सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गूगल को एक बड़ा झटका दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गूगल को एक बड़ा झटका दिया है। दरअसल कोर्ट ने एंड्रॉयड एंटी-ट्रस्ट मामले में 19 जनवरी के दिए गए आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने गूगल को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के आदेश के अनुसार ही एंड्रॉयड इकोसिस्टम में बदलाव करने को कहा था।
वहीं, कोर्ट ने गूगल से कहा कि कंपनी, NCLAT के समक्ष अपनी शिकायतों की मांग उठा सकती है। बता दें कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के 10 फीसदी जुर्माना जमा करने के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि वह 19 जनवरी के आदेश में ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के’ जोड़ सकती है और इससे ज्यादा कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।
गूगल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि 19 जनवरी के आदेश में कुछ हिस्से को हटाने की जरूरत है। इस पर, बेंच ने कहा कि आदेश ओपन कोर्ट में दिया गया था और इसलिए इसे स्पष्ट करने या संशोधित करने के लिए कुछ भी नहीं है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने कहा कि गूगल एलएलसी (लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी) की अपील नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के समक्ष अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है और वे ट्रिब्यूनल के समक्ष इन मुद्दों को उठा सकते हैं।
बता दें कि कथित तौर पर अपने प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल करने के लिए NCLAT ने गूगल को भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपए के जुर्माने का 10 फीसदी जमा करने का निर्देश दिया था। 19 जनवरी को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश का समर्थन किया था।
वहीं नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल को इस मामले पर 31 मार्च तक फैसला करने को कहा गया है। इस पर गूगल का कहना था कि हम इस फैसले की समीक्षा कर रहे हैं, जो हमें अंतरिम राहत मिली है वह हमारी अपील के मकसद को तय नहीं करता है। हम अपने उपयोगकर्ताओं और साझेदारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और आगे हम सीसीआई के साथ सहयोग करेंगे।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।गूगल, मेटा, एमेजॉन जैसी कई टेक कंपनियों ने बड़े पैमाने पर एम्प्लॉयीज की छंटनी की है। अब इस लिस्ट में लिंक्डइन का नाम भी जुड़ गया है।
गूगल, मेटा, एमेजॉन, ट्विटर जैसी कई टेक कंपनियों ने बड़े पैमाने पर एम्प्लॉयीज की छंटनी की है। अब इस लिस्ट में लिंक्डइन (LinkedIn) का नाम भी जुड़ गया है।लिंक्डइन की पैरेंट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (Microsoft Corp) ने 716 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने का मन बना लिया है। कंपनी ने इसके साथ ही अपनी चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन को भी बंद करने का ऐलान किया है। मांग में अस्थिरता के चलते कंपनी ने ये फैसला किया है।
गौरतलब है कि लिंक्डइन में कुल 20,000 से ज्यादा एम्प्लॉयीज कार्यरत हैं। पिछले साल हर तिमाही में कंपनी की कमाई में बढ़त दर्ज की गई है। ऐसे में प्रॉफिट में बढ़ोतरी के बाद भी छंटनी का फैसला हैरान कर देने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लिंक्डइन ने वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया है।
लिंक्डइन के सीईओ रेयान रोसलैंस्की (Ryan Roslansky) ने एम्प्लॉयीज को ई-मेल भेजकर यह जानकारी दी है और कहा कि बदलते माहौल में हमने अपने ग्लोबल बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन (GBO) में बड़े बदलाव किए हैं और चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन को बंद करने का फैसला लिया है। इसके बाद कंपनी के कुल 716 एम्प्लॉयीज पर इसका असर पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि सेल्स, ऑपरेशन और सपोर्ट टीम में छंटनी की जाएगी ताकि कोई भी फैसला लेने में तेजी आ सके।
छंटनी के अलावा सीईओ ने नई नौकरी के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने ने कहा है कि कंपनी में किए गए बदलावों के बाद कुल 250 पदों पर नौकरी का सृजन होगा। ऐसे में छंटनी का शिकार हुए एम्प्लॉयीज भी इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कंपनी ने अपने चाइनीज जॉब ऐप्लिकेशन InCareer के ऑपरेशन को 9 अगस्त, 2023 तक पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है। सीईओ रोसलैंस्की ने कहा कि शुरुआत में InCareer ने कुछ बड़ी सफलता हासिल की, लेकिन इस बदलते वैश्विक माहौल में इस ऐप को बंद कर देना ही लिंक्डइन के लिए लाभकारी है।
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इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) ने कथित तौर पर सरकार से सी-बैंड (3,700-4,200 मेगाहर्ट्ज) में स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करने का आग्रह किया है। दरअसल ऐसा इसलिए, क्योंकि आमतौर पर सी-बैंड में इस फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के लिए होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फेडरेशन के अनुसार, इस बैंड को अन्य सर्विस के लिए आवंटित करने से ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र में बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि सैटेलाइट सिग्नल के साथ टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन में भी दिक्कतें उत्पन्न होने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, IBDF के प्रेजिडेंट व डिज्नी स्टार के हेड के. माधवन ने इस संबंध में सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) को एक पत्र लिखा है।
माधवन ने पत्र में कहा कि हम सरकार से केबल और सैटेलाइट इंडस्ट्री और लाखों टीवी उपभोक्ताओं/दर्शकों को टेलीविजन देखने में व्यवधान पैदा कर सकता है, लिहाजा इसे रोकने के लिए हम NFAP-2018 के तहत दिए गए नियमों के आधार पर 3,700 मेगाहर्ट्ज से 4,200 मेगाहर्ट्ज तक की बैंड की नीलामी नहीं करने का अनुरोध करते हैं।
IBDF के प्रेजिडेंट ने कथित तौर पर तर्क दिया है कि सी-बैंड स्पेक्ट्रम से समझौता करना संभव नहीं है, क्योंकि सैटेलाइट द्वारा उपयोग किया जाने वाला स्पेक्ट्रम एक कक्षीय नामित स्पेक्ट्रम है और नीलामी के लिए भारत सरकार के स्वामित्व में नहीं है।
IBDF के प्रेजिडेंट ने कथित रूप से इस मामले पर विस्तृत चर्चा के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय से एक मीटिंग करने का आग्रह किया है। पत्र में, उन्होंने कहा है कि सी-बैंड में 5जी, 6जी सर्विस द्वारा उत्पन्न हस्तक्षेप से देश भर में केबल टीवी से जुड़े हजारों लोग प्रभावित होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि प्रभावित होने वाले अधिकांश घर मध्यम या निम्न-आय वर्ग वाले समूह से होंगे, जिनके लिए टीवी एकमात्र मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सूचना प्रसार और शिक्षा का सबसे उचित माध्यम है।
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दिग्गज टेक कंपनी 'गूगल' (Google) ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल-बेंच के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसमें बेंच ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से गूगल की नई भुगतान नीति के खिलाफ दायर अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) की अर्जी पर 26 अप्रैल तक विचार करने को कहा है।
गूगल ने न्यू बिलिंग पॉलिसी पर दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल-बेंच के इसी निर्देश को चुनौती दी है। अपनी याचिका में गूगल ने कहा कि टेक जायंट की नई इन-ऐप यूजर्स लाइक बिलिंग पॉलिसी के खिलाफ स्टार्ट-अप के गठबंधन द्वारा दायर आवेदनों को लिया जाए और उस पर 26 अप्रैल से पहले विचार किया जाए।
इसके साथ ही गूगल ने तत्काल सूचीबद्ध कर सुनवाई की मांग की, लेकिन हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है।
दरअसल सोमवार को न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला ने ADIF की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था कि प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) गूगल की नई ऐप डाउनलोड व बिलिंग संबंधी पॉलिसी पर 26 अप्रैल तक या उसके पहले विचार करे।
बता दें कि देश में स्टार्टअप कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन ADIF ने कमीशन के आधार पर ऐप में खरीद की छूट और डाउनलोड की सुविधा देने की गूगल की नई पॉलिसी को चुनौती दी है।
ADIF की मांग है कि गूगल अपने प्रस्तावित यूजर चॉइस बिलिंग (UCB) को तब तक के लिए स्थगित रखे, जब तक कि CCI पिछले साल अक्टूबर के गूगल प्ले स्टोर पॉलिसी मामले में जांच पूरी नहीं कर लेता। ADIF के मुताबिक, गूगल को पहले ऐप डेवलपर्स को भुगतान किए गए ऐप डाउनलोड और इन-ऐप खरीदारी सहित सभी लेनदेन के लिए गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम (GPBS) नामक भुगतान विधि का उपयोग करने की जरूरत थी।
अक्टूबर 2022 में, ADIF के एक आवेदन पर CCI ने GPBS के लिए गूगल पर जुर्माना लगाया और उसे इन-ऐप भुगतान के लिए थर्ड पार्टी बिलिंग सर्विसेज के उपयोग की अनुमति देने का निर्देश दिया।
मशहूर स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है
मशहूर स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023 को 6 अप्रैल को अधिसूचित कर दिया है। नए नियमों के तहत किसी भी खबर या सोशल मीडिया पोस्ट की सच्चाई जांचने के लिए एक अलग संस्था बनाई जाएगी। बता दें कि सरकार इस संस्था से अनुरोध करके 'फेक न्यूज' को हटवा सकेगी। लिहाजा कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम 2021) में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी है।
कोर्ट में कामरा की याचिका स्वीकार कर ली गई है और मामले में सुनवाई 21 अप्रैल को की जाएगी। वहीं कुणाल कामरा की याचिका के बाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में अपना जवाब कोर्ट को दे।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की बेंच ने कहा कि सरकार अपने हलफनामे में यह बताए कि यह संशोधन क्यों जरूरी है। अदालत ने केंद्र को 19 अप्रैल तक अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और कहा है, 'क्या कोई तथ्यात्मक पृष्ठभूमि या कारण था जिसके कारण यह संशोधन करना आवश्यक था? याचिकाकर्ता कुणाल कामरा का अनुमान है कि किसी प्रभाव के चलते यह संशोधन किया गया।'
अपनी याचिका में कुणाल कामरा ने कहा कि वह एक राजनीतिक व्यंग्यकार हैं, जो अपना कॉन्टेंट शेयर करने के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। उनके मुताबिक, संभावना है कि संशोधित नियम उनके कॉन्टेंट पर मनमाने ढंग से रोक लगाएंगे या फिर उनके सोशल मीडिया अकाउंट को सस्पेंड या हमेशा के लिए बंद किया जा सकता है, जिससे उन्हें पेशेवर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
कुणाल कामरा ने याचिका में अदालत से संशोधित नियमों को असंवैधानिक घोषित करने और सरकार को इन संशोधित नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
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दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने छंटनी की खबरों के बीच अपने एम्प्लॉयीज को एक और झटका दिया है। गूगल ने एम्प्लॉयीज को एक ईमेल में बताया है कि इस साल सीनियर लेवल पर ही कुछ एम्प्लॉयीज को प्रमोशन मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने एम्प्लॉयीज को ईमेल के जरिए बताया कि इस साल केवल एक दर्जन एम्प्लॉयीज को ही सीनियर लेवल पर प्रमोट किया जाएगा। इस बार का प्रमोशन पिछली बार की तरह ही मैनेजर पर निर्भर होगा। नए लोगों की कम हायरिंग के बीच हम L6 और इससे ऊपर कुछ ही प्रमोशन करने की प्लानिंग कर रहे हैं। बता दें कि L6 में वे एम्प्लॉयीज शामिल हैं, जिन्हें लगभग दस साल का अनुभव है।
गूगल ने हाल ही में नए परफॉर्मेंस रिव्यू सिस्टम की शुरुआत की है, जिसका नाम गूगल रिव्यू एंड डेवलपमेंट (GRAD) है। इसके चलते इस बार गूगल के अधिक एम्प्लॉयीज को लो-परफॉर्मेंस रेटिंग दी गई है और कम लोगों को ही अधिक अंक मिले हैं। यही वजह है कि इस बार कुछ लोगों को ही प्रमोशन दिया जाएगा।
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टेक कपंनी गूगल ने एक भारतीय स्टार्टअप में करीब 40 करोड़ रुपए (5 मिलियन डॉलर) का निवेश किया है। यह निवेश हुआ है प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री से जुड़ी (प्रोप्टेक) स्टार्टअप नोब्रोकर डॉट कॉम (NoBroker.com) में।
नोब्रोकर के को-फाउंडर अखिल गुप्ता ने बताया कि सीरीज E फंडिंग राउंड में गूगल ने पांच मिलियन डॉलर का निवेश किया है। यह इनवेस्टमेंट एक बिलियन डॉलर की वैल्यू पर हुआ है। यानी कि इस कंपनी में गूगल ने 0.5 फीसदी की हिस्सेदारी ली है। अखिल गुप्ता का कहना है कि ऐसा कर गूगल नोब्रोकर में निवेश करने वाले समूहों जनरल अटलांटिक, टाइगर ग्लोबल और मुरी स्ट्रेटेजिक की लिस्ट में शामिल हो गया है। इस नई फंडिंग का इस्तेमाल कंपनी वर्तमान शहरों और नए जुड़ने वाले में ग्राहकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए करेगी।
बता दें कि स्टार्टअप नोब्रोकर डॉट कॉम (NoBroker.com) की स्थापना आईआईटी बॉम्बे के ग्रेजुएट अखिल गुप्ता, आईआईटी कानपुर के ग्रेजुएट अमित कमार और सौरभ गर्ग ने मिल कर की है। नोब्रोकर डॉट कॉम एक प्रोपटेक स्टार्टअप है, जिसमें रियल एस्टेट या प्रॉपर्टी रिलेटेड वर्क बिना किसी दलाली या ब्रोकरेज के संपन्न होते हैं।
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महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित गूगल के ऑफिस में सोमवार को धमकी भरा फोन आया, जिसमें कॉलर ने बम से उड़ाने की धमकी दी और बताया कि ऑफिस में बम रखा गया है। गूगल के अधिकारियों ने तुरंत इस बात की सूचना पुलिस को दी और मुंबई पुलिस ने पुणे पुलिस के साथ तफ्तीश शुरू की और तुरंत कार्यवाही करते हुए हैदराबाद से एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी को पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक, धमकी देने वाले कॉलर ने अपना नाम पणयम शिवानंद बताया। उसने फोन पर ये भी कहा कि वह हैदराबाद में रहता है।
इस मामले में मुंबई के बीकेसी थाने में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने केस से जुड़ी सारी जानकारी पुणे पुलिस को दे दी है, ताकि वह भी जांच कर सके। पुलिस ने बताया कि मामले में आगे की जांच जारी है। एक अधिकारी ने बताया कि धमकी भरा फोन करने वाला शख्स शराब के नशे में था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस को अभी तक ऑफिस के कुछ भी संदेहास्पद नहीं मिला है। मुंबई पुलिस की एक टीम भी तेलंगाना में है और कॉलर को मुंबई लाने की तैयारी कर ली गई है। हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि कॉल करने के पीछे शख्स का मकसद क्या था।
पुलिस ने कॉलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (1) (ब) और 506 (2) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है।
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टेक कंपनी गूगल में भारी छंटनी के ऐलान के बाद एक नया घटनाक्रम सामने आया है। दरअसल, खबर है कि कॉस्ट-कटौती की कवायद के तहत गूगल अब इस साल अपने सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की सैलरी में कटौती की करेगी।
बता दें कि कंपनी ने पिछले हफ्ते ही दुनियाभर में अपने 12,000 एम्प्लॉयीज की छंटनी का ऐलान किया था, जोकि उसके कुल स्टाफ का 6 फीसदी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक मीटिंग के दौरान गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कंपनी के कॉस्ट-कटिंग के उपायों के तहत टॉप एग्जिक्यूटिव्स के वेतन में कटौती की जाने की बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक, पिचाई ने कहा कि सीनियर वाइस प्रेसिडेंट से ऊपर के सभी अधिकारियों को उनके सालाना बोनस में भारी कटौती का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि सीनियर पोजीशन पर मिलने वाला बोनस कंपनी के प्रदर्शन से लिंक होता है।
हालांकि कंपनी में की गई छंटनी वैश्विक स्तर पर हुई है, लेकिन सुंदर पिचाई ने इसकी जिम्मेदारी खुद पर ली है। उन्होंने कहा कि छंटनी का फैसला फाउंडर्स, कंट्रोलिंग शरहोल्डर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ चर्चा के बाद लिया गया है।
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गूगल की पेरेंट कंपनी ‘एल्फाबेट’ (Alphabet) ने घोषणा की है कि वह लगभग 12,000 एम्प्लॉयीज की कटौती करने की योजना बना रहा है
गूगल की पेरेंट कंपनी ‘एल्फाबेट’ (Alphabet) ने घोषणा की है कि वह लगभग 12,000 एम्प्लॉयीज की कटौती करने की योजना बना रहा है। ‘एल्फाबेट’ के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) सुंदर पिचाई ने एक स्टाफ मेमो में यह जानकारी दी है। बता दें कि यह उसकी दुनिया भर में मौजूद वर्कफोर्स की लगभग 6 फीसदी है।
सुंदर पिचाई ने अपने मेमो में कहा, ‘मेरे पास आपके लिए एक बुरी खबर है। हमने अपने वर्कफोर्स में करीब 12000 की कटौती करने का फैसला किया है। अमेरिका में लोग इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें एक अलग मेल भेज दिया गया है। दूसरे देशों में यह प्रक्रिया विभिन्न देशों के कानूनों और प्रावधानों के अनुसार होगी और इसमें थोड़ा समय लगेगा।’
पिचाई ने आगे लिखा, ‘इस फैसले का मतलब है कुछ अत्यंत प्रतिभावान लोगों से अलग होना, जिन्हें हमने बड़ी मेहनत के बाद हायर किया था। हमें उनके साथ काम कर बहुत अच्छा लगा। मैं इस फैसले के लिए माफी चाहता हूं।’
उन्होंने इस स्थिति के लिए खुद के फैसलों को जिम्मेदार माना है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में हमने नाटकीय विकास का दौर देखा है। विकास के उस दौर से तारतम्य बिठाने, उसे मजबूती प्रदान करने और एक अलग तरह के आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए हमने बड़ी संख्या में प्रतिभाओं को हायर किया, पर मौजूदा स्थिति जिसका हम सामना करने को विवश हैं वह भिन्न है। अपने मेमो में उन्होंने छंटनी से प्रभावित होने वाले कर्मियों को दी जाने वाली सुविधाओं की भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि कंपनी अमेरिका में अपने कर्मचारियों को पूरे नोटिफिकेशन पीरियड (न्यूनतम 60 दिन) का भुगतान करेगी। इसके अलावा गूगल ने 16 हफ्ते की सैलरी के साथ ही गूगल में हर अतिरिक्त साल पर दो हफ्ते का पैसा और कम से कम 16 हफ्तों का जीएसवी (गूगल स्टॉक यूनिट) सहित एक अच्छे सेवरेंस पैकेज की पेशकश करेगी। इसके अलावा, 2022 का बोनस और वैकेशन के साथ ही छह महीने के लिए हेल्थकेयर, जॉब प्लेसमेंट सर्विसेज और इमिग्रेशन सपोर्ट दिया जाएगा।
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दिग्गज टेक कंपनी गूगल (Google) के लिए भारत में मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल को रिकवरी के लिए डिमांड नोटिस जारी किया है। दरअसल, गूगल को यह नोटिस निर्धारित समय के भीतर जुर्माने का भुगतान करने में विफल रहने पर जारी किया गया है।
CCI ने अक्टूबर में गूगल पर एकाधिकार की स्थिति का फायदा उठाने के लिए कुल 2,274.2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। ये जुर्माना दो अलग-अलग मामलों में लगाया गया था, जिसमें पहला 1337 करोड़ रुपए का जुर्माना एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने के मामले में 20 अक्टूबर को लगाया था, जबकि एक हफ्ते के भीतर ही दूसरा जुर्माना करीब 936.44 करोड़ रुपए का लगाया था। यह जुर्माना प्ले स्टोर की नीतियों में अनुचित व्यवहार के लिए लगाया गया था।
CCI ने यह निर्देश दिया है कि नोटिस मिलने के 60 दिनों के भीतर ही गूगल को दंड का भुगतान करना होगा। प्रतिस्पर्धी कानूनों में कहा गया है कि यदि कोई इकाई मांग नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर जुर्माना नहीं देती है, तो नियामक जुर्माना राशि वसूलने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकता है।
गूगल ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के सामने इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ अपील दायर ही की थी। न्यायाधिकरण ने अभी इस मामले में सुनवाई नहीं की है।
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