‘DD News’ पर सुधीर चौधरी जल्द करेंगे ‘DECODE’

इस बारे में सुधीर चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर इसके बारे में खुद जानकारी दी है।

Last Modified:
Monday, 12 May, 2025
Sudhir Chaudhary..


जाने-माने पत्रकार सुधीर चौधरी जल्द ही डीडी न्यूज पर अपना कार्यक्रम ‘DECODE’ लेकर आ रहे हैं। इस बारे में सुधीर चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर इसके बारे में खुद जानकारी दी है।

सुधीर चौधरी का कहना है कि 'DECODE' शो के माध्यम से वह खबरों को डिकोड करने और उनके पीछे की सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करेंगे। इस शो में खबरों की गहराई से पड़ताल और विश्वसनीय विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

यह शो सोमवार से शुक्रवार तक रात 9 बजे प्राइम टाइम पर प्रसारित होगा।

अपनी पोस्ट में सुधीर चौधरी ने लिखा, 'खबरों की विश्वसनीयता और विश्लेषण चाहिए, जल्द DD News सुधीर चौधरी के साथ DECODE देखिए।' गौरतलब है कि हाल ही में सुधीर चौधरी ने दूरदर्शन न्यूज में कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर नई भूमिका संभाली है।

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Zee Kannada ने लॉन्च की नई ब्रैंड आइडेंटिटी

'जी कन्नड़' ने अपनी नई ब्रैंड पहचान और भावनात्मक संदेश ‘Sadaa Nimmondige Nimma Zee Kannada’ के साथ एक भावनात्मक कैंपेन लॉन्च किया है, जो कन्नड़ संस्कृति से उसके गहरे जुड़ाव को और मजबूत करता है।

Last Modified:
Wednesday, 11 June, 2025
ZeeKannada845

'जी कन्नड़' (Zee Kannada) ने अपनी नई ब्रैंड पहचान और भावनात्मक संदेश ‘Sadaa Nimmondige Nimma Zee Kannada’ (हमेशा आपके साथ, आपका Zee Kannada) के साथ एक भावनात्मक कैंपेन लॉन्च किया है, जो कन्नड़ संस्कृति से उसके गहरे जुड़ाव को और मजबूत करता है। चैनल ने इस कैंपेन के जरिए सामूहिकता, अपनापन और रोज़मर्रा की भावनात्मक सच्चाइयों का जश्न मनाया है।

इस कैंपेन की मूल भावना एक सरल लेकिन गहरे असर वाली कहावत में समाहित है- ‘Koodi Baalidare Swarga Sukha’ (मिलजुल कर जिएं तो स्वर्ग समान सुख)। यही विचार इस फिल्म के हर फ्रेम में महसूस होता है- साथ रहने से उम्मीद पैदा होती है, समर्थन बनता है और एकजुटता हमें हर चुनौती से पार पाने की ताकत देती है।

एक पिता, एक बेटी की शादी और पूरा गांव एक परिवार

ब्रैंड फिल्म की कहानी एक सेना में तैनात पिता के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे अपनी बेटी की शादी से ठीक पहले ड्यूटी पर बुला लिया जाता है। उनकी अनुपस्थिति में पूरा गांव एक परिवार की तरह खड़ा होता है, और हर छोटी-बड़ी जिम्मेदारी को निभाते हुए शादी को उसी उल्लास और अपनत्व से संपन्न कराता है। जब पिता शादी के दिन लौटते हैं और सबकुछ सुंदर तरीके से सजा-संवरा देखते हैं, तो उनकी पत्नी मुस्कराकर कहती हैं- “Ishtu dodda parivaara jothegidda mele yochisodu enide” (इतना बड़ा परिवार साथ हो तो चिंता की क्या बात?) यह सुनकर वह भावुक हो उठते हैं।

कन्नड़ संस्कृति की गहराई और खूबसूरती की झलक

मंड्या की पृष्ठभूमि में फिल्माई गई इस ब्रैंड फिल्म में पारंपरिक कन्नड़ शादी के रंग बिखेरे गए हैं- छप्परा, रंगोली डिजाइन, प्राचीन मंदिर और अर्शिना शास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विवाह संस्कार इसकी खूबसूरती बढ़ाते हैं। यह फिल्म न केवल एक कहानी है, बल्कि कर्नाटक के दर्शकों को यह अहसास भी कराती है कि ये उनकी अपनी ही भावनाओं, रिश्तों और संस्कारों का उत्सव है।

एक भारत, सात कहानियां

इस कैंपेन को 23वें Zee Cine Awards 2025 के प्रसारण के दौरान लॉन्च किया गया, जहां Zee के सभी सात भाषायी चैनलों पर एक साथ सात अलग-अलग कहानियों वाली फिल्में दिखाई गईं- हर एक अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक धड़कनों और सामाजिक सच्चाइयों से जुड़ी।

ZEE एंटरटेनमेंट के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर कार्तिक महादेव ने कहा, “आपका अपना ZEE’ एक ऐसा कैंपेन है जो यह दिखाता है कि भारत कैसे एक-दूसरे के लिए खड़ा होता है। यह हमारी सांस्कृतिक विविधता और भावनात्मक सच्चाइयों का प्रतिबिंब है। यह फिल्में ZEE को एक ऐसा साथी बनाती हैं, जिसे देखा नहीं, अपनाया जाता है।”

Zee Kannada के बिज़नेस हेड दीपक श्रीरामुलु ने कहा, 'Sadaa Nimmondige Nimma Zee Kannada' सिर्फ एक कैंपेन नहीं, बल्कि हर कन्नड़भाषी के दिल को छूने वाली एक भावना है। ‘Koodi Baalidare Swarga Sukha’ हमारे कर्नाटक की संस्कृति की असली आत्मा है, जिसे हम हर रोज जीते हैं और यही Zee Kannada की पहचान है। 

इस भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कैंपेन के जरिए Zee Kannada ने दर्शकों से अपने रिश्ते को और भी गहराई दी है- एक ऐसा रिश्ता, जो अब सिर्फ दर्शक और चैनल के बीच नहीं, बल्कि परिवार और अपनेपन का बन गया है।

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संकट में देश की केबल इंडस्ट्री: EY रिपोर्ट में खुलासा, 6 साल में गईं 5.77 लाख नौकरियां

Ernst & Young (EY) और ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने मिलकर पहली बार एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि केबल डिस्ट्रीब्यूशन बिज़नेस में आमदनी लगातार घट रही है

Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
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अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

भारत में केबल टीवी इंडस्ट्री गंभीर संकट से गुजर रही है। Ernst & Young (EY) और ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने मिलकर पहली बार इतने बड़े स्तर पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि केबल डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस में आमदनी लगातार घट रही है, ग्राहक कम हो रहे हैं, मुनाफा गिर रहा है और सबसे चिंताजनक बात ये है कि इस सेक्टर में बड़ी संख्या में नौकरियां जा रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोकल केबल ऑपरेटर्स (LCOs) से सर्वे किया गया, उनमें से 93% ने माना कि 2018 के मुकाबले उनकी मासिक कमाई घट गई है। वहीं, 79% LCOs ने कहा कि उनकी आय 20% से भी ज्यादा गिर गई है। यह सर्वे पूरे देश में 28,100 LCOs पर आधारित था, जो अपने आप में इस इंडस्ट्री पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा रिसर्च है।

इस रिपोर्ट का सबसे गंभीर पहलू यह है कि इसमें केबल डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े रोजगार में भारी गिरावट सामने आई है। AIDCF के प्रेजिडेंट और डेन नेटवर्क्स के सीईओ एस. एन. शर्मा ने बताया कि इस सेक्टर में करीब 5.77 लाख नौकरियां जा चुकी हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। उनके मुताबिक, इस सर्वे में शामिल 28,000 LCOs में काम करने वाले लोग 2018 में जहां 1.2 लाख थे, अब घटकर 80,000 रह गए हैं, यानी 31% की कमी आई है। यदि इसे पूरे देश के 1.6 लाख LCOs पर नजर डालें, तो करीब 1.95 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है।

केबल इंडस्ट्री में नौकरी छूटने की असली तस्वीर तब सामने आती है जब उन लोकल केबल ऑपरेटर्स (LCOs) को भी गिना जाता है जो पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। GTPL हैथवे के चेयरमैन अजय सिंह ने बताया कि पिछले छह वर्षों में AIDCF से जुड़े करीब 76,000 LCOs बंद हो गए हैं। यदि हर एक LCO में औसतन तीन लोग भी काम करते थे, तो इसका मतलब है कि लगभग 2.28 लाख और नौकरियां चली गईं।

इसके अलावा, जो LCOs AIDCF से नहीं जुड़े हैं और स्वतंत्र मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) हैं, उनमें से भी कई बाजार से बाहर हो चुके हैं, जिससे अनुमानित 1.5 लाख और लोगों की नौकरियां गई हैं। वहीं छोटे MSOs के बंद होने से यदि हर एक में औसतन पांच कर्मचारी मानें, तो लगभग 5,000 से 6,000 और रोजगार खत्म हो गए हैं।

AIDCF के प्रेजिडेंट एस.एन. शर्मा ने कहा कि ये आंकड़े सिर्फ अंदाजे नहीं हैं, बल्कि असली लोग और उनकी आजीविका हैं, जो देश के छोटे शहरों और कस्बों में प्रभावित हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस गिनती में उन नौकरियों को शामिल नहीं किया गया है जो कंपनियों के अंदर लागत कम करने के चलते गई हैं।

इस भारी गिरावट के पीछे दो बड़ी वजहें बताई गई हैं। पहली वजह 2019 में लागू किया गया नया रेगुलेटरी सिस्टम है, जिसने केबल ऑपरेटर्स से यह आजादी छीन ली कि वे अपने दर्शकों के लिए स्थानीय जरूरतों के हिसाब से चैनल पैकेज बना सकें। अब ब्रॉडकास्टर्स तय करते हैं कि किस पैकेज में क्या होगा, भले ही उपभोक्ता वह कंटेंट न देखना चाहता हो।

दूसरी बड़ी वजह है कीमतों और affordability की समस्या। शर्मा ने कहा कि केबल सेवा हमेशा एक बड़ी संख्या में आम लोगों को ध्यान में रखकर दी जाती थी यानी कम कीमत में ज्यादा कंटेंट। लेकिन पिछले छह सालों में कीमतें तेजी से बढ़ीं, और कई ऑपरेटर अपने ग्राहकों पर यह बोझ नहीं डाल पाए। नतीजतन, उन्होंने खुद ही लागत झेली, जिससे उनका मुनाफा घटा और कई को कारोबार बंद करना पड़ा।

केबल ऑपरेटर आज सिर्फ तकनीकी बदलाव से नहीं, बल्कि असमान नियमों के कारण सबसे अधिक परेशान हैं। ऑपरेटर्स का कहना है कि वे तकनीक से डरते नहीं—न DTH से, न OTT से। असली समस्या यह है कि नियम सबके लिए एक जैसे नहीं हैं। जबकि केबल कंपनियों को कीमतों, कंटेंट और विज्ञापन को लेकर कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है, OTT प्लेटफॉर्म इन नियमों से लगभग मुक्त हैं। इससे निष्पक्ष मुकाबले की जगह बाजार में असंतुलन पैदा हो गया है, जिसे ऑपरेटर 'कैनिबलाइजेशन' यानी एक तरह से खुद का ही खत्म किया जाना बता रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि पे-टीवी (वह टीवी सेवाएं जिनके लिए सब्सक्रिप्शन फीस ली जाती है) घरों की संख्या लगातार घट रही है- 2017 में जहां यह 15.2 करोड़ थी, 2025 तक यह घटकर 11.1 करोड़ रह गई है। यानी करीब 4 करोड़ घरों ने केबल या डीटीएच सब्सक्रिप्शन छोड़ दिया है, जो पूरे बाजार का 25-30% है। इसके उलट, उन घरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो टीवी नहीं देख रहे या केवल फ्री कंटेंट देख रहे हैं, जिन्हें “TV-dark homes” कहा जा रहा है। EY के आशीष फेरवानी ने कहा कि 14 करोड़ ऐसे घर अब भारत में हैं और यह एक गंभीर चिंता का विषय है।

सर्वे में यह भी सामने आया कि 28,000 लोकल केबल ऑपरेटर्स में से 10,000 से ज्यादा ने बताया कि उनके सब्सक्राइबर 2018 के बाद से 40% तक घट चुके हैं। कई लोगों ने बताया कि पहले जहां एक घर में दो या तीन टीवी के लिए केबल कनेक्शन होता था, अब लोग एक ही कनेक्शन रख रहे हैं। बाकी टीवी को ब्रॉडबैंड या स्मार्ट टीवी से जोड़ रहे हैं। साथ ही YouTube जैसे फ्री प्लेटफॉर्म या OTT की बेहतर स्टोरीटेलिंग की ओर लोगों की रुचि भी बढ़ी है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सिर्फ छोटे ऑपरेटर ही नहीं, बल्कि बड़े DTH और MSO (मल्टी सिस्टम ऑपरेटर) भी राजस्व और मुनाफे में गिरावट झेल रहे हैं। EY के फेरवानी ने कहा कि यह केवल ग्राहकों की संख्या का मसला नहीं है, बल्कि पूरी इंडस्ट्री की प्रणाली एक संकट में है।

EY और AIDCF की रिपोर्ट ने केबल इंडस्ट्री में जारी गिरावट को रोकने के लिए पांच बेहद जरूरी कदम सुझाए हैं। सबसे पहले, रिपोर्ट कहती है कि ब्रॉडकास्टर्स को पे-टीवी को फिर से आकर्षक बनाने के लिए कंटेंट और मार्केटिंग में दोबारा निवेश करना होगा। दूसरा, देशभर में पड़े लगभग 2 करोड़ बंद पड़े सेट टॉप बॉक्स को फिर से एक्टिव करने के लिए एक समन्वित प्रयास होना चाहिए, इसके लिए प्रोत्साहनों और साझेदारियों का सहारा लिया जा सकता है।

तीसरा, रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि सभी प्लेटफॉर्म्स, जैसे- केबल, DTH और OTT के लिए नियम बराबर होने चाहिए। कीमतें, विज्ञापन और कंटेंट से जुड़े नियम एक जैसे हों। EY के अशिष फेरवानी ने कहा, "एक ही कंटेंट यदि एक प्लेटफॉर्म पर फ्री में दिया जा रहा है और दूसरे पर बेचा जा रहा है, तो यह असंतुलन है।" इसीलिए समान मानकों की जरूरत है।

चौथा, रिपोर्ट कहती है कि कंटेंट रिलीज को लेकर एक रणनीति होनी चाहिए, जैसे- फिल्मों के लिए पहले थिएटर, फिर OTT का सिलसिला होता है, वैसे ही टीवी पर भी कंटेंट को कुछ समय तक एक्सक्लूसिव रखा जाना चाहिए, ताकि उसकी वैल्यू बनी रहे।

आखिर में, रिपोर्ट ने पाइरेसी को एक बड़े संकट के रूप में चिह्नित किया है। EY की एक दूसरी रिपोर्ट The Rob Report के मुताबिक भारत की मीडिया इंडस्ट्री को पाइरेसी से हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है- चाहे वह डिजिटल कंटेंट हो या पारंपरिक टीवी कंटेंट।

रिपोर्ट के निष्कर्ष में फेरवानी ने कहा, "यह रिपोर्ट सिर्फ गिरते राजस्व की बात नहीं कर रही, बल्कि एक पूरी इंडस्ट्री की बुनियाद हिल रही है, जो लाखों लोगों को रोजगार देती है। यदि हमने अभी मिलकर, ठोस और तेजी से कार्रवाई नहीं की, तो यह नुकसान स्थायी हो सकता है।"

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Z व कंटेंट स्टार्टअप Bullet में रणनीतिक साझेदारी, लॉन्च करेगा माइक्रो-ड्रामा ऐप

ZEE एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEE) ने कंटेंट और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप बुलेट (Bullet) के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है।

Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
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ZEE एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Z) ने कंटेंट और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप बुलेट (Bullet) के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। Bullet की स्थापना अनुभवी उद्यमी अजीम लालानी और सौरभ कुशवाह ने की है। यह भारत का पहला माइक्रो-ड्रामा ऐप है जो तेज रफ्तार, क्रिएटर-आधारित शॉर्ट-फॉर्म वीडियो कंटेंट पर केंद्रित है और खासतौर पर युवा दर्शकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

'Z' ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि Bullet में निवेश या हिस्सेदारी खरीद के माध्यम से यह साझेदारी की गई है, जो कंपनी की कंटेंट और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में ट्रांसफॉर्मेशन की रणनीति के अनुरूप है।

Bullet को ZEE5 के ईकोसिस्टम के भीतर लॉन्च किया जाएगा, जिससे इस ऐप को ZEE5 के व्यापक यूजर बेस का फायदा मिलेगा। यह प्लेटफॉर्म शॉर्ट बर्स्ट में बिंज-वॉचिंग के लिए तैयार की गई देसी कहानियों को ग्लोबल फ्लेवर के साथ पेश करेगा। ऐप को कई भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा और इसमें 'Z' की समृद्ध कंटेंट लाइब्रेरी का भरपूर उपयोग होगा।

Bullet की सबसे बड़ी ताकत इसके कंटेंट मॉडल में है। यह क्रिएटर-नेतृत्व वाले शॉर्ट वीडियो, गेमिफाइड एक्सपीरियंस, और AI-पावर्ड पर्सनलाइजेशन और प्राइसिंग के जरिए भारतीय शॉर्ट-फॉर्म एंटरटेनमेंट को पूरी तरह से नया आकार देगा। प्लेटफॉर्म मोबाइल-फर्स्ट यूजर्स के लिए तैयार किया गया है, जो तेज और इमर्सिव अनुभव की तलाश में रहते हैं। इसमें AI की मदद से कंटेंट की वैल्यू, प्रदर्शन और वितरण को मापने की प्रणाली शामिल होगी। साथ ही रिवॉर्ड-बेस्ड गेमिफिकेशन और क्रिएटर-जेनरेटेड कंटेंट पाइपलाइन से इंडिपेंडेंट क्रिएटर्स और स्टूडियो को कमाई और ग्रोथ के नए अवसर मिलेंगे।

'Z' के प्रवक्ता ने कहा, “डिजिटल ईकोसिस्टम के तेजी से बढ़ने के साथ हम ऐसे नए फॉर्मैट्स की तलाश में हैं जो स्केल ला सकें। Bullet के साथ हमारी साझेदारी भविष्य की डिजिटल रणनीति को मजबूती देने के साथ युवा दर्शकों से गहराई से जुड़ने का एक अहम जरिया बनेगी। माइक्रो-ड्रामा जैसे फॉर्मैट हमें शॉर्ट-फॉर्म स्टोरीटेलिंग के जरिए नई पीढ़ी से संवाद का सशक्त माध्यम उपलब्ध कराते हैं।”

Bullet को ZEE5 की टेक्नोलॉजी, कंटेंट एनालिटिक्स और बड़े यूजर बेस से सीधा लाभ मिलेगा। ZEE5 के पास यूजर बिहेवियर, कंटेंट परफॉर्मेंस और स्केलेबल टेक स्टैक की गहरी समझ है, जो Bullet को एक प्रभावी प्लेटफॉर्म बनाएगी।

Bullet के को-फाउंडर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अजीम लालानी ने कहा, “हमने पिछले दो दशकों में कई कंटेंट क्रांतियों को देखा है और अब एक और बड़े बदलाव का समय है। शॉर्ट फॉर्म कंटेंट की खपत में आई तेज बढ़ोतरी ने यह साफ कर दिया है कि दर्शक अब तेज, सटीक और भावनात्मक कहानियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। 'Z' की कंटेंट विरासत और Bullet के टेक फॉर्मैट मिलकर इस स्पेस को बदलने के लिए तैयार हैं।”

Bullet के को-फाउंडर और चीफ टेक्नोलॉजी व प्रोडक्ट ऑफिसर सौरभ कुशवाह ने कहा, “क्रिएटर्स, टेक्नोलॉजी और स्टोरीटेलिंग का मिलन डिजिटल एंटरटेनमेंट को नई दिशा दे रहा है। Bullet सिर्फ एंटरटेन नहीं करेगा, बल्कि नए टैलेंट को सशक्त भी करेगा। गेमिफाइड लेयर्स, AI-बेस्ड ऑपरेशंस और क्रिएटर-फर्स्ट इकोसिस्टम के साथ हम भारत में माइक्रो-ड्रामा का भविष्य गढ़ रहे हैं।”

यह साझेदारी 'Z' की डिजिटल कंटेंट के क्षेत्र में अगली पीढ़ी के स्टोरीटेलिंग फॉर्मैट्स को अपनाने की प्रतिबद्धता को और मजबूती देती है। 'Z' की जोखिम लेने की प्रवृत्ति और भारतीय कंटेंट बनाने की विरासत इसे माइक्रो-ड्रामा जैसी नई कैटेगरी को स्केलेबल रूप में लीड करने के लिए एकदम उपयुक्त बनाती है।

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BARC के बेसलाइन सर्वे पर 2018 में लगा था ब्रेक, आज भी इंतजार करती टीवी इंडस्ट्री

कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
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कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

भारत में टेलीविजन विज्ञापनदाता आज जिस मीडिया परिदृश्य में काम कर रहे हैं, उसमें उन्हें दर्शकों की जानकारी बहुत सीमित रूप में मिल रही है। इसकी बड़ी वजह यह है कि BARC (Broadcast Audience Research Council India)  की बेसलाइन स्टडी, जो यह बताने के लिए अहम होती है कि कितने टीवी घर हैं और दर्शक क्या देख रहे हैं। 2018 के बाद से यह अपडेट नहीं हुई है।

हालांकि यह स्टडी हर दो साल में होनी थी, लेकिन आखिरी बार Broadcast India (BI) Survey 2018 में हुआ था। 2021 में BARC ने "TV Universe Estimates 2020" ज़रूर जारी किए थे, लेकिन वो पुराने डेटा पर आधारित अनुमान थे, कोई नया सर्वे नहीं।

तब से अब तक कोई नया डेटा जारी नहीं हुआ है, जबकि इस दौरान Connected TV (CTV) का चलन बढ़ा है और डिजिटल कंटेंट की खपत, खासकर कोविड के बाद, बहुत तेजी से बदली है। ऐसे में पुराने डेटा के आधार पर काम करना अब मुश्किल होता जा रहा है।

इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोगों ने 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया कि BARC ने इस साल की शुरुआत में नया BI सर्वे शुरू किया था, जिसमें नई मार्केट रियलिटी को ध्यान में रखते हुए मेथडोलॉजी में बदलाव भी किए जा रहे थे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि ब्रॉडकास्टर्स जैसे स्टेकहोल्डर ग्रुप्स की चिंताओं की वजह से यह काम फिलहाल धीमा पड़ गया है।

इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF), जो टीवी और डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री का बड़ा प्रतिनिधि संगठन है, ने BARC के डेटा सर्वे से जुड़ी मौजूदा प्रक्रियाओं में बदलाव को लेकर आपत्ति जताई। इस वजह से दो एजेंसियों द्वारा शुरू की गई नई बेसलाइन स्टडी बीच में ही रोक दी गई।

एक विशेषज्ञ ने बताया कि कुछ ब्रॉडकास्टर्स इसलिए सतर्क हैं क्योंकि उन्हें डर है कि नई स्टडी में शहरी क्षेत्रों में टीवी की पहुंच में गिरावट (reach trends) सामने आ सकती है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है।

चूंकि कई सालों से नया डेटा नहीं आया है, इसलिए टीवी और डिजिटल मीडिया की तुलना को लेकर बहस बढ़ गई है। कई मीडिया प्लानर्स का मानना है कि जब तक कोई ठोस, थर्ड-पार्टी द्वारा वेरिफाइड डेटा नहीं होगा, टीवी विज्ञापन धीरे-धीरे सीमित हो सकते हैं, सिर्फ़ बड़े इम्पैक्ट वाले स्लॉट्स तक सीमित रह जाएंगे, और बाकी बजट डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर शिफ्ट हो सकता है क्योंकि वहां पर ज्यादा सटीक माप उपलब्ध है।

एक वरिष्ठ मीडिया एग्जिक्युटिव के मुताबिक, जब विज्ञापनदाताओं के पास ताज़ा और भरोसेमंद डेटा नहीं होता, तो वे अपने बजट को लेकर ज्यादा सतर्क हो जाते हैं या मीडिया हाउस से ज्यादा छूट की मांग करते हैं। यही ट्रेंड पहले भी देखा गया था जब Indian Readership Survey (IRS) का डेटा कई सालों तक नहीं आया।

2025 के Pitch Madison Annual Report (PMAR) के अनुसार, डिजिटल मीडिया अब भारत के कुल विज्ञापन बाजार में 50% से ज्यादा हिस्सा ले चुका है (₹49,250 करोड़), जबकि टीवी का हिस्सा 2022 के 34% से गिरकर 2024 में सिर्फ़ 30% से थोड़ा कम (₹34,500 करोड़) रह गया है। वहीं, TV पर 2023 में 11,127 विज्ञापनदाता थे, जो 2024 में घटकर 8,653 रह गए यानी करीब 23% की गिरावट। 

पिछले कुछ वर्षों में बड़े स्क्रीन पर कंटेंट देखने का अनुभव काफी बदल गया है। एक अग्रणी एफएमसीजी कंपनी के सीनियर मीडिया प्लानर के अनुसार अब बहुत-से घरों में पारंपरिक टेलीविजन के साथ-साथ कनेक्टेड प्लेटफॉर्म्स (जैसे स्मार्ट टीवी या ओटीटी डिवाइसेज) का मिश्रण देखने को मिल रहा है। ऐसे हाइब्रिड व्यूअरशिप वाले घरों की वजह से पहले के पुराने अनुमान अब आज की वास्तविकता को पूरी तरह नहीं दर्शाते। इसके अलावा पे-टीवी यानी सब्सक्रिप्शन वाले टीवी कनेक्शनों की संख्या में भी गिरावट आई है।

इस बदलाव का असर ब्रैंड्स के मीडिया प्लानिंग के तरीकों पर भी पड़ रहा है। एक ऑटोमोबाइल कंपनी के सीनियर मार्केटर ने बताया कि उनके आंतरिक अनुमानों के मुताबिक अब भारत में टीवी घरों की संख्या 22.5 करोड़ से ज्यादा है और इनमें से बड़ी संख्या में घर CTV (कनेक्टेड टीवी) सक्षम हैं। यह सीधे तौर पर इस बात को प्रभावित करता है कि कंपनियां अपने विज्ञापन बजट को किस तरह विभाजित करें।

कुछ ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि जो भी नया BI (ब्रॉडकास्ट इंडिया) सर्वे किया जाएगा, उसे भारत की 2011 की जनगणना पर ही आधारित करना होगा क्योंकि नई जनगणना की प्रक्रिया में देरी हुई है। लेकिन विज्ञापनदाताओं का मानना है कि डेटा मॉडल्स और आंकड़ों के अनुमान में बीच-बीच में कुछ अपडेट करके इस अंतर को पाटा जा सकता है।

एक प्रमुख कंज्यूमर टेक कंपनी के मीडिया प्रमुख ने कहा कि जनगणना संबंधी अड़चन को समझा जा सकता है, लेकिन इससे डेटा अपडेट की संभावनाओं को पूरी तरह रोकना जरूरी नहीं है। अगर टीवी की पहुंच नए क्षेत्रों या नए फॉर्मेट्स में बढ़ रही है, तो हमें ऐसे तरीके अपनाने होंगे जो इस बदलाव को माप सकें।

BARC इंडिया के सीईओ नकुल चोपड़ा ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और IBDF के चेयरमैन केविन वज ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी।

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इंडिया टुडे के ‘Democratic Newsroom’ ने प्राइम टाइम में जमाया दबदबा

BARC के यह आंकड़े मेगा सिटीज (बड़े शहरों) में रहने वाले 22 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष दर्शकों पर आधारित हैं, जो सोशियो-इकोनॉमिक वर्ग A और B में आते हैं।

Last Modified:
Friday, 06 June, 2025
Democratic Newsroom

देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था 'ब्रॉडकास्टर ऑडियंस रिसर्च काउंसिल' (BARC) की इस साल के 21वें हफ्ते की रेटिंग्स के अनुसार, ‘इंडिया टुडे’ (India Today) के प्रमुख प्राइम टाइम शो ‘डेमोक्रेटिक न्यूजरूम’ (Democratic Newsroom) ने रात 8 बजे और 9 बजे दोनों स्लॉट्स में नंबर-1 पोजिशन हासिल की है।

यह आंकड़े मेगा सिटीज (बड़े शहरों) में रहने वाले 22 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष दर्शकों पर आधारित हैं, जो सोशियो-इकोनॉमिक वर्ग A और B में आते हैं। सूत्रों के अनुसार, रात 8 बजे के स्लॉट में यह शो गौरव सावंत के नेतृत्व में प्रसारित होता है, जबकि 9 बजे का संस्करण राजदीप सरदेसाई द्वारा होस्ट किया जाता है।

दोनों टाइम स्लॉट में इस शो ने लगातार सबसे ज्यादा दर्शकों को जोड़ने का सिलसिला बनाए रखा है। BARC के व्यूअरशिप डेटा के आधार पर यह लीडरशिप दिखाती है कि इंडिया टुडे टीवी ने प्राइम-टाइम पर अंग्रेजी न्यूज चैनल्स के बीच एक मजबूत पकड़ बना ली है, खासकर सप्ताह के दिनों में।

इंडिया टुडे टीवी ने यह शो 23 सितंबर 2022 को लॉन्च किया था। इसका मकसद एक ऐसा मंच प्रदान करना था, जहां न्यूज एंकर्स एक ही मुद्दे पर बिना किसी रोकटोक के अलग-अलग दृष्टिकोण रख सकें। 

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'रूम नम्बर 420': भारत एक्सप्रेस पर देवनाथ का नया स्टिंग ऑपरेशन आज रात

'भारत एक्सप्रेस' के विशेष संवाददाता देवनाथ एक बार फिर अपने धारदार पत्रकारिता अंदाज में बड़े पर्दाफाश के साथ हाजिर हैं

Last Modified:
Friday, 06 June, 2025
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'भारत एक्सप्रेस' के विशेष संवाददाता देवनाथ एक बार फिर अपने धारदार पत्रकारिता अंदाज में बड़े पर्दाफाश के साथ हाजिर हैं। आज रात 9:30 बजे प्रसारित होने जा रहा है उनका नया स्टिंग ऑपरेशन– ‘रूम नम्बर 420’, जो न जो न केवल चौंकाने वाला है बल्कि एक पूरे शहर से जुड़े गहरे और गंदे खेल का भंडाफोड़ करता है।

भारत एक्सप्रेस पर शुरुआत से ही बेबाक और खोजपरक रिपोर्टिंग करने वाले देवनाथ ने इससे पहले ऑपरेशन सत्य, ऑपरेशन यमराज, ऑपरेशन रक्त रंजित, ऑपरेशन पाताल लोक और ऑपरेशन काला पानी जैसे स्टिंग्स के जरिए पत्रकारिता को नई धार दी है। हर एक स्टिंग ने न केवल दर्शकों को झकझोरा, बल्कि शासन-प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर किया।

अब ‘रूम नम्बर 420’ के जरिए देवनाथ और 'भारत एक्सप्रेस' एक बार फिर सच्चाई की उस परत को उधेड़ने जा रहे हैं, जो अब तक पर्दे के पीछे थी। यह स्टिंग ऑपरेशन एक नामी बिजनेसमैन के डर्टी गेम का खुलासा करता है, जिससे 34 लाख की आबादी वाला एक शहर गुमराह होता रहा।

चौंकाने वाली इस रिपोर्ट में रिसेप्शन से लेकर होटल रूम के अंदर तक की हर चालाकी, हर धोखा कैमरे में कैद है। इस बारे में बात करते हुए देवनाथ कहते हैं, “भारत एक्सप्रेस पर हमें पूरी स्वतंत्रता के साथ काम करने का मौका मिलता है। उपेंद्र राय सर के नेतृत्व में पत्रकारिता सिर्फ नौकरी नहीं, एक मिशन बन जाती है। ‘रूम नम्बर 420’ आपके होश उड़ा देगा।”

क्या है इस रूम का रहस्य? कौन हैं वो चेहरे जो अब तक छुपे रहे? और कैसे हुआ पूरे शहर के साथ छल? जानिए आज रात 9:30 बजे सिर्फ भारत एक्सप्रेस पर देवनाथ के विशेष स्टिंग ऑपरेशन ‘रूम नम्बर 420’ में।

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'डिकोड विद सुधीर चौधरी' ने मचाया धमाल, डीडी न्यूज की दर्शक संख्या में उल्लेखनीय उछाल

इस शो का प्रसारण प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार रात 9:00 बजे डीडी न्यूज पर किया जाता है। यह दर्शकों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहराई से, निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।

Last Modified:
Tuesday, 03 June, 2025
Sudhir Chaudhary Decode

देश के पब्लिक ब्रॉडकास्टर ‘डीडी न्यूज’ (DD News) ने अपने प्रमुख न्यूज कार्यक्रम 'डिकोड विद सुधीर चौधरी' (Decode with Sudhir Chaudhary) की सफल लॉन्चिंग के बाद व्युअरशिप यानी दर्शकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने न्यूज एंकर सुधीर चौधरी द्वारा होस्ट किया जाने वाला यह शो ‘डीडी न्यूज’ के प्राइम टाइम शेड्यूल का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है, जो एक व्यापक दर्शक वर्ग को आकर्षित कर रहा है।

पब्लिक ब्रॉडकास्टर के अनुसार, 'डिकोड विद सुधीर चौधरी' ने डीडी न्यूज पर न्यूज देखने के तौर-तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। कार्यक्रम की गहरी विश्लेषणात्मक शैली और प्रभावशाली चर्चाओं ने दर्शकों को काफी आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप पहले ही सप्ताह में टीआरपी (TRP) में ऐतिहासिक बढ़ोतरी देखी गई। इस शो की शानदार कहानी कहने की शैली ने व्युअरशिप में नया कीर्तिमान स्थापित किया, जिससे डीडी न्यूज का सोमवार से शुक्रवार रात 9 से 10 बजे का स्लॉट अभूतपूर्व लोकप्रियता पर पहुंच गया।

यह कार्यक्रम केवल टेलीविजन तक ही सीमित नहीं रहा। 'डिकोड' ने डीडी न्यूज के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी मई 2025 में शानदार प्रदर्शन किया। इसके पहले ही एपिसोड को अब तक लगभग 26 लाख (2.6 मिलियन) व्यूज मिले हैं, जो डीडी न्यूज की यूट्यूब के न्यूज जॉनर में एक नया रिकॉर्ड है।

इस शो की शुरुआत 15 मई 2025 को हुई थी और महीने के अंत तक इसने कुल 2.39 करोड़ (23.9 मिलियन) व्यूज हासिल किए, जो डीडी न्यूज के पूरे महीने के 4.92 करोड़ (49.2 मिलियन) व्यूज का लगभग 48.58% है। इसके साथ ही, 'डिकोड' ने 148 मिलियन इम्प्रेशन्स भी जनरेट किए, जो मई महीने में डीडी न्यूज के कुल 218 मिलियन इम्प्रेशन्स का लगभग 67.89% है। इतना ही नहीं, इसी अवधि में चैनल ने 4.53 लाख नए सब्सक्राइबर्स भी जोड़े।

यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि 'डिकोड' ने डीडी न्यूज के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यूज, इम्प्रेशन्स और ऑडियंस एंगेजमेंट में बड़ी भूमिका निभाई। बता दें कि इस शो का प्रसारण प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार रात 9:00 बजे सिर्फ डीडी न्यूज पर किया जाता है। यह कार्यक्रम दर्शकों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहराई से, निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।

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NDTV MPCG इमर्जिंग बिजनेस कॉन्क्लेव: रायपुर से उठी समावेशी विकास की बुलंद आवाज

इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की व्यावसायिक ऊर्जा को नई दिशा दी और इस राज्य की भूमिका को भारत के परिवर्तनशील परिदृश्य में एक उभरते केंद्र के रूप में रेखांकित किया।

Last Modified:
Tuesday, 03 June, 2025
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NDTV MPCG इमर्जिंग बिजनेस कॉन्क्लेव का रायपुर चैप्टर उद्यमियों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के दिग्गजों का एक प्रभावशाली संगम रहा, जिसने यह स्थापित किया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की आर्थिक दिशा तय करने वाले सबसे असरदार मंचों में NDTV MPCG अग्रणी है। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की व्यावसायिक ऊर्जा को नई दिशा दी और इस राज्य की भूमिका को भारत के परिवर्तनशील परिदृश्य में एक उभरते केंद्र के रूप में रेखांकित किया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि NDTV द्वारा आयोजित यह कॉन्क्लेव राज्य में निवेश बढ़ाकर विकास को रफ्तार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह कॉन्क्लेव NDTV MPCG की उस सीरीज का हिस्सा है, जो लगातार ऐसे मंच उपलब्ध करवा रही है जहां सरकार और उद्योग जगत के बीच सार्थक संवाद स्थापित होता है और ठोस बदलाव की नींव रखी जाती है।

मुख्य वक्ता के तौर पर अरुण साव ने कहा, “हम अब उस मोड़ पर आ चुके हैं जहां हमें यह तय करना है कि भविष्य का छत्तीसगढ़ कैसा दिखे। हमारी कोशिश यह है कि उद्योग किसी एक क्षेत्र में केंद्रित न हों, बल्कि पूरे राज्य में समान रूप से विकसित हों।”

उन्होंने छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति का उल्लेख करते हुए बताया, “हमने नीति निर्माण से पहले गहन तैयारी की। हमने क्षेत्र विशेष की क्षमताओं के आधार पर औद्योगिक ज़ोन विकसित किए हैं। खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें हम प्रभावशाली उद्योगों में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

उपमुख्यमंत्री ने व्यापार के लिए सुरक्षित और स्थिर वातावरण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यह स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे सटीक और निर्णायक आतंकरोधी कार्रवाइयों में से एक रही है, जो दुर्गम और संवेदनशील इलाके में अंजाम दी गई। इसका प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “नक्सलवाद की कमर तोड़ दी गई है। 2023 से सुरक्षा बलों की शहादतों में उल्लेखनीय कमी आई है। हमने उन्हें पूरी ताकत दी है कि वे इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाएं, क्योंकि बस्तर में असली विकास तभी संभव है जब वहां शांति हो।”

इस कॉन्क्लेव में डॉ. सीवी रमन यूनिवर्सिटी के डॉ. अरविंद तिवारी, अष्टविनायक रिएल्टीज के प्रकाश लोहाना, यूनिटी हॉस्पिटल के डॉ. अंकित ठक्कराल, बालको मेडिकल सेंटर के डॉ. दिवाकर पांडे और उद्योगपति सुनील रामदास अग्रवाल जैसे अनेक प्रमुख वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए।

इस आयोजन से एक बार फिर साबित हुआ है कि NDTV MPCG न केवल नीति-निर्माण में नवाचार का वाहक बना है, बल्कि उद्यमशीलता को भी बढ़ावा देता है और क्षेत्र के विकास के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। हर कॉन्क्लेव के साथ यह मंच सरकार, व्यापार और समाज के बीच सेतु बनता जा रहा है और भारत की प्रगति को नई दिशा देने में योगदान दे रहा है।

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‘भारत एक्सप्रेस’ ने बढ़ाए कदम, डीडी फ्री डिश पर भी दर्ज कराई मौजूदगी

‘भारत एक्सप्रेस’ के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि डीडी फ्री डिश पर हमारी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि हम गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता को हर भारतीय घर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Last Modified:
Tuesday, 03 June, 2025
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देश के प्रमुख राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल्स में शुमार ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) ने देश के हर कोने तक विश्वसनीय, तेज और निर्भीक पत्रकारिता पहुंचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए स्ट्रैटेजिक कदम उठाया है।इसके तहत चैनल ने देश के सबसे बड़े फ्री-टू-एयर डायरेक्ट-टू-होम (DTH) प्लेटफॉर्म डीडी फ्री डिश के चैनल नंबर 69 पर अपनी उपलब्धता की घोषणा की है।

इस नई उपलब्धता के साथ भारत एक्सप्रेस अब टाटा प्ले- 535, डिश टीवी-671, डी2एच-753, जियो टीवी– 495, एयरटेल डीटीएच– 327, डेन नेटवर्क– 315, फास्टवे– 308,  हैथवे– 214/212 और एनएक्सटी डिजिटल (इनकेबल)– 314/317 जैसे सभी प्रमुख डीटीएच और केबल नेटवर्क्स पर उपलब्ध हो गया है। इस तरह चैनल की उपस्थिति देश के प्रमुख हिंदी समाचार चैनलों के समकक्ष हो गई है। डीडी फ्री डिश पर जुड़ाव खासतौर से ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में चैनल की पहुंच को और मजबूत करेगा, जहां यह प्लेटफॉर्म अत्यधिक देखा जाता है।

इस बारे में ‘भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क’ के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने विस्तार से बताते हुए कहा, ‘डीडी फ्री डिश पर हमारी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि हम गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता को हर भारतीय घर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह विस्तार हमारे उस विज़न के अनुरूप है, जिसमें हम एक सच्चे मायनों में राष्ट्रीय आवाज़ बनने और विभिन्न क्षेत्रों व जनसमूहों तक पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं। डीडी फ्री डिश पर आने से भारत एक्सप्रेस की पहुंच हिंदी समाचार दर्शकों के बीच व्यापक होगी, जिससे हमारे विज्ञापनदाताओं को भी लाभ मिलेगा।’

इसके साथ ही उनका यह भी कहना था, ‘अपने आरंभ से ही भारत एक्सप्रेस निष्पक्ष और प्रभावशाली समाचार कवरेज को राष्ट्रीय हित में केंद्रित रखकर प्रस्तुत करता आया है। चैनल का लगातार विस्तृत होता वितरण नेटवर्क दर्शकों के बीच उसकी बढ़ती लोकप्रियता और विश्वास का प्रमाण है।’

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’NDTV’ से टीवी की दुनिया में जल्द वापसी कर सकती हैं मीनाक्षी कंडवाल

करीब दो साल पहले मीनाक्षी कंडवाल 'टाइम्स नाउ नवभारत' से विदाई लेकर अपना यूट्यूब चैनल ‘News Beatz’ शुरू किया था।

Last Modified:
Tuesday, 03 June, 2025
Meenakshi Kandwal

अनुभवी पत्रकार और जानी-मानी न्यूज एंकर मीनाक्षी कंडवाल के बारे में खबर है कि वह टीवी की दुनिया में जल्द वापसी करने जा रही हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के अनुसार, वह जल्द ही ‘एनडीटीवी’ (NDTV) की टीम में शामिल हो सकती हैं और उन्हें शाम के शो को होस्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है।

बता दें कि करीब दो साल पहले मीनाक्षी कंडवाल 'टाइम्स नाउ नवभारत' से विदाई लेकर अपना यूट्यूब चैनल ‘News Beatz’ शुरू किया था। इसी के साथ वह उस फेहरिस्त में शामिल हो गईं थीं, जिन्होंने संस्थान से अलग होकर अपना खुद का यू-ट्यूब चैनल खोला है।

टाइम्स नाउ नवभारत' में वह सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत थीं। ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ में वह ‘आजतक’ न्यूज चैनल से आयीं थीं, जहां वह बतौर डिप्टी एडिटर कार्यरत थीं। वह ‘आजतक’ पर सुबह 10-11 बजे की डिबेट होस्ट करती थीं। एंकरिंग का सौम्य लहजा, सुलझा व्यक्तित्व, मुद्दों की समझ, कुछ अलग करने का जुनून और अपनी मुस्कुराहट को खबरों में न खोने देना मीनाक्षी को बाकी एंकर्स की लीग से अलग करता है।

मीनाक्षी देश की पहली ऐसी न्यूज एंकर हैं, जिन्होंने स्टार न्यूज का बहुचर्चित टैलेंट हंट जीतकर टीवी न्यूज की दुनिया में इतिहास रचा। वर्ष 2010 में ‘स्टार एंकर हंट’ जीतकर मीनाक्षी ने ‘स्टार न्यूज’ (अब एबीपी न्यूज) से एंकरिंग करियर की शुरुआत की। फिर ‘इंडिया टीवी’ और 2015 में ‘आजतक’ जॉइन किया और फिर यहां से अलग होकर ‘टाइम्स नाउ नवभारत पहुंचीं थी और फिर करीब दो साल पहले यूट्यूब की दुनिया में कदम रखा था। 

बीते एक दशक में चुनावों से लेकर देश के सुदूर क्षेत्रों तक सम-सामयिक मुद्दों पर उनकी कवरेज ने जनता से लेकर सरकार तक का ध्यान आकर्षित किया। मीनाक्षी देश के चुनिंदा पत्रकारों में से एक हैं जिन्होंने पाकिस्तान से भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर के लिए रिपोर्टिंग की। भारत-चीन के बीच महाबलीपुरम द्विपक्षीय वार्ता, प्रयागराज कुंभ और नोटबंदी की रिपोर्ट काफी सराही गईं। नोटबंदी की टीम कवरेज के लिए मीनाक्षी ने प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड’ (enba) हासिल किया।  टीवी एंकरिंग और ग्राउंड रिपोर्टिंग के अलावा मीनाक्षी इंडिया टुडे मैगजीन के लिए भी आर्टिकल लिखती रही हैं।

मीनाक्षी दिल्ली में ही पैदा हुईं और पली-बढ़ीं लेकिन मूल रूप से उत्तराखंड से जुड़ी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के विवेकानंद कॉलेज से कॉमर्स ग्रेजुएट मीनाक्षी ने मॉस कम्युनिकेशन में एमए भी किया है। मीनाक्षी की लिखने-पढ़ने और सिनेमा देखने में काफी दिलचस्पी है।

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