अयोध्या फैसले को लेकर कन्नड़ के न्यूज चैनल द्वारा की गई कवरेज बनी है चर्चा का विषय
अयोध्या मामले में कन्नड़ के एक न्यूज चैनल द्वारा की गई कवरेज इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, यहां के न्यूज चैनल ‘पब्लिक टीवी’ ने न सिर्फ इस पूरे मामले को कवर किया, बल्कि एंकरिंग के दौरान चैनल के प्रमुख श्री रंगनाथ ने स्टूडियो में फुटवियर का इस्तेमाल भी नहीं किया।
एंकर के इस अंदाज की लोग काफी सराहना कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने ट्विटर पर श्री रंगनाथ की फोटो शेयर की है। अपने ट्वीट में संतोष का कहना था, ‘देश के लोगों की भावनाएं प्रभु श्रीरामचंद्र से जुड़ी हुई हैं।’
He is Sri Ranganath , Chief of Public TV , a Kannada news channel .. He presents the news of #AYODHYAVERDICT without wearing footwear.. That’s the emotion this country & emotion attaches to Prabhu Sri Ramachandra ... pic.twitter.com/JmeqHWXuEV
— B L Santhosh (@blsanthosh) November 10, 2019
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लगभग हर ट्वीट पर सुधीर चौधरी एक इमोशनल कमेंट के साथ रिट्वीट कर रहे हैं, अपने शो डीएनए में उठाया था मुद्दा
अगर आप सुधीर चौधरी की ट्विटर टाइम लाइन पर जाएंगे तो पाएंगे तमाम लोग उन्हें अपने मम्मी-पापा के साथ सेल्फी खींचकर भेज रहे हैं और लगभग हर ट्वीट पर सुधीर चौधरी एक इमोशनल कमेंट के साथ रिट्वीट कर रहे हैं। इसी के साथ ट्विटर पर एक हैशटैग ट्रेंड हो रहा है, सेल्फी विद मम्मी पापा (#SelfieWithMummyPapa) तो हमने पूरा माजरा समझने की कोशिश की।
पता चला कि पूरे देश की मीडिया जब 13 दिसंबर को सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर डिस्कशन करने में जुटी थी, तो ऐसे में सुधीर चौधरी ने अपने स्पेशल शो ‘डीएनए’ में इन विरोध प्रदर्शनों के अलावा एक इमोशनल इश्यू भी उठाया। सुधीर चौधरी का यह मुद्दा देश के सीनियर सिटीजंस से जुड़ा है। दरअसल, सरकार वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल से जुड़े बिल में एक संशोधन का प्रस्ताव लेकर आई है यानी अमेंडमेंट बिल लेकर आई है।
मेंटिनेस एंड वेलफेयर आफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटीजंस अमेंडमेंट बिल 2019 में सरकार ने ये प्रावधान किए हैं कि मां-बाप की देखभाल के लिए केवल बेटा या बेटी ही जिम्मेदार नहीं होंगे, बल्कि बेटे की पत्नी यानी उनकी बहू, बेटी का पति यानी उनका दामाद और और नाती-पोते भी जिम्मेदार होंगे। इसके लिए बाकायदा सख्त बाध्यकारी प्रावधान इस बिल में रखे गए हैं।
सुधीर चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में ढेर सारी रिसर्च और इमोशनल प्रेजेंटेशन के साथ इस मुद्दे को दिखाया। उसके बाद उन्होंने ‘डीएनए’ देख रहे दर्शकों से कहा कि जो लोग अपने पैरेंट्स से दूर रहते हैं, वे उनको फोन कर उनसे अपने मन की बात करें। इस मौके पर उन्होंने देश की यंग जेनरेशन जो खूब सेल्फी पोस्ट करती रहती है, से अपने मम्मी-पापा के साथ तस्वीरें ट्विटर पर शेयर करने की बात भी कही। उनकी बात का देश के युवाओं पर कितना असर हुआ, ये जानने से पहले आप लोग भी नीचे विडियो पर क्लिक कर डीएनए शो की ये क्लिप जरूर देखिए, क्योंकि हम भारतीय कई बार तमाम हालातों के चलते अपने पैरेंट्स के साथ कुछ गलतियां कर बैठते हैं, पर ये क्लिप आपको उन गलतियों को सुधारने के लिए प्रेरित करेगी।
देखते ही देखते सैकड़ों हजारों लोग सुधीर चौधरी को टैग करके अपने मम्मी-पापा के साथ सेल्फी खींचकर ट्विटर पर शेयर करने लगे। किसी के मम्मी या पापा नहीं थे तो उसने मौसी, दादी या दादा को भी इस सेल्फी में शामिल किया और सुधीर चौधरी ने ज्यादातर ट्वीट्स पर एक शानदार कमेंट के साथ उनको रिट्वीट किया। देखते-देखते इसके साथ शुरू किया गया टि्वटर ट्रेंड #SelfieWithMummyPapa (सेल्फी विद मम्मी-पापा ) ट्विटर के टॉप ट्रेंड्स में भी आ गया। सुधीर चौधरी की ट्विटर टाइमलाइम पर मौजूद कुछ ऐसे ट्वीट्स का स्क्रीन शॉट आप यहां देख सकते हैं।
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अपने वकील के माध्यम से अदालत में दायर की है याचिका, कोर्ट ने 20 दिसंबर दी है अगली तारीख
आपको याद होगा कि ‘न्यूज 24’ और ‘इंडिया टीवी’ के पूर्व मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने पिछले महीने अपने ट्विटर अकाउंट पर कई ट्वीट्स के जरिए एक खुलासा किया था। इस खुलासे में उन्होंने बताया था कि कैसे निर्भया का दोस्त अवनींद्र टीवी चैनल पर आने के लिए पैसे लेता था। पैसे लेते हुए उसका स्टिंग ‘न्यूज 24’ ने किया, लेकिन इसलिए नहीं दिखाया क्योंकि इससे केस पर फर्क पड़ता। उनके इसी खुलासे को अब निर्भया गैंगरेप केस के एक आरोपित पवन गुप्ता के पिता ने ढाल बनाने की कोशिश की है।
पवन गुप्ता के पिता ने वकील एपी सिंह के जरिए दिल्ली की एक कोर्ट में याचिका दाखिल की है कि निर्भया गैंगरेप के वक्त बस में मौजूद अवनींद्र के बारे में यह खुलासा हुआ है कि उसने पैसे लेकर इंटरव्यू दिए हैं। ऐसे में अवनींद्र की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता, उसकी गवाही को तो खारिज किया ही जाए, उसके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की जाए।
ऐसे में ये मामला पेचीदा हो जाता है क्योंकि इस पूरे केस का इकलौता गवाह निर्भया का दोस्त अवनींद्र ही है। कहा जा रहा है कि इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद वह न्यूज चैनल्स से गायब ही हो गया है और अभी तक सामने आया नहीं है।
यह भी पढ़ें: निर्भया के बॉयफ्रेंड के बारे में अजीत अंजुम ने किया ये बड़ा खुलासा
वकील एपी सिंह की याचिका पर 13 दिसंबर को दिल्ली की कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। जज ने वकील एपी सिंह से पूछा कि ये अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं? वकील एपी सिंह को लगा कि इस मामले में उन्हें अभी और होमवर्क की जरूरत है। उन्होंने फौरन कोर्ट से इसकी तैयारी के लिए और समय मांग लिया। कोर्ट ने उन्हें 20 दिसंबर की अगली तारीख दी है। इधर सुप्रीम कोर्ट में केस की अगली तारीख 17 दिसंबर है और दूसरी तरफ तिहाड़ जेल में आरोपितों की फांसी की तैयारियां चल रही हैं।
जैसे ही राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करेंगे, तिहाड जेल को डेथ वारंट मिलेगा और प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में अगर वकील एपी सिंह की याचिका पर दिल्ली का कोर्ट कोई बड़ा फैसला लेता है तो न केवल फांसी कुछ दिनों के लिए टल सकती है, बल्कि निर्भया के दोस्त के लिए भी परेशानी खड़ी हो सकती है।
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सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा सभी प्राइवेट सैटेलाइट टीवी चैनल्स को इस बारे में जारी एडवाइजरी का पालन करने के लिए कहा गया है
केंद्र सरकार ने सभी सैटेलाइट टीवी चैनल्स के लिए एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में कहा गया है कि टीवी चैनल्स को ऐसे कंटेंट दिखाने से बचना चाहिए, जिससे हिंसा भड़क सकती है या कानून व्यवस्था को लेकर समस्या उत्पन्न हो सकती है। नागरिकता संशोधन बिल पर इन दिनों बवाल चल रहा है। लिहाजा एडवाइजरी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से 11 दिसंबर को जारी इस एडवाइजरी में लिखा है, ‘पहले भी कई मौकों पर टीवी चैनल्स को 1995 के केबल टेलिविजन नेटवर्क अधिनियम में वर्णित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता के अनुरूप कंटेंट प्रसारित करने के लिए कहा जाता रहा है। एक बार फिर से सभी चैनल्स को ऐसे कंटेंट के प्रसारण से बचने की सलाह दी जाती है जो हिंसा को बढ़ावा देता हो या जिससे कानून व्यवस्था को लेकर समस्या उत्पन्न हो सकती हो या अन्यथा जिससे राष्ट्र-विरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता हो या राष्ट्र की अखंडता किसी भी तरह से प्रभावित होती हो।’
इसके साथ ही सरकार ने सभी प्राइवेट सैटेलाइट टीवी चैनल्स को इस एडवाइजरी का पालन करने के लिए कहा है। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस बारे में जारी की गई एडवाइजरी की कॉपी आप यहां देख सकते हैं।
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सोशल मीडिया पर वायरल एक स्टिंग ऑपरेशन का जिक्र गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में भी किया
कुछ लोग परदे के पीछे के खिलाड़ी होते हैं। बड़े-बड़े कारनामों के बावजूद देश उनको नहीं जान पाता। जमशेद खान जैसे अंडरकवर रिपोर्टर भी उन्हीं में से एक हैं। टीवी टुडे नेटवर्क की स्पश्ल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) के प्रमुख जमशेद ने अपनी टीम के साथ मिलकर पिछले दशक में जितने स्टिंग किए हैं, शायद ही किसी और रिपोर्टर ने किए हों।
चाहे वो धार्मिक चेहरों से नकाब उठाना हो या राजनीतिक हस्तियों के मंसूबों से। इंटरनेशनल क्रिकेट के परदे के पीछे के खेलों का खुलासा करना हो या फिर आपकी सिक्योरिटी में तैनात पुलिस वालों की ‘सुपारी किलर’ की मानसिकता को उजागर करना हो, कोई भी फील्ड इस एसआईटी टीम के स्टिंग ऑपरेशंस से अछूता नहीं रहा है। लेकिन एक के बाद एक कश्मीर पर उनके कई ऑपरेशंस चर्चा का विषय बन गए हैं और इसका सीधा फायदा मिल रहा है मोदी सरकार को। सरकार इन ऑपरेशंस का हवाला देकर बता रही है कि कैसे उसकी कही गई बातें सही सिद्ध हो रही है।
घाटी में पत्थरबाजों के स्टिंग के बाद जमशेद और टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन 2017 में किया, जिसके जरिये उन्होंने घाटी के हवाला रैकेट का पर्दाफाश किया गया। यही वो ऑपेऱशन था जिसके चलते मोदी सरकार ने एनआईए जांच बैठा दी। इस मामले में नईम खान जेल गया, उसके बाद गिरफ्तारियों की लाइन लग गई, यहां तक कि यासीन मलिक जैसे नेता भी जेल में हैं।
इसके बाद हवाला रैकेट पर एक और ऑपरेशन ‘अलमंड्स’ किया गया, अब एक नया और हालिया स्टिंग चर्चा में है। यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑपरेशन का जिक्र गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में भी किया। ये ऑपरेशन जुड़ा था उन लोगों के पर्दाफाश से, जो पैसे लेकर घाटी में स्कूल जलाने से लेकर, भीड़ भड़काने और दंगा फैलाने तक के लिए तैयार हैं।
इस स्टिंग में दिल्ली में एक राजनीतिक पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता से लेकर घाटी का एक स्थानीय क्रिकेटर और प्रॉपर्टी एजेंट तक तमाम लोग शामिल थे। ऐसे में मोदी सरकार के समर्थक इस ऑपरेशन की क्लिप्स को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं। आप भी इस स्टिंग को यहां देख सकते हैं।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है रिपोर्टर का फोटो, लोग कह रहे हैं सच्ची पत्रकारिता
हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ की क्राइम टीम में जाने-पहचाने चेहरे हैं। शम्स ताहिर खान की अगुवाई में इस टीम में तमाम ऐसे नए चेहरे भी जुड़े हैं, जो पिछले कई साल से ‘आजतक’ को टॉप पर बनाए हुए हैं। ऐसे में क्राइम की खबरों पर तो वो आगे रहते ही हैं, किसी बड़ी दुर्घटना के वक्त भी उन्हीं को मोर्चे पर भेजा जाता है। लेकिन ऐसी दुर्घटनाओं को कवर करते वक्त जब लाशों पर लाशें निकल रही हों, तो किसी का भी कलेजा मुंह को आ सकता है। ‘आजतक’ के क्राइम रिपोर्टर पुनीत शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ, जब वो दिल्ली की अनाज मंडी की उस आग को कवर कर रहे थे, जिसके चलते 43 लोगों की जानें चली गई थीं।
आप तस्वीर में देख सकते हैं कि पुनीत शर्मा की क्या हालत हो गई थी उस वक्त। ऑन एयर बोलते-बोलते वो रो पड़े थे क्योंकि हर लाश के साथ ही उसके परिवार और साथियों की चीखें उनके कानों में भी पड़ रही थीं। लेकिन ‘आजतक’ की स्क्रीन से लिया गया उनका ये भावुक फोटो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उन्हीं के एक सीनियर साथी ‘एनडीटीवी’ के सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट मुकेश सेंगर ने भी पुनीत के इस फोटो को शेयर किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है, 'दिल्ली में आग लगने के हादसे ने हर किसी को हिला दिया, रुला दिया! ‘आजतक’ में संवाददाता छोटा भाई पुनीत शर्मा भी अपने आंसू नहीं रोक सका,पत्रकारिता का एक पहलू ये भी है।'
वहीं कमलदीप अरोड़ा लिखते हैं, 'आज दिल्ली में हुए हादसे में हुई 43 मौत पर इमोशनल होने पर लाइव रिपोर्टिंग में आंख में आंसू आये आजतक के क्राइम रिपोर्टर छोटे भाई पुनीत शर्मा के। ये भी एक पहलू हैं, सच्ची पत्रकारिता का।'
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उन्होंने अपने हालिया शो के जरिए ये साबित किया है कि वह किसी पार्टी को नहीं, बल्कि मुद्दे को तवज्जो देते हैं, फिर भले ही उसका जुड़ाव किसी भी दल से क्यों न हो
वरिष्ठ पत्रकार अरनब गोस्वामी को अक्सर भाजपा समर्थक पत्रकार के रूप में देखा जाता है,लेकिन उन्होंने अपने हालिया शो के जरिए ये साबित किया है कि वह किसी पार्टी को नहीं, बल्कि मुद्दे को तवज्जो देते हैं, फिर भले ही उसका जुड़ाव किसी भी दल से क्यों न हो।
अरनब गोस्वामी ने अपने शो ‘द डिबेट’ में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर जमकर प्रहार किया। शो की शुरुआत अरनब ने इस अंदाज में की, मानो वह अपने विरोधियों को बता रहे हों कि उनके लिए क्या ज्यादा मायने रखता है।
उन्होंने कहा, ‘अमूमन लोग मुझसे पूछते हैं कि जब आप किसी मुद्दे को उठाते हैं तो उसका आधार क्या होता है? क्या भाजपा या कांग्रेस के आधार पर उठाते हैं? मेरा जवाब होता है ‘नहीं’। मेरे दिमाग में बस ब्लैक एवं व्हाइट, सही और गलत होता है और मैं अपनी पत्रकारिता को कभी कठिन नहीं बनाता। मेरे लिए जो सही है, वो सही है और जो गलत, वो गलत।’ इसके बाद अरनब ने भाजपा को भी सही-गलत का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भाजपा को भी समझना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। नागरिकता संशोधन बिल के मामले में भाजपा बड़ी गलती कर रही है।’
अरनब ने यह भी साफ किया कि बिल पर आपत्ति जताकर वह कांग्रेस के एजेंडे का समर्थन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी नजर में असम में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के लिए कांग्रेस ही सबसे बड़ी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, ‘मैं असम से हूं लेकिन मैं आज देश के नागरिक के रूप में अपनी बात रखना चाहूंगा। मैं असम के हाल के लिए कांग्रेस को कुसूरवार ठहराता रहा हूं, मगर भाजपा सरकार उससे भी बड़ी गलती कर रही है।’
उन्होंने बिल के उस प्रावधान पर एतराज जताया है, जिसके मुताबिक,अफगानिस्तान,पाकिस्तान,बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं, बल्कि 6 साल तक इस देश में रहना अनिवार्य होगा। वैसे, बिल को यदि धर्म का चश्मा उतारकर देखा जाये तो सवाल उठता है कि क्या इससे अवैध रूप से भारत में घुसने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी? मुस्लिमों को छोड़कर दूसरे देशों में रहने वालों को भारत का नागरिक बनाने से क्या समस्या हल हो पायेगी? यही सवाल अरनब गोस्वामी ने भी सरकार से पूछा है।
‘रिपब्लिक टीवी’ के एडिटर-इन-चीफ अरनब ने आगे कहा, ‘मुद्दा हमेशा से अवैध प्रवासियों का रहा है, न कि उनके धर्म का। भाजपा बस संघ परिवार को खुश करने में लगी है। पाकिस्तान या बांग्लादेश में रहने वाले कहीं भी जाएं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन भारत ही क्यों? क्या हमारा देश धर्मशाला है? हम सभी को इस मुद्दे पर भाजपा से सवाल करना चाहिए।’
उन्होंने भाजपा सरकार की कवायद को सियासी नफे-नुकसान के तहत लिया गया फैसला भी बताया, साथ ही सरकार को इसके दूरगामी परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी। दरअसल, नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अधिकांश मीडिया में सरकार जैसी ही राय है, यानी सबकुछ अच्छा है। मगर अरनब गोस्वामी ने इन बिंदुओं को उठाकर यह बताने का प्रयास किया है कि मीडिया का काम केवल अच्छे पर ही फोकस करना नहीं होता। अरनब के इस ‘डिबेट’ को भले ही किसी भी रूप में देखा जाये, लेकिन जो सवाल उन्होंने उठाये हैं, उनका जवाब तो भाजपा से मांगा ही जाना चाहिए। साथ ही यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि अरनब को लेकर गलतफहमी पालने वालों की गलतफहमी अब काफी हद तक दूर हो जाएगी।
पूरी डिबेट आप यहां देख सकते हैं:
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 के मौके पर राजदीप सरदेसाई समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं देश की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं
मौका था इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 का और मंच पर थीं बंगाली गायकी की उभरती हुई स्टार लग्नजिता चक्रवर्ती। सामने राजदीप सरदेसाई समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं देश की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं। लग्नजिता ने ऐसे में मंच से कहा कि मेरा सबसे पहला क्रश राजदीप सरदेसाई थे। यह सुनकर राजदीप सरदेसाई का चेहरा शर्म से लाल या यूं कहे कि ब्लश (Blush) करने लगा और वह मुस्कुराने लगे।
लग्नजिता कहती चलीं गईं, ‘मुझे यकीन ही नहीं हो रहा कि राजदीप आज मेरे सामने बैठे हैं और मैं पिछले 15 मिनट से खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही हूं।‘ वह बताने लगीं कि पांचवी-छठी क्लास में जब वह पढ़ती थीं, तभी से राजदीप उनका पहला क्रश थे और कैसे उनके घर वाले भी इस बात को लेकर उनका मजाक बनाते थे। यही नहीं, उन्होंने मंच से ही बोल दिया, 'राजदीप आई लव यू'। वे यहां ही नहीं रुकी उन्होंने ये भी कहा कि वे अपने बिस्तर पर राजदीप के लिए जगह भी बनाकर रखती थी।
अब बारी थी राजदीप सरदेसाई की। लगभग हर कोई उन पर दबाव बनाने लगा कि उसका जवाब दें। राजदीप को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलें। फिर उन्होंने एक सेफलाइन ली, क्योंकि उनकी पत्नी सागरिका घोष भी बंगाली हैं तो उन्होंने कहना शुरू किया, ‘मैं शुरू से ही बंगाली महिलाओं के संपर्क में रहा हूं, उनके साथ जिंदगी बिताई है, उनसे काफी कुछ सीखा है।‘
वह यह कहकर बचने की कोशिश करने लगे कि तुम काफी अच्छा गाती हो। लेकिन मंच से फिर लग्नजिता ने बोल दिया कि इस देश में जितने जर्नलिस्ट हुए हैं, उनमें प्रणॉय रॉय के बाद दूसरे सबसे हैंडसम पत्रकार आप हो।
इसके बाद राजदीप का चेहरा वाकई में देखने लायक हो गया। अब वह कोशिश करने लगे कि टॉपिक चेंज हो। कॉन्क्लेव की बात करने लगे और गाने की फरमाइश करने लगे। लेकिन यह घटना मीडिया हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। आप पूरे वाकये को इस विडियो क्लिप में देख सकते हैं।
संगीतकार लगनजीता चक्रवर्ती ने #ConclaveEast19 के मंच पर स्वीकारा, राजदीप सरदेसाई थे उनका पहला क्रश। देखिए जवाब में क्या बोले @sardesairajdeep@ManogyaLoiwal
— आज तक (@aajtak) December 6, 2019
लाइव देखने के लिए क्लिक करें https://t.co/rqxSyuw8ee pic.twitter.com/7ZeycCyRZi
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हैदराबाद में दुष्कर्म के बाद वेटनरी डॉक्टर की हत्या के मुद्दे पर ‘हल्ला बोल’ में हो रही थी चर्चा, शो के दौरान अलका लाम्बा ने कर दिया था वॉकआउट
हैदराबाद रेप केस को लेकर ‘आजतक’ की मशहूर एंकर अंजना ओम कश्यप के शो ‘हल्ला बोल’ में कांग्रेस नेता अलका लाम्बा भड़क गईं। शो के दौरान दोनों के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि अलका लाम्बा शो से वॉकआउट कर गईं। इस बीच उन्होंने अंजना ओम कश्यप और ‘आजतक’ पर अपने खिलाफ एजेंडा चलाने के आरोप भी लगाए। लडाई यहीं खत्म नहीं हुई। इसके बाद अलका लाम्बा के समर्थक इस शो की क्लिप सोशल मीडिया पर चलाने लगे और 'आजतक' व अंजना को ट्रोल करने लगे। यहां तक कि लालू यादव की पार्टी आरजेडी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से इसे शेयर करके 'आजतक' और अंजना पर सवाल उठाए गए। जब अलका भी इस मुहिम में शामिल हुईं, तो अंजना को भी मैदान में उतरना पड़ा।
दरअसल, 'हल्ला बोल' में हैदराबाद की वेटनरी डॉक्टर के रेप केस पर चर्चा हो रही थी। अन्य गेस्ट्स के अलावा निर्भया की मां और अलका लाम्बा भी इस शो में मौजूद थीं। अंजना ने अलका को कहा कि रेप विक्टिम का नाम मत लीजिए, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हैं। इस पर अलका भड़क गईं और कहने लगीं कि आप मेरे खिलाफ एजेंडा चला रही हो। तब अंजना ने उन्हें शो की वह क्लिप दिखाईं, जहां 2 बार वो रेप विक्टिम डॉक्टर का नाम ले चुकी थीं। लेकिन पहले से ही भरी बैठीं अलका कहने लगीं कि निर्भया की मां को कोई दिक्कत नहीं थी, मुझे भी तो नाम मीडिया से ही पता चला था। मेरे बोलने पर ही क्यों आपत्ति है। फिर वो गुस्से में शेम ऑन यू अंजना, शेम ऑन आजतक कहकर शो से वॉकआउट कर गईं।
अलका शायद दूध की जली थीं, बिना बात के हंगामा किया। लेकिन उसके बाद अलका लाम्बा की टीम काम में लग गई। अलका लाम्बा ने एक विडियो क्लिप शेयर की, जिस पर लिखा था, अलका लाम्बा ने अंजना कश्यप की बैंड बजा दी। क्लिप देखकर नहीं लगा कि अंजना कुछ गलत कह रही हैं। उसके बाद आरजेडी ने शेयर कर दिया। अलका के पक्ष में तमाम लोग शेयर करने लगे। अलका की टीम ने तब तक अंजना कश्यप की वो ट्वीट ढूंढ निकाली, जिसमें 4 दिन पहले अंजना खुद रेप विक्टिम का नाम ले रही थीं। अलका ने उसे शेयर करते हुए लिखा, ‘’@anjanaomkashyap आप कल @aajtak के लाइव शो में मुझे कह रहीं थीं कि "हम सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का सम्मान करते हैं".. रेप पीड़िता का नाम मैंने लिया है... कुछ तो शर्म करो... बेहतर होगा पत्रकारिता छोड़ कर कहीं कोई दूसरा रोज़गार खोज लो... अंजना ओम मोदी... Sorry अंजना ओम कश्यप’’।
अब अंजना को जवाब देने आना ही था, अंजना ने लिखा, ’जिस दिन का मेरा ये ट्वीट है उस दिन तक सभी नाम ले रहे थे। जब हैदराबाद की लड़की के परिवार की तरफ से लोकल प्रशासन ने ये गाइडलाइन जारी की कि आप नाम नहीं लें और बदला हुआ नाम ‘दिशा’ इस्तेमाल करें तो हमने उसका सम्मान किया। शो में जो हुआ उसका सच ये है।' अंजना ने इसके साथ ही हल्ला बोल शो का एक विडियो भी शेयर किया, जिससे कहानी थोड़ी स्पष्ट हुई।
अंजना इस विडियो में अलका लाम्बा को समझाती हैं कि रेप विक्टिम का नाम न लें, लेकिन अलका इसे पर्सनल अटैक की तरह लेती हैं और भड़क जाती हैं। अंजना अलका से माफी मांगती हैं, लेकिन उन्हें वो क्लिप भी दिखाती हैं, जिसमें दो बार अलका रेप विक्टिम का नाम ले रही थीं। इससे अलका और भड़क जाती हैं और गुस्से में शो से वॉकआउट कर जाती हैं। ये लड़ाई अभी भी सोशल मीडिया पर जारी है।
जिस दिन का मेरा ये ट्वीट है उस दिन तक सभी नाम ले रहे थे। जब हैदराबाद की लड़की के परिवार की तरफ़ से लोकल प्रशासन ने ये गाइडलाइन जारी किया कि आप नाम नहीं लें और बदला हुआ नाम ‘दिशा’ इस्तेमाल करें तो हमने उसका सम्मान किया। शो में जो हुआ उसका सच ये है । https://t.co/e9XGNETIKm pic.twitter.com/vGhI2zeXO0
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) December 4, 2019
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बुद्धिजीवी और विशेषज्ञ तो शामिल हुए ही, आम जनता को भी अपनी बात रखने का मौका मिला, महज 35 मिनट में मिले 1.35 लाख से ज्यादा मैसेज
हैदराबाद कांड को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। यह गुस्सा सड़क से संसद होते हुए न्यूज चैनल्स के स्टूडियो तक जा पहुंचा है। हर चैनल सभ्य समाज के सपने को तार-तार करने वाली इस वारदात पर बात कर रहा है, लेकिन जिस अंदाज में वरिष्ठ टीवी पत्रकार अरनब गोस्वामी ने इस मुद्दे को उठाया है वो काबिल-ए-तारीफ है। ‘रिपब्लिक टीवी’ के शो ‘डिबेट’ में अरनब ने हैदराबाद कांड पर चर्चा की। इस चर्चा में बुद्धिजीवी और विशेषज्ञ तो शामिल हुए ही, आम जनता को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया।
अरनब ने इस प्रयोग के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि देश की जनता आखिरकार क्या चाहती है, उसे अपने सांसदों से क्या अपेक्षा है? अरनब की इस ‘डिबेट’ में अपनी बात रखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे आए। महज 35 मिनट में चैनल को 1.35 लाख से ज्यादा संदेश मिले और बहस शुरू होते ही यह संख्या लगातार बढ़ती चली गई। पूरे शो के दौरान अरनब गोस्वामी को लोगों के संदेश पढ़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि वॉट्सऐप पर मैसेज इतनी तेजी से आ रहे थे कि पढ़ना मुश्किल हो गया था।
आमतौर पर डिबेट शो में केवल कुछ लोगों को स्टूडियो में बैठाकर मुद्दे पर चर्चा हो जाती है और अंत में एंकर उसका सार अपने विचारों के साथ प्रस्तुत कर देता है। लेकिन अरनब ने इस सोच को विस्तार देते हुए उन लोगों को भी बहस का हिस्सा बनाया, जिन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित होना पड़ता है यानी आम जनता। दिल्ली से लेकर दुबई तक ‘रिपब्लिक टीवी’ के दर्शकों ने अपनी सोच को शब्दों के रूप में अरनब तक पहुंचाया। कुछ दर्शकों को बतौर पैनलिस्ट भी शो में शामिल किया गया और गौर करने वाली बात यह है कि लगभग सभी ने एक सुर में बलात्कारियों को मौत की सजा देने की वकालत की।
‘रिपब्लिक टीवी’ और अरनब गोस्वामी सोशल मीडिया पर #justicefordisha और #deathforrapist नाम से कैंपेन भी चलाये हुए हैं और वहां भी उन्हें लोगों का साथ मिल रहा है। इसके अलावा, सरकार के नाम सात सूत्रीय मांगों का एक चार्टर भी तैयार किया है। मसलन, सभी बलात्कारियों को फांसी पर लटकाया जाए, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाए, उनके चेहरे न ढके जाएं, उनके नाम उजागर किये जाएं, सरकार की तरफ से बलात्कार के आरोपितों को कोई कानूनी सहायता उपलब्ध न कराई जाए, बलात्कार के सभी मामलों का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए और दोषियों को जनता के पैसों पर जिंदा रखना बंद हो।
हैदराबाद कांड को लेकर लोग यह सवाल कर रहे थे कि आखिर मीडिया इस मामले को प्रमुखता से क्यों नहीं उठा रहा है, लेकिन अरनब की ‘डिबेट’ देखकर शायद वह अब ये सवाल न करें। अरनब और उनके चैनल ने इस मामले को अभियान की शक्ल दे दी है। एक ऐसा अभियान, जिसमें आम जनता की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है।
महज 35 मिनट में 1.35 लाख से ज्यादा वॉट्सऐप मैसेज मिलना इसका सबूत है कि लोग अरनब की बात न केवल सुन रहे हैं, बल्कि उस पर अमल भी कर रहे हैं। लिहाजा, यह कहना गलत नहीं होगा कि हैदराबाद की वेटनरी डॉक्टर को न्याय दिलाने की लड़ाई को ‘रिपब्लिक टीवी’ के ‘डिबेट’ ने नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, जहां से उम्मीद की जा सकती है कि सरकार लोगों की भावनाओं को समझेगी और उसके अनुरूप कानून में बदलाव करेगी।
‘रिपब्लिक टीवी’ पर पूरी बहस आप यहां देख सकते हैं-
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इस हफ्ते हैदराबाद रेप केस के अलावा दो बड़ी राजनीतिक खबरें रहीं, जिनको लेकर पूरे देश में राजनीतिक घमासान मचा रहा
इस हफ्ते हैदराबाद रेप केस के अलावा दो बड़ी राजनीतिक खबरें रहीं, जिनको लेकर पूरे देश में राजनीतिक घमासान मचा रहा। ये दो खबरें थीं शरद पवार का मोदी के बारे में बयान और राहुल बजाज का अमित शाह के सामने सरकार को घेरना, खासतौर पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मुद्दे को लेकर। ऐसे में उन तीन पत्रकारों का जिक्र होना बेहद जरूरी है, जो इन दोनों खबरों से जुड़े हुए हैं। जिनके सवालों की वजह से यह खबरें इतनी बड़ी बनीं, यहां तक कि उनके विरोधी चैनल्स और अखबारों ने भी इन्हें ब्रेकिंग के साथ चलाया।
यह तीनों पत्रकार है ‘एबीपी न्यूज’ के राजनीतिक संपादक पंकज झा, ‘एबीपी मांझा’ के मैनेजिंग एडिटर ‘राजीव खांडेकर’ और ‘न्यूज24’ के ब्यूरो चीफ अमित कुमार। शरद पवार ने यह खुलासा किया था कि पीएम मोदी ने किसानों के मुद्दे पर उनके साथ मीटिंग करने के बाद उन्हें अपने साथ हाथ मिलाने का ऑफर दिया था और सुप्रिया सुले को केंद्रीय मंत्री पद तक का ऑफर दिया था, लेकिन शरद पवार ने विनम्रता के साथ इनकार कर दिया। जाहिर है कि इतनी बड़ी खबर को बाकी चैनल्स, अखबार और मीडिया वेबसाइट्स चलाए बिना रह न सके और वह भी बाकायदा ‘एबीपी न्यूज’ को क्रेडिट देने के साथ। शरद पवार का इंटरव्यू ‘एबीपी मांझा’ के राजीव खांडेकर और ‘एबीपी न्यूज’ के पंकज झा ने किया था, ऐसे में दोनों को इस बड़े ‘राजनीतिक तूफान’ का क्रेडिट मिलना चाहिए।
इसी तरह उद्योगपति राहुल बजाज ने जब एक कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह के सामने देश में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर सवाल उठाया, साथ ही साध्वी प्रज्ञा को लेकर भी सरकार को घेरा और कहा एक तरफ तो वो नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताती हैं और पीएम कहते हैं कि उसे कभी मन से माफ नहीं करेंगे और दूसरी तरफ आप उसे रक्षा मामलों की समिति में सदस्य चुन लेते हैं। ऐसे में अमित शाह ने बताया कि प्रज्ञा ठाकुर को उस समिति से हटा दिया गया है और बीजेपी संसदीय पार्टी की मीटिंग में शामिल होने पर रोक लगा दी गई है।
ऐसे में तमाम पत्रकारों ने राहुल बजाज के सवाल के लिए ‘न्यूज24’ के ब्यूरो चीफ अमित कुमार को क्रेडिट दिया। दरअसल, अमित कुमार ने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी से इंटरव्यू के दौरान साध्वी प्रज्ञा को लेकर सवाल पूछा था कि वह गोडसे को देशभक्त बताती हैं। मोदी ने इसी इंटरव्यू में कहा था कि वे साध्वी को मन से कभी माफ नहीं कर पाएंगे और ये वो इकलौता बयान है जो मोदी ने साध्वी प्रज्ञा को लेकर दिया है। बार-बार मीडिया अमित कुमार के उसी इंटरव्यू में दिए गए मोदी के बयान को दोहराती है। विपक्ष भी इसी आरोप को उनके इंटरव्यू से उठाता है। राहुल बजाज ने भी इंटरव्यू की उसी लाइन को उठाया और सवाल पूछा। पंकज झा और राजीव खांडेकर के साथ-साथ अमित कुमार को इस हफ्ते की दो बड़ी राजनीतिक खबरों से जुड़े रहने के लिए समाचार4मीडिया की तरफ से ढेरों बधाइयां।
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