जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GECs) हमेशा से उसी ट्रैक पर चलते हैं जो इस समय बाजार में ट्रेंड कर रहा होता है। मार्केट में चल रहे इसी ट्रेंड को वह अपने शो में दिखाने का प्रयास करते हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GECs) हमेशा से उसी ट्रैक पर चलते हैं जो इस समय बाजार में ट्रेंड कर रहा होता है। मार्केट में चल रहे इसी ट्रेंड को वह अपने शो में दिखाने का प्रयास करते हैं। आजकल मार्केट में नोटबंदी (demonetisation) का मामला छाया हुआ है ऐसे में सभी चैनल अपने शो में इसी मसले को उठा रहे हैं। प्रमुख चैनल जैसे ‘ZEE’ और ‘Colors’ आदि भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काला धन बाहर निकालने की इस मुहिम में उनके साथ खड़े हुए हैं।
’ &TV’s’ पर आने वाला शो ‘भाभीजी घर पर हैं’ (Bhabiji Ghar Par Hain) और ‘ZEE TV’ पर आने वाला शो ‘जिंदगी की महक’ (Zindagi Ki Mahek) एवं ‘जमाई राजा’(Jamai Raja) अथवा ‘Sab TV’ पर आने वाला शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) व ‘चिडि़याघर’ (Chidiya Ghar) आदि शो में सभी नोटबंदी के मुद्दे को ही दिखा रहे हैं। यही हाल प्रादेशिक चैनलों (regional general channels) का है। वहां पर भी यही मुद्दा छाया हुआ है।
यदि इन शो को देखें तो इनमें भी वही बात दिखाई जा रही हैं कि लोगों के अंदर नोटबंदी को लेकर किस तरह की बेचैनी और बेकार का डर है। इन शो के माध्यम से चैनल लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि लोग इस बात से घबराएं नहीं। शुरुआत में थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है लेकिन आने वाले समय में इसके काफी फायदे होंगे।
उदाहरण के लिए, ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ सीरियल में मुख्य किरदार जेठालाल अपने लाखों रुपयों को लेकर घबरा जाता है और उसे समझ में नहीं आता कि इन पैसों का क्या करे, वहीं ‘देवांशी’ सीरियल में छोटी बच्ची पांच सौ रुपये का पुराना नोट लेकर अपनी मां के लिए गिफ्ट खरीदने जाती है, लेकिन बाजार में उसे पता चलता है कि अब पांच सौ रुपये का पुराना नोट नहीं चलेगा। यहां पर दुकानदार उसे बताता है कि प्रधानमंत्री ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि कालाधन निकलकर बाहर आ सके।
इन दिनों विभिन्न सीरियल्स में नोटबंदी का मुद्दा उठाए जाने के कारणों के बारे में ‘Onspon.com’ के संस्थापक और सीईओ हितेश गोसाईं (Hitesh Gossain) का कहना है, ‘यह बिल्कुल उसी तरह है, जिस तरह आप क्रिकेट का कोई बड़ा मैच देखना चाहते हैं। आप अपने शो में वही कंटेंट रखना चाहते हैं जो मार्केट में चल रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा दर्शक उससे जुड़ सकें। जैसा कि सुना जा रहा है कि अधिकांश लोग नोटबंदी के समर्थन में हैं तो टीआरपी (TRP) बढ़ाने का यह सबसे अच्छा मौका है। हालांकि इस तरह की कवायद का फायदा आने वाले समय में ज्यादा नहीं मिलेगा क्योंकि यह मुद्दा पुराना हो जाएगा।’
‘Contiloe’ के सीईओ अभिमन्यु सिंह का भी कुछ यही मानना है। अभिमन्यु का कहना है, ‘समाज में जो ट्रेंड कर रहा होता है, उस पर शो दिखाने से टीआरपी में बढ़ोतरी होती है। चैनल अपने शो के माध्यम से समाज में वर्तमान में चल रही चीजों को लेकर दर्शकों का मनोरंजन तो करते ही हैं, साथ ही उन्हें उस मुद्दे के प्रति जागरूक भी करते हैं।’
इस बारे में ‘MediaCom’ के नेशनल डायरेक्टर (Buying) के श्रीनिवास राव का कहना है, ‘अधिकांश जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स अपने शो में वहीं मुद्दा उठाते हैं जो उन दिनों समाज में चल रहा होता है। ऐसा करके वे लोगों को अपने शो से जोड़़े रखना चाहते हैं। एक तरफ तो वे नई रिलीज होने वाली मूवी का प्रचार करते हैं और दूसरी तरफ वे लोगों को मार्केट में ट्रेंड कर रही चीजों के बारे में बताते हैं। इस तरह दोतरफा फायदा होता है। दर्शक इस कंटेंट को अपनी दिनचर्या से जोड़कर देखने लगते हैं और चैनलों को अपनी बात उन तक पहुंचाने में मदद मिल जाती है। इसके साथ ही चैनल को किसी ब्रैंड को स्थापित करने में भी काफी मदद मिलती है जिस तरह से आज के हालात में ‘Paytm’ और ‘credit cards’ को बढ़ावा दिया जा रहा है।’
हालांकि इस तरह का ट्रेंड सिर्फ एंटरटेनमेंट चैनलों पर ही नहीं छाया हुआ है बल्कि मूवी चैनल भी इसी का फॉलो कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ‘Zee Cinema’ ने एक नया कैंपेन ‘Share the Change, be the change’ शुरू किया है। ताकि लोग आगे बढ़कर ऐसे लोगों की मदद कर सकें जिन्हें तुरंत कैश की जरूरत है। कई बॉलिवुड मूवी और फिल्मी सितारे भी लोगों को इस मुहिम से जुडने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
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एंड्रॉयड मोबाइल पारिस्थितिकी में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाने के आरोप में इस सर्च इंजन पर 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
‘नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल’ (NCLAT) ने घोषणा की है कि वह ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) द्वारा लगाए गए 936 रुपये के जुर्माने के आदेश के खिलाफ ‘गूगल’ (Google) की याचिका पर 28 नवंबर से सुनवाई शुरू करेगा।
बता दें कि एंड्रॉयड मोबाइल ईकोसिस्टम में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाने के आरोप में इस सर्च इंजन पर ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ द्वारा 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।पिछले साल अक्टूबर में ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल पर एकाधिकार की स्थिति का फायदा उठाने के लिए कुल 2,274.2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
ये जुर्माना दो अलग-अलग मामलों में लगाया गया था, जिसमें पहला करीब 1337 करोड़ रुपए का जुर्माना एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने के मामले में 20 अक्टूबर को लगाया था, जबकि एक हफ्ते के भीतर ही दूसरा जुर्माना करीब 936.44 करोड़ रुपए का लगाया था। यह जुर्माना प्ले स्टोर की नीतियों में अनुचित व्यवहार के लिए लगाया गया था। इसके अलावा सीसीआई ने कहा था कि गूगल मोबाइल पर पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप को उपयोगकर्ताओं द्वारा हटाने पर रोक नहीं लगाएगा।
जनवरी 2023 में ‘NCLAT’ ने ‘CCI’ के आदेश के खिलाफ ‘Google’ को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया था। ‘Google‘ ने ‘NCLAT‘ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की थी, हालांकि बाद में उसने मामला वापस ले लिया था। ‘NCLAT’ ने अब कहा है कि मुकदमा करने वाले को ‘Google’ की अपील पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करना चाहिए।
ट्राई ने शनिवार 22 सितंबर को ‘दूरसंचार, प्रसारण और आईटी (आईसीटी) क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (R&D) प्रोत्साहन’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने शनिवार 22 सितंबर को ‘दूरसंचार, प्रसारण और आईटी (आईसीटी) क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (R&D) प्रोत्साहन’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया। इसका उद्देश्य देश के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र में R&D प्रोत्सान के लिये एक व्यापक इकोसिस्टम विकसित करना है, ताकि सरकार और निजी भागीदारों के समर्थन से आईसीटी उत्पादों और सेवाओं के विकास और नवोन्मेष के लिये R&D वैज्ञानिकों/इंजीनियरों का समूह तैयार करने की एक सुनियोजित प्रक्रिया स्थापित की जा सके।
ट्राई के अनुसार,आज की दुनिया में R&D महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नई प्रौद्योगिकी विकसित करने और उसे व्यवहार में लाने, आर्थिक प्रणाली को नया स्वरूप देने और अनेकानेक औद्योगिक क्रांतियों के जरिये लोगों के जीवन में सुधार लाने में पिछले कई सालों के दौरान किये गये R&D के साहसिक और विकास कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पूरी दुनिया में इस बात को स्वीकार किया गया है कि किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और समूची प्रगति के पीछे उसका R&D इकोसिस्टम जुड़ा होता है। किसी भी देश में उत्पादों और सेवाओं की उपलब्धता, उन तक पहुंच और किफायत बढ़ाने से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही R&D और नवाचार किसी भी देश की आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के लिये भी महत्वपूर्ण है।
ट्राई ने कहा कि भारत के मौजूदा R&D इकोसिस्टम में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां R&D संवर्धन में और सुधार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर R&D में अपनाये जाने वाले बेहतर व्यवहारों से सीखने और उसे भारत में लागू करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन क्षेत्रों की पहचान करने की भी जरूरत है जहां आईसीटी क्षेत्र के R&D में सुधार लाने के लिये नीतियों और प्रोत्साहनों के जरिये हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के तौर पर उभर सके। इसे ध्यान में रखते हुये और ट्राई अधिनियम 1997 के मुताबिक घरेलू स्तर पर विकसित उत्पादों और सेवाओं के साथ आईसीटी उद्योग के सुनियोजित विकास उपायों के लिये प्राधिकरण ने इस महत्वपूर्ण विषय से जुड़े मुद्दों पर भारत सरकार को सिफारिशें देने के उद्देश्य से स्वतः संज्ञान के आधार पर हितधारकों के साथ विचार विमर्श के लिये देश में आईसीटी क्षेत्र में R&D इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के मुद्दों को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर और आईआईटी हैदराबाद आदि सहित विभिन्न शिक्षाविदों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ आनलाइन गहन विचार विमर्श और प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार इस परामर्श पत्र में ट्राई ने उन महत्वपूर्ण मुद्दों का तीन फोकस आधारोंः ‘शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली’, ‘विज्ञान प्रणाली’, और ‘नियामकीय रूपरेखा’, के तहत विश्लेषण किया है जिनमें भारत के मौजूदा R&D इकोसिस्टम में हस्तक्षेप की आवश्यकता है। तीसरे फोकस आधार ‘नियामकीय रूपरेखा’, को दो हिस्सों ‘नीतियां और कार्यक्रम’, और ‘आईपीआर संरचना’ में बांटा गया। R&D और नवाचार को पूरी सक्रियता के साथ प्राथमिकता देने से देश में नये उद्यमियों और नवोन्मेषकों के लिये अनुकूल वातावरण तैयार होगा। परामर्श पत्र में ट्राई ने एक मजबूत R&D इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुये उन संभावित मुद्दों पर चर्चा की है जिनका इसके लिये समाधान जरूरी हैं।
ट्राई ने आगे कहा कि दूरसंचार, प्रसारण और आईटी क्षेत्रों में नवीन प्रौद्योगिकी उपयोग और सम्मिलन काफी तेजी से हो रहा है। इन क्षेत्रों में तेजी से उभरते नये रुझानों में 5जी, 6जी, ओपन- आरएएन, इंटरनेट आफ थिंग्स (आईओटी), कृत्रिम मेधा और एमएल, डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टैक्नालाजी (डीएलटी), आगुमेंटेड रीयल्टी (एआर), वर्चुअल रीयल्टी (वीआर) और मेटावर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाउड सर्विसेज, एज कंप्यूटिंग, नेटवर्क फंक्शन वर्चुलाईजेशन (एनएफवी), साफ्टवेयर डिफान्ड नेटवर्किंग (एसडीएन), ओवर-दी-टॉप (ओटीटी), और हाइब्रिड सेट टाप बाक्स (एसटीबी) आदि शामिल हैं। परामर्श पत्र में सरकार-उद्योग-शिक्षाविद सहयोग, खोज-अनुसंधान के वाणिज्यिक इस्तेमाल, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पेटेंट मंजूरी चक्र, आईपीआर सुरक्षा और आईपी आधारित वित्त आदि से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया और इन उभरते रुझानों पर ध्यान केन्द्रित करने और भारत के R&D और नवाचार प्रयासों की पूरी क्षमता को सामने लाने पर जोर दिया गया है।
ट्राई ने इस परामर्श पत्र में R&D और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी देशों के आर एण्ड डी पारिस्थितिकी तंत्र की भी जानकारी ली है। इनमें इजरायल, कोरिया गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, जापान, स्विटजरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, फिनलैंड आदि शामिल हैं। भारत के लिये पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने और उसके R&D इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास के क्षेत्र के उत्कृष्ट व्यवहार की सीख महत्वपूर्ण हो सकती है।
परामर्श पत्र पर हितधारकों से उनके विचार और सुझाव जानने के लिये इसे ट्राई की वेबसाइट (www.trai.gov.in) पर डाला गया है। हितधारकों से परामर्श मुद्दों पर लिखित टिप्पणियां 23 अक्टूबर 2023 तक और प्रत्युत्तर- टिप्पणियां 6 नवंबर 2023 तक आमंत्रित की गईं हैं।
टिप्पणियां और प्रत्युत्तर टिप्पणियां इलेक्ट्रानिक माध्यम के जरिये ईमेल से advisorit@trai.gov.in और उसकी एक प्रति ja-cadiv@trai.gov.in को भेजी जा सकती हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट को अमल में लाने के लिए अगले एक महीने के अंदर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन किया जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को कहा कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection Act, 2023) को अमल में लाने के लिए अगले एक महीने के अंदर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन किया जाएगा। साथ ही DPDP एक्ट के तहत जरूरी नियमों का दिशा-निर्देश भी एक महीने के भीतर जारी किया जाएगा।
नई दिल्ली में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम पर आयोजित पहले डिजिटल इंडिया वार्ता कार्यक्रम के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह बात कही। इस अधिनियम को हाल ही में लागू किया गया है। ये चर्चाएं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून के विषयबद्ध विशेष खंडों के लिए आवश्यक परिवर्तन समय एवं कार्यान्वयन पर विशिष्ट इनपुट प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रमुख उद्योग हितधारकों के साथ आयोजित की गई थी।
राजीव चन्द्रशेखर ने कहा कि स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और अस्पताल जैसे कुछ व्यवसाय जो लोगों के डेटा को संभालते हैं, उन्हें इन नियमों का पालन करने के लिए अधिक समय दिया सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि उनके पास डेटा को संभालने का उतना ज्यादा अनुभव नहीं हो सकता है जितने बड़े डेटा का अनुभव बड़े जिम्मेदार संगठनों के पास होता है। इसलिए, वे नियमों को सीखने और उनका पालन करने के लिए अधिक समय की मांग सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी तकनीकी फर्मों को कानून लागू करने से पहले मोहलत चाहिए तो उन्हें उसकी उपयुक्त और ठोस वजह बतानी होगी।
सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि यदि कोई इन नियमों को तोड़ता है, तो डेटा संरक्षण बोर्ड इस मामले में दखल देगा और जरूरी कदम उठाएगा। लेकिन वे ऐसा करना तभी शुरू करेंगे जब वे निर्णय लेने के लिए पूरी तरह से तैयार होंगे।
आयोजित सत्र के दौरान राजीव चंद्रशेखर ने इस ऐतिहासिक कानून के व्यवस्था में लाने के पीछे की जद्दोजहद को याद किया, जिसमें इसकी स्थापना से लेकर अधिनियमित कानून के रूप में इसकी वर्तमान स्थिति तक के विकास का पूरा विवरण दिया गया है। राजीव चन्द्रशेखर ने विस्तार से बताया कि कैसे यह कानून प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप एक व्यापक मिशन के रूप में एकीकृत होता है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का उद्देश्य मंचीय दायित्वों के साथ-साथ भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समसामयिक व प्रासंगिक कानून व्यवस्था को लागू करना है।
सत्र में औद्योगिक संघों, स्टार्टअप्स, सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों, विचारकों और अधिवक्ताओं सहित प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। परामर्श में लगभग 100 से अधिक लोग शामिल हुए।
केंद्रीय मंत्री ने इस कानून का प्राथमिक उद्देश्य दोहराया, जो सभी डिजिटल नागरिकों के विश्वास एवं सुरक्षा की गारंटी देता है। उन्होंने बताया, कानून में इस बात पर जोर दिया गया है कि हर तरह से डेटा के लिए जिम्मेदार सभी संगठनों को इस कानून का पालन करना चाहिए। राजीव चन्द्रशेखर ने आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार बाध्यकारी कारणों के साथ अनुपालन अवधि बढ़ाने के लिए वैध तर्कों पर विचार करने हेतु तैयार है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो कंपनियां पहले से ही जीडीपीआर (ईयू का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन) जैसे समान नियमों का पालन करती हैं, उन्हें इन नए नियमों का अनुपालन करने के लिए बहुत लंबे समय की मांग नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हम अब इन नियमों को लागू करने के चरण में हैं और यह सुचारू रूप से तथा शीघ्रता के साथ होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य विश्वास की संस्कृति को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत डेटा से निपटने वाले सभी लोगों के बीच एक व्यवहारिक परिवर्तन और उन्हें इसे जिम्मेदारी से तथा उस विश्वास के साथ संरेखित करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करना होगा, जिस पर डेटा सिद्धांत लागू हो सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह एक निवारक कार्य है और यह अच्छे आचरण का निर्माण करने वाला भी है।
ये परामर्श कानून एवं नीति निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परामर्शी दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के कार्यान्वयन तथा नियम संरचनाओं पर परामर्श किया जा रहा है।
इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप ‘वॉट्सऐप’ (WhatsApp) पर एक नया फीचर जारी किया गया है। इस फीचर के तहत वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल के दौरान यूजर्स अब स्क्रीन भी शेयर कर सकेंगे।
इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप ‘वॉट्सऐप’ (WhatsApp) पर एक नया फीचर जारी किया गया है। इस फीचर के तहत वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल के दौरान यूजर्स अब स्क्रीन भी शेयर कर सकेंगे।
फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर इसकी घोषणा की है। अपनी पोस्ट के साथ जुकरबर्ग ने एक स्क्रीन शॉट भी शेयर किया है, जिसमें वह वीडियो कॉल पर दिखाई दे रहे हैं।
इस तरह करेगा काम
-- जिस व्यक्ति अथवा ग्रुप के साथ आप अपनी स्क्रीन शेयर करना चाहते हैं, उसे वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल करें।
-- एक बार कॉल कनेक्ट हो जाने पर बस ‘शेयर’ आइकॉन पर क्लिक अथवा टैप करें।
-- इसके बाद ऐप स्क्रीन शेयर एक्सेस देने के लिए कहेगा।
-- अब यूजर्स किसी खास ऐप अथवा पूरी स्क्रीन को शेयर करने का विकल्प चुन सकते हैं। वीडियो कॉल के दौरान आप बीच कॉल में स्टॉप शेयरिंग पर टैप करके कभी भी स्क्रीन शेयरिंग को बंद कर सकते हैं।
डिज्नी+हॉटस्टार उन कंपनियों में से एक है, जिन्होंने गूगल प्ले स्टोर के बिलिंग मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हुआ है।
डिज्नी+हॉटस्टार (Disney+ Hotstar) के लिए एक राहत भरी खबर है। दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने गूगल (Google) को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर किए गए सभी भुगतानों पर केवल 4% कमीशन लगाने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने गूगल से यह भी कहा कि जब तक मामला कोर्ट में विचाराधीन है, तब तक वह स्ट्रीमिंग ऐप को गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) से डिलीट न करे।
गूगल के एक प्रवक्ता ने इस सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अस्थायी 4% का आंकड़ा केवल एक शुल्क है, जो डेवलपर इस कानूनी कार्यवाही के दौरान हर महीने गूगल को भुगतान करेगा।
न्यायमूर्ति एटी उषा की एकल पीठ ने डिज्नी+हॉटस्टार से कहा कि वह गूगल को अंतरिम शुल्क के समय पर कलेक्शन में सहायता के लिए मासिक लेखांकन जानकारी भी प्रदान करें।
डिज्नी+हॉटस्टार उन कंपनियों में से एक है, जिन्होंने गूगल प्ले स्टोर के बिलिंग मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हुआ है। कंपनियों ने गूगल के उन निर्देशों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है, जिसके तहत ऐप्स को सभी भुगतानों के लिए गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम का उपयोग करना जरूरी है। गूगल बदले में प्लेटफॉर्म पर किए गए सभी भुगतानों के लिए 11 से 26% तक कमीशन लेता है।
Unacademy, Kuku FM, TrulyMadly और QuackQuack, प्रतिलिपि, क्राफ्टो, आनंद विकटन और Aha के अलावा भारत मैट्रिमोनी व Shaadi.com जैसे अन्य प्लेटफॉर्म हैं, जो गूगल के नियम के खिलाफ डिज्नी + हॉटस्टार के साथ मिलकर हाई कोर्ट का रुख किया है।HC से संपर्क करने के लिए डिज्नी + हॉटस्टार में शामिल हुए थे।
गूगल ने ये सिस्टम अक्टूबर 2022 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के उस आदेश के बाद लागू किया है, जिसमें थर्ड पार्टी बिलिंग सिस्टम के इस्तेमाल की इजाजत देने के लिए कहा गया था। गूगल ने थर्ड पार्टी को बिलिंग सिस्टम के इस्तेमाल की इजाजत दी है, लेकिन गूगल इसके लिए 11-26 फीसदी सर्विस चार्ज लेता है। पिछले इन-ऐप भुगतान सिस्टम में ऐप डेवलपर्स और स्टार्टअप को गूगल की सेवाओं के लिए 15-30 फीसदी का भुगतान करना पड़ता था।
जानिए क्या है गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम-
गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम उन डेवलपर्स के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, जिनके ऐप में डिजिटल कंटेंट के खरीदने की सुविधा होती है। गूगल डेवलपर्स से सभी तरह के डिजिटल कंटेंट की बिक्री पर कमीशन लेता है। एपल के ऐप स्टोर पर भी इसी तरह की सुविधा है और एपल भी कमशीन लेता है। गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने पर आपके पास महीने का बजट तय करने, पेमेंट का इतिहास देखने और सदस्यताएं मैनेज करने का विकल्प होता है।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले के खिलाफ दायर गूगल और CCI की अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट अब 10 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई करेगा
टेक कंपनी गूगल के एंड्रॉयड मोबाइल डिवाइस से संबंधित मामले में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट अब 10 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की एक पीठ ने शुक्रवार को इस मामले में दायर गूगल और भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) की अपीलों पर कहा कि वह मामले से जुड़े पहलुओं पर गौर करने के लिए कुछ वक्त चाहती है।
इस पर एक पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि याचिका को बाद में अंतिम निपटान के लिए रखा जा सकता है।
तब पीठ ने कहा कि क्रॉस-याचिकाओं को अंतिम निपटान के लिए 10 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जा सकता है और सभी पक्षों को 7 अक्टूबर तक दलीलें दाखिल करने का काम पूरा करना होगा। साथ ही पीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों की मदद से एक साझी डिजिटल दलील तैयार करने के लिए वकील समीर बंसल को नोडल वकील भी नियुक्त किया।
बता दें कि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने 29 मार्च को इस मामले में गूगल के कथित प्रतिस्पर्धा-रोधी तरीकों पर एक फैसला सुनाया था, जिसमें ट्रिब्यूनल ने गूगल पर लगाए गए 1,338 करोड़ रुपए के जुर्माने को बरकरार रखा था, लेकिन उसके प्लेस्टोर पर दूसरे ऐप स्टोर को मंजूरी देने जैसी शर्तें हटा दी थीं।
एंड्रॉयड मोबाइल पारिस्थितिकी में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाने के लिए सीसीआई ने गूगल पर यह जुर्माना लगाया था। इसके अलावा सीसीआई ने कहा था कि गूगल मोबाइल पर पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप को उपयोगकर्ताओं द्वारा हटाने पर रोक नहीं लगाएगा। NCLAT के इस आदेश के खिलाफ गूगल और सीसीआई दोनों ने ही सुप्रीम कोर्ट में अपील की हुई है।
पिछले साल 20 अक्टूबर को सीसीआई ने एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-रोधी तौर-तरीके अपनाने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इस फैसले को NCLAT के समक्ष चुनौती दी गई थी जहां से उसे आंशिक राहत मिली थी।
टेक कंपनी गूगल (Google) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
टेक कंपनी गूगल (Google) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गूगल ने कोर्ट से उसके खिलाफ दिए गए सभी निर्देशों को रद्द करने का अनुरोध किया है।
बता दें कि NCLAT ने गूगल पर लगाए 1,338 करोड़ रुपए के जुर्माने को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। गूगल पर यह जुर्माना भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने लगाया है।
गूगल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमने एंड्रॉयड मामले में NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की है। NCLAT ने यह सही पाया कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार से नुकसान को अभी साबित करने की जरूरत है, लेकिन इस शर्त को उसने CCI की ओर से जारी निर्देशों पर लागू नहीं किया और जुर्माने को बरकरार रखा।'
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने कोर्ट में दलील दी है कि उसने मार्केट में अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल नहीं किया है और उसे जुर्माना चुकाने के लिए जिम्मेदार नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी बताने की अनुमति मांगी है कि एंड्रॉयड से कैसे भारतीय यूजर्स, डेवलेपर्स और OEMs को फायदा मिला है, साथ ही इसने कैसे भारत में डिजिटल परिवर्तन को रफ्तार दी है।
सीसीआई ने गूगल को एंड्रॉयड बाजार में अपने दबदबे के दुरुपयोग का दोषी ठहराते हुए उसे 10 कड़े निर्देश दिए थे और 1,336 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। गूगल ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी थी। हालांकि NCLAT ने मार्च 2023 में आंशिक रूप से सीसीआई के आदेश को बरकरार रखा।
गूगल भारत के डिजिटाइजेशन फंड में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अमेरिका दौरे के आखिरी दिन मुलाकात की। वॉशिंगटन में हुई इस मुलाकात के बाद सुंदर पिचाई ने डिजिटल इंडिया के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण की तारीफ की और यह भी कहा कि गूगल भारत के डिजिटाइजेशन फंड में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके साथ ही गुजरात में अपना वैश्विक फिनटेक ऑपरेशन सेंटर खोलने की बात भी सुंदर पिचाई ने कही।
सुंदर पिचाई ने कहा कि अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान पीएम मोदी से मिलना सम्मान की बात थी। हमने प्रधानमंत्री मोदी के साथ साझा किया कि गूगल भारत के डिजिटलीकरण कोष में 10 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। हम गुजरात में अपना वैश्विक फिनटेक ऑपरेशन सेंटर खोलने की घोषणा कर रहे हैं।
गूगल के सीईओ ने कहा कि डिजिटल इंडिया के लिए प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण उनके समय से कहीं आगे का था और मैं अब इसे एक ब्लूप्रिंट के रूप में देखता हूं, जिसे अन्य देश करना चाह रहे हैं।
दोनों वीकली शो 10 जून को एनडीटीवी 24×7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों पर लाइव होने वाले हैं। इसके साथ ही वह एनडीटीवी के डिजिटल प्लेटफॉर्म गैजेट्स360 डॉट कॉम पर विशेष रूप से उपलब्ध रहेंगे।
‘एनडीटीवी’ (NDTV) और इसके डिजिटल वेंचर ‘गैजेट360’ (Gadgets360.com) ने घोषणा की है कि टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी उनके टेक्नोलॉजी वर्टिकल का नया चेहरा होंगे। इसके तहत शुरुआत में एनडीटीवी और गौरव चौधरी दो वीकली टेक्नोलॉजी शो 'गैजेट्स 360 विद टेक्निकल गुरुजी' (Gadgets 360 with Technical Guruji) और 'टेक विद टीजी' (Tech with TG) पेश करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। दोनों शो शनिवार (10 जून) को एनडीटीवी 24×7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों पर लाइव होने वाले हैं। इसके साथ ही वह एनडीटीवी के डिजिटल प्लेटफॉर्म गैजेट्स360 डॉट कॉम पर विशेष रूप से उपलब्ध रहेंगे।
इस बारे में ‘एनडीटीवी नेटवर्क’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सेंथिल सिन्नैया चेंगलवारायण का कहना है, ‘एनडीटीवी इनोवेटिव और लीक से हटकर शोज में अग्रणी रहा है, जो हमेशा विकसित होती टेक्नोलॉजी की दुनिया के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। एनडीटीवी परिवार में टेक्निकल गुरुजी के नाम से मशहूर गौरव चौधरी का शामिल होना हमारे लिए काफी खुशी की बात है। हमें पूरा विश्वास है कि उनकी विशेषज्ञता, ज्यादा से ज्यादा दर्शकों के साथ जुड़ने की क्षमता और इतने बड़े विषय की अनूठी प्रस्तुति शैली हमारी पेशकश को बढ़ाएगी और इस महत्वपूर्ण शैली में एक लीडर के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करेगी।’
Gadgets360.com (Red Pixels Ventures Limited) के सीईओ वैभव सहगल का कहना है, ‘दुनिया के सबसे लोकप्रिय टेक्नोलॉजी इंफ्लूएंसर का दुनिया के सबसे अधिक बार देखे जाने वाले और विश्वसनीय टेक्नोलॉजी न्यूज पोर्टल और टीवी टेक्नोलॉजी प्रोग्रामिंग में अग्रणी के साथ साझेदारी तकनीक की दुनिया को हमेशा के लिए बदलने जा रही है। एनडीटीवी और गैजेट्स 360 फैमिली में गौरव का शामिल होना हमारे लिए काफी रोमांचक है। उनकी विशाल सोशल मीडिया मौजूदगी, जटिल टेक्निकल अवधारणाओं को सरल बनाने में विशेषज्ञता और उनके व्यक्तित्व ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई है। उनकी उपस्थिति उच्च-गुणवत्ता और अत्याधुनिक तकनीकी कंटेंट प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को गति प्रदान करेगी ताकि हम अपने दर्शकों और पाठकों को सर्वश्रेष्ठ देने में सबसे आगे रहें और यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी और गैजेट के प्रति उत्साही लोगों के लिए हम गो-टू हब बने रहें।’
वहीं, गौरव चौधरी का कहना है, ‘एनडीटीवी परिवार का हिस्सा बनकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। टेक्नोलॉजी के लिए मेरे जुनून को एक और विश्वसनीय मंच मिल गया है, जिसके साथ मैं देश की गहरी जड़ों तक पहुंच सकता हूं, ताकि इसे जनता के लिए और अधिक सरल बनाया जा सके। मुझे विश्वास है कि एनडीटीवी और गैजेट्स 360 में मेरी मौजूदगी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी और इसे नए क्षितिज तक ले जाएगी। मैं अपने सभी व्युअर्स और सबस्क्राइबर्स का शुक्रगुजार हूं। उनके मुझ पर विश्वास के कारण ही मैं इन नई ऊंचाइयों तक पहुंचा हूं। मैं इस नए सफर के लिए उत्साहित हूं।
गूगल, मेटा, एमेजॉन जैसी कई टेक कंपनियों ने बड़े पैमाने पर एम्प्लॉयीज की छंटनी की है। अब इस लिस्ट में लिंक्डइन का नाम भी जुड़ गया है।
गूगल, मेटा, एमेजॉन, ट्विटर जैसी कई टेक कंपनियों ने बड़े पैमाने पर एम्प्लॉयीज की छंटनी की है। अब इस लिस्ट में लिंक्डइन (LinkedIn) का नाम भी जुड़ गया है।लिंक्डइन की पैरेंट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (Microsoft Corp) ने 716 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने का मन बना लिया है। कंपनी ने इसके साथ ही अपनी चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन को भी बंद करने का ऐलान किया है। मांग में अस्थिरता के चलते कंपनी ने ये फैसला किया है।
गौरतलब है कि लिंक्डइन में कुल 20,000 से ज्यादा एम्प्लॉयीज कार्यरत हैं। पिछले साल हर तिमाही में कंपनी की कमाई में बढ़त दर्ज की गई है। ऐसे में प्रॉफिट में बढ़ोतरी के बाद भी छंटनी का फैसला हैरान कर देने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लिंक्डइन ने वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया है।
लिंक्डइन के सीईओ रेयान रोसलैंस्की (Ryan Roslansky) ने एम्प्लॉयीज को ई-मेल भेजकर यह जानकारी दी है और कहा कि बदलते माहौल में हमने अपने ग्लोबल बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन (GBO) में बड़े बदलाव किए हैं और चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन को बंद करने का फैसला लिया है। इसके बाद कंपनी के कुल 716 एम्प्लॉयीज पर इसका असर पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि सेल्स, ऑपरेशन और सपोर्ट टीम में छंटनी की जाएगी ताकि कोई भी फैसला लेने में तेजी आ सके।
छंटनी के अलावा सीईओ ने नई नौकरी के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने ने कहा है कि कंपनी में किए गए बदलावों के बाद कुल 250 पदों पर नौकरी का सृजन होगा। ऐसे में छंटनी का शिकार हुए एम्प्लॉयीज भी इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कंपनी ने अपने चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन InCareer के ऑपरेशन को 9 अगस्त, 2023 तक पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है। सीईओ रोसलैंस्की ने कहा कि शुरुआत में InCareer ने कुछ बड़ी सफलता हासिल की, लेकिन इस बदलते वैश्विक माहौल में इस ऐप को बंद कर देना ही लिंक्डइन के लिए लाभकारी है।