समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन (SET) ने अपने ब्रैंड को चमकाने के लिए 21 साल में पहली बार नया लोगो तैयार किया है और अपनी कंटेंट लाइन अप में भी बदलाव किया है। नए लोगो में बैंग
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन (SET) ने अपने ब्रैंड को चमकाने के लिए 21 साल में पहली बार नया लोगो तैयार किया है और अपनी कंटेंट लाइन अप में भी बदलाव किया है।
नए लोगो में बैंगनी, गोल्ड और ऑरेंज कलर का इस्तेमाल किया गया है और अपने लोक्रिपय कॉमेडी शो ‘The Kapil Sharma Show’ से चैनल ने इसका शुभारंभ किया। इसकी पैकेजिंग अर्जेंटीना की कंपनी ‘MediaLuna’ द्वारा तैयार की गई थी।
इस नए बदलाव के बारे में सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट और बिजनेस हेड दानिश खान बताया, ‘पिछले सात महीनों में हमने वीकएंड पर हमारी स्थिति काफी मजबूत की है और वीकएंड पर हम नंबर वन जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GEC) बने हुए हैं। इसके साथ ही हमने नए लोगो और एयर पैकेजिंग (air packaging) को भी रिफ्रेश किया है। अब हमारा पूरा फोकस सप्ताह के अन्य दिनों (weekdays) में भी अपनी पकड़ को और मजबूत करना है। इसके लिए शो की संख्या बढ़ाने के साथ ही उनमें वैरायटी भी लाई जाएगी और इसमें करीब छह महीने लगेंगे। लोगों की आदत बदलने में थोड़ा समय लगता है। हम सोनी को देश में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला एंटरटेनमेंट चैनल बनाना चाहते हैं और इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। ’
जैसा कि सबको पता है कि अपने शो के खराब प्रदर्शन के कारण वर्ष 2015 से रेटिंग चार्ट में चैनल लगातार पिछड़ रहा था। एक स्थिति यह आ गई थी कि इस पर ज्यादातर समय ‘सीआईडी’ और ‘क्राइम पेट्रोल’ ही दिखाए जा रहे थे। लेकिन जब से इस पर ‘The Kapil Sharma Show’ शो शुरू हुआ, चीजें बदलनी शुरू हो गईं और इसके बाद तो ‘Super Dancer’ और ‘Mahabali Hanuman’ से चैनल की रेटिंग में जबर्दस्त इजाफा हो गया।
आज स्थिति यह है कि बार्क (BARC) की हिन्दी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GEC) की लिस्ट में यह तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। अब चैनल अपने विज्ञापन रेट (ad rates) को भी संशोधित (revise) करेगा।
सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन के सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर आशीष ने बताया, ‘पहले इस चैनल की रेटिंग गिर रही थी लेकिन जब से ‘The Kapil Sharma Show’, ‘Kuch Rang Pyar Ke Aise Bhi’ और ‘Ek Duje Ke Vaaste’ के वास्ते शुरू हुए, चीजें एकदम से बदलने लगीं। हमारे लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि ब्रैंड रिफ्रेश के लिए मार्च में ही विचार बना लिया था लेकिन हमने मई से इस पर काम करना शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘इस रिफ्रेश के द्वारा हम दो चीजों पर ध्यान रखना चाहते थे। पहला तो यह कि पैकेजिंग में भारतीयता का पुट दिखना चाहिए और दूसरा लोगों को काफी तरोताजा और नया लगना चाहिए था। इसके अलावा इसके प्रोग्रामिंग समय पर भी फोकस किया गया है।’
आशीष ने बताया, ‘दो महीने में हम तीन नए शो शुरू कर रहे हैं और 24 दिसंबर से ‘Indian Idol’ से इसकी शुरुआत हो रही है। इसके बाद ‘Peshwa Bajirao’ और ‘Yeh Moh Moh ke Dhaage’ अगले साल शुरू किए जाएंगे। प्रोग्रामिंग समय (programming hours) के बारे में हमें अन्य दो चैनल ‘Colors’ और ‘Star’ से मैच करने की जरूरत है। ऐसे में हम अपने प्रोग्रामिंग समय को और बढ़ाने की सोच रहे हैं। शाम को सात से आठ बजे का समय हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।’ उन्होंने कहा कि यह अभी शुरुआत है। दिसंबर से जून के बीच सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन में और भी कई बदलाव दिखाई देंगे।
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है, जिसमें गूगल पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों का आरोप लगाया गया है। शिकायत का मुख्य विषय गूगल की Play Store नीतियों में किए गए बदलाव हैं, जो WinZo के अनुसार, कुछ RMG ऐप्स के साथ भेदभाव करते हैं और इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बाधित करते हैं।
WinZo ने अपनी शिकायत में कहा है कि गूगल की नीति कुछ खास RMG ऐप्स को Play Store पर अनुमति देती है, जबकि अन्य को अस्पष्ट और मनमाने मानदंडों के आधार पर बाहर रखती है। "ये नीतियां एक असमान प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाती हैं और भारतीय बाजार तक समान पहुंच को बाधित करती हैं," WinZo ने कहा। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि गूगल अपनी मजबूत बाजार स्थिति का दुरुपयोग कर ऐप डेवलपर्स पर अनुचित शर्तें थोपता है, जिससे उनके विकास और दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता प्रभावित होती है।
CCI ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि ऐप वितरण बाजार में गूगल का प्रभुत्व, खासकर Android Play Store के माध्यम से, जांच की मांग करता है। आयोग ने कहा, "शिकायत में उठाए गए आरोपों में प्रारंभिक तौर पर दम नजर आता है और Google के इस प्रभुत्व के संभावित दुरुपयोग की जांच जरूरी है।"
यह घटनाक्रम भारत के RMG क्षेत्र की पृष्ठभूमि में हुआ है, जो देश की मोबाइल-प्रथम अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रभाव के चलते तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी भारी नियामकीय अनिश्चितताओं और समाज में बंटी हुई राय का सामना कर रहा है। राज्य सरकारें नवाचार को प्रोत्साहित करने और लत व वित्तीय जोखिम के कारण प्रतिबंध लगाने के बीच झूलती रहती हैं।
विज्ञापन के मोर्चे पर भी स्थिति जटिल है। WinZo जैसे प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से डिजिटल विज्ञापनों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन गूगल और Meta जैसे मुख्यधारा के प्लेटफार्मों द्वारा RMG ऐप्स को लेकर सतर्क रुख अपनाने के कारण उन्हें सरकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, ऐप स्टोर पर दृश्यता नए उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, और गूगल Play Store की प्रतिबंधात्मक नीतियां इन कंपनियों की राजस्व रणनीतियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
भारत, जो गूगल और RMG क्षेत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, में यह टकराव यह तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है कि प्लेटफॉर्म नियामकीय अनुपालन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं।
भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है।
भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वॉट्सऐप (WhatsApp) की विवादास्पद 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी के माध्यम से बाजार में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप में लगाया गया है।
सोमवार को घोषित इस जुर्माने में चिंता व्यक्त की गई है कि वॉट्सऐप की पॉलिसी ने यूजर्स को मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर अपना डेटा साझा करने के लिए अनुचित रूप से मजबूर किया। इसके पीछे उपभोक्ता गोपनीयता के बजाय व्यापार और विज्ञापन के लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई।
2021 की इस प्राइवेसी पॉलिसी ने वैश्विक स्तर पर आलोचना को जन्म दिया था, क्योंकि इसे यूजर्स पर दबाव बनाने वाला कदम माना गया। कई लोगों ने इसे वॉट्सऐप की गोपनीयता की प्रतिबद्धता को कमजोर करने वाला बताया। भारत, जो वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है, में इस पॉलिसी के चलते यूजर्स बड़ी संख्या में प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म्स की ओर जाने लगे, जिससे नियामकीय जांच तेज हो गई।
यह निर्णय भारत द्वारा बड़ी टेक कंपनियों की एकाधिकारवादी प्रथाओं और डेटा नियंत्रण पर सख्ती के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। डिजिटल विज्ञापन राजस्व में बढ़ोतरी और लक्षित मार्केटिंग में यूजर्स डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका के बीच, नियामक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
मेटा ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा या नहीं। यह फैसला इस बात के लिए एक नज़ीर साबित हो सकता है कि भारत के बदलते नियामकीय परिदृश्य में बड़ी टेक कंपनियां कैसे काम करेंगी।
यह जुर्माना इस बात को स्पष्ट करता है कि बिना जवाबदेही के बाजार की ताकत का दुरुपयोग करना दंडनीय होगा, क्योंकि भारत नवाचार और निगरानी के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
सिनक्लेयर, इंक. और IIT बॉम्बे ने वायरलेस प्रसारण सेवाओं के लिए नई पीढ़ी के दूरसंचार और प्रसारण नेटवर्क में तकनीकी और मानकों के विकास के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए हैं।
सिनक्लेयर, इंक. और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT बॉम्बे) ने वायरलेस प्रसारण सेवाओं के लिए नई पीढ़ी के दूरसंचार और प्रसारण नेटवर्क में तकनीकी और मानकों के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य भारत और दुनिया के लिए मोबाइल, टीवी और अन्य स्थिर प्रसारण के लिए अंतरराष्ट्रीय ATSC 3.0 वायरलेस प्रसारण मानक में सुधार करना है।
ATSC 3.0 से Broadcast-to-Everything (B2X) तक
यह रिसर्च पहल ATSC 3.0 मानक को Broadcast-to-Everything (B2X) उपयोग में विकसित करने पर केंद्रित होगी। यह नई क्षमता 5G नेटवर्क के साथ तेज इंटरवर्किंग, कम-लेटेंसी डेटाकास्टिंग, बेहतर बैटरी जीवन, और अन्य डिवाइसेस जैसे स्मार्टफोन्स, फीचरफोन्स, वेरेबल्स और IoT डिवाइसेस के लिए कुशल स्पेक्ट्रम उपयोग को संभव बनाएगी। इसके साथ ही, IIT बॉम्बे ATSC के एक सदस्य के रूप में B2X रिलीज़ के मानकीकरण कार्य में भी सीधे योगदान देगा।
भारत में B2X के लाभ और संभावनाएं
भारत में 1 अरब से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ता और लगभग 25 करोड़ टीवी घर हैं। इस नए B2X प्रसारण प्रणाली का उद्देश्य नेटवर्क कंजेशन को कम करना, उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं को संभव बनाना और नेटवर्क की स्थिरता में सुधार करना है। B2X, Direct-to-Mobile (D2M) से एक कदम आगे बढ़ते हुए IMT-2030 (6G) इकोसिस्टम में प्रसारण को विस्तारित करेगा। भविष्य में, B2X आपातकालीन प्रबंधन, दूरस्थ शिक्षा, कृषि में आधुनिक तकनीकों, वाहन संचार और ओपन AI आधारित प्रसारण और डेटाकास्टिंग जैसी सेवाओं के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।
अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं
IIT बॉम्बे के निदेशक, प्रोफेसर शिरीष केदारे ने कहा, “सिनक्लेयर के साथ इस साझेदारी के माध्यम से वायरलेस टेलीकॉम में बदलाव लाने और B2X के विकास में भारत को आगे बढ़ाने में IIT बॉम्बे को गर्व है। हमारा लक्ष्य समाज की ज़रूरतों को पूरा करना और ऐसी तकनीकें विकसित करना है जो शहरी और ग्रामीण दोनों जनसंख्या की जीवन गुणवत्ता में सुधार करें।”
सिनक्लेयर के प्रेसिडेंट और सीईओ, क्रिस रिपली ने इस साझेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ATSC 3.0 आधारित B2X को प्रसारण के लिए एक पसंदीदा तकनीक के रूप में स्थापित करने में यह सहयोग बड़ा योगदान देगा। सिनक्लेयर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मार्क एटकेन ने ATSC 3.0 को अत्यधिक बैंडविड्थ दक्षता और टाइम-फ्रीक्वेंसी इंटरलीविंग जैसे फीचर्स की वजह से मोबाइल प्रसारण का सबसे उपयुक्त मानक बताया।
ATSC की प्रेसिडेंट मेडेलीन नोलैंड ने इस सहयोग की सराहना की, और कहा, “B2X प्रसारण और मोबाइल संचार के लिए नए अवसर प्रस्तुत करता है जो डेटा वितरण की दक्षता में क्रांति ला सकता है।”
प्रसार भारती के पूर्व सीईओ और IIT बॉम्बे के पूर्व छात्र शशि शेखर वेंपती ने इस पहल को "विकसित भारत" की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि हाल ही में ब्राजील द्वारा ATSC 3.0 मानक को अपनाना इस तकनीक के वैश्विक महत्व को दर्शाता है।
यह साझेदारी न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रसारण सेवाओं में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो तकनीकी नवाचार और उद्योग में मानकों की स्थापना को नई दिशा प्रदान करेगी।
गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है
गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है। गूगल एआई के क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रहा है और इसी क्रम में टीम का पुनर्गठन किया जा रहा है। राघवन की नियुक्ति इस रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर जब गूगल को माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
प्रभाकर राघवन एक विश्वस्तरीय कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में पहचाने जाते हैं, जिनका सर्च एल्गोरिदम और वेब खोज के क्षेत्र में बड़ा नाम है। उनके पास 20 से अधिक टेक पेटेंट और 100 से अधिक रिसर्च पेपर का अनुभव है, जिससे उन्होंने इस क्षेत्र में अपने आप को एक अग्रणी शख्सियत के रूप में स्थापित किया है। राघवन पिछले 12 सालों से गूगल से जुड़े हुए हैं, जहां उन्होंने गूगल सर्च, असिस्टेंट, गूगल एड्स और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण डिवीजनों की जिम्मेदारी संभाली है, जिनसे कंपनी को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है।
राघवन ने 1990 के दशक में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में सर्च इंजन पर काम शुरू किया था, और गूगल जैसी कंपनी बनाने का खाका तैयार किया था। हालांकि, उस समय वे याहू से जुड़ गए। बाद में, गूगल में आने के बाद, उन्होंने कंपनी के एप्स बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जीमेल और गूगल ड्राइव में उनके नेतृत्व में कई नए एआई फीचर्स जैसे स्मार्ट रिप्लाई और स्मार्ट कम्पोज जोड़े गए।
राघवन की भूमिका गूगल में CEO जैसी मानी जाती है, और वह अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई के बेहद करीबी माने जाते हैं। पिछले साल उनका वेतन और स्टॉक मिलाकर कुल 300 करोड़ रुपए था, जिससे वह गूगल के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले टॉप-5 अधिकारियों में शामिल हैं।
भोपाल के कैम्पियन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले राघवन ने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और यूसी बर्कले से पीएचडी की। उनका और पिचाई का शैक्षणिक सफर काफी हद तक समान है, दोनों दक्षिण भारतीय मूल के हैं और दोनों ने ही आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है।
राघवन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रैफिक को सुगम बनाने से लेकर जंगल की आग से निपटने तक के कामों में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही, यह सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने और पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान दे सकता है। उनकी यह नई भूमिका न केवल गूगल, बल्कि पूरे टेक्नोलॉजी जगत के लिए नए आयाम खोलने वाली है।
‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की।
वरिष्ठ पत्रकार युवराज मलिक ने जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ (Reuters) से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां करीब तीन साल से बतौर टेक रिपोर्टर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। युवराज मलिक ने अब मिडिल ईस्ट के जल्द ही लॉन्च होने वाले पब्लिकेशन ‘बिजीनेक्स्ट’ (BusiNext) में बतौर इंडिया टेक रिपोर्टर जॉइन किया है।
युवराज मलिक ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) से खुद इसकी पुष्टि की है।
युवराज मलिक को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बिजनेस से जुड़ी खबरें कवर करने का करीब एक दशक का अनुभव है। ‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की। इसके अलावा, उन्होंने ‘मिंट’ (Mint) और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) के लिए भारतीय स्टार्टअप जगत पर भी व्यापक रिपोर्टिंग की है। पूर्व में वह विभिन्न भूमिकाओं में ‘मिंट’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ में काम कर चुके हैं।
आपको बता दें कि ‘बिजीनेक्स्ट’ एक जल्द लॉन्च होने वाला फाइनेंस न्यूज पब्लिकेशन है, जो युवा प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे मिस्र के व्यवसायी नग़ीब सविरिस द्वारा समर्थित किया गया है और इसका मुख्यालय दुबई में है।
मलिक का कहना है कि ‘बिजीनेक्स्ट’ उभरते हुए मार्केट्स, जिनमें मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया शामिल हैं, से बिजनेस और मार्केट की न्यूज कवरेज प्रदान करेगा। यह नवंबर के अंत में अपना पहला मीडिया पब्लिकेशन लॉन्च करेगा।
इससे पूर्व वह ‘Pitchfork Partners Strategic Consulting’ में सीओओ के रूप में कार्यरत थे, जहां करीब नौ साल के कार्यकाल में उन्होंने एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर व प्रिंसिपल कंसल्टेंट जैसी अहम भूमिकाएं निभाईं।
‘Lytus Technologies’ ने पंकज डी. देसाई को कंपनी का नया चीफ स्ट्रैटजी एंड ग्रोथ ऑफिसर नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में पंकज कंपनी की रणनीतिक पहलों, साझेदारियों और विकास योजनाओं की देखरेख करेंगे। साथ ही, नए बाजारों में कंपनी का विस्तार करेंगे। इस वैश्विक भूमिका में वह उत्तर अमेरिका और भारत के बीच अपना समय देंगे।
पंकज इससे पहले ‘Pitchfork Partners Strategic Consulting’ में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे, जहां उन्होंने करीब नौ साल तक एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और प्रिंसिपल कंसल्टेंट जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
इससे पहले वह ‘MSLGROUP’ में सीनियर वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे, जहां उन्होंने ग्लोबल बिजनेस ग्रोथ और ऑपरेशंस का नेतृत्व किया। अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह ‘Adani Group’ में मार्केटिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
पंकज को विभिन्न इंडस्ट्रीज के साथ काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। उन्हें स्ट्रैटेजी, ग्रोथ, मार्केटिंग, कम्युनिकेशंस आदि में महारत हासिल है, जिसमें उन्होंने कई इंडस्ट्रीज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में देश में एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसी-एक्सआर) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में देश में एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (एवीजीसी-एक्सआर) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारतीय इमर्सिव क्रिएटर्स संस्थान (IIIC) की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह संस्थान मुंबई में बनाया जाएगा और इसे ''राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र'' (NCoE) के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस निर्णय के तहत, एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत एक कंपनी बनाई जाएगी, जिसमें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) भारत सरकार के साथ भागीदार के रूप में उद्योग निकायों का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह संस्थान फिल्म निर्माण, गेमिंग, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और विज्ञापन जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाएगा।
तकनीक और रोजगार में होगा इजाफा:
रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया aकि इस कदम से फिल्म निर्माण और गेमिंग जैसी इंडस्ट्री में नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा, जिससे लगभग 5 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
विकास का केंद्र बनेगा भारत:
यह संस्थान न केवल एवीजीसी-एक्सआर के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा, बल्कि इसमें काम करने वाले लोगों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करेगा। इसके साथ ही, यह संस्थान नए कॉन्टेंट के निर्माण पर भी फोकस करेगा, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगा।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल:
यह कदम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक होगा। NCoE न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निवेश आकर्षित करेगा, जिससे देश की सॉफ्ट पावर में बढ़ोतरी होगी।
इस संस्थान की स्थापना वित्त वर्ष 2022-23 के बजट घोषणा के अनुसार की गई है, जिसमें एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र के विकास के लिए विशेष कार्यबल बनाने की बात कही गई थी।
इस निर्णय से भारत एनीमेशन, गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स के क्षेत्र में एक वैश्विक हब बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा रहा है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है, जिसमें विवादास्पद 2023 आईटी संशोधन नियमों को रद्द कर दिया गया है। इन नियमों के तहत सरकार को एक 'फैक्ट-चेक यूनिट' स्थापित करने का अधिकार दिया जाना था, जो सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन सामग्री की निगरानी और नियंत्रण करती। ये संशोधन सरकार को यह तय करने का अधिकार देते कि कौन-सी सामग्री 'फर्जी खबर' है और कौन-सी भ्रामक।
हालांकि, कोर्ट ने इस फैसले को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन लोगों की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।
एडिटर्स गिल्ड ने पहले ही इन नियमों को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया था। उनका मानना था कि सरकार द्वारा नियुक्त इकाई को ऑनलाइन सामग्री की सच्चाई परखने का अधिकार देना स्वतंत्र पत्रकारिता को कमजोर करेगा। इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा और सरकार को यह तय करने का असीमित अधिकार मिल जाएगा कि कौन-सी जानकारी सही है और कौन-सी गलत। इसका असर सूचना के स्वतंत्र प्रवाह और जनता के विविध विचारों तक पहुंचने के अधिकार पर भी पड़ेगा।
हाई कोर्ट के इस फैसले में इस तरह की असीमित सरकारी शक्ति के संभावित खतरों को उजागर किया गया और कहा गया कि यह नियम सेंसरशिप का हथियार बन सकते थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी संशोधन नियम संविधान द्वारा दिए गए स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के साथ मेल नहीं खाते और यह एक तरह से सरकारी शक्ति का दुरुपयोग है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कोर्ट के इस फैसले को लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला कार्यकारी शक्ति पर एक ज़रूरी रोक लगाता है और प्रेस की उस भूमिका को सुरक्षित करता है, जिसमें वह लोकतंत्र में पहरेदार की भूमिका निभाता है। गिल्ड ने दोहराया कि स्वतंत्र और स्वतंत्र मीडिया ही स्वस्थ लोकतंत्र का आधार है और प्रेस की इस भूमिका को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश का विरोध किया जाना चाहिए।
यूरोपीय न्यायालय ने गूगल और ऐप्पल के खिलाफ दो ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं, जिसमें दोनों टेक कंपनियों को $14.3 बिलियन की पिछली टैक्स राशि चुकाने का आदेश दिया गया है।
यूरोपीय न्यायालय ने गूगल और ऐप्पल के खिलाफ दो ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं, जिसमें दोनों टेक कंपनियों को $14.3 बिलियन की पिछली टैक्स राशि चुकाने का आदेश दिया गया है।
गूगल के खिलाफ मामला:
गूगल पर 2017 में मामला शुरू हुआ था, जिसमें यूरोपीय संघ ने गूगल पर अपने एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। गूगल पर आरोप था कि उसने अपने गूगल शॉपिंग लिंक को सर्च रिजल्ट में प्रमोट कर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को नुकसान पहुंचाया। इस मामले में गूगल पर पहले ही €2.4 बिलियन का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन गूगल ने इस फैसले के खिलाफ यूरोपीय न्यायालय में अपील की थी। अब न्यायालय ने इस जुर्माने को सही ठहराते हुए फैसला दिया है। न्यायाधीशों ने कहा कि "गूगल का यह आचरण प्रतिस्पर्धा के नियमों के बाहर जाकर भेदभावपूर्ण था।"
ऐप्पल के खिलाफ मामला:
ऐप्पल के खिलाफ मामला 2016 से जुड़ा है। इसमें आरोप है कि आयरलैंड में अधिकारियों ने ऐप्पल को अनुचित टैक्स छूट दी, जिससे अन्य कंपनियों को असमान प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। यूरोपीय संघ लंबे समय से ऐप्पल से यह टैक्स चुकाने की मांग कर रहा था।
दोनों ही मामलों में अदालत ने जो फैसला सुनाया है, वह अंतिम है और इसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकेगी।
'इंडिया न्यूज' के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत कहते हैं कि इंसान की तरह का इंसान आप पैदा करते हैं, वह बायोलॉजिकली नहीं है। लेकिन इंसान से कई गुना ज्यादा इंटेलिजेंट है और वह है 'एआई'
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए 'इंडिया न्यूज' के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत कहते हैं कि आज की तारीख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमारे इस्तेमाल के लिए और हमारे सामने चुनौतियों के लिए जैसे है, जिक्र हम बस वही कर रहे हैं। हम उसके आगे नहीं जा रहे हैं। हमें आगे जाने की जरूरत है। इंसान की तरह का इंसान आप पैदा करते हैं, वह बायोलॉजिकली नहीं है। लेकिन इंसान से कई गुना ज्यादा इंटेलिजेंट है और वह है 'एआई'। यह प्रोग्रामिंग है, कंप्यूटिंग है, प्रोसेसिंग है, फिजिक्स, मैथमेटिक्स और कंप्यूटर साइंस इन तीनों के जरिए जो कुछ भी आप जानने समझने की कोशिश करते हैं, उसके लिए जो औजार आप तैयार करते हैं एआई वही है। यानी कि बहुत सारे ऐसे सवाल जिनका समाधान इंसान नहीं निकाल सकता या जिन चुनौतियों का सामना इंसान नहीं कर सकता है, एआई कर सकता है। जैसे- इस साल फरवरी में एक खबर आई कि चाइना में ‘नविडिया’ (Nvidia) करके कंपनी है जैसे- माइक्रोसॉफ्ट है, टेस्ला है, एपल। यह चाइनीज कंपनी है। दुनिया में दो देश बहुत तेजी से इस पर काम कर रहे हैं अमेरिका और चाइना। चाइना ने फरवरी में एक टोंग टंग नाम का एआई बच्चा डेवलप किया। आप गूगल पर जाएंगे तो मिल जाएगा, वह बच्चे की तरह हरकत करता है। दूध आप देते हैं उसको नहीं पीना है तो वह चिल्लाता है, ‘नहीं पिएंगे’। मिठाई लेने पर खुश हो जाता है। अब यह इंसानी जो भावनाएं होती हैं, जो आप एआई में नहीं पाते थे अगर वह उसमें आना शुरू हो जाता है, तो आने वाले दौर में इंसान को इंसान की जरूरत रहेगी या नहीं यह सोचने की बात है। वैसे लोग जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते थे, लेकिन वह बच्चों को इसलिए अपनाते थे क्योंकि उनके साथ एक परिवार चाहिए। उनके विकल्प तक का विकल्प पैदा हो रहे हैं। इसलिए न्यूज इंडस्ट्री की जो चुनौतियां हैं व छोटी हैं। यहां जो खतरे हैं उस स्तर पर हम उसको नहीं देख रहे हैं, जिस लेवल पर चीजें जा रही हैं।
एक उदाहरण देते हुए राणा यशवंत ने कहा कि अभी बांग्लादेश में हालात बिगड़े, तो शेख हसीना यहां आईं। आप चैट जीपीटी में जाएंगे आपने गूगल से 10-20 आर्टिकल उठाकर चैट जीपीटी में डालेंगे और फिर उसको कमांड देंगे कि शेख हसीना की सत्ता से बाहर जाने और बांग्लादेश में हालात बिगड़ने पर मुझे एक टीवी के लिए हिंदी की सरल भाषा में आर्टिकल चाहिए। जो कॉपी आएगाी मुझे लगता है कि मेरा प्रड्यूसर उससे बेहतर नहीं लिख सकता है। उसमें एंकर है, विजुअल है, बाइट है, टॉप है, लोअर बैंड है यानी कि कंप्लीट कॉपी है। फिर उस कॉपी को एआई के एक अन्य सॉफ्टवेयर ‘इन वडियो’ में डालें। ‘इन वीडियो’ इंटरनेट पर है, तो वह दुनिया भर में जितने भी विजुअल, डेटा, वीडियोज, इमेजेस हैं, जो क्लेम नहीं किए जा सकते, वह सब कुछ उठा लेगा। दुनिया में किसी और आदमी की आवाज से नहीं मिले, ऐसा उम्दा वॉयसओवर करके 20 मिनट में पूरा का पूरा वीडियो करके दे देता है। यानी एक कॉपी 25 मिनट में आपके सामने स्टोरी की शक्ल में आ जाती है, जिसके लिए दो घंटे लगते हैं और उसमें तीन बातें हैं एक कि डेटा गड़बड़ नहीं होगा। दूसरा यह है कि विजुअल जहां जो चाहिए वही है सीक्वेंस, बिल्कुल दुरुस्त हैं और वॉयसओवर क्वॉलिटी का है और एडिटिंग क्लास है। अब एक चैनल जो बहुत सारी गड़बड़ियों के साथ चल रहा था, अचानक से व बेहतरीन दिखता है और इंसान नहीं है, वीडियो एडिटर की जरूरत नहीं है, प्रोड्यूसर की जरूरत नहीं है, ग्राफिक्स आर्टिस्ट की जरूरत नहीं है, तो यह जो पूरा न्यूज रूम होता है, इस न्यूज रूम को उसने बाईपास कर लिया। चैलेंज है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि किसी संपादक को प्रोग्रामिंग करानी है, तो प्रोड्यूसर की जरूरत नहीं। उसको वह एआई के जरिए कर लेगा और यह खतरा है। सवाल यह है कि यदि कोई भी संपादक या कोई भी मैनेजमेंट क्वॉलिटी का कंटेंट चाहता है, तो जाहिर है कि वह क्वॉलिटी पर ध्यान देगा, लोगों की नौकरी पर नहीं। तो फिर आप क्या करेंगे। जाहिर है, आपको अपना विकल्प तलाशना होगा। वैसे लोग जो थोड़ा पॉजिटिव अप्रोच के होते हैं, मेरी तरह के, उनको लगता है कि समाज और देश यह दोनों जितनी चुनौतियां का सामना करते हैं, उतना विकल्प वह अपने लिए निकालते चलते हैं। चैलेंज जब भी आते हैं आप विकल्प निकालते हैं। कभी भी कोई भी सभ्यता नेस्तनाबूद नहीं हुईं, चाहे विज्ञान जहां भी चला गया हो।
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