गूगल की अनुभा उपाध्याय ने टेलीपरफॉर्मेंस (Teleperformance) में APAC की वाइस प्रेजिडेंट (गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस) के रूप में नई भूमिका ग्रहण की है।
गूगल की अनुभा उपाध्याय ने टेलीपरफॉर्मेंस (Teleperformance) में APAC की वाइस प्रेजिडेंट (गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस) के रूप में नई भूमिका ग्रहण की है।
अपने लिंक्डइन पोस्ट में, उपाध्याय ने बताया कि इस नई भूमिका में वह APAC क्षेत्र में व्यापक गो-टू-मार्केट रणनीतियों के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी और टीम के साथ मिलकर इनोवेशन और प्रभावशाली समाधान विकसित करेंगी।
उन्होंने लिखा, "एक नया अध्याय शुरू हो रहा है: टेलीपरफॉर्मेंस में वाइस प्रेजिडेंट, APAC, गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस के रूप में शामिल होकर रोमांचित हूं। 2024 परिवर्तन का वर्ष रहा है, जिसमें मैंने नई चुनौतियों और अवसरों की खोज की। जो साधारण कॉफी चर्चाओं से शुरू हुआ, वह जल्द ही अधिक महत्वपूर्ण बन गया। मैंने प्रॉब्लम-सॉल्विंग और ऑपरेशनल एक्सिलेंस के प्रति गहरी रुचि पाई, जिससे भविष्य के लिए उत्साह पुनर्जीवित हुआ।
अपनी नई भूमिका का वर्णन करते हुए, उन्होंने कहा, "सेल्स क्षमता, ग्राहक अधिग्रहण और लॉयल्टी प्रोग्राम्स से संबंधित पहलों का नेतृत्व करते हुए मैं डेटा-आधारित अंतर्दृष्टियों और डिजिटल समाधानों का उपयोग करके व्यावसायिक प्रदर्शन को अनुकूलित करूंगी और उच्च-प्रभावी, तकनीक-सक्षम रणनीतियों का निर्माण करूंगी।"
टेलीपरफॉर्मेंस से पहले, अनुभा उपाध्याय गूगल में 11 से अधिक वर्षों तक रहीं। वहीं, अपने पिछले कार्यकालों में, अनुभा ने क्विडको, स्टेलर इंफॉर्मेशन सिस्टम्स लिमिटेड, टीएनटी एक्सप्रेस, और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ काम किया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के मसौदा नियमों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया की अवधि 2 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के मसौदा नियमों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया (पब्लिक फीडबैक) की अवधि 2 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है। पहले यह अंतिम तिथि 18 फरवरी तय की गई थी, लेकिन इंडस्ट्री जगत के हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस परामर्श अवधि को बढ़ाया गया है।
MeitY ने 3 जनवरी को इस बहुप्रतीक्षित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मसौदा नियमों का अनावरण किया। यह कदम अगस्त 2023 में अधिनियम की प्रारंभिक अधिसूचना के 16 महीने बाद आया है, जो देश में व्यापक डेटा गोपनीयता कानून की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023, व्यक्तियों के अधिकारों और व्यक्तिगत डेटा को संभालने वाले व्यवसायों की जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है। यह अधिनियम व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने, उसे संशोधित करने या हटाने का अधिकार देता है, जबकि व्यवसायों को डेटा प्रोसेसिंग के लिए स्पष्ट सहमति प्राप्त करनी होगी और मजबूत सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे।
यह अधिनियम सीमा-पार डेटा ट्रांसफर पर भी प्रतिबंध लगाता है, जिससे अनधिकृत पहुंच से डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
कानून को लागू करने और शिकायतों के समाधान के लिए एक समर्पित डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DPA) स्थापित की गई है। इस अधिनियम का पालन न करने पर कंपनियों को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
चूंकि कंपनियों, ब्रांडों और विज्ञापनदाताओं को उपभोक्ताओं के डेटा तक व्यापक पहुंच प्राप्त होती है, इसलिए यह कानून डेटा गोपनीयता की सुरक्षा और वैध डेटा प्रोसेसिंग के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह आने वाले वर्षों में भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मसौदा नियमों का सबसे उल्लेखनीय पहलू चरणबद्ध कार्यान्वयन दृष्टिकोण है। डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) के चयन और कार्यप्रणाली से संबंधित पांच नियम तुरंत लागू होंगे, जबकि अन्य नियम बाद की तारीख में प्रभावी होंगे। यह चरणबद्ध दृष्टिकोण संगठनों को नए नियमों के अनुरूप धीरे-धीरे समायोजित करने की अनुमति देगा।
गूगल इंडिया के पब्लिक पॉलिसी हेड श्रीनिवास रेड्डी ने अपने पद से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है।
गूगल इंडिया के पब्लिक पॉलिसी हेड श्रीनिवास रेड्डी ने अपने पद से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि पिछले दो सालों में गूगल के पब्लिक पॉलिसी पद से यह दूसरी बार किसी वरिष्ठ अधिकारी का इस्तीफा हुआ है।
रेड्डी सितंबर 2023 में गूगल से जुड़े थे। इससे पहले वे माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल में कार्यरत थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गूगल के एक आंतरिक मेमो में कहा गया है कि उत्तरी यूरोप के पॉलिसी हेड इयरला फ्लिन (Iarla Flynn) भारत के लिए इंट्रिम पॉलिसी हेड के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
मेमो में यह भी कहा गया कि "भारत गूगल के लिए एक महत्वपूर्ण मार्केट है और हम इसकी सफलता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"
टेक दिग्गज 'मेटा' आज 10 फरवरी को अपने कार्यबल के 5% यानी अनुमानित 3,000 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की तैयारी में है
टेक दिग्गज 'मेटा' आज 10 फरवरी को अपने कार्यबल के 5% यानी अनुमानित 3,000 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की तैयारी में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेटा की ह्यूमन रिसोर्सेज (HR) की वाइस प्रेजिडेंट जेनेल गेल ने इस बारे में कंपनी के इंटर्नल पोर्टल पर जानकारी साझा की है।
मेमो के अनुसार, प्रभावित एम्प्लॉयीज को ईमेल के जरिए उनकी नौकरी की स्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा। सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर उनकी कंपनी की सिस्टम्स तक पहुंच बंद कर दी जाएगी। गेल ने सेवरेंस पैकेज (छंटनी के बाद मिलने वाले लाभ) से जुड़ी जानकारी भी साझा की है।
इनमें से कुछ पद भविष्य में दोबारा भरे जाएंगे, लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई गई है। जिन एम्प्लॉयीज के मैनेजर्स की छंटनी होगी, उन्हें नए रिपोर्टिंग हेड्स असाइन किए जाएंगे।
मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पहले ही परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड्स का हवाला देते हुए संभावित छंटनी के संकेत दे चुके थे।
जानी-मानी टेक्नोलॉजी कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने विद्या श्रीनिवासन को कंपनी में एक अतिरिक्त भूमिका सौंपी है।
जानी-मानी टेक्नोलॉजी कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने विद्या श्रीनिवासन को कंपनी में एक अतिरिक्त भूमिका सौंपी है। विद्या श्रीनिवासन के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह अब Ads के साथ-साथ Commerce का नेतृत्व भी करेंगी। इसके साथ ही विद्या श्रीनिवासन अब गूगल में Ads और Commerce की वाइस प्रेजिडेंट बन गई हैं।
अपनी लिंक्डइन पोस्ट में विद्या श्रीनिवासन ने लिखा है, ‘मैं यह शेयर करते हुए काफी उत्साहित हूं कि मैंने गूगल में Ads के साथ-साथ Commerce टीम (कंज्यूमर शॉपिंग, मर्चेंट शॉपिंग और पेमेंट्स) का नेतृत्व करने की विस्तारित भूमिका संभाल ली है। लोग हर दिन गूगल पर एक अरब से अधिक बार शॉपिंग करते हैं, और एआई उनके शॉपिंग अनुभव को हर कदम पर बदलने में मदद कर रहा है। शॉपिंग अनुभवों, मर्चेंट टूल्स और सुरक्षित भुगतान तक, मैं टीम के साथ मिलकर एआई इनोवेशन को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं।’
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पद पहले मारिया रेंज (Maria Renz) के पास था, जिन्होंने अब कंपनी छोड़ने का फैसला किया है। विद्या श्रीनिवासन ‘गूगल’ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (नॉलेज एंड इनफॉर्मेशन) निक फॉक्स को रिपोर्ट करना जारी रखेंगी।
टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है।
टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है। इन छंटनियों के तहत "लो परफॉर्मर्स" को टारगेट किया जाएगा और उनकी जगह नए नियुक्तियां की जाएंगी। यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
जुकरबर्ग का फोकस: परफॉर्मेंस और नई प्रतिभा
Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस कदम को परफॉर्मेंस मैनेजमेंट को मजबूत करने और "सबसे बेहतर टैलेंट" को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया है। जुकरबर्ग ने कहा, "मैंने परफॉर्मेंस मैनेजमेंट का स्तर ऊंचा करने और लो परफॉर्मर्स को तेजी से हटाने का फैसला किया है। हम आमतौर पर परफॉर्मेंस में कमी वाले लोगों को एक साल के अंदर मैनेज करते हैं, लेकिन इस बार हम व्यापक प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि कंपनी का उद्देश्य 2025 में इन भूमिकाओं के लिए नई भर्तियां करना है। प्रभावित एम्प्लॉयीज को फरवरी 10, 2025 या अमेरिका के बाहर के एम्प्लॉयीज के मामले में बाद में सूचित किया जाएगा। जुकरबर्ग ने आश्वासन दिया कि छंटनी के दौरान प्रभावित एम्प्लॉयीज को पहले की तरह "जेनरस सेवरेंस" पैकेज दिया जाएगा।
कानूनी मोर्चे पर झटका
इसी बीच, Meta को एक और झटका उस समय लगा जब सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने मल्टी-बिलियन डॉलर के क्लास एक्शन मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में विज्ञापनदाताओं ने Meta पर अपने विज्ञापनों के संभावित दर्शकों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है।
आंतरिक ज्ञापन का खुलासा
सोशल मीडिया पर लीक हुए एक आंतरिक मेमो में जुकरबर्ग ने यह भी कहा, "हम इस बार ज्यादा व्यापक और सख्त प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे। हालांकि, उन एम्प्लॉयीज को हटाने का इरादा नहीं है जिनकी भविष्य की परफॉर्मेंस को लेकर हमें आशावाद है।"
जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य मजबूत टीमों का निर्माण करना और मानव कनेक्शन को सक्षम करने वाली अग्रणी तकनीक तैयार करना है।
एम्प्लॉयीज और उद्योग के लिए संदेश
Meta की इस घोषणा ने टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है, जहां पहले से ही छंटनी का दौर चल रहा है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि यह कदम संगठनात्मक दक्षता और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उठाया जा रहा है।
मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स) पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीकों को पुनर्परिभाषित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं।
मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स) पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीकों को पुनर्परिभाषित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। कंपनी ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अमेरिका में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को समाप्त कर रही है और इसकी जगह कंपनी यूजर द्वारा संचालित ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रणाली को अपनाएगी, जहां यूजर्स कंटेंट को रेट और संदर्भ प्रदान कर सकेंगे।
ये बदलाव मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा जॉर्जटाउन में दिए गए भाषण में किए गए फ्री एक्सप्रेशन के वादे को निभाने की दिशा में एक प्रयास हैं।
जुकरबर्ग ने कहा, "हम इस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां बहुत अधिक गलतियां और बहुत अधिक सेंसरशिप हो रही है। अगर हम गलती से सिर्फ 1% पोस्ट को सेंसर कर देते हैं, तो यह भी लाखों लोगों पर असर डालता है।"
नई नीति बदलाव के मुख्य बिंदु:
फैक्ट-चेकर्स की जगह कम्युनिटी नोट्स:
मेटा अपने फैक्ट-चेकर्स को धीरे-धीरे खत्म कर एक समुदाय-चालित प्रणाली 'कम्युनिटी नोट्स' को पेश करेगा। यह कदम पारंपरिक फैक्ट-चेकिंग तंत्रों पर बढ़ते अविश्वास के जवाब में उठाया गया है, जिन्हें मेटा ने स्वीकार किया कि ये पहले राजनीतिक रूप से पक्षपाती रहे हैं।
जुकरबर्ग ने कहा, "फैक्ट-चेकर्स बहुत अधिक राजनीतिक पक्षपाती हो गए हैं और उन्होंने विश्वास बनाने के बजाय उसे नष्ट कर दिया है, तो, आने वाले कुछ महीनों में, हम एक अधिक व्यापक कम्युनिटी नोट्स प्रणाली लागू करेंगे।"
कंटेंट पॉलिसियों का सरलीकरण:
मेटा अपनी कंटेंट पॉलिसियों को सरल बनाएगा और इमिग्रेशन और जेंडर जैसे संवेदनशील विषयों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाएगा। कंपनी का मानना है कि ये प्रतिबंध मुख्यधारा की चर्चा से अलग और बहुत अधिक सख्त हो गए थे।
जुकरबर्ग ने कहा, "जो समावेशिता बढ़ाने के लिए शुरू हुआ था, वह अब अलग-अलग विचारों वाले लोगों की राय बंद करने और उन्हें अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। लिहाजा हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग हमारे प्लेटफॉर्म्स पर अपने विश्वास और अनुभव साझा कर सकें।"
कंटेंट मॉडरेशन फिल्टर का समायोजन:
मेटा अनावश्यक सेंसरशिप को कम करने के लिए अपने मॉडरेशन फिल्टर्स को हल्के उल्लंघनों के मामलों में ढील देगा। अब, कार्रवाई करने से पहले यूजर्स की रिपोर्ट्स पर भरोसा किया जाएगा। यह बदलाव सही पोस्ट्स को गलती से हटाए जाने की घटनाओं को कम करने के लिए किया गया है।
जुकरबर्ग ने समझाया, "पहले हमारे पास ऐसे फिल्टर थे जो किसी भी नीति उल्लंघन के लिए स्कैन करते थे। अब हम इन फिल्टर्स को केवल अवैध और गंभीर उल्लंघनों पर केंद्रित करेंगे और इन्हें कम करके, हम अपने प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप को काफी हद तक घटाने जा रहे हैं।"
सिविक कंटेंट की पुनः शुरुआत:
यूजर्स के तनाव को कम करने के लिए राजनीतिक पोस्ट को सीमित करने के बाद, मेटा ने सिविक और राजनीतिक कंटेंट को वापस लाने का निर्णय लिया है। यह उन यूजर्स की प्रतिक्रिया के जवाब में किया गया है जो फिर से राजनीतिक चर्चाओं में भाग लेना चाहते हैं।
जुकरबर्ग ने कहा, "ऐसा लगता है कि अब हम एक नए दौर में हैं, और हमें यूजर्स से यह प्रतिक्रिया मिल रही है कि वे फिर से इस प्रकार का कंटेंट देखना चाहते हैं। हम इसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स में धीरे-धीरे शामिल करना शुरू करेंगे, जबकि क्म्युनिटीज को दोस्ताना और सकारात्मक बनाए रखने के लिए काम करेंगे।"
ट्रस्ट और सेफ्टी टीमों का स्थानांतरण:
मेटा अपनी ट्रस्ट और सेफ्टी और कंटेंट मॉडरेशन टीमों को कैलिफोर्निया से टेक्सास स्थानांतरित करेगा। यह कदम कंटेंट समीक्षा और मॉडरेशन के लिए एक ऐसा नया वातावरण बनाने की दिशा में उठाया गया है जो कंपनी के अपडेटेड दृष्टिकोण के साथ बेहतर मेल खाता हो।
जुकरबर्ग ने कहा, "अमेरिका में हमारी कंटेंट समीक्षा टीम अब टेक्सास में आधारित होगी। यह बदलाव हमारे संचालन को सरल बनाने और पूरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करेगा।"
'मेटा' ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा लगाए गए 213 करोड़ रुपये के जुर्माने को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का दरवाजा खटखटाया है
वॉट्सऐप की मूल कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए 213 करोड़ रुपये के जुर्माने को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का दरवाजा खटखटाया है।
मेटा पर यह जुर्माना वॉट्सऐप की 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी से जुड़ी मार्केट में प्रभावशाली स्थिति के कथित दुरुपयोग के लिए लगाया गया था।
मेटा ने इस मामले के संभावित प्रभाव और दांव पर लगी बातों का हवाला देते हुए इसकी तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली NCLAT बेंच इस मामले की सुनवाई 16 जनवरी को करेगी।
यह जुर्माना CCI की वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट की जांच से संबंधित है। एंटी-ट्रस्ट नियामक का कहना है कि यह पॉलिसी न तो पारदर्शी थी और न ही यूजर्स की स्वैच्छिक सहमति पर आधारित थी।
CCI के अनुसार, इस पॉलिसी के तहत अत्यधिक डेटा संग्रह की अनुमति दी गई थी, जो संभावित रूप से उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है और लक्षित विज्ञापन के लिए "स्टॉकिंग" का कारण बन सकती है।
नियामक ने यह भी चिंता व्यक्त की कि यूजर्स को विशिष्ट डेटा-साझाकरण शर्तों पर आपत्ति करने या ऑप्ट आउट करने यानी उनसे बाहर निकलने का विकल्प नहीं दिया गया था, जिससे उपभोक्ता डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत जानकारी पर नियंत्रण कम हो सकता है।
CCI ने इस मामले की जांच जनवरी 2021 में शुरू की थी, जब अपडेटेड पॉलिसी के बारे में न्यूज रिपोर्ट्स सामने आईं।
नियामक ने इस बात पर जोर दिया कि प्राइवेसी पॉलिसी के प्रावधान उपभोक्ता संरक्षण की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं, जो एंटी-ट्रस्ट कानून के दायरे में आता है।
वॉट्सऐप और फेसबुक ने पहले CCI के इस मामले की जांच के फैसले को चुनौती दी थी, यह तर्क देते हुए कि इस मामले की जांच पहले से ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों द्वारा की जा रही है।
हालांकि, अप्रैल 2021 में, दिल्ली हाई कोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिससे CCI की जांच जारी रह सकी।
अब मेटा इस फैसले को पलटने की कोशिश कर रहा है, और NCLAT अगले सप्ताह इसकी अपील की सुनवाई करेगा।
शेयरचैट (ShareChat) ने नितिन जैन को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) नियुक्त किया है।
शेयरचैट (ShareChat) ने नितिन जैन को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) नियुक्त किया है। इस भूमिका में नितिन, शेयरचैट और इसके शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म 'मोज' (Moj) पर तकनीक के विकास और अनुप्रयोग की जिम्मेदारी संभालेंगे।
नितिन जैन एक अनुभवी तकनीकी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने विज्ञापन, ई-कॉमर्स, फिनटेक और उन्नत डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में कई बदलावकारी परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उन्होंने शुरुआती विचारों को विकसित कर प्रभावशाली वैश्विक मंचों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अपने करियर में नितिन ने Tokopedia, Gojek और हाल ही में TikTok जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में काम किया है। उन्होंने शून्य से तकनीकी व्यवसायों को खड़ा करने और उन्हें तेजी से बढ़ाने का अनुभव हासिल किया है। उनकी विशेषज्ञता कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन और आधुनिक देवऑप्स प्रथाओं जैसे अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में है।
नितिन के स्वागत में शेयरचैट और मोज के सीईओ व को-फाउंडर अंकुश सचदेवा ने कहा, “नितिन एक वैश्विक तकनीकी लीडर हैं, जिनके पास विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में काम करने का दो दशकों से अधिक का अनुभव है। शेयरचैट और मोज में विकास के अगले अध्याय की शुरुआत के लिए नितिन का अनुभव और तकनीकी व्यवसायों को स्केल करने की उनकी सिद्ध क्षमता गेम-चेंजर साबित होगी। उनके टीम में शामिल होने और हमारे तकनीकी संगठन का नेतृत्व करने को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं।”
अपनी नियुक्ति पर नितिन जैन ने कहा, “मैं ग्राहक-केंद्रित उत्पादों को विकसित करने के लिए अत्यधिक जुनूनी हूं, जो नवाचार और तकनीकी अनुप्रयोगों के माध्यम से वास्तविक मूल्य प्रदान करते हैं। शेयरचैट के साथ काम करने और इतने प्रतिभाशाली टीम से सीखने का अवसर मेरे लिए बेहद रोमांचक है। मैं अपने अनुभव का उपयोग करके हमारे बढ़ते उपयोगकर्ताओं और क्रिएटर्स समुदाय को एक अत्यधिक व्यक्तिगत सामाजिक अनुभव प्रदान करने के लिए तत्पर हूं।”
यह नियुक्ति शेयरचैट और मोज के लिए तकनीकी क्षेत्र में नवाचार और विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है, जिसमें गूगल पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों का आरोप लगाया गया है। शिकायत का मुख्य विषय गूगल की Play Store नीतियों में किए गए बदलाव हैं, जो WinZo के अनुसार, कुछ RMG ऐप्स के साथ भेदभाव करते हैं और इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बाधित करते हैं।
WinZo ने अपनी शिकायत में कहा है कि गूगल की नीति कुछ खास RMG ऐप्स को Play Store पर अनुमति देती है, जबकि अन्य को अस्पष्ट और मनमाने मानदंडों के आधार पर बाहर रखती है। "ये नीतियां एक असमान प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाती हैं और भारतीय बाजार तक समान पहुंच को बाधित करती हैं," WinZo ने कहा। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि गूगल अपनी मजबूत बाजार स्थिति का दुरुपयोग कर ऐप डेवलपर्स पर अनुचित शर्तें थोपता है, जिससे उनके विकास और दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता प्रभावित होती है।
CCI ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि ऐप वितरण बाजार में गूगल का प्रभुत्व, खासकर Android Play Store के माध्यम से, जांच की मांग करता है। आयोग ने कहा, "शिकायत में उठाए गए आरोपों में प्रारंभिक तौर पर दम नजर आता है और Google के इस प्रभुत्व के संभावित दुरुपयोग की जांच जरूरी है।"
यह घटनाक्रम भारत के RMG क्षेत्र की पृष्ठभूमि में हुआ है, जो देश की मोबाइल-प्रथम अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रभाव के चलते तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी भारी नियामकीय अनिश्चितताओं और समाज में बंटी हुई राय का सामना कर रहा है। राज्य सरकारें नवाचार को प्रोत्साहित करने और लत व वित्तीय जोखिम के कारण प्रतिबंध लगाने के बीच झूलती रहती हैं।
विज्ञापन के मोर्चे पर भी स्थिति जटिल है। WinZo जैसे प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से डिजिटल विज्ञापनों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन गूगल और Meta जैसे मुख्यधारा के प्लेटफार्मों द्वारा RMG ऐप्स को लेकर सतर्क रुख अपनाने के कारण उन्हें सरकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, ऐप स्टोर पर दृश्यता नए उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, और गूगल Play Store की प्रतिबंधात्मक नीतियां इन कंपनियों की राजस्व रणनीतियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
भारत, जो गूगल और RMG क्षेत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, में यह टकराव यह तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है कि प्लेटफॉर्म नियामकीय अनुपालन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं।
भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है।
भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वॉट्सऐप (WhatsApp) की विवादास्पद 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी के माध्यम से बाजार में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप में लगाया गया है।
सोमवार को घोषित इस जुर्माने में चिंता व्यक्त की गई है कि वॉट्सऐप की पॉलिसी ने यूजर्स को मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर अपना डेटा साझा करने के लिए अनुचित रूप से मजबूर किया। इसके पीछे उपभोक्ता गोपनीयता के बजाय व्यापार और विज्ञापन के लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई।
2021 की इस प्राइवेसी पॉलिसी ने वैश्विक स्तर पर आलोचना को जन्म दिया था, क्योंकि इसे यूजर्स पर दबाव बनाने वाला कदम माना गया। कई लोगों ने इसे वॉट्सऐप की गोपनीयता की प्रतिबद्धता को कमजोर करने वाला बताया। भारत, जो वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है, में इस पॉलिसी के चलते यूजर्स बड़ी संख्या में प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म्स की ओर जाने लगे, जिससे नियामकीय जांच तेज हो गई।
यह निर्णय भारत द्वारा बड़ी टेक कंपनियों की एकाधिकारवादी प्रथाओं और डेटा नियंत्रण पर सख्ती के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। डिजिटल विज्ञापन राजस्व में बढ़ोतरी और लक्षित मार्केटिंग में यूजर्स डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका के बीच, नियामक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
मेटा ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा या नहीं। यह फैसला इस बात के लिए एक नज़ीर साबित हो सकता है कि भारत के बदलते नियामकीय परिदृश्य में बड़ी टेक कंपनियां कैसे काम करेंगी।
यह जुर्माना इस बात को स्पष्ट करता है कि बिना जवाबदेही के बाजार की ताकत का दुरुपयोग करना दंडनीय होगा, क्योंकि भारत नवाचार और निगरानी के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।