ट्राई ने न्यूज चैनल्स द्वारा दिखाए जा रहे अत्याधिक विज्ञापनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (intervention application) की है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने टीवी चैनलों पर ऐड कैप (10+2 Ad Cap) के मामले की सुनवाई को 25 मई, 2022 तक स्थगित कर दिया है। बता दें कि ट्राई ने न्यूज चैनल्स द्वारा दिखाए जा रहे अत्याधिक विज्ञापनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर (intervention application) की है। ट्राई ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) द्वारा पहले से दायर एक याचिका में हस्तक्षेप (intervention) की मांग की है। ट्राई की इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान एनबीडीए और केंद्र से उसके हस्तक्षेप आवेदन का जवाब देने को कहा था और मामले को 23 दिसंबर को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया था।
इस मामले में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल कर दिया है, पर वह ट्राई के आवेदन पर भी अपना जवाब दाखिल करेगा।
बता दें कि ट्राई ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि तमाम टेलीविजन चैनल्स पर जरूरत से ज्यादा विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं, जिसे लेकर उपभोक्ताओं से उन्हें कई शिकायती पत्र मिले हैं, जिसमें उपभोक्ताओं ने टीवी देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उनसे शिकायत की है।
ट्राई ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) को चुनौती देने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) द्वारा दायर एक याचिका में हस्तक्षेप आवेदन (intervention application) दायर किया है। एनबीए ने तर्क दिया है कि ये नियम संविधान द्वारा प्रदत्त वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अधिकारहीन हैं।
केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7(11) में कहा गया है कि कोई भी टीवी चैनल एक घंटे में 12 मिनट से ज्यादा विज्ञापन नहीं दिखा सकता है। उक्त नियम में कहा गया है, ‘कोई भी कार्यक्रम बारह मिनट प्रति घंटे से अधिक के विज्ञापन नहीं दिखाएगा, जिसमें प्रति घंटे दस मिनट तक वाणिज्यिक विज्ञापन और दो मिनट प्रति घंटे तक चैनल के प्रमोशनल प्रोग्राम शामिल हो सकते हैं।’
दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष 12 मिनट की विज्ञापन सीमा के खिलाफ पहले से ही दो अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं। एक याचिका 2013 में न्यूज, रीजनल और म्यूजिक ब्रॉडकास्टर्स ने ट्राई द्वारा लागू किए गए 12 मिनट की ऐड कैप रेगुलेशन के खिलाफ दायर की थी। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता ब्रॉडकास्टर्स को अंतरिम राहत दी हुई है।
वहीं दूसरी याचिका इस साल अप्रैल में NBDA ने दायर की थी, जिसमें केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के नियम 7(11) को चुनौती दी गयी है, जो विज्ञापनों की अवधि को विनियमित करने का प्रयास करता है। एनबीडीए ने तर्क दिया कि ट्राई के पास टीवी चैनल्स पर विज्ञापनों की समय-सीमा तय करने की पावर नहीं है। विज्ञापन को रेगुलेट करने का मतलब संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सिर्फ फ्री कमर्शियल स्पीच को ही रेगुलेट करने के अलावा और कुछ नहीं है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले से जुड़ी पहले से पेंडिंग याचिकाओं को एनबीडीए की लंबित याचिका के साथ जोड़ दिया था।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और आप इन्फ्लुएंसर हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है।
क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और आप इन्फ्लुएंसर हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सोमवार को गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसके तहत मशहूर हस्तियां और इन्फ्लुएंसर अब सोशल मीडिया पर किसी भी विज्ञापन से लोगों को गुमराह नहीं कर पाएंगे। सोशल मीडिया पर सक्रिय ऐसी हस्तियों को उपभोक्ता संरक्षण कानून व अन्य संबद्ध नियमों का पूरी तरह से पालन करना होगा।
उपभोक्ता मामलों व खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग ने गाइडलाइंस में कहा है, किसी प्रकार की साझेदारी को विज्ञापन, प्रायोजित, सहयोगी या सशुल्क के रूप में दर्शाया जाएगा। इसके लिए हैशटैग या हेडलाइन का प्रयोग किया जाएगा।
गाइडलाइंस में मशहूर हस्तियों और इन्फ्लुएंसर को यह सलाह भी दी गई है कि पहले वह प्रॉडक्ट की समीक्षा करें, खुद को संतुष्ट करें। हालांकि अभी तक सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियां बिना यह घोषित किए की वह ब्रैंड का प्रचार कर रहे हैं, जमकर प्रॉडक्ट का प्रचार करती रही हैं।
गाइडलाइंस के मुताबिक, इंटरनेट मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाले इन्फ्लुएंसर्स को अब किसी भी प्रचार सामग्री में अस्वीकरण यानी डिस्क्लेमर देना अनिवार्य बनाया गया है। बता दें कि सरकार ने कुछ समय पहले भी गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें उल्लंघन करने वालों पर लाखों के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा, अगर इन्फ्लुएंसर्स गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हैं तो प्रॉडक्ट के उनके समर्थन पर प्रतिबंध लगाने का भी उल्लेख है।
विज्ञप्ति के अनुसार, अधिकारियों ने ये फैसला डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट मीडिया, जैसे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इन्फ्लुएंसर्स की प्रगति पर विचार-विमर्श के बाद आया है। मंत्रालय का कहना है कि ये नियम उन सभी पर लागू होते हैं, जो किसी भी प्रॉडक्ट, सर्विस या ब्रैंड के बारे में खरीदारी के फैसले या खरीदारों की राय को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
बता दें कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वे होते हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या काफी अधिक होती है। ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर किसी प्रॉडक्ट को प्रमोट करते हैं।
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एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री की वर्तमान दशा और दिशा को लेकर हाल ही में ‘गवर्नेंस नाउ राउंडटेबल’ (Governance Now Roundtable) का आयोजन किया गया। इस राउंडटेबल में ‘IPG Mediabrands India’ के सीईओ शशि सिन्हा, ‘Madison Media &OOH’ के ग्रुप सीईओ विक्रम सखूजा और ‘एबीपी नेटवर्क’ के सीईओ अविनाश पांडेय जैसी बड़ी शख्सियतें शामिल हुईं और अपने विचार रखे। इस सेशन को ‘गवर्नेंस नाउ’ के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी ने मॉडरेट किया।
इस राउंडटेबल के दौरान इंडस्ट्री के इन दिग्गजों ने न सिर्फ इस बात पर चर्चा की कि इंडस्ट्री में एडवर्टाइजिंग को लेकर क्या ट्रेंड चल रहा है बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि एक एडवर्टाइजर को उस कंटेंट के बारे में जानने का पूरा अधिकार है, जहां उनका विज्ञापन दिखाया जा रहा है।
इस सेशन के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या डिजिटल मीडिया को भौगोलिक आधार पर लक्षित एडवर्टाइजिंग करनी चाहिए? शशि सिन्हा ने कहा, ‘टीवी, प्रिंट और अन्य आउटडोर माध्यमों के विपरीत, डिजिटल मीडिया अपारदर्शी है और यह सर्च, खोज व प्रदर्शन आधारित मार्केटिंग पर आधारित है।’
अविनाश पांडेय का कहना था कि समस्या पूरे ईको सिस्टम में है। डिजिटल में आप एक माध्यम नहीं चुन रहे हैं और केवल एक लक्षित आयु समूह अथवा भौगोलिक क्षेत्र इत्यादि चुन रहे हैं। यह बिजनेस और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। शशि सिन्हा ने भी अविनाश पांडेय के इस विचार से सहमति जताई।
वहीं, विक्रम सखूजा का कहना था कि मीडिया प्लानिंग के माध्यम से सीखे गए अनुभवों को डिजिटल में भी इस्तेमाल करना चाहिए। हम सिर्फ इंप्रेशंस की बात कर रहे हैं, जो ‘Gross Rating Points’ (GRP) का ही एक स्वरूप है। वे उसे GRP में नहीं बदल रहे हैं जो दो मिनट का काम है। रीच यानी पहुंच केवल प्रतिशत के रूप में दी जाती है न कि संख्या के रूप में, जो डिजिटल और वीडियो ऑडियंस दोनों तक पहुंचने में मदद करेगी।
सखूजा ने कहा, ‘डिजिटल वीडियो पर बड़ी समस्या यह है कि आपके पास टीवी की तुलना में बहुत लंबी श्रंखला है, इसलिए बहुत ज्यादा पहुंच बनाना डिजिटल पर बहुत मुश्किल है। एक विज्ञापनदाता के रूप में मुझे यह जानने का पूरा अधिकार होना चाहिए कि मेरा विज्ञापन किस कंटेंट में रखा गया है।’
गूगल और मेटा में हो रहे सबसे ज्यादा डिजिटल विज्ञापन खर्च और आगे भी यदि इस तरह की स्थिति रहती है तो क्या होगा, टॉपिक पर शशि सिन्हा ने कहा कि भविष्य में मार्केट और खुलेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लघु, कुटीर और मध्यम इंडस्ट्री (MSME) आगे बढ़ेगी, ग्रोथ होगी और एकाधिकार अपने आप खत्म हो जाएगा।
टीवी और डिजिटल के बीच इंटीग्रेटिड मार्केटिंग का आह्वान करते हुए सखूजा ने कहा कि वर्तमान में ब्रैंडिंग की कीमत पर डिजिटल के प्रदर्शन पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में ब्रैंडिंग पर ध्यान देने के साथ ही डिजिटल का विकास जारी रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कुल वीडियो में हमने करीब 30000 करोड़ टीवी एडवर्टाइजिंग और 10000 करोड़ वीडियो एडवर्टाइजिंग का अनुमान लगाया है। आज के समय में कुल वीडियो का 25 प्रतिशत डिजिटल पर है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए दोनों के लिए इंटीग्रेटिड सेटअप तैयार होगा और यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
इस चर्चा के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या दर्शक अभी भी टीवी स्क्रीन पर न्यूज देखना पसंद करते हैं अविनाश पांडेय का कहना था, ‘ट्विटर और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स न्यूज के प्रवर्तक (enablers) का काम करते हैं और ज्यादा लोगों को टीवी स्क्रीन पर न्यूज देखने के लिए प्रेरित करते हैं। देश में ज्यादा से ज्यादा टीवी सेट बेचे जा रहे हैं। न्यूज उपभोग (news consumption) का सिग्नल डिलीवरी सिस्टम बदल रहा है और लोग जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स (GEC) सहित लाइव न्यूज देख रहे हैं।’
अविनाश पांडेय ने कहा कि मीडिया मालिकों को इस तरह का कंटेंट तैयार करना चाहिए, जिसे सर्च मीडिया लोगों को टीवी पर आने के लिए प्रेरक के रूप में पहचानती है। ज्यादा से ज्यादा लोग टीवी और टेलीविजन न्यूज देख रहे हैं जो डेटा में प्रतिबिंबित नहीं हो रहा है। इस चर्चा के दौरान सखूजा का कहना था कि न्यूज एंकर्स की विश्वसनीयता और भूमिका दर्शकों का ध्यान खींचती है और यह समय है, जब समाचार पत्रों ने अपने संपादकों को नायक बना दिया है।
तमाम ई-कॉमर्स कंपनियों में हो रही छंटनी के बीच विज्ञापन के बारे में शशि सिन्हा का मानना था कि वैश्विक विपरीत प्रभाव थोड़े लंबे समय तक रह सकते हैं और धन के प्रवाह को धीमा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें फंड आने की उम्मीद है। वहीं, अविनाश पांडेय का कहना था कि इस साल उन्हें एफएमसीजी, टेलीकॉम, मीडिया कंपनियों, विज्ञापन और ऑटोमोबाइल, दोपहिया और छोटी कारों में वृद्धि की उम्मीद है, जिनमें से सभी को विज्ञापन की आवश्यकता होगी। वास्तविक विनिर्माण क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश से विज्ञापन में वृद्धि होगी। इस दौरान शशि सिन्हा का यह भी कहना था कि कनेक्टेड टीवी बढ़ेगा और संभावित रूप से बड़ी संख्या में कंटेंट डिलीवर करेगा।
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सरकार ने एडवर्टाइजर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स से कहा है कि उन्हें विज्ञापनों में दी गई सूचनाओं या दावों को हैशटैग या लिंक के रूप में दिखाने के बजाय उन्हें प्रमुखता से दिखाना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई में सोमवार को ‘एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) के एक कार्यक्रम में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन कंपनियों से विज्ञापनों को जिम्मेदारी से संचालित करने पर जोर दिया।
इसके साथ ही उन्होंने एडवर्टाइजर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स से यह आग्रह भी किया कि वे किसी भी उत्पाद या फर्म को बढ़ावा देते समय उसके साथ अपने भौतिक संबंध का खुलासा करें और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें व निर्दिष्ट नियमों का उल्लंघन न करें।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सभी हितधारकों को भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में नियमों का उल्लंघन करने और भ्रामक विज्ञापनों में शामिल होने के लिए कुछ सोशल मीडिया एंफ्लुएंसर्स की जांच का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम इस तरह की जांच नहीं करना चाहते हैं।
रोहित कुमार सिंह का कहना था, ‘सरकार विज्ञापनों में क्रिएटिविटी का सम्मान करती है, लेकिन इनसे उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं होना चाहिए। यदि आप सीमा का उल्लंघन करते हैं तो हमें पता है कि इससे कैसे निपटना है।’ सिंह ने उद्योग से उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और स्वयं को विनियमित करने का आग्रह करते हुए यह भी कहा कि सरकार नियमों का पालन करने वालों का समर्थन करेगी।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि भारत में 75 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं, जिनमें करीब 50 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं। ऐसे में उन्होंने इसे जिम्मेदारी से संचालित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चित्रों वाले विज्ञापनों के मामले में वीडियो और ऑडियो दोनों फॉर्मेट में खुलासा किया जाना चाहिए।
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क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं, क्या आप सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, यदि हां तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। सरकार सोशल मीडिया के लिए कुछ नए नियम लेकर आई है, जिसमें 50 लाख रुपए तक जुर्माना शामिल है।
अब उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने 20 जनवरी, 2023 से सोशल मीडिया इन्फ्यूएंशन के लिए नए नियमों को लागू किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, जो कि नियमों का उल्लंघन है। ऐसा करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। सोशल मीडिया पर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से प्रचारित करने पर शुरुआती तौर पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक वसूले जाएंगे। इसके अलावा 6 वर्ष तक प्रॉडक्ट के प्रचार करने पर भी रोक लगाई जा सकती है।
बता दें कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वे होते हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या काफी अधिक होती है। ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर किसी प्रॉडक्ट को प्रमोट करते हैं।
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सेलिब्रिटी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और वर्चुअल इन्फ्लुएंसर कोई कंटेंट को प्रमोट कर रहे है, तो उसे बताना होगा कि यह पेड कंटेंट है या नहीं। दरअसल आम लोग पेड या अनपेड कंटेंट में फर्क नहीं कर पाते। साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि वह उस प्रॉडक्ट का उपयोग करते हैं या नहीं। दरअसल, दर्शकों को लगता है कि कोई बड़ा सेलेब्रिटी किसी चीज का प्रमोशन कर रहा है तो वह प्रॉडक्ट सही ही होगा।
सरकार ने ये नया कानून सोशल मीडिया पर पेड कंटेंट का गलत तरीके से प्रमोशन करने और भ्रामक विज्ञापन को रोकने के लिए बनाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का मार्केट 20 फीसदी की ग्रोध के साथ 2,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी अब विज्ञापन विवाद में फंस गई है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी अब विज्ञापन विवाद में फंस गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) ने आम आदमी पार्टी को 163.62 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा करने का नोटिस जारी किया है। यह पैसा आम आदमी पार्टी को 10 दिनों के भीतर जमा कराना होगा, नहीं तो पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस राशि में 99.31 करोड़ रुपए मूलधन और 64.31 करोड़ रुपए पेनाल्टी इंटरेस्ट के रूप में शामिल हैं। यह एक्शन दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस निर्देश पर लिया गया, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव को 2015-2016 के दौरान राजनीतिक विज्ञापन को सरकारी बताकर पैसे के गलत इस्तेमाल के आरोप पर आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट्स के मानें तो आम आदमी पार्टी को 10 दिन के अंदर पूरा पैसा जमा करना होगा। अगर पार्टी ऐसा नहीं कर पाती तो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पिछले आदेश के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पार्टी की संपत्तियां कुर्क की जा सकती हैं।
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‘एडवरटाइजिंग एसोसिएशन ऑफ नेपाल’ (AAN) की 23वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) सोम प्रसाद धिताल की अध्यक्षता में हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव डॉ. बैकुंठ आर्यल शामिल हुए।
इस अवसर पर पहली बार नेपाल के विज्ञापन संघ (Advertising Association of Nepal) ने विज्ञापन एजेंसियों और देश के प्रमुख विज्ञापनदाताओं को ‘AAN सम्मान’ से सम्मानित किया। यह सम्मान नेपाल के विज्ञापन संघ द्वारा इंडस्ट्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया।
नेपाली विज्ञापन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में ‘आउटरीच नेपाल’ (Outreach Nepal) को भी की उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
‘आउटरीच नेपाल’ के फाउंडर व मैनेजिंग डायरेक्टर उजया शाक्य ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और एसोसिएशन के प्रेजिडेंट से ‘AAN सम्मान’ प्राप्त किया।
देश में सरकारी एजेंसियों, मीडिया और प्रमुख विज्ञापनदाताओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सबसे बड़ा विज्ञापन उद्योग सम्मान प्राप्त करते हुए शाक्य कहते हैं, ‘मैं अपनी टीम, अपने क्लाइंट्स, अपने पार्टनर्स और उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने नेपाल में मार्केटिंग कम्युनिकेशन इकोसिस्टम को बदलने के लिए इस यात्रा में मेरी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है।’
वंडरमैन थॉम्पसन, जिन्हें थॉम्पसन नेपाल के नाम से जाना जाता है, को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
देश के प्रमुख विज्ञापनदाताओं- स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय, एनसेल, डाबर, कोका-कोला, एनआईसी एशिया बैंक लिमिटेड, चौधरी ग्रुप व शंकर ग्रुप को भी इस मौके पर सम्मानित किया गया।
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भारत सरकार ने गूगल से ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के सरोगेट विज्ञापन को नहीं दिखाने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा गूगल को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें यह कहा गया है कि गगूल तत्काल ही ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को दिखाना बंद करे। इस पत्र में गूगल से आगे कहा गया है कि वह फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे जैसे सर्च रिजल्ट्स और यू-ट्यूब जैसे बेटिंग प्लेटफॉर्म्स से प्रत्यक्ष या परोक्ष सभी तरह के विज्ञापन तुरंत हटाए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार द्वारा 3 अक्टूबर को दिए गए अंतिम सलाह के बाद टीवी चैनलों और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेयर्स ऐसे विज्ञापन को नहीं चला रहे है, लेकिन गगूल और यूट्यूब पर ये विज्ञापन चल रहे थे। ऐसे में सरकार ने गूगल को यह पत्र लिखकर ऐसे विज्ञापनों को तुरंत बंद करने को कहा है।
इसी बाबत, टेक कंपनी गूगल से हमारी सहयोगी बेवसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ने संपर्क साधा, तो उसने ये दावा किया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देती है।
गूगल के एक प्रवक्ता ने ‘एक्सचेंज4मीडिया’ को बताया, ‘हमारी विज्ञापन नीतियां, लागू किए गए स्थानीय कानून व नियमों के अनुसार, हम ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देते हैं।’
प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘हमारे विज्ञापन सिस्टम में ऐसी सख्त नीतियां हैं, जो इस तरह के उल्लंघन को रोक सकें और अगर हमें नियमों को तोड़ने वाले विज्ञापनों के बारे में सूचित किया जाता है, तो हम तुरंत कार्रवाई भी करते हैं।’
दरअसल, प्रवक्ता ‘एक्सचेंज4मीडिया’ द्वारा किए गए दो सवालों का जवाब दे रहे थे: 1) क्या ऐसे विज्ञापनों को अब हटा दिया जाएगा?; 2) ऐसे विज्ञापनों से अपने प्लेटफॉर्म को साफ करने में कितना समय लगेगा?
हालांकि जब उनसे तीसरा सवाल पूछा गया कि क्या इस कदम से कोई आर्थिक नुकसान होगा? तो उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
बता दें कि सरकार ने 3 अक्टूबर को टीवी, प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से आग्रह किया था कि वे सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर प्रकाशित न करें।
दरअसल, सूचना-प्रसारण की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया था कि देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध है। ये ऑडियंस खासकर बच्चों के लिए अधिक वित्तीय और समाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं। ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापनों से बड़े पैमाने पर निषिद्ध गतिविधि को बढ़ावा मिलता है।
मंत्रालय ने इससे पहले भी 13 जून, 2022 को एक एडवाइजरी जारी कर अखबारों, निजी टीवी चैनलों और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के विज्ञापन प्रकाशित करने से परहेज करने की सलाह दी थी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।ट्विटर से बड़ी संख्या में एंप्लॉयीज को नौकरी से निकाले जाने की आलोचना दुनियाभर में हो रही है। खुद ट्विटर के मालिक अपने ही प्लेटफॉर्म पर ट्रोल हो रहे हैं।
ट्विटर की कमान संभालते ही एलन मस्क ने ताबड़तोड़ कई बड़े फैसले लिए, जिसमें बड़ी संख्या में एम्प्लॉयीज की छंटनी भी शामिल है। ग्लोबल स्तर पर बड़ी संख्या में एंप्लॉयीज को नौकरी से हटाए जाने की आलोचना दुनियाभर में हो रही है। खुद ट्विटर के मालिक अपने ही प्लेटफॉर्म पर ट्रोल हो रहे हैं। वहीं इस बीच कई बड़ी कंपनियों ने ट्विटर पर विज्ञापन नहीं देने का फैसला लिया है।
बता दें कि बीते गुरुवार को जनरल मिल्स और ऑडी जैसी दिग्गज कंपनियों ने ट्विटर पर विज्ञापन नहीं करने का फैसला किया था। यहां तक कि विज्ञापन खरीदने वाले दिग्गज इंटरपब्लिक ग्रुप और हवास मीडिया ग्रुप की विवेंडी की ऐडवर्टाइजिंग यूनिट ने भी अपने ग्राहकों से मंच पर विज्ञापन रोकने की सिफारिश की थी, लेकिन अब यूनाइटेड एयरलाइंस होल्डिंग्स भी इस कतार में शामिल हो गई है।
कंपनी ने कहा है कि वह अब सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर अपना विज्ञापन नहीं देगी।
वहीं, कुछ कॉर्पोरेट विज्ञापनदाताओं के समूह ने करीब एक महीने के लिए ट्विटर से दूरी बनाई हुई है, यानि वे भी अब ट्विटर को विज्ञापन नहीं देंगे। इसमें दिग्गज अमेरिकी कंपनियां जनरल मोटर्स, ओरियो निर्माता मोंडेलेज इंटरनेशनल, फाइजर इंक और फोर्ड जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
दरअसल, मस्क के पिछले हफ्ते कंपनी संभालने और कंटेंट मॉडरेशन सहित व्यापक बदलावों की शुरुआत करने के बाद विज्ञापन कंपनियों पर यह तय करने का दबाव बढ़ रहा है कि क्या ट्विटर पर खर्च करना जारी रखा जाए।
दरअसल, इसकी दो बड़ी वजह हैं, पहला यह कि ट्विटर को टेकओवर करने से पहले ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने विज्ञापन देने वाली कंपनियों से वादा किया था कि वह ट्विटर को ‘फ्री-फॉर-ऑल हेलस्केप’ में बदलने से रोकेंगे। अब ये वादा मस्क के गले का कांटा बनता जा रहा है। उन्होंने कहा था कि ट्विटर खरीदने का मकसद सिर्फ विज्ञापन से पैसा कमाना नहीं है, बल्कि यह सौदा मानवता की मदद के लिए किया गया है, जिससे उन्हें प्यार है और वह नहीं चाहते कि यह ‘सभी के लिए मुक्त नरक’ बन जाए, जहां कुछ भी बिना किसी परिणाम के कहा जा सके। उनका मकसद आने वाली सभ्यता को एक कॉमन डिजिटल स्पेस देना है, जहां विभिन्न विचारधारा और विश्वास के लोग किसी भी तरह की हिंसा के बिना स्वस्थ चर्चा कर सकें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि ट्विटर सबसे सम्मानित एडवर्टाइजिंग प्लेटफॉर्म बनना चाहता है।
वहीं दूसरी वजह उनका एक बेहद ही पुराना ट्वीट है, जोकि उन्होंने विज्ञापनों के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अक्टूबर, 2019 में किया था। ‘I hate advertising.’ मतलब मुझे विज्ञापन से नफरत है। लिहाजा, मस्क पर अब उन विज्ञापन एजेंसियों को अलग-थलग होने से बचाने का दबाव है, जो ट्विटर के 90% से अधिक रेवेन्यू में योगदान करती हैं
I hate advertising
— Elon Musk (@elonmusk) October 28, 2019
माना जा रहा है कि विज्ञापनदाता ट्विटर से तब तक दूरी बनाए रखना चाहते हैं, जब तक एलन मस्क ट्विटर के लिए एक दिशा स्पष्ट नहीं करते या ट्विटर विज्ञापन एजेंसियों के मामले में क्या फैसले लेंगे इसकी घोषणा नहीं करते हैं, क्योंकि हर तरफ अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
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‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ अविनाश पांडेय को ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुना गया है। उनका यह चुनाव वर्ष 2022-23 के लिए किया गया है। इसके साथ ही फ्री प्रेस जर्नल ग्रुप के डायरेक्टर अभिषेक करनानी ने उपाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है। मीडिया दिग्गज नंदिनी डायस को मानद सचिव जबकि ‘Another Idea’ के जयदीप गांधी को मानद कोषाध्यक्ष के पद पर चुना गया है।
बता दें कि अविनाश पांडेय को मीडिया सेक्टर में काम करने का 26 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्ष 2005 से एबीपी ग्रुप में तमाम भूमिकाएं निभाने के बाद अविनाश पांडेय ने जनवरी 2019 में एबीपी नेटवर्क के सीईओ का पदभार संभाला है।
‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर की मैनेजिंग कमेटी में जिन सदस्यों को चुना गया है, उनमें ‘Hansa Group’ के चेयरमैन श्रीनिवासन स्वामी, ‘मातृभूमि‘ समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रेयम्स कुमार, ‘ग्रुप एम‘ के सीईओ प्रशांत कुमार, ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ समूह के डायरेक्टर अनंत गोयनका और ‘देशदूत‘ समूह के डायरेक्टर जनक सारदा शामिल हैं।
मैनेजिंग कमेटी की पहली बैठक में जिन सदस्यों का सह चुनाव किया गया है, उनमें ‘वायकॉम18’ की हेड (Language content and Kids channels) नीना इलाविया जयपुरिया, ‘हंगामा‘ ग्रुप के चेयरमैन नीरज रॉय, ‘Eros International‘ के सीईओ प्रदीप द्विवेदी, ‘शेमारू एंटरटेनमेंट’ के डायरेक्टर (न्यू प्रोजेक्ट्स) क्रांति गडा और ‘इनाडु’ ग्रुप के डायरेक्टर आई वेंकट का नाम शामिल है।
प्रबंध समिति में आमंत्रित लोगों में ये नाम शामिल हैं:
: Ramesh Narayan, Founder, Canco Advertising Pvt. Ltd.
: Neena Dasgupta, CEO & Director, Zirca Digital Solutions Pvt. Ltd.
: Rana Barua, Chief Executive Officer, Havas Group India
: Partha Sinha, President, The Times of India Group
: Bhaskar Das
: Mitrajit Bhattacharya, Founder & President, The Horologists
: Sam Balsara, Chairman & Managing Director, Madison Communications Pvt. Ltd.
: Alok Jalan, Managing Director, Laqshya Media Group
: Rahul Johri, President -Business South Asia, ZEE Entertainment Enterprises Ltd.
: Rajeev Beotra, Executive Director, HT Media Ltd.
: Kevin Vaz, Head, Network Entertainment Channels, Disney Star
: Kunal Lalani, Managing Director, Crayons Advertising Pvt Ltd.
: Ashok Venkatramani, Founder, Intelligent Insights Pvt Ltd.
: Rani Reddy, Director, Indira Television Ltd.
: Monica Nayyar Patnaik, Managing Director, Sambad Group
कॉमेडी स्टार राजू श्रीवास्तव ने कुछ विज्ञापनों में अपनी आवाज दी है और कुछ विज्ञापनों में वे खुद सामने आए हैं
एक महीने की लंबी लड़ाई के बाद, 21 सितंबर बुधवार को लोकप्रिय कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया। वह 58 वर्ष के थे। बता दें कि 10 अगस्त को जिम में वर्कआउट दौरान राजू को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। यहां उनकी एंजियोप्लास्टी हुई, लेकिन उन्हें कभी होश नहीं आया और बीते 41 दिनों से वेंटिलेटर पर मौत से जंग लड़ते रहे, लेकिन अंत में वह यह जंग हार गए।
राजू श्रीवास्तव के मौत की खबर सामने आने के बाद से ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई नम आंखों से राजू को श्रद्धांजलि दे रहा है।
राजू श्रीवास्तव देश के सबसे लोकप्रिय स्टैंड-अप कॉमेडियन में से एक थे। वह अपेक्षाकृत जल्दी ही स्टैंड-अप दृश्य में आ गए और ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ पर अपनी दिनचर्या को लेकर वह काफी लोकप्रिय होगए। कॉमेडी की दुनिया में शोहरत हासिल करने वाले राजू श्रीवास्तव बॉलीवुड की कई फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। उन्होंने ‘बाजीगर’, ‘मैंने प्यार किया’ और ‘आमदानी अठ्ठनी खर्चा रुपइया’ जैसी बॉलीवुड की कई अन्य फिल्मों में अपनी भूमिका निभाई।
राजू का हर अंदाज, बिल्कुल आम लोगों का था और आम लोग राजू के लतीफ़ों पर तालियां बजाने लगे। यूपी के भैया वाले अंदाज में राजू ने कॉमेडी में कभी अश्लीलता नहीं आने दी और ये हर घर में उनकी पहचान बनाने में सबसे कारगर साबित हुआ।
कॉमेडी स्टार ने कुछ विज्ञापनों में अपनी आवाज दी है और खुद भी सामने आए हैं। हालांकि उनके द्वारा किए विज्ञापन बहुत ही कम थे, लेकिन काफी यादगार और क्रिएटिविटी से भरे हुए थे, जिनमें से कुछ को यहां देख सकते हैं-
स्वच्छ भारत अभियान
राजू अपने सभी किरदारों में डूबकर अदाकारी करते थे और उस किरदार को एक अलग आवाज देते थे। 2014 में प्रचंड जीत के बाद जब केंद्र में भाजपा की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी तो स्वच्छ भारत अभियान के लिए राजू श्रीवास्तव को पीएम मोदी ने नॉमिनेट किया। इसके बाद राजू की लोकप्रियता और जन-अपील की वजह से वह भारत सरकार के स्वच्छता कार्यक्रम ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के एक बेहतरीन एंबेस्डर बन गए।
पेट सफ़ा
राजू श्रीवास्तव के सबसे हालिया विज्ञापनों में से एक आयुर्वेदिक ब्रैंड ‘पेट सफ़ा’ भी था। अपनी विशिष्ट हास्य शैली से वह इस विज्ञापन में कब्ज को दूर करने का प्रयास करते हैं। वह सभी से इसे एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखने और इसे हंसी में न उड़ाने की अपील करते हैं।
हिमरत्न ऑयल
राजू श्रीवास्तव ने आयुर्वेदिक ब्रैंड ‘हिमरत्न ऑयल’ के एक विज्ञापन में अभिनय किया। वह ‘सर जो तेरा चकराए...’ की धुन में तनाव-मुक्त मालिश वाले तेल का प्रचार एक क्रिएटिव जिंगल बजाते हुए करते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी प्रमुख हस्तियों ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की और इस दुख की घड़ी में प्रिय कॉमेडियन के परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की।
58 साल के रहे राजू श्रीवास्तव के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं।
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