लाइव टीवी शो में मंत्री ने बूट दिखाकर नवाज शरीफ पर निशाना साधा, जिसके बाद इस शर्मनाक हरकत को लेकर पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने कड़ा एक्शन लिया है।
पाकिस्तान के न्यूज चैनलों की अजीबोगरीब हरकतें अकसर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। इस बार इमराम खान के सरकार में जल संसाधन मंत्री फैसल वावदा का एक विडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक लाइव टीवी शो में फौजी बूट दिखाते नजर आ रहे हैं। इस लाइव टीवी शो में वावदा ने बूट दिखाकर पाक के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर निशाना साधा है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस शर्मनाक हरकत के वायरल होने के बाद पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने कड़ा एक्शन लिया है। पेमरा ने टेलिविजन टॉक शो व होस्ट को दो महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण के मुताबिक उनके खिलाफ एक्शन इसलिए लिया गया क्योंकि उन्होंने टीवी शो ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ में अनैतिक कार्यों के प्रदर्शन की अनुमति दी।
PEMRA Bans programme " OFF THE RECORD" on ARY News for 60 days. pic.twitter.com/TuknaIlzWn
— Report PEMRA (@reportpemra) January 15, 2020
वहीं, जवाब में काशिफ अब्बासी का कहना है कि पेमरा ने उन पर जो प्रतिबंध लगाया है, वह ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’, अनुच्छेद 19 के खिलाफ है।
Journalists strongly condemn PEMRA ban as it is ‘dictatorial’
— Kashif Abbasi (@Kashifabbasiary) October 28, 2019
And we will resist any move to gag Press, #mediacurbsNoMore pic.twitter.com/XCrrleFGgx
दरअसल हुआ यूं कि मंगलवार को पाकिस्तान के चैनल ‘एआरवाई न्यूज’ (ARY News) पर सीनियर एंकर काशिफ अब्बासी टॉक शो ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ को होस्ट कर रहे थे। यह शो पाकिस्तान में आर्मी एक्ट संशोधन कानून को लेकर था। इस कानून के जरिए पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ाया गया है।
इस शो के गेस्ट थे- संघीय जल संसाधन मंत्री फैसल वावदा, पीपीपी के वरिष्ठ नेता कमर जमान कैरा और पीएमएल-एन सीनेटर जावेद अब्बासी। टीवी शो में फैसल वावदा ने नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि बेशर्म लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। हालांकि इसके बाद तीनों नेताओं के बीच विवाद बढ़ा, तो फैसल वावदा ने फौजी जूता निकाल लिया और टेबल पर रखते हुए कहा, 'अपने चोर (नवाज शरीफ) को बचाने और देश से भगाने के लिए आप लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'आपने जो लेटकर, चूमकर बूट को इज्जत दी है। आप इस बूट के सामने भी सिर झुका सकते हैं और सम्मान दे सकते हैं।' उन्होंने कहा कि इस बूट से वे उनका स्वागत करते हैं।
बूट डेस्क पर रखे जाने से नाराज होकर अब्बासी और कायरा दोनों ने इसका विरोध किया और बाद में शो छोड़कर चले गए।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर हाल ही में नवाज शरीफ की लंदन के एक होटल में खाना खाते तस्वीर वायरल हुई थी, जबकि पाकिस्तान की कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार मामले में सजा सुनाने के बाद इलाज के लिए जमानत दी थी। इस मसले पर टीवी डिबेट में मंत्री ने कहा, 'आपकी चोरी पकड़ी गई तो आपके बेटे ने कहा कि हवाखोरी के लिए बाहर निकले थे। कोर्ट ने आपको इसकी इजाजत नहीं दी थी।
हालांकि इस घटना के बाद फैसल वावदा की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है।
Journalists strongly condemn PEMRA ban as it is ‘dictatorial’
— Kashif Abbasi (@Kashifabbasiary) October 28, 2019
And we will resist any move to gag Press, #mediacurbsNoMore pic.twitter.com/XCrrleFGgx
Shame #ptidisrespectarmy pic.twitter.com/jOPe6E0TP8
— Syed Tanzeel (@SyedTan61717640) January 14, 2020
Pakistan Tehreek-i-Insaf (#PTI) federal minister for water resources Faisal Vadwa, appeared on a #Pakistani television show with a military boot on the table. According to Vadwa, he was "showing his loyalty to the #PakistanArmy." pic.twitter.com/kHKiufHoOg
— JammuKashmir5 (@JammuKashmir5) January 15, 2020
What the hell is going with the most delicate people, the representatives of the nation and the members of the supreme body of Pakistan (parliament)? One swears every minute, second taking Koran in hand and another is placing military boot on table in a prime time live TV show.. pic.twitter.com/RhtA0AnuiB
— Aamer Hayat Bhandara (@AamerBhandara) January 14, 2020
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टीवी चैनल और केबल ऑपरेटर चेतावनी दे रहे हैं कि इन बदलावों से टीआरपी प्रणाली की विश्वसनीयता ही खतरे में पड़ सकती है।
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत सरकार जब टेलीविजन ऑडियंस मीजरमेंट का मार्केट कई एजेंसीज के लिए खोलने की तैयारी कर रही है, तब लंबे समय से चली आ रही नीतियों में बदलाव के सरकारी प्रस्ताव ने ब्रॉडकास्टिंग जगत में तीखे मतभेद पैदा कर दिए हैं।
सरकार यानी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) का मानना है कि यदि कुछ प्रतिबंधात्मक नियम हटा दिए जाएं तो इससे नए विचार, प्रतिस्पर्धा और वैश्विक विशेषज्ञता आएगी। लेकिन टीवी चैनल और केबल ऑपरेटर चेतावनी दे रहे हैं कि इन बदलावों से टीआरपी प्रणाली की विश्वसनीयता ही खतरे में पड़ सकती है।
2 जुलाई को मंत्रालय ने 2014 की “टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश” में संशोधन के मसौदे पर प्रतिक्रिया आमंत्रित की। बहस का मुख्य केंद्र दो धाराओं को हटाने का प्रस्ताव है- धारा 1.5, जो ब्रॉडकास्टिंग या ऐड में सीधे व्यावसायिक हित रखने वाले व्यक्तियों को रेटिंग एजेंसीज के बोर्ड में बैठने से रोकती है और धारा 1.7, जो ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स, ऐड एजेंसीज और मीजरमेंट कंपनियों के बीच ओनरशिप ओवरलैप को रोकती है। मंत्रालय ने हितधारकों से 2 सितंबर तक सुझाव मांगे थे।
इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) जैसे संगठन इन सुरक्षा उपायों को हटाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुधार आवश्यक हैं ताकि रेटिंग प्रणाली और मजबूत, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से अद्यतन बने, लेकिन हितों के टकराव से जुड़े नियमों को ढीला करना पारदर्शिता को कमजोर करेगा।
ब्रॉडकास्टर तर्क देते हैं कि दर्शक मीजरमेंट सिस्टम इंडस्ट्री (टीआरपी) की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए इसे इंडस्ट्री द्वारा संचालित और नॉट-फॉर-प्रॉफिट (not-for-profit) ही रहना चाहिए ताकि स्वतंत्रता बनी रहे। कुछ ब्रॉडकास्टर्स ने तो यहां तक सुझाव दिया कि प्रतियोगिता आयोग (CCI) को भी आवेदकों की जांच में शामिल किया जाए ताकि मार्केट संरचना परपक्षपात से मुक्त रहे।
कुछ ब्रॉडकास्टर्स ने तो यह भी सुझाव दिया है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को नए आवेदकों की जांच-परख (vetting) में भूमिका दी जाए, ताकि मार्केट की संरचना किसी पक्षपाती या हितसंपन्न स्वामित्व से प्रभावित या बिगड़ी न जाए।
ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने इन धाराओं को हटाने को “महत्वपूर्ण सुरक्षा कवचों को तोड़ना” बताया है। उसका कहना है कि यदि ब्रॉडकास्टर्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म या ऐडवर्टाइजर्स को मीजरमेंट कंपनियों में हिस्सेदारी या बोर्ड पर प्रभाव की अनुमति दी गई, तो “डेटा-आधारित एकाधिकार” बन सकते हैं और रेटिंग में हेरफेर का रास्ता खुल जाएगा।
AIDCF ने चेताया कि ऐसा प्रभाव सिर्फ विश्वास को ही खत्म नहीं करेगा बल्कि प्रतिस्पर्धा और ऐड प्रवाह को भी बिगाड़ देगा। समूह ने यह भी कहा कि यदि ओनरशिप और गवर्नेंस की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं तो अनिवार्य प्रकटीकरण ढांचे लागू करने होंगे, जैसे वित्तीय मार्केटों में होते हैं। उसके मुताबिक प्रस्तावित संशोधन इन सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के बजाय कमजोर कर रहे हैं।
फेडरेशन ने चेताया कि क्रॉस-होल्डिंग रोक हटाने से बड़ी टेक कंपनियां, डिवाइस निर्माता, वितरक और कंटेंट प्रदाता अलग-अलग मीजरमेंट मॉडल ला सकते हैं। इससे ऐडवर्टाइजर्स में भ्रम फैलेगा, उपभोक्ता विश्वास घटेगा और मार्केट की स्थिरता प्रभावित होगी।
इसके बजाय AIDCF ने सेट-टॉप बॉक्स से रिटर्न पाथ डेटा (RPD) अपनाने की सिफारिश की। बड़े और अधिक प्रतिनिधिक डेटा सेट से विश्वसनीयता बढ़ेगी, क्षेत्रीय विविधता बेहतर दर्ज होगी और छेड़छाड़ की गुंजाइश घटेगी। समूह ने सुझाव दिया कि भविष्य की रेटिंग एजेंसीज के लाइसेंसिंग शर्तों में RPD को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
TARAksh लॉयर्स एंड कंसल्टेंट्स के एसोसिएट पार्टनर विवेक तिवारी ने कहा कि क्रॉस-होल्डिंग पर रोक “सतही प्रावधान नहीं बल्कि संरचनात्मक सुरक्षा है जो दर्शक मीजरमेंट प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए जरूरी है।”
उनके अनुसार इसके तीन कानूनी असर होंगे:
हितों के टकराव की रोकथाम: यदि ब्रॉडकास्टर्स को रेटिंग एजेंसीज में हिस्सेदारी की अनुमति दी गई, तो हेरफेर का खतरा सैद्धांतिक से वास्तविक हो जाएगा।
विश्वसनीयता और मार्केट का विश्वास: रेटिंग्स पर हजारों करोड़ रुपये का ऐड खर्च, प्रोग्रामिंग फैसले और इन्वेस्टर्स की धारणा निर्भर करती है। प्रक्रिया से समझौता होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम या सेबी के तहत कार्रवाई हो सकती है।
नियामकीय तालमेल: जैसे क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज और ऑडिटरों में स्वतंत्रता अनिवार्य है, वैसे ही टीवी रेटिंग में भी होनी चाहिए। इसे कमजोर करना नियामकीय ढांचे को असंगत और चुनौतीपूर्ण बना देगा।
विवेक तिवारी ने चेताया कि यदि इन धाराओं को हटा दिया गया, तो पहले से रोकथाम करने वाली निगरानी कमजोर पड़ जाएगी और सिस्टम को बाद में जांच या व्हिसलब्लोअर पर निर्भर रहना पड़ेगा। इससे प्रतिस्पर्धा कानून के तहत मुकदमेबाजी बढ़ सकती है और ऐडवर्टाइजर्स या इन्वेस्टर्स के नुकसान की भरपाई के लिए कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
मंत्रालय का कहना है कि भारत का रेटिंग मार्केट लंबे समय से एकाधिकार में है, क्योंकि 2015 से सिर्फ बार्क (BARC) इंडिया ही लाइसेंस प्राप्त प्रदाता है। अधिकारियों को विश्वास है कि स्वामित्व और गवर्नेंस की पाबंदियां ढीली करने से नए घरेलू और वैश्विक खिलाड़ी आएंगे, जो टीवी, कनेक्टेड टीवी, मोबाइल और ओटीटी दर्शकों को साथ लेकर नई कार्यप्रणालियां लाएंगे।
वैश्विक स्तर पर भी इस क्षेत्र में हलचल है। अमेरिकी संस्था नीलसन हाल ही में बहु-एजेंसी प्रणाली के लिए मान्यता प्राप्त करने वाली पहली राष्ट्रीय टीवी रेटिंग प्रदाता बनी है। सूत्रों का कहना है कि नीलसन भारत में भी लाइसेंस लेने पर विचार कर सकती है।
लड़ाई की लकीर साफ है- सरकार प्रतिस्पर्धा और तकनीक लाने के लिए क्रॉस-होल्डिंग रोक को ढीला करना चाहती है, जबकि ब्रॉडकास्टर और वितरक इसे हितों के टकराव से बचाने वाली ढाल मानकर बनाए रखना चाहते हैं।
इस विवाद का नतीजा तय करेगा कि भारत का रेटिंग मार्केट अधिक खुला और प्रतिस्पर्धी बनेगा या अविश्वास की खाई और गहरी होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 'बिजनेस टुडे मल्टीवर्स' का नया चैप्टर लॉन्च किया और भारतीय व वैश्विक बाजारों पर रीयल-टाइम और भरोसेमंद जानकारी देने वाले दो खास मार्केट शो पेश किए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 'बिजनेस टुडे मल्टीवर्स' का नया चैप्टर लॉन्च किया और भारतीय व वैश्विक बाजारों पर रीयल-टाइम और भरोसेमंद जानकारी देने वाले दो खास मार्केट शो पेश किए। यह रणनीतिक विस्तार नेटवर्क की इस प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है कि दर्शकों को मल्टीप्लेटफॉर्म मीडिया यूनिवर्स में सही फैसले लेने के लिए सक्षम बनाया जाए।
'द मार्केट ओपनिंग' (सुबह 9:05 से 9:30 बजे) एक 25 मिनट का तेज शो होगा, जिसमें वॉल स्ट्रीट के रातभर के संकेत, एशियाई रुझान और शुरुआती दलाल स्ट्रीट की हलचल दिखाई जाएगी। इसमें ग्लोबल इंडेक्स, सेंसेक्स, निफ्टी और स्टॉक्स व सेक्टर से जुड़ी हलचलें संक्षेप में दी जाएंगी, ताकि बिजनेस डे की सही शुरुआत हो सके। वहीं 'मार्केट क्लोजिंग' (दोपहर 3:00 से 3:30 बजे) दिनभर के सेक्टोरल रुझानों, टॉप गेनर्स और लूजर्स, संस्थागत प्रवाह और मैक्रो ट्रिगर्स का पूरा सार पेश करेगा, जहां केवल आंकड़े ही नहीं, बल्कि उनका संदर्भ भी समझाया जाएगा।
ये दोनों कार्यक्रम बिजनेस टुडे मल्टीवर्स के मिशन को और आगे बढ़ाते हैं, जिसका मकसद है निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित बिजनेस पत्रकारिता पेश करना। कंपनी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ऐसे समय में जब निवेशकों, प्रोफेशनल्स और आम नागरिकों को साफ और समय पर वित्तीय जानकारी की जरूरत है, यह ओम्नीचैनल ब्रांड भरोसे के साथ वह खबरें प्रस्तुत करना चाहता है जो वास्तव में मायने रखती हैं।
लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए कल्लि पुरी, वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ ने कहा, “आज की कोलैब्स की दुनिया में हम दो पावरहाउस ब्रैंड्स- इंडिया टुडे टीवी और बिजनेस टुडे को साथ ला रहे हैं, क्योंकि लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत है साफ जानकारी की, जो विशेषज्ञता पर आधारित हो। यहीं पर बिजनेस टुडे का अनुभव और अधिकार अहम हो जाता है। यह 35 साल पुराना ब्रांड है, जो ईमानदारी और किसी भी औद्योगिक हित से स्वतंत्रता के आधार पर बना है, और यह आपके पैसे से जुड़ी हर बात में अनमोल साबित होता है। ये नए शो हमारे उस वादे को आगे बढ़ाते हैं कि हम दर्शकों को प्रिंट की गहराई, डिजिटल की तेजी, ब्रॉडकास्ट का असर और सोशल मीडिया की बातचीत- सब कुछ एक ही जगह देंगे, वह भी उस भरोसे के साथ जो सिर्फ बिजनेस टुडे और इंडिया टुडे टीवी दे सकते हैं।”
पूर्व में वह ‘समाचार प्लस’ (Samachar Plus), ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) और ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में प्रमुख पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) ने डॉ. मनीष शर्मा को ‘जी राजस्थान’ (Zee Rajasthan) का नया एडिटर नियुक्त किया है। वह जयपुर से अपना कामकाज संभालेंगे।
कंपनी के अनुसार, अपनी इस भूमिका में वह चैनल की एडिटोरियल टीम का नेतृत्व करेंगे और दर्शकों से जुड़ाव बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
डॉ. मनीष शर्मा को मीडिया इंडस्ट्री में विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर काम करने का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘समाचार प्लस’ (Samachar Plus), ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) और ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में प्रमुख पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
गौरतलब है कि कंपनी ने (जी राजस्थान और जी घंटा) के चैनल हेड आशीष दवे के खिलाफ विभिन्न आरोपों में एफआईआर दर्ज कराते हुए उन्हें अपने पद से हटा दिया है।
इसी क्रम में अगले आदेश तक (जी घंटा) की कमान अंतरिम तौर पर डिप्टी एडिटर के तौर पर कार्यरत प्यू रॉय को सौंपी गई है।
पत्रकारिता में आने से पहले वह रेडियो जॉकी भी रह चुके हैं। खेलों में भी उनकी खास पकड़ रही है और वह 100 मीटर दौड़ में स्टेट चैंपियन रह चुके हैं।
हिंदी टीवी पत्रकारिता के लोकप्रिय चेहरों में शुमार वरिष्ठ पत्रकार निशांत चतुर्वेदी का आज जन्मदिन है। वर्तमान में ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर की जिम्मेदारी संभाल रहे निशांत चतुर्वेदी को मीडिया जगत में ऐसे एंकर और पत्रकार के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने अपनी मेहनत और जुनून के दम पर दो दशकों से भी ज्यादा वक्त में खास पहचान बनाई है।
निशांत चतुर्वेदी ने मीडिया में अपना करियर जून 2000 में देश के पहले निजी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) से बतौर एंकर/रिपोर्टर किया था। वह इस चैनल के साथ दो साल तक जुड़े रहे। जून 2002 में उन्होंने द्विभाषी एंकर/कॉरेस्पॉन्डेंट के रूप में पब्लिक ब्रॉडकास्टर ‘डीडी न्यूज’ (DD NEWS) जॉइन कर लिया। यहां उनका कार्यकाल एक साल से ज्यादा समय तक चला।
इसके बाद दिसंबर 2003 में उन्होंने प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट और एंकर के रूप में ‘आजतक’ (AajTak) में अपनी पारी शुरू की। जनवरी 2005 में उन्होंने ‘आजतक’ में अपनी पारी को विराम दे दिया और स्पेशल करेसपॉन्डेंट और एंकर के तौर पर ‘सहारा न्यूज’ (Sahara News) जॉइन कर लिया। यहां वह तीन साल से अधिक समय तक कार्यरत रहे और फिर यहां से बाय बोलकर जुलाई 2008 में बतौर एडिटर (न्यूजरूम) और एंकर ‘वॉइस ऑफ इंडिया’ (Voice Of India) में शामिल हो गए।
इसके बाद अप्रैल 2009 से अप्रैल 2012 तक निशांत चतुर्वेदी एंकर/एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर के तौर पर ‘इंडिया टीवी’ (India TV) से जुड़े रहे। निशांत चतुर्वेदी ‘न्यूज24’ (News24) में भी अपनी पारी खेल चुके हैं। हालांकि, यहां उनका कार्यकाल छोटा ही रहा। इसके बाद निशांत चतुर्वेदी अगस्त 2012 से मार्च 2014 तक ‘न्यूज एक्सप्रेस’ (News Express) में चैनल हेड भी रहे हैं।
मार्च 2014 में निशांत चतुर्वेदी ने दोबारा ‘आजतक’ जॉइन कर लिया। यहां बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर/एंकर पांच साल से अधिक समय तक उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर यहां से अलविदा कहकर नवंबर 2019 में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के रूप में ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) में शामिल हो गए और तब से यहां अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
यहां उन्होंने न सिर्फ प्राइम टाइम फ्लैगशिप शो ‘फिक्र आपकी’ को डिजाइन और लॉन्च किया, बल्कि शाम चार बजे आने वाले शो ‘फुल एंड फाइनल’ की कमान भी संभालते हैं।
निशांत चतुर्वेदी की स्कूली पढ़ाई जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल और दिल्ली के द फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से कैपिटल मार्केट्स पर प्रोफेशनल कोर्स किया और ‘ऑल इंडिया रेडियो’ व बीबीसी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से न्यूज प्रेजेंटेशन और रिपोर्टिंग की बारीकियां सीखीं।
पत्रकारिता में आने से पहले वह रेडियो जॉकी भी रह चुके हैं। खेलों में भी उनकी खास पकड़ रही है और वह 100 मीटर दौड़ में स्टेट चैंपियन रह चुके हैं।
अपने लंबे करियर में निशांत कई दिग्गजों का इंटरव्यू कर चुके हैं। इनमें एरिक ट्रंप, डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक सलाहकार केलीनेन कॉनवे, अमेरिकी नेता सारा पॉलिन, शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार और रणबीर कपूर जैसे नाम शामिल हैं।
सोशल मीडिया पर भी उनकी मजबूत मौजूदगी है। ट्विटर पर उनके 3.09 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स, फेसबुक पर 1.78 लाख से अधिक फॉलोअर्स, इंस्टाग्राम पर 30 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 83 हजार से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से निशांत चतुर्वेदी को जन्मदिन की ढेरों बधाई औऱ शुभकामनाएं।
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन ने प्रसार भारती से अपील की है कि DD फ्री डिश प्लेटफॉर्म पर स्लॉट्स आवंटन के लिए अपनाई जाने वाली ई-नीलामी पद्धति में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाई जाए।
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने प्रसार भारती से अपील की है कि DD फ्री डिश प्लेटफॉर्म पर स्लॉट्स आवंटन के लिए अपनाई जाने वाली ई-नीलामी पद्धति में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाई जाए। सार्वजनिक प्रसारक की हालिया परामर्श प्रक्रिया में NBDA ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नया ढांचा “पारदर्शी, न्यायसंगत और मजबूत” होना चाहिए ताकि प्लेटफॉर्म को सशक्त बनाने के साथ-साथ उसके सार्वजनिक सेवा दायित्व को भी बनाए रखा जा सके।
NBDA ने अनुरोध किया कि प्रसार भारती नीलामी शुरू होने से पहले महत्वपूर्ण जानकारियां सार्वजनिक करे, जिनमें कुल उपलब्ध स्लॉट्स की संख्या, प्रत्येक राउंड से पहले शेष स्लॉट्स की संख्या, श्रेणीवार सभी आवेदकों की पूरी सूची और पात्र तथा अपात्र प्रतिभागियों की अंतिम सूची शामिल हो।
एसोसिएशन ने तर्क दिया कि सूचनात्मक समानता एक निष्पक्ष नीलामी प्रक्रिया के लिए आवश्यक है और इस तरह की जानकारी छिपाने से असमान अवसर और अटकलों पर आधारित बोली लगती है।
इंडस्ट्री निकाय ने आगे प्रक्रियात्मक निष्पक्षता की भी मांग की और जोर दिया कि सभी स्क्रीनिंग और पात्रता जांच पहले ही पूरी कर ली जानी चाहिए और नीलामी शुरू होने के बाद किसी भी आवेदक को अपात्र घोषित नहीं किया जाना चाहिए। NBDA की एक प्रमुख मांग यह भी रही कि न्यूज व करेंट अफेयर्स चैनल्स के लिए अधिक स्लॉट्स उपलब्ध कराए जाएं।
एसोसिएशन ने न्यूज जॉनर (news genre) के लिए कम से कम 14 MPEG-2 स्लॉट्स की मांग की है, यह बताते हुए कि हाल के वर्षों में DD फ्री डिश पर आमतौर पर केवल 12–13 चैनल ही उपलब्ध रहे हैं। NBDA ने कहा, “न्यूज चैनल एक जागरूक नागरिकता और जीवंत लोकतंत्र के लिए बुनियादी हैं। उन्हें केवल वाणिज्यिक इकाइयों की तरह ऊंचे रिजर्व प्राइज के साथ देखना उनके महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा योगदान की अनदेखी है।” एसोसिएशन ने यह भी कहा कि बकेट C (न्यूज एंड करंट अफेयर्स) के लिए मौजूदा 7 करोड़ रुपये का रिजर्व प्राइस अस्थिर है।
NBDA ने न्यूज प्रसारण उद्योग के सामने मौजूद वित्तीय दबावों को भी रेखांकित किया, जिसमें बढ़ती मानव संसाधन, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन लागत के साथ-साथ घटती विज्ञापन आय शामिल है। उसने चेतावनी दी कि ऊंची नीलामी बोलियां न केवल ब्रॉडकास्टर्स पर और बोझ डालती हैं बल्कि निजी डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स पर कैरिज फीस को भी विकृत करती हैं, क्योंकि फ्री डिश की कीमतें बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल होती हैं।
अन्य उपायों में, NBDA ने सुझाव दिया कि प्रसार भारती DD फ्री डिश की वास्तविक बाजार पैठ और दर्शक संख्या को मापने के लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन कराए; नए ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम जोड़कर MPEG-2 चैनल क्षमता बढ़ाए; और 25 से अधिक अनुपयोगी MPEG-4 स्लॉट्स को तुरंत मांग पूरी करने के लिए MPEG-2 में परिवर्तित करे।
एसोसिएशन ने चैनल्स को जॉनर (genre) और भाषा के आधार पर समूहबद्ध करने की सिफारिश भी की है, ताकि न्यूज चैनल्स के लिए एक अलग क्लस्टर बने और दर्शकों की पहुंच आसान हो सके।
NBDA ने प्रसार भारती से अनुरोध किया कि संशोधित ड्राफ्ट ई-नीलामी नीति को व्याख्यात्मक ज्ञापन (explanatory memorandum) सहित प्रकाशित किया जाए और अंतिम ढांचे को तय करने से पहले प्रस्तावित बदलावों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई जाए।
NBDA ने कहा, “प्रसार भारती को अपनी नीलामी उद्देश्यों को अपने मुख्य सार्वजनिक सेवा दर्शन के साथ संरेखित करना चाहिए, जिसमें केवल राजस्व पर ध्यान देने के बजाय न्यूज प्रसारण और जनता के सूचना के अधिकार को प्राथमिकता दी जाए।” एसोसिएशन ने कहा कि एक अधिक निष्पक्ष और समावेशी ढांचा अंततः जनहित की ही सेवा करेगा।
शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने अपने नए हिंदी मूवी चैनल ‘शेमारू जोश’ के लॉन्च कर दिया है।
शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने अपने नए हिंदी मूवी चैनल ‘शेमारू जोश’ के लॉन्च कर दिया है। अब 'चुम्बक टीवी' नई पहचान के साथ ‘शेमारू जोश’ बन गया है।
शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड के सीईओ हीरन गडा ने कहा, “शेमारू भारत की सिनेमाई यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहा है, जिसने बॉलीवुड की सबसे बड़ी लाइब्रेरी और विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर अपनी मौजूदगी के माध्यम से करोड़ों दर्शकों का मनोरंजन किया है। ‘शेमारू जोश’ इस विरासत का स्वाभाविक विस्तार है, जो भारतीय दर्शकों की गहरी समझ, उनके बदलते स्वाद और फिल्मों के प्रति उनके अटूट प्यार को दर्शाता है। शेमारू जोश के साथ हम नई ऊर्जा और उस पर गहरी फोकस लेकर आ रहे हैं जो आम दर्शकों को उत्साहित करता है, और हर दिन भारत का मनोरंजन करने की अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत बना रहे हैं।”
शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड में ब्रॉडकास्टिंग बिजनेस के सीओओ संदीप गुप्ता ने कहा, “शेमारू जोश भारत की सबसे लोकप्रिय टेलीविजन शैलियों में से एक मूवीज में हमारी रणनीतिक एंट्री को दर्शाता है। अनगिनत विकल्पों की दुनिया में परिवार के साथ टीवी पर ब्लॉकबस्टर फिल्म देखने का आनंद अद्वितीय है। ‘शेमारू जोश’ हमारी उस कालातीत आदत को समर्पित है, जिसे एक ताज़ा, हाई-एनर्जी चैनल के जरिए जीवंत किया गया है, जो हर फिल्म को एक इवेंट में बदल देता है। हमने अपने जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों के साथ मजबूत ब्रॉडकास्ट उपस्थिति स्थापित की है, और यह लॉन्च हमारी बड़ी मिशन को दर्शाता है- स्केल के साथ बढ़ना, प्रासंगिकता के साथ जुड़ना और शेमारू की विरासत के केंद्र में सिनेमा को बनाए रखना।”
‘शेमारू जोश’ डीडी फ्री डिश के साथ सभी डीटीएच प्लेटफॉर्म्स और केबल नेटवर्क्स पर उपलब्ध होगा।
न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के निदेशक मंडल ने 2 सितंबर 2025 को हुई बैठक में 400 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के निदेशक मंडल ने 2 सितंबर 2025 को हुई बैठक में 400 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह पूंजी कंपनी अपने पात्र शेयरधारकों को राइट्स इश्यू के माध्यम से जुटाएगी।
कंपनी ने यह भी जानकारी दी है कि 8 सितंबर 2025, सोमवार को बोर्ड की एक और बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में राइट्स इश्यू से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा और निर्णय लिया जाएगा। इसमें राइट्स इश्यू का प्राइस, भुगतान तंत्र, अधिकार अनुपात, रिकॉर्ड डेट और इश्यू की समयसीमा जैसे विषय शामिल होंगे। यह प्रक्रिया स्टॉक एक्सचेंजों और नियामक प्राधिकरणों से अनुमोदन मिलने के अधीन होगी।
यह कदम कंपनी की बैलेंस शीट को मजबूत करने और वित्तीय लचीलापन बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। जुटाई गई राशि का उपयोग कंपनी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के विस्तार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने, ब्रैंड निर्माण में निवेश, नए बौद्धिक संपदा के विकास, कर्ज घटाने और अन्य सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।
एनडीटीवी अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में विश्वसनीय पत्रकारिता की परंपरा के साथ न्यूज कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए जानी जाती है। कंपनी का फोकस डिजिटल-फर्स्ट ग्रोथ पर है, जिसमें ब्रैंडेड कंटेंट, डेटा-आधारित विज्ञापन और वैश्विक प्लेटफॉर्म्स के साथ साझेदारी शामिल है। इसके अलावा, कंपनी क्षेत्रीय भाषा की खबरें, अंतरराष्ट्रीय प्रसारण (NDTV World) और लाइव इवेंट्स में भी अवसर तलाश रही है।
एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा, “यह राइट्स इश्यू एनडीटीवी को मजबूत बनाने और कंपनी को विकास के अगले चरण के लिए तैयार करने की दिशा में निर्णायक कदम है। जुटाए गए संसाधनों से हम अपनी पहुंच का विस्तार करेंगे और अपने प्रभाव को गहरा करेंगे, जबकि उस पत्रकारिता के मूल्यों पर अडिग रहेंगे, जिसके लिए एनडीटीवी हमेशा खड़ा रहा है- विश्वसनीय, भरोसेमंद और निष्पक्ष। यह निवेश हमें विकास के नए क्षेत्रों का पता लगाने में भी मदद करेगा, खासकर डिजिटल दुनिया जहां हमारे लिए नए अवसर और नए दर्शक मौजूद हैं। हमारा विज़न है एक मजबूत, भविष्य-तैयार एनडीटीवी का निर्माण करना, जो नए भारत की आकांक्षाओं को दर्शाए।”
एनडीटीवी ने विक्रम ओझा की एनडीटीवी प्रॉफिट में कंसल्टिंग एंकर के रूप में नियुक्ति की घोषणा की है, जिससे चैनल के संपादकीय विस्तार को और मजबूती मिलेगी
एनडीटीवी ने विक्रम ओझा की एनडीटीवी प्रॉफिट में कंसल्टिंग एंकर के रूप में नियुक्ति की घोषणा की है, जिससे चैनल के संपादकीय विस्तार को और मजबूती मिलेगी क्योंकि यह एक बदलते भारत के लिए बिजनेस न्यूज को नए सिरे से गढ़ रहा है।
बिजनेस पत्रकारिता के दिग्गज विक्रम ओझा अपने साथ दो दशकों से अधिक का अनुभव लेकर आए हैं। उन्होंने देश के प्रमुख नेटवर्क्स जैसे ईटी नाउ, बीटीवीआई, ब्लूमबर्ग टीवी इंडिया और टाइम्स नाउ में काम किया है। अपने विशिष्ट करियर के दौरान उन्होंने टेलीविजन मीडिया के पूरे दायरे में काम किया है- एंकरिंग, संपादकीय नेतृत्व, रणनीतिक दिशा, क्रिएटिव प्रोग्रामिंग, मोनेटाइजेशन, प्रोडक्शन और स्पेशल प्रोजेक्ट्स। पत्रकारिता की कठोरता को कंटेंट इनोवेशन के साथ सहजता से जोड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें वित्तीय समाचार जगत में एक भरोसेमंद नाम बना दिया है।
विक्रम ने प्राइमटाइम शोज का नेतृत्व किया है, लंबी अवधि के फीचर्स तैयार किए हैं और बाजार को परिभाषित करने वाले विकास और नीतिगत संवादों की कवरेज का नेतृत्व किया है।
विक्रम ओझा की बहुआयामी विशेषज्ञता, सार्थक संवादों को डिजाइन करने, प्रभावशाली स्पेशल्स की कल्पना करने और फॉर्मैट्स को नए रूप में प्रस्तुत करने की क्षमता, एनडीटीवी प्रॉफिट के उस प्रयास में महत्वपूर्ण होगी, जिसके तहत वह उन कहानियों को प्रस्तुत करेगा जो भारत की आर्थिक दिशा और वैश्विक परिदृश्य में उसकी बढ़ती भूमिका को आकार दे रही हैं।
जैसे-जैसे एनडीटीवी प्रॉफिट अपने विकास के अगले चरण की ओर बढ़ रहा है, वह ऐसे प्रोफेशनल को शामिल कर रहा है जो ईमानदारी, बौद्धिकता और कल्पनाशीलता का प्रतीक हैं। विक्रम ओझा का जुड़ना चैनल की इस प्रतिबद्धता की पुनर्पुष्टि है कि वह भारत की अभूतपूर्व आर्थिक यात्रा की आवाज बनेगा - अधिकारपूर्ण ढंग से प्रस्तुत, बुद्धिमत्ता के साथ गढ़ा हुआ और नए भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप।
इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने कहा है कि वे रेटिंग सिस्टम को मजबूत बनाने वाले सुधारों के लिए तैयार हैं
हितों के टकराव और विश्वसनीयता पर संभावित खतरे की आशंका जताते हुए ब्रॉडकास्टर्स ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें टीवी रेटिंग एजेंसीज के लिए क्रॉस-होल्डिंग प्रतिबंधों को हटाने की बात कही गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने कहा है कि वे रेटिंग सिस्टम को मजबूत बनाने वाले सुधारों के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कड़े हित-संघर्ष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया।
दोनों संस्थाएं मंत्रालय को अपनी प्रतिक्रियाएं अंतिम रूप दे रही हैं। ये प्रतिक्रियाएं मंत्रालय की ओर से 2 जुलाई को जारी उस आमंत्रण पर आधारित हैं जिसमें 2014 की "टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश" में प्रस्तावित बदलावों पर हितधारकों से राय मांगी गई थी।
विवाद का मुख्य बिंदु मंत्रालय की मौजूदा नियमों की धाराएं 1.5 और 1.7 को हटाने की योजना है। इन धाराओं के तहत, रेटिंग एजेंसीज के बोर्ड सदस्य ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स या ऐड एजेंसीज से जुड़े नहीं हो सकते। ये धाराएं रेटिंग एजेंसीज और ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स या ऐड एजेंसीज के बीच ओवरलैपिंग स्वामित्व को भी रोकती हैं। ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि इन्हें हटाने से निष्पक्षता प्रभावित होगी।
उद्योग के कुछ खिलाड़ियों ने यह सुझाव भी दिया है कि आवेदकों की जाँच के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि बाजार संरचना का आकलन करने में उसकी विशेषज्ञता है। उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि रेटिंग एजेंसीज के लिए पात्रता मानदंड में CCI की मंजूरी को अनिवार्य बनाया जाए।
हालाँकि सरकार के मसौदा संशोधनों में इन प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव है, ब्रॉडकास्टर्स का मानना है कि भारत में किसी भी दर्शक मापने वाली संस्था को उद्योग-नेतृत्व वाली और गैर-लाभकारी इकाई ही रहना चाहिए ताकि स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनी रहे।
मंत्रालय ने 2 जुलाई को नीति में प्रस्तावित संशोधनों पर हितधारकों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी थीं।
भारत की मौजूदा टीवी रेटिंग व्यवस्था न केवल तकनीकी खामियों से जूझ रही है, बल्कि इसमें संरचनात्मक बाधाएं भी हैं। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के एकाधिकार की रक्षा 2014 के "टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश" की प्रतिबंधात्मक धाराओं के जरिए की गई थी, जिसने नए खिलाड़ियों की एंट्री को सीमित कर दिया था।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने जुलाई 2025 में जो मसौदा संशोधन जारी किया है, उसका उद्देश्य मौजूदा टीवी रेटिंग व्यवस्था की खामियों को दूर करना है। इसके तहत:
धारा 1.4 में ढील दी जाएगी, ताकि एजेंसीज को संचालन में अधिक लचीलापन मिले, लेकिन हितों का टकराव न हो।
धाराएं 1.5 और 1.7 हटाई जाएंगी, जो अब तक नए प्लेयर्स को इस क्षेत्र में आने से रोक रही थीं।
एक से अधिक एजेंसियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा, ताकि इनोवेशन और कम्पटीशन बढ़ सके।
रेटिंग कवरेज का दायरा बढ़ाया जाएगा, जिसमें CTV (कनेक्टेड टीवी), मोबाइल और OTT प्लेटफॉर्म भी शामिल होंगे।
ज्यादा हितधारकों को निवेश की अनुमति दी जाएगी, जिसमें ब्रॉडकास्टर और ऐडवर्टाइजर भी शामिल होंगे, लेकिन यह सब सरकारी नियमन और निगरानी के दायरे में होगा।
इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन ने प्रसार भारती से अपील की है कि वह अपने फ्री डायरेक्ट-टू-होम सर्विस 'डीडी फ्री डिश' पर स्लॉट की नीलामी के लिए अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित प्रणाली अपनाए।
इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF), जो देश के प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है, ने प्रसार भारती से अपील की है कि वह अपने फ्री डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सर्विस 'डीडी फ्री डिश' पर स्लॉट की नीलामी के लिए अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित प्रणाली अपनाए।
निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की कमी पर चिंता जताते हुए, IBDF ने 25 जुलाई को नीलामी पद्धति पर हुई परामर्श प्रक्रिया के जवाब में पब्लिक ब्रॉडकास्टर से कहा कि मौजूदा प्रक्रिया अनिश्चितता पैदा करती है, जिससे कारोबारी फैसले जटिल हो जाते हैं।
संस्थान ने सुझाव दिया है कि हर नीलामी से पहले प्रसार भारती को प्रमुख विवरण साझा करने चाहिए, जैसे- कुल कितने स्लॉट उपलब्ध होंगे, हर दौर के बाद कितने बेचने से बचे रह गए और आवेदकों की बकेट-वाइज सूची के साथ पात्र व अपात्र प्रतिभागियों की अंतिम सूची।
IBDF के अनुसार, नीलामी के दौरान मध्यावधि में अस्वीकृतियां समाप्त करना बेहद जरूरी है क्योंकि ऐसे फैसले प्रक्रिया की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं। इसके बजाय, सभी पात्रता जांच पहले ही पूरी कर ली जानी चाहिए।
डीडी फ्री डिश, जो 2024 तक लगभग 4.9 करोड़ घरों तक पहुंचता है, स्लॉट नीलामियों से हर साल 600 करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित करता है।
IBDF ने जोर देकर कहा कि आवश्यक जानकारी तक समान पहुंच सुनिश्चित करना निष्पक्ष माहौल के लिए महत्वपूर्ण है। संस्था का कहना है कि स्पष्ट खुलासे ब्रॉडकास्टर्स को बेहतर जानकारी-आधारित बोली लगाने में सक्षम बनाएंगे और वास्तविक प्रतिस्पर्धी माहौल को बढ़ावा देंगे।
नीलामी सुधारों के साथ-साथ IBDF ने प्लेटफॉर्म के संचालन में संरचनात्मक चिंताओं को भी उजागर किया। इसने प्रसार भारती से अपील की कि वह डीडी फ्री डिश की वास्तविक दर्शक संख्या का स्वतंत्र और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए। संस्था ने कहा कि विश्वसनीय डेटा मिलने से ब्रॉडकास्टर्स और विज्ञापनदाताओं को रणनीतिक और निवेश संबंधी फैसलों में अधिक स्पष्टता मिलेगी।
स्लॉट उपलब्धता पर दबाव कम करने के लिए IBDF ने आगे सुझाव दिया कि 25 से अधिक अनुपयोगी MPEG-4 स्लॉट को MPEG-2 में बदला जाए, जिसे सभी सेट-टॉप बॉक्स सपोर्ट करते हैं। इसके अलावा, इसने यह भी सिफारिश की कि नई ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम बनाई जाएं ताकि MPEG-4 तकनीक व्यापक रूप से अपनाए जाने तक क्षमता को बढ़ाया जा सके।