अनुभवों को डिजिटल में भी इस्तेमाल करना चाहिए। हम सिर्फ इंप्रेशंस की बात कर रहे हैं, जो ‘Gross Rating Points’ (GRP) का ही एक स्वरूप है। वे उसे GRP में नहीं बदल रहे हैं जो दो मिनट का काम है। रीच यानी पहुंच केवल प्रतिशत के रूप में दी जाती है न कि संख्या के रूप में, जो डिजिटल और वीडियो ऑडियंस दोनों तक पहुंचने में मदद करेगी।
सखूजा ने कहा, ‘डिजिटल वीडियो पर बड़ी समस्या यह है कि आपके पास टीवी की तुलना में बहुत लंबी श्रंखला है, इसलिए बहुत ज्यादा पहुंच बनाना डिजिटल पर बहुत मुश्किल है। एक विज्ञापनदाता के रूप में मुझे यह जानने का पूरा अधिकार होना चाहिए कि मेरा विज्ञापन किस कंटेंट में रखा गया है।’
गूगल और मेटा में हो रहे सबसे ज्यादा डिजिटल विज्ञापन खर्च और आगे भी यदि इस तरह की स्थिति रहती है तो क्या होगा, टॉपिक पर शशि सिन्हा ने कहा कि भविष्य में मार्केट और खुलेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लघु, कुटीर और मध्यम इंडस्ट्री (MSME) आगे बढ़ेगी, ग्रोथ होगी और एकाधिकार अपने आप खत्म हो जाएगा।
टीवी और डिजिटल के बीच इंटीग्रेटिड मार्केटिंग का आह्वान करते हुए सखूजा ने कहा कि वर्तमान में ब्रैंडिंग की कीमत पर डिजिटल के प्रदर्शन पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में ब्रैंडिंग पर ध्यान देने के साथ ही डिजिटल का विकास जारी रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कुल वीडियो में हमने करीब 30000 करोड़ टीवी एडवर्टाइजिंग और 10000 करोड़ वीडियो एडवर्टाइजिंग का अनुमान लगाया है। आज के समय में कुल वीडियो का 25 प्रतिशत डिजिटल पर है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए दोनों के लिए इंटीग्रेटिड सेटअप तैयार होगा और यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
इस चर्चा के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या दर्शक अभी भी टीवी स्क्रीन पर न्यूज देखना पसंद करते हैं अविनाश पांडेय का कहना था, ‘ट्विटर और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स न्यूज के प्रवर्तक (enablers) का काम करते हैं और ज्यादा लोगों को टीवी स्क्रीन पर न्यूज देखने के लिए प्रेरित करते हैं। देश में ज्यादा से ज्यादा टीवी सेट बेचे जा रहे हैं। न्यूज उपभोग (news consumption) का सिग्नल डिलीवरी सिस्टम बदल रहा है और लोग जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स (GEC) सहित लाइव न्यूज देख रहे हैं।’
अविनाश पांडेय ने कहा कि मीडिया मालिकों को इस तरह का कंटेंट तैयार करना चाहिए, जिसे सर्च मीडिया लोगों को टीवी पर आने के लिए प्रेरक के रूप में पहचानती है। ज्यादा से ज्यादा लोग टीवी और टेलीविजन न्यूज देख रहे हैं जो डेटा में प्रतिबिंबित नहीं हो रहा है। इस चर्चा के दौरान सखूजा का कहना था कि न्यूज एंकर्स की विश्वसनीयता और भूमिका दर्शकों का ध्यान खींचती है और यह समय है, जब समाचार पत्रों ने अपने संपादकों को नायक बना दिया है।
तमाम ई-कॉमर्स कंपनियों में हो रही छंटनी के बीच विज्ञापन के बारे में शशि सिन्हा का मानना था कि वैश्विक विपरीत प्रभाव थोड़े लंबे समय तक रह सकते हैं और धन के प्रवाह को धीमा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें फंड आने की उम्मीद है। वहीं, अविनाश पांडेय का कहना था कि इस साल उन्हें एफएमसीजी, टेलीकॉम, मीडिया कंपनियों, विज्ञापन और ऑटोमोबाइल, दोपहिया और छोटी कारों में वृद्धि की उम्मीद है, जिनमें से सभी को विज्ञापन की आवश्यकता होगी। वास्तविक विनिर्माण क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश से विज्ञापन में वृद्धि होगी। इस दौरान शशि सिन्हा का यह भी कहना था कि कनेक्टेड टीवी बढ़ेगा और संभावित रूप से बड़ी संख्या में कंटेंट डिलीवर करेगा।
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सरकार ने एडवर्टाइजर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स से कहा है कि उन्हें विज्ञापनों में दी गई सूचनाओं या दावों को हैशटैग या लिंक के रूप में दिखाने के बजाय उन्हें प्रमुखता से दिखाना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई में सोमवार को ‘एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) के एक कार्यक्रम में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन कंपनियों से विज्ञापनों को जिम्मेदारी से संचालित करने पर जोर दिया।
इसके साथ ही उन्होंने एडवर्टाइजर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स से यह आग्रह भी किया कि वे किसी भी उत्पाद या फर्म को बढ़ावा देते समय उसके साथ अपने भौतिक संबंध का खुलासा करें और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें व निर्दिष्ट नियमों का उल्लंघन न करें।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सभी हितधारकों को भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में नियमों का उल्लंघन करने और भ्रामक विज्ञापनों में शामिल होने के लिए कुछ सोशल मीडिया एंफ्लुएंसर्स की जांच का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम इस तरह की जांच नहीं करना चाहते हैं।
रोहित कुमार सिंह का कहना था, ‘सरकार विज्ञापनों में क्रिएटिविटी का सम्मान करती है, लेकिन इनसे उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं होना चाहिए। यदि आप सीमा का उल्लंघन करते हैं तो हमें पता है कि इससे कैसे निपटना है।’ सिंह ने उद्योग से उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और स्वयं को विनियमित करने का आग्रह करते हुए यह भी कहा कि सरकार नियमों का पालन करने वालों का समर्थन करेगी।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि भारत में 75 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं, जिनमें करीब 50 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं। ऐसे में उन्होंने इसे जिम्मेदारी से संचालित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चित्रों वाले विज्ञापनों के मामले में वीडियो और ऑडियो दोनों फॉर्मेट में खुलासा किया जाना चाहिए।
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क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं, क्या आप सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, यदि हां तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। सरकार सोशल मीडिया के लिए कुछ नए नियम लेकर आई है, जिसमें 50 लाख रुपए तक जुर्माना शामिल है।
अब उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने 20 जनवरी, 2023 से सोशल मीडिया इन्फ्यूएंशन के लिए नए नियमों को लागू किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, जो कि नियमों का उल्लंघन है। ऐसा करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। सोशल मीडिया पर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से प्रचारित करने पर शुरुआती तौर पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक वसूले जाएंगे। इसके अलावा 6 वर्ष तक प्रॉडक्ट के प्रचार करने पर भी रोक लगाई जा सकती है।
बता दें कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वे होते हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या काफी अधिक होती है। ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर किसी प्रॉडक्ट को प्रमोट करते हैं।
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सेलिब्रिटी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और वर्चुअल इन्फ्लुएंसर कोई कंटेंट को प्रमोट कर रहे है, तो उसे बताना होगा कि यह पेड कंटेंट है या नहीं। दरअसल आम लोग पेड या अनपेड कंटेंट में फर्क नहीं कर पाते। साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि वह उस प्रॉडक्ट का उपयोग करते हैं या नहीं। दरअसल, दर्शकों को लगता है कि कोई बड़ा सेलेब्रिटी किसी चीज का प्रमोशन कर रहा है तो वह प्रॉडक्ट सही ही होगा।
सरकार ने ये नया कानून सोशल मीडिया पर पेड कंटेंट का गलत तरीके से प्रमोशन करने और भ्रामक विज्ञापन को रोकने के लिए बनाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का मार्केट 20 फीसदी की ग्रोध के साथ 2,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी अब विज्ञापन विवाद में फंस गई है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी अब विज्ञापन विवाद में फंस गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) ने आम आदमी पार्टी को 163.62 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा करने का नोटिस जारी किया है। यह पैसा आम आदमी पार्टी को 10 दिनों के भीतर जमा कराना होगा, नहीं तो पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस राशि में 99.31 करोड़ रुपए मूलधन और 64.31 करोड़ रुपए पेनाल्टी इंटरेस्ट के रूप में शामिल हैं। यह एक्शन दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस निर्देश पर लिया गया, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव को 2015-2016 के दौरान राजनीतिक विज्ञापन को सरकारी बताकर पैसे के गलत इस्तेमाल के आरोप पर आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट्स के मानें तो आम आदमी पार्टी को 10 दिन के अंदर पूरा पैसा जमा करना होगा। अगर पार्टी ऐसा नहीं कर पाती तो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पिछले आदेश के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पार्टी की संपत्तियां कुर्क की जा सकती हैं।
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‘एडवरटाइजिंग एसोसिएशन ऑफ नेपाल’ (AAN) की 23वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) सोम प्रसाद धिताल की अध्यक्षता में हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव डॉ. बैकुंठ आर्यल शामिल हुए।
इस अवसर पर पहली बार नेपाल के विज्ञापन संघ (Advertising Association of Nepal) ने विज्ञापन एजेंसियों और देश के प्रमुख विज्ञापनदाताओं को ‘AAN सम्मान’ से सम्मानित किया। यह सम्मान नेपाल के विज्ञापन संघ द्वारा इंडस्ट्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया।
नेपाली विज्ञापन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में ‘आउटरीच नेपाल’ (Outreach Nepal) को भी की उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
‘आउटरीच नेपाल’ के फाउंडर व मैनेजिंग डायरेक्टर उजया शाक्य ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और एसोसिएशन के प्रेजिडेंट से ‘AAN सम्मान’ प्राप्त किया।
देश में सरकारी एजेंसियों, मीडिया और प्रमुख विज्ञापनदाताओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सबसे बड़ा विज्ञापन उद्योग सम्मान प्राप्त करते हुए शाक्य कहते हैं, ‘मैं अपनी टीम, अपने क्लाइंट्स, अपने पार्टनर्स और उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने नेपाल में मार्केटिंग कम्युनिकेशन इकोसिस्टम को बदलने के लिए इस यात्रा में मेरी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है।’
वंडरमैन थॉम्पसन, जिन्हें थॉम्पसन नेपाल के नाम से जाना जाता है, को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
देश के प्रमुख विज्ञापनदाताओं- स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय, एनसेल, डाबर, कोका-कोला, एनआईसी एशिया बैंक लिमिटेड, चौधरी ग्रुप व शंकर ग्रुप को भी इस मौके पर सम्मानित किया गया।
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भारत सरकार ने गूगल से ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के सरोगेट विज्ञापन को नहीं दिखाने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा गूगल को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें यह कहा गया है कि गगूल तत्काल ही ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को दिखाना बंद करे। इस पत्र में गूगल से आगे कहा गया है कि वह फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे जैसे सर्च रिजल्ट्स और यू-ट्यूब जैसे बेटिंग प्लेटफॉर्म्स से प्रत्यक्ष या परोक्ष सभी तरह के विज्ञापन तुरंत हटाए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार द्वारा 3 अक्टूबर को दिए गए अंतिम सलाह के बाद टीवी चैनलों और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेयर्स ऐसे विज्ञापन को नहीं चला रहे है, लेकिन गगूल और यूट्यूब पर ये विज्ञापन चल रहे थे। ऐसे में सरकार ने गूगल को यह पत्र लिखकर ऐसे विज्ञापनों को तुरंत बंद करने को कहा है।
इसी बाबत, टेक कंपनी गूगल से हमारी सहयोगी बेवसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ने संपर्क साधा, तो उसने ये दावा किया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देती है।
गूगल के एक प्रवक्ता ने ‘एक्सचेंज4मीडिया’ को बताया, ‘हमारी विज्ञापन नीतियां, लागू किए गए स्थानीय कानून व नियमों के अनुसार, हम ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देते हैं।’
प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘हमारे विज्ञापन सिस्टम में ऐसी सख्त नीतियां हैं, जो इस तरह के उल्लंघन को रोक सकें और अगर हमें नियमों को तोड़ने वाले विज्ञापनों के बारे में सूचित किया जाता है, तो हम तुरंत कार्रवाई भी करते हैं।’
दरअसल, प्रवक्ता ‘एक्सचेंज4मीडिया’ द्वारा किए गए दो सवालों का जवाब दे रहे थे: 1) क्या ऐसे विज्ञापनों को अब हटा दिया जाएगा?; 2) ऐसे विज्ञापनों से अपने प्लेटफॉर्म को साफ करने में कितना समय लगेगा?
हालांकि जब उनसे तीसरा सवाल पूछा गया कि क्या इस कदम से कोई आर्थिक नुकसान होगा? तो उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
बता दें कि सरकार ने 3 अक्टूबर को टीवी, प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से आग्रह किया था कि वे सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर प्रकाशित न करें।
दरअसल, सूचना-प्रसारण की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया था कि देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध है। ये ऑडियंस खासकर बच्चों के लिए अधिक वित्तीय और समाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं। ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापनों से बड़े पैमाने पर निषिद्ध गतिविधि को बढ़ावा मिलता है।
मंत्रालय ने इससे पहले भी 13 जून, 2022 को एक एडवाइजरी जारी कर अखबारों, निजी टीवी चैनलों और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के विज्ञापन प्रकाशित करने से परहेज करने की सलाह दी थी।
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