टीवी चैनल्स पर विज्ञापनों के मामले की सुनवाई को लेकर कोर्ट ने दी नई तारीख

ट्राई ने न्यूज चैनल्स द्वारा दिखाए जा रहे अत्याधिक विज्ञापनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (intervention application) की है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 27 December, 2021
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Monday, 27 December, 2021
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दिल्‍ली हाई कोर्ट ने टीवी चैनलों पर ऐड कैप (10+2 Ad Cap) के मामले की सुनवाई को 25 मई, 2022 तक स्‍थगित कर दिया है। बता दें कि ट्राई ने न्यूज चैनल्स द्वारा दिखाए जा रहे अत्याधिक विज्ञापनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (intervention application) की है। ट्राई ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) द्वारा पहले से दायर एक याचिका में हस्तक्षेप  (intervention) की मांग की है। ट्राई की इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान एनबीडीए और केंद्र से उसके हस्तक्षेप आवेदन का जवाब देने को कहा था और मामले को 23 दिसंबर को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया था।

इस मामले में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल कर दिया है, पर वह ट्राई के आवेदन पर भी अपना जवाब दाखिल करेगा।

बता दें कि ट्राई ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि तमाम टेलीविजन चैनल्स पर जरूरत से ज्यादा विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं, जिसे लेकर उपभोक्ताओं से उन्हें कई शिकायती पत्र मिले हैं, जिसमें उपभोक्ताओं ने टीवी देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उनसे शिकायत की है।

ट्राई ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) को चुनौती देने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) द्वारा दायर एक याचिका में हस्तक्षेप आवेदन (intervention application) दायर किया है। एनबीए ने तर्क दिया है कि ये नियम संविधान द्वारा प्रदत्त वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अधिकारहीन हैं।

केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) में कहा गया है कि कोई भी टीवी चैनल एक घंटे में 12 मिनट से ज्यादा विज्ञापन नहीं दिखा सकता है। उक्त नियम में कहा गया है, ‘कोई भी कार्यक्रम बारह मिनट प्रति घंटे से अधिक के विज्ञापन नहीं दिखाएगा, जिसमें प्रति घंटे दस मिनट तक वाणिज्यिक विज्ञापन और दो मिनट प्रति घंटे तक चैनल के प्रमोशनल प्रोग्राम शामिल हो सकते हैं।’

दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष 12 मिनट की विज्ञापन सीमा के खिलाफ पहले से ही दो अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं। एक याचिका 2013 में न्यूज, रीजनल और म्यूजिक ब्रॉडकास्टर्स ने ट्राई द्वारा लागू किए गए 12 मिनट की ऐड कैप रेगुलेशन के खिलाफ दायर की थी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता ब्रॉडकास्टर्स को अंतरिम राहत दी हुई है।

वहीं दूसरी याचिका इस साल अप्रैल में NBDA ने दायर की थी, जिसमें केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के नियम 7(11) को चुनौती दी गयी है, जो विज्ञापनों की अवधि को विनियमित करने का प्रयास करता है। एनबीडीए ने तर्क दिया कि ट्राई के पास टीवी चैनल्स पर विज्ञापनों की समय-सीमा तय करने की पावर नहीं है। विज्ञापन को रेगुलेट करने का मतलब संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सिर्फ फ्री कमर्शियल स्पीच को ही रेगुलेट करने के अलावा और कुछ नहीं है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले से जुड़ी पहले से पेंडिंग याचिकाओं को एनबीडीए की लंबित याचिका के साथ जोड़ दिया था।

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DS ग्रुप के राजीव जैन का दावा, डिजिटल दौर में भी टीवी न्यूज सबसे भरोसेमंद माध्यम

DS Group के राजीव जैन ने बताया कि यूट्यूब, सोशल मीडिया और ओटीटी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के तेजी से बढ़ने के बावजूद ब्रैंड्स आज भी टीवी न्यूज में बड़े पैमाने पर निवेश क्यों कर रहे हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 15 December, 2025
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Monday, 15 December, 2025
RajeevJain84751

एक्सचेंज4मीडिया की मेजबानी में हुए NewsNext 2025 के 14वें संस्करण में मीडिया इंडस्ट्री का एक सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला सवाल सामने आया। सवाल था, क्या डिजिटल-फर्स्ट दौर में टीवी न्यूज आज भी विज्ञापनदाताओं के लिए उतना ही अहम है? इस सवाल का जवाब पूरे भरोसे और ठोस तर्कों के साथ सामने आया और वह जवाब था, हां।

BW बिजनेसवर्ल्ड और एक्सचेंज4मीडिया के सीनियर एडिटर रुहैल अमीन के साथ हुई एक सार्थक बातचीत में DS Group में कॉरपोरेट मार्केटिंग के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट राजीव जैन ने बताया कि यूट्यूब, सोशल मीडिया और ओटीटी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के तेजी से बढ़ने के बावजूद ब्रैंड्स आज भी टीवी न्यूज में बड़े पैमाने पर निवेश क्यों कर रहे हैं।

टीवी न्यूज: खत्म नहीं हो रहा, बस बदल रहा है

बातचीत की शुरुआत में राजीव जैन ने उस आम धारणा पर बात की कि टीवी न्यूज खत्म हो रहा है। उन्होंने माना कि खासकर कोविड के बाद उपभोक्ताओं का व्यवहार तेजी से बदला है, लेकिन उनका कहना था कि आज न्यूज देखने का तरीका सिंगल प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि मल्टी-स्क्रीन हो गया है।

उन्होंने कहा, 'आज खबरें हर जगह देखी जा रही हैं, मोबाइल फोन पर, लैपटॉप पर, टीवी पर और यहां तक कि कनेक्टेड टीवी यानी CTV पर भी। हर स्क्रीन की अपनी भूमिका है।' राजीव जैन ने बताया कि दिन के समय डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर हल्की-फुल्की खपत ज्यादा होती है, लेकिन शाम के समय जब लोग रिलैक्स होते हैं, तब टीवी सबसे ज्यादा ध्यान खींचता है। इसी समय लोग गहराई से खबरें, विश्लेषण और संदर्भ देखना चाहते हैं। उनके मुताबिक, यहीं टीवी न्यूज आज भी मजबूत बना हुआ है क्योंकि यह मोबाइल नोटिफिकेशन के मुकाबले ज्यादा विस्तार, नजरिया और असरदार अनुभव देता है।

मार्केटिंग के नजरिये से बात करते हुए जैन ने कहा कि विज्ञापन सिर्फ ब्रैंड दिखाने तक सीमित नहीं होता। उन्होंने कहा, 'ब्रैंड दिखाना तो बस शुरुआत है। असली काम भरोसा बनाना, सोच में जगह बनाना और आखिर में बायर्स तक पहुंचाना होता है।' उनके मुताबिक बड़े स्क्रीन वाला टेलीविजन इस भावनात्मक और इंद्रिय अनुभव को बनाने में अहम भूमिका निभाता है, जो छोटे स्क्रीन पर उतना आसान नहीं होता।

आंकड़े भी कहते हैं अपनी कहानी 

राजीव जैन ने माना कि डिजिटल विज्ञापन तेजी से बढ़ रहा है और 2025 की शुरुआत तक भारत में डिजिटल एड खर्च करीब 50,000 से 55,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जो टीवी और प्रिंट दोनों को मिलाकर भी ज्यादा है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि पहुंच और असर, ये दोनों अलग-अलग बातें हैं।

करीब 90 करोड़ टीवी दर्शकों के साथ टेलीविजन आज भी सबसे बड़ा पैमाना देता है। Pulse Candy, Catch Spices, Pass Pass, Silver Pulse, डेयरी प्रोडक्ट्स और लग्जरी रिटेल जैसे अलग-अलग ब्रैंड्स वाले DS Group के लिए टीवी न्यूज आज भी ब्रैंड की कहानी कहने का एक बेहद ताकतवर मंच है।

न्यूज को 'पुरुष प्रधान' जॉनर मानने की सोच पर बात करते हुए जैन ने कहा कि भले ही न्यूज देखने वालों में पुरुषों की संख्या थोड़ी ज्यादा हो, लेकिन भारत में एक टीवी वाले घरों की संस्कृति के कारण पूरा परिवार साथ बैठकर टीवी देखता है। महिलाएं भले ही जीईसी या फिल्में ज्यादा पसंद करें, लेकिन न्यूज के दौरान आने वाले विज्ञापन तक उनकी पहुंच भी उतनी ही होती है। इसी वजह से टीवी न्यूज दोनों जेंडर के लिए प्रासंगिक बना रहता है। DS Group के लिए इसका मतलब है कि जेन Z से लेकर गृहिणियों तक, सभी को ध्यान में रखकर न्यूज चैनलों पर रणनीतिक प्लेसमेंट किया जाता है।

CTV: जहां भविष्य दिखाई देता है

इस सत्र का सबसे दिलचस्प हिस्सा तब आया जब राजीव जैन ने कनेक्टेड टीवी यानी CTV पर बात की। उन्होंने इसे डिजिटल और टेलीविजन का बेहतरीन मेल बताया।

उन्होंने कहा, 'CTV मुझे दोनों दुनिया का फायदा देता है, डिजिटल जैसी सटीक टारगेटिंग और बड़े स्क्रीन का असर।' जहां एक तरफ लीनियर टीवी आज भी बड़े स्तर पर पहुंच देता है, वहीं CTV तेजी से एक ऐसा माध्यम बन रहा है जिसमें कम बर्बादी और ज्यादा असर है, खासकर उन उपभोक्ता वर्गों के लिए जो साफ तौर पर तय हैं। जैन ने माना कि CTV में अभी मापन और स्केल से जुड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन इसकी ग्रोथ की रफ्तार को नकारा नहीं जा सकता।

भीड़ से ज्यादा कंटेंट जरूरी

कंटेंट की भरमार वाले इस दौर में राजीव जैन ने कहा कि दर्शक अक्सर विज्ञापन देखना नहीं चाहते, लेकिन कंटेंट देखना हमेशा चाहते हैं। इसलिए ब्रैंड्स के लिए सबसे समझदारी भरा तरीका यह है कि वे अपने ब्रैंड को जबरदस्ती अलग से न दिखाएं, बल्कि उसे उसी शो, बहस या कवरेज का हिस्सा बना दें जिसे दर्शक पहले से ध्यान से देख रहा है। इससे दर्शक को विज्ञापन अलग से खटकता नहीं है और ब्रैंड की मौजूदगी स्वाभाविक लगती है। 

उन्होंने DS Group के एक पोर्टफोलियो विज्ञापन का उदाहरण दिया, जो सिर्फ न्यूज चैनलों पर दिखाया गया था। यह विज्ञापन दूसरे जॉनर्स में नहीं चलाया गया, फिर भी इसने शानदार रिकॉल और मजबूत ब्रैंड लिफ्ट दी। इससे यह साबित हुआ कि विज्ञापन के लिए न्यूज एक भरोसेमंद और असरदार माहौल देता है।

हिंदी और अंग्रेजी न्यूज को लेकर चलने वाली बहस पर जैन ने साफ कहा कि भाषा दर्शकों के हिसाब से तय होती है। भारत की बड़ी ग्रामीण आबादी और टियर-2 व टियर-3 शहरों के दर्शक स्थानीय और हिंदी भाषाओं में ज्यादा सहज हैं। इसी वजह से हिंदी और रीजनल न्यूज चैनलों को विज्ञापन बजट का बड़ा हिस्सा मिल रहा है। अंग्रेजी न्यूज का अपना प्रभाव है, लेकिन उसका दर्शक वर्ग सीमित है।

टीवी न्यूज विज्ञापन का आगे का रास्ता

आगे की तस्वीर पर बात करते हुए राजीव जैन ने कहा कि आने वाले समय में टीवी से अचानक दूरी नहीं बनेगी, बल्कि मीडिया मिक्स संतुलित रहेगा। बजट का झुकाव धीरे-धीरे CTV और डिजिटल की ओर बढ़ सकता है, लेकिन लीनियर टीवी अतिरिक्त पहुंच देने में अपनी अहम भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने कहा, 'हिस्सेदारी बदलेगी, लेकिन हर माध्यम अपनी वैल्यू जोड़ता है।'

उन्होंने यह कहते हुए बात खत्म की कि ब्रैंड्स मोबाइल, लीनियर टीवी और CTV तीनों में निवेश करते रहेंगे और हर प्लेटफॉर्म को उसकी खास ताकत के हिसाब से इस्तेमाल करेंगे।

सत्र के अंत में एक बात बिल्कुल साफ थी। टीवी न्यूज खत्म नहीं हो रहा है, बल्कि खुद को ढाल रहा है, बदल रहा है और आज भी विज्ञापन जगत का ध्यान खींच रहा है। और CTV के उभरने के साथ, न्यूज विज्ञापन का भविष्य बिल्कुल भी उबाऊ नहीं दिखता।

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राज्यसभा में उठी मांग: तंबाकू व शराब के सरोगेट विज्ञापनों पर लागू हों सख्त नियम

राज्यसभा में इस हफ्ते तंबाकू और शराब कंपनियों के विज्ञापनों पर फिर सवाल उठे।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 05 December, 2025
Last Modified:
Friday, 05 December, 2025
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राज्यसभा में इस हफ्ते तंबाकू और शराब कंपनियों के विज्ञापनों पर फिर सवाल उठे। कई सांसदों ने कहा कि ये कंपनियां सरकारी नियमों से बचने के लिए 'सरोगेट ऐड' यानी नकली ब्रैंड प्रमोशन और सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट का इस्तेमाल करती हैं। सांसदों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की ताकि ऐसे भ्रामक प्रचार पर रोक लग सके।

यह चर्चा सेंट्रल एक्साइज (एमेंडमेंट) बिल, 2025 पर हुई, जिसमें सिगरेट, च्यूइंग तंबाकू जैसे प्रॉडक्ट्स पर टैक्स ढांचे में बड़े बदलाव का प्रस्ताव है। लेकिन चर्चा के दौरान सांसदों ने विज्ञापन पर पकड़ ढीली होने की बात उठाई।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सांसदों ने कहा कि तंबाकू और शराब कंपनियां नियमों को दरकिनार करने के लिए बोतलबंद पानी, म्यूजिक स्टूडियो, इवेंट्स या फेस्टिवल स्पॉन्सरशिप जैसे तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। सीधे प्रॉडक्ट का नाम नहीं आता, लेकिन असल मकसद प्रमोशन ही होता है, जिससे लोग भ्रमित होते हैं और स्वास्थ्य संबंधी नियम कमजोर पड़ जाते हैं।

बीजेपी सांसद संजय सेठ ने कहा कि ऐसे सरोगेट ऐड बिल्कुल बंद कर दिए जाने चाहिए। वहीं बीएसपी के रामजी लाल सुमन और कुछ अन्य सांसदों ने मांग की कि फिल्म सितारों और मशहूर हस्तियों को भी ऐसे नुकसानदायक प्रॉडक्ट्स से जुड़े किसी भी तरह के प्रचार में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। कुछ सदस्यों ने टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कैंसर जागरुकता संदेश और ज्यादा बढ़ाने की भी बात कही।

हालांकि यह बिल मुख्य रूप से टैक्स स्ट्रक्चर पर केंद्रित है, लेकिन सांसदों ने इसे मौका बनाकर मार्केटिंग और प्रमोशन के नियम कड़े करने की जरूरत पर जोर दिया। सरकार की तरफ से अभी यह साफ नहीं किया गया है कि वह विज्ञापन नियमों में कोई बदलाव करेगी या नहीं, लेकिन राज्यसभा की तीखी टिप्पणियां दिखाती हैं कि दोनों तरह के विज्ञापनों (सीधे और परोक्ष) पर रोक लगाने के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है।

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बिहार चुनाव में राजनीतिक विज्ञापन सबसे ज्यादा टीवी पर, इस पार्टी ने मारी बाजी

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने सबसे ज्यादा भरोसा टीवी पर जताया।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 29 November, 2025
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Saturday, 29 November, 2025
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2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने सबसे ज्यादा भरोसा टीवी पर जताया। AdEx India (TAM Media Research) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 1 सितंबर से 11 नवंबर 2025 के बीच हुए कुल चुनावी विज्ञापनों में 86% विज्ञापन टीवी पर चले, जबकि प्रिंट का हिस्सा सिर्फ 14% रहा। चुनाव 6 नवंबर से 11 नवंबर 2025 के बीच हुए थे।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल विज्ञापन प्लेसमेंट में सबसे आगे भाजपा रही। टीवी और प्रिंट दोनों मिलाकर भाजपा का हिस्सा 54.2% रहा। इसके बाद आरजेडी 27.6% पर दूसरे नंबर पर रही। एनडीए का हिस्सा 6.1% और कांग्रेस का 2.5% रहा।

टीवी विज्ञापनों की बात करें तो भाजपा ने यहां भी बढ़त बनाए रखी। टीवी पर भाजपा की हिस्सेदारी 68.5% रही, जबकि आरजेडी ने 31.5% हिस्सेदारी ली। आम आदमी पार्टी का हिस्सा 0.1% और जन सुराज का 0% दर्ज किया गया।

प्रिंट मीडिया में एनडीए का दबदबा दिखा। प्रिंट में एनडीए की हिस्सेदारी 43.6% रही। इसके बाद कांग्रेस 18.1% पर रही। भाजपा का हिस्सा 10.3%, जन सुराज का 6.7% और जदयू का 4.6% दर्ज किया गया। बाकी 10 अन्य विज्ञापनदाताओं का कुल मिलाकर हिस्सा 16.7% रहा।

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर तस्वीर और भी साफ दिखी। यहां भाजपा ने 94.2% की भारी बढ़त के साथ बाजी मारी। इसके बाद आरजेडी 2.2% पर, कांग्रेस 2.1% पर और जदयू 1.1% पर रहे। जन सुराज का हिस्सा 0.09% दर्ज हुआ। इंडियन नेशनल कांग्रेस का योगदान 0.2% और आम आदमी पार्टी का 0.02% रहा।

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प्रसून जोशी को मिलेगा AAAI लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2025

शहूर क्रिएटिव लीडर, गीतकार और विज्ञापन जगत के दिग्गज प्रसून जोशी को AAAI लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया जाएगा।

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Published - Monday, 17 November, 2025
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Monday, 17 November, 2025
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इंडियन ऐडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के बड़े संगठन, ऐडवर्टाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAAI) ने आज घोषणा की है कि मशहूर क्रिएटिव लीडर, गीतकार और विज्ञापन जगत के दिग्गज प्रसून जोशी को AAAI लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया जाएगा। यह अवॉर्ड इंडस्ट्री का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है और 1988 से हर साल उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने विज्ञापन जगत में लंबे समय तक बेहतरीन योगदान दिया है।

प्रसून जोशी इस समय McCann Worldgroup India के CEO और CCO हैं और साथ ही एशिया पैसिफिक रीजन के चेयरमैन भी हैं। करीब 30 साल से वे इंडियन ऐडवरटाइजिंग के चेहरों में शामिल रहे हैं। उनकी क्रिएटिविटी भारतीय संस्कृति, भावनाओं और मौलिकता पर आधारित होती है जिसकी वजह से भारतीय विज्ञापन की पहचान दुनिया भर में मजबूत हुई है।

विज्ञापन की दुनिया के अलावा, फिल्म इंडस्ट्री में भी उनके गीत और पटकथाएं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड जीत चुकी हैं। वह इस इंडस्ट्री के सबसे कम उम्र के लोगों में से एक हैं जिन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है।

AAAI के प्रेजिडेंट श्रीनिवासन के स्वामी ने कहा, "प्रसून जोशी हमारे समय के सबसे प्रेरणादायक क्रिएटिव व्यक्तियों में से एक हैं। भावनाओं, सांस्कृतिक समझ और गहरी सोच को कहानी में पिरोने की उनकी कला ने भारत के विज्ञापनों की पहचान वैश्विक स्तर पर बढ़ाई है।"

अवॉर्ड कमेटी के चेयरमैन जयदीप गांधी ने कहा, "प्रसून जोशी की यात्रा दिखाती है कि ईमानदार क्रिएटिविटी और मजबूत आइडियाज कैसे फर्क पैदा कर सकते हैं। कमेटी ने एकमत होकर उन्हें इस सम्मान के लिए चुना है।"

यह अवॉर्ड एक खास कार्यक्रम में आने वाले कुछ हफ्तों में दिया जाएगा।

AAAI यह अवॉर्ड उन लोगों को देता है जो कम से कम 25 साल तक विज्ञापन की दुनिया में सक्रिय रहे हों, टॉप मैनेजमेंट में रहे हों, इंडस्ट्री के विकास में अहम भूमिका निभाई हो और अपने काम से समाज के लिए भी कुछ खास किया हो।
इस सम्मान को पाने वालों में पहले भी कई दिग्गज शामिल रहे हैं- जैसे पीयूष पांडे, ऐलिक पदमसी, शशि सिन्हा, मधुकर कामथ, सैम बलसारा, विक्रम सक्सेना और कई अन्य।

1945 में बनी AAAI देश की प्रमुख विज्ञापन एजेंसी संस्था है जो इंडस्ट्री के विकास, प्रोफेशनल मानकों और एजेंसियों के हितों की रक्षा के लिए काम करती है।

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दिल्ली हाई कोर्ट की पतंजलि को फटकार, विज्ञापन में ‘धोखा’ शब्द पर उठे सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के हालिया टीवी विज्ञापन पर सवाल उठाया है, जिसमें बाकी कंपनियों के च्यवनप्राश उत्पादों को लेकर विवादित टिप्पणी की गई थी।

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Published - Friday, 07 November, 2025
Last Modified:
Friday, 07 November, 2025
sc7845

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के हालिया टीवी विज्ञापन पर सवाल उठाया है, जिसमें बाकी कंपनियों के च्यवनप्राश प्रॉडक्टों को लेकर विवादित टिप्पणी की गई थी। अदालत ने कहा कि कोई भी ब्रैंड अपने प्रॉडक्ट की गुणवत्ता को बेहतर बता सकता है, लेकिन इस आधार पर दूसरों को “धोखा” कहना अनुचित और अपमानजनक है।

न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि “धोखा” शब्द अत्यधिक नकारात्मक अर्थ रखता है और इससे पूरा च्यवनप्राश उद्योग बदनाम होता है। अदालत ने कहा कि किसी प्रॉडक्ट की तुलना करते समय ऐसी भाषा नहीं अपनाई जानी चाहिए जो अन्य कंपनियों को अपराधी या भ्रामक बताती हो।

यह मामला डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है, जिसमें कंपनी ने पतंजलि के नए टीवी विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है। डाबर का कहना है कि विज्ञापन में बाकी सभी च्यवनप्राश ब्रैंड्स को “धोखा” बताकर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया है।

डाबर की याचिका के अनुसार, विज्ञापन में योगगुरु बाबा रामदेव यह कहते हुए नजर आते हैं कि “ज्यादातर लोग च्यवनप्राश के नाम पर ठगे जा रहे हैं” और केवल पतंजलि का प्रॉडक्ट ही “सच्चे आयुर्वेद की शक्ति” देता है। कंपनी का कहना है कि यह दावा पूरे उद्योग के प्रति अविश्वास पैदा करता है और च्यवनप्राश के अन्य प्रॉडक्ट्स की छवि को ठेस पहुंचाता है।

डाबर के वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने दलील दी कि च्यवनप्राश एक मान्य आयुर्वेदिक औषधि है, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार बनाई जाती है। ऐसे में सभी निर्माताओं को धोखा कहना कानूनी रूप से अनुचित है और पूरे उद्योग की साख को प्रभावित करता है।

वहीं पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर ने कहा कि विज्ञापन का उद्देश्य किसी ब्रैंड को नीचा दिखाना नहीं था, बल्कि अपने प्रॉडक्ट की विशिष्टता को दर्शाना था। उन्होंने तर्क दिया कि “धोखा” शब्द का प्रयोग संदर्भानुसार किया गया है और इसे शाब्दिक अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद डाबर की अंतरिम याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

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अरुणाचल प्रदेश में नई प्रिंट और डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2025 को मंजूरी

चांगलांग जिले में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में नई अरुणाचल प्रदेश प्रिंट और डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2025 को मंजूरी दी गई।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 10 October, 2025
Last Modified:
Friday, 10 October, 2025
ArunachalGovt78489

चांगलांग जिले में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में नई अरुणाचल प्रदेश प्रिंट और डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2025 को मंजूरी दी गई।

इस नीति के तहत अब सरकार के विज्ञापनों का प्रबंधन पहले की तरह अलग-अलग नीतियों के बजाय एक ही साझा ढांचे में किया जाएगा। पहले प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए अलग-अलग नीतियां थीं।

नई नीति अब राज्य सरकार के सभी विभागों और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों के लिए एकमात्र ढांचा होगी। इसके मुख्य उद्देश्य हैं: विज्ञापन फंड का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना, मीडिया आउटलेट्स के लिए पारदर्शी और कुशल सिंगल-विंडो सिस्टम बनाना और मीडिया हाउसेस के चयन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करना।

यह नीति विज्ञापन नीति, 2018 और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विज्ञापन नीति, 2020 की जगह लेती है, और प्रिंट व डिजिटल मीडिया दोनों के लिए एक व्यापक ढांचा पेश करती है।

अब सभी सरकारी विज्ञापन केवल सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (DIPR) के माध्यम से ही किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

नीति में सभी पंजीकृत स्थानीय मीडिया के लिए तय विज्ञापन दरें तय की गई हैं और स्थानीय व राज्य-आधारित मीडिया हाउसेस के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप राज्य के मीडिया इकोसिस्टम को मजबूत करेगा।

APC और APUWJ ने नई मीडिया नीति की सराहना की

अरुणाचल प्रेस क्लब (APC) और अरुणाचल प्रदेश कार्यरत पत्रकार संघ (APUWJ) ने राज्य सरकार की इस नई नीति को एक प्रगतिशील सुधार बताया है। उनका कहना है कि यह नीति सरकारी विज्ञापन वितरण में पारदर्शिता, जवाबदेही और स्थिरता को मजबूत करेगी।

APC और APUWJ ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह नीति “राज्य के मीडिया इकोसिस्टम के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” है। साथ ही यह स्थानीय मीडिया हाउसेस और पत्रकारों को सशक्त बनाने के सरकार के संकल्प को दर्शाती है, जो सार्वजनिक जागरूकता और लोकतांत्रिक जवाबदेही में अहम भूमिका निभाते हैं।

बयान में कहा गया, “यह एकीकृत नीति अरुणाचल प्रदेश में पारंपरिक और उभरते डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स दोनों के लिए समान अवसर प्रदान करती है। यह राज्य-आधारित मीडिया के योगदान को मान्यता देती है और सुनिश्चित करती है कि जनसंपर्क पेशेवर और लोगों-केंद्रित रहे।”

पत्रकार संगठनों ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू को प्रेस जगत के प्रति निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही सूचना और जनसंपर्क मंत्री न्याटो डुकाम, पूर्व मंत्री बामांग फेलिक्स, IPR सचिव न्याली एटे, निदेशक गिज़ुम टाली और उप-निदेशक डेन्गा बेंगिया को नीति को तैयार करने और अंतिम रूप देने में उनके अहम योगदान के लिए धन्यवाद किया।  

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प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर 400 से ज्यादा अखबारों में दिए गए विज्ञापन

17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर 220 से ज्यादा विज्ञापनदाताओं ने 400 से ज्यादा भारतीय अखबारों में विज्ञापन दिया।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 07 October, 2025
Last Modified:
Tuesday, 07 October, 2025
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17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर 220 से ज्यादा विज्ञापनदाताओं ने 400 से ज्यादा भारतीय अखबारों में विज्ञापन दिया। यह खबर AdEx India (TAM Media Research की शाखा) की ओर से जारी अधिकारिक आंकड़ों में निकलकर सामने आई है। 

इन विज्ञापनों ने मिलकर प्रिंट में लगभग 1,08,000 कॉलम सेंटीमीटर जगह ली। वहीं यदि सरकार के राजनीतिक और सामाजिक विज्ञापन भी शामिल किए जाएं, तो कुल विज्ञापन स्थान 3,63,000 कॉलम सेंटीमीटर तक पहुंच गया।

सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में SRM Group, JK Tyre, Navayuga Engineering Company, Kohinoor Group और SAL Hospital शामिल थे।

टीवी पर भी दिखे बधाई संदेश

प्रधानमंत्री को दिए बधाई संदेशों का असर टीवी पर भी देखा गया। विभिन्न सरकारी विभागों के राजनीतिक और सामाजिक विज्ञापन 90 से ज्यादा चैनलों पर लगभग 28 घंटे तक चले। इसके मुकाबले, वाणिज्यिक विज्ञापनदाताओं (AdEx द्वारा “Pure Advertisers” कहा गया) ने सिर्फ आधे घंटे का टीवी विज्ञापन समय लिया।

डिजिटल पर मापना थोड़ा मुश्किल

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट और कैंपेन बहुत हुए, लेकिन TAM Media Research के अनुसार ऑनलाइन विज्ञापन अलग तरह से कोड किए जाते हैं। इसलिए केवल खास अवसर या विषय-विशेष कैंपेन का आंकलन करना मुश्किल है।

TAM Media Research के CEO एल.वी. कृष्णन ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर मीडिया में बधाई संदेशों का पैमाना वाकई शानदार था। अधिकतर कार्यक्रम कई दिन चलते हैं या समय के साथ बनते हैं, इसलिए इसे इस एक-दिन के कार्यक्रम से सीधे तुलना नहीं की जा सकती।” 

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Drishti IAS पर UPSC 2022 के भ्रामक विज्ञापनों के लिए लगा ₹5 लाख का जुर्माना

Drishti IAS ने अपने विज्ञापन में बड़े अक्षरों में दावा किया था कि “UPSC CSE 2022 में 216+ चयन” हुए हैं और साथ में सफल उम्मीदवारों के नाम और फोटो भी दिखाई थी।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 04 October, 2025
Last Modified:
Saturday, 04 October, 2025
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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने Drishti IAS (VDK Eduventures Pvt. Ltd.) पर UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा (CSE) 2022 के परिणामों के संबंध में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए ₹5 लाख का जुर्माना लगाया है।

Drishti IAS ने अपने विज्ञापन में बड़े अक्षरों में दावा किया था कि “UPSC CSE 2022 में 216+ चयन” हुए हैं और साथ में सफल उम्मीदवारों के नाम और फोटो भी दिखाई थी।

हालांकि, जांच में CCPA ने पाया कि यह दावा भ्रामक था और इसमें उन पाठ्यक्रमों के प्रकार और अवधि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी, जिन्हें उम्मीदवारों ने चुना था।

जांच में यह सामने आया कि Drishti IAS के 216 उम्मीदवारों में से 162 उम्मीदवार (75%) ने केवल संस्थान के मुफ्त इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम (IGP) में भाग लिया था, जबकि उन्होंने UPSC CSE की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा स्वतंत्र रूप से पास की थी। केवल 54 छात्रों ने IGP के साथ अन्य कोर्स भी किए थे।

महत्वपूर्ण जानकारी को जानबूझकर छिपाने से उम्मीदवारों और उनके माता-पिता को यह विश्वास हो गया कि Drishti IAS ने UPSC परीक्षा के सभी चरणों में उनकी सफलता सुनिश्चित की, जो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत भ्रामक विज्ञापन माना जाता है।

Drishti IAS ने दोहराई गलती:

CCPA ने यह भी नोट किया कि यह Drishti IAS पर इसी तरह के व्यवहार के लिए दूसरी बार जुर्माना लगाया गया है। पहली बार सितंबर 2024 में, प्राधिकरण ने UPSC CSE 2021 में “150+ चयन” के भ्रामक दावे के लिए Drishti IAS के खिलाफ अंतिम आदेश जारी किया था।

संस्थान ने 150+ चयन के दावे के खिलाफ 161 उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया था। उस मामले में भी पाया गया कि इन 161 उम्मीदवारों में से 148 IGP में, 7 Mains मेंटरशिप प्रोग्राम में, 4 GS फाउंडेशन प्रोग्राम में, 1 ऑप्शनल कोर्स में और 1 उम्मीदवार का विवरण नहीं दिया गया था। CCPA ने उस समय ₹3 लाख का जुर्माना लगाया और भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश दिया।

पूर्व में जुर्माना और चेतावनी मिलने के बावजूद, Drishti IAS ने 2022 परीक्षा के परिणामों के लिए फिर से यही अभ्यास किया और अपने दावे को “216+ चयन” तक बढ़ा दिया, जिससे उपभोक्ता संरक्षण नियमों की अवहेलना और बार-बार गैर-अनुपालन स्पष्ट हुआ।

महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने से संभावित छात्रों और उनके माता-पिता को सूचित निर्णय लेने का अधिकार छिन गया, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(9) के तहत है। ऐसे विज्ञापन झूठी उम्मीदें पैदा करते हैं और उपभोक्ता के निर्णय को अनुचित रूप से प्रभावित करते हैं, खासकर जब बड़े दावे तथ्यपूर्ण पारदर्शी जानकारी के बिना किए जाते हैं।

अब तक, CCPA ने विभिन्न कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए 54 नोटिस जारी किए हैं। 26 कोचिंग संस्थानों पर कुल ₹90.6 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है और उन्हें ऐसे भ्रामक दावे बंद करने का निर्देश दिया गया है।

CCPA ने नोट किया कि सभी ऐसे संस्थानों ने अपने विज्ञापनों में सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई थी, जो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन माना जाता है।

प्राधिकरण ने यह जोर देकर कहा कि सभी कोचिंग संस्थानों को अपने विज्ञापनों में सही और सत्य जानकारी का खुलासा सुनिश्चित करना चाहिए ताकि छात्र अपने शैक्षणिक विकल्पों के संबंध में उचित और सूचित निर्णय ले सकें। 

 

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ChatGPT में विज्ञापन लाने की तैयारी कर रहा OpenAI

OpenAI अपने लोकप्रिय AI चैटबॉट में विज्ञापन (ads) लाने की तैयारी कर रहा है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 27 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 27 September, 2025
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OpenAI अपने लोकप्रिय AI चैटबॉट ChatGPT में विज्ञापन (ads) लाने की तैयारी कर रहा है। कंपनी ने इसके लिए अपने अंदरूनी विज्ञापन टीम का गठन किया है, जिसका नेतृत्व नए नियुक्त एप्लीकेशंस हेड फिडजी सिमो कर रही हैं। सिमो पिछले महीने जुड़ी हैं और इससे पहले वह Instacart की CEO और Facebook ऐप की हेड रह चुकी हैं।

सिमो पहले ही OpenAI की मुनाफा कमाने की कोशिशों के लिए सीनियर लीडर की भर्ती कर रही हैं, जिसमें विज्ञापन और वर्तमान सब्सक्रिप्शन सेवाएं दोनों शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने इस भूमिका के लिए कई उम्मीदवारों से बातचीत की है।

मौका बहुत बड़ा है। ChatGPT के अनुमानित 700 मिलियन यूज़र हैं, लेकिन केवल करीब 20 मिलियन सब्सक्रिप्शन के लिए भुगतान करते हैं। विज्ञापन नई आय के अरबों डॉलर खोल सकते हैं और कंपनी के उच्च खर्च को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। इस साल OpenAI ने $12.7 बिलियन का राजस्व कमाया, जो 2024 की तुलना में तीन गुना है, फिर भी कंपनी खर्च से ज्यादा कमाई नहीं कर रही है, इसलिए विज्ञापन बढ़ोतरी का एक महत्वपूर्ण जरिया बन सकता है।

कंपनी ने तकनीकी भूमिकाओं के लिए भी भर्ती शुरू कर दी है, जैसे “Growth Paid Marketing Platform Engineer,” जिससे यह संकेत मिलता है कि वह अभियान प्रबंधन उपकरण बनाएगी, बड़े विज्ञापन नेटवर्क्स के साथ इंटीग्रेशन करेगी और रियल-टाइम अट्रिब्यूशन सिस्टम स्थापित करेगी।

फिर भी, OpenAI ने कहा है कि विज्ञापन धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक पेश किए जाएंगे। ChatGPT के हेड निक टर्ले ने The Verge को बताया कि कंपनी को “बहुत सोच-समझकर और स्वादपूर्ण तरीके से” विज्ञापन पेश करने होंगे ताकि यूज़र अनुभव प्रभावित न हो।

सिमो का फेसबुक में विज्ञापन उत्पादों का गहरा अनुभव OpenAI की योजना को स्पष्ट करता है: ChatGPT को सिर्फ सांस्कृतिक घटना से बदलकर राजस्व की शक्ति केंद्र बनाना। यूज़र्स के लिए अब सवाल यह नहीं है कि विज्ञापन आएंगे या नहीं — बल्कि कब आएंगे।

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IAA इंडिया चैप्टर: अभिषेक करनानी फिर बने प्रेजिडेंट

25 सितंबर को हुई संस्था की वार्षिक आम बैठक में जयदीप गांधी को वाइस प्रेजिडेंट, नंदिनी डायस को मानद सचिव और जनक सारदा को मानद कोषाध्यक्ष के पद पर चुना गया।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 26 September, 2025
Last Modified:
Friday, 26 September, 2025
IAA India Chapter

‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर ने ‘फ्री प्रेस जर्नल’ (Free Press Journal) समूह के अध्यक्ष अभिषेक करनानी को एक बार फिर संस्था का प्रेजिडेंट चुना है। 25 सितंबर को हुई संस्था की 35वीं वार्षिक आम सभा (AGM) में करनानी को इस पद के लिए चुना गया।

इस चुनाव में Another Idea के फाउंडर जयदीप गांधी को वाइस प्रेजिडेंट, स्वतंत्र सलाहकार (Independent Advisor) नंदिनी डायस को मानद सचिव और BFF Foods Indiaके डायरेक्टर जनक सारदा को मानद कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

इसके अलावा पांच सदस्यों को वोटिंग मेंबर के तौर पर चुना गया। इनमें शामिल हैं–

1: श्रीनिवासन के स्वामी, एग्जिक्यूटिव ग्रुप चेयरमैन (R K SWAMY HANSA)

2: प्रशांत कुमार, सीईओ-साउथ एशिया (WPP Media)

3: एम. वी श्रेयम्स कुमार, मैनेजिंग डायरेक्टर (Mathrubhumi)

4: बबिता बरुआ, सीईओ (VML India)

5: राणा बरुआ, ग्रुप सीईओ (Havas India-South East Asia and North Asia (Japan and South Korea)

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेजिडेंट चुने जाने पर अभिषेक करनानी ने कहा, ‘मैं दूसरी बार इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुने जाने पर खुद को बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। हमारी मजबूत मैनेजिंग कमेटी के साथ मुझे पूरा भरोसा है कि हम इस चैप्टर को और मजबूत बनाएंगे और इंडस्ट्री के सामूहिक हितों को आगे बढ़ाएंगे।

जैसे ही हम 2025–26 के लिए आगे बढ़ रहे हैं, हम नई ऊर्जा और स्पष्ट उद्देश्य के साथ काम करेंगे। इस साल हमारी प्राथमिकता तकनीकी नवाचार को अपनाने, स्थिरता (Sustainability) के प्रति प्रतिबद्धता को गहरा करने और विविधता व समावेशिता (Diversity & Inclusivity) को बढ़ावा देने पर होगी। मुझे विश्वास है कि मिलकर हम न सिर्फ बिजनेस में इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे, बल्कि समाज पर भी एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ेंगे। मैं एक सार्थक और प्रगतिशील कार्यकाल की उम्मीद करता हूं।’

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